यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
→ मामी की चुदाई की प्यास बुझाई-2
नमस्ते दोस्तों. मेरा नाम अतुल है. आज की इस नई सेक्स कहानी में आप सबका स्वागत है.
दोस्तो, मैं अतुल आज आपके सामने अपनी एक और नई सेक्स कहानी लाया हूँ. मैं आशा करता हूँ कि इस स्टोरी को अभी आप उतना ही प्यार देंगे, जैसे आपने मेरी पिछली कहानियों को दिया था.
मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी हाइट लगभग 5 फुट 9 इंच है. वैसे तो मैं सांवले रंग का हूँ, लेकिन लोग कहते है कि मैं बहुत स्मार्ट दिखता हूँ.
यह कहानी तब की है, जब मैं छोटा था और स्कूल में पढ़ता था. उस टाइम हम लोग मामा की शादी में नानी के गांव गए थे. जब हम वहां पहुंचे, तो सबसे पहले मैंने मामा से मामी की फोटो मांगी. उस टाइम मोबाइल फोन का ही चलन नहीं था. तो ये व्हाटसैप आदि भी किधर से होता. यदि ये सुविधा होती तो अब तक मैं दिल्ली में ही मामी की फोटो मंगा सकता था. मामी की फोटो देखने की मेरे अन्दर बड़ी ही उत्सुकता थी.
जब मैंने मामा से फोटो मांगी, तो मामा ने कहा- तुम्हारी नानी के पास है, अन्दर जाकर देख लो.
मैं अन्दर नानी के कमरे में गया, तो वहां पहले से ही मेरे पेरेंट्स मामी की फोटो देख रहे थे.
मैंने भी देखी.
दोस्तो, मामी की फोटो देखते ही मानो मेरे अन्दर करंट सा दौड़ गया था. एक तरफ मेरे मामा जहां 32 साल के काले से और मोटे से इंसान थे, तो वहीं दूसरी तरफ मेरी मामी ने अभी अपनी ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष के एग्जाम दिए थे. वो अभी केवल 21 साल की थीं. उनका फिगर तो ऐसा था कि बस कुछ पूछो ही मत. आप देखते तो एकदम से उनकी पूरी कमर को अपने हाथों में भर कर उन्हने अपने सीने से लगाने का मन बनाने लगोगे.
उनका मुखड़ा इतना अधिक प्यारा था जैसे कोई फिरंगी लड़की हों. वो इतनी ज्यादा गोरी थीं, जैसे दूध में एक चुटकी सिंदूर डाल दिया हो. सच बताऊं, तो उस टाइम मामा को देख कर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था कि ऐसे काले मोटे भद्दे से दिखने वाले आदमी को इतनी मस्त माल जैसी बीवी कैसे मिल रही है.
मेरी होने वाली मामी के चूचे तो ऐसे उठे हुए थे मानो ब्लाउज फाड़ कर अभी बाहर आएंगे. उस टाइम मेरा लंड तो उनको देखते ही खड़ा हो गया था.
दूसरी तरफ मेरे फैमिली मेंबर सब लोग मामी को देख कर बड़े खुश थे कि चलो बहू सुंदर मिल गई है.
शादी का दिन नजदीक था. तीन दिन बाद वो समय भी आ गया, जब मेरा मामा घोड़ी पर चढ़ने जा रहा था.
मैं और परिवार के कुछ सदस्य मामा के साथ उनकी कार में बैठ गए. बाकी बारात भी शाम के करीब 4 बजे निकल चुकी थी. हम लोग शाम 7 बजे मामी के शहर आ पहुंचे. उन्होंने एक विवाह घर में हम सभी को रोकने की व्यवस्था की थी. सच में बड़ा ही शानदार विवाह घर था.
ऐसा लग रहा था, जैसे मैं किसी आलीशान पंचतारा होटल में आ गया हूँ. उसी विवाह घर में खुले स्थान में पंडाल लगा हुआ था जिधर से शादी का कार्यक्रम होना था.
शाम होते ही हम सभी नाचते गाते बारात लेकर पंडाल में आ गए.
कुछ देर बाद मामी अपनी बहनों और सहेलियों के साथ वरमाला ले कर आईं. उनको देख कर मेरी तो हालत मानो ख़राब ही हो गई थी. मामी को जब सामने से देखा, तो वे फोटो से भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थीं. ऐसा लग रहा था जैसे उनकी वो वाली फोटो अंधेरे में खींची गई थी.
मामी को लाइव सामने देख कर मैं बता नहीं सकता कि मुझे क्या महसूस हो रहा था. स्टेज पर ही मेरे पैंट में तंबू बन गया था.
मेरे मामा की किस्मत पर मैं रश्क कर रहा था. ना जाने मामा अपनी किस्मत कहां से लिखवा कर लाया था. मैं बस यही सोच सोच कर उस वक़्त बहुत दुखी भी था.
मेरे मामा की धूमधाम शादी भी हो गई. बारात मामी की विदा करवा कर वापस आ गई. अब वो रात भी आ गई, जब मेरा मामा, मामी के ऊपर चढ़ने वाला था.
मेरा कमरा मामा के कमरे से लगा हुआ था. या यूं कह लो कि हम दोनों के कमरों के बीच में एक ही दीवार थी, बस कमरे दो थे.
उस रात मुझे रात भर नींद नहीं आई. मैं रात भर बस दीवार पर कान लगा कर कुछ सुनने की कोशिश करता रहा, लेकिन मेरी फूटी किस्मत, मुझे कुछ सुनाई ही ना दिया.
अगले दिन हम जितने भी एक ही उम्र के थे, सब मामी के कमरे में आ गए. हम सब मामी के साथ बात करते रहे. चूंकि मेरा नेचर बहुत फ्रैंक टाइप का था, तो मैं बहुत जल्दी मामी के साथ घुलमिल गया.
मैंने मामी को अपनी दिलफेंक बातों से अपने साथ काफी करीब कर लिया था. उनसे बात करते करते मैं उनका काफ़ी अच्छा दोस्त बन गया था. मामी मुझसे हंस बोल रही थीं.
मेरे मामा सूरत की किसी गारमेंट्स फैक्ट्री में काम करते थे, तो उनको शादी के बाद जल्दी ही निकलना था. दो दिन बाद वो अकेले ही सूरत निकल गए. उनके जाने के कुछ दिन बाद हम लोग भी दिल्ली चले आए.
फिर टाइम यूं ही बीतता गया. मामा की शादी के कुछ साल बाद मोबाइल का जमाना आ गया. मैंने भी एक फ़ोन ले लिया. फोन के जरिए हर जगह फोन पर बातें होना सुगम हो गया.
अब तक मामी के दो बच्चे हो चुके थे और मामी भी मामा के साथ सूरत ही चली गई थीं.
जब भी मेरी मम्मी, मामा-मामी से सूरत बात करती थीं, तो मैं भी फोन पर उनसे बात कर लेता था. मामी मुझे बिल्कुल भी नहीं भूली थीं.
फिर समय ऐसे ही बीतता गया. मैं अब कॉलेज के फर्स्ट इयर में एड्मिशन ले चुका था. इसी के साथ मैंने अब इंटर क्लास की कोचिंग देना भी शुरू कर दिया था. मेरी खुद की कमाई शुरू हो गई थी.
एक दिन मैंने अपनी पहली कमाई से एंड्रॉएड फोन ख़रीदा. उस दिन मैं बहुत खुश था क्योंकि इससे पहले हमारे घर मैं एंड्रॉएड फोन नहीं था. मैंने उस फोन में नेट का रीचार्ज करवा लिया था और अपनी दिल की ख्वाहिशें पूरी करने लगा था.
फिर एक दिन मैं कॉलेज मैं अकेला बैठा था, अचानक ना जाने कहां से मुझे मामी का ख्याल आ गया. मैंने अपनी मामी को फोन लगाया.
उधर से मामी की आवाज आई. मामी बोलीं- हैलो कौन?
मैंने बताया तो उन्होंने एकदम से खुश होते हुए कहा- अरे अतुल कैसे हो … आज इतने दिनों बाद अपनी मामी को कैसे याद कर लिया?
तो मैंने कहा- नहीं मामी … ऐसी तो कोई बात नहीं है … मैंने बात तो आपसे करता ही रहता हूँ. बस कुछ दिन पहले नया फोन लिया था, तो सोचा कि आपसे अपने इस नम्बर से बात कर लूं.
वो भी खुश होते हुए बोलीं- अच्छा क्या बात है … नया फोन किसने दिलाया है?
मैंने कहा- मामी … अपनी कमाई के पैसे से ही खरीदा है.
मैंने मामी के पूछने पर उन्हें अपनी कोचिंग के बारे में बता दिया. फिर मैंने बच्चों के बारे में और मामा के बारे में पूछा.
मामी ने कहा- तेरे मामा अपने ऑफिस गए हैं और बच्चे स्कूल गए हैं.
उनका लड़का करीब 7 साल का हो गया था और लड़की करीब 5 साल की हो गई थी.
इसके बाद हम दोनों रोज करीब आधा एक घंटा बात कर ही लेते थे. उस समय मैं कॉलेज में होता था. मामी घर के सारे काम निपटा कर मुझे मिस कॉल कर देती थीं.
मैं पहली फुर्सत पाकर यहां से उनको कॉल कर लिया करता था. इस प्रकार धीरे धीरे मुझे मामी से बात करने की आदत सी पड़ गई और हम लोग घंटों बात करने लगे थे. हमारी बातों में थोड़ी दिल्लगी भी आ गई थी.
एक दिन मामी ने पूछा- कॉलेज में कितनी लड़कियां पटा ली हैं?
मैंने कहा- कहां मामी … कोई गर्लफ्रेंड है ही नहीं … होती तो क्या आपसे इतनी बातें करता.
इस बात पर मामी हंसते हुए कहने लगीं- तो क्या तू मुझसे गर्लफ्रेंड समझ कर बात करता है?
मेरे मन में तो आया कि हां मामी मैं तो आपको कबसे गर्लफ्रेंड बनाना चाहता हूँ. मगर मैं ऐसा कह नहीं सकता था.
हालांकि इसके बाद से मामी मुझसे खुल कर बात करने लगीं और मुझे भी उनके साथ बिंदास बातें करने में मजा आने लगा.
एक दिन मैंने बातों ही बातों में मामी से उनके सुहागरात वाली रात की बात पूछ ली.
इस पर उन्होंने शरमाते हुए कहा कि मुझे याद नहीं है कि उस रात क्या क्या हुआ था.
मैंने हंसते हुए कहा कि मामा ने तो पलंग ही तोड़ दिया होगा.
इस बात पर वो हंसने लगीं और बोलीं- बड़ा शरारती हो गया है तू … पलंग कैसे टूटता है, अब तो तू ये भी जानने लगा है.
मैंने कहा- हां मामी गर्लफ्रेंड नहीं पटी, तो क्या हुआ … मोबाइल में कई पलंगतोड़ कुश्तियां देख चुका हूँ.
मामी समझ गईं कि मैं ब्लू-फिल्म देखता हूँ.
वो बोलीं- कुश्ती देखने के बाद क्या करते हो?
मैंने भी कह दिया कि हाथ चला लेता हूँ.
मामी बोलीं- हाथ चला लेते हो मतलब क्या करते हो, मैं समझी नहीं साफ़ साफ़ बताओ न.
मैंने बात घुमाते हुए कह दिया कि अरे मामी क्या उल्टा सीधा सोचने लगी हो … मैं ताली बजा कर मजा लेता हूँ.
मामी हंस दीं और बात खत्म हो गई.
इस तरह मैं और मामी बातों में खुलते चले गए. सेक्स आदि की बातें भी होने लगी थीं.
फिर मैंने एक दिन ऐसे ही बातों ही बातों में उनसे पूछा कि मामी जी, अब मामा आपके साथ कितनी बार करते हैं?
उन्होंने कहा- तेरा मतलब सेक्स करने से है?
मैंने धीमे स्वर में हां कहा.
तो वो थोड़ा सा उदास होकर बोलने लगीं कि सच बोलूं तो मेरी शादी तो एक बूढ़े से हो गई है. घरवालों ने उनकी उम्र नहीं देखी. मैं सिर्फ़ 21 साल की ही थी और ये 35 साल के थे. उस टाइम तो थोड़ा बहुत ये कर भी लेते थे, पर अब ये दो महीने में एकाध बार भी कर लें, तो वही बहुत है.
ये बोल कर मामी थोड़ा सा उदास हो गई थीं. ये सब बातें जानकर मुझे मजा भी बहुत आ रहा था और थोड़ा अफ़सोस भी हो रहा था.
मैंने उनसे शादी के पहले के बारे में पूछा, तो बोलीं कि मेरे गांव का एक लड़का मुझसे बहुत प्यार करता था और वो मुझसे शादी भी करना चाहता था. पर मेरे घरवाले नहीं माने. वे बोले कि दूसरी कास्ट में शादी नहीं करेंगे.
मैंने पूछा- अरे … इसमें क्या बात थी.
वो उदास होते हुए बोलीं- काश मैं उस टाइम अपने घरवालों से लड़ी होती, तो आज मेरी ज़िंदगी खुशहाल होती.
मेरे और मामी की उम्र में, उम्र का कम ही फर्क था, तो इस पर मामी बोलीं कि तुम तो मेरी उम्र के ही हो, तुम ही बताओ कि मैं कैसे जी रही होऊँगी.
मैंने कहा- हम्म … मामी इस उम्र में शरीर की भूख मिटानी भी जरूरी है. हमारा क्या है, हम लोग तो हाथ चला कर अपनी आग निकाल लेते हैं … पर आपका तो उस तरह से करना भी आपकी आग को ज़्यादा भड़का देता होगा.
मामी बस एक ठंडी आह भर कर रह गईं.
मैंने उनसे कहा- मामी, मैं आपको एक दोस्त की हैसियत से कुछ कहूँ?
मामी ने हां कहा.
तो मैंने कहा- आप आसपास वहीं देख लो … कोई मर्द तो होगा.
इस पर वो बोलीं- ना रे बाबा ना … कहीं तुम्हारे मामा को पता चल गया, तो मुझे जान से ही मार ही देंगे.
अब बता यहां तक होने लगी थी कि मैं अपनी चुदासी मामी की चुदाई के लिए उनको लंड की तलाश के लिए कहने लगा था.
दोस्तो, इस कहानी का अगला पार्ट जरूर पढ़ें और आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बताएं.
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कहानी का अगला भाग: जवान मामी की चुत को लंड की जरूरत-2