नमस्ते मित्रो, मैं आप सबका चहेता गुड ब्वॉय, सिंपल सीधा साधा मिडिल क्लास फैमिली का लड़का.
मेरी पहली कहानी दीदी की चूत चुदाई आखिर हो ही गयी आपने पढ़ी ही होगी.
दोस्तो, आज मैं जो आपको गाँव की लड़की की चूत चुदाई कहानी सुनाने जा रहा हूँ, वो एक सच्ची घटना पर आधारित है.
जुलाई का महीना था, बारिश हो रही थी.
बादलों से भी और हमारे पप्पू लाल से भी पानी टपक रहा था.
खैर छोड़ो … समझ तो गए ही होंगे.
मामा जी आज हमारे घर आने वाले थे.
उनकी उम्र लगभग 25 की होगी, मेरी उम्र 19 की.
हम दोनों एक दूसरे के दोस्त जैसे थे.
मैं उन्हें लेने स्टेशन चला गया.
वहां से आते समय मामा जी ने पहले कुछ शॉपिंग की और घर में खाने पीने के लिए मिठाई आदि भी ले लिए.
मेरे मामा जी फौज में हैं तो उन्हें कम ही छुट्टियां मिलती हैं; जब भी मिलती हैं, तो वो हमारे घर जरूर आते हैं.
वो हमारे घर क्यों आते थे, इसका मतलब मुझे बाद में समझ आया था.
खैर … मामा घर आ गए. फिर हम सबने खाना खाया और बातें करने लगे.
कुछ देर बाद रात गहराने लगी तो हम सब सो गए.
सुबह हुई.
मामा चूंकि फौज में हैं, तो सुबह 4 बजे उठ कर दौड़ने जाने का नियम है.
वो दौड़ने चले गए.
जबकि हम सब हमेशा की तरह 8 बजे तक सोते रहते हैं.
इसी तरह से जब तक मामा जी घर पर रहे, हम दोनों ने बहुत मस्ती की.
मैं उनके साथ इधर उधर घूमने भी गया.
दिन ऐसे ही कट रहे थे मानो बिन पानी के प्यासा तरसे.
एक दिन की बात है.
मेरा फ़ोन मेरा भाई ने पकड़ा हुआ था, वो गेम खेल रहा था.
मुझे एक जरूरी काम करना था तो मैंने मामा का फ़ोन ले लिया और बात करने के बाद मैं मामा जी के व्हाट्सएप में चला गया.
मैंने वहां एक मैसेज पढ़ा, जिसमें लिखा था ‘गुड मॉर्निंग बाबू …’
मैसेज पढ़ कर मैं हक्का बक्का रह गया.
जहां तक मुझे पता था, मेरे मामा सीधे साधे थे. न ही कोई उनकी गर्ल फ्रेंड थी और न ही उनका स्वभाव ऐसा था.
फिर मैंने सारी चैट अपने मोबाइल में ट्रांसफर की और आराम से पढ़ने लगा.
मैंने उस चैट को पढ़ कर पाया कि जिस लड़की से मामा बात करते हैं, वो हमारे ही गांव की है.
पर पता नहीं कौन है.
क्योंकि उसमें सिर्फ नंबर लिखा हुआ था, नाम नहीं.
न ही डीपी में फोटो लगी थी.
बस चैट में बातें हो रही थीं.
वो दोनों एक दूसरे का हाल चाल पूछ रहे थे.
मामा ने एक जगह उस अनजान लड़की को उसकी सेक्सी पिक भेजने को कहा लेकिन उस लड़की ने मना कर दिया और पिक नहीं भेजी.
दोनों में सेक्स चैट होने लगी.
फिर मामा से लड़की ने पूछा- तुम कब जा रहे हो?
इस पर मामा ने जवाब दिया- जब तुम मुझे दे दोगी, उसके अगले दिन चला जाऊंगा.
लड़की- क्या दे दूँ?
मामा- वही, जो मैं मांग रहा हूँ.
लड़की- पिक नहीं दूंगी.
मामा- मैं लेकर रहूँगा.
लड़की- नहीं दूंगी, तो क्या करोगे?
मामा- मुँह में दे दूंगा.
लड़की- हां ठीक है दे देना … मैं भी देखती हूँ कि कैसे दोगे मुँह में!
मामा- मैं सच में दे दूंगा तेरे मुँह में!
लड़की- हां हां देकर देख लेना. मैं भी तो देखूँगी.
इस तरह की चैट हो रही थी.
मैं समझ नहीं पा रहा था कि ये दोनों लड़ रहे हैं या मस्ती कर रहे हैं.
मैंने चैट आगे पढ़ना शुरू की.
लड़की ने कहा- ओके कल तैयार रहना. सुबह ठीक चार बजे मैं अपने घर के सामने मिलूंगी. जैसे हम रोज मिलते हैं.
ओह भाई साहब … अब पता चला कि मामा सुबह 4 बजे क्यों जाते हैं.
मैं भी चैट पढ़ कर सो गया.
अगली सुबह मामा 4 बजे उठ गए और घर से बाहर निकल गए.
मैंने भी सोच लिया था कि वो लड़की कौन है, ये पता करके ही रहूंगा.
मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया.
फिर मैंने जो देखा, देखते ही मेरे होश उड़ गए, दिल पर बिजली गिरने लगी, बादल गरजने लगे.
मैंने देखा कि मेरे चाचा की बड़ी बेटी, जिसकी उम्र 23 साल की है, वो मेरे मामा जी के साथ है.
मैंने सपने में भी ऐसा कुछ नहीं सोचा था कि दीदी से मामा जी का कांटा फिट है.
फिर वो दोनों आपस में लिपकिस करने लगे.
मैंने तुरंत अपनी जेब से फ़ोन निकाला और उन दोनों का वीडियो बनाने लगा.
मेरे चाचा की बेटी का नाम मुस्कान है.
वो नीचे बैठ गई और मेरे मामा का लंड निकाल कर अपने मुँह में लेने लगी.
इधर वीडियो बन ही रहा था.
अच्छा मामा जी ये मुँह में देने की बात कर रहे थे.
मुझे हंसी सी आई कि मेरी बहन भी कह रही थी ‘हां हां देकर देख लेना मुँह में … मैं भी देखूंगी कि कैसे देते हो मुँह में …’
उन दोनों की लंड चुसाई देख कर मुझे अजीब सा तो लगा लेकिन मेरे अन्दर की कामवासना भी जागने लगी.
कुछ देर तक मामा जी मेरी बहन का सर अपने लंड पर दबाते रहे और मेरी बहन मामा जी का पूरा लंड अपने मुँह में गले गले तक लेकर चूसती रही.
मैंने भी सोच लिया था कि अब कुछ भी हो जाए, मैं मुस्कान दीदी की चूत गांड मार कर ही रहूंगा.
मेरे मामा की माशूका मेरी बहन ही निकली.
इसी वजह से मामा हर बार छुट्टियों में मेरे घर जरूर आते थे.
कुछ देर बाद मेरी बहन मामा का हाथ पकड़ कर घर में अन्दर ले गई.
मैं अब बेबस था क्योंकि कमरे के अन्दर का नजारा देखने नहीं मिल सकता था. मैं मन मसोस कर घर वापस आया और बाथरूम में जाकर वीडियो देख आकर मुठ मारी और आकर सो गया.
फिर उसी दिन शाम को मामा जाने की तैयारी करने लगे.
मैं मामा को स्टेशन छोड़ कर घर वापस आ गया.
कुछ दिन ऐसे ही निकल गए.
मैं बस दीदी और मामा का सेक्स वीडियो देखता और लंड हिला लेता था.
मुस्कान दीदी का बदन दूध की तरह गोरा था; फूले हुए मम्मे, मस्त कूल्हे और उनके रसीले होंठ देख कर मेरा नाग मानो फुंफकार मारने को तैयार हो जाता था.
मेरी मुस्कान दीदी से अच्छी खासी बनती थी.
एक दिन मैंने उसे बुलाया और कहा- दीदी, मैं आपको कुछ दिखाना चाहता हूँ.
उसने कहा- दिखा, क्या दिखाना है?
फिर मैंने उसे उसकी वीडियो दिखायी, जिसमें वो मेरे मामा का लंड अपने मुँह में डाल कर चूस रही थी.
वो यह देख कर एकदम से डर गई और कहने लगी- यार, ये सब किसी को मत बताना प्लीज़. तू जो कहेगा, मैं कर दूंगी.
मैंने ये सुना तो मौका पर चौका मारते हुए कहा- इससे मुझे क्या फ़ायदा होगा?
मुस्कान दीदी बोली- कहा तो है कि जो तू कहेगा, वो करूंगी भाई, लेकिन किसी को मत बताना.
उसने ये कहते हुए अपना हाथ मेरी जांघों के जोड़ पर फेर दिया था.
मैं समझ गया कि दीदी चूत देने को राजी है.
फिर मैंने भी हां में सर हिला दिया और उससे कहा- कल सुबह 4 बजे घर के सामने तैयार रहना. मामा जी की जगह मैं आऊंगा.
वो हां में सर हिलाती हुई चली गई.
अगली सुबह मैं सुबह 4 बजे उसके घर के पास चला आया.
एकदम ठंडी सुबह थी. बारिश भी थोड़ी थोड़ी हो रही थी लेकिन वातावरण एकदम गर्म था.
वो घर के बाहर आई और बोली- अभी क्यों बुलाया मुझे?
मैंने कहा- मुझे भी वो सब करना है, जो मामा के साथ तुम करती थी.
उसने ना में सर हिला दिया.
मैंने कहा- अगर नहीं ही करना था तो कल हां क्यों की थी.
वो बोली- क्या तुम अपनी बहन के साथ ये सब करना चाहते हो?
मैंने कहा- भाई बहन तो दिल से माना जाता है ये तो रिश्ता मात्र है. मगर चूत लंड के बीच एक ही नाता होता है और वो है चुदाई का रिश्ता.
फिर कुछ पल सोचने के बाद वो मान गयी.
वो मेरा हाथ पकड़ कर अपने घर में ले गई.
जल्दी ही हम दोनों उसके बिस्तर पर आ गए थे.
मैंने अपने अपने होंठ उसके रसीले होंठों के ऊपर रख दिए और किस करने लगा.
पहले पहल तो वो साथ नहीं दे रही थी पर थोड़ी देर बाद उसे भी मजा आने लगा.
कुछ ही पलों में वो गाँव की लड़की एकदम कामुक हो गयी और साथ देने लगी.
मैं अपना हाथ मुस्कान के कूल्हे पर ले गया और जोर से मसलने लगा.
वाह क्या मखमल सी मुलायम गांड थी बहन की.
दीदी की गांड मसलने के बाद मैंने उसका टॉप निकाल फैंका.
वो नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी.
इसका मतलब शायद ये था कि वो भी यही चाहती थी, बस नाटक कर रही थी.
फिर मैं मुस्कान के एक बूब को अपने मुँह से चूसने लगा.
मुस्कान का आधा बूब मेरे मुँह में था, वो सिसकारियां ले रही थी.
धीरे से मैंने उनका लोवर उतार दिया.
वो अब मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी.
मैं घुटनों के बल बैठा और मुस्कान की एक टांग को उठा कर अपनी जीभ मुस्कान की चूत में रगड़ने लगा.
वो एकदम कामुक हो गयी थी, उसे भी वासना के सुख की प्राप्ति हो रही थी.
कुछ ही समय में दीदी की चूत से रस धार बहने लगी.
मैंने भी उसकी चूत के जल का पान किया और चूत चाट कर साफ कर दी.
वो गर्मा गई थी तो लंड लेने को मचलने लगी थी.
मैंने उधर ही अपने लंड को दीदी की चूत में घिसा तो वो ‘लंड पेलो जल्दी पेलो …’ का नारा लगाने लगी.
अब मैंने अपना लंड गाँव की लड़की की चूत में सैट किया और पूरी ताकत से जोर का झटका दे दिया.
मुस्कान दीदी के मुँह से आह आह की आवाज आने लगी.
मैंने उसका मुँह बन्द कर दिया ताकि कोई जाग ना जाए.
अब मैं जोर जोर से दीदी की चूत में लंड पेले जा रहा था.
वो भी मस्त हो गई थीं और गांड झटक झटक कर चूत में लंड लेने लगी थी.
कुछ देर बाद मैंने अपना लंड गाँव की लड़की की चूत में से निकाल लिया.
वो मेरी तरफ देखने लगी.
उसे लगा कि मेरा लंड झड़ गया.
उसे मेरी ओर देखा तो मैंने उसे मुँह में लेने का कहा.
वो घुटनों के बल बैठ गई और मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया.
मैं उसका सर पकड़ कर लंड अन्दर बाहर करने लगा.
कुछ ही देर में लंड की जवानी फूटने लगी और उसने अपना सारा रस मुस्कान दीदी के मुँह में छोड़ दिया.
इस तरह से दीदी मेरे लंड की गुलाम हो गई.
उसे मेरा लंड पसंद आ गया था और वो मुझसे चुदने के लिए मचलने लगी.
अब मुस्कान दीदी मुझसे रोज मिलने लगी.
हम दोनों के बीच में प्यार ऐसे बना रहे, बस आप ऐसी दुआ कीजिये.
नाम बनता है रिस्क से
चूतिये बनते हैं इश्क़ से
इन्हीं कुछ पक्तियों के साथ आपसे विदा लेना चाहूंगा.