नमस्ते दोस्तों! आज की मेरी कहानी मेरी ममेरी बहन की चुदाई यानि मेरे मामा की लड़की रमणी की है. वो लोग इंदौर में रहते हैं. मामा के 2 लड़के और 1 लड़की रमणी है. रमणी की उमर करीब 20 साल है, देखने में बहुत प्यारी और मासूम… लेकिन भरी पूरी जवान हो चुकी थी.
मेरा इंदौर जाना तब हुआ जब मेरा एग्जाम था. सर्दी का सीज़न था, मामा के यहाँ चार दिन का स्टे था मेरा!
मामा के यहाँ पहुँचा, सब लोगों से नमस्ते हुई, रमणी ने भी नमस्ते किया. मैंने उसे काफ़ी दिनों बाद देखा था तो बहुत प्यारी लग रही थी. उसने मुझे देखा और बस मुस्कुरा दी.
फिर शाम हो गई, मैं उसके रूम में गया. हमने काफ़ी बातें की. मैंने उसे करियर के बारे में बताया. वो भी ध्यान से सुन रही थी.
फिर हम लोग खाना खाने चले गये. खाना ख़ाने के बाद मैं टेरेस पर चला गया और गाना गा रहा था और टहल रहा था. कुछ देर बाद रमणी भी आ गई.
रमणी- बहुत अछा गाते है भैया आप तो!
मैं- अरे नहीं बस ऐसे ही… जब मन करता है तो!
रमणी- सोना नहीं है क्या?
मैं- थोड़ी देर में सोऊंगा.. लेकिन तुम क्या कर रही हो यहाँ?
रमणी- जैसे आपको नींद नहीं आ रही, वैसे मुझे भी नहीं आ रही.
फिर ऐसे ही थोड़ी देर बात करने के बाद हम दोनों नीचे चले गये.
मेरी नींद सुबह 8 बजे खुल गई. मैं नहाने के लिए बाथरूम में जाने लगा तो बाथरूम में पहले से कोई था.
थोड़ी देर बाद रमणी निकली नहा कर… मैं तो उसे देखता ही रह गया… बहुत खूबसूरत लग रही थी वो!
गीले बाल थे, शैम्पू की खुशबू आ रही थी और बहुत गोरी थी वो!
उसने घुटनों तक का बाथरोब पहना हुआ था.
रमणी- बहुत जल्दी उठ जाते हैं भैया ठंड में आप?
मैं- अरे बस ऐसे ही नींद खुल गई!
रमणी- जाइए नहा लीजिए, अभी पानी गर्म है.
मैं बाथरूम में गया और दरवाजा बंद कर लिया.
एक मिनट बाद रमणी बोली- भैया, मेरे कपड़े रह गये है अंदर… दे दीजिए!
मैंने इधर उधर देखा तो एक ब्रा और एक टीशर्ट थी. मैंने पूछा- दो कपड़े हैं… दोनों तुम्हारे हैं?
रमणी- हाँ, ऊपर से दे दीजिए.
मैंने देखा कि ब्रा का साइज़ 32 था, मैंने ऊपर से दिया तो ब्रा कील में फंस गई, रमणी निकालने लगी लेकिन उससे नहीं निकल रही थी.
मैं बाहर आया और निकाल दी.
वो बहुत शर्मा रही थी, ब्रा लेकर तुरंत अंदर भाग गई.
फिर दोपहर हुई, मैं रमणी के रूम में गया और नॉर्मल बात होने लगी.
फिर वैसे ही शाम हुई और हम दोनों टेरेस पर जाकर बातें करने लगे.
अबकी बार बाते थोड़ी अलग थी, गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड की बातें!
फिर हम लोग नीचे जाकर सो गये.
अगली सुबह मैं 8 बजे उठा, गया नहाने के लिए और आज भी रमणी बाथरूम में नहा रही थी. वो बाहर आई और मैं उसे बस देखता ही रह गया.
मैं बाथरूम में अंदर गया. अपने कपड़े उतारे ही थे, मैं सिर्फ अंडरवियर में था कि रमणी ने नॉक किया- भैया, अंदर मेरे कपड़े रह गए हैं.
मेरा दिमाग चला कि रोज़ ये कपड़े क्यों छोड़ देती है अंदर!
अबकी बार पर्पल ब्रा और काली पेंटी थी.
मैं बोला- आकर ले जाओ.
रमणी- आप दे दो ना!
मैं- नहीं.. खुद ले लो!
रमणी अंदर आई और जैसे ही कपड़े ले रही थी, मैंने उसे पीछे से हाथ लगाया. उसने कपड़े लिए और तुरंत चली गई बिना कुछ कहे!
उस दिन मैं उसके रूम में भी नहीं गया और वो रात को टेरेस पर भी नहीं आई.
फिर अगले दिन वही हुआ, मैं बाथरूम में गया, उसने नॉक किया और बोली- भैया मेरे कपड़े रह गये हैं, मैं आकर ले लूँ?
मैं- आ जाओ!
रमणी ने कपड़े उठाए लेकिन मैंने अबकी बार कुछ नहीं किया. वो कपड़े लेकर मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई और कुछ नहीं बोली.
मैंने 2-3 बार रमणी रमणी बोला… मेरी हिम्मत बढ़ी, मैंने पीछे से उसे पकड़ लिया, वो कुछ नहीं बोली.
मैंने उसके गले पर किस किया, उसने कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया. मैंने उसके हाथ से उसकी ब्रा पेंटी लेकर टाँग दी और उसे अपनी तरफ करके उसके गाल पर किस किया.
वो अब भी आँखें बंद किए हुए थी.
फिर मैंने उसके होठों को चूसना शुरू किया, वो साथ नहीं दे रही थी.
तब मैंने उसकी टीशर्ट में हाथ डाल कर उसके चुची दबा दी.
रमणी- आआअहह आअहह..
मैंने उसे दीवार में सटा दिया और उसकी चुची मसलने लगा. इतनी मुलायम चुची थी कि बता नहीं सकता…
मैं दोनों चुची हाथ में लेकर मसल रहा था. रमणी सिर्फ़ आँख बंद किए हल्के हल्के से आवाज़ निकाल रही थी.
फिर उसे भी जोश आया और अपने होंठ खोल कर मेरे होंठों को चूसने लगी.
क्या ग़ज़ब थी वो… बहुत अच्छे से चुम्बन कर रही थी.
उसकी ‘आहह’ से मेर लंड खड़ा हो गया.
फिर मैंने रमणी की बाथरोब उतार दी. अन्दर उसने कुछ नहीं पहना था. मिल्की वाइट चुची थी उसकी…
मैंने रमणी के दोनों हाथ पकड़े और कस कस के होंठ चूसने लगा. वो भी मेरा साथ दे रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था.
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अब मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाया जो बहुत ही नाजुक और कोमल थी. हाथ लगते ही वो थोड़ी सी उछल गई… और उसके मुख से आअहह निकल गया…
मैं उसकी पूरी चुची और चूत पर हाथ फिराने लगा. वो उम्म्ह… अहह… हय… याह… करने लगी मैं अपने हाथ उसके चूतड़ों पर ले गया और उन्हें मसलने लगा. जब मैंने उसकी गांड की दरार में उंगली फेरी तो वो अपने चूतड़ भींचने लगी. फिर भी मैंने उसकी गांड के छेड़ तक अपनी उंगली ले गया और उसे सहला दिया.
वो फिर उछल पड़ी और अब वो पूरे जोश में आ गई और मैं भी…
अब मैं नीचे झुका और उसकी चूत चाटने लगा.. आआह हा अहह क्या स्वाद था.. क्या मस्त चूत थी उसकी… मैं तो पागल हुआ जा रहा था.
उसकी चूत में मेरी जीभ उसको पागल करे जा रही थी, उसकी सिसकारियाँ आआ अहह आआ आअहह मुझे मदहोश किए जा रहे थी…
अब मैं खड़ा हो गया और उसने मेरा लंड हाथ में लिया और मसलने लगी.
मुझसे रहा नही जा रहा था और उससे भी…
उसने कहा- भैया अब प्लीज डाल दो!
और मैंने बाथरूम के फर्श पर तौलिया बिछा कर अपनी बहन को लिटाया… अपने लंड पर थोड़ा शैम्पू लगाया और उसकी चूत पर भी लगाया… लंड को रखा बहन की चूत पर और डाल दिया…
‘आआआआ आअहह…’ की आवाज़ उसके और मेरे मुँह से एक साथ निकली… क्या प्यार से मेरा लंड मेरी बहन की चूत में गया.. मआआहह… क्या जन्नत थी…
‘मम्म उउहह…’ हम किस करते रहे और मेरा लंड आगे पीछे होता रहा. मेरी बहन अपनी चूत उठा उठा कर मुझसे चुदाई करवा रही थी.
क्या मज़ा आ रहा था…
फिर हम दोनों एक साथ झड़ गये और मैं अपनी बहन के नंगे बदन पर लेटा रहा. फिर हम भी बहन नंगे नहा कर बाहर आ गये.
उसके बाद रात में बारह बजे के बाद मैंने अपनी बहन की चुदाई की.
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