हॉट गे सेक्स स्टोरी के इस भाग में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने पसंद के मर्द के साथ समलिंगी सेक्स करके मजा लिया. उसने पहले मेरी गांड को चाट कर मजा दिया, फिर गांड मार कर!
मित्रो, मैं निहार एक बार फिर से आपके सामने अपनी गे सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ.
मेरी हॉट गे सेक्स कहानी के पिछले भाग
लंड लेने का गे वैडिंग प्लानर का सपना-2
में अब तक आपने पढ़ा था कि नैना और मेरे सामने एक समलैंगिक शादी का प्रस्ताव था.
अब आगे की हॉट गे सेक्स कहानी:
आज इस नए तरीके की शादी को लेकर अपने काम में अचानक आए बदलाव से मैं कुछ असमंजस में था.
नैना भी काफी शॉक्ड लग रही थी, उसने अपने आपको संभालते हुए मेरी तरफ देखा.
और फिर कुछ सोच कर बोली- सबसे पहले तो मैं आप दोनों को शुभकामनाएं देना चाहती हूँ … और साथ ही साथ उन हजारों लोगों की तरफ से भी शुक्रिया कहना चाहती हूँ कि आप ये शादी करके समाज में अपने आस-पास के लोगों को इसके बारे में बढ़ावा दे रहे हैं. पर मैं समझ नहीं पा रही हूँ कि आप लोगों ने हमें ही क्यों चुना … और वो भी जब आप लोग खुद जानते हैं कि यहां इस तरह की शादी … और इसको लेकर जो दिक्कतें हैं … वो किस तरह की हैं.
मानवेन्द्र ने मेरी तरफ मुड़ते हुए कहा- मुझे नहीं लगता कि आपको इस तरह की शादी करवाने में कोई प्रॉब्लम होने वाली है … और मुझे इस बारे में आपकी खुराना वाली वैडिंग में मेरे कजिन से हुई मुलाकात से पता चला, जहां आपने ही इस तरह की वैडिंग की बात पर जोर दिया था.
मुझे याद आया कि खुराना की वैडिंग में मैंने एक जाट से अपनी सेवा करवाई थी. जिसके बाद में दो दिन तक ढंग से चल भी नहीं पाया था.
“खैर … आप लोगों को बजट के बारे में सोचने की कोई जरूरत नहीं है … न ही जल्दी जवाब देने की. आप दोनों आज रात हमारे गेस्ट हैं और यही हवेली में आप दोनों के कमरे भी हैं. आप दोनों आज रात हमारे साथ डिनर कीजिए और आपका जो भी जवाब होगा, आप हमें बताइएगा.”
नैना ने मेरी तरफ देखा … और मैंने नैना को देख कर अपने कंधे हिला दिए.
ऐसे मामलों में दोनों का हां करना बनता था, लेकिन मैंने नैना को ही सारी जिम्मेदारी दे रखी थी.
नैना को भी मुझ पर विश्वास था कि उसके कही किसी बात को मैं टालने वाला नहीं था.
फिर अंत में नैना ने मेरी तरफ देखा और कुछ सोच कर हामी भर ही दी.
मेरे चेहरे पर एक मुस्कराहट सी आ गयी. मैं उन दोनों के लिए खुश था कि कोई तो खुश है इस दुनिया में … और शादी भी कर ही रहे हैं.
अब शादी के लिए वेन्यू ढूंढना था, तो हमने दोनों ने आपस में आदित्य और हरप्रीत से पूछना ही बेहतर समझा.
उन्होंने हमें रेस्ट करने को कहा और कहा कि वो लंच पर हमें कुछ बताना चाहते हैं.
इसके बाद हम दोनों अपने कमरों में वापस चले गए.
मैंने होटल के एक बंदे को बुलाया. वो दिखने में काफी अच्छा लग रहा था. उससे मैंने होटल का टूर करवाने को कहा.
तो उसने मुझे होटल का अच्छा टूर दिया. होटल काफी अच्छा था … और तारीफे काबिल था.
मैं थोड़ा थक गया था, तो अपने कमरे में लौट आया. मैंने जैसे ही कमरे में एंट्री ली और दरवाजे से एंटर हुआ, किसी ने मुझे पीछे से दबोच लिया. उसने मेरी आंखों पर अपने हाथ रखे और मुझे कस के जकड़ लिया.
“आह … मानवेन्द्र तुम्हारे परफ्यूम की खुशबू बहुत अलग है. मैं तुम्हें बिना देखे भी पहचान लेता हूँ.” मैंने हंसते हुए कहा.
“पता है न … जब लोग खुशबू से पहचानने लगें, तो प्यार हो जाने का डर लगा रहता है.” मानवेन्द्र ने मेरे सामने आकर मुझे एक किस करते हुए कहा.
वैसे हमारी हाइट दोनों की लगभग बराबर ही थी, तो हम आसानी से एक दूसरे के होंठों तक पहुंच जा रहे थे.
“चुप करो … और ये प्यार-व्यार सिर्फ फिल्मों में होता है … या रोमांस की उपन्यासों में और पहले ही आपको बता दूं जनाब कि मुझे प्यार नाम के शब्द से ही नफरत है. मेरा फलसफा कुछ और ही है जनाब.” मैंने जवाब दिया.
“यानि बस मिलो, पेलो और दफा हो लो!”
मानवेन्द्र ने मेरे शर्ट के बटन खोलते हुए ही मुझे गाल पर से गर्दन तक किस करना चालू कर दिया.
“नहीं, मिलो और पेलो, पर दिल से मत खेलो … आह.” मैंने भी मानवेन्द्र की टी- शर्ट को खोलते हुए एक तरफ रखते हुए एक सिसकारी ली.
उसके होंठ बड़ी तेजी से मेरे बदन पर होते हुए मेरे निप्पलों तक आ पहुंचे थे- मुझे आज इनका दुद्दू पीना है … आह … उंह.
वो मेरे एक बोबे को पूरा मुँह में भरकर चूसने लगा.
इस समय वो अपने घुटनों को हल्का सा मोड़ कर मेरे निप्पलों को बारी बारी से चूस रहा था. उसने मुझे मेरी गांड के नीचे जांघों से पकड़ा और मेरी छाती को अपने मुँह के सामने ले आने के लिए मुझे जमीन से उठाकर गेट की तरफ ले गया.
मैंने इशारा समझते हुए गेट पर कुंडी लगायी और उसके सर को हाथों से पकड़ कर उसके मुँह को अपने सीने में दबा दिया.
अब मानवेन्द्र मुझे उठाकर बेड की तरफ ले गया और मुझे बेड पर पटक दिया. खुद अपनी पैंट से आजाद होकर उसने अपने फनफनाते लंड को अपनी चड्डी में सैट किया. इससे उसका लौड़ा चड्डी की इलास्टिक में फंस कर जैसे ऑक्सीजन के लिए गुहार लगाने लगा.
फिर उसने मेरी पैंट को एक झटके में पैरों के नीचे खींचा और मुझे पैंट से अलग कर दिया. पैंट के साथ ही चड्डी को भी मानवेन्द्र ने खींच कर निकल दिया था. मुझे लगा कि जैसे वो थोड़ा गुस्से में था.
मैंने पूछा- तुम इतना अलग क्यों बर्ताव कर रहे हो … जैसे काफी वाइल्ड हो रहे हो … या गुस्से में हो!
“ऐसा कुछ नहीं है मेरी जान, मैंने बस जो कल रात को शुरू किया है, आज मैं उसी को खत्म करना चाहता हूँ. पता नहीं मेरे बॉस मुझे कब बुला लें … उससे पहले कि वो तुम्हें लंच पर बुलाएं, मैं तुम्हारा लंच करना चाहता हूँ.”
ये कहते हुए उसने मुझे उल्टा किया और मेरी गांड में अपना मुँह दे दिया.
वो बेड के नीचे बैठा था. मैं आधा बेड पर और पेट के नीचे गांड से मुड़ा हुआ उसकी जीभ को अपनी गांड में फील कर रहा था.
उसने मेरी गांड से मुँह हटाया और मेरी गांड में. ‘थू ..’ करके खूब सारा थूक डाल दिया. फिर मेरी गांड को खोल खोल कर चाटने लगा. उसकी जीभ जैसे मेरी गांड को फाड़ कर अन्दर घुस जाना चाहती थी.
उसके मुँह से जब मुझे अपनी गांड में गर्मी फील होने लगी, तो उसने मुझे चोदना शुरू कर दिया.
मैं भी पूरी तरह से खुद को उसे सौंप कर आराम से लेट गया और सिसकारियां भरने लगा. उसने अपने दोनों होंठों के बीच मेरे छेद को मुँह में भरा और उसे मेरे होंठों की तरह ही चूसने लगा.
मैंने गांड को ढीला छोड़ दिया. मेरी कुलबुलाती गांड धीरे धीरे खुलने लगी.
उसने एक उंगली अपने मुँह में डाली और उसे पूरा थूक में भिगो कर उसे मेरी गांड में डाल दिया.
‘आउच … ओह फुह ..’ करके मैं उसकी मोटी उंगली के दर्द से कराह गया.
“वाह … क्या छेद है … अन्दर से भी टाइट … कसम से इसे बड़ा करने में मुझे बड़ा मजा आएगा.”
ऐसा कहकर मुझे मेरे दर्द से जुदा करने के लिए वो फिर से मुझे मुँह से चोदने लगा.
“अहम्म … और अगर तुम इस मुँह को मेरी गांड में ही डाले रखोगे, तो मैं तुम्हें भी पूरा अन्दर ले लूंगा.” मैंने उसका जोश बढ़ाने के लिए कहा.
उसने धीरे धीरे मुँह से मेरी गांड को चाटते हुए एक उंगली कब अन्दर कर दी, मुझे पता भी नहीं चला.
चटाक करके मेरे बाएं चूतड़ पर एक चांटा मारते हुए उसने उसे लाल ही कर दिया था. पर दर्द और मजे में, मजे की मात्रा ज्यादा थी, तो मैंने भी उसके सर में अपने हाथ से मेरी गांड में धकेलना चालू कर दिया.
‘अम्मम्म ..’ करके वो मेरी गांड को चाटते हुए मेरी गांड में दूसरे हाथ की उंगली को डालने लगा.
‘थोड़ा दर्द सहन करना पड़ेगा लेकिन उसके बाद मजा बहुत आएगा … ओके!’
मेरी हामी पाते ही उसने दूसरे हाथ की एक उंगली मेरी गांड में डाली और गांड को दो फांक में करते हुए छेद को चाटने और चूसने लगा. कुछ देर तक ऐसा करने के बाद मानवेन्द्र ने मेरी गांड के छेद को चौड़ा करना चालू किया.
मानवेन्द्र ने पहले मेरे दोनों पैरों को अपने पैरों से चौड़ा किया … फिर दोनों हाथों की उंगली को, जो मेरी गांड में थीं, एक दूसरे के विपरीत दिशा में खींच कर गांड को चौड़ा करने लगा.
“थू … अब गांड को बिल्कुल ढीला छोड़ दो … और मुझे अन्दर जाने दो. मैं तुम्हारी गांड का टेस्ट अन्दर तक से कर लेना चाहता हूँ.”
ये कहकर उसने अपनी जीभ को धीरे धीरे करके आधा मेरी गांड में सरका दिया और हिलाने लगा.
मुझे उसकी जीभ की खुरदराहट अपनी गांड के अन्दर मजा देती हुई महसूस हुई.
जीभ को गोल गोल घुमा कर जब वो लगभग मेरी गांड में भीतर तक पहुंच गया, तब उसने अपने होंठों से मेरी गांड पकड़ा. उंगलियां बाहर निकालीं और चूतड़ों को फैला कर जीभ से मुझे चोदने लगा.
मुझे लज्जत का ऐसा अहसास हो रहा था कि क्या लिखूं … ऐसा सुख देना तो मानो स्वयं कामदेव ने ही उसे सिखाया होगा.
मेरा कामदेव मुझे अपनी गांड को चौड़ा करने पर मजबूर कर रहा था. वो मेरी गांड का असली स्वाद अपनी जीभ से ही ले रहा था.
जब मेरी गांड से उसका मन भर गया, तो उसने मुझे अपने होंठों और हाथों की कैद से रिहा कर दिया. मेरे दोनों चूतड़ों पर एक एक किस किया. मेरे दाएं चूतड़ पर दांत गड़ाते हुए, उसने एक प्यारी सी थपकी मारी.
“तुम्हारी गांड बड़ी लाजवाब है.” कहते हुए उसने मुझे एक चूमा मेरे गालों पर जड़ दिया और जीभ मेरे मुँह में घुसा दी.
मेरी गांड का टेस्ट मुझे ही कराते हुए वो मुस्कुरा दिया.
“इतनी अच्छी तरह से मेरी गांड की मुँह से चुदाई यानि की रिमिंग आज तक किसी ने नहीं की थी.” कहते हुए मैंने उसे किस किया.
उसने मुझे एक तरफ धक्का दिया, मेरे गालों को अपने हाथ से पिचकते हुए गुस्से से देख कर बोला- मेरा मुकाबला किसी और से मुझे बर्दाश्त नहीं.
ये कह कर उसने मेरे होंठों पर थूका और फिर खुद ही उसे चाट गया. फिर चूसने लगा.
मैंने उसे एक तरफ धक्का दिया और उसे बेड पर लिटाते हुए उसके लंड पर बैठ कर उसके मम्मे चूसने लगा. फिर कुछ देर में ही मैं उसके लंड पर अपना मुँह चलाने लगा. सुपारा, टट्टे और उसकी हल्की हल्की झांटों में मेरा थूक ही थूक हो गया था.
मैंने कुछ 10 मिनट तक उसके लंड को अपने मुँह में पनाह दिए रखा.
जब तक लौड़े ने मेरे मुँह के अन्दर, मेरी जीभ, मेरी तालू और मेरे गालों पर झटके दे दे कर उन्हें थका न दिया, तब तक मैं उसके लंड को किसी आइसक्रीम कर तरह चूसता रहा.
“वैसे तुम्हारा लौड़ा भी कमाल का है … देखो ना, पिघलता ही नहीं, टेस्ट भी अच्छा है. पर अगर ये धीरे धीरे पिघले, तो मजा ही कुछ और आए.”
मैंने ये सब अभी कहा ही था कि मानवेन्द्र के लौड़े से प्रीकम रिसने लगा.
मानवेन्द्र ने अपनी आंखों से अपने लौड़े की तरफ इशारा किया … और तुरंत मेरी आंखों में देखा. मानो वो कह रहा हो कि लो जैसा तुम कहो. मैंने बिना एक पल गंवाए उस प्रीकम को चाट लिया और लौड़े को पूरा गीला कर दिया.
मानवेन्द्र ने मुझे ऊपर खींचते हुए मुझे एक जोरदार किस किया और अपनी गोद में बिठा लिया.
किस करते हुए ही उसने एक कंडोम निकाला और मुझे नीचे लिटाया- चॉकलेट चलेगा?
मेरे हां कहते ही उसने मेरे गालों को पिचकाया और कंडोम को मेरे होंठों पर रख दिया.
‘ये तुम्हारे मुँह में नहीं जाना चाहिए.’ कहते हुए उसने कंडोम को मेरे होंठों पर रख दिया.
फिर लौड़े को कंडोम पर धीरे से सुपारे से सटा दिया. अब उसने धीरे धीरे अपने लंड पर धक्के लगाते हुए उसने लंड को मेरे मुँह में घुसेड़ना चालू किया.
कंडोम भी आहिस्ता से खुलने लगा और लंड मेरे मुँह में जाने लगा.
मुझे अपने होंठों पर कंडोम के डॉट्स फील होने लगे और लौड़े ने अपने कपड़े पहन लिए. कंडोम पहनने का इससे अच्छा तरीका मैंने कभी नहीं देखा था.
कंडोम का चॉकलेट टेस्ट मेरे मुँह से अपने मुँह में फील करने के लिए उसने मुझे एक किस किया और फिर मुझे उल्टा लिटा दिया.
मेरी गांड में थूक कर उसने लंड का सुपारा लगाया और धीरे धीरे करके गांड में लंड पेलने लगा.
मानवेन्द्र के द्वारा गांड की रिमिंग होने की वजह से ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ लेकिन फिर भी लंड मोटा होने की वजह से मेरी गांड की दीवारों को थोड़ा और चौड़ा होना पड़ा.
गांड में लंड का सुपारा जाते ही मेरी गांड ने हिम्मत कर ली और धीरे धीरे एक एक दो झटकों को फील करते हुए मानवेन्द्र ने कुछ नब्बे सेकंड में पूरा लौड़ा अन्दर कर दिया.
अब मुझे दर्द थोड़ा ज्यादा होता, तो वो लंड को थोड़ा बाहर निकाल कर रुक जाता और फिर से धक्का चालू कर देता.
धीरे धीरे करके मानवेन्द्र का लौड़ा मेरी गांड में कब सैट हो गया, मुझे कुछ पता ही नहीं चला.
पर अब गांड के अन्दर जाते ही वो लौड़े को ट्विच करने लगा. एक पल के लिए तो मुझे लगा कि वो झड़ गया है.
“बस, हो गया?” मैंने रिलैक्स होते हुए पूछा.
तो उसने एक बेरहम झटका मेरी गांड में दे मारा.
“मजा आया … जब लौड़ा गांड में ऐसे ट्विच करता है, तो गांड को लगता है कि पानी आ गया और गांड शांत हो जाती है. लेकिन तभी असली मजा शुरू करना चाहिए.”
ये कहते हुए उसने मेरी गांड की चुदाई इस बार ताबड़तोड़ शुरू कर दी.
“ओह … आह हाय … यस फ़क मी.” मेरे ये शब्द जैसे जैसे मेरे मुँह से निकलते, उसका लौड़ा भी गांड से निकलता … पर अगले पल ही वापस अन्दर चला जाता.
“यस … तुम्हारी गांड को आज ढीला ही करना है.”
“यस और जोर से … डीपर हार्डर.” मैं चिल्ला चिल्ला कर चुद रहा था.
मानवेन्द्र ने मेरी गर्दन को मोड़ा और अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसेड़ते हुए मेरी गांड पर हमले चालू रखे.
कुछ देर चोदने के बाद उसने मुझे मेरे पेट के नीचे हाथ डालकर उठाया और फिर कुतिया बना दिया.
मेरी गांड को दोनों हाथ से और चौड़ी कर दिया. अब उसका लंड मेरी गांड में और अन्दर तक चला गया.
झटके पर झटके अब तेज होते गए, बेड चु चु की आवाज करने लगा, गांड के पास से फच फच की आवाजें आने लगी.
आह ओह … की आवाजों से कमरा गूंजने लगा. कभी कभी गांड पर चटाक पड़ने की आवाज भी आती … और कभी कभी होंठों से होंठों मिलने पर केवल मम मम ममम की आवाज ही दबी रह जाती.
मेरी गांड चुदाई को 15 मिनट बीत चुके थे … पर मानवेन्द्र की स्पीड में कोई कमी नहीं आयी थी.
“पोजीशन चेंज करें?” उसने पूछा.
मैंने मूक सहमति दी, तो झट से वो बेड पर कमर के बल लेट गया और मेरी गांड के सिकुड़ने से पहले ही फिर से उसने लंड को मेरी गांड में पेल दिया.
गांड में इस तरह से लौड़ा लेते ही उसकी सिसकारी निकल गयी और गांड में लंड को गोल गोल घुमाने से उसका दही निकलने को हो गया.
कुछ देर बाद उसने मेरी गांड पर हाथ लगाया और मुझे ऊपर नीचे करने लगा,
मैंने उसके हाथों को हटाया और अपने घुटनों को मोड़ कर, उसकी छाती पर लेट गया.
मैं उसके होंठ चूमने लगा.
नीचे से वो मेरी गांड में लंड घुसाने लगा और हिलने लगा.
मैं भी हिल हिल कर उसके लंड को अपनी गांड से चोदने लगा.
मैंने उसके होंठों को छोड़ते हुए उसकी छाती पर हाथ रखे और अपने गांड को उसके खड़े मोटे लंड पर उचकाने लगा.
“सोचा नहीं था तुम्हारी गांड से मुझे इस तरह से भी मजा लेने का मौका मिलेगा.” मानवेन्द्र ने कहा.
मैंने एक स्माइल देते हुए उसके लंड पर अपने उचकने की स्पीड को बढ़ा दिया.
कुछ देर इसी तरह से चोदने के बाद वो बैठ गया और मुझे चूमने लगा.
फिर धक्का देकर मानवेन्द्र मेरे ऊपर आ गया और मेरी टांगों को मेरे कंधे पर सटा कर मेरे होंठों चूमते हुए मुझे चोदने लगा.
मुझे कुछ पांच मिनट बाद ही पैरों में दर्द होने लगा तो उसने मेरी गांड को खींच कर बेड के किनारे पर लिया और मेरी जांघों को पकड़ कर जमीन पर खड़ा होकर मुझे लंड पर चढ़ाने लगा.
कभी वो मेरे होंठों को, तो कभी मेरे मम्मों पर थूकता और उन्हें चूसकर काट भी लेता.
अब एक घंटा हो चला था. मेरी गांड भी अब मुझे गालियां देने लगी थी. पर शायद गांड को भी मजे आ रहे थे, या उसके मुँह में मूसल लंड के चलते वो कुछ कह नहीं पायी थी.
खैर … अब शायद मानवेन्द्र के श्रीमान का भी दही निकलने वाला था, जिसने मेरी गांड में इतनी देर तक मशीन चलायी थी.
मानवेन्द्र ने मेरे लौड़े को हिलाना चालू किया, पर शायद वो उसे मुँह में लेना चाह रहा था. वो उधर पहुंच नहीं पा रहा था.
कुछ देर बाद उसने मेरी गांड से लंड निकाला और बेड पर बैठ गया.
उसने मेरे बाएं हाथ को अपने दाये कंधे पर रखवाते हुए मुझे अपने लंड पर बैठा लिया.
अब मैं उसकी गोद में कुछ इस तरह था कि मेरी बगलें उसकी छाती से चिपकी हुई थीं.
थोड़ी देर में ही मैंने लंड पर चुदाई चालू कर दी … और इसी तरह वो मेरे लंड को भी अपने मुँह में ले पा रहा था.
अब हम दोनों के लंड, एक गांड और एक मुँह पेल रहे थे.
ये एक तरह से 69 की ऐसी मुद्रा थी जिस्मने मेरा लंड उसके मुँह में था और वो मेरी गांड को अपने लंड से भेद रहा था.
कुछ देर बाद जब हम दोनों चरम सीमा पर पहुंचने वाले थे, तो मानवेन्द्र मेरा इशारा पाकर तुरंत अपना कंडोम हटा कर लंड चुसवाने की पोजीशन में आ गया.
हम एक दूसरे के लंड को चूसने की पोजीशन में आ गए थे.
लंड चुसाई से पहले हमने एक दूसरे की आंखों में देखा, एक अनचाहा अनजाना सा फ़्लाइंग किस किया और फिर किसी भूखे भेड़िये की तरह एक दूसरे के लंड पर ऐसे टूट पड़े, जैसे होड़ लगी हो कि पहले कौन किसे फ्री करेगा.
मानवेन्द्र ने अपने हाथों को मेरे लौड़े पर कसकर पकड़ा और सुपारे को अपने मुँह से और बाकी लंड को हाथ से झाड़ने लगा.
मैंने अपने दोनों गालों को पिचकाया और पूरे लंड को गले तक ले जाते हुए हिलाने लगा.
जैसे ही चरम सीमा पर पहुंचने वाले थे हम दोनों ने लंड को एक दूसरे के गले तक धक्का दे दिया.
दोनों ने एक दूसरे के लंड को सेम टाइम पर पूरी इज्जत देकर अपने मुँह में एक दूसरे का पूरा स्वाद भर लिया.
मैंने कुछ आठ से दस धक्कों में पूरा लंड खाली कर दिया.
वहीं मानवेन्द्र ने भी कुछ बारह से पंद्रह झटके देकर अपने लंड का पूरा माल मेरे मुँह में डाल दिया.
फिर हम दोनों ने बैठ कर फिर से एक दूसरे की आंखों में देखा और फिर से एक दूसरे को चूमने लगे … जैसे कि कभी दुबारा अलग ही नहीं होना चाहते हों.
कुछ पल के इस कामुक झंझावात के बाद हम दोनों वहीं बेड पर लेट गए और बेतहाशा थके पड़े हुए लम्बी लम्बी सांसें भरने लगे.
तभी अचानक से ‘खट खट खट ..’ दरवाजे पर हुई एक दस्तक से हम दोनों चौंक गए.
ये कौन था … इसको मैं अपनी अगली हॉट गे सेक्स कहानी में लिखूंगा. आपके मेल का इंतजार रहेगा.
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