यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
← मौसी के नखरों को चोदकर किया ठीक-1
→ मौसी के नखरों को चोदकर किया ठीक-3
अभी तक आपने पढ़ा कि मैं मौसी को पटाने की कोशिश कर रहा था और शादी में जगह की कमी के कारण मौसी को मेरी बगल में ही सोना पड़ा. मैं इस मौके को भुनाना चाहता था.
अब आगे:
मैंने अपना हाथ मौसी के ऊपर रख तो दिया, पर अन्दर से डर भी लग रहा था कि कहीं मौसी फिर से मेरा हाथ और पैर हटा ना दें. पर थोड़ी देर तक मौसी ने कुछ नहीं किया, जिससे मुझे लगने लगा कि शायद मेरा काम आज बन जाएगा, पर ये भी ख्याल आया कि कहीं मौसी सो तो नहीं गयी हैं. अगर मौसी सच में सो गई होंगी. तो मेहनत बेकार चली जाएगी.
मैं अभी इन्हीं ख्यालों में खोया ही था, इतने में मौसी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया. मुझे लगा कि अब मौसी फिर से मेरा हाथ हटा देंगी. पर ऐसा हुआ नहीं. मौसी ने मेरा हाथ हटाया नहीं बल्कि धीरे धीरे मेरे हाथ को सहलाने लगीं. पहले तो मुझे समझ में ही नहीं आया कि क्या ये सच में मेरे साथ हो रहा है या मैं सपना देख रहा हूँ.
कन्फर्म करने के लिए मैंने अपना हाथ थोड़ा अपनी तरफ खींच लिया, जिससे मेरा हाथ ठीक मौसी के चुचे पर आ गया. मैंने आंखें तो बंद की ही थीं. पर मुझे ऐसा लगा जैसे मौसी ने मेरी तरफ देखा. अब मैं कन्फर्म हो गया था कि मौसी जाग ही रही थीं.
मैंने फिर से अपना हाथ आगे पीछे किया. मेरे हाथ पर मौसी का हाथ होने की वजह से मेरे हाथ का दबाव उनके चुचे पर पड़ रहा था.
अचानक मौसी मेरे हाथ को अपने चुचे पर दबाने लगीं. थोड़ी ही देर में मौसी के निप्पल कड़क हो गए, तब लगा कि यही मौसी की वासना जगाने का सही वक्त है.
मैं अपनी एक उंगली मौसी के चुचे के निप्पल के चारों तरफ घुमाने लगा. मेरी इस हरकत से मौसी ने अपना हाथ हटा लिया और मेरी तरफ देखा. मैं उनकी तरफ देख कर मुस्कुरा दिया. मौसी ने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया. मौसी को भी समझ में आ गया कि मैं जाग रहा हूँ. मौसी ने चेहरा भले ही दूसरी तरफ कर लिया, पर मेरा हाथ अपने चुचे पर से हटाया नहीं था, जो कि मेरे लिए आगे बढ़ने का संकेत था.
मैं तो कब से इसी संकेत के इंतजार में था कि कब मौका मिले और आज जब ये मौका मिला है तो मैं चूकता कैसे?
अब मैंने अपनी मुट्ठी में मौसी के चुचे को पूरा भर लिया. मौसी के चुचे बड़े थे, जो मेरी मुट्ठी में समा नहीं रहा था, फिर भी जितना ज्यादा हो सकता था. मैं उनके चुचे को पकड़ कर दबाने और मसलने लगा. कुछ देर तक तो मौसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और मैं उनके चूचों पर लगा रहा और बारी बारी से दोनों चूचों को और जोर से दबाने और मसलने लगा.
मेरे इस रवैये से मौसी ने एक बार फिर मेरी तरफ देखा और हल्के से मुस्कुरा दीं. जवाब में मैं भी मुस्कुरा दिया. उसके बाद मैं अपना हाथ उनके ब्लाउज में डालने की कोशिश करने लगा, पर ब्लाउज के बटन बंद होने के कारण मेरा हाथ अन्दर नहीं जा पा रहा था. एक दो बार मैंने कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली. मैं खीझ कर मौसी के मम्मे को और जोर से मसलने और दबाने लगा जिससे शायद मौसी को दर्द होने लगा. मौसी ने मेरे हाथ पर हल्की सी चपत लगाते हुए मेरा हाथ हटा दिया. फिर खुद ही अपने ब्लाउज के बटन्स खोलने लगीं और जल्दी ही 2-3 बटन्स खोल कर अपना हाथ हटा लिया.
अब मेरी बारी थी.
मैंने अपना हाथ मौसी के ब्लाउज में डाल कर उनके चूची को मुट्ठी में भर लिया और उससे खेलने लगा, कभी चूची को दबा देता तो कभी मसल देता और बीच बीच में निप्पल को भी मसल देता. अब धीरे धीरे मौसी सिसकारी लेने लगीं. मौसी के निप्पल कड़क होने लगे. इसी बीच मैंने अपने घुटने को, जो मौसी के चूत के ठीक ऊपर था, उनकी चूत पर घिसने लगा.
मैं मौसी के दोनों चुचियों पर बारी बारी से लगा रहा, जिस वजह मौसी की सिसकारियां धीरे धीरे बढ़ने लगीं. सच कहूँ, तो मैं तो यही चाहता था. पर डर भी लग रहा था कि कहीं कोई जाग न जाए. अब जो भी हो, हिम्मत तो करनी ही थी मुझे, यही सोच कर मैं लगा रहा.
थोड़ी देर तक मौसी को चुचियों को दबाने और मसलने के बाद मैंने अपना हाथ मौसी के चूत के पर रख दिया और साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत सहलाने लगा.
फिर मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर उनकी साड़ी ऊपर करना चाहा, तो मौसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी तरफ देखकर इंकार में अपना सर हिलाया. मैंने भी अपना हाथ ढीला छोड़ दिया. मौसी ने मेरा हाथ अपने पेट पर रख दिया, मैं भी मौसी का इशारा समझ गया. थोड़ी देर मौसी का पेट सहलाने के बाद मैंने अपना हाथ नीचे की तरफ सरकाया, मौसी ने भी अपनी सांसें खींच कर पेट दबा लिया, जिससे मेरा हाथ आसानी से मौसी की चूत पर पहुंच गया.
आहा हाहा … मौसी की चूत पर छोटे छोटे बाल थे, शायद मौसी ने 8-10 दिन पहले ही अपनी झांटों को साफ किया होगा. उनकी चूत एकदम गीली हो चुकी थी और चूत के पानी की वजह से झांटें भी भीग चुकी थीं.
जैसे ही मेरा हाथ मौसी की चूत पर पड़ा, मौसी की सिसकारी निकल गयी. मैं मौसी के चूत के दाने को अपनी एक उंगली से धीरे धीरे मसलने लगा. मौसी की सिसकारियां फिर से बढ़ने लगीं. बीच बीच में कभी मैं अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाल देता, तो कभी अपनी पहली उंगली और तीसरी उंगली के सहारे चूत के दोनों फांकों को फैला कर छेद और दाने के ठीक बीच के एरिया को बड़ी उंगली से मसलता, रगड़ता. मेरी इन सब हरकतों की वजह से मौसी की हालत खराब होने लगी, मतलब उनका खुद को कंट्रोल कर पाना मुश्किल हो रहा था. फिर भी मैं लगा रहा.
करीब 5-7 मिनट की मेहनत के बाद मौसी ने एकाएक मेरा हाथ अपनी चूत पर दबा कर पकड़ लिया और एक धीमी आह के साथ उनकी चूत बह गयी. उनकी चूत का पूरा पानी मेरे हाथ और उनकी झांटों पर लग गया. उस समय मौसी की सांसें तेज चल रही थीं. मौसी ने अपनी आंखें बंद की हुई थीं और वे सांसों को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थीं. मैं भी चुपचाप बिना कोई हरकत किये उन्हें ही देख रहा था.
थोड़ी देर बाद मौसी ने मेरा हाथ अपने चूत से हटा दिया और साड़ी के ऊपर से ही अपने पेटीकोट से अपनी चूत साफ करने लगीं. फिर अपने दोनों हाथ ऊपर करके एक लंबी सांस ली और मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दीं. मैं तो अभी भी उन्हें लालसा भरी नज़रों से देख रहा था कि उनका तो काम मैंने कर दिया, अब वो मेरा भी करें. पर उनको तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था.
कुछ टाइम इंतजार करने के बाद जब मौसी ने कुछ नहीं किया, तो मैंने फिर से एक बार उनके चूचों को पकड़ लिया और दबाने लगा. कुछ ही पल बीते कि मौसी ने मेरा हाथ हटा दिया और मेरी तरफ देख कर फुसफुसा कर बोलीं- यहां ये सब करना ठीक नहीं होगा, कभी भी कोई भी जाग गया, तो प्रॉब्लम हो जाएगी.
मैं- आपका तो हो गया … पर मेरा?
यह कहते हुए मैंने मौसी के हाथ को पकड़ पर अपने लंड पर रख दिया, जो काफी टाइम से अकड़ा हुआ था.
मौसी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगीं, जिससे मेरा लंड फुंफकारने लगा, जो मौसी भी महसूस कर रही थीं. थोड़ी देर तक मौसी ऐसे ही पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड सहलाती रहीं. मैं समझ गया कि मौसी खुद से कुछ नहीं करने वाली हैं, मुझे ही पहल करनी पड़ेगी.
यही सोच कर मैंने मौसी का हाथ अपने लंड पर से हटा दिया और अपने पैंट की ज़िप खोलकर अपना लंड बाहर निकाल दिया. अब मैंने फिर से मौसी का हाथ पकड़ पर अपना लंड उनके हाथ में पकड़ा दिया. मौसी मेरे लंड को अपने पूरी मुट्ठी में पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगीं. इधर मौसी के गर्म गर्म हाथों का स्पर्श पाते ही मेरे लंड महाराज और अकड़ने लगे.
मौसी वैसे ही मेरे लंड को ऊपर नीचे करती रहीं और बीच बीच में इधर उधर भी देख लेतीं कि कहीं कोई हमें देख तो नहीं रहा.
थोड़ी ही देर में मुझे लगने लगा कि अब मेरा कभी भी निकल सकता है और ये बात मैंने मौसी को भी बता दिया. मेरे बोलते ही मौसी ने अपना हाथ हटा लिया और अपने साड़ी में पौंछने लगीं.
मैंने मौसी की तरफ देखते हुए और अपना मुँह बनाते हुए कहा- मेरा नहीं हुआ अभी तक.
मौसी ने उठते हुए इशारा किया- रुको आती हूँ.
ये इशारा करके मौसी पता नहीं कहा चली गईं. मुझे लगा शायद मौसी पेशाब करने गयी होंगी और मैं उनके आने का इंतजार करने लगा.
करीब 10-12 मिनट बाद मौसी आईं और बिना कुछ बोले ही मेरी बगल में लेट गईं. मैं भले ही मौसी के साथ इतना कुछ कर चुका था, फिर भी मेरे मन में हिचक थी कि कहीं मौसी मेरी किसी हरकत का बुरा न मान जाएं और मेरा बना हुआ काम बिगड़ जाए. फिर भी हिम्मत करके मैंने एक बार फिर उनके चुचे पर अपना हाथ रख दिया.
मौसी मेरी तरफ देखकर फिर से मुस्कुराईं और मेरे कान की तरफ अपना मुँह करते हुए धीरे से बोलीं- अभी मेरे जाने के 10 मिनट बाद पीछे वाले कमरे में जहां कबाड़ रखते हैं.. वहां पर आ जाना.
इतना बोल कर मौसी धीरे से उठ कर चली गईं.
दोस्तो, आप को बताना चाहूंगा कि हम जिस रिश्तेदार के यहां शादी में गए थे, उनका थोड़ी ही दूर पर एक छोटा सा और घर था, जिसमें वो लोग फालतू सामान और प्रयोग में ना कि जाने वाली चीजें रखते थे. मौसी मुझे वहीं आने को बोल रही थीं.
अब तो मुझे यकीन हो गया कि आज मुझे मौसी की चूत तो मिल कर ही रहेगी.
पर मुझे 10 मिनट बाद निकलना था और मुझे वो 10 मिनट 10 घंटा लग रहे थे.. पर क्या कर सकता था.
इधर मौसी की चूत मिलने की सोच मात्र से पैंट में हलचल होने लगी. मेरे लंड महाराज अकड़ने लगे.
बड़ी मुश्किल से 10 मिनट बीते और मैंने भी एक बार बगल में सोए लोगों पर नज़र दौड़ाई. सब मस्त घोड़े बेच कर सो रहे थे. मैं धीरे से उठा और मौसी की बताई जगह पर पहुंचने के लिए निकल गया.
मुश्किल से 2-3 मिनट का रास्ता था पर वो 2-3 मिनट भी भारी लग रहा था.
जैसे ही मैं उस घर के थोड़ा करीब पहुँचा, मौसी ठीक दरवाजे पर खड़ी दिख गईं. वे मेरे आने का इंतजार कर रही थीं. मुझे देखते ही भाग कर आने का इशारा किया और मैं भी भागते हुए पहुंच गया. मेरे पहुंचते ही मौसी ने मुझे अन्दर जाने का इशारा किया और खुद इधर उधर देखकर चैक करने लगीं कि किसी ने हमें देखा तो नहीं है. मैं तो अन्दर पहुंच चुका था, पर मौसी अभी भी दरवाजे पर ही खड़ी थीं. जब उन्हें यकीन हो गया कि किसी ने हमें देखा नहीं है, तब वो भी अन्दर आ गईं और दरवाजे को अन्दर से बंद कर दिया.
दोस्तो, उस घर को घर तो नहीं कह सकते, एक कमरा कहना ही ठीक होगा.. क्योंकि उस कमरे में ठीक से बैठने भर की भी जगह नहीं थी. उस कमरे में पहले से ही काफी सामान भरा पड़ा था. मैं यही सोच रहा था कि यहां कैसे मौसी की चुदाई हो पाएगी?
मैंने मौसी की तरफ देखकर इशारे में ही पूछा- यहां कैसे?
मौसी ने वहीं पड़ी एक मेज़ की तरफ इशारा किया जिस पर कुछ सामान पड़ा था.
मैं भी समझ गया कि आज मौसी की चुदाई मेज़ पर ही करनी पड़ेगी और शायद मौसी भी यही चाहती हैं.
मौसी का इशारा पाते ही मैंने मेज़ पर रखे सामानों को धीरे धीरे उस पर से हटा दिया और मेज़ के आस पास पड़े चीजों को भी हटा कर थोड़ी जगह बना ली.
जगह बनाकर जैसे ही मैं फ्री हुआ, तुरंत मौसी से लिपट गया और मौसी को किस करने लगा, थोड़ी ही देर बाद मौसी मुझे दूर करते हुए कहने लगीं- इतना टाइम नहीं है, जो करना है जल्दी करो और अपनी जगह पर पहुँचो.
मैं भी समय की नजाकत को समझ रहा था और पैंट में खड़े खड़े मेरे लंड की हालत भी खराब हो रही थी. मैंने भी देर करना ठीक नहीं समझा और मौसी को मैंने मेज़ पर बैठने का इशारा किया.
मौसी भी जैसे इसी बात की इंतजार में थीं और मेरा इशारा पाते ही तुरंत मेरी तरफ मुँह करके मेज़ पर बैठ गईं. मौसी ने खुद ही अपनी साड़ी को अपनी कमर तक उठा लिया और मेरी ओर देखने लगीं. मैं भी समझ रहा था कि मौसी क्या चाहती हैं, पर मुझे मौसी की चुत चाटना था इसलिए मैं अपने घुटनों पर बैठ गया. मैंने मौसी की साड़ी के किनारे से ही मौसी की चूत को साफ किया और अपना मुँह मौसी की चूत पर लगा दिया.
मेरे मुँह का स्पर्श चूत पर पड़ते ही मौसी के मुँह से ‘इस्सस..’ निकल गया. मौसी मेरे बाल पकड़ कर मुझे हटाते हुए कहने लगीं- सोनू, इतना टाइम नहीं है, ये सब फिर कभी करना … अभी अपना काम खत्म करो और निकलो यहां से.
मैं- वही तो कर रहा हूँ … आपकी चूत को गीला करना पड़ेगा ना.
मौसी- वो गीली है, तुम बस डालो.
मैंने मौसी की बात को इग्नोर किया और फिर से मौसी की चूत चाटने लगा. इस बार मैंने अपनी चीभ को नुकीला करके चूत के फांकों में 2-3 बार ऊपर नीचे किया, जिससे मौसी खुद को संभाल नहीं पाईं और अपना हाथ मेरे सर से हटाकर अपनी कमर के पीछे मेज़ पर रख दिया. अब वो 135 डिग्री के कोण के आकार में हो गयी थीं. मैंने मौसी की दोनों टांगों को थोड़ा और फैलाया और फिर से मौसी की चूत पर अपनी जीभ चलाने लगा. मौसी की इस्सस अब सिसकारियों में बदल गयी.
मुझे अभी 3-4 मिनट ही हुए होंगे मौसी की चूत चाटते हुए, इतने में मौसी ने मेरा सर पकड़ कर मुझे अपनी चूत से दूर कर दिया और थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोलीं.
मौसी- सोनू टाइम पास मत कर, अगर कोई आ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगी, ये सब बाद में कभी आराम से करेंगे, अभी बस जल्दी अपना काम खत्म कर.
मौसी की बात सही थी, अगर कोई उधर आ जाता, तो सच में प्रॉब्लम हो जाती. अब तो मौसी खुद ही बोल रही थीं कि बाकी सब बाद में करेंगे, जिसका मतलब साफ था कि अब आगे भी मुझे मौसी की चूत मिलती रहेगी. इसलिए अब मैं भी जल्दी करने में मूड में आ गया और तुरंत अपना पैंट और चड्डी नीचे करके लंड बाहर निकाल लिया.
नखरीली मौसी के चुदाई की कहानी जारी रहेगी.
कहानी के इस भाग से संबंधित अपने विचार आप मुझे मेरे मेल आई डी [email protected] पर भेज सकते हैं, मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा.