मेरा नाम संजू है, मैं वाराणसी उत्तर प्रदेश से हूँ.
यह मेरी सच्ची कहानी है ममेरी बहन की बुर चुदाई की!
दो साल पहले की बात है कि मेरे मामा की मृत्यु एक दुर्घटना में होने के बाद मैं मामी के पास उनकी मदद के लिये रहने लगा. मेरे मामा के दो लड़के थे और एक छोटी लड़की प्रीति 20 साल की थी, उसकी फिगर 34-26-35 बहुत ही सेक्सी लगती थी, वो मुझे भैया कहती थी!
बड़ा लड़का मामा के मरने के बाद उनकी जगह नौकरी करता था. मेरे वहाँ रहने से पूरे घर की जिम्मेदारी मेरी थी, सब्जी लाने से लेकर बिजली का बिल तक मैं ही जमा करता था.
कुछ दिनों से प्रीति के पेट में दर्द होने लगा तो मामी ने मुझसे कहा- इसे दवा दिला दो!
मैं बाइक पर उसे दवा दिलाने ले गया. उसके बाद मैं कई बार उसे दवा के लिये ले गया.
एक बार दवा के लिये जाना था तो मैंने कहा- आज मुझे कुछ काम है, तुम किसी और के साथ चली जाओ!
तब उसने कहा- मैं जाऊंगी तो आपके साथ, नहीं तो दवा नहीं लूँगी!
उसके बाद से उसका व्यवहार मेरे प्रति कुछ बदलने लगा, वो मेरे साथ कुछ अलग तरीके से पेश आने लगी जैसे कोई प्रेमिका या पत्नी अपने पति के साथ पेश आती है. मैं घर में कहीं भी रहूँ वो मेरे पास चली आती और शरारत करने लगती!
मुझे शक हुआ तो मैंने उससे पूछा- क्या बात है, तुम्हारा व्यवहार मेरे लिये कुछ बदला सा क्यों है?
तो उसने कहा- मैं आपसे प्यार करती हूँ.
मैंने कहा- यह गलत है, तुम अपनी सोच बदल लो! नहीं मैं यहाँ से अपने घर चला जाऊँगा.
वो नहीं मानी तो मैं अपने घर चला आया.
उसने उसकी माँ से मुझे बुलाने को कह दिया तो मेरी मामी ने मुझे फोन किया, कहा- तुम्हें मेरी कसम है, आना ही पड़ेगा! नहीं हमारा रिश्ता खत्म हो जायेगा!
मजबूरन मुझे जाना पड़ा.
जब दोबारा मैं गया तो प्रीति और भी खुलकर हंसी मजाक करने लगी!
मामी ने कहा- कुछ भी करो संजू मेरी लड़की खुश रहनी चाहिये!
फिर मेरी भी सोच बदलने लगी.
एक दिन मैं बाहर से अंदर कमरे में गया तो देखा कि प्रीति केवल सलवार में है और ऊपर कुछ नहीं है.
मैं देखता ही रह गया, उसकी बड़ी-बड़ी चूची देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया लेकिन मैं लौट आया.
इत्तेफाक से उसी दिन मामी और उनके दोनो बेटों के साथ उनके मायके चली गई और कहा- मैं आज नहीं आऊँगी.
अब घर में केवल मैं और प्रीति रह गये.
मैं शाम को एक पार्टी में गया, वहाँ मैंने शराब पी ली थी. मैं रात को 9 बजे वापस आया तो गेट नॉक किया, प्रीति दरवाजा खोलने आई.
उसने जैसे ही दरवाजा खोला, मेरा लंड उसे देखते ही खड़ा हो गया. प्रीति ने बिल्कुल टाइट सलवार सूट पहन रखा था और दुपट्टा नहीं लिया था, उसकी चूची आधी बाहर आ रही थी, मैं बिना कुछ कहे अंदर चला गया.
जब मैं रात को सोने के लिये मेरे कमरे में गया तो वह मेरे पास आई, बोली- मुझे अकेले में डर लग रहा है, मैं आपके पास सोऊँगी.
मैंने कहा- ठीक है, आओ सो जाओ!
उसके बाद हम दोनों एक ही बेड पर लेट गये, वो मेरे बाईं तरफ सीशी लेट गई, उसकी चूचियाँ आधी अंदर और आधी बाहर थी.
चूंकि मैं नशे में था, मैं बहुत विचलित हो गया, मेरा लंड पूरा तन गया, मैं यह भूल गया कि यह मेरी ममेरी बहन है, मैंने पहले उसकी कमर पर हाथ रख दिया और उसके बाद उसकी चूची पकड़ कर मसलने लगा.
वो मदहोश होने लगी.
अब मैं उसकी शमीज में हाथ डालकर उसकी चूची सहलाने लगा. उसके बाद मैंने एक एक कर उसके सारे कपड़े उतार दिये. सफेद रोशनी में उसका सेक्सी बदन गजब लग रहा था, उसकी बड़ी-बड़ी चूची, पतली सी कमर, चौड़े चूतड़, मोटी मोटी जांघें…
मैंने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए, अब हम दोनों बिल्कुल नंगे हो गये, मेरा लम्बा लंड तन गया, प्रीति मेरे लंड को निहारने लगी और बोली- इतना लंबा और मोटा लंड?
और वो मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगी.
मैंने कहा- मुंह में लो.
तब वो मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.वो मेरी जिंदगी का एक अद्भुत अहसास था… मुझे लगा कि मैं सीधा स्वर्ग में आ गया हूँ.
कुछ देर बाद मैंने उसकी चूचियों को पीना शुरू किया, उसके जिस्म कोई भी ऐसा अंग नहीं था जिसे मैंने जीभ से न चाटा हो.
मैंने जब उसकी चुत पर जीभ लगाई तो वो सिहर उठी, बिना बालों की उसकी फूली हुई बुर… मैं तो देखकर स्तब्ध रह गया. वो मेरी जिन्दगी का पहला मौका था जब मैंने किसी लड़की की बुर देखी थी.
उसके बाद मैंने अपनी बीच वाली लम्बी उंगली उसकी बुर में डाली और जीभ से उसकी बुर का दाना चाटने लगा और वो सित्कारें भरने लगी, उसका पेट फूलने और सिकुड़ने लगा.
मैं उसकी बुर को चाटता रहा!
नमकीन स्वाद था.
कुछ मिनट बाद वो जोर से आहें भर कर ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ संतुष्ट हो गई!
उसके बाद मैं उसकी चूचियों को मसलने लगा और पीने लगा, उसकी जीभ को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा.
कुछ देर बाद वो फिर से गर्म हो गई!
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने उसके चूतड़ बेड के किनारे खींचे, मैं नीचे जमीन पर खड़ा हो गया और मेरा लंड उसकी बुर के छेद पर लगाया!
उसकी बुर से जैसे आग निकल रही थी और पानी उसकी बुर से बह कर गांड की तरफ जा रहा था. मैंने उस पानी को हाथ से पौंछ कर मेरे लंड पर लगाया और अपना मोटा लंड अपनी बहन की बुर में डालने लगा.
मेरे लंड का सुपारा जैसे ही उसकी बुर में गया, उसने अपनी आंखें बंद कर ली, और मुझे इतना मजा आया जितना जिंदगी में पहले कभी नहीं!
जैसे ही मेरा पूरा लंड उसकी बुर में घुसा, उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में कस लिया और मैं खड़े खड़े धक्के लगाने लगा.
एक मिनट बाद ही मेरा वीर्य उसकी बुर में छुट गया लेकिन मैंने लंड को बाहर नहीं निकाला.
मेरा लंड थोड़ा छोटा हो गया लेकिन कुछ देर बाद स्ट्रोक लगाने के बाद उसकी बुर में ही फिर से टाइट हो गया.
उसके बाद मैंने अपनी बहन को जोर जोर से चोदना शुरू किया.
कुछ देर तो प्रीति खूब मजा लेकर में चुदवाती रही ‘और जोर से चोदो मुझे… और तेज…’ कहती रही.
उसको बाद वो झड़ गई और बोली- बस करो!
लेकिन मेरा वीर्य नहीं निकला था इसलिये मैं उसे जोर से चोदता रहा.
कुछ देर बाद मेरा गिरने वाला था, मैंने उससे पूछा- मेरा वीर्य पीयेगी?
उसने कहा हाँ!
और मैंने लंड उसके मुंह में डाल दिया और उसने चूसना शुरू किया.
थोड़ी देर में मैंने माल छोड़ दिया और वो पी गई.
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