हैल्लो दोस्तों, आज में आपको जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरी और मेरी मम्मी की है. ये कहानी सुनकर आपका लंड जरुर खड़ा हो जाएगा.
मेरा नाम राहुल है, में गुजरात के राजकोट शहर से हूँ, में 26 साल का हूँ और मेरी मम्मी करीब 48 साल की है, वो बहुत ही गोरी और उसका बदन भरावदार है, उसके होंठ गुलाबी और बिल्कुल क्लीन है और हाईट बहुत ज़्यादा नहीं है. ये बात आज से करीब 6 महीने पहले की है, हमारे गाँव में नज़दीक के रिश्तेदार के वहाँ किसी कि मृत्यु हो गयी थी और पापा घर पर नहीं होने के कारण मुझे मम्मी के साथ जाना था.
फिर मैंने सफ़ेद कपड़े पहन लिए और मम्मी भी कपड़े बदलने चली गयी. फिर जब वो बाहर निकली तो वो क्या लग रही थी? उसने सफ़ेद कलर का एकदम पतला ब्लाउज पहन रखा था और अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी, जिससे उसके बड़े-बड़े बूब्स और उसके अंदर की निप्पल भी साफ-साफ़ दिख रही थी और निप्पल के बगल का काला घेरा भी दिख रहा था.
अब में तो देखता ही रह गया था, अब मेरा लंड तो एकदम टाईट हो गया था. फिर जब मम्मी ने मुझे उसके बूब्स की तरफ देखते हुए देखा तो उसने अपनी साड़ी के पल्लू से अपने बूब्स छुपा लिए और में शर्मा गया. फिर मैंने जल्दी से अपनी बाइक निकाली और में जानबूझ कर ही बाइक की सीट पर थोड़ा पीछे बैठा, ताकि मम्मी मुझसे चिपककर बैठे.
फिर मम्मी मेरे पीछे मेरे कंधे पर एक अपना हाथ रखकर जैसे ही बैठी तो उसके बड़े-बड़े बूब्स मेरी पीठ से टकराए और मेरे बदन में तो जैसे करंट दौड़ गया, क्या सॉफ्ट-सॉफ्ट बूब्स थे? ऐसा लग रहा था जैसे मखमल मेरे बदन को छू रहा हो.
अब में तो स्पीड से बाइक चलाने लगा था और बारी-बारी ब्रेक मारने लगा था. अब में जैसे ही ब्रेक मारता तो उसके दोनों बूब्स मेरी पीठ पर टकराते थे. अब मेरा लंड तो खड़ा हो गया था, लेकिन थोड़ी देर में ही हम उसके घर पहुँच गये और में निराश हो गया, काश उसका घर थोड़ी दूर होता.
फिर जब हमें वापस लौटना था तो तब में फिर से बारी-बारी ब्रेक मारने लगा. अब उसके बड़े-बड़े बूब्स मेरी पीठ को छू रहे थे और अब मेरा लंड तो पूरे रास्ते खड़ा ही रहा.
फिर घर पहुँचकर मेरी मम्मी ने कहा कि स्नान करके ही घर के अंदर जाना होता है, तो में घर के बाहर जहाँ मेरी मम्मी कपड़े धोती है, वहाँ सिर्फ़ पेंट पहनकर स्नान करने लगा. हमारे घर के चारो तरफ बड़ी दीवार होने के कारण कोई अंदर देख नहीं सकता था.
मेरी मम्मी ने भी अपनी साड़ी निकाल दी और सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे साथ स्नान करने लगी.
फिर जब उसका सफ़ेद कलर का ब्लाउज गीला हुआ, तो उसके बूब्स साफ-साफ़ दिखने लगे और उसकी निप्पल और बाजू का काला राउंड भी साफ दिखने लगा था. अब मेरा लंड तो एकदम टाईट हो गया था.
बाद में उसने अपने पेटीकोट पर पानी डाला, तो उसका पेटीकोट उसकी गोरी-गोरी जाँघो से चिपक गया और मुझे उसकी गोरी-गोरी जांघे दिखाई दी.
उसने पिंक कलर की पेंटी पहनी हुई थी, जो अब साफ- साफ दिख रही थी और उसके दो बड़े-बड़े कूल्हें दिखाई देने लगे थे. अब मुझे थोड़ी देर तक तो ऐसा लगा कि अभी उसकी गांड में मेरा पूरा लंड डाल दूँ.
अब उसका पानी से भीगा हुआ बदन इतना कामुक लग रहा था की किसी का भी लंड खड़ा हो जाए.
फिर उसने मुझसे कहा कि अपनी पेंट उतार दो, यहाँ कौन देख रहा है? तो मैंने अपनी पेंट भी उतार दी. अब मेरे नेकर में से मेरा 8 इंच का लंड साफ-साफ़ दिखाई दे रहा था.
फिर मैंने मम्मी से कहा कि ज़रा मेरी पीठ पर साबुन लगा दो, तो वो गीले कपड़ो में ही मेरी पीठ पर साबुन लगाने लगी. अब उसका सॉफ्ट हाथ मेरे बदन को छूते ही मेरा लंड तो फंनफना उठा था.
मैंने कहा कि अच्छी तरह से रगड़ना, तो वो अपना हाथ रगड़ने लगी और फिर पीछे से ही मेरी छाती पर साबुन लगाने लगी.
अब उसके गीले और बड़े बूब्स मेरी गीली पीठ पर बारी-बारी छू रहे थे. अब उसका ब्लाउज इतना चिपक गया था कि मुझे उसकी निप्पल का एहसास भी हो रहा था. अब तो मुझसे रहा नहीं जा रहा था, अब मेरा लंड मेरी नेकर के ऊपर से बाहर निकल गया था और मेरी नाभि तक लंबा हो गया.
तभी मम्मी खड़ी हो गयी और चली गयी. फिर में भी खड़ा हो गया और अपने बेडरूम में जाकर मम्मी को सोचते हुए मुठ मार ली.
अब मुझे तो पूरे दिन मम्मी के बूब्स के ही विचार आ रहे थे और सोच रहा था कि कैसे मम्मी की चुदाई करूँ? तो तभी मम्मी ने कहा कि कल हम दोनों को अहमदाबाद दूर के रिश्तेदार के वहाँ रिसेप्शन में जाना है, तो में खुश हो गया.
फिर दूसरे दिन सुबह में मुझे मालूम था कि मम्मी मुझे उठाने आएगी इसलिए मैंने बिना चड्डी पहने लूंगी पहन रखी थी और मुठ मारकर अपने लंड को पूरा टाईट कर रखा था और लूंगी भी अपने घुटनों के ऊपर कर दी थी.
जब मम्मी मुझे उठाने आई तो उसने मेरी लूंगी में 8 इंच का टाईट लंड देखा, तो वो देखती ही रह गयी. फिर थोड़ी देर के बाद उसने मेरी जाँघ पर अपना हाथ रखकर उठाया तो में सोता रहा. अब मुझे मम्मी का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था.
फिर में उठ गया और स्नान करके तैयार हो गया. फिर जब हम बस स्टेशन पहुँचे तो बस खड़ी ही थी, लेकिन बहुत भीड़ थी.
जैसे तैसे करके हम बस में चढ़ गये, अब मम्मी मेरे आगे खड़ी थी और में उसके पीछे था. अब बस में बहुत भीड़ होने के कारण मेरा लंड मम्मी की गांड को छू रहा था.
जैसे ही बस स्टार्ट हुई तो एक ज़ोर का धक्का लगा और मेरा लंड मम्मी के दोनों कूल्हों के बीच में छू गया और उसने वहीं अपनी जगह बना ली.
अब तो जैसे ही ब्रेक लगते तो मेरा लंड मम्मी की गांड पर रगड़ने लगता, शायद मम्मी को भी ये मालूम था अब वो भी कभी-कभी पीछे धक्का देती थी. फिर एक स्टेशन पर हमें दो की सीट पर जगह मिल गयी तो हम दोनों वहाँ बैठ गये, लेकिन अब मुझे मज़ा नहीं आ रहा था इसलिए मैंने दो की सीट पर थोड़ी जगह करके एक बुढ़िया आंटी को बैठा लिया.
अब दो की सीट पर हम तीन बैठे थे इसलिए मेरा हाथ मम्मी के बूब्स को छू रहा था. अब जैसे बस चलती तो में अपना कंधा रगड़ने लगता, बहुत ही सॉफ्ट बूब्स थे उसके. अब मेरा लंड तो पूरा का पूरा टाईट हो गया था, लेकिन में पूरा बूब्स नहीं छू पा रहा था.
तभी मम्मी ने अपना एक हाथ सामने की सीट पर रख दिय तो मैंने धीरे-धीरे अपना कंधा आगे लाना शुरू किया और अब में जैसे-जैसे अपना कंधा आगे लाता, वैसे-वैसे बहुत मज़ा आ रहा था और सॉफ्ट-सॉफ्ट लग रहा था. अब तो मेरा कंधा मम्मी के पूरे बूब्स को रगड़ रहा था, अब मम्मी सो गयी थी, लेकिन मुझे लग रहा था कि वो सोने का नाटक कर रही है.
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था और फिर मैंने अपने हाथों को अदब लगा ली जिससे मेरा हाथ उसके बूब्स के पास आ गया.
पहले मैंने अपनी एक उंगली उसके बूब्स पर रखी और अपनी उंगली को दबाया, तो मुझे मखमल जैसा लगा और फिर अपना पूरा हाथ उसके बूब्स पर रख दिया, तो तब मुझे मालूम हुआ कि मम्मी ने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी है. अब में अपने हाथ को उसके बूब्स के ऊपर घुमाने लगा तो मम्मी की निप्पल टाईट हो गयी और ब्लाउज के ऊपर से दिखाई देने लगी थी और मेरे हाथों को भी उसका एहसास हो रहा था, तो तभी अहमदाबाद आ गया.
फिर मैंने मम्मी के बूब्स को दबाकर ही नींद से जगाया. फिर रात के करीब 10 बजे हम रिसेप्शन ख़त्म करके मेरे पापा के दोस्त जो एक फ्लेट में रहते है, वहाँ पर गये और करीब डेढ़ घंटे तक बात करके पापा के दोस्त और उसकी बीवी छत पर सोने चले गये, लेकिन हमें सुबह 5 बजे की बस से घर आना था इसलिए हम दोनों नीचे ही सो गये. आंटी ने दो गद्दे नीचे बिछा रखे थे, जब मैंने बरमूडा और टी-शर्ट पहना हुआ था और मम्मी ने साड़ी पहनी हुई थी, फिर मैंने लाईट बंद कर दी.
फिर थोड़ी देर के बाद मम्मी खड़ी हुई और अपनी साड़ी निकालने लगी. अब में सोने का नाटक कर रहा था, फिर मैंने सोते-सोते उसके सफ़ेद कलर के पेट को देखा, क्या गोरा-गोरा पेट था? मम्मी हर रोज रात को साड़ी निकालकर ही सोती है. अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी, अब नाईट लेम्प के प्रकाश में उसके बड़े-बड़े बूब्स साफ-साफ़ दिख रहे थे.
अब में चादर के अंदर मेरा लंड निकालकर सहला रहा था, मम्मी ने चादर नहीं ओढ़ी थी. फिर थोड़ी देर के बाद मम्मी ने एक पैर ऊपर उठाकर मोड़ दिया तो मम्मी का पेटीकोट उसकी जाँघ तक आ गया, क्या सफ़ेद और मोटी जाँघ थी?
अब मेरा लंड तो पूरा का पूरा 8 इंच खड़ा हो गया था. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने अपना एक हाथ मम्मी की जाँघ पर रख दिया, वाह क्या मुलायम और सॉफ्ट-सॉफ्ट जांघे थी?
फिर पहले में उसकी जाँघो को अपनी उंगली दबाने लगा, उसकी जांघे इतनी सॉफ्ट थी कि मेरी उंगली अंदर घुस जाती थी. अब में अपने एक हाथ से मुठ मार रहा था और दूसरे हाथ से मम्मी की जाँघो को सहला रहा था.
अब मम्मी की आँखे अभी बंद थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गयी थी. फिर में अपना एक हाथ ऊपर की तरफ ले गया, उसकी चूत से शायद थोड़ा ही दूर हो. अब में जैसे-जैसे मेरा हाथ ऊपर लेता जाता था तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर मैंने अपना एक हाथ मम्मी के बूब्स पर रख दिया और अपनी एक उंगली से दबाया तो मेरी पूरी उंगली बूब्स में चली गयी. उसके बूब्स बहुत ही सॉफ्ट थे. अब में उसके बूब्स अपने पूरे हाथ से दबाने लगा था, लेकिन बहुत ही हल्के से दबाता था ताकि मम्मी उठ ना जाए. फिर थोड़ी देर के बाद मैंने उसके ब्लाउज का बीच का बटन खोल दिया और उसमें से अपनी उंगली डालकर दबाने लगा, वाह अब तो में सीधा बूब्स को छू रहा था, अब में तो पूरा कामुक हो गया था.
फिर मैंने उसके ब्लाउज का दूसरा बटन भी खोल दिया और अपनी पूरी उंगली डाल दी और उसके निप्पल तक पहुँचा दी.
अब उसकी निप्पल टाईट हो गयी थी और अब में उस पर अपनी उंगली फैरने लगा था. तभी मम्मी के मुँह से आवाज़ निकल गयी आहहहह पूरे बटन खोल दे. अब तो में जोश में आ गया और पूरे बटन खोलकर ज़ोर-ज़ोर से बूब्स दबाने लगा.
अब मम्मी के मुँह से आवाज़ आ रही थी उईईईई माँ धीरे दबा. अब में उसके बूब्स को चूसने लगा था, उसकी निप्पल बड़ी-बड़ी और काली थी, अब में उसके निप्पल पर अपनी जीभ फैरने लगा था.
फिर मम्मी ने मेरे पूरे कपड़े निकाल दिए और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. अब मम्मी ने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया था और सुपाड़े को चूसने लगी थी. फिर उसने खुद के भी पूरे कपड़े निकाल दिए और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर उसकी चूत तक ले गयी.
अब उसकी चूत पूरी गीली हो गयी थी और बहुत चिकनी भी. फिर मम्मी ने मेरा लंड पकड़कर उसकी चूत में डाल दिया. अब में जोर-जोर से धक्के लगा रहा था और मम्मी बोल रही थी बेटा ज़ोर से धक्के लगा, आह उहह और ज़ोर से. फिर शायद आधे घंटे के बाद मैंने अपना सफेद पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया और मम्मी के खूब मजे लिए.