सभी अन्तर्वासना प्रेमियों को नमस्कार! बात आज से करीब दो साल पुरानी है. उस वक्त मेरी उम्र बाईस साल थी. जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि इस उम्र में चुदाई करने का कितना मन करता है. तो मेरा भी इस उम्र दिल मचलने लगा था कि कोई लंड की प्यास बुझाने का छेद मिल जाए. ऊपर वाले से बस यही दुआ करता था कि जल्द से जल्द कोई आइटम चोदने को मिल जाए.
एक दिन ऊपर वाले ने मेरी हालत को समझा और मुझे चुदाई के सुख से रूबरू करवा दिया. अब आते है मुद्दे की बात पर.
मेरा नाम जॉन है. दरअसल यह नाम मुझे इस कहानी की नायिका ने ही दिया था और तब से मैं भी इस नाम से लिखने लग गया. वो मुझे इस नाम से इसलिए बुलाती थी कि सब अपरिचितों के सामने जान कहकर नहीं बुला सकती थी, तो उसने जॉन नाम रख दिया. परिचितों के सामने वो मुझसे बात ही नहीं करती थी, यदि करना ही पड़ जाए, तो मेरे नाम के आगे भैया लगाके मुझसे बात करती थी.
यह कहानी मेरी और मेरी एक देसी विधवा भाभी के अन्तरंग संबधों की है. हमारी मुलाकात एक संयोग ही थी.
हुआ यूं कि मेरे नाना जी की देहांत की खबर मुझे मिली, तो मैंने पापा को फ़ोन किया और बोला कि मम्मी को मत बताना. मैं घर आकर मम्मी को लेकर ननिहाल चला जाऊँगा.
पापा ने बोला- ठीक है.
बस यहीं से मेरे चुदाई भरे जीवन का शुभारम्भ हुआ. मैं मम्मी को लेकर ननिहाल पहुंच गया. वहां की सारी विधि पूरी होने में ही दिन बीत गया. शाम को जिसको जहां जगह मिली, वो वहीं सो गया.
मैं भी एक कमरे में जाकर सो गया. थोड़ी देर बाद वहां पर एक लगभग 30 साल की औरत आई, उसने पहले इधर उधर देखा और फिर मेरे पास ही थोड़ी सी जगह में बिस्तर डाल कर सो गयी. मैं तब तक उसे नहीं जानता था. कमरे में दो और व्यक्ति भी सो रहे थे, मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो मैंने मोबाइल में गेम खेलना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर बाद उस महिला ने मुझसे बात करना शुरू किया. वो इतना धीरे बोल रही थी कि बड़ी मुश्किल से ही सुनाई दे रहा था. उससे बातचीत के दौरान मुझे पता चला कि वो एक विधवा है और पास ही एक मकान में रहती है. उसका नाम माया है.
उसने उस वक्त साड़ी पहन रखी थी.
उसके बड़े बड़े बूब्स देखकर मेरे मन में भी चुदाई का कीड़ा कुलबुलाने लगा. मैंने सोचा यहां काम बन सकता है. मैंने भी धीरे धीरे बातचीत करना जारी रखा. थोड़ी देर बाद मैंने कहा- आप जोर से बोलो, मुझे सुनाई नहीं दे रहा है.
इस पर उसने अपनी दरी को मेरे बिल्कुल नजदीक कर लिया. गांव में रिवाज है किसी की मृत्यु हो जाती है, तो 12 दिन तक नीचे ही सोते हैं.
फिर थोड़ी देर की बातचीत के बाद हम सो गए.
दूसरे दिन वो सुबह जब मैं उठा, तो वो जा चुकी थी. जब मैंने आंगन में आकर पता किया, तो पता चला कि वो मेरे रिश्ते में भाभी लगती है.. और यहीं पास ही रहती है. अभी वो घर गयी है.. थोड़ी देर में आ जाएगी.
कुछ देर बाद जब वो आई तो उसने मुस्कराकर मुझे हैलो कहा.
मैंने भी हैलो कहा.
अब जब भी वो देखती तो हमेशा मुस्कुरा देती. मेरे भी शैतानी दिमाग में थोड़ा कीड़ा जागने लगा. मैंने सोचा क्यों न कोशिश की जाए, मिल गयी तो ठीक, वरना अपना हाथ जगन्नाथ.
अब मैंने उससे जब तब बात करना शुरू कर दी. वो भी मुझसे बात करने का बहाना सा देखने लगी. इसी दौरान मैं किसी काम से किचन में गया, तो देखा वो अकेली कुछ काम कर रही है. मैं उसके पीछे खड़ा होकर उससे बातें करने लगा. थोड़ी देर बाद वो थोड़ा पीछे को हुई और अपनी गांड को मेरे लंड पर सैट कर लिया. मैं समझ गया कि इसकी चूत में खुजली हो रही है. मैं अपना खड़ा लंड उसकी गांड में रगड़ता रहा.
थोड़ी देर बाद वो आगे पीछे होने लगी. उसकी गांड की गर्मी से मेरा लंड भी अपना आकार लेने लगा. इसका आभास उसे हो गया. उसने पीछे मेरी आंखों में देखकर एक बड़ी ही कातिलाना स्माइल दी.
इसी दौरान मैंने बातों बातों में भाभी से पूछ लिया- आज रात को कहां सोओगी?
इस पर माया ने कहा- क्यों क्या इरादा है?
अब मेरे दिमाग भी अच्छी तरह आ गया कि ये भी लंड लेने की फ़िराक में है. मैंने भी हंस कर लंड सहला कर उसे इशारा दिया.
इस तरह से दिन बीता. हम लोगों ने वही दूसरी मंजिल का कमरा सोने के लिए चुना. कुछ मेहमान जा चुके थे, तो ऊपर के कमरे में और कोई नहीं सो रहा था. मैंने सोचा इससे अच्छा मौका नहीं मिलने वाला है.
रात का काम निपटाने के बाद वो भी उसी कमरे में आ गयी. कमरे में आते ही मैंने उसे बांहों में भर लिया.
माया आँख मारते हुए बोली- इतनी भी क्या जल्दी है, पहले दरवाजा तो बंद कर लो.
उसने दरवाजा बंद किया और मेरे पास आ गयी. आज उसने पजामी सूट पहन रखा था. पजामी की साइड से उसकी बड़ी सी गांड देखकर मेरा लंड पेंट में ही उफान मारने लगा. पास आते ही मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए.
आह … क्या मजा है स्मूच करने में.
हम दोनों की आंखें बंद, शरीर आपस में जुड़े हुए और होंठ एक दूसरे से मिले हुए थे. जिसने भी इस असीम सुख के सागर में गोता लगाया है, सिर्फ वही इसका आनन्द जान सकता है.
न जाने हम दोनों कितने देर तक एक दूसरे को यूं ही किस करते रहे. फिर मैंने उसे धीरे से नीचे लिटाया और उसकी कमीज निकाल दी. कमीज निकलते ही काली ब्रा में कैद दो 34 डी साइज़ के कबूतर फड़फड़ारते से दिखे, जो ब्रा की कैद से बाहर आने को बेताब थे. जैसे उन्हें किसी पिंजरे में बंद जानबूझ कर किया गया हो. उसकी ब्रा जैसे खुद बोल रही थी कि क्यों मेरे ऊपर ये जुल्म कर रहे हो, मेरी औकात से ज्यादा क्यों मुझ पर वजन दे रहे हो.
मैंने भाभी के बूब्स को बड़े प्यार से ब्रा के ऊपर से ही चूमना शुरू किया. माया ने एक हल्की सी कामुक सीत्कार भरी और अपनी आंखें बंद कर लीं. थोड़ी देर बाद भाभी मेरे बालों में हाथ फिराने लगी. कुछ देर बाद उसने खुद ही अपनी ब्रा खोल दी और मेरी भी शर्ट और पैन्ट खोल दी.
अब माया भाभी मेरे लंड से खेलने लगी. थोड़ी देर बाद ही मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.
तो माया भाभी इठलाते हुए बोली- क्या बात है, ये तो मेरे हाथ की गर्मी भी नहीं झेल पाया, तो चूत की गर्मी कैसे झेल पाएगा.
मुझे भी जरा झेंप सी लगी.
अब भाभी बोली- कोई बात नहीं, मैं इन 10 दिनों में तुझे पूरा चोदू बना दूंगी.
थोड़ी देर बाद फिर से माया भाभी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और खेलने लगी. कुछ देर में ही लंड फिर से तैयार हो गया. मैंने माया भाभी को खड़ा किया और उसकी पजामी और पैंटी दोनों एक साथ निकाल दी. भाभी की चूत बिल्कुल साफ़ बिना बाल की मेरे सामने मानो ये बोल रही थी कि क्या देख रहे हो, आज ही संवरी हूँ चुदने के लिए.
हालाँकि यह मेरा पहला चुदाई कार्यक्रम था लेकिन फिर भी मैं चुदाई के बारे में जानता था. कुछ पोर्न फिल्म देखकर और कुछ कहानियां पढ़कर.
मैंने कोशिश की चूत चाटने की, लेकिन मुझे घिन सी आने लगी. दोस्तो … कुछ भी कर लो, लेकिन पहली बार चूत चाटने में थोड़ी परेशानी होती ही है.
माया भाभी शायद ये बात समझ गयी थी. उसने मेरा लंड अपने हाथ में लिया और थोड़ी देर खेलने के बाद उसे मुँह में लेकर चूसने लगी. अब उसके लिए तो लंड चूसना कोई नई बात थी नहीं. लेकिन लंड चुसाई में जो मजा आता है, उसके आगे सब मजे फीके लगने लगे थे मुझे.
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद वो नीचे लेट गयी और चुदाई की पोजीशन आ गयी. भाभी ने अपने टांगें चौड़ी कीं और मुझे इशारा किया. मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया. उसने अपने हाथ से लंड को चूत पर सैट किया और मुझे आंखों से इशारा किया.
अब तक हमने जो भी रतिक्रीड़ा की, उस पूरे समय के दौरान हमने कोई बात नहीं की. बिना बात किये सिर्फ इशारे पर चुदाई करना और रतिक्रीड़ा करना एक अलग ही अहसास देता है.
मैंने जैसे ही धक्का लगाया लंड बिना किसी रुकावट के सीधा माया भाभी की चूत में ऐसे घुस गया, जैसे मक्खन में छुरी घुस गई हो.
माया ने जोर से ‘सी.. आह..’ करके जोर से सीत्कार ली और आनन्द के अतिरेक से आंखें बंद कर लीं.
इधर मेरा भी यही हाल था. जैसे ही लंड चूत में घुसा, तो ऐसा लगा जैसे जन्नत में ही पहुंच गया. आनन्द के मारे अपने आप ही आंखें बंद हो गईं और मुँह से आनन्दमयी सीत्कारें फूट पड़ीं.
इस वक्त नजारा यह था कि माया भाभी नीचे नंगी लेटी थी और उसने अपनी टांगें चौड़ी कर रखी थीं. मैं माया भाभी की टांगों के बीच में घुटनों के बल आधा खड़ा होकर उसकी चूत में अपना लंड डाले नंगा खड़ा था.
थोड़ी देर बाद माया भाभी ने अपनी आंखें खोलीं और अपनी कमर हिलाने लगी. भाभी ने मेरे हाथों को पकड़ा और अपने मम्मों पर रख दिया. मैं भी उसके मम्मों को दबाने लगा, कभी चूसने लगा.
थोड़ी देर बाद माया भाभी रुक गयी, तो मैंने उसकी तरफ देखा तो वो आंखों ही आंखों में जैसे ये बोल रही थी कि यूँ ही देखते ही रहोगे या धक्के लगाकर चुदाई भी करोगे.
मैंने भी उसके मनोभावों को समझते हुए अपनी कमर हिलाना शुरू किया. तो माया ने अपनी टांगें मेरी कमर के चारों ओर लपेट लीं और आंखें बंद करके ‘सी आह..’ जैसी मादक सिसकारी भरने लगी.
कुछ देर की धकापेल चुदाई के बाद माया भाभी का शरीर अकड़ने लगा. तो वो भी अपनी कमर जोर जोर से हिलाने लगी और कुछ देर बाद शांत हो गयी. उसने झड़ते हुए मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया. मैं भी झड़ने की करीब था तो मैंने कमर हिलाना जारी रखा. लगभग 15-20 धक्कों के बाद अपना वीर्य माया की चूत में ही छोड़ दिया और माया भाभी के ऊपर लेटकर हांफने लगा.
कुछ देर भाभी बोली- मजा आ गया देवर जी … लेकिन हो थोड़े अनाड़ी. कोई बात नहीं है, मैं आपको पूरा चोदू बना दूंगी. बस मुझे मेरी फीस देते रहना.
ये कह कर भाभी मुस्कराने लगी.
उस रात हमने तीन बार चुदाई की. मैं वहां पर पूरे 10 दिन रहा. उन दस दिनों में ऐसी कोई रात नहीं थी, जब मैंने और माया ने चुदाई ना की हो.
उस रात की चुदाई के बाद माया मुझे जानू बोलने लगी, लेकिन सबके सामने जानू नहीं बोल सकती थी, तो उसने मेरा नाम जॉन रख दिया.
यह थी मेरी पहली चुदाई की दास्तान देसी भाभी के साथ … आपको कैसी लगी.. मेरी मेल आईडी पर जरूर बताएं.
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