नमस्कार दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है; यह एक सच्ची घटना पर आधारित है किन्तु गोपनीयता के लिये नाम परिवर्तित किये गए हैं.
मेरा नाम समीर है; मेरी आयु छब्बीस वर्ष है. मेरा जन्म उत्तराखण्ड के एक छोटे से गांव में हुआ था. जब मैं स्कूल में पढ़ता था, तब तक मुझे सेक्स का पूरा ज्ञान मिल चुका था. मैं अपने घर में सबसे छोटा था और लाड़ला भी. उसी वक्त मेरे मामा की शादी होनी थी, हम सब नानी के घर गए थे. बारात पास के ही गांव में जानी थी, तो सभी छोटे बड़ों को भी ले जाया गया.
रास्ता पैदल का था और मैं सबसे छोटा मैं पूरे रास्ते घोड़े पर बैठ कर गया और वापस भी घोड़े पर ही आया था. बारात से आने के बाद सभी लोग बहुत थक चुके थे और थोड़ा सा नाचने के बाद सभी लोग सोने लगे.
मेरी मम्मी ने मुझे भी एक जगह पर लेटा लिया.
रात को मैंने अपने ऊपर कुछ भारी सा महसूस किया तो मेरी ऑंख खुली. ये तो किसी का पैर है, ये जानकर मैंने उसे हटाने का असफल प्रयास किया. मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन जैसे ही मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया, तो मुझे 440 वोल्ट का झटका लगा क्योंकि मेरा हाथ किसी के स्तन को लग गया था. मैंने एक झटके में हाथ वापस लिया और चुपचाप लेट गया. डर के मारे मुझे पसीना आने लगा था क्योंकि मैं एक लड़की के साथ सो रखा था और मेरी यह हालत हो रही थी कि मैं ढंग से पलट भी नहीं सकता था. थोड़ी देर बाद उसने करवट ली और अपना पैर हटा दिया, लेकिन अब हाथ मेरे ऊपर रख दिया.
अब हमारी स्थिति ऐसी थी कि उसके स्तन मेरे चेहरे पर थे और हाथ मेरे ऊपर था. मैं अब उत्तेजित होने लगा, क्योंकि वो जोर जोर से सांस ले रही थी. जिस वजह से उसके स्तन मेरे मुँह पर कभी दबाव बनाते, तो कभी दबाव हटाते.
जब दबाव कम होता, तो उस दौरान मैं सांस ले लेता और जब स्तन मेरे मुख में आते, तो मैं मजे लेता.
ये मेरे जीवन का पहला अनुभव था, तो मुझको पता भी नहीं चला कि मेरी लुल्ली कब उठ गई. लेकिन मेरी उत्सुकता अब बढ़ चुकी थी. मैंने पता नहीं कहां से हिम्मत जुटाई और अपना हाथ उसकी कमर पर रख दिया.
अब जैसे ही दबाव मेरे ऊपर आता, मैं उसे अपने हाथ से भींचता और अपना मुँह उसके स्तन पर रगड़ देता. वो मेरे इस कदम से हड़बड़ाई और अचानक से खड़ी हो गई. मैं चुपचाप उसे देखता रहा. फिर उसने अपना स्वेटर उतारा और फिर कमर के बल लेट गई. शायद उसे गर्मी लग गई होगी.
उसे तुरन्त ही नींद आ गई क्योंकि दिन भर पैदल चलने की वजह से सभी लोग थक चुके थे. दूसरी तरफ मैं तो पैदल चला ही नहीं था, तो नींद अभी कोसों दूर थी.
अभी शायद रात के एक या दो बज रहे होंगे और अब वह थोड़ा सा मुझसे अलग हो कर लेट गई. लेकिन अब मैं कहां रुकने वाला था. मैंने फिर अपना हाथ उसकी पहाड़ियों पर रख लिया और दबाने लगा. फिर एक उंगली जैसे ही उसकी दो पहाड़ियों के बीच में रखी, वो इस तरह से फिसली जैसे कोई पर्वतारोही किसी बर्फीली चोटी से अनायास ही फिसल रहा हो. मैं बिना किसी अंजाम की परवाह करे बस उस लम्हे का मजा लूट रहा था.
धीरे धीरे मैंने अपना पूरा हाथ अन्दर डाल दिया. उसके निप्पलों को उंगलियों के बीच में भर के मसलने लगा.
मैं थोड़ी देर ऐसे ही करता रहा; लेकिन मेरी जिज्ञासा बढ़ती ही जा रही थी. अब मैं अगले पड़ाव पर जाना चाहता था. मैंने निश्चय कर लिया था कि अब चाहे जो हो जाए, मैं कुछ न कुछ करके ही मानूंगा.
मैंने अपना दाहिना हाथ धीरे से बाहर निकाला और उसकी सलवार की तरफ हाथ बढ़ाने लगा. एक उंगली से सलवार की इलास्टिक को उठाया और बाकी की उंगलियों को आगे की तरफ खिसकाने लगा. जैसे ही मेरे हाथ बालों को टकराए तभी बाहर से दरवाजा खुलने की आवाज आई और मैंने अपने हाथ को झटके से बाहर कर दिया.
“उठ जाओ भाई चलना नहीं है क्या?” बाहर से आवाज आई.
मैं अभी भी यह नहीं जानता था कि आखिर मेरे बगल में सो कौन रखा है.
तभी आवाज आई- जी चाचा जी, बस उठ गई.
वो आवाज मेरे बगल से आई थी; जैसे ही मैंने उसके चेहरे पर देखा, मेरी हवा निकल गई. अरे ये तो मामाजी की साली है, जो मामी जी के साथ आयी थी.
वह जा चुकी थी और मैं अभी भी सोच में पड़ा था कि कहीं उसे पता तो नहीं चला होगा कि मैं कौन हूँ और मैंने उसके साथ क्या किया था.
मैं भी उठ गया और अपनी मौसी के बेटे के साथ बोतल उठाकर शौच के लिए चला गया. जब हम वापस आ रहे थे तो हमें वो लोग छत पर बैठे मिले. जब मैंने उसे देखा, तो मैं देखता ही रह गया. वो एकदम गोरी लम्बी, पतली नपा तुला शरीर.. जैसे ऊपर वाले ने बड़ी आराम से सोच समझ कर बनाया हो. उसकी मुस्कराहट के तो क्या कहना; यारों कुल मिलाकर एक नपुंसक भी यदि उसके सामने आ जाए, तो वो भी मर्द बन जाए.
अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं खुशनसीब हूं या बदनसीब हूँ. खुशनसीब इसलिए कि मेरे साथ जो कुछ रात में हुआ.. और बदनसीब इसलिए कि मेरी उम्र उससे कम ही होगी. मैं स्कूल में पढ़ रहा था और वो पूरी जवान रही होगी.
शादी के बाद हम सब अपने घर आ गए. पहले की तरह ही जीवन चलने लग गया, लेकिन मैं उसे भूल नहीं पा रहा था.
फिर एक दिन मामी हमारे घर आ गईं. मैं मामी को देखकर बहुत खुश हुआ. मामी मेरे लिए क्रिकेट का बल्ला और गेंद लायी थीं तो ये देखकर मैं सीधे मामी के गले से लग गया और मामी ने मुझे चूम लिया.
दो दिन पता ही नहीं चले कि कब गुजर गए. अगले दिन मम्मी चाचाजी के घर चली गईं, वहां पर कोई पूजा थी. अब मामी और मैं ही घर पर थे.
मामी ने जल्दी से खाना बनाया और खाना लेकर सीधे मेरे कमरे में आ गईं. हमने खाना खाया और मामी बर्तन साफ करके मेरे बिस्तर पर आ गईं. हम दोनों टीवी देख रहे थे. मुझे नींद आ रही थी.
यह देखकर मामी ने मेरे गाल में हाथ फेरते हुए बडे ही प्यार से कहा- बेटा नींद आ रही है … चलो सो जाते हैं.
बस मामी बिस्तार से उठकर अपनी साड़ी उतारने लगीं. जैसे ही उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे किया, मुझे सीधे अन्नू (मामी की बहन) की याद आ गई.
मामी ने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी, उनका पल्लू नीचे हो रहा था और मेरी सांसें तेज.
मुझे साइज तो पता नहीं, लेकिन मामी की चूची बहुत बड़ी थीं. मामी ब्लाउज और पेटीकोट में ही मेरे बगल में आकर लेट गईं. मैं निक्कर और बनियान में था. वो मेरे पास आकर मेरे बाल सहला रही थीं और मुझसे बातें कर रही थीं.
मैं भी उनसे चिपक गया, पर मेरा ध्यान तो बस स्तनों पर ही था. थोड़ी देर में वो सो गईं और मैं उनके स्तनों की तरफ हाथ बढ़ाने लगा. मैं डर और उत्तेजना के कारण कांपने लगा और अनायास ही मेरे हाथ उरोजों तक पहुंच गए. मैंने मामी की तरफ देखा वो सो रही थीं, तो मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज के अन्दर डाल दिया, लेकिन उसके अन्दर ब्रा थी, जो बहुत ही टाइट थी, जिससे मेरा हाथ अन्दर नहीं जा पा रहा था. मैंने जोर से ब्रा को खींचा, तो मामी जाग गईं. मामी ने मेरा हाथ पकड़ा और फिर बिना हाथ को हटाए मेरी तरफ देखा. मैंने कोई हलचल नहीं की, तो मामी को लगा कि मैं नींद में हूं.
मेरा हाथ हटाकर वो पलटकर सो गईं.
मैं डर के मारे पता नहीं, कब सो गया.
सुबह मामी ने मुझे उठाया और नहाने के लिए भेज दिया. मामी भी अन्दर आ गईं, वो मुझे नहलाने लगीं, मैंने मना किया पर वह नहीं मानी. वो मुझे साबुन लगाने लगीं, तो मेरी लुल्ली भी खड़ी हो गई. मुझे शरम आ रही थी.
जैसे ही उनकी नजर मेरे शिश्न पर पड़ी, वो मुस्करा दीं. उन्होंने अपना हाथ मेरे अण्डरवियर में डाल दिया और साबुन लगाने लगीं. फिर अचानक से मेरे शिश्न को दबा दिया, मेरे मुख से आह निकल गई. यह सब इतनी जल्दी में हुआ कि मैं समझ ही नहीं पाया.
वो अब भी मुस्करा रही थीं. मैं जल्दी से तैयार होकर स्कूल चला गया.
मैं पूरे दिन मामी के ही बारे में सोचता रहा. जैसे तैसे दिन कटा. जब घर पहुंचा तो देखा मां वापस आ गई थीं और मेरे सारे अरमान कांच की तरह बिखर गए थे. अगले दिन मामी भी चली गईं. जिन्दगी झंड हो गई थी.
समय बड़ी तेजी से निकल गया. मैं स्कू़ल पास कर भविष्य की चिन्ता में खो गया था. अब मुझे इंजीनियरिंग करनी थी. तो मैं प्रवेश की तैयारी करने देहरादून चला गया. मेरे पेपर का सेन्टर जिस जगह पड़ा, वहां मेरे मामा जी रहते थे.
यह सोचकर मैं बहुत खुश हुआ कि इसी बहाने मामी जी के दर्शन भी हो जाएंगे.
उस समय के बाद मैं उनसे नहीं मिला था. छब्बीस जून को मेरा पेपर था, तो मैं चौबीस तारीख को ही देहरादून से दिल्ली के लिए निकल गया. मुझे दस बजे बस मिल गई थी; तो मामाजी को मैंने बता दिया कि मैं निकल गया हूं और सुबह चार बजे तक पहुंच जाउंगा.
उस समय उत्तराखंड की गाड़ियां आनन्द विहार जाती थीं. तो मैं सुबह साढ़े तीन बजे ही दिल्ली पहुंच गया. वहां से मुझे उनके घर तक ऑटो मिल गया था. बताये गए पते पर पहुंच कर मैंने उनको फोन किया. मामाजी मुझे लेने नीचे आ गए और हम घर के अन्दर चले गए.
मामाजी ने मुझे चाय बना कर पिलाई और मुझे सोने के लिए कहा, लेकिन मैं तो मामी को देख रहा था. वो दिखी नहीं तो मुझे लगा शायद सो रही होंगी. मैं सो गया.
करीब नौ बजे के लगभग मेरी नींद खुली; मैं बाहर आया तो हॅाल से नीचे झांकने लगा.
तभी किसी ने मुझे पीछे से पकड़ दिया. मुझे समझने में बिल्कुल भी समय नहीं लगा कि कौन होगा. मैंने पीछे देखा तो मामी ही थीं. लेकिन मामी के इस रूप की तो मैंने कामना ही नहीं की थी. मैं उनको एकटक देखता ही रहा. यारों समझ में नहीं आ रहा था कि उनकी तारीफ करना कहां से शुरू करूँ.
तभी मामी ने कहा- अरे कहां खो गए?
मैं- मामी जी नमस्ते, मैं सोच रहा हूं कि आप तो पहले से भी ज्यादा …
मामी- क्या पहले से ज्यादा? मोटी हो गई हूं क्या?
मैं- नहीं मामीजी.. मेरा मतलब वो नहीं था.. वो आप तो..
मामी- चल छोड़.. बातें तो करते रहेंगे. जल्दी से नहा ले, तब तक मैं नाश्ता लगा देती हूं.
मैंने फटाफट अपने कपड़े निकाले और नहाने लगा.
तभी बाहर से आवाज आई- जल्दी कर … नाश्ता लगा दिया है.
मै जल्दी से बाहर आया, तब तक मामी भी नाश्ता लेकर आ गई थीं. मामी मेरे सामने बैठ गईं. मामी ने मुस्कराते हुए कहा- क्या तू अब खुद नहाने लग गया, मैंने सोचा कि मुझे आवाज देगा.
मैं- नहीं मामी जी, अब मैं बड़ा हो गया हॅूं.
मामी- हां सही कहा.. अब तो तू मुझसे भी लम्बा हो गया है; लेकिन मेरे लिए तो छोटा ही रहेगा ना. तब नहलाती थी मैं तुझे, भूल गया क्या?
मुझे वो दिन याद आ गया, जब मामी ने मेरी लुल्ली पकड़ी थी, जो कि अब लंड बन चुका था. मेरी लंड ने एक सलामी के साथ अपनी उपस्थिति का संकेत दिया और मैं मुस्करा दिया. मैंने मामी की तरफ देखा वो भी मुस्करा रही थीं. ऐसा लगा जैसे दोनों ने एक दूसरे की चोरी पकड़ ली हो. मैंने नजरें झुका दीं.
मामी किचन की तरफ चली गईं. एक पल के लिए दोनों चुप हो गए. मैं नाश्ता खत्म करके कमरे की तरफ चला गया और पढ़ने में लग गया.
दोस्तो, मैंने अपने मामा के विषय में तो बताया ही नहीं. मेरे मामा एक फार्मा कम्पनी में काम करते हैं, वो बहुत ही शान्त स्वभाव के हैं. उनकी उम्र पैंतीस साल के करीब होगी, मामी की आयु तीस साल की है. उनके दो बच्चे हैं, एक छह साल और एक आठ साल का है. वे दोनों स्कूल जाते हैं. अभी भी वो स्कू्ल ही गए थे.
घर में मैं और मामी ही रह गए थे. मामी को देखकर कोई बोल नहीं सकता है कि उनके दो बच्चे हैं. मामी एकदम माल लगती हैं. उनका दूध जैसा गोरा शरीर, हिरनी जैसी आंखें, पतली कमर, हंसमुख चेहरा और सबसे बेहतर उनके वो उरोज, जो मुझे पागल कर देते हैं. लेकिन अभी तक मुझे मामी के दूध दर्शन नहीं हुए थे.
थोड़ी देर बाद बच्चे भी घर आ गए. हम सबने साथ में खाना खाया और मैं अपनी पढ़ाई में जुट गया. अगले दिन मेरा पेपर था.
शाम को मामी चाय लेकर आईं और उन्होंने मेरे गाल पर हाथ फेर कर कहा- मेरे लाल, पहले चाय पी ले, फिर पढ़ लेना.
मामी के कोमल हाथों का स्पर्श पाकर मैं धन्य हो गया. रात को मामा जी आ गए और उन्होंने मुझे समझा दिया कि कैसे मुझे अपने परीक्षा केन्द्र तक जाना है.
खाना खाकर हम सब सो गए.
सुबह मैं जल्दी उठ गया और रिवीजन करने लगा. जब बाहर आया तो देखा बच्चे स्कूल जाने लगे थे. मामी ने दोनों को किस किया और वो चले गए. मामा जी भी जा चुके थे. मैं भी तैयार हो गया मामी और मैंने साथ में नाश्ता किया.
जैसे ही मैं जाने लगा मामी दही लेकर मेरे पास आई और मैंने भी झट से मुँह खोल लिया. दही पीने के बाद मैं मामी की तरफ देखने लगा और सोचने लगा कि ये मुझे किस नहीं करेंगी क्या?
मामी मेरी तरफ देख कर अपनी भौं को ऊपर करके इशारा किया- अब क्या?
मैं मुस्कराते हुए कहने लगा- मुझे किस नहीं मिलेगी क्या?
मामी ने उसी समय मुझे किस कर दिया- अरे मेरे बाबू को भी किस्सी चाहिए.. तो ले ना; अब पेपर अच्छे से करके आना.
मैं चला गया. पेपर भी अच्छा हुआ.
घर आते आते रात हो गई. अब तक मामा जी भी आ चुके थे. मामी किचन में चाय बना रही थीं, मैं वहीं चला गया.
मामी के कन्धे पर सर रख कर मैंने कहा- मामी, आपकी किस ने तो कमाल ही कर दिया, अब देखना मैं पक्का टॅाप करूँगा.
वो अब भी पीछे ही मुड़ी हुई थीं, उसी स्थिति में मामी ने मेरे सर पे हाथ रखा और मेरा सर अपने कन्धे पर दबा कर कहा- सच?
अनायास ही मेरे हाथ उनकी कमर पर बंध गए. मेरे शरीर से उनका शरीर पूरा चिपक गया. उनका सिर मेरे कन्धे पर आ गया, जिस वजह से उनके दोनों स्तन सामने की ओर उभर गए.
मेरे लिंग का उभार बढ़ता जा रहा था, जो की मामी के नितम्बों से टकराने लगा. मामी ने शायद लिंग के उभरने का अहसास कर लिया था, वे जोर जोर से सांसें लेने लगीं.
तभी चाय उबल गई और हम दोनों अलग हो गए. मैं बिना कुछ कहे किचन से बाहर आ गया और मामा जी के साथ टीवी देखने लगा.
मामा जी मेरे साथ बातें कर रहे थे, तभी मामी चाय लेकर आ गईं. अभी जो कुछ हुआ था, उसकी वजह से मैं मामी से आंख नहीं मिला पा रहा था.
मामी चाय रख कर फिर से किचन में चली गईं.
मामा जी ने मुझे बताया कि हमारे बगल में एक परिवार रहता था, अब वह जालंधर चले गए हैं, उनकी बेटी की शादी है. मैं तो जा नहीं सकता. क्या तुम अपनी मामी के साथ चले जाओगे?
मैंने तुरन्त ही हां कर दिया.
मामी को जब पता लगा कि मैं उनके साथ जा रहा हूं, तो वो खुश हो गईं.
मैं पूरी रात सोचता रहा कि क्या मामी सच में पट जाएंगी. ये कल्पना करते ही मैं मामी को चोदने के सपने देखने लगा. मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा.
मैं जैसे ही बाहर आया, तो देखा मामी बाहर खड़ी थीं. मैं उन्हें सामने देख कर एकदम से घबरा गया, जैसे मेरी चोरी पकड़ी गई हो. मामी बिना कुछ कहे, मुस्करा के बाथरूम में चली गईं. मैंने अपने आपको संभाला और कमरे में जाकर सो गया.
सुबह जब मैं उठा तो मैंने मामी की आंखों में एक अलग ही चमक देखी. अब तक मामा जी भी जाने के लिए तैयार हो गए थे. मामा जी सीधे मेरे कमरे में आ गए और कहने लगे- समीर थोड़ी देर में तुम्हारी नानी आ जाएंगी, उसके बाद तुम अपनी मामी के साथ बाजार चले जाना. मैंने बाइक भी घर पर ही रख छोड़ी है.
मैं मामी के पास गया, तो मामी ने बताया- बच्चों की देखभाल के लिए सासु मां आ जाएंगी. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ. वो किसी भी वक्त पहुंच सकती हैं.
मैं नहाने चला गया. तैयार होकर जैसे ही बाहर आया, तब तक नानी भी आ गई थीं. उनके साथ मेरे बड़ी मामा का लड़का भी आ गया था.
हम लोगों ने जल्दी से नाश्ता किया और फिर मामी और मैं बाइक से बाजार के लिए निकल गए. मामी ने हरे रंग की साड़ी पहन रखी थी. गली से बाहर निकलते समय ब्रेकर पर उछलने से मामी ने मुझे पकड़ लिया और अब वो मुझसे सट कर बैठ गईं. मुझे भी उनके सटकर बैठने से मजा आ गया.
अब जब भी मैं ब्रेक मारता, मामी के स्तन मुझसे सट जाते. क्या मस्त माहौल था यारो, मेरा जी चाह रहा था कि रास्ता कभी खत्म ही न हो. मामी रास्ता बता रही थीं और मैं बाइक चला रहा था.
हम सरोजनी नगर पहुंच गए. मामी ने बहुत सी शॉपिंग की और फिर मुझे दुकान के बाहर खड़ा करके वो अकेले ही अन्दर चली गईं.
जब वो बाहर आईं, तो मैंने पूछा- आपने क्या लिया?
तो उन्होंने कहा- कुछ नहीं, तुम्हारे मतलब का नहीं है.
यह कह कर मामी ने मुझे टाल दिया.
मामी की जवानी को किस तरह से लूटा, इस घटना को पूरे विस्तार से लिखने के कारण कहानी का अगला भाग जल्द ही आपकी खुजली को दूर कर देगा.
प्लीज़ लड़कियो, अब अपनी उंगली को चूत से निकाल कर मुझे मेल भी कर दो यार … हां लड़को, आपसे भी कह रहा हूँ.. लंड कितना हिलाओगे, जल्दी से मेल लिखो.
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कहानी का अगला भाग: मामी के साथ संभोग-2