नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम नीरज है. मैं चार साल से अन्तर्वासना का पाठक हूँ। आज बहुत खुशी हो रही है कि पहली बार मैं अपनी मौसी की चुदाई की सेक्सी कहानी आपके सामने पेश करने जा रहा हूँ, इसलिए अगर गलती हो गई तो माफ कर देना। यह सेक्सी कहानी अभी पिछले साल की ही है, तब मैं महज 19 साल का था।
मैं पुणे के एक अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र हूँ। मैं बचपन में बहुत शर्मीला लड़का था। पिछले लगातार चार साल कसरत करने से अब मेरा जिस्म बिलकुल एक मंझे हुए पहलवान की तरह गठीला हो गया है। ऊपर से मेरे घुंगराले बाल मेरा पुरुषार्थ ब्यान कर रहे थे। मेरा 5’8″ का कद है और सिक्स पैक्स भी हैं। बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में बहुत होशियार था।
उस वक्त मैं पुणे में नया था और मुझे कॉलेज से दो दिन की छुट्टी मिली थी। नई जगह होने के कारण मैं बोर हो गया था इसलिए मैंने अपने घर फोन पे बताया कि मैं दो दिनों के लिये मौसी के घर जा रहा हूं। उनका घर भी पुणे के पास था लेकिन बहुत दिन से मैं उनसे मिला नहीं था। उन्हें फोन करके बोल दिया कि उनके घर आ रहा हूँ और लोकल बस से चल पड़ा।
लगभग एक घंटे के सफर के बाद मैं उनके घर पहुँच गया।
मेरे मौसी के बारे में आपको बता दूँ कि वो भी एक इंजीनियर हैं और उनके पति डॉक्टर है। मेरे मौसी की उमर उस वक़्त 33 साल की थी और उनका एक 5 साल का बच्चा भी था। उनके पति डॉक्टर होने के कारण हमेशा दूर के जिले में रहते और सप्ताह में बस एक दिन ही घर आ पाते.
तो जाहिर सी बात है कि मौसी उस वजह से हमेशा परेशान रहती थी।
खैर मैं उनके घर पहुँच गया। उस वक़्त उनके पति यानि मेरे मौसाजी घर में नहीं थे, सिर्फ उनका 5 साल का बच्चा था।
मौसी को देखते ही ऐसा लगा जैसे कोई अप्सरा स्वयं धरती पे प्रकट हुई हो और मेरे सामने अपनी बाँहें फैला कर अपने अंदर समा जाने का हुक्म कर रही हो। मैं उन्हें देख कर कुछ पल के लिए खो गया। फिर मुझे एहसास हुआ कि वो खुद मुझे अपने जिस्म से चिपका चुकी थी। उनकी उस जप्फी से तो मेरे जैसे नौजवान की कोई बरसों पुरानी मुराद पूरी हो गई हो।
यह मेरा पहला अहसास था किसी औरत को छूने का!
मानो उस पल जैसे क़ायनात रुक गई हो।
फिर मौसी मुझे होश में लाई और बोली- कहाँ खो गए?
मैं बोला- कुछ नहीं… बस ऐसे ही!
जिंदगी का यह अहसास पाकर मैं तो बस आसमान में उड़ गया था।
मेरी मौसी के जिस्म की कसावट शायद 34-30-34 के करीब होगी। बहुत तीखे नयन नक्श वाली एक आकर्षक औरत हैं मेरी मौसी!
फिर हमने इधर उधर की बातें की और टीवी देखने लगे। उसके बाद वो रसोई घर में गई और खाना पकाने लगी। मैं भी रसोई में गया और उनसे और बातें करने लगा।
मेरे मौसी ने लव मैरिज की थी तो उन्हें टोकते हुए उस बात का भी जिक्र किया। मैं उन्हें बार बार उनके रिश्ते के बारे में पूछ रहा था और वो भी हर बात का जवाब दे रही थी।
दस बजे हमने खाना खाया और टीवी देखने लगे। मौसी अपने बेटे को सुला कर आई।
फिर उन्होंने मुझे सोने को कहा और वो अपने बेडरूम में जाकर सो गई। आज पहली बार ऐसा हसीं हादसा होने के बाद मुझे नींद थोड़े ही आने वाली थी। मैं बार बार उस हसीन लम्हे को याद कर मन ही मन मुस्कुरा रहा था।
करीब एक घंटे बाद में पेशाब करने बाथरूम गया तो वहां मौसी का बैडरूम था तो मुझे मेरे मौसी के दर्शन हुए जो बिस्तर पर बिना किसी की परवाह किये बड़े आराम से अपने ही सपनों की दुनिया में मस्त थी। वो गहरी नींद में थी, उनके खुले बाल और टीशर्ट के ऊपर के उठान देख कर मैं पागल हो गया था। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ?
एक तरफ ‘औरत देवी के समान होती है.’ ऐसी परवरिश हुई मेरी और इधार मौसी का बदना देख मुझे कुछ कुछ हो रहा था मैं बिल्कुल पगला गया था।
दिल कह रहा था ऐसे मौके बार बार नहीं आते… तो दिमाग कह रहा था कि मैंने कुछ किया और मौसी को गुस्सा आया तो बदनामी हो जाएगी।
कुछ देर उसी संकोच में गुजरने के बात मैंने दिल की सुनी। मैं ठहरा एक नौजवान… भला वो ऐसे दृश्य देख कर मैं कैसे विचलित न होऊँ!
और कहते हैं ना कि ‘जिंदगी में कोई रिस्क ना लेना ही सबसे बड़ा रिस्क है.’
मैं दबे पैरों से धीरे धीरे आगे बढ़ा और अपने अंदर के डर को पूरी तरह से मार दिया, मौसी के स्तनों के ऊपर हाथ धीरे से लगाने लगा। वो बिल्कुल ही मुलायम थे और मेरे जिंदगी का यह पहला अनुभव था… बहुत सुकून मिल रहा था। मैं दोनों चुची अब लगभग मसल ही रहा था।
मेरा लंड खड़ा होने लगा था। अब शायद मौसी भी जाग गई थी। अब मुझे खुद पर नियंत्रण करना लगभग असंभव लग रहा था। मेरा लंड अब भट्टी में जलते हुए लोहे की तरह गर्म और ठन्डे लोहे की तरह कड़क हो गया था।
उसी वक़्त मौसी सिसकारने लगी।
यह मेरा पहली बार था लेकिन पोर्न फिल्म्स और अन्तर्वासना की वजह से मुझे काफी कुछ पता था। मैं देर न करते हुए उनके जिस्म के ऊपर आकर उनके गले को चूमने लगा, उनके कानों पर भी लव बाईट देने लगा, उनके होंठों को भी चूमने लगा।
मौसी थोड़ी देर मुझे हटाने की कोशिश करती रही लेकिन मैं पूरे जोश में था, पागलों की तरह उस पर टूट पड़ा। थोड़ी देर बाद मौसी भी मेरा साथ देने लगी, वो कहने लगी- तुम तो फोरप्ले में माहिर हो।
धीरे धीरे मैं मौसी के ज़िस्म से टीशर्ट हटाने लगा और नीचे की लेग्गिंस भी उतार डाली। उन्होंने मेरा टीशर्ट और मेरी शोर्ट तो लगभग फाड़ते हुए ही निकाल फेंके.
रेगिस्तान में मानो किसी बनजारे को पानी दिख गया हो… वैसे ही हम दोनों एक दूसरे को चूमे जा रहे थे।
मैं मौसी की चुची चूसने लगा और दूसरे हाथ से दबाने लगा। साथ में ही उनकी गर्दन चूम लेता तो कभी उनकी चूत में उंगली डालता।
लगभग 20 मिनट के फोरप्ले के बाद उनसे रहा नहीं गया और मौसी कहने लगी- अब शुरू हो जाओ। अब डाल भी दो लंड अपना!
लेकिन मुझे मौसी की चुदाई से पहले उन्हें और थोड़ी देर तरसाना था। मैं मौसी की चूत चाटने लगा। मैं ऐसे चूत चाट रहा था जैसे कोई बच्चा आइस क्रीम चूस रहा है।
कुछ देर बाद मौसी की चूत के ऊपर से अपना लंड रगड़ने लगा तो वो चिहुँक उठी। जैसे किसी इंसान को पानी के बगैर हाल होता है वैसा ही उनका हो रहा था।
फिर मैं धीरे धीरे दबाव बनाते हुए उनके चूत में लंड डालने लगा। आधा लंड घुसने के बाद एक जोर के झटके के साथ मेरा पूरा लंड उनकी चूत में उतार दिया मैंने।
उन्होंने प्यार भरी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकाली मुख से।
अब मैंने धीरे धीरे धक्के लगाना चालू कर दिया। मौसी की चूत किसी गर्म भट्टी की तरह तप रही थी। वो बोलने लगी- चोद दो अपनी मौसी को जोर जोर से।
मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा।
यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
हम मिशनरी की अवस्था में थे तो आप कल्पना कर सकते हो कि हमें कितना मजा आ रहा था। उनका पूरा जिस्म मेरी मजबूत बाहों में था। धक्के लगाते हुए मैं उनकी गर्दन को भी चूमे जा रहा था।
मौसी तो पूरी तरह से पागल होकर कुछ भी बड़बड़ा रही थी।
एक अँधेरी रात में जैसे दो पंछी प्रेमविहार में डूबे हों, वैसा नजारा था। आज पहली बार दिल को ऐसा सुकून मिल रहा था।
बाद में मैंने पोजीशन बदली, खुद एक कुर्सी पर बैठ कर उन्हें अपने लंड पर बिठा कर झटके मारने को बोला।
ऐसा लग रहा था यह पल बस यही थम जाए।
बादमें मुझे मेरे लंड में कुछ गर्म एहसास हुआ, मौसी ने अपना लावा छोड़ दिया था, अब वो निढाल हो गई और अपना जिस्म पूरी तरह से मेरे हवाले कर दिया।
कुछ देर झटके लगने के बाद मैंने भी मौसी की चूत में झड़ गया। वो मेरे बाहों में वैसे ही लेटी रही… कब उनकी बाहों में नींद आई पता ही नहीं चला।
सुबह जब मैं जागा तो मौसी बिस्तर पर नहीं थी, मेरे जिस्म पर चादर डाली हुई थी और मैं अभी भी नंगा ही लेटा हुआ था। उसके बाद मैंने उठकर कपड़े पहने और दांत साफ करके रसोई घर में गया तो मैंने देखा कि मेरी मौसी नाश्ता बना रही थी।
पता नहीं क्यों मैं मेरे मौसी से आंखें नहीं मिला पा रहा था और वो भी नहीं मिला रही थी।
हे भगवान… मैंने ना चाहते हुए भी क्षणिक मस्ती के लिए यह क्या कर दिया था?
ना ही उनकी मेरे से बात करने की हिम्मत हो रही थी और न ही मेरी!
इतना पुराना पाक रिश्ता मैंने मौसी की चुदाई करके एक रात में ही खराब कर दिया था। मुझे अब बहुत अफसोस हो रहा था, वो सब अंजाने में हो गया था। उस वक्त मैं खुद को ही कोस रहा था।
मैं उसी दिन अपने फ्लैट पे चला आया। उसके बाद मौसी और मेरे मिलने का योग ही नहीं आ पाया। इस बात को अब एक साल हो गया है लेकिन फिर भी वो बात याद आने पर दिल में तहलका मच जाता है। मुझे नहीं पता कि उस वक़्त मैंने सही किया या फिर गलत।
अब आप ही मुझे बताइए मैंने गलत किया या फिर सही?
अब पता नहीं फिर से मिलने के बाद मौसी मुझसे किस तरह से व्यव्हार करेंगी।
उम्मीद है, आपको मौसी की चुदाई की मेरी सेक्सी कहानी पसंद आई होगी, मुझे मेल करके बताएँ, मैं आपके हर ईमेल का जवाब दूंगा.
आपका अपना नीरज
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