नमस्ते दोस्तों, मैं हरियाणा से दीपक सोनी हूँ. मैं काफी स्मार्ट लड़का हूँ. अभी मेरी उम्र करीब 23 साल है. मेरी हाईट 5 फुट 11 इंच है और हरियाणा का रहने वाला हूं. मेरे लंड की लम्बाई 6 इंच है और मोटाई 3 इंच है. मैं ये नहीं कहूंगा कि मेरा लंड बहुत बड़ा है, पर फिर भी मेरे लंड ने अच्छी अच्छी औरतों का पानी निकाला हुआ है.
दोस्तो, मैं औरों की तरफ डींगें नहीं हांकता कि मेरा लंड 8 इंच है या 10 इंच का है, जो भी है, यही है. क्योंकि मुझे तो पता है न कि मेरे लंड में कितना दम है. मेरा लंड वो लम्बी रेस का घोड़ा है, ये एक बार चूत या गांड में शुरू हो जाता है, तो रुकने का नाम ही नहीं लेता है.
यह चुदाई की कहानी मेरी और मेरी चाची के बारे में है. मेरी चाची की उम्र 31 साल है. उनकी हाईट 6 फीट के आस पास है. उनके चूचे 34 इंच के एकदम ठोस हैं. चाची की बलखाती कमर 30 इंच की है और गांड 38 इंच की है. चाची का ये साइज मुझे उनको चोदने के बाद में पता चला था.
अब आप अनुमान लगा सकते हो कि 6 फिट की ऊंचाई वाली औरत और उसका इतना भरा हुआ बदन होगा, तो वो औरत कैसी लगती होगी.
सच बताऊं, तो अब भी सोच सोच कर मेरा लंड फटने को हो जाता है कि मैंने इतने हसीन और भरे हुए जिस्म की मालकिन की चुत मारी है.
ये कहानी बिल्कुल सच है, इसमें लिखा हुआ एक एक शब्द सही है.
दोस्तो, मुझे शुरू से ही लड़कियों से ज्यादा औरतों में ही रूचि रही है. ऐसा नहीं है कि मुझे लड़कियां बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं, पर औरतें ज्यादा पसंद हैं. उनके बाहर निकलती हुए मोटी मोटी गांड, मोटे मोटे चुचे मुझे पागल कर देते हैं. मुझे ख़ासकर भाभी या शादीशुदा औरतें ज्यादा पसंद थीं … जो मुझसे चार-पांच साल बड़ी होतीं या जिनका शरीर मेरी पसन्द का होता था. उनके मोटे-मोटे होंठ, रंग सांवला हो या गोरा, मगर मम्मों का साइज़ कम से कम 34 इंच का हो. ऐसी औरतों में मेरी ज्यादा रूचि होती थी.
मेरी प्रेमिकाएं भी कई सारी रही हैं और कई औरतों से बात भी होती थी, मगर सेक्स करने का मन उन्हीं के साथ करता था, जिनका जिस्म मेरी पसंद का होता था.
ये बात आज से 4 साल पहले की है उस समय मैं 12वीं में था और ताजा ताजा जवान हो रहा था. मेरे पड़ोस में एक चाची रहती थीं, उनका नाम कविता (बदलता हुआ नाम) है, वो शुरू से ही बहुत ही समझदार और शरीफ किस्म की महिला रही हैं. उनसे मेरा एक अलग सा लगाव रहा है.
हमारे परिवार का शुरू से ही उनके घर आना जाना रहा है. वो मेरी मम्मी की एक बहुत अच्छी सहली भी हैं. जब से मैंने होश संभाला है … मतलब कि जब से लंड ठीक से खड़ा होना शुरू हुआ है, मैं उनको ही देखते आया हूं. मैं शुरू में चाची को सिर्फ प्यार भरी नजरों से देखता था. उस टाइम तक मेरे दिल में उनके लिए कोई गलत विचार नहीं था, बस वो मुझे अच्छी लगती थीं. वो मुझे जो भी काम कहती थीं, मैं उसको तुरंत पूरा करता था, चाहे वो कैसा भी काम हो और किसी भी समय हो.
मुझे पता नहीं क्यों … एक जुनून सा सवार रहता था कि मैं सारा दिन सिर्फ चाची के पास ही रहूँ. मैं भी चाची को अच्छा लगता था और काफी बार वो मुझे बोलती भी थीं कि तू मेरा सबसे प्यारा बेटा है. कभी कभी वो मुझे गले भी लगा लेती थीं, पर उस टाइम तो मुझको इन बातों की समझ ही नहीं थी.
फिर धीरे धीरे टाइम बदलता गया और मैंने 12वीं अच्छे नंबरों से पास कऱके कॉलेज में दाखिला ले लिया. मैं कॉलेज जाने लगा, वहां मेरी दोस्ती अजय नाम के लड़के से हुई और ये दोस्ती मेरे लिए सेक्स के मामले में वरदान साबित हुई.
अजय एक बहुत ही बिगड़ा हुआ लड़का था, पर मुझे वो उस टाइम नहीं लगा. हम दोनों हर रोज सेक्स की किताबें पढ़ते थे. उस टाइम ना तो मेरे पास फ़ोन होता था और सेक्स फिल्म देखना तो बहुत दूर की बात थी. मेरा दोस्त हर रोज एक सेक्स की किताब लाता था, क्योंकि उस टाइम सेक्स की किताबें ही ज्यादा आती थीं. अगर किसी ने पढ़ी होंगी, तो वो मेरी बात अच्छे से समझ सकता है.
इस तरह मुझे मेरे दोस्त के द्वारा ही धीरे धीरे सेक्स का पता लगने लगा. उसने ही पहली बार मुझे मुट्ठी मारना सिखाया और जब मेरा पानी निकला, मैं आप लोगों को पता नहीं सकता दोस्तो कि कितना मजा आया. मेरे तो हाथ पैर ही फूल गए थे और मैं पूरा खड़ा हो गया था. वो पहला अनुभव मुझे आज भी याद है और वो मेरी पहली मुट्ठी मेरे दोस्त ने ही मारी थी.
आप लोगों को तो पता होगा ही, अगर एक बार मुट्ठी मारी, फिर अपने आपको मुट्ठी मारने से रोक पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. वो भी किसी दूसरे हाथ से मारी गई हो, तो बात ही क्या है.
उस दिन से मुझे मुट्ठी मारने का ऐसा चस्का लगा कि मैं हर रोज मुट्ठी मारने लगा. मुझे मेरे दोस्त की बदौलत सेक्स का भी अच्छा ज्ञान हो गया था और धीरे धीरे हम दोनों की दोस्ती और भी गहरी होती गई. अब तो वो हर रोज मुझे एक नई सेक्स किताब ला कर देता और मैं उसके घर से भी किताब लाकर पढ़ने लगा.
अब आते हैं चाची जी के मुद्दे पर …
जब धीरे धीरे मेरा चाची को भी देखने का नजरिया बदलने लगा था, तो मुझे बस ये हो गया था कि किसी भी तरह चुत और गांड मारनी है. मैं आप लोगों को एक बात बताना चाहूँगा कि मुझे चुत से ज्यादा गांड मारना ज्यादा अच्छी लगती थी. मैं जब भी किसी महिला को देखता, तो एक बार पीछे मुड़ कर उसकी मटकती हुई गांड को जरूर देखता था.
अब जब भी मैं चाची के पास जाता तो था … पर मेरे देखने का नजरिया बदल गया था. वो जब भी झाड़ू लगातीं या पौंछा लगातीं, तो मेरी नजर या तो उनके चुचों पर होती या फिर गांड पर टिकी रहती.
आप लोगों को पता होगा कि महिलाएं आम तौर पर जब पौंछा लगाती हैं, तो अपना पीछे के हिस्से का सूट उठा लेती हैं. उस समय उनकी गांड की शेप लाजवाब दिखता है. आप कल्पना करो कि मेरी 6 फिट की चाची और वो भी इतनी मस्त गांड और चूचों वाली चाची … उस समय कैसी लगती होगी. मुझे पूरा यकीन है आप लोगों का हाथ अपने आप अपने लंड पर चला गया होगा.
मेरी चाची का यौवन इतना लाजवाब था कि बूढ़े का भी लंड खड़ा हो जाए, फिर मैं तो अभी अभी जवान हुआ था. सोचो कि मेरा क्या हाल हुआ होगा.
मैं हर रोज कम से कम दिन में 4-5 बार उनके घर जाने लगा था, अब तो मुझे बस उनके घर जाने की ही लगी रहती थी.
दोस्तो, आप सबको एक बात और बता दूँ कि जब से मैं अपने दोस्त के सम्पर्क में आया था, तब से इसका असर मेरी पढ़ाई पर भी पड़ा … क्योंकि अब मैं कॉलेज की पढ़ाई की तरफ कम ध्यान था और सेक्स की किताबों की तरफ ज्यादा हो गया था. घर वालों को इस बात की चिंता होने लगी और उन्होंने मेरी टयूशन लगवाने की सोची.
जब बात टयूशन की चली, तो मेरी मम्मी ने कहा कि तेरी चाची ने हिस्ट्री से एम.ए किया हुआ था और तेरे कॉलेज में भी तेरा विषय हिस्ट्री ही है, तो मैं उनसे बात कर लूँ?
चाची का नाम सुनते ही मेरी बांछें खिल गईं.
फिर मेरी मम्मी ने मेरी चाची से इस विषय में बात की और मेरी चाची तुरंत मान गईं. क्योंकि मैं उनके काम आता रहता था और उनको भी दुःख हुआ कि मैं पढ़ाई में पीछे होता जा रहा हूं.
इस तरह मेरा उनके घर टयूशन शुरू हो गया और मैं चाची के पास पढ़ने जाने लगा.
पहले ही दिन चाची ने जाते ही पूछा- क्या बात है दीपू (घर पर मुझे सब प्यार से दीपू ही कहते हैं), आजकल तुम्हारा ध्यान कहां रहता है? कहीं तुम्हें कॉलेज की हवा तो नहीं लग गई?
मैंने कहा- नहीं चाची जी ऐसे तो कोई बात नहीं है.
फिर उन्होंने कहा- देख तू मुझे अपनी चाची नहीं … सिर्फ अपनी दोस्त के जैसी ही समझ.
उनके मुँह से ये सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए और मैं उनके मुँह की तरफ देखने लगा.
फिर उन्होंने कहा- ऐसे क्या देख रहा है, कॉलेज में कोई लड़की नहीं देखी क्या, जो इतने गौर से देख रहा है?
मैंने भी बात में बात मिलाते हुए कह दिया- चाची लड़कियां तो बहुत सारी देखी हैं, पर आप जैसे हसीन नहीं देखी.
ये सुनते ही मेरी चाची कातिलाना नजरों से मेरी तरफ देखने लगीं और बोलीं- बेटा, चाची के साथ फ़्लर्ट कर रहा है.
इस समय चाची का ऐसे मेरी तरफ देखना मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मेरे बदन में चीटियां रेंग रही हों. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
फिर चाची रसोई में चली गईं और मुझे पढ़ने का बोल गईं, पर मेरा ध्यान तो पढ़ाई में कम और चाची की मटकती हुई गांड में ज्यादा था. मैं जहां बैठा था, वहा से रसोई बिल्कुल साफ़ साफ़ दिख रही थी. जब चाची नीचे झुक कर कुछ उठातीं, तो मुझे उनकी फूली हुई गांड मस्त लग रही थी. मेरा दिल कर रहा था कि अभी जाकर चाची को पीछे से पकड़ लूं और अपना लंड निकाल कर वहीं चाची की गांड में एक झटके में ही पूरा बैठा दूं. फिर उनकी गांड को पकड़ पकड़ कर जोर से जोर से झटके मारने में लग जाऊं. ये सोचते हुए मैं अपना लंड दबा कर रह जाता था.
इसके बाद चाची जहां कहीं भी जातीं, मेरी नजर सिर्फ उस तरफ ही घूम रही थीं. शायद चाची ने भी मेरी नजर को एक दो बार नोटिस कर लिया था, पर वो बोली कुछ नहीं.
दोस्तो, ऐसे ही दिन निकलते गए और साथ बैठ टाइम निकलते गए, पर अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था. मैं कैसे भी करके चाची को पाना चाहता था.
एक दिन की बात है मेरे घर पर कोई नहीं था, किसी की शादी में गए हुए थे और मेरे परीक्षा का समय था तो मुझे नहीं ले गए. जाते जाते मम्मी ने चाची को बोल दिया था कि दीपू घर पर ही है, जब तुम फ्री हो जाओ, तब उसके लिए खाना बना आना और देख लेना कि वो ठीक से पढ़ रहा है या नहीं. ये कह कर मम्मी और पापा चले गए.
मुझे इस बात का पता नहीं था कि मम्मी ने चाची को बोला हुआ है कि वो मुझे आज घर पर आ कर पढ़ाने वाली हैं. मैं तो बस घर पर अकेला होने का फायदा उठा कर सिर्फ अंडरवियर और बनियान में ही घूम रहा था. मैं अपने बेडरूम में जाकर सेक्स की किताबें पढ़ने लगा और लंड को हिलाने लगा. साथ ही साथ तेज आवाज में गाने चल रहे थे.
मुझे ऐसा करते हुए 20 मिनट ही हुई थे कि घर का दरवाजा बजा, पर मुझे सुनाई नहीं दिया. मैं गेट लॉक करना भूल ही गया था. मैं तो सिर्फ अपने लंड को बाहर निकाल कर अपने काम में लगा हुआ था.
दोस्तो, आप विश्वास नहीं करोगे, उस दिन मैं कहानी भी चाची और बेटा के सेक्स की ही पढ़ रहा था. उस स्टोरी में मैं अपनी चाची को ही महसूस कर रहा था और लंड हिला रहा था, पर पता नहीं चाची किस टाइम मेरे बेडरूम के गेट के सामने आ कर खड़ी हो गईं और मुझे मुट्ठी मारते हुए देखने लगीं.
जब मेरी नजर चाची पर गई, तो मैंने देखा कि वो एकटक मेरे खड़े लंड को देखे जा रही थीं. उस समय मैं चाची की आंखों में आज एक अलग ही वासना देख रहा था. जब हमारी नजर एक दूसरे से मिली, तब चाची गुस्से में लाल हो कर वहां से चली गईं.
मुझे समझ नहीं आया कि अभी तो वो मेरे लंड को खाने की नजरों से देख रही थीं और अचानक हमारी नजरें मिलते ही उनको इतना गुस्सा भी आ गया. मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा था कि पता नहीं अब क्या होगा. मैंने तुरंत अंडरवियर ठीक किया और बरमूडा डाला और बाहर आया.
मैंने देखा चाची जी रसोई में खाना की तैयारी कर रही थीं. मैं तो उनसे नजरें ही नहीं मिला पा रहा था.
जब वो मेरे लिए खाना लगा कर लाईं, तब भी मैं नीची नजरें करके बैठा हुआ था. वो मेरे पास आईं और थाली को जोर से रख कर चली गईं.
मैंने सोचा कि बेटा आज गया तू काम से. मैंने जोर नजरों से उनको देखा, तो वो गुस्से में मेरी तरफ ही देखी जा रही थीं.
फिर मैंने सोचा देखा जाएगा, जो होगा सो होगा. अभी बात करनी पड़गी नहीं तो चाची ने ये बात मेरे घर वालों को बता दी, तो तू तो गया काम से.
जब चाची जी मुझे दुबारा रोटी देने के लिए आईं तो मैंने कहा- सॉरी चाची जी.
उन्होंने कुछ नहीं कहा और मेरी तरफ गुस्से से देख कर चली गईं.
मैंने खाना वहीं छोड़ दिया और अन्दर रसोई में ही चला गया. मैं उनके पीछे खड़ा हो गया और फिर से सॉरी बोला.
इस बार चाची बोलीं- मैंने तुझे ऐसा नहीं समझा था कि तू भी ये काम करेगा, तभी तो तुम्हारे नंबर इतने काम आते हैं, यही सब करने तू कॉलेज जाता है क्या?
मैंने कहा- चाची जी प्लीज मुझे माफ़ कर दो … आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूंगा.
उन्होंने कहा- नहीं नहीं कर लेना … मैंने कब मना किया है … तुम्हारी जिंदगी है, जो चाहे करो. वैसे तू कब से कर रहा है ये काम?
मैं कुछ न बोला, उन्होंने फिर जोर से बोला- मैं कुछ पूछ रही हूं तुमसे?
मैंने कहा- जब से कॉलेज शुरू हुआ है.
फिर उन्होंने कहा- ये किताबें लाता कहां से है तू?
मैंने कहा- मेरे एक दोस्त से.
फिर उन्होंने खाना बनाना बंद कर दिया और मेरी तरफ मुँह कर लिया. चाची ने अपने हाथों से मेरा मुँह पकड़ लिया और बोलीं- बेटा अभी जिंदगी बहुत पड़ी है ये सब करने की, अभी तुम्हारी उम्र सिर्फ पढ़ाई की है. अगर अभी से अपना पानी खत्म कर दोगे, तो अपनी पत्नी को क्या दोगे?
चाची के मुँह से ये बात सुनते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, जिसे चाची ने देख लिया था. क्योंकि मेरा लंड बरमूडा में से साफ साफ दिख रहा था.
उन्होंने ये देख कर फिर से मुँह फेर लिया.
मैंने कहा- चाची मैं क्या करूं, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता.
उन्होंने कहा- कोशिश कर और अपना ध्यान पढ़ाई पर लगा.
मैंने कहा- मैं बहुत कोशिश करता हूं.
फिर वो कुछ नहीं बोलीं और खाना बना कर चली गईं. जाते वक्त चाची बोल कर गईं- खाना खा कर पढ़ लेना, सिर्फ कॉलेज की किताबें …
यह कह कर वो मुस्करा कर चली गईं और ये बोल कर गईं- मैं 2 घंटे में आती हूं.
चाची के जाने के बाद मैं एक पल तो उनकी मटकती गांड को याद करता रहा. फिर मुझसे रुका ही नहीं जा रहा था. मैंने खाना खत्म किया और यही सोचने लगा कि अगर चाची ने मुझे मुट्ठी मारते हुए देख लिया था, तो उस समय क्यों नहीं बोलीं.
जब हमारी नजरें मिलीं, उसके बाद ही उनको गुस्सा क्यों आया, कहीं ये तो नहीं था कि उनको भी मेरा लंड पसंद आ गया हो. मैंने उनकी तरफ देख कर गलती कर दी हो?
बस यही सोचते सोचते मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने सोच लिया था कि जो होगा देखा जाएगा. अब की बार चाची को फिर से लंड दिखाना ही है.
अब तक चाची के आने का समय हो गया था. मैंने एक प्लान बनाया, मुझे पता था कि चाची जरूर वापस आएंगी. मैंने बाहर का मैंने गेट खुला छोड़ दिया और बाथरूम में जाकर नहाने लगा और पूरा नंगा होकर लंड को हिलाने लगा. थोड़ी ही देर में मेरा लंड चाची को याद कर करके खड़ा हो गया और मैं चाची के आने का इंतजार करने लगा.
जैसे ही बाहर के गेट के खुलने की आवाज आई, तो मैं जोर जोर से गाना गाने लगा ताकि उनको पता लगे कि बाथरूम में हूं. मैंने बाथरूम का भी आधे से ज्यादा गेट खोल दिया ताकि मैं चाची को लंड हिलाते हुई दिख जाऊं.
जब चाची अन्दर आईं, तो मैंने अपना लंड बाहर की तरफ कर दिया और मेरे बाथरूम के शीशे से उनको खड़ा लंड दिखने लगा. वो इधर उधर का काम करके बाथरूम की तरफ आ गईं. जब मैंने शीशे से उनको देखा, तो वो लगातार मेरे खड़े लंड को देखे जा रही थीं. मैं उनको ऐसे देखते हुए देख कर उसी समय उनका नाम ले कर जोर जोर से मुट्ठी मारने लगा.
‘आह कविता चाची … आपकी क्या मस्त चूचियां हैं … आह तेरी चूत की बड़ी याद आती है … एक बार दे दो चाची.’
जब मैं चाची का नाम ले कर मुट्ठी मार रहा था, तो मैं शीशे से चाची का हाल भी देख रहा था. चाची भी थोड़ी सी साइड में होकर अपने चूचों को जोर जोर से रगड़ने लगी थीं.
तब मुझे लगा अब मंजिल पास है. दोस्तो … आप विश्वास नहीं करोगे मुझे इतना मजा आ रहा था कि चाची जी मुझे मुट्ठी मारते हुए देख रही थीं और साथ के साथ अपने चूचों को भी रगड़ रही थीं. मेरा पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था.
वैसे भी मेरा वीर्य बहुत देर से निकलता है. आज तक मैंने जितनी भी महिलाओं को चोदा है, उन सबका दो बार हो जाता था और मेरा मुश्किल से एक बार हो पाता था.
मैं चाची को अपना मोटा और तगड़ा लंड दिखाए जा रहा था और वो भी लगातार अपने चूचों को रगड़े जा रही थीं.
मुझे मुट्ठी मारते हुए कम से कम 15 से 20 मिनट लग गए थे और तब तक चाची वहीं खड़ी, कभी अपने चुचों को रगड़ रही थीं, तो कभी अपनी सलवार के ऊपर से ही अपनी चुत रगड़ रही थीं. मैं लगातार उनको देख देख कर मुट्ठी मारने में लगा हुआ था. जब मेरा पानी निकला, तो सामने दीवार पर लंड का माल जोर से जा कर चिपक गया. आज मेरा पानी और दिनों से बहुत ज्यादा और बहुत देर तक निकला था.
जब मैं फ्री हो गया, तो मैंने शीशे से देखा कि चाची वहां नहीं थीं. जब मैं नहा कर बाहर आया, तब मैंने देखा चाची मेरी किताबों के पन्ने पलट रही थीं.
मैंने बाहर आते ही पूछा- चाची जी आप कब आईं?
उन्होंने कहा- जब तू बाथरूम में व्यस्त था …
ये कह कर चाची ने एक कातिलाना स्माइल पास कर दी. मैंने उनकी तरफ देखा और कपड़े पहनने अन्दर चला गया था. मैं बाहर आया तब उनके पास ही जांघों से जांघें मिला कर बैठ गया.
दोस्तो, इस सेक्स कहानी को लेकर आपको मुझसे क्या कहना है, प्लीज़ मुझे मेल करके जरूर बताएं. चाची की चूत कैसे मिली इसका पूरा विवरण मैं अपने इस सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूंगा.
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कहानी का अगला भाग: मेरे लंड ने भुला दी चाची को शराफत-2