नमस्कार दोस्तों! मेरी पिछली कहानी
चूत और गांड लंड मांगे रोज-1
में आपने पढ़ा कि कैसे मेरे मन में लड़की जैसे भाव आते थे और मेरे एक रूममेट ने मुझे पूरा गांडू बना दिया.
अब आगे की कहानी का मजा लें!
पढ़ाई खत्म हो गयी … उपिंदर कहीं और चला गया … धीरे धीरे उन सब बातों की यादें धूसर हो गयी।
मैं नौकरी करने लगा, फिर से अजय बन गया। फिर कोई उपिंदर जैसा नहीं मिला।
घर वालों ने मेरे लिए लड़की देखनी शुरू कर दी। शादी करने में मेरी कुछ खास रूचि तो नहीं थी पर सोचा ठीक है जो हो रहा है.
फिर एक लड़की से मेरी शादी हो गयी … नाम अंशु। सुहागरात भी हुई और मैंने उसे चोदा भी पर मज़ा नहीं आया। वो उपिंदर के साथ चिपक के उससे दबवाने का, उसका चूसने का, उससे मरवाने का मज़ा कुछ और ही था।
पर शादीशुदा ज़िन्दगी चलने लगी, हम दोनों सेक्स के मामले में खुल गए।
शादी के 8- 10 दिन बाद अंशु बोली- तुम्हारी चुचियाँ बड़ी प्यारी हैं, मेरा मसलने का, चूसने का मन करता है.
मुझे सुन कर अच्छा लगा- दबा, चूस … जो चाहे कर, तेरा माल है.
वो खेलने लगी मेरी चुचियाँ से।
“एक और बात बोलूँ, तुम गुस्से तो नहीं होंगे?”
“हाँ बोल न!”
“तुम घर में ब्रा पहना करो, इनकी शेप अच्छी बनी रहेगी.”
मैं हँस पड़ा- तुझे अच्छा लगेगा तो ब्रा क्या ब्रा पैंटी दोनों पहन लूंगा.
अगले दिन वो खरीद के ले आयी और मुझे पहनाई। मुझे बड़ा अच्छा लगा और वो पुराने दिन याद आ गए। उस दिन से मैं घर में ब्रा पैंटी पहनने लगा।
हमारी सेक्स लाइफ भी कुछ बदलने लगी। आलिंगन चुम्बन के बाद वो ज्यादातर वो मेरी चुचियाँ दबाती थी, चूसती थी, मेरे चूतड़ दबाती थी, मैं उसकी चूत और गांड को प्यार करता था। वो मेरा लण्ड चूसे, मैं उसे चोदूँ, ये बहुत कम होता था।
फिर एक दिन वो मेरे लिए लेडीज जीन्स और टॉप ले आयी। मुझे पहनाई और बोली- मेरा दिल कर रहा है कि तुम्हें अपनी गर्ल फ्रेंड बना लूँ!
मैंने मुस्कुरा के कहा- उसके लिए मुझे क्या करना पड़ेगा?
“तुम सच में मेरी गर्लफ्रेंड बनोगे?”
“इसीलिए तो पूछा कि मुझे क्या करना पड़ेगा.”
“तुम बहुत प्यारे हो.”
मैं मुस्कुरा दिया।
“सबसे पहले तुम्हें गर्ल बनना पड़ेगा, लड़की बनना पड़ेगा। लिबास से लड़की, मन से लड़की। तुम्हारे लिए हम सारे कपड़े ले आएंगे और तुम घर पे वही पहनोगे। मेकअप करना सीखोगे। और मन से लड़की बनने के लिए तुम लड़कियों की तरह बात करोगे। समझ गए?”
“हाँ मैं समझ गयी.”
“हाय मेरी प्यारी गर्लफ्रेंड” और उसने मेरा चेहरा चूम लिया।
“अंशु मैं एक बात कहूँ?”
“हाँ कहो?”
“गर्लफ्रेंड का कुछ और नाम होना चाहिए। अजय जमता नहीं!”
“ये तो ठीक है। कामिनी कैसा रहेगा?”
मैं चौंक गया … यही नाम मुझे कई साल पहले उपिंदर ने दिया था।
पर सोचा इत्तफ़ाक़ है।
“बहुत अच्छा है। आज से मैं कामिनी, तुम्हारी कामिनी!”
मुझे सब अच्छा अच्छा लगने लगा।
अंशु के पास लण्ड नहीं था पर वो मेरे बॉयफ्रेंड की तरह थी और मेरे पास चूत नहीं थी पर मैं उसकी प्रेमिका बन चुकी थी। अब मैं उसे ‘तुम’ कहती थी और वो मुझे ‘तू’
एक दिन वो मुझे अपनी लेडी डॉक्टर के पास ले गयी। दोनों पहले मेरे बारे में बात कर चुकी थी। लेडी डॉक्टर ने मेरी शर्ट उतरवा कर मेरी छाती का मुआयना किया, दबा के देखा, फिर बोली- अंशु जो तुम चाहती हो, वो हो जाएगा, इसकी छातियों का साइज बढ़ जाएगा और कूल्हों की शेप भी लड़कियों जैसी हो जाएगी। मैं कुछ हॉर्मोन दवाई दे रही हूँ रोज़ खिलाना और जहाँ तक हो इसे हर वक़्त ब्रा पहननी चाहिए.
हम घर आ गए।
“मैं लड़की बन जाऊंगी क्या?”
“नहीं मेरी जान, लण्ड तो रहेगा तुम्हारे पास पर मेरी प्यारी गर्लफ्रेंड एकदम माल बन जाएगी।
फिर अंशु की बड़ी अच्छी नौकरी लग गयी। मैंने अपनी जॉब छोड़ दी। अब मैं बहुत खुश थी।
शादी के करीब 2 महीने बाद…
शाम को, मैं एक कुर्ती और टाईटस पहन के बैठी थी, अंशु आयी- कामिनी, आज तेरे लिए बड़ी खुशी का दिन है.
“वो कैसे?”
“थोड़ी देर में पता चल जाएगा। जा 2 पेग बना ला!”
हम पीने लगे। साथ में सोफे पे ही प्यार करने लगे। चुम्मा चाटी होने लगी। मेरी कुर्ती उतर गयी। वो मेरे उभार दबाने लगी। मैंने उसकी चूत को खूब प्यार किया।
फिर…
“कामिनी आंखें बन्द कर … और तब तक नहीं खोलना जब तक मैं न कहूं, चाहे कुछ हो जाए.”
मैने आंखें बन्द कर लीं।
उसने मेरी ब्रा उतार दी और चुचियाँ दबाने लगी।
“अब मुंह खोल”
“मुंह खोलूँ? क्यों?”
“पूछ मत बस मुंह खोल और याद है न आँखें नहीं खोलनी चाहे कुछ हो जाए.”
मैंने मुंह खोला।
और एक खड़ा लण्ड मेरे होठों के बीच में आ गया।
“इसे प्यार कर, चूस!”
मैं प्यार से चूसने लगी, चाटने लगी। इस लण्ड की खुशबू मुझे कुछ याद दिला रही थी।
फिर वो मेरे मुंह से निकल गया। मैं आंखें बन्द किये बैठी रही।
कुछ देर बाद अंशु की आवाज़ आयी- कामिनी मेरी रानी, आंखें खोल!
और मैंने देखा … मेरी बीवी और मेरा पहला प्रेमी …
अंशु सिर्फ ब्रा पैंटी में उपिंदर की बांहों में थी और होंठ जुड़े हुए थे। दोनों ने भरपूर चुम्बन लिया जिसके दौरान उपिंदर ने अंशु की चुचियाँ और चूतड़ जी भर के दबाए।
उसके बाद अंशु मेरे पास आयी- कामिनी, मेरी जान तू खुश हो गयी न, देख तेरा पहला आशिक!
“तुम्हें पहले से पता था?”
उसने मेरे गाल पे चूमा- हाँ मेरी रानी, सब कुछ पता था। चल पहले सब कुछ साफ कर दूं। हमारा रिश्ता तो तूने देख ही लिया। ये मेरा प्रेमी है और मैं इसकी प्रेमिका। और तू आज रात हम दोनों की गर्लफ्रेंड है।”
“आज रात? क्यों?”
“क्योंकि कल मैं और उपिंदर दोनों तेरे पति बन जाएंगे.
अब मैं तुझे बताती हूँ सब कैसे हुआ।
हम दोनों का अफेयर चल रहा था, जब मेरे घर वालों ने मेरी शादी की बात शुरू की। मैंने उपिंदर को बताया। उसने कहा- हमारी तो हो नहीं सकती, धर्म का चक्कर है, इस हालात में तुझे कैसा लड़का चाहिए?
मैंने कहा- देख तुझे तो मैं छोडूंगी नहीं। फिर लड़का ऐसा हो जो घर में रहे, काम करे, मेरी चूत और गांड चूमे, चूसे और हाँ उसकी चुचियाँ थोड़ी बड़ी हों और मेरे से दबवाये। और सबसे ज़रूरी बात कि मुझे मौका मिलता रहे तुम्हारे पास जा कर तुमसे चुदवाने का!
तब उपिंदर ने तेरे बारे में बताया। मेरे घर वालों ने बात चलाई और बाकी तुम्हें पता ही है।
अब तुम में वो सब है जो मुझे चाहिये था। और पिछले 2 महीने से उपिंदर से मरवाने उसके घर जाती थी अब तो वो भी नहीं करना पड़ेगा, अब तो वो यहीं पे मुझे पेलेगा, तुम्हारे सामने। पर आज मैं उपिंदर से नहीं चुदवाऊँगी। आज वो तुम्हें बजाएगा। तुम्हारी गांड भी कब से तरस रही है अपने यार के लौड़े के लिए!
“थैंक यू अंशु … तुमने मुझे अपनाया और मुझे उपिंदर से भी फिर से मिलवा दिया।”
और फिर हम तीनों बैठ के शराब पीने लगे।
उपिंदर बोला- आ जा कामिनी, बड़े दिन हो गए तुझे अपने नीचे लिटाये!
मैं तुरंत उससे लिपट गयी। अंशु हमें देख कर मुस्कुरा रही थी। मेरे होंठों का चुम्बन लेके उपिंदर मेरी चुचियाँ दबाने लगा, चूसने लगा। “अब तो तेरी भरपूर हो गयी हैं”
अंशु बाथरूम गयी तो मैंने धीरे से पूछा- तुमने इसे मम्मी और स्नेह के बारे में भी बताया है?
“नहीं वो सस्पेंस है.”
फिर मेरा चेहरा अपनी जांघों के बीच में लेके उसने लौड़ा मेरे मुंह में दे दिया। मैं चूसने लगी।
तभी अंशु आ गयी।
“अंशु कल कामिनी की मम्मी को बुला ले!”
“क्यों उनका यहां क्या काम?”
“अरे उसकी बेटी से हम दोनों शादी करेंगे तो उसके सामने करेंगे न!”
“वो मान जाएगी? कुछ गड़बड़ न हो जाए?”
“तू चिंता मत कर वो बहुत खुश होगी.”
“ठीक है.”
“कामिनी लेट जा उल्टी!”
और उपिंदर ने पोजीशन ले ली। जैसे ही उसके लण्ड ने मेरी गांड को छुआ मैं मस्त हो गयी। और फिर एक ज़ोरदार शॉट और लौड़ा मेरे अंदर।
वो पेलने लगा, मैं मरवाने लगी।
अंशु देख रही थी- अच्छे से मार इसकी उपिंदर, कल तो इसकी हमारे साथ शादी होगी। आज शादी से पहले आखिरी सुहागरात है। फाड़ दे इसकी गांड … पूरे मजे ले।
और वो ताबड़तोड़ मेरी बजा रहा था।
और फिर बरसात हो गयी मेरी गांड की गहराई में सफेद रिमझिम।
अंशु ने मेरी मम्मी को कल शाम को आने के लिए फोन कर दिया।
और हम सो गए.
अगले दिन सुबह…
हम तीनों एक ही डबल बेड पे सोये थे।
अंशु नाइटी में, उपिंदर सिर्फ अंडरवीयर में और मैं पूरी नंगी।
मेरी नींद खुली। वो दोनों चिपके हुए थे और बातें कर रहे थे। मैं बातें सुनने लगी।
“मम्मी को बुला तो लिया पर मुझे डर है कही सारा मज़ा किरकिरा न हो जाए?”
“मज़ा ज्यादा आएगा. वो कहते हैं न एक से दो भले!”
“मैं समझी नहीं?”
“मेरी रानी… बीवी के साथ उसकी मां फ़्री”
“मतलब?”
“मेरी जान जो कुछ कामिनी करती है वही उसकी माँ भी करेगी.”
“सच …” और अंशु ने उपिंदर को अपने होंठों का ज़ोरदार चुम्बन दिया.
फिर मैंने कहा- गुड मोर्निंग … चाय बना लाऊं?
अंशु बोली- नहीं कामिनी, आज चाय का मूड नहीं है। रात को तो हमारी शादी होगी और तेरी मम्मी भी होगी तो हम सोच रहे हैं सुबह तेरा प्रोग्राम कर दें। तो शराब ले आ और कुछ खाने को भी!
“ठीक है.”
मैं बोतल सोडा बर्फ और कुछ खाने का सामान ले के आ गयी.
अंशु पेग बनाने लगी। अपना और उपिंदर का बनाया, सोडा और बर्फ के साथ। तीसरे में शराब डाली और बोली- कामिनी छान के डालूं या बिना छाने?
“जैसे तुम्हारा दिल करे!”
उसने गिलास अपनी जांघों के बीच में लगाया और फिर कच्छी में से निकाल के सुनहरी धार से मेरा पेग बन गया।
हम पीने लगे, खाने लगे, नशा होने लगा।
उपिंदर करवट लेटा हुआ था, उसने अपना अंडरवियर उतारा- आजा कामिनी, चूस मेरा!
मैंने मुंह में ले लिया, चूसने लगी।
पीछे से अंशु ने बांहों के घेरे में लिया और मेरी चुचियाँ दबाने लगी।
उपिंदर बोला- अंशु, ये कामिनी कितनी नसीब वाली है न आज इसे दो दो पति मिल जाएंगे.
“हाँ और इसकी मम्मी को दो दामाद!”
“वैसे मैं सोच रहा हूँ कि इसकी मम्मी को भी अपनी पत्नी बना लें!”
अंशु ने प्यार से मेरे गाल पे चुम्मी ली और बोली- नहीं उपिंदर, सिंदूर तो सिर्फ इसकी मांग में भरेंगे। इसकी मां को रखैल बनाएंगे.
“कामिनी मेरी जान आ जा नीचे अब, लौड़ा गरम हो गया है.”
अंशु बैठी टांगें चौड़ी कर के … मैं उल्टी लेटी, पैर फैले हुए, चूतड़ थोड़ा ऊपर उठे हुए, गांड तैयार और मेरा चेहरा अंशु की जांघों के बीच में। मैं चूत चूसने लगी, चाटने लगी और पीछे से उपिंदर ने अपना मस्ताना लंड पेल दिया, धक्के मारने लगा। लौड़ा मेरी गांड में अंदर बाहर होने लगा। उपिंदर के धक्के तेज़ हो गए, उसकी जांघें मेरे चूतड़ों से ताबड़तोड़ टकराने लगी- हाँ कामिनी ऐसे ही चूस। जीभ अंदर तक घुसा!
और फिर अंशु की चूत गीली हो गयी और उपिंदर के लौड़े ने पानी छोड़ दिया.
सुबह सुबह मज़ा आ गया।
कहानी जारी रहेगी.
[email protected]