दोस्तो, इस कहानी के पहले भाग मौसेरी बहिन ने सेक्स का पाठ पढ़ाया-1 को आप सब ने बहुत पसंद किया। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। मुझे उम्मीद है की कहानी का यह भाग भी आप सब को पसंद आएगा. इसी उम्मीद से मैं आप लोगों को उसी कहानी के आगे का हिस्सा सुनाने जा रहा हूँ. कृपया इस बार भी आप सब उतना ही प्यार देंगे, ऐसी मैं अपेक्षा करता हूँ.
इससे पहले मैं इस सेक्स कहानी को लिखूँ, आप सभी को इसके पहले भाग से रूबरू करा देता हूँ.
मेरी मौसी की लड़की शादीशुदा थी और हम दोनों ही अपनी तीसरी मौसी के घर पर आए हुए थे. जब हम दोनों वहां पहुंचे, तो उसी दौरान मेरे मौसा और मौसी को नाना के घर जाना पड़ा. जिस वजह से हम दोनों उनके घर में मौज मस्ती कर रहे थे. हमारी एक चुदाई हो चुकी थी और आज दूसरे दिन का खेल शुरू होने वाला था.
अब आगे मजा लीजिएगा:
उस दिन जब हम खाना खाकर उठे, तो मैंने दीदी से पूछा- क्या आपने कभी जीजू के अलावा किसी और को अपनी चूत के मजे दिए हैं?
दीदी बोलीं- अगर तुझे ये जानना ही है कि मैंने जीजू के अलावा किसी और का लंड ठंडा किया है या नहीं … तो आज तू मुझे ऐसे चोद कर दिखा कि आज मैं जन्नत के भी ऊपर चली जाऊं.
मैं दीदी की चुदाई की कहानी को जानने के लिए बहुत ही उत्सुक था. उनकी बात सुनकर मैंने झट से सब कुछ समेट लिया और तैयार होकर मेडिकल शॉप के लिए निकल गया. ये दुकान मौसी के घर से थोड़ी ही दूरी पर है, वहां जाकर मैं कंडोम के पैकेट लेकर आ गया. मुझे आज दीदी की वो चुदाई करनी थी, जिससे वो पागल होकर मुझे अपनी जिन्दगी के मजेदार चुदाई के किस्से सुना दें.
कंडोम के पैकेट मैंने जेब में रखे हुए थे. मैं मस्त और कामुक सोच में डूबा हुआ मौसी के घर में अन्दर आ गया. मैंने घर के सारे दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दिए और झट से बेडरूम में आ गया. उधर दीदी थीं. मैंने दीदी को अपने बाहुपाश में भर लिया और उनके होंठों पर ज़ोर से चुंबन धर दिया.
दीदी समझ गईं कि चुदाई का खेल शुरू होने वाला है. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दीं.
मैंने दीदी से कहा- चलो आज हम मौसी के कमरे में जाकर सेक्स करेंगे.
जैसा कि मैंने आपको पिछली कहानी में बताया था कि मेरी इन मौसी के कोई बच्चे नहीं थे. जिस वजह से मुझे विश्वास था कि वो पक्का सेक्स के खूब मज़े लेती होंगी.
हम दोनों मौसी के कमरे में जाने के लिए उठ गए. मैंने दीदी को गोद में उठा लिया और बेड की तरफ जाकर उससे बेड पर पटक दिया. दीदी को बिस्तर पर लिटाने के बाद मैंने मौसी के कमरे में बनी अलमारी की तलाशी लेना शुरू कर दिया.
मुझे उस अलमारी में से एक बिकनी मिली, जो काफ़ी सेक्सी दिख रही थी. मैंने बिकनी हाथ में झुलाते हुए दीदी को दिखाई और आंख दबा दी.
दीदी भी हंस दीं.
मैंने दीदी को वो बिकनी पहनने को कहा. दीदी ने मेरे हाथ से बिकनी ली और बाथरूम की तरफ बढ़ गईं.
मैंने कहा- अब मुझसे क्या पर्दा है, यहीं पहन लो ना.
दीदी बोलीं- फिर बिकनी ही क्यों पहना रहे हो? सीधे नंगी ही होने को बोल दो ना … अरे बिकनी का ग्लैमर देखना है, तो जरा सब्र करो.
मैं मान गया और दीदी बाथरूम में चली गईं. उनको बाहर आने में कुछ समय लगा. मैं बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक देने लगा.
मैं- क्या हुआ … बिकनी पहनने में देर क्यों लग रही है?
दीदी ने सिर्फ हंस कर कहा- जरा सब्र रखो यार … पूरा मजा लेना है या आधा?
मैंने कहा- पूरा मजा लेना भी है और देना भी है दीदी. आप बस जल्दी से बाहर आ जाओ.
लेकिन दीदी ने अपना पूरा टाइम लिया और करीब दस मिनट बाद दीदी बाथरूम से बाहर आ गईं.
मेरी दीदी ने बिकनी पहनी हुई थी … वो एकदम अप्सरा सी लग रही थीं. उनके मम्मे उस बिकनी से पूरी तरह से ढक ही नहीं पा रहे थे. आप यूं समझो कि उनके दो तिहाई दूध साफ़ साफ़ नजर आ रहे थे. एक पतली सी डोरी से बिकनी उनके कंधों पर टिकी हुई थी. बिकनी ने दीदी की कमर का हिस्सा पूरा खुला छोड़ा हुआ था.
नीचे चूत के पास एक त्रिभुज जैसा कपड़ा दीदी की चूत को ढके हुए था. और चूत के निचले हिस्से से एक पतली पट्टी उनकी गांड के छेद को ढके हुए पीछे पीठ से ऊपर चली गई थी. ऊपर जाकर ये डोर कंधों के पास दो हिस्सों में बंट कर उनकी चूचियों की तरफ से आती हुई डोरियों से से सम्बद्ध हो गई थी. मतलब पीठ और दीदी के दोनों चूतड़ एकदम अनावृत थे.
चिकनी देह वाली दीदी इस वक्त एक बहुत ही मादक कामुक दिखने वाली पोर्न एक्ट्रेस लग रही थीं.
मैं बस मन्त्रमुग्ध सा दीदी को देखता ही रह गया और मेरे मुँह से सिर्फ ‘वाओ … क्या माल लग रही हो..’ निकल सका.
दीदी ने मुझे एक आंख मारी, तो मुझे मानो जैसे कोई झटका सा लगा हो. उसी समय दीदी ने हंसी बिखेरी, तो मैं दीदी पर झपट पड़ा.
दीदी पीछे हटते हुए बोलीं- अरे क्या खा जाने का विचार है … आज तो तुम बड़े ही फॉर्म में दिख रहे हो … क्या बात है मेरे छोटे शेर?
मैंने कहा- दीदी, आज आपको जन्नत से भी ऊपर का मजा दिलाना है … तो फॉर्म में होना ज़रूरी है.
इतना बोल कर मैंने दीदी को दबोच लिया और उनके होंठों को बेतहाशा चूमने लगा.
दीदी ने हंस कर मेरे होंठों को ज़ोर से जकड़ लिया और मुझे किस करने में पूरा सहयोग करने लगीं. मैंने दीदी को बिस्तर पर धक्का दे दिया और दीदी पर चढ़ गया. दीदी ने अपनी बाँहें फैला कर मुझे अपने आगोश में भर लिया और मेरे प्यार को अपने प्यार से रंगने लगीं.
मैंने दीदी को चूमते हुए कहा- अगर आप जन्नत के उस पार जाना चाहती हो, तो आज हम ब्लाइंड सेक्स करेंगे.
दीदी बोलीं- ब्लाइंड सेक्स? ये क्या होता है?
मैंने कहा- ब्लाइंड सेक्स मतलब हम दोनों एक दूसरे की आंखों पर पट्टी बाँध कर सेक्स का मज़ा लेंगे.
दीदी को यह वाला स्टाइल कुछ अलग लगा, तो उन्होंने झट से हां करके अपना सिर हिला दिया. उन्होंने मेरे लंड को सहलाते हुए कहा- ठीक है … आज हम अँधा प्यार करेंगे.
मैंने अलमारी से दो कपड़े निकाले और पहले दीदी की आंख पर पट्टी बाँध दी.
उसके बाद दीदी ने कहा- मुझे कैसे मालूम पड़ेगा कि तुमने पट्टी बाँधी है या नहीं.
मैंने कहा- तुम टटोल कर देख लेना.
दीदी हंस दीं और बोलीं- हाँ अब सब कुछ टटोल कर ही करना पड़ेगा, तुम्हारा लंड भी सिर्फ टटोल कर ही घुसवाना पड़ेगा.
मैंने भी हंसते हुए अपनी आंख पर पट्टी बाँध ली.
हम दोनों की आंखों पर पट्टी बंध चुकी थी और मैंने दीदी से बेड से हिलने के लिए मना किया था.
दीदी ने हाँ बोल कर सहमति दे दी थी.
फिर मैंने दीदी के पैरों से शुरू होते हुए अपनी जीभ उनके पैरों से रगड़ते हुए ऊपर की बढ़ना शुरू किया. मुझे सिर्फ अहसास मात्र से ही रोमांच हो रहा था और कमोवेश यही स्थिति दीदी की भी थी.
मेरे इस तरह से चुबंन करने की वजह से दीदी को मानो करेंट लग रहा था. वो आज अलग ही आवाज़ में सिसकारियां भर रही थीं.
मैं दीदी के पैरों से ऊपर जाते वक़्त उनकी चूत के रास्ते से होकर गया, जिस वजह से दीदी और भी गर्म हो गई थीं. मैंने दीदी चूत पर एक मिनट का विश्राम लिया और दाने को छेड़ता हुआ ऊपर बढ़ गया. मैं ऊपर नाभि पर पहुंचा, फिर पेट को चूमा, जिससे दीदी को एक बड़ी थरथराहट सी हुई, जो मुझे साफ़ समझ आ रही थी.
जब मैंने उनके स्तनों के नीचे के हिस्से पर जीभ की नोक को घुमाया, तो दीदी एकदम से मचल उठीं.
मैं धीरे धीरे दोनों स्तनों के निचले हिस्से को जीभ से चाटता रहा. दीदी का हाथ मेरे सर पर आ गया था और उनके हाथ में एक दबाव सा था, जो मुझे उनकी चूचियों पर लाने के लिए महसूस हो रहा था. मैं ऊपर चल दिया. अब दीदी के मम्मे मेरी मंजिल थे. अपनी मंजिल के रास्ते पर जीभ को ले गया. जैसे ही मैं दीदी के एक स्तन के निप्पल के करीब आया.
दीदी ने मेरा सर खींचते हुए मुझे अपने निप्पल पर रख दिया. मैंने दीदी के निप्पल को अपने होंठों के बीच में दबा लिया और प्यार से चुसकने लगा. मैंने जी भरके अपनी प्यास बुझाई. दीदी के मम्मों से थोड़ा सा जो दूध निकल रहा था. वो मैंने पी लिया और मेरी सवारी आगे निकल पड़ी. अब दीदी के होंठों के पास मेरा गंतव्य था. जहां हम दोनों ने काफ़ी मज़े किए.
दीदी ने ऐसा पहले कभी नहीं किया था. इस वजह से आज दीदी काफ़ी गर्म हो गई थीं. हम दोनों काफ़ी देर एक दूसरे को चूमते रहे. दीदी का अपने आप पर से काबू छूट रहा था. उन्होंने मेरा लंड ज़ोर से अपने हाथों में पकड़ कर अपनी चूत की तरफ मोड़ लिया. लेकिन मैं आज कुछ अलग मूड में था.
मैंने दीदी से कहा- आज मैं आपको बिना कंडोम के चोदूंगा.
उन्होंने मचलते हुए कहा- साले हरामी … आज तुझे जो करना है, वो कर … लेकिन जल्दी चोद … कंडोम पहना है, तो पहन या ना पहन … पर मेरी खुजली मिटा दे.
अब मैं दीदी की चूत पर लंड रख कर रगड़ रहा था. उनकी चूत एकदम रबड़ी सी लिसलिसी हो रही थी. चूत का चिकनापन देख कर मैं समझ गया कि दीदी को बाथरूम में देर क्यों लगी थी.
मैंने पूछा- अच्छा … झांटें साफ़ करने में देर लग रही थी.
दीदी हंसते हुए बोलीं- हां … बिकनी के बगल से झांटें दिखतीं, तो क्या मजा आता.
अब मैंने भी सोचा कि क्यों ना आज अपनी इस हॉट दीदी को इससे भी ज्यादा तड़पाया जाए. मैंने लंड हटा दिया और उनकी चिकनी चूत पर अपनी जीभ रख दी.
दीदी को मजा आने लगा और वो पैर पसार कर चूत उठा कर मुझसे चटवाने का मजा लेने लगीं.
मैंने 69 की पोजीशन में आकर अपना लंड दीदी के मुँह में ठूंस दिया … जिससे वो बहुत गर्म हो गई थीं. दीदी की चुदास इतनी अधिक बढ़ गई थी कि कुछ ही देर में उनको जीभ की जगह लंड की दरकार होने लगी. मैंने उनकी चूत को जीभ से चाटना जारी रखा. इससे दीदी एकदम से भड़क गईं और उन्होंने लंड चूसते चूसते मुझे काट लिया, जिससे मेरी चीख निकल गई.
कुछ देर उसी पोजीशन में रहने के बाद मैंने दीदी को कुतिया बना दिया और पीछे से अपना लंड दीदी की फुद्दी पर घुमाने लगा.
दीदी बेहद मचल रही थीं और अपनी गांड को मेरे लंड पर मार रही थीं. मैंने एक ज़ोर का झटका दे दिया, जिस वजह से एक ही झटके में मेरा पूरा का पूरा लंड दीदी की चूत की गहराई तक चला गया.
दीदी की आह निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
धकापेल चुदाई का मंजर सिर्फ अहसास के जरिये महसूस होने लगा.
मैंने कुछ देर तक दीदी के दूध दबाते हुए उनकी जबरदस्त चुदाई की. फिर आसन बदला.
हमने उस दिन कई सेक्स पोजीशनों में चुदाई की. जिसमें कुछ का नाम लिख रहा हूँ … आप इन सेक्स पोजीशनों के बारे में मेल करके डिटेल ले सकते हैं.
१) फोल्डेड डेक सेक्स पोजीशन
२) डॉगी सेक्स पोजीशन
३) लव फ्रॉम बैक साइड
४) 69 पोजीशन
५) मिशनरी पोजीशन
६) दीवार के अगेंस्ट
ये सारी पोज़िशनें हमने ट्राई कीं. जिसमें दीदी काफ़ी बार झड़ गई थीं. मैं भी दो बार दीदी के अन्दर ही झड़ गया था.
दीदी ने मुझे चौथे राउंड में मुझे बताया कि मैंने तेरे जीजू के अलावा अब तक तीन लंड लिए हैं, जिसमें मुझे तुझसे चुदने में बहुत मजा आया है.
मैंने कारण पूछा, तो दीदी ने कहा- तेरे लंड में जान है और दूसरी बात मैं तुझसे एकदम से खुली हुई हूँ. बाकी के जो दो और मुझे चोद कर गए हैं, उनसे मेरा कोई बहुत अधिक परिचय नहीं था. जिस वजह से सिर्फ चुदाई हुई और मैं झड़ कर शांत हो गई थी.
मैं उनकी इस बात से पूरी तरह से सहमत था कि चुदाई सिर्फ लंड चूत की नहीं होती हैं. दो दिलों का मिलन भी चुदाई के रस को बढ़ाता है.
हमने सुबह चार बजे तक चार बार सेक्स किया. उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहन लिए और हम दोनों मौसी के कमरे से निकल कर अपने कमरे में जाकर सो गए.
सुबह मौसी आईं … तब तक हम दोनों उठ गए थे. अब रोज सोते वक़्त हम दोनों सेक्स करने लगे थे. आज भी जब मैं उससे राखी बंधवाने जाता हूँ, तो हम दोनों सेक्स ज़रूर करते हैं.
आपको मेरी ये दीदी के साथ चुदाई की स्टोरी कैसी लगी, मुझे लिख कर ज़रूर बताएं.
मेरी मेल आईडी है [email protected]