दोस्तो, मैं आपको अपनी एक सच्ची देसी लड़का लड़की चोदा चोदी कहानी सुना रहा हूँ.
मैं शुरू से ही सेक्सी रहा हूं. मैंने कम उम्र में अपने पापा को मम्मी की चुदाई करते हुए देखा है.
पापा अक्सर रात में मम्मी की नंगी करके चुदाई करते थे, बाद में उनकी गांड चुदाई भी करते थे.
रात में मैं अक्सर उन दोनों को सेक्स करते देख लेता था.
एक रात को जब मैं सोने की कोशिश कर रहा था, तभी मेरे पापा ने मम्मी की चुदाई शुरू कर दी.
उन्होंने मम्मी की एक-एक करके कपड़े उतार डाले और चुत चाटना शुरू कर दिया.
मम्मी पहले नानुकुर करती रहीं … मगर पापा ने मम्मी की चुत में अपना लंड डाल दिया और उनके ऊपर चढ़ गए.
उन्होंने अपने होंठों को मम्मी के होंठों पर रख दिया और मम्मी के दूध दबाने लगे.
एक साथ तीनों काम हो रहे थे. पापा का लंड मम्मी की चुदाई कर रहा था, उनके हाथ मम्मी के दूध दबा रहे थे और उनके होंठ, मम्मी के होंठों का रस पी रहे थे.
पापा का लंड को चुत में अन्दर बाहर आते जाते देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था.
ये बात उन दिनों की है, जब मेरी सगाई हुई थी. सगाई के बाद शादी में 6 माह का समय था.
सगाई वाले दिन अपनी होने वाली बीवी को देखकर मेरा मन चुदाई करने को मचल गया लेकिन मौका नहीं मिला क्योंकि पूरा परिवार रिश्तेदार और सभी साथी थे.
मैं मन मसोस कर रह गया.
लेकिन मैंने अपनी होने वाली वाइफ से उसका नम्बर ले लिया था तो मेरी उसके साथ बात होने लगी.
कुछ ही दिनों बाद मैंने उससे मिलने के लिए कहा.
तो उसने कहा- मेरे घर ही आ जाओ.
मैंने उससे कहा- ये कैसे हो सकता है … तुमसे मिलने आने का कोई कारण भी तो होना चाहिए!
वो बोली- ये आपको ही कहना पड़ेगा कि आप मुझसे मिलने आ रहे हैं.
मैंने पूछा- इस बात पर तुम्हारे घर वाले मान जाएंगे?
वो बोली- मुझे नहीं पता … हां मैं आपकी बात अपने घर में कह सकती हूँ. यदि उनको आपके आने में कोई आपत्ति नहीं होगी, तो मैं आपको बता दूंगी.
मैंने उससे कहा- हां तुम अपने घर में बात करो.
दो दिन बाद मेरी होने वाली बीवी ने मुझसे कहा- मेरे घर वालों को तुम्हारे आने पर किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं है.
अब मैंने अपने घर पर कहा कि मैं अपने दोस्त के पास दिल्ली जा रहा हूँ और एक हफ्ते बाद आऊंगा.
मेरी बात का किसी ने विरोध नहीं किया और मैंने दूसरे दिन जाने का प्लान बना लिया.
इस तरह सगाई के बाद मैं पहली बार अपने होने वाली बीवी से मिलने अपनी ससुराल गया.
ससुराल में मेरा पहली बार आना हुआ था इसलिए मेरा अच्छा स्वागत हुआ.
मैं बहुत खुश था पर मेरी बीवी मुझसे मिलने में कुछ ज्यादा ही शर्मा रही थी.
जबकि मेरी कामुक नजरें अपनी होने वाली बीवी की मस्त चूत और गांड मारने की कल्पना में ही लगी थीं.
रात में मुझे मौका मिल ही गया.
मैं जिस कमरे में लेटा था, उसके बगल वाले कमरे में ही मेरी होने वाली लाइफ पार्टनर लेटी थी.
रात में 11:00 बजे तक बगल वाले कमरे में चहल-पहल रही, उसके बाद शांति छा गई.
इधर मैं अपने कमरे में बेचैनी से करवटें बदल रहा था, नींद मेरी आंखों से कोसों दूर थी.
दिल भी बीवी की चुदाई की आस को लेकर बल्लियों उछल रहा था मगर मुझे अभी भी ये नहीं पता था कि क्या होगा.
खैर … रात को बारह बजे के बाद मैं बिस्तर से उठा.
मैंने अपनी चड्डी बनियान उतार दिए और नंगा हो गया. मैंने अपनी कमर पर टॉवल लपेट ली और बगल वाले कमरे में चला गया.
मैं अपने साथ एक कंडोम भी ले गया था.
मैंने दरवाजे को धीरे से धक्का दिया तो वह खुल गया. दरवाजा अन्दर से बंद नहीं था.
मैं दबे पांव अन्दर गया और अपनी होने वाली बीवी के बगल में लेट गया.
मेरी मंगेतर गहरी नींद में सो रही थी.
मेरे लेटने से उसकी नींद खुल गई और वो अचानक से मुझे अपने बगल में लेटा देख कर घबरा गई.
इससे पहले कि वह कुछ बोलती, मैंने उसका मुँह हाथ से बंद कर लिया और उसके कान में कहा- ये मैं हूं.
‘आप … इतनी रात को यहां!’
मैंने कहा- नींद नहीं आ रही थी इसलिए आ गया, थोड़ी देर में चला जाऊंगा.
वह कुछ नहीं बोली.
मैं उससे चिपक कर लेट गया और मैंने उसके मम्मों पर अपने हाथ रख दिए और उसके दूध दबाने लगा.
उसने मेरा हाथ हटाते हुए कहा- यह आप क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- प्यार कर रहा हूं.
वह बोली- मगर अभी यह ठीक नहीं है.
मैंने कहा- अब तो हम दोनों की सगाई हो ही गई है, फिर फिक्र किस बात की है!
इससे पहले कि वह कुछ बोलती, मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसकी चुत पर चड्डी के ऊपर से ही हाथ फिराने लगा.
दस मिनट तक मैं उसके होंठों का रस पीता रहा, फिर मैंने उसकी चड्डी में हाथ डालकर चुत में उंगली करना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर में उसकी चुत पानी छोड़ने लगी. उसके मुँह से ‘आह आह …’ की आवाज निकलने लगी, तो मैं समझ गया कि ये चुदवाने के लिए तैयार है.
मैंने उसके कपड़े उतारना चाहे तो वह तैयार नहीं हुई.
वो बोली- कोई आ जाएगा.
मैंने उसका गाउन ऊपर किया और ब्रा का हुक खोल कर उसके दूध दबाने शुरू कर दिए, निप्पल दबाने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चड्डी उतार दी और अपनी तौलिया ढीली कर दी.
मेरे बदन पर तौलिया के अलावा कुछ नहीं था.
वो कहने लगी- आपने कुछ नहीं पहना है?
मैंने कहा- हां गर्मी लग रही थी, इसलिए सब कपड़े उतार दिए.
मैंने उसको अपनी विपरीत तरफ करवट दिलाई और उसकी पीठ से चिपक गया.
फिर अपने लंड में ढेर सारा थूक लगाया और उसकी एक टांग उठा कर अपना लंड एक ही झटके में उसकी चुत में डाल दिया.
उसके मुँह से हल्की सी चीख निकल गई.
मैं थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा.
मुझे एक बार को तो लगा कि इसकी चुत खुली हुई है.
मेरे दिमाग में कुछ खुटका हो गया था मगर मैंने इस समय उससे कुछ भी पूछना उचित नहीं समझा और उसे चोदने में लगा रहा.
उसके बाद मैंने तेज तेज झटके देना शुरू कर दिए.
थोड़ी देर में वह भी मेरा सहयोग करने लगी.
अब मैंने लंड निकाला और अपने लंड पर कंडोम चढ़ा लिया.
कंडोम लगा कर मैंने उसकी चुत में फिर से लंड पेल दिया और झटके देकर उसकी चुदाई करने लगा.
कुछ देर की चुदाई के बाद मैंने अपना माल कंडोम में निकाल दिया.
आज एक अनजाने डर के कारण मैं जल्दी झड़ गया था, उसको भी ज्यादा मजा नहीं आया था.
थोड़ी देर तक में ऐसे ही अपनी होने वाली बीवी से चिपक कर लेटा रहा.
उसके बाद मैंने उसकी चुत में फिर से उंगली करना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर में उसकी चुत फिर से पानी छोड़ने लगी.
अब मैंने उसका गाउन उतार दिया और उसकी ब्रा उतार कर उसे पूरी नंगी कर दिया.
इस बार उसने कोई विरोध नहीं किया.
मैंने उसको सीधा लेटाया और उसके ऊपर अपने पापा की तरह सवार हो गया.
पहले मैंने अपना लंड उसकी चुत में डाल दिया और अपने होंठों को उसके होंठों पर रख कर दोनों हाथों से उसके दूध दबाने लगा.
मेरे दिमाग में इस वक्त अपने पापा की चुदाई का तरीका ही घूम रहा था.
मैं तीनों काम एक साथ कर रहा था.
उसको भी इस तरह से बहुत मजा आ रहा था; मुझे भी उसके साथ मजा रहा था.
थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा- मैंने इस बार कंडोम नहीं लगाया था. मेरा रस निकलेगा तो कहां लोगी?
वह बोली- बाहर निकाल देना.
मैंने ऐसा ही किया. ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मैंने अपना लंड चुत से निकाला और उसके पेट पर माल छोड़ दिया.
मुझे वीर्य बाहर छोड़ने में ज्यादा मजा नहीं आया लेकिन मेरी होने वाली बीवी को चरम सुख जरूर मिल गया था.
वह मुझे कसकर चिपक गई, मैं भी उससे चिपक गया.
हम दोनों ने एक दूसरे को चुदाई का सुख दे दिया था.
वो भी बहुत खुश थी.
आधा घंटे बाद उसने कहा- जानू अब आप अपने कमरे में चले जाओ … इधर कोई देख लेगा तो मुझे शर्म आएगी.
मैंने भी उसकी बात मान ली और अपनी तौलिया बाँध कर अपने कमरे में चला गया.
मुझे अपने कमरे में अभी भी नींद नहीं आ रही थी. मुझे बार बार लग रहा था कि एक बार चुदाई और करनी चाहिए थी.
मगर अब चार बज चुके थे तो वापस उसके पास जाना अनुचित था.
खैर … किसी तरह मुझे नींद आ गई और मैं सो गया.
उसके बाद में दूसरे दिन उसको घुमाने के बहाने एक होटल में ले गया.
होटल में हम दोनों अकेले थे और इधर किसी का कोई डर नहीं था.
मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके सीने की धड़कनों को सुनकर सुकून लेने लगा.
वो भी मुझे अपनी चूचियों से दबाए हुए चिपकी थी.
मैंने उससे पूछा- मैं कैसा लगा?
वो बोली- सॉलिड.
मैंने हंस कर पूछा- कितना सॉलिड?
वो भी हंस दी और बोली- वो छोड़ो और ये बताओ कि आपको मैं कैसी लगी?
मैंने कहा- साफ़ साफ़ कह दूँ?
वो बोली- हां कह दो … मैं आपसे साफ़ साफ़ ही सुनना चाहती हूँ.
मैंने कहा- मुझे तो तुम खुली दुकान सी लगी.
वो खुली दुकान का मतलब नहीं समझ सकी और सवालिया निगाहों से मुझे देख कर बोली- इसका क्या मतलब हुआ?
मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और उसकी गोद में अपना सर रख कर लेट गया.
वो फिर से पूछने लगी- बताओ न?
मैंने कहा- यार अब कैसे कहूँ?
वो बोली- क्या आप मुझे प्यार नहीं करते हैं?
मैंने कहा- हां मैं तुम्हें बहुत प्यार करने लगा हूँ.
उसने कहा- तो बेधड़क कह दीजिए.
मैंने कहा- यदि बुरा लगे तो माफ़ कर देना.
वो अब कुछ आशंका से मेरी तरफ देखने लगी थी.
मैंने कहा- क्या तुम पहले भी सेक्स कर चुकी हो.
ये सुनकर वो एकदम से हंसने लगी और बोली- अच्छा खुली दुकान से आपका ये मतलब था.
मैंने कहा- हां.
वो बोली- मैं किसी भी तरह की कसम खाने को तैयार हूँ कि मैं कल रात तक एकदम कुंवारी थी.
मैंने कहा- क्या मेरे साथ सेक्स करने में तुम्हें खून निकला था?
वो बोली- मेरे प्यार सैयां जी, मैं स्कूल आने जाने के लिए साइकिल का यूज करती थी और स्कूल में भी मैं जिम्नास्टिक की खिलाड़ी रही हूँ. इसलिए हो सकता है कि मेरी झिल्ली फट गई हो.
अब इतना तो मैं भी समझता था कि चुत की झिल्ली फटने से ही खून निकलता है. यदि किसी लड़की की झिल्ली फटी हुई होती है तो उसकी चुत से खून नहीं निकलता है.
मैं अब शर्मिंदा था और मैंने खुले मन से उससे माफ़ी भी मांगी.
वो मुझसे लिपट गई और हम दोनों एक दूसरे के विश्वास को प्यार में बदलने लगे.
उस दिन भी मैंने उसकी चुदाई का मजा लिया और उसकी कुंवारी गांड की चुदाई भी की.
हालांकि गांड मारना कोई आसान काम नहीं होता है मगर मेरी होने वाली बीवी ने मुझे भरपूर सहयोग दिया और अपनी गांड मरवा ली.
इसी तरह से मैंने 5 दिन तक उसकी रोज गांड चुत चोदी. उसके बाद मैं अपने घर वापस आ गया.
कुछ दिनों बाद किसी बात के कारण मेरी और उसकी सगाई टूट गई लेकिन उसकी और अपनी जिंदगी की पहली लड़का लड़की चोदा चोदी आज तक नहीं भूली है. मुझे आज भी उसका प्यार याद आता है.