पुसी लिक हॉट स्टोरी मेरी मौसी की जवान बेटी की गर्म चूत चाट कर उसे मजा देने की है. एक बार उसने मुझे मुठ मारते देखा तो वो भी गर्म हो गयी.
नमस्कार, मेरा नाम सिद्धार्थ है. मैं एक सिविल इंजीनियर हूँ और पुणे महाराष्ट्र में रहता हूँ.
ये पुसी लिक हॉट स्टोरी करीब दस साल पुरानी है और आज भी याद करके बहुत अजीब सा लगता है.
उस समय मैं अपनी पढ़ाई के लिए पुणे गया था. मैं अपनी मौसी के पास पढ़ने के लिए एक साल तक रहा था.
उनके घर में मौसी, मौसा, उनके सास ससुर और मुझसे दो साल बड़ी मेरी बहन सुहानी रहती थी.
मेरा स्वभाव पहले से ही शांत और शर्मीला था इसलिए मौसी के घर आने के बाद मुझे सभी के साथ घुलने-मिलने में जरा वक्त लगा.
मौसी के घर में कोई और मेरी उम्र का नहीं था इसलिए मैं अकेला पड़ गया था और इसीलिए पढ़ाई में भी ज्यादा मन नहीं लगता था.
सुहानी दीदी तब मुझसे दो क्लास आगे थीं और दिखने में बहुत सुंदर थीं. उन पर जवानी झूम कर आई हुई थी.
कद में लंबी, चेहरा एकदम आलिया भट जैसा, लंबे मुलायम सुनहले बाल, एकदम गोरा रंग था.
उसके छोटे छोटे संतरे जैसे मम्मों का आकार भी उसकी उम्र की वजह से बढ़ने लगा था.
उसकी बड़ी और मांसल जांघें इतनी मस्त थी कि मेरा मन मचलने लगता था.
पहले मैं इतना गंदा नहीं सोचता था लेकिन उसके साथ ज़्यादा समय बिताने के बाद मैं भी बहकने लगा था.
एक दिन मैं बहुत मूड में आकर बाथरूम में मुठ मार रहा था.
सुहानी दीदी मुझसे पहले ही नहा कर गयी थीं.
मुठ मारते मारते मेरी नजर उसकी उतरी हुई सूखी ब्रा पर चली गयी.
तब मैंने उसे सूंघते सूंघते मुठ मारी.
उस समय ऐसा लग रहा था जैसे मैं सुहानी के मम्मों को ही सूंघ रहा हूँ.
उसके पसीने की खुशबू मुझे पागल करने लगी थी.
मुझे उस दिन मुठ मारने में बड़ा मजा आया था और उसी दिन से ये मेरा रोज का नियम हो गया था.
उसके बाथरूम से निकलने के बाद मैं अन्दर घुस जाता था और उसकी उतरी हुई ब्रा के साथ उसकी पैंटी को भी सूंघना चाटना शुरू कर दिया था.
मुझे उस सबमें एक अलग ही आनन्द मिलता था.
मैं ब्रा को और पैंटी को लंड पर भी रगड़ता था. उसके ब्रा से पसीने की नमकीन महक मुझे बड़ी कामुक लगती थी.
अब मैं सुहानी दीदी की चूत के लिए पागल होने लगा था.
पर मुझे यह भी अहसास था कि हम दोनों भाई बहन हैं. ये सब ग़लत हो रहा है.
पर क्या करता, मैं भी जवान हो रहा था. मेरे लंड की बढ़ती साइज को मैं महसूस कर रहा था.
सुहानी जब कॉलेज से आती, तो उसके पसीने की खुशबू मुझे पागल कर देती.
मैं उसके उतरे कपड़ों में नाक घुसेड़ कर लंबी लंबी सांसें लेकर मज़े लेता था.
अब मेरी अन्तर्वासना शान्त बैठने वाली नहीं थी.
मेरी सेक्स की भूख बढ़ने लगी थी.
एक दिन घर में कोई नहीं था. सब शादी में गए थे.
सुहानी दीदी भी कॉलेज गयी थी.
उस समय मेरा पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था इसलिए टीवी चला कर मैं हॉट एक्ट्रेस के गाने देख कर मुठ मार रहा था.
मेरी इतनी गंदी हवस हो गई थी कि मैं अपने लंड पर तेल लगा कर हिला रहा था.
उसी समय दीदी घर के पास आ गई.
मैं मुठ मारने में इतना मदहोश हो गया था कि मैं खिड़की का पर्दा बंद करना भूल गया था.
सुहानी दीदी को खिड़की से मेरी सारी करतूत दिख गयी, पर मुझे उसकी खबर नहीं थी.
थोड़ी देर बाद उसने घंटी बजाई, मैंने एकदम से होश में आकर जल्दी जल्दी से अपने लंड को पैंट के अन्दर डाला और घबराते हुए दरवाजा खोला.
दीदी का चेहरा मुझे कुछ अलग सा लग रहा था, वो पूरी लाल हो गई थी.
शायद मेरी करतूत ने उसको भी कुछ कर दिया था.
सुहानी ने जानबूझ कर पूछा- ये नीचे तेल की बॉटल क्यों रखी है?
मैंने घबरा गया और किसी तरह बोला कि मैं कमर पर तेल लगा रहा था.
उसने मुझ पर आंखें तरेरते हुए पूछा- रियली!
ये पूछ कर वो जरा हंस दी.
मैंने उसके मुस्कान देखी तो मुझे जरा साहस आया और मैंने हां में सिर हिला दिया.
उस वक्त भी मेरा लंड बहुत हार्ड था जो पैंट में से बाहर उभर कर साफ़ मालूम हो रहा था.
वो नजर झुका कर लंड को देख रही थी.
मुझे समझ में आ गया कि इसे मेरे लंड के खड़े होने का अहसास हो गया है.
वो हंस कर मजाक जरूर कर रही थी लेकिन उसकी आवाज कांप सी रही थी और जुबान सूख सी गई थी.
शायद वो भी वासना से बहकने लगी थी.
मैं अपने रूम में चला गया और खुद को गालियां देने लगा.
उधर सुहानी दीदी नहाने चली गयी.
फिर मेरा दिमाग चलना शुरू हुआ और मैंने सोचा कि घर में कोई नहीं है, इसका कुछ फायदा उठाया जाए.
मैं प्लान बनाने लगा.
सुहानी दीदी ने अभी अपने कपड़े नहीं उतारे थे.
मुझे लगा वो नहा रही होगी.
मैं बाथरूम के दरवाजे के बाहर खड़ा हो गया और अन्दर झांकने के लिए किसी छेद की तलाश करने लगा.
उसी समय मेरा हाथ दरवाजे से लगा और दरवाजा खुल गया. उसने अन्दर से दरवाजे की सिटकनी नहीं लगाई थी.
मैंने देखा कि अन्दर सुहानी दीदी बहुत गुस्से में आ गई थी.
उसे समझ में आया था कि मैं उसे नंगी देखने के लिए आया हूँ.
वो वैसे ही अपने रूम में चली गयी.
अब मैं बहुत डर गया था. मुझे लगा अब बहुत बड़ा पंगा हो जाएगा.
मैं रोने लगा और दीदी से माफी मांगने लगा.
वो अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोल रही थी.
थोड़ी देर बाद उसने दरवाजा खोल कर मुझे कमरे में बुलाया.
मैंने अन्दर जाकर रोते हुए सुहानी दीदी से माफी मांगना शुरू कर दिया और अपने सारे कारनामे उसके सामने बताने लगा.
वो सब सुनकर और ज्यादा लाल हो गयी थी.
मगर ये लालिमा गुस्से की नहीं … उसकी भड़क चुकी वासना की थी.
उसी वक्त उसने मुझे जोर से हग कर लिया.
मुझे समझ नहीं आया कि ये क्या हो रहा है.
सुहानी दीदी ने कहा- आज जो होगा वो किसी को पता नहीं चलना चाहिए.
मैंने पूछा कि क्या होने वाला है?
उसने मुझे किस करने को कहा.
मैं समझ गया कि अब सुहानी दीदी भी वासना से भर गयी है.
सबसे पहले मैंने उसके गाल पर चूमा, फिर उसके नमकीन होंठों को चूसने लगा.
वो भी मुझे चूस रही थी और होंठों को चबा सा रही थी.
मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.
उसका बदन पहले से ही पसीने से गीला हो गया था.
मुझे उसकी कामुक खुशबू और ज्यादा उकसा रही थी.
मैंने उसके गले को चूमना शुरू कर दिया … और उसका गला चाटने लगा. उसका नमकीन गला मुझे बहुत कामुक बना रहा था.
उसके गले को और कान को काटते हुए मैंने सुहानी दीदी को एकदम गर्म कर दिया था.
सुहानी दीदी आंखें बंद करके ‘श्ह इस्ह हम्म अम्म आह इश …’ की आवाजें निकाल रही थी.
उसकी ये कामुक आवाजें मेरी वासना की आग में घी का काम कर रही थीं.
मैं सुहानी दीदी के मम्मों पर अपनी नाक रगड़ रहा था और दांतों से काट रहा था.
वो मादक सिसकारियां भर रही थी.
घर में कोई नहीं होने के कारण वो बहुत जोर जोर से आवाजें निकाल रही थी.
मैंने अपनी शर्ट निकाल दी और सुहानी दीदी की ड्रेस निकालने लगा.
उसे किस करते करते मैंने उसके सारे कपड़े कब उतर दिए, समझ नहीं आया.
अब मेरे सामने वो ब्रा और पैंटी में थी. उसकी गोरी चूचियां पसीने से चमक रही थीं.
उसकी ब्रा इतनी झीनी थी कि उसमें से चुचे और ब्राउन कलर के नुकीले निपल्स साफ दिख रहे थे.
मैंने उसको अपने पास खींच लिया और उसकी चूचियों पर अपना मुँह रख कर जीभ से चाटने लगा; उसकी छाती पर मुँह रगड़ने लगा.
वो बिना परवाह किए लगातार सिसकार रही थी और मेरे बाल पकड़ कर साबुन की तरह छाती पर मल रही थी.
मेरे लिए सब पहली बार का मामला था तो मैं लगभग पगला गया था.
मैंने उसके मम्मों को ऊपर से मसलना शुरू कर दिया. वो आंख बंद करके अपने मम्मों को मिंजवाने का मजा ले रही थी.
मैं ब्रा के ऊपर से ही अपने मुँह में उसके चुचे लेकर आम की तरह चूसने लगा.
सुहानी दीदी अब और पागल होकर ‘अहं आह उहह यस्स …’ की आवाज़ें निकालने लगी थी.
मैंने उसकी ब्रा से एक चूची बाहर निकाल ली और उसके निप्पल पर अपनी जीभ नुकीली करके फेरने लगा.
वो तड़प रही थी- आंह सिड … प्लीज़ आह बस अब मुझसे कंट्रोल नहीं होगा. बस कर!
दीदी ऐसे बोल रही थी तो मुझे और मजा आने लगा.
उसके खट्टे नमकीन निपल्स और दोनों मम्मों को मैं आम की तरह निचोड़ कर चूस रहा था.
यह हम दोनों का पहली बार का मामला था पर मैं एक अनुभवी चोदू की तरह उसको गर्म कर रहा था.
मैंने उसके दोनों मम्मों को पूरा चूस चूस कर और काट कर लाल कर दिया था.
फिर मैंने उसकी नाभि का रुख किया.
पहले मैंने अपने होंठों को गोल करके नाभि में फूँक मारी.
वो सिहर उठी.
तभी मैंने अपनी तलवार सी धार वाली जीभ उसके नाभि में डाल दी.
वो थरथर कांपने लगी.
सूखे गले से वो बोलने लगी- ऑश सिड प्लीज़ जल्दी करो … मुझे बहुत खुजली हो रही है वहां. प्लीज वहां कुछ तो डालो … मैं तड़प रही हूँ आह.
मैंने नीचे पैंटी पर देखा तो वो थोड़ी सी गीली हो गई थी. उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.
उसकी बॉडी बहुत गर्म हो गई थी और वो बेहद कांप रही थी.
दीदी कंपकंपाती हुई आवाज से मुझे बहका रही थी.
मेरी बड़ी बहन मुझसे चुदने वाली थी.
मेरा लंड अपनी औकात में आकर फुंफकार मार रहा था और अंडरवियर लंड से फूल गयी थी.
मेरे लंड की धकधक ऊपर से दिख रही थी.
मैंने अपनी अंडरवियर निकाल दी.
तब वो भी डर गयी थी कि इतना मोटा और लंबा लंड अन्दर कैसे जाएगा.
हम दोनों को वही डर था, पर हवस में कुछ नहीं समझ रहा था.
मैंने मेरा मुँह उसकी गीली पैंटी पर टिकाया और उसकी चूत की खुशबू सूंघने लगा.
वो भी मदहोश हो गयी थी.
सुहानी दीदी अपनी दूसरी जांघ से मेरा मुँह और अन्दर दबा रही थी और खुद अपनी पैंटी मेरे मुँह पर रगड़ रही थी.
मैंने उसके पैंटी पर उंगली से चूत की दरार में दबाया.
‘आह श्ह पागल …’ वो जोर से चिल्लाई.
मैं अब बेड पर लेट गया था. वो मेरे लंड को छूकर और दबा कर बार बार देख रही थी. साथ ही मेरे आंड भी दबा रही थी.
उसे मेरे लंड के साथ खेलने में मजा आ रहा था, पर डर भी लग रहा था.
बेड पर आने के बाद मैंने सुहानी को अपने मुँह पर बैठने को कहा.
वो मेरी हर बात मान रही थी और मैं उसकी.
मैं नीचे से उसकी पैंटी को नाक से और होंठों से रगड़ रहा था और वो भी अपनी चूत जोर लगा कर मेरे मुँह पर रगड़ रही थी.
सुहानी दीदी पूरी लाल और पसीने से भीग गयी थी.
‘सीईड अहहुछ आहं श्ह यस्स … चूस लो.’
उसकी ऐसी आवाज़ें कमरे में गूंज रही थीं.
वो मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपने मम्मों पर रख कर मुझे अपनी चूत और गांड को रगड़ रही थी.
अब मैंने उसको अपने लंड की तरफ मुँह करके बिठाया और उसकी पैंटी नीचे खींच कर उसकी गोरी गांड में नाक घुसेड़ दी.
वो मेरे लंड और आंड से खेलने लगी.
मैंने उसके चूतड़ों को अपनी तरफ खींच कर उसकी गांड के छेद को और गीली नाज़ुक नर्म चूत को चाटना शुरू कर दिया.
सुहानी- आह उंह आह अहहश् श्ह आई चाट ले … आह!
वो खुद भी मेरा लंड एकदम आइसक्रीम की तरह चूस रही थी.
कुछ देर बाद मैंने उसे उठाया.
अब हम दोनों एक दूसरे को सामने से चूमने चाटने लगे.
मैंने उसकी चूत पर उंगलियां रगड़ना शुरू कर दीं और उसके नुकीले निप्पल को दांत में भर कर दबा दिया.
सुहानी दीदी मेरा हाथ पकड़ कर बोली- आह नो प्लीज़ मत कर सिड आह मम्मी से उश्ह मर गयी … आह श हम्म!
वो मादक आवाजें जोर जोर से निकालने लगी.
मैं फिर भी मैंने बिना रुके दीदी की चूत पर और चूत में उंगली से हमला करता रहा.
उसकी चूत सच में आइसक्रीम सॉफ्टी की तरह मुलायम और गुलाब जैसी नर्म लग रही थी.
मैं उंगली करता और निकाल कर उसकी चूत के मक्खन से सनी उंगली चाट लेता.
मैंने उसे बेड पर पटक कर उसकी पूरी पैंटी निकाल दी.
वो संगमरमर की मूर्ति लग रही थी.
उसकी टांगों को चूमते चूमते मैंने उसके निप्पलों को मसलना और चाटना शुरू कर दिया.
बाद में उसकी चूत में अपनी बीच वाली उंगली डाल दी तो वो दर्द से चीखी.
वो मुझे गाली देने लगी- उई साले कमीने मार दिया हरामी ने.
सच में दीदी की चूत बहुत टाइट थी.
मैंने उसकी चूत का दाना पकड़ लिया. वो और भी ज्यादा तड़फ उठी.
वो इतनी बुरी हालत में आ गई थी कि ऐसा लग रहा था कि वो बहुत दूर से भाग कर आई हो.
सुहानी दीदी पूरी पसीने से तरबदार लाल हो गई थी और उसकी आंखों से आंसू आने लगे थे.
वो रोती हुई बोली- आआह ऐइ आह आ श मम्मी श्ह साले चोद डाल मुझे … मैं मर जाऊंगी प्लीज़ छोड़ दे मुझे सिड आह श्ह.
मैं जैसे ही उसके दाने को टच करता, तो उसको करंट सा लगता.
मैंने अब उसकी चूत पर अपनी नाक रगड़ना शुरू कर दिया और अपनी दीदी की चूत का मक्खन चखने लगा.
आह … सच में वो मक्खन दुनिया का सबसे अच्छा और मस्त मक्खन था.
मैंने उंगली लगातार करनी चालू रखी और मेरी बहन अपनी चरम सीमा तक पहुंच गयी.
पुसी लिक से सुहानी दीदी बहुत कांप रही थी और मुझे लगातार गालियां दे रही थी.
वो मुझे नाख़ून मार रही थी.
उसके बाद दीदी की चूत से फव्वारा उड़ गया. उसका माल मेरे मुँह पर आ लगा. मेरा सारा मुँह गीला हो गया.
दीदी की चूत पानी एकदम सफेद मक्खन की तरह निकला था.
मैंने वो पूरा चाट कर साफ़ कर दिया.
दीदी झड़ चुकी थी और निढाल होकर लेटी थी उसकी सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं.
मैं उसके साथ किसी मलाई चाट चुके कुत्ते की तरह लिपटा पड़ा था और उसकी चूत को चाट रहा था.
दोस्तो, इस घटना को लिखते समय मेरा लंड एकदम से कड़क हो गया है. मैं फिलहाल अपनी बहन की चुदाई की कहानी को यही विराम दे रहा हूँ.