सभी दोस्तो को मेरा हैलो, आज मैं पहली बार अपनी खुद की कहानी लिख रही हूं. इस कहानी के पात्रों के नाम काल्पनिक हैं और स्थान के नाम भी बदल दिये गये हैं.
कहानी को रोमांचक बनाने के लिए मैंने इसमें कुछ काल्पनिक घटनाओं का भी सहारा लिया है. अपने पति के कहने पर मैं ये कहानी लिख रही हूं क्योंकि मेरे पति भी अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ते हैं और मैं भी अन्तर्वासना की फैन हूं. आप मुझे मेरी पहली कहानी के बारे में अपनी राय दें, मैंने यहां पर गोपनीयता के लिए फेक आईडी का प्रयोग किया है लेकिन आपके मैसेज मुझे मिल जायेंगे.
मेरा नाम कल्पना रॉय है. मैं 34 साल की हूं और फिगर 32-34-36 का है मेरा. मेरी मां की उम्र 52 साल है. उनका फिगर 36-38-40 का है. मेरी मां की शादी छोटी उम्र में ही हो गयी थी. शादी के पहले साल में मेरी बड़ी बहन और दूसरे साल में मैं पैदा हो गयी थी.
मैं गांव की रहने वाली थी और सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी. इस कहानी को लिखने का मेरा मकसद यही है कि मैं आपको बता सकूं कि कैसे मैंने सेक्स के बारे में ज्ञान प्राप्त किया और चुद चुद कर कैसे में चुदक्कड़ औरत बन गयी. इसलिए कहानी को ध्यान से पढ़ें.
मैं शुरू से ही पढ़ाई में ठीक रही हूं. एक छोटे से गांव में मैंने मैट्रिक पास की. मेरी रूचि साइंस और संगीत में थी. आगे की पढाई में बी.ए. करने के लिए मां-बाप ने मुझे मौसी के पास शहर में भेज दिया.
इसके पहले मैं कभी शहर में नहीं गयी थी. मौसी का एक ही लड़का था. उसकी शादी हो चुकी थी. उसका एक फैन्सी स्टोर था. दुकान में ही रहता था. सुबह जाता था और शाम को देर से ही आता था.
हम दो बहनें हैं लेकिन बड़ी वाली ने घर से भाग कर विजातीय विवाह कर लिया. उसको हमने काफी तलाश किया लेकिन पता नहीं लग सका. समय के साथ मेरे माता पिता मेरी बहन को भूल गये. अब मैं इकलौती रह गयी थी और इसी कारण मुझे नसीहत भी ज्यादा मिलती थी.
मौसी के घर जाने के बाद भी मौसी मुझ पर पूरा ध्यान रखती थी और वो इकलौती औलाद वाली नसीहत ने मौसी के घर में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ा. अपने मौसा से भी परिचय करवा देती हूं. मेरे मौसा राजपत्रित आर्युवेद अधिकारी थे. वे शहर में आर्युवेद में सेक्स की बीमारी के बारे में स्पेशलिस्ट हैं.
उन्होंने 50 साल की उम्र में समय से पूर्व ही रिटायरमेन्ट ले लिया था. मेरे मौसा ने सरकारी नौकरी से अच्छा खासा बैंक बैलेंस बना लिया था. मगर चोर कितना भी होशियार हो एक दिन पकड़ा ही जाता है इसलिए मौसा ने समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था. वे अपनी नौकरी की साख को बचाना चाहते थे.
इस तरह से मेरी पढ़ाई वहां पर होने लगी. उसके बाद मैं एम.ए भी करने लगी. उस समय तक मोबाइल फोन चलन में आ चुका था. दो साल मैंने किसी तरह निकाल लिये थे. उस वक्त मेरी जवानी भी मुझे तंग करने लगी थी.
मौसी ने एक दिन मौसा से कहा- कल्पना को भी कंप्यूटर सिखा दीजिये, एक ही तो बेटी है, ये भी सीख लेगी.
मौसा मुझे सिखाने लगे. धीरे धीरे कुछ ही दिनों में मैंने काम चलाऊ कम्प्यूटर चलाना सीख लिया.
समय बीतता गया और मैं सेक्स के बारे में काफी कुछ जान गयी. अब मेरा मन सेक्स के लिए करने लगा था. मैं कुछ न कुछ पढ़ती रहती थी. तीन चार साल मैंने मौसा के कम्प्यूटर में सेक्स के बारे में काफी कुछ सीखा.
अब तक ऑनलाइन शॉपिंग भी होने लगी थी. मैं भी घर बैठे होम डिलीवरी मंगवाने लगी थी.
एक दिन ऐसे ही मैं कंप्यूटर पर बैठी हुई थी. एक फाइल खोलने लगी. मैंने उसको खोला तो देख कर दंग रह गयी. उसमें मौसा की कोई सेक्स की फाइल थी. अब मैं सभी फाइलों को चेक करने लगी.
पता चला कि मौसा तो बहुत चालू आदमी निकला. उन दिनों पापा ने मुझे नया मोबाइल दिया था. मैंने अपने फोन में ब्लूटूथ से सारी जरूरी फाइलें ले लीं. मैंने गूगल हिस्ट्री चेक की तो बहुत सारी साइट मिल गयी मुझे.
मैंने मौसा का आईडी पता किया और पासवर्ड क्या है वो देख कर अपने फोन में सेव कर लिया. अब मौसा कुछ भी देखेंगे तो मुझे पता लग जाना था. इतना काम करने के बाद मैं कंप्यूटर बंद करके अपने काम में लग गयी.
मौसा आला दर्जे का सेक्स करने में इंट्रेस्टेड था. मौसा के कंप्यूटर के वीडियो यही बता रहे थे. देर रात तक जागते रहते थे. उनके सेक्स करने का टाइम रात के 12 बजे का था. मौसा और मौसी रूम की लाइट जला कर सेक्स किया करते थे.
मेरे मौसा एक सेक्सी बदन वाले पुरूष थे. मौसी उनके सामने काफी कमजोर थी. मौसा जिस तरह का सेक्स करना चाहते थे उसमें मौसी बराबरी का सहयोग नहीं दे पा रही थी.
इस तरह से दिन बीतते गये. उन दिनों भाभी की डिलीवरी हुई थी. देर रात को भैया और मौसी सो गये. मेरे लिये अच्छा मौका था. मेरा रूम अलग था. रात को मैंने सारी फाइलें देखीं. मैं सोच कर विश्वास नहीं कर पा रही थी कि मौसा इतना सेक्सी आदमी है. उनको देख कर कोई नहीं बता सकता था कि उनके अंदर इतना सेक्स भरा हुआ है.
अगले दिन फिर मैं कॉलेज गयी. वहां पर भी मन नहीं लगा. मैं पार्क में आ गयी और अन्तर्वासना की कहानी पढ़ने लगी. अब मेरे मन में भी सेक्स करने की तीव्र इच्छा हो रही थी. मौसा की सेक्सी फाइलों ने मेरे अंदर की आग को और तेज कर दिया था.
उस दिन मैं पूरा दिन सेक्स कहानियां पढ़ती रही मौसा की अन्तर्वासना साइट पर. जब कॉलेज खत्म हुआ तो मैं घर आ गयी. फिर दो दिन के बाद मुझे गांव आना पड़ा.
गांव आने के बाद अब मेरा मन पहले के मुकाबले ज्यादा सेक्स के बारे में सोचने लगा था. मैं स्कूल में बायलॉजी की स्टूडेंट थी तो किसी भी चीज के बारे में पूरा रिसर्च कर डालती थी. रिसर्च करने से ही मैं किसी नतीजे पर पहुंचती थी.
मेरी सोच के मुताबिक, मौसा की जो सेक्स फाइलें थीं और चुदाई के जो वीडियो मैंने देखे थे उनके बारे में और ज्यादा जानने के लिए मैंने कैमरे का प्रयोग करने की सोची कि ये सब सच है या कल्पित है.
मैंने ऑनलाइन हिडन कैमरे मंगवाये. मैंने वो कैमरे मौसा के घर में मौसा के लड़के के रूम में, मेरे मां-बाप के रूम में भी लगवाये. मेरे घर आने वाले मेहमानों की भी मैंने रिकॉर्डिंग करके देखी.
करीब 6 महीने तक मैंने नेट और लाइव वीडियो देखे. मौसा की चुदाई की रिकॉर्डिंग और जो फाइल मौसा के कंप्यूटर में थी उनमें काफी समानता थी. इससे साफ था कि मेरे मौसा सेक्स के बहुत बड़े विद्वान मास्टर थे.
मौसा और मौसी की चुदाई को देख कर मुझे पूर्ण विश्वास हो गया था कि अगर मेरी चूत का उद्घाटन कोई करेगा तो वो मेरे मौसा ही करेंगे. मौसा और मेरी उम्र 30 साल का फर्क था. मैंने केल्कुलेशन लगा कर देखा कि मौसा पन्द्रह साल तक और इसी तरह सेक्स बखूबी कर सकते हैं.
आप को एक महत्वपूर्ण बात बताना तो मैं भूल ही गयी. मौसा आर्युवेद के बड़े जानकार हैं. उन्होंने घर में ही लैब बना रखी है. वे इंग्लिश मेडिसिन में विश्वास नहीं करते. बहुत से लोग उनके पास इलाज के लिए आते हैं.
अब आगे की बात करती हूं. मेरी मां और मौसी जन्म से ही बहनों की तरह न रह कर सहेलियों की तरह रही हैं. दिन में दो-तीन बार तो उनकी बात फोन पर जरूर होती थी. कोई फैसला करने से पहले दोनों एक दूसरे की राय लेना नहीं भूलती थी.
मेरे शहर आने के पीछे भी मां का मेरी मौसी पर दोस्त वाला भरोसा ही था. उनको पता था कि पढ़ाई के लिहाज से मौसी का घर ही सबसे उपयुक्त है. इस कारण मेरी मां अपनी बहन पर पूरा विश्वास करती थी कि मेरी बेटी बहन के पास सुरक्षित रहेगी.
अब मुझे शहर से आये 6 महीने बीत चुके थे. मैंने काफी मंथन किया. अंतिम सोच यही निकली कि मैं अपनी चूत मौसा के सिवाय किसी को नहीं दूंगी. किसी नये लड़के में वो खूबी नहीं हो सकती है जो कि मौसा की तरह मुझे संतुष्ट कर सके.
मन ही मन मैंने मौसा को पति मान लिया था. अब मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि मौसा को पटाया किस तरह से जाये. इधर मेरे माता पिता मेरी शादी की बात करने लगे थे. मैंन उनको खुले रूप से बोल दिया कि जब तक मैं कुछ बन नहीं जाती तब तक मैं शादी नहीं करूंगी.
पापा मेरी बात को मान गये थे मगर मां को चिन्ता रही थी लड़की की शादी की.
मुझे लगा कि मेरी पढ़ाई सही तरीके से नहीं हो पा रही है और मुझे कोचिंग की जरूरत पड़ेगी. मैंने अच्छी कोचिंग तलाश करने की सोची.
मैंने मौसी को इस बारे में बोला- आप मौसा जी को कह कर किसी अच्छी कोचिंग का इंतजाम करवाइये.
मौसी ने मौसा को मेरे साथ रवाना कर दिया. मैं स्कूटी पर मौसा के पीछे बैठ कर चिपक कर जाती थी.
कई बार जानबूझ कर अपनी चूचियों को मौसा की पीठ से चिपका लेती थी. अपने बूब्स को कई बार उनके सीने से सटा देती थी. हमने दो-तीन जगह कोचिंग का पता किया.
उसके बाद फिर मैं मौसा से बोली- आप पीछे स्कूटी पर बैठ जाओ. मौसा ने स्कूटी मुझे दे दी और खुद पीछे बैठ गये. मैं ड्राइव करने लगी. स्कूटी चलाते हुए मैं जान बूझ कर ब्रेक लगा देती थी और मौसा को अपने बदन से चिपकाने की कोशिश करती.
आखिर मौसा भी लोहे के नहीं बने थे. इन्सान ही थे इसलिए लंड तो गर्म होना ही था. कई बार महसूस किया कि मौसा का लंड मेरी गांड पर दबाव बना रहा था. मैं सीट के और ज्यादा पीछे होकर उनके लंड को अपनी गांड में और अच्छे से घुसने का मौका देती थी.
मौसा भी समझ तो रहे थे कि कुछ चल रहा है लड़की के अंदर. कुछ दिन इसी तरह से निकल गये. एक दिन फिर हम रेस्टोरेंट में खाने के लिए गये. वहां पर काफी भीड़ थी. दो दो लोगों के आमने सामने बैठने की जगह थी. हमें एक सीट मिल गयी. मैं भी ऐसे ही मौके की तलाश में थी.
मैं मौसा के संग चिपक कर बैठ गयी. मैंने अपनी चप्पल खोल कर अपना बायां पैर उनके दायें पैर के ऊपर रख लिया और बायां हाथ उनके लंड के करीब रख दिया.
मौसा बड़ा ही खुर्राट किस्म का आदमी था. सीधे शब्दों में बोला- बेटी तुम गलत समझ रही हो.
अब मैं भी जान गयी थी कि हमला आमने सामने से करना होगा. मेरे पास अब एक ही रास्ता बचा था मौसा का रास्ता बंद करने के लिए.
मैंने अपना फोन निकाला और मौसा की सारी वीडियो खोल कर सामने रख दी.
वीडियो और फाइलें देख कर मौसा बोले- अच्छा, होशियार हो.
मैंने कहा- हां, थोड़ी सी तो हूं मौसा जी.
वो बोले- देख, तू मेरी बेटी के समान है.
तभी मैंने वेब लिंक खोल कर दिखाया. मैंने कहा कि ये आपने ही लिखा हुआ है कि औरत और पुरूष के बीच में रिश्ता सिर्फ चुदाई का ही होता है. उसमें जात-पात और धर्म-अधर्म कोई मायने नहीं रखता है.
ये सुन कर मौसा सकते में आ गये और बोले- मुझे सोचने के लिए समय दो.
उसके बाद हम दोनों नाश्ता करने के बाद बाहर निकले.
मैं मौसा से बोली- मेरी एक इच्छा है. अगर आज आप पूरी कर सको तो?
वो बोले- क्या इच्छा है?
मैंने कहा- मुझे फिल्म देखनी है.
वो बोले- पगली, इतनी सी बात! चल देख लेते हैं.
जैसे ही मौसा ने हां कि तो मैं मन ही मन खुश हो गयी. मैंने सोचा कि शिकार मेरे जाल में बुरी तरह से फंस चुका है. मैं जानती हूं कि मुझे जो कुछ भी करना है वो आज ही करना है. अगर आज नहीं कर पाई तो फिर कभी नहीं हो सकेगा.
इतने में ही हम लोग सिनेमा हॉल में पहुंच गये. वहां पर पहुंच कर मैंने दो टिकट ले ली मगर दोनों ही लेडीज के नाम से ली. बालकनी की टिकट मिली थी. बालकनी में हम दोनों के सिवाय कोई नहीं था.
ऐसा माहौल पाते ही मौसा के लिए मेरे मन में सेक्स के ख्याल हिलौरियां मारने लगे. मौसा के साथ अकेले अंधेरे हॉल में होने के अहसास से ही मेरी जवानी अंगड़ाई लेने लगी थी.
शहर में मौसी के घर रहते हुए मेरा दिल मौसा पर आ गया था. चढ़ती जवानी में चूत की गर्मी मौसा के लंड का पानी मांग रही थी. मैं पहले ही मन ही मन मौसा को पति मान चुकी थी. अब बस कोशिश थी मौसा के अंदर मेरे लिये भावनाएं पैदा करने की.
उसके लिए सिनेमा हॉल अच्छा विकल्प था. मैं मौसा को फिल्म देखने के बहाने ले गयी. उस दिन मैंने सोच लिया था कि अगर आज मौसा को पटा नहीं पाई तो फिर कभी न हो पायेगा.
सिनेमा हॉल में अब मेरे पास तीन घंटे थे. इस दरम्यान मुझे मौसा को किसी भी प्रकार खुश करना था. सीट पर बैठते ही मैंने मौसा का हाथ पकड़ कर मेरी टी शर्ट के अन्दर कर लिया.
मैंने मौसा के हाथ में बूब्स पकड़ा दिए और मुंह मौसा के नजदीक ले जाकर बायें हाथ से मौसा का चेहरा पकड़ होंठ से होंठ मिला कर चुंबन लेने लगी. मौसा मुझे पीछे हटाते रहे मगर मैं बार बार उनको छेड़ती रही.
कुछ देर की आना-कानी के बाद वो ढीले पड़ गये और मैंने इसी पल का फायदा उठा कर मौसा की पैंट की चेन को खोल दिया. उनका लौड़ा अंदर तना हुआ था जिसको मैं जिप से बाहर निकालने की कोशिश करने लगी. मगर लंड बाहर नहीं निकल पा रहा था मुझसे.
तब मौसा ने अपने हाथ से लंड बाहर निकाला. जैसे ही मैंने हाथ में लंड लिया उसका आकार ऐसा था कि वो मेरे हाथ की गोलाई में समा नहीं रहा था. यानि मौसा का लण्ड मोटाई में करीब ढाई इन्च तो पक्का ही था.
दोनों हाथ से मौसा के लंड की लम्बाई नापी जाये तो करीब 7 इन्च के ऊपर ही था. मुझे अब समझ आ गया था कि मौसा इतने चोदू कैसे हैं. ऐसा तगड़ा लंड मौसी को मिला हुआ है मौसी की तो किस्मत चमक गयी है.
मैंने सोच लिया कि इस लंड को अगर मैंने मौसी से छीन न लिया तो मेरा नाम भी कल्पना नहीं है. मैं मन ही मन लंड को अपना बनाने की कसम खाकर अपने होंठों से मौसा के लंड के सुपारे को छेड़ने लगी.
जो वीडियो कलेक्शन मेरे पास था मौसा का, मैं सब कुछ उसी के मुताबिक कर रही थी. मैं मौसा के लंड के टोपे पर जीभ फिराने लगी और फिर लंड के टोपे को मुंह में लेकर चूसने लगी. अब मौसा पूरे ढीले पड़ते जा रहे थे और उनके हाथ मेरे बालों में प्यार से सहलाने लगे थे.
इधर मौसा अब मेरी गोलाइयों से बुरी तरह खेल रहे थे. मैं उनके मूसल लंड से खेलती रही और आधा घंटे में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. अपने होंठों से मौसा के होंठों की चुसाई और अपनी जीभ से उनकी जीभ की चुसाई मैंने पूरी की.
मौसा पूछ बैठे- अब तक कितने लौड़ों का स्वाद चख चुकी है?
मैं बोली- अपना हाथ दो.
उनका हाथ लेकर मैंने मेरी पैंटी में डाला. उनकी उंगलियां मेरी पनियाई चूत पर फिरने लगीं.
उन्होंने एक उंगली अंदर डालने की कोशिश की. चूंकि मेरी चूत में किसी मर्द की उंगली जाने का यह पहला मौका था इसलिए मेरी हल्की चीख निकल गयी.
मौसा बोले- यह तो सच में कुंवारी चूत है. अभी तक इसको तुमने ऐसे अनछुई क्यों रखा हुआ है, इसके अंदर किसी का लंड डलवाने में इतनी देर क्यों की हुई है तुमने?
मैं बोली- ये चूत केवल आपकी अमानत है. मैं इस कच्ची कुंवारी चूत की कली को आपकी भेंट देना चाहती हूं. बहुत सोचने के बाद मैंने ये फैसला किया है. छह महीने लग गये मुझे इस नतीजे पर पहुंचने में. अब इस चूत को आपके हवाले करने का सही वक्त आ गया है.
उसके बाद मैंने मौसा को पूरी बात बताई. मेरी सारी स्टोरी सुन कर मौसा हंसने लगे और मेरी चतुराई पर बोले- वाह छोकरी, तू तो पूरी चालू खोपड़ी है. मगर मैं तेरे लिये चिंतित भी हो रहा हूं कि अगर कल को तेरी शादी होगी तो फिर इज्जत भी खराब होगी. उस वक्त तेरे पति को मालूम पड़ जायेगा.
मैं बोली- देखो मौसा, पहली बात तो ये कि तुम ही मेरे पति हो. पूरी दुनिया में ढूंढने पर भी मुझे कोई और ऐसा मर्द दूसरा नहीं मिलने वाला है. अगर आपका लंड नहीं मिल पाया तो मैं उम्र भर कुंवारी ही रहूंगी. ऐसे ही मैंने 6 महीने नहीं लगाये हैं ये फैसला करने में.
वो बोले- मुझे डर लगता है कि एक न एक दिन तो ये भांडा फूटेगा ही. उस दिन मेरी इज्जत भी तार तार हो जायेगी. अगर तेरी इतनी ही इच्छा है मेरा लंड अपनी चूत में लेने की तो महीने दो महीने में बढ़िया मौका देख कर मैं तेरी चूत को खुश कर दूंगा.
हमने प्लान बना लिया था कि जैसे ही मौका मिलेगा वैसे ही मौका मिलते ही पहले मुझे चोदेंगे. इसके सुबूत के लिए मैंने विडियोग्राफ़ी के साथ फोटो खिंचवाने और एक स्टाम्प पेपर पर साइन करने तक सारे काम कर लिये.
इसी बीच मैंने ये शर्त भी रख दी थी कि हम दूसरे स्टेट में जाकर कोर्ट मैरिज करेंगे. मौसा ने कुबूल कर लिया. उसके बाद फिल्म पूरी करके हम घर पहुंचे. मौसी को कुछ पता नहीं चलने दिया कि मेरे और मौसा के बीच में प्यार की कोंपलेंफूट चुकी हैं.
घर पर मौसी के सामने थकावट जाहिर की. मौसी कोचिंग के लिए पूछने लगी.
मौसा बोले- दो चार दिन और घूमने-फिरने पर मालूम पड़ेगा.
मौसी बोली- इसमें बड़ी बात क्या है, हमारी भी तो यही एक बेटी है. बेटी के लिए फिरते हो तो क्या अहसान करते हो?
मौसा बोले- आज काफी थकान है मुझे. पहले आराम करना होगा.
मौसी बोली- कर लेना, अब रात हो चुकी है. खाना खाकर आराम ही करना अब.
दूसरे दिन राजेश भैया दुकान पर गये और मौसी भी चली गयी. मौसी एक घंटे से पहले नहीं आने वाली थी. मैंने घर का दरवाजा बंद किया और मौसा के साथ नहाने के लिए बाथरूम में घुस गयी. स्नान करने के बाद फिर मौसी भी आ पहुंची.
खाना खाकर फिर से हम दोनों स्कूटी पर चल पड़े किसी और सिनेमा हॉल के लिए. इस तरह मस्ती करके आ गए शाम को फिर से घर पर वापस. आज प्लान करके आये थे कि दो चार दिन यहां फिजूल की कोशिश दिखा देंगे.
फिर हम दोनों भोपाल जाकर किसी यूनिवर्सिटी से अगला दाखिला लेंगे. भोपाल में आने और जाने के चार दिन तो खपेंगे ही और फिर उसके बाद तीन दिन का दूसरा बहाना कर देंगे. इस तरह से एक सप्ताह की मौज काटनी थी.
हम दोनों सुबह स्कूटी पर घूमने निकल जाते. फिल्म देखना रोज की बात हो गयी. इस तरह तीन चार दिन मस्ती हुए बिताये. अब मौसा मेरे साथ खुल कर बात करने लगे थे. हमने पार्क में एक साथ सेल्फी भी ली. पार्क में ही मौसा का लंड निकाल कर चूसते हुए मुंह में लेने का मौसा ने मेरा वीडियो भी बना रखा था.
हमने एक स्टाम्प पेपर पर मेरे बालिग होने के सर्टिफिकेट के साथ मेरी हस्त लिखित राइटिंग से स्टाम्प पेपर पर अपने पास सबूत के रूप में ले रखी थी ताकि मौसा खुद को बेगुनाह साबित करें और मैं इसी कोशिश में थी कि एक बार कोर्ट मैरिज हो जाये तो एक दो साल हम किसी को नहीं बताएंगे.
शाम को घर आकर मैंने बताया कि यहां किसी कॉलेज में एडमिशन नहीं हो पाया. इसलिए प्राइवेट फार्म भरने के लिए भोपाल से एडमिशन दिलाना होगा.
मौसी मौसा को डांटते हुए बोली- काम के ना काज के, घर पर निठल्ले ही बैठे रहते हो. इसके साथ जाकर इसका एडमिशन करवा दो.
अंधे को दो आँखें चाहिए वो हमें मिल गयीं. हम शाम की बस से रवाना होने की तैयारी करने लग गए. मौसा जी बस की स्लीपर की टिकट लेने चले गए. शाम को सही समय पर हम घर से रवाना होकर बस में अपनी सीट पर बैठ गए.
बस शहर से बाहर निकल आयी थी. स्लीपर कोच के दरवाजे बन्द हो गये थे. मैं कपड़े व गद्दी घर से लेकर आयी थी क्योंकि आज चूत का उद्घाटन होना था. मैं पूरी तैयारी करके आयी थी.
मौसा ने जब मुझे कपड़े बिछाते देखा तो पूछा- यह क्या कर रही हो?
मैं बोली- आज तो सील टूटेगी.
मौसा बोले- कल रात को टूटेगी. थोड़ा सा सब्र रख. अगर इतने दिन रख दिया तो एक रात में कुछ नहीं होगा. इतना कह कर मौसा ने अपने से मुझे चिपका दिया.
चलती बस में मेरी लैगी को खोल कर मेरी चूत को चाटने लगे. मुझे आज आनन्द की अनुभूति अलग ही हो रही थी. मौसा अपनी जीभ से बड़े ही शालीन तरीके से मेरी चूत चाट रहे थे.
मेरे मुंह से सीत्कार निकल पड़े- ओह माँ … मर गयी … आह्ह.
ऐसा लग रहा था जैसे कि चुदाई का आनन्द मिल रहा है चूत में. जब मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया तो मौसा उसे बड़े ही मजे से चूस चूस कर पी गये.
अब मुझे शांति मिल चुकी थी. पूरी रात मैं मौसा की बांहों में रही. दूसरे दिन भोपाल में मौसा ने अपने किसी मित्र का घर, जो निचला हिस्सा किराये पर दे रखा था, उसी में ऊपर के हिस्से की चाबी साथ ले आये थे. आज हमारी सुहागरात होने वाली थी इसलिए वो दिन से ही तैयारियों में लग गये.
मेरी वैक्सिंग हुई, आई-ब्रो, सुहाग के कपड़े, वीडियो कैमरा और लाइटिंग सब मकान में सेट कर दिया. बेड को फूलों से सजाया गया. नीचे जो किरायेदार थी वो एक कॉलेज की लेक्चरार थी. इतनी तैयारी देख कर शायद उसे भी महसूस हुआ कि ऊपर सुहागरात की तैयारी हो रही है.
आखिर रात के 11 बजे वो लम्हा आया जब मौसा ने मेरा घूंघट उठाया. मैं दुल्हन सजी बैठी थी. मौसा दूल्हे बने थे. मेरी ओढ़नी को उतारा तो मेरी पलकें झुक गयीं और होंठ कांपने लगे. पता नहीं आज क्यों मुझे मौसा से डर सा लग रहा था. इससे पहले मैं खुद ही उनके लंड को हाथ में पकड़ लेती थी.
मुझे लेकर वो बेड पर लेट गये और मेरी चूचियों को कपड़े के ऊपर से ही किस करके मेरे सीने से लिपट गये. मैंने भी अपनी बांहों में उनको घेर लिया. फिर वो उठे और मेरे होंठों के करीब अपने होंठों को ले आये. उनकी सांसें मुझे अपनी सांसों में मिलती हुई लगने लगीं.
उनके गर्म होंठ मेरे होंठों पर धरे गये तो मेरी जवानी जैसे खिल उठी. मैंने उनको अपनी बांहों में कस लिया और दोनों एक दूसरे से लिपटते हुए मुंह की लार का आदान प्रदान करने लगे.
देखते ही देखते दोनों के बदन पर अंडरगार्मेंट्स के सिवाय कुछ नहीं बचा. मैंने लाल रंग की जालीदार ब्रा और पैंटी का सेट पहना था. मौसा का सफेद अंडरवियर जो जांघों तक को ढके था, उसमें उनका 9 इंची लौड़ा इतना भयानक रूप ले चुका था कि मेरे बदन से पसीना छूटने लगा था.
बार बार झटके लेता हुआ लिंग मेरी चूत में सिरहन पैदा कर रहा था. सोच रही थी कि इसको चूत में लूंगी कैसे, कहीं जान न निकल जाये. मगर अब तो मोर्चा संभालने के लिए सिवाय कोई चारा नहीं था.
मौसा ने मेरी ब्रा को खोल दिया और मेरी अनछुई चूचियां पहली बार किसी अधेड़ उम्र के पुरूष के सामने तन कर खड़ी हो गयीं. ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने हवा भर दी हो उनमें और वो ऊपर निकल जाना चाहती हों.
जब मौसा के होंठ मेरे कड़े निप्पलों पर लगे तो मैंने उनके मुंह को अपनी चूचियों पर दबा लिया और उनको लेकर लेट गयी. वो मेरी चूचियों को पीने लगे और मेरी जांघें आपस में रगड़ खाने लगीं. मेरे निप्पलों पर सांप की तरह रेंगती उनकी जीभ मेरे पूरे बदन में करंट पैदा करने लगी.
बदन का पारा एकदम से चढ़ गया और लगा कि सेक्स का ज्वर आ गया है. अब इस आग को मिलन का ठंडा ठंडा पानी शांत कर सकता था. मौसा ने मेरी पैंटी की ओर हाथ बढ़ाये तो मैंने जांघों सिकोड़ लीं मगर उन्होंने अपने हाथों से मुझे पकड़ लिया. फिर अपने दांतों से पैंटी की इलास्टिक खींचने लगे.
मेरी वैक्स की गयी चिकनी चूत से पर्दा उठने लगा और वो कोमल सी कुंवारी कच्ची कली जिसमें बीच में एक छोटा सा चीरा लगा था वो मौसा के सामने बेपर्दा हो गयी.
मौसा के अंदर का शैतान उस नन्हीं जान को देख कर मुस्करा रहा था. मुझे डर लग रहा था. आज की ये जंग काफी खौफनाक होने वाली थी. मौसा ने मेरी चूत में जीभ दे दी और आवेश में आकर उसको जोर जोर से खींचते हुए काटने लगे.
मैंने बेडशीट को नोंचना शुरू कर दिया. अपने चूचों को छेड़ते हुए मैं उस आनंद के ज्वार को बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी. पांच मिनट के अंदर ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
अब बारी सील टूटने की थी. मगर उससे पहले मौसा ने अपने अंडरवियर को उतार कर मेरे होंठों के करीब लंड को कर दिया. इशारा साफ था. लंड को मेरे मुंह में देना चाहते थे.
आज मौसा को पूरा नंगा देख कर मुझे सच में डर लग रहा था. सोच रही थी कि इतने भारी भरकम इन्सान के मूसल लंड को मौसी झेल कैसे लेती है.
मैंने डरते हुए उनके लंड को मुंह में लिया और चूसने लगी. मौसा ने एक धक्का दिया तो मेरी सांस अटक गयी. खांसी आने लगी. चेहरा लाल होते देख कर लंड को वापस खींच लिया उसने.
बोले- अभी नई खिलाड़ी हो, तुमसे न होगा.
ये मेरे लिये खुली चुनौती के जैसे था. मैंने उनके लंड को हाथ में पकड़ा और जोर जोर से चूसने लगी. कभी पूरे टोपे पर जीभ फिराने लगी तो कभी पूरे लंड को मुंह में ले जाती. मौसा आसमान की सैर करने लगे. मेरे बालों को सहलाते हुए लंड चुसवाने लगे.
पांच मिनट के बाद उनके सब्र ने जवाब दे दिया और उन्होंने मेरी टांगों को खोल कर अपने लंड के टोपे पर थोड़ा सा थूक मल कर मेरी चूत पर सटा दिया. मेरी धड़कन तेज हो गयी और मैंने आंखें बंद कर लीं. मैं समझ नहीं पा रही थी कि अपनी कामयाबी की खुशी मनाऊं या इस लंड के नीचे खुद ही फंसने की बेवकूफी का अफसोस करूं.
मगर अब तो पीछे नहीं हटा जा सकता था. पहला धक्का लगा तो मौसा की ताकत का ट्रेलर मिल गया. लंड मोटा और चूत छोटी. पहली बार में दर्द करने के बाद भी लंड फिसल गया.
दोबारा लंड को चूत पर लगाया गया और मौसा ने मेरी चूचियों पर मुंह रख दिया और पीने लगे. मेरा ध्यान मेरी चूत से हट गया और मैं चूचियां पिलाने के आनंद में खो गयी. अपने नाखूनों से मौसा की पीठ को खरोंचने लगी. मौसा का लंड मेरी चूत में लगा हुआ था. ऐसा मजा मिल रहा था कि क्या बताऊं. इस पल का इंतजार कितने महीने किया था मैंने.
फिर अगले ही पल मौसा ने एक जोरदार धक्का दे दिया और मेरी चूत के छोटे मुंह को फाड़ कर टोपा अंदर फंस गया. मैं तिलमिला उठी लेकिन मौसा का भारी शरीर मुझे दबाये हुए था. तड़प कर रह गयी. दूसरे धक्के में ऐसा लगा कि आंखों के सामने अंधेरा हो रहा है.
मौसा ने मेरे गाल पर थपथपाया और मुझे होश में रखने की कोशिश की. दर्द बर्दाश्त के बाहर था. आंखों से पानी बह चला. फिर भी मौसा को थामे रही. वो मंझे हुए खिलाड़ी थे. जानते थे कि उनके लंड के नीचे मेरी चूत की क्या हालत होनी थी.
फिर कुछ देर सहलाने के बाद दर्द थोड़ा कम हुआ और मौसा ने फिर से धक्का दिया. इस बार आधे से ज्यादा लंड चूत में जा फंसा और मैंने पूरी ताकत लगा कर चीख मारी. शायद नीचे लेक्चरर को भी पता लग गया होगा कि मेरी चूत की सील टूट रही है. मेरी आंखें बाहर आ गयी. बुरी तरह छटपटाने लगी.
अब वापस लौटने का कोई रास्ता नहीं था सिवाय दर्द को बर्दाश्त कर जाने के अलावा. पांच मिनट तक मौसा मेरे होंठों को चूसते रहे. मेरे बदन को सहलाते और दुलारते रहे ताकि मेरी चूत का दर्द कम हो. जब थोड़ा आराम मिला तो चूत में लंड की गति होती हुई महसूस हुई.
धीरे धीरे मौसा के लंड का जादू अब असर दिखाने लगा. मेरी कुंवारी चूत मुझे औरत बनाने के लिए कमर कस चुकी थी. अब वो लंड को बर्दाश्त करने लगी. कुछ ही देर में मैं मौसा को अपने ऊपर खींचने लगी थी. मेरी गांड नीचे से उठ उठ कर और अंदर तक लंड को आने का न्यौता देने लगी थी.
मौसा का इंजन भी स्पीड पकड़ चुका था. मेरी चूत को वो परम सुख मिलने लगा जिसके सपने मैंने इतने महीनों से देखे थे. मैं मौसा के होंठों को बेतहाशा काटने और चूमने लगी. उनकी गांड को दबाने लगी.
उनका लंड मेरी चूत में अभी भी दीवारों को छीलता हुआ महसूस हो रहा था. फिर भी उनके लंड का आनंद इतना ज्यादा था कि हर तरह का दर्द बर्दाश्त हो रहा था. उसके कुछ देर बाद आनंद में मेरी आंखें बंद होने लगीं. मौसा जी कुत्ते की तरह मेरी चूत को चोदने लगे.
मैं किसी अलग ही दुनिया में पहुंच गयी जहां पर एक नशा ही नशा था. इतना आनंद मिलता है संभोग में, मैं पहली बार इसका मजा लूट रही थी. फिर एक लहर उठी और मेरा बदन अकड़ गया. मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया. मगर मौसा अभी भी नहीं रुके.
वो लगातार मेरी चूत को रौंद रहे थे. अगले पांच मिनट तक उन्होंने पूरी ताकत के साथ मेरी चूत को रगड़ा और फिर उनके गर्म गर्म लंड से निकलने वाला लावा मुझे मेरी चूत में लगता हुआ महसूस हुआ. उस गर्म लावा से मेरी घायल हो चुकी चूत को सुकून सा मिलने लगा.
मौसा मेरे ऊपर लेट कर हांफने लगे और मैंने उनको बांहों में भर कर चूम लिया. आज मैं एक लड़की से औरत बन गयी थी. मुझे लगा ही नहीं कि मैं किसी बूढ़े आदमी के साथ बिस्तर में हूं. मैं दावे के साथ कह सकती थी कि अच्छा खासा नौजवान भी उस वक्त मौसा का मुकाबला नहीं कर सकता था.
उस रात हमने पूरी रात चुदाई की. मैं मौसा की दीवानी हो गयी. मुझे यकीन हो गया कि मौसा को अपनी चूत सौंप कर मैंने रत्ती भर भी गलती नहीं की है. मेरी चूत के ताले के लिए मौसा के लंड से अच्छी चाबी और कोई हो ही नहीं सकती थी.
अगले दिन दोपहर को मौसा उठे और दूध लेने के लिए नीचे गये. मगर बाहर से गेट का ताला लगा हुआ था. शायद लेक्चरार कॉलेज में चली गयी थी. फिर उसी की रसोई में से चाय बना कर मौसा ले आये. दो घंटे के अंदर फिर हम नहा धोकर तैयार हो गये.
अब हमें भूख लगी हुई थी और इन्तजार लेक्चरार का ही कर रहे थे. कुछ ही देर में ताला खुलने की आवाज आयी. मौसा जी ने मैडम को नीचे जाकर बताया कि किस तरह जरूरत के कारण उन्हीं के किचन से दूध लेकर हमने चाय बनाई. फिर उनकी 8 साल की बेटी भी स्कूल से आ गयी.
मौसा उनको बोल कर आ गये कि हम बाहर नाश्ता करने के लिए जा रहे हैं. फिर लेक्चरार कहने लगी कि आपको बाहर जाने की जरूरत नहीं है. मैं आपका नाश्ता तैयार करके ऊपर ही ले आती हूं.
कुछ देर के बाद वो नाश्ता लेकर ऊपर आ गयी. हम दोनों के साथ बातें करने लगी और घुल मिल गयी.
जाते हुए वो बोली- अगर आपको ऐतराज न हो तो शाम को एक छोटी सी पार्टी मेरे यहां करते हैं, जिसमें ड्रिंक का भी इंतजाम होगा.
मौसा बोले- जरूर. हमें भी खुशी होगी.
फिर वो शरमा कर नीचे चली गयी. मौसा मंद मंद मुस्काने लगे.
मैंने पूछा- क्यों मुस्करा रहे हो?
मौसा बोले- इसकी चूत को भी शायद कुछ चाहिए है. इसलिए ये हमसे इतनी क्लोज हो रही है.
मैंने कहा- मगर एक साथ दो दो चूत, नहीं मौसा, मजा नहीं आयेगा.
मौसा बोले- पगली तू चिंता मत कर. मैं सब संभाल लूंगा.
उसके बाद मौसा नीचे चले गये. उनकी बेटी को कुछ पैसे देकर मौसा ने उसको बाजार में भेज दिया. मौसा अब खुले तौर पर बात करने लगे.
बोले- मैडम आपके पति से तलाक हुए कितना समय हो गया है आपको?
वो बोली- अभी 8 महीने हो गये हैं. केस लगा रखा है. रात में मैं ऊपर जाकर चुपके से सब कुछ देख रही थी. आप दोनों काफी मशगूल थे. काश आपके जैसा पति मुझे भी मिल जाता.
ये बोल कर उसने मौसा जी को खुला ऑफर दे दिया.
मौसा भी तपाक से बोले- तो फिर देर किस बात की है साहिबा, आप आज तैयार होकर रहना. आपकी इच्छा पूरी करना मेरा फर्ज है.
तभी मौसा ने जेब से एक गोली निकाल कर उनको दी और बोले- ये नींद की गोली है. एक घंटे पहले से ही इसको खिला देना ताकि पार्टी में कोई व्यवधान न हो. फिर आप ऊपर आ जाना.
कहकर मौसा ने शरारती स्माइल दे दी.
वो बोली- ठीक है, मैं खाने की तैयारी पहले से कर लूंगी और केवल चपाती बनाने का काम रह जायेगा.
मौसा वहां से आ गये.
रात आठ बजे वो लेक्चरार नई नवेली दुल्हन की तरह तैयार होकर वाइन की बोतल और उसके साथ गिलास, नमकीन, आइस लेकर ऊपर आ गयी.
हम तीनों साथ में बैठ कर पीने लगे. एक घंटे तक पीने की पार्टी चली और फिर हम तीनों नीचे आ गये. उसके बाद हमने साथ में डिनर किया और फिर वापस से ऊपर चले गये.
तीनों को ही नशा था और सब ये सोच रहे थे कि पहल कौन करे. लेक्चरार की चूत कुछ ज्यादा ही दिनों से प्यासी थी. उसने मौसा का हाथ पकड़ लिया और अपनी कमर पर रखवा कर अपने हाथ से दबाते हुए कमर को सहलाने लगी.
मौसा भी शुरूआत ही चाह रहे थे. उन्होंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी पैंट के ऊपर अपने लंड पर रखवा दिया और मैडम ने मौसा का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया. वो उनके लंड को सहलाते हुए उसका साइज मापने लगी.
सहलाने के कारण मौसा का लंड देखते ही देखते अपने आकार में आ गया और उन्होंने अपनी पैंट खोल दी. अंडरवियर को तंबू बनाये हुए उनका लंड फनफना रहा था. मौसा ने मैडम को अपने घुटनों में नीचे बैठा लिया और उसके मुंह के सामने अपना अंडरवियर उतार दिया.
लंड देखकर मैडम के मुंह में पानी आने लगा और उसने बिना अगले आदेश की प्रतीक्षा किये मौसा के लंड को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. वो इतने आनंद से उसको चूस रही थी जैसे कभी उसने लंड देखा ही न हो. इतना प्यार तो मैंने भी कभी मौसा के लंड से नहीं किया था.
मौसा ने मुझे भी नीचे बैठने का इशारा किया. मैं मना करने लगी लेकिन उन्होंने रिक्वेस्ट की तो मैं मान गयी. मैडम के साथ मुझे अजीब लग रहा था. मैं भी उनके घुटनों में आकर बैठ गयी.
मैडम के मुंह से मौसा ने लंड निकाल लिया और मेरे मुंह में दे दिया. अब एक बार मैडम लंड को मुंह में ले रही थी और एक बार मैं. बारी बारी से हम दोनों मौसा का लंड चूसने लगीं.
फिर उन्होंने हमें आपस में किस करने के लिए कहा. मैंने कभी इसके बारे में सोचा नहीं था. हां मगर सेक्स वीडियो में लेस्बियन कपल का सेक्स देखा हुआ था इसलिए अन्जान भी नहीं थी.
मैं मैडम के होंठों को चूसने लगी. उसके मुंह से मौसा के लंड की गंध आ रही थी. मुझे कुछ अच्छा भी लग रहा था और थोड़ा अजीब भी. मेरे हाथ अपने आप ही फिर मैडम की चूचियों पर पहुंच गये. वो भी मेरे कपड़े खोलने लगी.
हम दोनों औरतों ने एक दूसरे को नंगी कर दिया. इतने में मौसा ने भी अपने कपड़े उतार दिये और वो भी नंगे हो चुके थे. हम दोनों को लेकर वो बेड पर आ गये.
मौसा ने मैडम को नीचे लेटाया और उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को चूसने लगे. फिर उसकी चूचियों को पीने लगे. उसके बाद उन्होंने मुझे मैडम के मुंह पर चूत रगड़ने के लिए कहा. मैंने वैसा ही किया.
नीचे से मौसा ने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. अब ऊपर से मैडम मेरी चूत को चाट रही थी और नीचे से मौसा उसकी चूत को चाट रहे थे. जब जब मौसा की जीभ मैडम की चूत में जाती थी तब तब वो मेरी चूत को भी जोर से चूसती थी. मैं तो पागल होने लगी. मौसा पूरे खिलाड़ी थे.
कुछ देर तक चूतों को चूसने का सिलसिला जारी रहा. उसके बाद मौसा ने अपना लंड मैडम की चूत में सेट कर दिया और मुझे उसकी चूचियां दबाने को कहा. मौसा ने उसकी टांगों को पकड़ लिया और उसकी चूत में लंड पेल दिया. मैडम की चीख निकल गयी.
मगर मैंने उसके होंठों से होंठ सटा दिये. वो मेरी चूत को उंगली से कुरेदने लगी. अब मौसा ने मैडम की चुदाई शुरू कर दी. कुछ ही देर में मैडम की चूत लंड के आनंद में बह गयी. चूत ने बेडशीट पर पानी पानी कर दिया.
फिर वो एक तरफ हो गयी और मौसा ने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर कर लिया और खुद नीचे लेट गये. उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत पर सेट किया और मुझे बैठने के लिए कहा. मैं अपनी चूत को फैला कर मौसा के लंड पर बैठ गयी. आह्ह … मजा आ गया. मैं लंड पर कूदने लगी.
तेजी के साथ मैं मौसा का लंड चूत में लेने लगी. उधर मौसा मैडम के चूतड़ों को चाटने लगे. मैडम भी उठ उठ कर अपनी गांड को मौसा के मुंह पर रगड़ रही थी. मेरे मुंह से मस्त सिसकारी निकलने लगी- आह्ह मौसा .. ओह्ह … वाह्ह … ओह्ह … याह्ह .. स्स्… आह्ह … हाय.
पांच मिनट के बाद जब मैं थकने लगी तो मौसा ने मुझे घोड़ी बना लिया और पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया.
सामने मैडम लेट गई और मैं उसकी चूत को चूसने लगी और उसकी चूचियों को दबाने लगी. जैसे ही मौसा के धक्के मेरी चूत में लगते वैसे ही मेरी जीभ मैडम की चूत में अंदर बाहर हो जाती. इस तरह मौसा मेरी चूत को पेलने लगे और मैं मैडम की चूत को जीभ से चोदने लगी.
रात भर चुदाई चली और मौसा ने हम दोनों को सोने नहीं दिया. मौसा एक को खुश करके दूसरी के पास आ जाते और दूसरी को खुश करके पहली के पास.
सुबह जब सूर्योदय हुआ तो मैडम बोली- आप तो सच में ही असल मर्द हैं मौसा जी. वरना आजकल के लड़कों में इतना दम कहां कि एक साथ दो-दो चूतों को खुश कर सकें और वो भी पूरी पूरी रात. मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं.
वो बोले- हां कहिये.
मैडम- आप मुझे भी अपना बना लीजिये. अभी मेरी उम्र ही क्या है. मैं अब कहां ठोकरें खाती फिरूंगी.
मौसा बोले- आप नम्बर दे दीजिये. मैं सोच विचार करके आपसे इस बारे में बात करूंगा.
उसके बाद हम दोनों एक दिन के लिए यूनिवर्सिटी गए. वहां जाकर एडमिशन ले लिया. वहां बताया गया कि महीने में दो चार दिन अटेंडेंस लगानी होगी.
इस तरह हम भोपाल से अच्छे बहाने के साथ वापस घर आ गए. घर आने के बाद अब मुझे राहत मिल चुकी थी. अब सेक्स की बेसब्री खत्म हो चुकी थी. इतनी परिपक्वता आ गयी थी कि अब लड़की से नारी बन चुकी थी.
आज मौसा बाजार गए तो अनवान्टेड की गोलियां लाकर दे दीं. समय अनुसार लेकर निश्चिंत हो गयी. इस तरह हम दूसरे महीने का बेसब्री से इंतजार करने लगे. एक बार दो चार दिन के लिए गांव जाकर मैं मम्मी पापा से मिल आयी. पापा की हालत पहले से ज्यादा कमजोर हो गयी थी इसलिए समाचार सुनकर एक बार मिल आयी.
दूसरा महीना लगते ही हम मौसा संग फिर एक सप्ताह के लिए भोपाल गए. तीन चार दिन मस्ती लेने का सिलसिला चल पड़ा. इस तरह कब दो साल बीत गए पता भी नहीं चला मुझे.
मेरे प्यारे पाठको, आप को एक बात बतानी ही भूल गयी. हमने भोपाल की कोर्ट में शादी करके प्रमाण पत्र ले लिया था.