नमस्कार दोस्तों, परिचय तो होता रहेगा आज सीधे कहानी पर आते हैं.
“आज रांची में बहुत ठंड है यार … हां भाई गर्म होते हैं … चल सुट्टा मारते हैं.”
“ठीक है चल.”
“अरे मोहन भैया, दो चाय देना और दो क्लासिक देना.”
“अब चल भाई शाम के 6 बज गए, घर जाता हूँ, रात में मिलते हैं … ठीक 8 बजे ग्राउंड में बेडमिंटन खेलेंगे.”
“ठीक है भाई मिलते हैं.”
मैं घर आया तो बहुत भूख लगी थी.
“मम्मी आज क्या बनाया है … बहुत ही ज़ोर की भूख लगी है.”
“कुछ नहीं … थोड़ी देर रुक जा. अभी पास्ता बना देती हूँ.”
“पास्ता … वाउ मज़ा आएगा, ठीक है मम्मी बनाइए.”
तभी मेरे घर के बगल वाली दीदी कम भाभी आ गईं. मैंने दीदी कम भाभी इस लिए बोला … क्योंकि मैं जब स्कूल में पढ़ता था, तब वो मेरे साथ ही मेरे स्कूल में पढ़ती थीं. तब मैं उन्हें दीदी बुलाता था, मगर अब 5 साल बाद उनकी शादी पड़ोस के फ्लैट वाले भैया से हो गई है, इसलिए वे मेरी बहन कम भाभी बन गई हैं. हमारी बिल्डिंग एक ही है. चांदनी भाभी बाजू वाले फ्लैट में रहती थीं.
“अरे आइए … आप भी पास्ता खाइए.”
“नहीं तुम खाओ … मैं नहीं खाऊंगी.”
“ठीक है जैसी आपकी मर्ज़ी.”
मम्मी- चाँदनी खा लो थोड़ा सा पास्ता … मैंने ज्यादा ही बनाया है.
भाभी- ठीक है … वाउ आंटी सुपर्ब.
मैंने पास्ता खाया और बोला- थैंक्स मम्मी.
बस मैं वहां से सीधा ग्राउंड के लिए भाग गया.
अमन- क्या भाई विपुल … बड़ा खुश दिख रहा है … क्या भाभी से मिल कर आया?
मैं- हां यार … क्या बोलूँ, जब भी भाभी को देखता हूँ … तो दिल खुश हो जाता है … क्या मस्त लगती हैं.
अमन ने हंसते हुए कहा- ठीक है आज भी जा के उसके नाम का ही मुठ मारना.
मैं- ठीक है भाई हंस ले … जिस दिन उसके साथ सेक्स करूँगा, तब मैं हसूंगा.
अमन ने हंसते हुए जबाब दिया- अच्छा उस दिन का का इंतजार रहेगा.
मैं- चल खेल चालू करें.
अमन- हां क्यों नहीं.
रात 10 बजे घर जाने के बाद मैंने खाना खाया. मुझे रोज खा के थोड़ा सा टहलने की आदत है, तो मैं बाहर आ गया.
तभी मेरी नज़र छत पर गई. मैंने देखा कि कोई भूतनी सी छाया वहां खड़ी है, उसे देखकर मैं एकदम से डर गया. मैंने सोचा आख़िर इतनी ठंड में वहां कोई इंसान तो होगा ही नहीं.
जब मैं छत पे गया और लाइट फेंक कर मारी, तो देखा की वहां तो दीदी कम भाभी, मेरा मतलब चाँदनी भाभी खड़ी थीं.
“अरे आप यहां क्या कर रही हैं इतना ठंडा हो रहा है?
भाभी- मेरी छोड़, तू इधर क्या कर रहा है?
मैं- बस यूं ही टाइम पास.
“ओह, अच्छा अब मैं चलती हूँ … गुड नाइट.
“गुड नाइट.”
तभी मेरी मम्मी ने आवाज़ लगाई- विपुल, तेरा फोन बज रहा है … देख कौन से दोस्त ने फ़ोन किया है.
मैं तुरंत भागने लगा, कहीं मम्मी ने फोन उठा लिया और उधर से किसी दोस्त ने कुछ अनाप शनाप बोल दिया तो … साले दोस्त होते ही हरामी हैं.
मैं जैसे ही सीढ़ी के पास गया, तो देखा कि चाँदनी भाभी भी उतर रही थीं. मैं तो हड़बड़ी में था, इसलिए जल्दी जल्दी उतर रहा था. तभी अचानक मेरे हाथ से उनका पिछवाड़ा टच हुआ. मैं क्या बोलूँ, वो एकदम मुलायम और राउंड राउंड गांड का अहसास मुझे सनसनी दे गया. मैंने कुछ नहीं कहा और चला गया.
उन्होंने भी कुछ नहीं कहा.
रात मैं मुझे नींद ही नहीं आ रही, बस भाभ की गांड का वो स्पर्श याद आ रहा था. तभी मैंने अपना साढ़े छह इंच वाला लंड निकाला. उनके नाम की मुठ मारी और सो गया.
अगले दिन जब टंकी से पानी नहीं आ रहा था, तो मैं चैक करने छत पर गया. वहां से चाँदनी भाभी के बाथरूम की छोटी सी खिड़की दिखाई देती थी.
मैंने देखा कि कोई नहा कर बाहर जा रहा था. वो और कोई नहीं उसका पति कैलाश चक्रवर्ती था.
छी: साला …
मैंने अपना काम किया और वापस नीचे उतारने लगा. तभी मैंने सोचा कि एक और बार बाथरूम देख लूँ.
जैसे ही देखा … मां कसम देखते ही रह गया. क्या दूध थे यार … बिल्कुल सनी लियोनि के जैसे तने हुए.
मेरे तो शरीर में अचानक से गर्मी बढ़ गई. मेरे कान लाल हो गए. भाबी के पिंक निप्पल क्या मस्त लग रहे थे. मेरा तो लंड खड़ा हो गया.
तभी नीचे से अमन की आवाज आई- विपुल कितनी देर लग रही है?
मैं- अमन भाई, बस आ रहा हूँ. तू बैठ बस मैं अभी आया.
मैं नीचे आ गया था, मैंने अमन को रोकते हुए चाय का पूछा.
अमन- नहीं यार विपुल, आज कॉलेज में वैसे भी बहुत लेट हो गया, मैं घर जा रहा हूँ. शाम को मिलता हूँ.
मैं- यार मुझे भाभी के बारे में बताना था.
अमन- क्या हुआ भोसड़ी के … क्या तूने उसे अपने सपने में चोद लिया? .
मैं- नहीं बे चूतिये, लेकिन मैंने उसकी चूत और दूध के दर्शन जरूर किए हैं.
अमन- चल फेंक मत.
मैं- ठीक है बे जा … मत मान मेरी बात.
इसके बाद मैं कॉलेज चला गया. लौट के मैं घर आया, तो देखा कि भाभी मम्मी के रूम के दरवाजे के सामने खड़ी हुई हैं. मेरी नजर उनकी गांड पे पड़ी. मैं मम्मी के रूम की तरफ जाने लगा. मैंने जाते समय अपने हाथों को उनकी गांड पे ऐसे टच किया … जैसे कि मुझे पता ही नहीं हो कि वो उनकी गांड है.
मैं- मम्मी खाना लगा दो.
मम्मी- हां … चल देती हूँ.
मैंने अपना हाथ उनकी गांड से हटाया ही नहीं. उनकी तरफ से कोई ऐतराज ना पाते हुए मैं भाभी की गांड को धीरे धीरे सहलाने लगा था. उनकी गांड के दोनों उभरे हुए चूतड़ों बीच मैं जब मैंने अपना उंगली घुसा दी.
भाबी जी की गांड में उंगली क्या घुसी, मेरा तो डर के मरे पूरा शरीर हल्के हल्के कांपने लगा. मुझे लगा कि वो कुछ बोलेंगी … लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बोला. फिर वो जाने लगीं. मैंने उनकी आंखों में देखा, उन्होंने भी मुझे देखा. बस उन्होंने एक प्यारी से स्माइल दे दी, मैं तो पागल हो गया यार.
इस तरह से भाभी से मेरे नैन मटक्का होने लगा. मैं उनसे मजाक करने लगा. बात बात में मैं उनकी बदन को टच करके अपनी हवस मिटाने की कोशिश करता. तो कभी किसी जोक पर भाभी भी मेरे ऊपर पूरा गिर कर मुझे गर्म कर देती थीं.
इसके बाद मेरा बाहर जाने का मौका पड़ा. मैंने अपने कॉलेज में एन.सी.सी. लिया था, तो मुझे 2 महीने के लिए कैंप जाना था, तो मैं चला गया.
कैंप से आने के बाद मैं सभी लोग से मिला. मगर मुझे भाभी दिखाई नहीं दे रही थीं, तो मैंने मम्मी से पूछा.
मम्मी बोलीं- वो ब्यूटीपार्लर में पार्ट टाइम काम करने लगी हैं, शायद वहीं गई होंगी.
शाम में मैं उनके घर गया.
चांदनी भाभी- अरे विपुल कैसे हो … कब आए?
मैं- मैं ठीक हूँ … मैं आज ही आया. आप कैसी हैं?
चांदनी- एकदम फर्स्ट क्लास … और बताओ तुम्हारा कैंप कैसा रहा, मस्ती की कि नहीं … हमारी याद आती थी कि नहीं?
मैं- कैंप तो मजेदार रहा. मैंने वहां 22 रायफल से 500 राउंड फायरिंग की और बाकी सब भी ठीक रहा, लेकिन आपकी याद बहुत आई, वैसे भैया कहां हैं?
चांदनी- तुम्हारे भैया की क्या बोलूँ, वो पिछले 6 सप्ताह से मुझसे मिले नहीं हैं. लगता है, उनको मेरी याद ही नहीं आती है. रुको, मैं तुम्हारे लिए कॉफ़ी बनाती हूँ.
मैं- ओके.
चांदनी- विपुल जरा इधर आओ तो.
मैं- हां बोलिए.
सच में इस वक्त वो क्या मस्त लग रही थीं. उन्होंने जो नाईटी पहनी हुई थी, उससे पूरा सिनेमा साफ साफ नजर आ रहा था. उनकी दोनों टांगें और उनकी चूत के घुंघराले काले बालों का गुच्छा साफ़ दिखाई दे रहा था. पीछे से भाबी जी की गांड का उभरापन देख कर तो मैं पागल ही हो गया.
मेरे कान लाल हो गए … और मेरा शरीर पूरा गर्म हो गया.
चांदनी- जरा वो जार उतार दो न.
उनका किचन छोटा था, तो थोड़ा संकरा था. जैसे ही मैंने जार उतारना चाहा, तो वैसे ही मेरा लंड उनकी गांड के उभारों के बीच में फंस गया.
चांदनी- अरे विपुल, तुम इतने गर्म क्यों हो … तुम्हारी तबियत तो ठीक है न?
मैं- हां जी मैं ठीक हूँ .
चांदनी भाबी ने हंसते हुए कहा- ठीक है ये लो कॉफ़ी.
उस दिन उनके घर से कॉफ़ी पीकर मैं वापस अपने घर आ गया.
विपुल- क्या हुआ अपना खाना खत्म करो.
मैं- हां मम्मी कर ही रहा हूँ.
मैं खाना खाने के बाद बिस्तर पर आ गया. पर आज नींद पता नहीं क्यों नहीं आ रही थी. मेरा लंड तो सो ही नहीं रहा था. मैं बार बार लंड को सहला कर उससे कहता कि सो जा यार, लगता है साला रो कर ही सोएगा.
फिर क्या तय, मैं मुठ मारी और सो गया.
अगले दिन चांदनी भाबी मेरे घर आईं, उन्होंने चाय पी और घर में मम्मी से बात कर रही थीं. मैंने उनको देख कर स्माइल किया, तो उन्होंने भी स्माइल किया. भाबी की स्माइल के बाद तो मुझसे मेरे बर्दाश्त से बाहर हो रहा था. अब तो कुछ करना करना ही होगा.
फिर दोपहर में मैं उनके घर गया. दरवाजे पर नोक किया … तो अन्दर से आवाज आई- आ रही हूँ … कौन है?
“भाभी मैं विपुल.”
“ओह तुम हो..”
भाबी ने दरवाजा खोला.
मैंने देखा कि भाभी सिर्फ एक तौलिया लपेटे हुए दरवाजा खोलने आई थीं.
“अरे भाभी … आफ सिर्फ टावल लपेटे हुए हैं.”
“मैं अभी नहा के ही आ रही हूँ.”
“आज आप बहुत ही सुन्दर दिख रही हो.”
‘अच्छा..!”
“हां..”
‘ओके … तुम रुको … मैं कपड़े पहन के आती हूँ.’
फिर वो पतले कपड़े वाली पिंक कलर की नाईटी पहन के आई. चूंकि ठण्ड थी इसलिए मुझे उनका इस तरह की पतली नाइटी पहनना एक इशारा सा लगा.
हम बाहर बैठने जा रहे थे. मैं भाभी के पीछे पीछे जा रहा था. वो जैसे ही दरवाजे के पास गईं. व्हाट दा फ़क … मेरा मन कह रहा था कि भाभी पूरी की पूरी नंगी खड़ी है मेरे सामने.
“क्या हुआ विपुल? इस तरह क्यों देख रहे हो? मैं अच्छी नहीं लग रही क्या?”
“आप तो बहुत ही सुन्दर लग रही हो … भैया आपसे इतने दिन दूर कैसे रह लेते हैं, मुझे समझ नहीं आता.”
“अगर तुम उनकी जगह रहते तो क्या करते?”
“मैं बिस्तर ही नहीं छोड़ता.”
“ओहो ये बात!”
मैं शर्मा गया.
भाभी के साथ कुछ देर यूं ही बात की, फिर मैं घर आ गया.
शाम को चांदनी भाभी मेरे घर आईं और मेरी मम्मी से बोलीं- आंटी आप आज विपुल को मेरे घर सोने के लिए भेज देजिये ना … मेरी सास एक दिन के लिए गांव गई हुई हैं, वो कल शाम तक आ जाएंगी.
मम्मी- मुझसे क्या पूछ रही हो, विपुल से पूछो … वो जाएगा कि नहीं.
चांदनी- विपुल चलो भाई … अकेले बहुत डर लगता है.
मैं- ओके जी मैं आ जाऊंगा.
रात 9 बजे मैं उनके घर आ पहुंचा- भाभी दरवाजा खोलिए … बहुत ठण्ड लग रही है.
“बहुत लेट कर दिया विपुल?”
“हां, हम एक मूवी टाईटेनिक देख रहे थे … तो उसमें वो सेक्स वाला सीन आ गया.”
मैंने ये कह कर भाभी को देखा. वो मुझे देखने लगीं. मैं उनके करीब आ गया. भाभी ने मेरी तरफ वासना भरी निगाहों से देखा और मेरी तरफ अपने रसीले होंठ बढ़ा दिए. मैंने उनको किस करने के लिए उनको पकड़ा और लिप टू लिप किस करने लगा.
दो मिनट किस करने के बाद भाभी बोलीं- ये अच्छा नहीं हो रहा विपुल … चलो सो जाओ, बहुत रात हो गई है.
मेरा तो मन टूट गया. मैं सोने के लिए सोफा पे चला गया. वहां मुझे ठण्ड लग रही थी. मैं सर्दी से कांप रहा था.
तभी भाभी पानी पीने के लिए आईं, तो उन्होंने मुझे देखा कि मैं ठंड से कंप रहा हूँ. तो भाभी ने मुझे अपने साथ पलंग पर सुला लिया. रात में जब मैं भाभी की तरफ मुड़ा, तो उनकी सुडौल गांड मेरी ही तरफ थी.
मैंने धीरे धीरे खिसकता उनकी गांड में अपना लंड सटा दिया. मेरा साढ़े छह इंच का लंड उनकी गांड में उछल कूद करने लगा. मेरा मन तो कर रहा था कि पूरा लंड उनकी गांड में पेल दूँ.
मैंने देखा कि भाभी अपनी गांड में लंड लग जाने के बाद भी कोई हरकत नहीं कर रही हैं, तो मैंने अपना लंड उनकी गांड में और अन्दर पेलने लगा. वो कुछ नहीं बोलीं, अब मेरी बर्दाश्त के बाहर हो रहा था.
तभी मैंने उनकी कमर को अपने हाथों से पकड़ा और उनको अपनी ओर खींच लिया.
“विपुल ये तुम क्या कर रहे हो?”
“वही जो बहुत पहले करना चाहिए था.”
“क्या करोगे, चूत मारोगे?”
उनके मुँह से साफ़ चूत मारने की बात सुनकर मैं भी खुल गया- नहीं … आपकी गांड भी मारूंगा और आपके मुँह को भी चोदूँगा.
“अच्छा तुम्हारे अन्दर इतना पॉवर है, जो मुझे चोदोगे?”
“एक बार आजमा के तो देखिये.”
‘देखती हूँ … किधर तक दौड़ पाता है.”
उनका इशारा पाते ही मैंने टाइम न गंवाते हुए उनको लिप लॉक किया. फिर मैं उनकी लैगीज उतारने लगा.
“कितनी टाइट लैगीज है भाभी?”
फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए. मैं पूरा नंगा हो गया. मैंने उनकी ब्रा को खोला.
वाओ … सनी लियोनि वाली चूचियां देख कर मेरा तो मन ही पागल हो उठा. मैं भाभी के एक दूध को दबा दबा कर चूसने लगा.
“आह बस करो … दर्द हो रहा है.”
मैंने अपना लंड निकाला और उनके मुँह में डाल दिया. वो पूरा लंड ही नहीं ले पाईं.
मैंने भाभी की चूत को देखा, वाह क्या गोरी चूत थी, एकदम मस्त पकौड़ा सी फूली हुई गोरी बुर मेरे सामने खुली पड़ी थी. मैं खुद को रोक ही नहीं पाया और बस मैं भाबी की चूत को चूसने लगा “आह विपुल बहन के लौड़े … अब और नहीं चूस … जल्दी से अन्दर डालो न … बस कर साले अब चोद दे.”
“तू साली कुतिया बन जा, मैं कुत्ता बन के तुझे कैसे चोदता हूँ देख तू.”
मैंने जैसे ही चूत में लंड डाला, भाबी के कराहने की आवाज निकलने लगी. ये आवाज मेरे कानों को बड़ा सुकून दे रही थी. मैंने अपनी रफ़्तार तेज कर दी.
दस मिनट की चुदाई के बाद भाभी मेरे ऊपर आ गई, चूत में लंड खुरस कर बोलीं- देख साले … कैसे चुदाई करते हैं … चूत कैसे चोदते हैं, तू देख भोसड़ी के.
बस भाभी ने मेरे लंड के ऊपर गांड उछालना शुरू कर दिया.
“साली तू बहुत मज़ेदार चीज है.”
इस तरह से भाभी को 20 मिनट तक चोदने के बाद उनकी ताकत जवाब दे गई- बस अपना लंड निकाल दे बाहर, मेरा निकल रहा है.
“बस भाभी हो गया.”
“बस मेरा भी हो गया?”
“बस भाभी आप दो मिनट और रुको.”
हम दोनों पूरी ताकत से एक दूसरे के अन्दर समाने की कोशिश करने लगे. फिर मैंने अपना माल उनकी चूत में ही गिरा दिया. कुछ देर यूं ही पड़े रहने के बाद हम दोनों सो गए.
दोस्तो, भाभी की चुदाई का ये पहला भाग था. आपको मेरी कहानी मजेदार लगी या नहीं, मुझे मेल करें. मैं जल्द ही अपनी चुदाई की एक और दास्तान भी आपके सामने लाऊंगा.
ये मेरी मेल आईडी है.
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