एमबीए मतलब मास्टर आफ़ बैड आर्ट्स- गंदी हरकतों के विशेष जानकार. यह देसी सेक्स की कहानी सचमुच की है जो मेरे साथ हुई. उन दिनो मैं एमबीए मे पढा करता था. ह्मारे बैच में एक सपना ना म की लड़की थी जो पहाड़ी थी. वो कम बोलती थी और इसलिए लड़के उसकी हेल्प नही करते थे. मैंने उसे पटाने के बारे में सोचा क्योंकि उसकी नमकीन जवानी मुझे दीवानी कर चुकी थी. धीरे धीरे मैंने उसे पटा लिया और मुझे पता चला कि वह पहले से किसी लड़के को सीरियसली प्यार करती है. अब मेरा काम कठिन हो गया था. उन दिनों कालेज में सर्वे का काम मिला हुआ था.
हमारे ग्रुप में चार लड़के थे और दो लड़कियां. उन दो में से एक मेरी सपना थी और बाकि एक कर्तिका. सर्वे के लिए हमें लंबे टूर पर जाना था. हल्की ठंड थी. स्कार्पिओ गाड़ी कालेज की तरफ़ से मंगाई गई और हम सब बैठ गए. हम और सपना पीछे डिग्गी में बैठ गए और गाड़ी चल दी.
अन्धेरा होते ही ठंड लगने लगी और सपना ने अपनी चादर मुझे ओढा दी. मेरे लंड में सनसनी पहले से मची हुई थी. साम्ने वाली सीट पर एक लड़का अंमित बैठा हुआ था. इस लिए मैं संभल के कुछ कर रहा था. चादर के अंदर ही मैंने पूनम का हाथ पकड़ लिया वो बहुत गरम था और उसे मेरे ठँडे हाथ बहुत पसंद थे. उसने कुछ नही बोला तो मैंने उसका हाथ पकड़े पकड़े अपने लंड के उपर जीन्स पर ले आके रख दिया और उपर से दबाने लगा जिससे मेरे लंड को वह महसूस कर सके. वह दबा रही थी और मेरे लंड में खून का दबाव बढ़ता जा रहा था.
मैंने जीन्स खोली और लंड निकाल कर उसके हाथ में पकड़ा दिया. सामने वाला लड़का अब भी उंघ रहा था और वह जानता था कि वो मेरी माल है. सपना ने मेरा लंड पकड़ कर चादर के अंदर ही सहलाना शुरु कर दिया लेकिन बहुत सावधानी से जिससे कि आगे और सामने की सीट पर बैठे लड़के और लड़किया जान न सकें.
खैर सफ़र खत्म हुआ. हम सब वापस कालेज आए. अब मुझे उसे कालेज में ही चोदना था. कम्प्यूटर लैब उसके लिए सही जगह थी और मैंने सपना को बुलाया कुछ काम करने के बहाने से. शाम का वक्त था मैंने थोड़ी दारु भी पी रखी थी. वह अपना लैपी लेकर आयी और उसने लौंग स्कर्ट पहन रखी थी और उपर में ब्लू कलर की टाइट टी शर्ट्. मैं ने आज उसकी जवानी का मजा चख्ने का मूड बना लिया था.
वह आकर मेरे बगल वाली चेयर पर बैठ गई. उसकी सांसे पहले से गरम थीं. मैंने उसे फ़िर अपना लंड पकड़ा दिया जिसे उसने बेहिचक पकड़ लिआ और मूठ मारने लगी. मैं नीचे हाथ डालकर उसकी स्कर्ट में अपनी उंगलिया फ़िराने लगा. उसकी सांसे और तेज हो रही थी. फ़िर मैंने दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दी और उसके होठो को अपने होठो से जाम कर लिया. मैं चूत पर दबाव बढाता गया और वो मेरे होठ लगभग चबा जाने वाली थी.
उस्ने चूस कर खून निकाल दिया. वाकई वो गरम थी. अब मैंने उसकी टीशर्ट का गला नीचे खीच दिया और ब्रा खोल दी. उसकी गोरी गोरी गोल गोल दूधिया चूंचियां मेरे सामने थी मैने एक हाथ से चूत में उंगली करनी जारी रखी, दूसरे हाथ से निप्प्ल मसलना और मुंह से एक चूंचि चूसने लगा.
वह कह रही थी और चूसो और करो. मैं उंगली करता रहा और चूचिया चूसता रहा अचानक वह आह आह करके रुक गई शायद वह आर्गज्म पा चुकी थी. मैंने जब हाथ बाहर खीचा तो उसमें लसलसा सा गाढ़ा उजला पदार्थ लगा हुआ था जिससे तीखी खूश्बू आ रही थी. मैंने उस चखा तो वह नमकीन था. मैंने वह सपना के चूचो पर मल दिया.
अब मैने अपना लंड उसकी चूचियो पर रगड़ना शुरु कर दिया और वह नीचे बैठ गई उसने मेरा लंड अपने मुह मे ले लिआ और चूसने लगी. उसके छोटे से मुह मे मेरा लंड घुस भी नही रहा था. मैंने अब उसे कम्पूटर डेस्क के सहारे झुका दिया और पीछे से उसकी गाँड मे एक उंगली कर दी उसने कभी इसका अनुभव नही किया था वो गुस्सा हो गई.
मैंने अपना लड उसकी चूत के मुहाने पर रखा और धक्का देने लगा. आधा लंड घुसते ही वह कराहने लगी. शायद उसके बायफ़्रेंड का लंड मेरे जितना बड़ा नही था(7 इंच) और लगभग गधे जितना मोटा. मेरा काला लँड उस एमबीए गोरी चूत में घुसने लगा और वह सिस्कारिया मारने लगी.
थोडी देर बाद मैने उसे दीवाल से सटा कर खड़ा कर दिया और सामने से पेलने लगा. उसके चूचे मेरे सीने से टकरा रहे थे और होठ मेरे होठो को जाम किए हुए थे. तभी मैंने उसे उपर उठा लिया और डेस्क पर बैठा दिया. अपनी नाक उसके चूत में घुसा दी और गांड चाटने लगा. वह बिल्कुल गीली हो चुकी थी और उसकी चूत से पानी निकल गया. मैंने इस कामरस का स्वाद ले लिया. हमारी चुदाई पूरे एमबीए चलती रही.