नमस्ते मित्रों. मेरा नाम संचित तलवाड़ा है, मैं होशियारपुर (पंजाब) का रहने वाला हूँ. यह बात है अगस्त 2015 की, यानि की मेरी MCA का आख़िरी सेमेस्टर था, और मैं रोजाना अपने स्टडी सेंटर जाता था.
सेंटर से फ्री होने के बाद यूँ ही बस स्टैंड पर घूमने चले जाते थे. तो बस ऐसे ही टाइम पास हो रहा था.
एक दिन मैंने एक लड़की देखी जो काफ़ी खूबसूरत थी, फिर मैं उसे रोज देखने लगा और वो रोजाना तलवाड़ा से मुकेरियाँ जाती थी. शायद वो मुकेरियाँ में कहीं पढ़ती थी.
धीरे धीरे वो भी मुझे देखने लगी और हम एक दूजे को देख कर कभी कभी स्माइल दे दिया करते थे, लेकिन इस से आगे कुछ ना हुआ.
फिर एक दो दिन वो नहीं आई तो मुझे लगने लगा कि शायद अब वो नहीं आएगी, लेकिन फिर भी मैं उसी टाइम पर बस स्टैंड चला जाता था. 3 दिन के बाद आख़िर वो आ ही गई और मैंने अब और देर ना करते हुए उसको अपना सेल फोन दिखाते हुए उसका नंबर लेने की इच्छा जाहिर की.
शायद उसको भी मैं अच्छा लगने लगा था इसलिए उसने भी हाँ में सिर हिला कर अपनी सहमति जाहिर की.
मैंने भी झट से अपना नंबर ओर नाम लिख कर उसकी बस विंडो के अंदर फेंक दिया और उसको स्माइल देकर वहाँ से चला गया. अब मैं लगा उसकी कॉल का इंतज़ार करने…
और शाम को 6 बजे के करीब एक नए नंबर से काल आई, मैंने रिसीव किया तो आवाज़ आई- आप संचित बोल रहे हो?
मैंने बोला- जी आप कौन?
वो बोली- जी मैं जानवी…
समझ तो मैं गया था कि ये वही है पर फिर भी मैं बोला- जानवी कौन?
वो बोली- बस स्टैंड में आज आपने जिसको नंबर दिया था वो जानवी!
मैं- ओह… तो आपका नाम जानवी है!
बस फिर ऐसे ही थोड़ी इधर उधर की बातें हुई जैसे… आप क्या करते हो? कहाँ से हो?
ऐसे ही धीरे धीरे हम बात करने लगे और आज कल सेक्स को लेकर बात तो नॉर्मल है तो बस हमारी भी ऐसे ही शुरू हो गई. फिर मैंने बातों बातों में उससे पूछ लिया- क्या आपने कभी सेक्स किया है?
वो बोली- हां किया है…
मैंने पूछा- किसके साथ?
और फिर उसका जवाब सुन कर तो मैं चौंक गया जब उसने बोला- अपने पति के साथ..
मैं बोला- आप शादीशुदा हो?
वो बोली- हाँ… पर अब हम साथ नहीं रहते, शादी के कुछ दिन के बाद ही हमारा तलाक़ हो गया था!
मैंने इस बारे में ज़्यादा ना पूछते हुए सीधा बोला- आप लगटी नहीं हो शादीशुदा… मैंने भी आपको सिंगल ही समझा था.
वो बोली- तो क्या अब आपको मुझसे बात नहीं करनी?
मैं बोला- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं!
बस फिर क्या था, वो तो पहले ही चुदी थी, अब उसको चौदना कौन सा मुश्किल था. हो गई फिर हमारी भी फोन सेक्स चैट शुरू… और मिलने लगे रोजाना उसी की बस में!
और मैं उसको बस में ही हाथ लगा लेता था जैसे उसके मम्मों को दबा देना और सलवार के ऊपर से ही चूत को मसल देना…
अब वो भी चुदने को तैयार थी और मैं भी चौदने को…
तो बस ऐसे ही एक दिन मैं उसको लेकर अपने घर चला आया, घर पर तो कोई होता नहीं क्योंकि ममा पापा दोनों सरकारी जॉब करते है तो 10 से 5 कोई नहीं होता!
घर लाकर मैंने उसका स्वागत किया.
वो मुस्कुराई।
मैंने उसके गाल पर किस किया और उसने मेरे गाल पर किस किया।
बस मुझे इशारा मिल चुका था.. मैंने उसकी कमर में हाथ फेरना चालू किया.. तो वो गर्म हो गई। ऐसा लग रहा था.. जैसे वो सिर्फ़ चुदने ही आई हो..
मैंने उसको गोद में उठाया और बेडरूम ले गया.. मुझसे रुका नहीं जा रहा था.. तो जाते ही उसके टॉप के अन्दर हाथ डाल दिया और उसके चूचे दबाने लगा।
इतने में ही उसके चूचे मस्त टाइट हो गए।
मैंने आव देखा ना ताव… उसका टॉप निकाल दिया और उसके आमों को चूसने लगा।
तभी मैंने अपना लोअर उतार दिया.. ताकि वो मेरे लंड के साथ खेल सके..
फिर उसने मेरी शर्ट उतारी और मेरे ऊपर आकर मेरी छाती पर किस करने लगी। चूमा-चाटी करते-करते वो नीचे को पहुँची और उसने मेरे अंडरवियर को उतार दिया।
वो एक बार तो मेरे लंड को देखकर शरमाई.. मैंने भी मौका ना गंवाते हुए झट से उसको नंगी कर दिया और उसके प्यारे होंठों में होंठ डाल कर चूसने लगा.. ऊपर से नीचे हर जगह हाथ फेरा.. खूब चूचे दबाए.. वो मेरे लंड को मसलती रही।
अब मैंने उसको नीचे लिटाया और उसके बड़े-बड़े मम्मों के बीच में अपना लंड रख दिया। कुछ देर तक ऐसा करने के बाद उसने मेरा लंड अपने मुँह में डाला और चूसना शुरू कर दिया।
लगभग 5 मिनट तक उसने मेरे लंड को बहुत अच्छे तरीके से चूसा। उसके बाद मैं भी उसकी चूत पर किस करने लगा।
उसकी चूत पर हल्के-हल्के रेशमी से बाल आए हुए थे.. दिखने में लग रहा था कि बस उसने अपनी लाइफ में 3-4 बार ही सेक्स किया होगा।
हम दोनों अपनी हवस मिटाने को बेताब थे, हम दोनों की साँसें गर्म थीं। उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत से स्पर्श करवाया, मैंने हल्का सा अन्दर डालने की कोशिश की.. तो महसूस हुआ कि उसकी चूत बहुत टाइट है।
उसने अपनी टांगें मेरी कमर पर बाँध लीं और मैंने दोनों हाथ उसके बड़े मम्मों पर रख लिए। मैं बहुत धीरे-धीरे चूत में लन्ड डालता रहा और उसके चूचे दबाता रहा।
उसने अपने नाखूनों को मेरी कमर में गाड़ना शुरू किया.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… तो मैं समझ गया उसको बहुत दर्द हो रहा है। फिर कुछ देर तक मैंने चूत में लन्ड रखा.. और उसके चूचे चूसने लगा।
दोनों के अन्दर सेक्स की इतनी ज़्यादा भूख और गर्मी थी कि वातानुकूलित कमरा होने के बावजूद हमारे पसीने निकल रहे थे।
यह चूत में लन्ड की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
जैसे ही मैंने पहला तेज़ झटका मारा.. उसके मुँह से तेज़ आवाज़ निकली। कुछ देर बाद जब उसका दर्द कम हुआ तो मैंने तेज़ रफ़्तार के साथ उसको चोदना चालू किया। हम दोनों की साँसें भी उतनी ही तेज़ी से चल रही थीं।
दस मिनट की उस तेज़ रफ़्तार की चुदाई के बाद मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसके चूतड़ों में से लौड़े को छेद में डाला।
करीब 10 मिनट इस स्टाइल से चोदने के बाद हम दोनों झड़ गए और हमने थोड़ा सा आराम किया.
करीब 15 मिनट में मस्ती के बाद हम सेक्स करने के लिए फिर से तैयार हो चुके थे। मैंने फिर से उसको घोड़ी बनाया और काफी देर तक लगातार चोदा।
फिर उसको प्यार के साथ विदा कह दिया।
ऐसे हमारा अक्सर मिलना शुरू हो गया.. हम मिलते और खूब मजे लूटते।
कैसी लगी आपको मेरी यह आपबीती शादीशुदा गर्लफ्रेंड की चूत में लन्ड की कहानी? आपके मेल्स का इंतज़ार रहेगा.
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