नमस्कार दोस्तों, आप सभी ने मेरी पुरानी कहानियों को मस्ती से पढ़ा. यह आपका ही प्यार है की मैं फिर से कहानी लिख रहा हूँ.
बहुत से पाठक मुझे मेल में स्टोरी की नायिका का पता मांगते हैं. और भी तरह तरह की बातें लिखते हैं।
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि गोपनीयता रखने से ही आप किसी का विश्वास जीत सकते हैं, इसलिये मैं किसी भी लड़की का नाम या पता नहीं बताऊंगा। मैं दोस्ती और औरत का सम्मान करता हूँ।
जितने भी नाम और स्थान, मैं कहानी में लिखता हूँ, वे सभी बदले हुए होते हैं। आप कृपया कहानी पढ़ कर आनन्द लें और अच्छी लगे या कोई सुधार की सलाह हो तो मुझे मेल या डिस्कशन बॉक्स में दें।
सोनू के अंदर अपने मम्मी-पापा की चुदाई देखकर कामुकता भर गई थी और वह आसानी से मुझसे चुदवाने लगी थी.
उसकी बाद में यह भी फैन्टसी बन गई थी कि एक बार मेरे बड़े लौड़े से अपनी मम्मी को उसी तरह से चुदते देखे जैसे उसके पापा चोदते हैं.
वह जब भी मुझसे चुदने आती तो अपनी मम्मी का जिक्र जरूर करती थी.
मैं उसकी मम्मी की चूत के सपने देखने लगा था. मैं चाहता था कि जल्दी ही मुझे उसकी मम्मी की चूत को भी चोदने का मौका मिल जाए.
एक दिन सोनू की मम्मी मेरे कमरे में आई और मुझसे पूछने लगी- सोनू की पढ़ाई कैसी चल रही है?
मैंने कहा- बहुत अच्छी चल रही है. यह बहुत होशियार लड़की है.
मैं पहली बार सोनू की मम्मी को करीब से देख रहा था. जैसा सोनू बताया करती थी उससे कहीं ज्यादा सुंदर थी उसकी मम्मी.
अभी तक मैंने उसकी मम्मी को बस दूर से ही देखा था मगर आज वह मुझसे कुछ फीट की दूरी पर ही खड़ी थी.
वह थी तो 37 साल के करीब की लेकिन वह लगभग 30 साल की ही लग रही थी. एकदम अंग्रेजों जैसा गोरा रंग, काली मोटी मोटी आंखें, सुंदर नयन नक्श, बड़ी बड़ी चुचियाँ, सुंदर पट और भरी हुई गोल गाण्ड. भाभी की हाइट लगभग 5 फुट 3 इंच थी.
बातें तो मैं मुंह से कर रहा था लेकिन मेरे ख्यालों में सोनू की मम्मी नंगी हो चुकी थी. और मैं वैसे ही सोचते-सोचते उसकी नंगी मम्मी की कल्पना करने लगा था जैसा कि सोनू मुझे उनकी चुदाई के बारे में बताया करती थी.
मैं सोनू की मम्मी को देखता रहा. और मन ही मन सोनू के बताए हुए उनके नंगे शरीर की कल्पना करता रहा.
उनका नाम मृणाल था.
मैंने सोनू की मम्मी को कहा- आंटी बैठिये. और सोनू की पढ़ाई की चिंता आप न करें. कोई आपको मुझसे काम हो तो जरूर बताना क्योंकि मैं लता और हेमा भाभी के भी काम करता हूँ.
इस पर मृणाल कहने लगी- राज, मैं आपको इतनी बड़ी लगती हूँ कि आप मुझे आंटी कह रहे हो? जब लता और हेमा को भाभी कहते हो तो मुझे भी भाभी ही कहो.
मैंने मक्खन लगाते हुए कहा- सॉरी भाभी जी, ठीक है, मैं आपको भी भाभी ही कहा करूँगा. क्योंकि आप तो उम्र में हेमा और लता भाभी से भी छोटी लगती हो. दरअसल मैंने तो पहले यह सोचा था कि आप सोनू की बड़ी बहन हो. आप उसकी मम्मी तो लगती ही नहीं हो.
मृणाल भाभी अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई.
किस्मत को जो मंजूर होता है, वही होता है. कुछ दिन पश्चात मैं यूनिवर्सिटी से आया ही था कि मैंने देखा सोनू के घर के सामने एक एंबुलेंस गाड़ी खड़ी थी और उसकी मम्मी बहुत परेशान थी.
मैंने सोनू की मम्मी से पूछा- भाभी क्या हुआ?
तो उन्होंने बताया कि सोनू के पापा को सीने में बहुत ज्यादा दर्द है, शायद उन्हें हार्ट अटैक की प्रॉब्लम है.
मैं फटाफट सोनू की मम्मी के साथ सोनू के पापा को लेकर एंबुलेंस में बैठ गया. और हम एक बहुत अच्छे हॉस्पिटल में पहुंच गए.
सोनू की मम्मी ने अपने भाई को भी टेलीफोन कर दिया था. वे भी उधर से आ गए थे.
जैसे ही हम पहुंचे, डॉक्टरों ने फटाफट उनका ट्रीटमेंट शुरू किया.
डॉक्टर ने बताया कि इनकी काफी ब्लॉकेज है और ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ेगी.
सोनू के पापा को उन्होंने दाखिल कर लिया. कुछ दवाइयां मंगवाई और उनका आपरेशन कर दिया.
चार-पांच घंटे लगातार मैं सोनू की मम्मी का काम करता रहा. सोनू के मामा जी आ तो गए थे लेकिन वह काफी बड़ी उम्र के थे और उनसे कुछ बात नहीं बन रही थी.
शाम के 7:00 बज गए थे. शाम को वहां पर सोनू और उसका भाई भी आ गए थे.
उस हॉस्पिटल में अधिक लोगों को मिलने नहीं दिया जाता था. सोनू की मम्मी ने अपने बेटे, बेटी और अपने भाई को घर भेज दिया. मैं और सोनू की मम्मी वहीं रुक गए.
क्योंकि उन्हें आईसीयू में दाखिल किया गया था और हमारे लिए कमरा नहीं था. तो हम बाहर आ गए और लॉन में चादर बिछा कर उस पर बैठ गए.
रात के 12 बजे थे. हम दोनों को नींद आ रही थी.
मैंने भाभी को कहा- आप लेट जाओ.
भाभी बोली- नहीं, आपने बहुत भागदौड़ की है. आप लेट जाओ.
जब मैंने जिद की तो भाभी लेट गई. मैं पास बैठ गया.
भाभी बोली- यदि आप नहीं होते तो पता नहीं क्या होता?
मैंने कहा- भाभी, ये तो मेरा फर्ज था.
कुछ देर बाद भाभी को नींद आ गई. नींद में उनकी साड़ी उनकी छाती और पेट से उतर कर नीचे हो गई.
अब भाभी की उभरी चुचियाँ और नर्म गुदाज़ पेट मेरे सामने खुला पड़ा था.
भाभी की साड़ी सोते हुए उनकी टांगों के त्रिकोण में फंस गई थी. जिससे उनकी चूत का उभार और सुडौल पट्ट साफ नज़र आ रहे थे.
उनकी साड़ी थोड़ा ऊपर होने से उनकी सुंदर गौरी, सुडौल पिंडलियाँ भी नंगी हो गई थी.
भाभी की छातियाँ उनके सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहीं थीं और साथ ही मेरे लण्ड में भी कसाव आना शुरू हो गया था.
अचानक भाभी ने आंखें खोली और मुझे अपनी ओर ताकते हुए पाया. भाभी ने अपना पल्लू ठीक किया और कुछ शर्माते हुए धीरे से बोली- सॉरी!
मैंने भाभी से कहा- एक बार मैं भैया को देख आऊं, आप जागती रहना.
वो बोली- ठीक है.
मैं आईसीयू में गया और शीशे में से देख आया.
मैंने वापिस आकर भाभी को बताया- सब ठीक है.
भाभी कहने लगी- अब आप लेट जाओ, मैं बैठ जाती हूँ.
मैं लेट गया, भाभी मुझसे सट कर बैठ गई. भाभी का सेक्सी शरीर देखकर मेरी पैंट में लण्ड टाइट हो रहा था जिसे भाभी कनखियों से देख जाती थीं.
थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गई. जब मेरी आँख खुली तो भाभी मेरे साथ लेटी हुई थीं. मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. भाभी उसी तरह सीधा लेटी हुई थी.
मैंने एकदम करवट ली और भाभी की टांग से सट गया. मैं धीरे धीरे भाभी के शरीर की गर्मी महसूस करने लगा. मेरा टाइट लण्ड भाभी के पट पर गड़ने लगा था.
तभी भाभी ने हरकत की तो मैं पीछे हट गया और सीधा लेट गया.
भाभी ने नींद में अपना एक हाथ मेरी छाती पर रख लिया. मैंने भी धीरे से उनके हाथ पर अपना हाथ रख लिया. भाभी को होश नहीं था और वह मुझे अपना पति समझ रही थी.
धीरे धीरे भाभी ने अपनी एक टांग भी मेरी टांग पर रख दी. परन्तु तुरन्त ही उन्होंने अपनी आंखें खोल दी और अपना हाथ मेरे ऊपर से उठा लिया.
मैं अनजान बना रहा.
भाभी उठ कर बैठ गई. तभी मैं भी उठकर बैठ गया.
उन्होंने मेरी तरफ देखा और बोली- सॉरी राज, मैं बहुत थक गई थी, इसलिए नींद में पता ही नहीं चला, आपको बुरा लगा होगा.
मैंने कहा- कोई बात नहीं भाभी आप का मेरे ऊपर पूरा हक है, हाथ जहां मर्जी रख लें.
भाभी शर्मा गईं और बोली- अच्छा जी, बदमाशी भी कर लेते हो?
मैंने कहा- शुरुआत तो आप ने ही की है. ठीक है मैं नीचे घास पर सो जाता हूँ.
मैं जैसे ही चादर से नीचे सरकने लगा. भाभी ने हाथ पकड़ कर रोक लिया. भाभी का हाथ इतना नर्म था जैसे कोई गुलाब छू लिया हो.
भाभी कहने लगी- कोई बात नहीं, देवर भाभी में ये सब चल जाता है.
इसी प्रकार सुबह हो गई.
अगले रोज उनके पति को कमरे में शिफ्ट कर दिया. मैं सारा दिन भाभी की हेल्प करता रहा. भाभी मुझसे काफी खुश हो गई और हम हल्का फुल्का मज़ाक करते रहे.
रात को कमरे में मरीज के साथ एक ही व्यक्ति सो सकता था. शाम को सोनू और उसका भाई मिलने आ गए.
उस दिन उनके मामा चले गए तो सोनू और उसका भाई अकेले रह गए थे.
सोनू को चुदे हुए कई दिन हो गए थे और मेरा भी दिल उसकी मम्मी को देख कर रात से चुदास से भरा हुआ था.
तभी नर्स आई और सबको जाने को कहा.
हम सभी बाहर आ गए.
बाहर आकर सोनू कहने लगी- मम्मी! आज तो मामा जी भी नहीं हैं हमें रात को डर लगेगा.
सोनू की मम्मी ने कुछ सोचा और झिझकते हुए मुझसे कहा- राज! यदि आपको बुरा न लगे तो आप आज हमारे घर इनके पास सो जाओ.
मैं तो यही चाहता था. अतः झट से हाँ कर दी और भाभी से कहा- भाभी, आप दोनों जब तक घर नहीं आ जाते. तब तक मैं इनके पास रोज रात को सो जाऊंगा. और दिन में यूनिवर्सिटी के बाद आपके पास आ जाँऊगा.
भाभी बोली- आपका अहसान कैसे चुकाउंगी?
मैंने भाभी को शोख़ नजरों से देखकर कहा- जब मर्जी चुका देना.
भाभी मेरा मतलब समझने लगी थी इसलिए उन्होंने एक बार बेटी और अपने बेटे को देखा और केवल मुस्करा दी.
हम वहां से घर आ गए.
रास्ते में सोनू धीरे से बोली- कैसी रही डर लगने वाली चाल?
मैंने कहा- सोनू मैं तो यही चाहता था.
जैसे ही हम घर पहुंचे, मौका मिलते ही सोनू मुझसे लिपट गई. हमने रेस्टोरेंट से खाना मंगवाया.
मैंने सोनू से कहा- भाई को सुला दो.
सोनू और उसका भाई अपने कमरे में सो गए. मैं उनके मम्मी पापा के बेड पर लेट कर सोनू का इंतजार करने लगा.
उसकी मम्मी के बेड पर लेटने से ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया.
मैंने अपने सारे कपड़े निकाल कर शरीर पर एक चादर ले ली.
कुछ ही देर में सोनू का भाई गहरी नींद में सो गया और सोनू मेरे पास आ गई.
सोनू ने बस अपनी मम्मी का एक घुटनों तक का पिंक स्लीवलेस बहुत ही सेक्सी टॉप पहन रखा था. नीचे उसने पैंटी नहीं पहनी थी.
वो आते ही बेड पर मेरे ऊपर लेट गई और मुझे जोर से बाहों में भींच लिया.
मैं भी सोनू को ताबड़ तोड़ किस करने लगा. उसका टॉप ऊपर करके मैंने उसकी चूचियों को मसला.
जब सोनू को पता लगा कि मैं नंगा हूँ तो उसने मेरे ऊपर की चादर एक ओर खींचकर उतार दी और अपना टॉप ऊपर कर मेरे ऊपर चढ़ गई.
सोनू ने बताया कि उसने मिलने की पहले ही ये प्लानिंग सोच ली थी.
दरअसल सोनू को चुदे हुए लगभग एक हफ्ता हो गया था. पहले उसे माहवारी आ गई थी और बाद में मैं नहीं मिला.
सोनू ने बताया कि कल उसका बहुत दिल किया तो उसने अपनी उंगली से आग शांत करने की कोशिश की परन्तु मजा नहीं आया.
तभी मैंने सोनू को पीछे से पकड़ा और अपना 8 इंच का फौलादी लौड़ा उसके चूतड़ों में पीछे से फिट कर दिया.
सोनू एकदम मेरी तरफ घूम गई और एक हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ कर बोली- राज! अब तो आपने इसकी आदत डाल दी है.
उसने मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया. मैंने भी सोनू को 69 की पोजीशन में किया और उसकी पानी छोड़ने से चिकनी हुई चूत को मुंह में भर लिया.
सोनू लौड़ा चूसने में एक्सपर्ट हो चुकी थी. मैं भी लगातार उसकी चूत और क्लिटोरियस को जीभ और अपने होठों से चूसे जा रहा था.
जल्दी ही सोनू ने मेरा सिर अपनी जांघों में जकड़ लिया और आ … आ … करके खलास हो गई.
उसने अपनी टांगे चौड़ी की और मुझे अपने ऊपर खींच लिया.
मैं सोनू की बेचैनी समझ गया और उसके घुटनों को थोड़ा मोड़कर उसकी चूत पर लण्ड लगाकर पोजीशन ली.
सोनू बार बार अपनी चूत को लण्ड डलवाने के लिए ऊपर उठा रही थी. मैंने लण्ड को चूत पर रखकर एक ही झटके में सारा का सारा लण्ड घुसेड़ दिया. सोनू की एकदम चीख निकल गई, उसकी आंखों में आँसू आ गए. मैं लण्ड को पूरा चूत में ठोक कर उसके ऊपर पसर गया और सोनू को अपनी बाहों में जकड़ लिया.
मैंने प्यार से पूछा- क्या हुआ?
सोनू बोली- कई दिन हो गए न! इसलिए अन्दर दर्द हुआ. लेकिन अब ठीक है. मजा तो बड़े लण्ड से ही आता है, आपका लौड़ा तो चूत का भरता बना देता है.
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