नमस्कार दोस्तो, मैं अर्नव एक बार फिर आपके बीच फिर हाज़िर हूँ. आपने मेरी पिछली कहानी पहली चुदाई मामी के साथ में आपने पढ़ा कि मैंने कैसे अपनी मामी की अन्तर्वासना को जगाकर उनकी चिकनी चूत चोदी.
अब आगे देसी वर्जिन चूत स्टोरी कुछ इस तरह से है:
मेरी मामी कुल तीन बहनें हैं, जिनमें सबसे बड़ी मामी हैं जिनकी चुदाई की कहानी मैंने बताई.
उनसे छोटी बहन मोनिका और सबसे छोटी अपर्णा है.
देखने में तीनों बहनें एक से बढ़ कर एक हैं और सबकी अपनी-अपनी खूबियाँ हैं.
जैसा कि मैंने आपको पहले बताया था कि मैं अपने मामा के घर में रहता था और मेरी और मामी की जबर्दस्त केमिस्ट्री चल रही थी.
नया साल आने को था और एग्जाम्स में भी अभी काफी वक़्त था.
इसी बीच मामी कुछ दिन के लिए अपने मायके चली गयीं.
और जब वह वापस आयीं तो उनके साथ उनकी छोटी बहन मोनिका भी आ गयी.
मोनिका का कद बड़ी मामी से थोड़ा ज्यादा था, उसके भरे हुए मम्में थे और गांड भी ज्यादा उभार लिये हुए थी.
उसे देखकर ऐसा लगता था जैसे साक्षात काम की देवी रति उतर आयी हो, जो पत्थर की मूर्तियों में भी कामोत्तेजना भर दे.
मगर उसके तेवर और हाव-भाव भी उसके बदन की तरह तीख़े और नखरीले थे.
एक दिन मैंने अकेले में मामी से कहा- तुमने कभी बताया नहीं कि तुम्हारी बहन इतनी मस्त है? कोई चक्कर चलाओ न … शायद कुछ बात बन जाये?
उन्होंने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया- अच्छा जी! मुझसे तुम्हारा मन नहीं भरा क्या कि अब मेरी कुँवारी बहन पर भी नज़र डाल रहे हो? आखिर इरादा क्या है?
मैंने बोला- इरादे तो बहुत नेक हैं, मगर बिना तुम्हारी रजामंदी के पानी फिर सकता है.
उन्होंने बोला- उसकी शादी की बात चल रही है और वो इन सब चीज़ों में दिलचस्पी नहीं रखती. इसलिये अब तुम्हारी दाल तो नहीं गलने वाली.
अब मैंने गुस्सा दिखाते हुए कहा- तुम्हें तो मेरी कोई फ़िक्र ही नही, पहले तो अपने मायके निकल गयी और फिर इतने दिन बाद जब वापस आयी तो अब सारा दिन मोनिका के साथ ही रहती हो. कम से कम पहले ही ठीक था, हम पूरा दिन एक दूसरे के साथ तो बिताते थे.
वो बोली- नाराज़ क्यूँ होते हो … तुम ही बताओ, इसमें मैं क्या कर सकती हूँ?
मैंने बोला- करना कुछ नहीं है, तुम बस मोनिका को थोड़ा टाइम मेरे साथ बिताने दिया करो. बाकी उसकी स्वेच्छा पर है, मैं उस पर किसी भी तरह का दबाव नहीं डालूँगा, बस इतना सहयोग ही चाहिये तुमसे.
मामी बोली- ठीक है, मगर एक बात का ख्याल रखना कि वो मेरी बहन है और उसे किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. अगर उसने मुझसे तुम्हारी कोई भी शिकायत की या उसे तुम्हारी वजह से कुछ भी प्रॉब्लम हुई तो मैं तुम्हें कच्चा खा जाऊंगी.
मैंने बोला- मामीजान … आप उसकी बिल्कुल भी चिंता मत करिये! मैं उसके लिये आपसे ज्यादा फ़िक्रमंद हूँ और उसका पूरा ख्याल रखूँगा.
मामी ने तो ग्रीन सिग्नल दे ही दिया था.
अब जो कुछ भी होना था वो बस मेरे और मोनिका के बीच ही होना था.
जब मामी घर के काम करतीं तो मोनिका फ्री होती और मुझे भी उससे बात करने का मौका मिल जाता.
हम साथ में कभी चेस खेलते तो कभी कैरम … और इसी के चलते वो धीरे-धीरे मुझसे खुलने लगी.
खेलते-खेलते हमारे बीच थोड़ी बहुत छेड़खानी भी हो जाती थी.
मगर वो कभी नाराज़ नहीं हुई, बस हल्के से मुस्करा देती थी.
अब शायद उसे भी मेरा साथ अच्छा लगने लगा था और हम काफी करीब आ गए थे.
मैं कभी उससे अपने कॉलेज की बातें बताता और कभी वह अपनी!
बातों ही बातों में उसने बताया कि उसकी आधी से ज्यादा सहेलियों के बॉयफ्रेंड हैं और कॉलेज के तमाम लड़के उसके भी आगे पीछे चक्कर लगाते हैं मगर उसे कोई पसंद नहीं आया.
उसने जब मुझसे पूछा कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या तो मैंने जवाब दिया- मैं बाहर ज्यादा किसी से बात नहीं करता और न ही मैं किसी को पटाने के लिये पूरा टाइम उनके आगे पीछे घूम सकता.
मैंने उससे बोला- प्यार मोहब्बत … कसमें … वादों की तो सिर्फ बातें होती है. असल में मायने यह रखता है कि आप एक दूसरे का कितना ख्याल रखते हैं और ज़िन्दगी के हर पल में एक दूसरे के साथ कितना खुलकर जीते हैं.
उसको मैंने कहा- वैसे भी अगर कोई तुम्हारे जैसी मिली होती तो उसके लिये मेहनत भी करता.
उसने सवालिया नज़रों से मेरी तरफ देखा और बोली- मुझमें ऐसा क्या ख़ास है कि तुम मेरे लिये मेहनत करते?
मैंने बोला- जब मेहनत का फल तुम्हारे जैसा हो तो रात दिन भी मेहनत करनी पड़े तो वह जायज़ है.
उसने कहा- तुम बहुत अच्छे हो मगर मेरी तो अब शादी होने वाली है. अगर तुम पहले मिले होते तो बात कुछ और होती.
इस पर मैंने कहा- जब जागो तभी सवेरा … अभी तो हमारे पास बहुत वक़्त है. यही तो वो समय है जब हम जो चाहें कर सकते हैं. नहीं तो फिर तो जो किस्मत में है वो तो होना ही है.
उसने बोला- बात तो सही है तुम्हारी, लेकिन शादी से पहले यह सब करना क्या ठीक रहेगा? क्योंकि मुझे थोड़ा अजीब लगता है, कहीं कोई प्रॉब्लम हो गयी तो?
मैंने कहा- तुम उसकी फ़िक्र मत करो, मैं तुम्हारा पूरा ख्याल रखूँगा और अगर कोई प्रॉब्लम हुई तो मैं हूँ न!
मेरे इतना कहते ही उसने मुझे गले लगा लिया.
उसके गले लगते ही मेरे मन की भावनाएँ एकदम से हरी हो उठीं.
मैंने उससे बोला- क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूँ?
वो बोली- ठीक है.
मैंने बोला- आँखें तो बंद करो!
जैसे ही उसने आँखें बंद कीं … मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और धीरे धीरे उसे चूमने लगा.
मोनिका की सांसें तेज़ हो गयीं और धड़कनें मानो दौड़ने सी लगीं.
हम लगभग 5 मिनट तक एक दूसरे में खोये रहे.
उसके बाद हम अलग हो गये.
अब तो गाड़ी पटरी पर आ चुकी थी, हमें जब भी मौका मिलता हम एक दूसरे को किस कर लेते थे और मैं टीशर्ट के ऊपर से ही उसके मम्में दबा देता था.
एक दिन मैंने उससे बोला- मुझे तुम्हें बिना कपड़ों के देखना है.
पहले तो उसने मना कर दिया मगर फिर थोड़ा मनाने के बाद बोली- मैं सिर्फ टीशर्ट ही उतारूंगी और कुछ नहीं.
मैंने कहा- ठीक है.
उसने कहा- पहले दीदी को देखकर आओ कि जाग रही हैं या सो रही हैं, उसके बाद ही उतारूंगी.
दोस्तो, वैसे तो मुझे मामी का डर नहीं था मगर फिर भी उसकी बात रखने के लिये मैं मामी के कमरे में गया तो देखा मामी आराम से सो रही थी.
मैं वापस आकर मोनिका को सीधे अपनी बांहों में भरकर चूमने लगा और बोला- चिंता न करो, तुम्हारी दीदी गहरी नींद में हैं. अब हमने जो कहा था वो करो.
वो बोली- मुझे शर्म आ रही है. मैं नहीं कर पाऊँगी, तुम ही उतार दो न?
उसने ये कहा और अपनी आँखें बन्द कर लीं.
मैंने बड़े प्यार से उसके हाथ ऊपर उठाये और उसकी टीशर्ट उतार दी.
उसने अंदर से सफ़ेद ब्रा पहनी हुई थी जिसमें उसका क्लीवेज बहुत ही सेक्सी लग रहा था.
मैंने उसे पकड़ा और एकाएक चुम्बनों की झड़ी लगा दी.
उसकी सुराही जैसी गर्दन से होकर उसके कान की लौ और उसके कंधों को बेतहाशा चूमने लगा.
मोनिका की साँसें बहुत तेज़ हो गयीं और उसकी उभरी हुई छाती ऊपर नीचे हो रही थी जो बेहद ही आकर्षक नज़ारा दे रही थी.
अब धीरे धीरे उसकी शर्म कम होती जा रही थी और बेचैनी बढ़ती जा रही थी.
उसने पूरी तरह से अपने आपको मुझे सौंप दिया था.
मैंने उसके कान में बोला- मैं तुम्हारे मम्में चूसना चाहता हूँ.
ये कहते ही उसने खुद ही अपने हाथ पीछे करके ब्रा के हुक खोल दिये और अपनी ब्रा उतार दी.
उसके मम्में एकदम दूध से सफ़ेद और गोल-मटोल थे, जिनमें मटर के दाने जितने निप्पल थे.
मैंने बिना देरी किये उसके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया और दोनों हाथों से उसके रसीले आमों को निचोड़ने की कोशिश कर रहा था.
उसकी साँसें बहुत तेजी से चल रहीं थी और वो अपने दोनों हाथों से मेरे बालों को सहला रही थी.
बीच-बीच में मैं उसके निप्पल्स को हल्के से काट लेता तो वो मेरे सिर पर धीरे से चपत लगा कर मुझे डांटने लगती- आराम से करो … दर्द होता है.
उसके मम्में चूसते-चूसते मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा तो वह एकदम से सिहर गयी और अपनी टाँगें भींच लीं और बोली- आज नहीं … फिर कभी करेंगे.
मैंने भी उसकी इच्छा का सम्मान किया और फिर से उसे किस करने लगा.
थोड़ी देर बाद उसे मैंने अपने हाथों से दोबारा ब्रा और टीशर्ट पहना दी.
अब आग तो दोनों ओर लग ही चुकी थी, बस सही मौके का इंतज़ार था.
मैंने उसी दिन बाजार से जाकर वैसलीन, कंडोम का पैकेट, आई-पिल और पेनकिलर लाकर रख ली ताकि फिर ऐन वक़्त में कोई प्रॉब्लम न हो.
लगभग 3-4 दिन तक हमें कोई मौका नहीं मिला.
फिर एक दिन मामा-मामी को अचानक गाँव जाना पड़ा क्योंकि वहाँ किसी की तबियत खराब हो गयी थी और उनका गाँव जाना जरूरी था.
मुझे इस से अच्छा मौका दोबारा नहीं मिलने वाला था इसलिये मैंने बोला- आप चिंता मत करिये मामा … मैं यहाँ हूँ … आप आराम से वापस आइयेगा.
वो सुबह ही मामी को लेकर गाँव निकल गये और अब शाम तक ही वापस आने वाले थे.
उनके जाते ही मैं अच्छे से नहा धोकर तैयार हो गया.
थोड़ी देर बाद मोनिका भी आ गयी और हम बैठकर बातें करने लगे.
मैंने उससे कहा- चलो मेरे कमरे में चलते हैं.
बातों ही बातों में मैंने उससे पूछा- तुमने आज से पहले कभी कुछ किया है या अभी तक कच्चा नींबू ही हो?
वो बोली- कॉलेज में जब मेरी फ्रेंड्स अपने बॉयफ्रेंड्स के साथ जाती थीं तो वही बताती थीं … इसके अलावा हम लोग कभी-कभी पोर्न देख लेते थे. मन तो बहुत करता था, मगर ऐसे किसी पर भरोसा कैसे कर सकते हैं.
मैंने कहा- अच्छा, तो फिर मेरे बारे में क्या ख्याल है?
तो उसने बोला- तुम बहुत अच्छे हो मगर मुझे थोड़ा डर भी लगता है.
मैंने कहा- तुम बिल्कुल फ़िक्र न करो, मैं हूं न!
उसका विश्वास अधिक बढ़ाने खातिर मैं बाजार से जो सामान लाया था वो लाकर उसके सामने रख दिया.
उसने सब चीजों को बड़े ध्यान से देखा और बोली- तुम ये सब मेरे लिये लाये हो? तुम्हें मेरी कितनी फ़िक्र है.
मैंने बोला- अगर कोई लड़की मुझ पर भरोसा करके अपना सब कुछ मुझे सौंप रही है, तो क्या मैं उसकी सुरक्षा और सहूलियत के लिये इतना भी नहीं कर सकता?
मेरे इतना कहते ही वह मुझसे बेल की तरह लपट गयी और मुझे पकड़ कर चूमने लगी.
हम लगभग 15-20 मिनट तक सिर्फ एक दूसरे को चूमते रहे.
इसके बाद मैंने उसकी टीशर्ट और लोवर भी उतार दिये.
वो शर्माकर अपने एक हाथ से अपनी पैंटी और दूसरे हाथ से अपने मम्मों को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी.
मैंने बड़े प्यार से उसे अपने बेड पर लिटा दिया और पूरे बदन में अपनी जीभ फिराने लगा.
फिर उसे पलटकर उसकी ब्रा के हुक भी खोल दिये और उसके मम्मों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा.
उसकी पैंटी कामरस से भीग चुकी थी.
मैंने एक हाथ उसकी पैंटी पर रखा और ऊपर से ही वर्जिन चूत सहलाने लगा.
मेरी उंगलियां उसके चिपचिपे कामरस से फिसल कर उसकी चूत के किनारों पर जा रही थीं.
फिर मैंने बड़े प्यार से अपनी दोनों उंगलियां उसकी पैंटी में फंसाई और उसकी मांसल जाँघों से होते हुए उसकी भीगी हुई पैंटी को उतार दिया.
उसकी चूत एकदम गुलाबी और फूली हुई थी, जिसके बीच एक हल्का सा चीरा लगा था.
उसकी चूत बिल्कुल अनछुई सी लग रही थी, जिसमें हल्के हल्के सुनहरे बाल थे.
मैंने जैसे ही उँगलियों से उसकी चूत के पट खोले उसने अपनी दोनों टांगों को आपस में भींच लिया.
मैंने बड़े प्यार से उसकी दोनों टाँगें खोलीं और चूमते हुए अपने अंगूठे से उसके दाने को सहलाने लगा.
उसकी आँखें नशीली हो गयीं और सिसकारियाँ भी बढ़ने लगीं.
जैसे-जैसे मैंने अपनी उंगलियों की हरकत तेज़ की वैसे-वैसे उसका बदन अकड़ने लगा और कुछ देर में ही उसकी चूत एकदम पानी-पानी हो गयी.
मैंने फिर उसे चूमना शुरू कर दिया और उसके मम्मों से खेलने लगा.
धीरे-धीरे फिर उसकी धड़कने बढ़ने लगीं और वह बोली- अब कुछ करो न … नीचे बहुत अजीब सा लग रहा है.
मैंने एक सख्त तकिया उठाकर उसकी कमर के नीचे रख दिया और उसकी टांगें खोलकर उसकी वर्जिन चूत पर ढेर सारी वैसलीन लगा दी.
उसके बाद अपने लंड पर कंडोम चढ़ाकर मैं उसकी चूत में रगड़ने लगा.
जब उससे रहा नहीं गया तो वो नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर लंड अंदर लेने की कोशिश करने लगी.
मैंने लंड को पकड़ कर उसकी चूत के मुहाने में रखा और अंदर की तरफ झटका दिया तो लंड का टोपा उसकी चूत में फँस गया और उसकी आँखों से आँसू निकल आये.
उसको सहलाते हुए मैंने कहा- बेबी … बस आराम से … पहली बार थोड़ा दर्द तो होता ही है.
तो उसने कहा- कोई बात नहीं … मैं बर्दाश्त कर लूंगी.
मैंने उसके होंठ चूमे और दूसरे झटके के साथ आधे से ज्यादा लंड चूत में समा गया.
कुछ सेकंड्स रुकने के बाद मैं धीरे-धीरे अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगा.
उसकी वर्जिन चूत बहुत ज्यादा टाइट थी और कुछ देर बाद वो भी अपनी कमर उठाकर मेरा साथ देने लगी और धीरे-धीरे थाप लगाने लगी.
चूँकि मैंने कंडोम पहन रखा था इसलिए बड़ी सहजता से मैं धीरे-धीरे अपना लंड उसकी कुँवारी चूत में अंदर बाहर कर रहा था.
उसने बड़े नाज़ों से अपना कौमार्य संभाल कर रखा था जो आज मुझे सौंप रही थी तो मेरी भी जिम्मेदारी बनती थी कि मैं भी उसका पूरा ख्याल रखूं.
लगभग 10 मिनट की चुदाई के बाद मैं स्खलित हो गया.
उसका भी दो बार पानी निकल चुका था.
वह मुझे बेतहाशा चूमे जा रही थी.
उसके बाद मैंने उसको बाथरूम ले जाकर … बड़े प्यार से उसकी चूत साफ़ की और आराम से बिस्तर पर लिटाकर आराम करने को बोल दिया.
फिर मैंने उसे दवा दी ताकि थोड़ा दर्द कम हो जाये.
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अब उसकी शादी हो चुकी है और वो अपने वैवाहिक जीवन का भरपूर आनंद ले रही है.
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