नमस्ते दोस्तों, मेरी कहानी के दुसरे भाग में आप सबका स्वागत है. कहानी का पिछला भाग:
बड़ी भाभी की चूत की चुदास-1
भाभी मेरी शर्ट और जीन्स के बटन खोलने लगीं, जीन्स टाईट थी उनसे उतरी नहीं फिर मैंने उतारी। वो मेरे छाती को चूमे जा रही थी।
मैं उन्हें गोद में उठा कर बैड पर ले गया और लेटा कर मैं भी उनके ऊपर लेट गया। अपना हाथ पीछे ले जाकर उनकी ब्रा का हुक खोल कर उनके बूब्स को आजाद कर दिया फिर एक दूध अपने हाथ से दबाने लगा दूसरा मुंह में लेकर चूसने लगा।
भाभी के मुँह से बस सिसकारी ही निकल रही थी।
यही काम फिर मैंने दूसरे वाले स्तन के साथ किया.
लेकिन दूसरे वाले को चूसने के बाद उनके निप्पल को मैंने काट दिया उनकी बहुत तेज सिसकारी निकल गई- आहह! देवर जी ये क्या कर रहे हो … आह!!
मैं उनकी बात अनसुना करते हुए उनके पेट पर आ गया, चूमने लगा और नाभि चाटने लगा।
भाभी- आआहह इतना क्यों तड़पा रहे हो आप … आआआहह!
धीरे धीरे मैं उनकी पैन्टी के ऊपर आ गया जो पूरी गीली थी उनके पानी से।
मैं पैन्टी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूम रहा था।
भाभी- आआआ हहआ आआह!!!!
मैं भाभी की पैन्टी उतारने लगा भाभी ने अपनी कमर उठा कर अपनी पैन्टी उतरवाने में मेरी मदद की। पैन्टी को उतारने के बाद मैंने उतनी चूत देखी तो मुझे बहुत ही बुरा लगा क्योंकि उनकी चूत पर लम्बी लम्बी झाँटें थी, उनके जंगल में चूत दिखी ही नहीं रही थी।
मैं- भाभी आप झाँटें कभी साफ नहीं करती हो क्या?
भाभी- नहीं, इसे क्या साफ करना। आप अपना साफ रखते हो क्या?
मैं- हाँ, मेरे तो बहुत चुभती हैं, इसलिए मैं तो साफ ही रखता हूँ।
लेकिन चूत चाटे बगैर मेरे लिए सेक्स अधूरा है इसलिए मैं उस झाँटों वाली चूत को चाटने लगा।
भाभी- छीः ये गन्दी जगह है इसे क्यों चूम रहे हो?
मैं चूत चाटे जा रहा था इतने में मैंने उनके चूम के दाने को ढूँढ कर काट दिया। भाभी अपने एक हाथ से अपना दूध और दूसरे से मेरे सर के बाल खींच रही थीं।
भाभी- आआहह आहह आआआ हहआ आआआ.
भाभी ज्यादा देर नहीं टिक पाईं वो झड़ गई और उनका सारा नमकीन चूत रस मैं पी गया।
भाभी- आहह आओआहह!!!!!
चूत साफ करने के बाद मैंने अपना अन्डरवियर उतार कर भाभी को अपने लन्ड के दर्शन कराये, भाभी मेरा लन्ड देख कर बहुत ही खुश लग रही थी।
इशारे में मैंने उनसे चूसने के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया, मैं भी ज्यादा जोर न देकर उनके ऊपर लेट गया।
भाभी- अब और न तड़पाओ देवर जी, अपना लिंग मेरी योनि में डाल कर मेरी प्यास बुझा दो।
पास में पानी की बोतल रखी थी मैंने उठा कर उन्हें देकर कहा- लो पानी पी कर अपनी प्यास बुझा लो।
भाभी- कौन सी प्यास, इतना भी नहीं समझते क्या?
मैं- ये बात पहले आप गन्दी भाषा में कहो फिर मैं कुछ करूंगा।
भाभी- अच्छा जी, देवर जी अपनी प्यासी भाभी की चूत की चुदाई अपने लन्ड से कर दो। अब तो डाल दो।
चुम्बन फिर शुरू हो गया. मैं लन्ड से उनकी चूत की लकीर पर हल्के से रगड़ने लगा। थोड़ी ही देर में भाभी बेचैन हो गई और लन्ड लेने को उत्सुक हो गई, वो अपनी गांड उठा कर लन्ड लेना चाह रही थी मैं भी लन्ड पीछे कर ले रहा था।
चार बार ऐसा करने के बाद बाद पांचवी बार में मैंने भाभी की चूत मैं लन्ड डाल दिया. मेरा लन्ड 2 इन्च ही घुस पाया था कि भाभी की बहुत तेज चीख निकल गई।
भाभी- आराम से करो भईया! आपके भईया ने मुझे हमारे दूसरे बच्चे के बाद से छुआ तक नहीं है।
(जैसा मैंने आप लोगों को शुरू में बताया था.)
मैं- सॉरी भाभी।
मैंने चुम्बन करते हुए उनकी दोनों टांगों को फैला दिया और दोनों हाथो को अपने हाथ से पकड़ लिया। चुम्बन करते करते थोड़ी ही देर में मैंने पूरा लन्ड चूत में एक बार में ही घुसेड़ दिया।
भाभी ने मुझे पैरों से कस कर जकड़ लिया, वे अपने हाथ छुड़ाना चाह रही थी। मैं भाभी का दर्द समझ सकता था, लेकिन उनकी चूत बहुत टाईट थी तो दर्द होना ही था।
थोड़ी देर में सब नोर्मल हो गया तो मैंने उन्हें ढीला छोड़ दिया. भाभी की आँखों में आंसू थे.
मैंने उन्हें फिर से सॉरी कहा लेकिन भाभी कुछ नहीं बोली।
मेरा पूरा लन्ड उनकी चूत में ही था।
फिर मैंने भाभी की चूत में झटके लगाने शुरू कर दिए।
भाभी- आआहह आआओहह हहआ आआआ हम्मह आहह!!
हम दोनों ही ज्यादा देर नहीं टिक पाए और दोनों एक साथ दस मिनट में झड़ गए। भाभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और उन्होंने मेरी पीठ पर नाखून भी गड़ा दिए। मुझे पहली बार किसी की चूत में झरने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और उन्हें दस साल बाद चूत में लन्ड लेने का।
थोड़ी देर में मैं अलग हुआ तो मैंने अपने लन्ड पर खून देखा तो मैं समझ गया कि भाभी की चूत बंद हो गई थी जो मैंने खोल दी।
फिर कुछ देर आराम करके मैं उन्हें अपनी फेवरेट पोजीशन में ले आया और उनकी दोबारा चुदाई शुरू कर दी, इस बार लन्ड को डालने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
भाभी- आआआ आआहह आहह आआ… भर दो मेरी चूत … आआआ आओओ आआहह …भईया …बहुत मजा आ रहा है आआ आआहह.
ऐसा लग रहा था कि भाभी को भी इस पोजीशन में चुदना पसन्द आया। भाभी सिसकारियाँ लेते हुए फिर से झड़ गईं। मैं नहीं झड़ा था इसीलिए मैं धक्के लगाए जा रहा था तो भाभी ने मुझे रूकने के लिए कहा.
तो मैं रूक कर भाभी की गांड देखने लगा, उनकी गांड का छेद बहुत छोटा था। मैंने उनसे गांड चोदने के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया।
भाभी- मैंने वहाँ कभी नहीं लिया और न ही कभी लूँगी।
फिर मैं भाभी को गोद उठाकर बैड पर मैं नीचे लेट गया और उन्हें अपने ऊपर बैठा लिया। फिर मैंने नीचे से ही उनकी चूत चोदना शुरू कर दी।
भाभी- आआहह आआआ आआहह आहह आहह … चोदो मुझे … बहुत तंग करती है ये… चोदो … आउहह आआआ ओहह.
इस बार हम दोनों फिर एक साथ ही झड़ गए। कमरे में उनकी और मेरी साँसों की ही आवाज गूँज रही थी। भाभी झड़ कर मेरे ऊपर लेट कर मेरे को चूमने लगी। हम दोनों ही थक गए। मैं सुबह से शादी के काम और अब एक असन्तुष्ट औरत को सन्तुष्ट करने में थक चुका था।
भाभी मुझसे चुद कर सन्तुष्ट लग रही थी- आपने मेरी प्यासी ज़िन्दगी की चुदाई करके मुझे सन्तुष्ट कर दिया। काश आप ही मेरे पति होते, मैं आपके बच्चे की मां बनती। सच में देवर जी मुझे इतना मजा पहले कभी नहीं आया।
बात करते करते भाभी सो गई।
मैंने घड़ी में टाईम देखा 2:40 बज रहे थे। मैं मोबाइल में सुबह पाँच बजे का आलर्म लगा कर भाभी को देखते हुए सोचने लगा कि चुत क्या क्या करवाती है। अपने से छोटे के साथ सेक्स करना। इतने में मुझे कब नीन्द आ गई पता ही नहीं चला।
सुबह आलर्म बजा मैं उठा, मैंने भाभी को उठाया और उनसे उनके कमरे में जाकर नहा कर तैयार होने को कहा। भाभी कपड़े पहनने लगी, मैंने उन्हें रोका और कहा- ऐसे ही चली जाओ आप, अभी बाहर कोई नहीं होगा।
भाभी- आपको पता है बाहर कैमरा लगा हुआ है जिसका डायरेक्शन हमारे कमरे की साईड ही है।
मैं- मुझे पता है। मैंने रात में आपके यहाँ आने से पहले उस कैमरे का डायरेक्शन दीवार की साईड कर दिया ताकि आप यहाँ आते हुए कैमरे में न दिखो।
भाभी- अरे वाह देवर जी।
भाभी नंगी ही अपने कमरे में चली गई और मैं नहाने कर तैयार होने लगा।
कुछ देर में दरवाजे पर खटखट हुई तो खोला, भाभी का लड़का था। उनकी लड़की उस बाथरूम में नहाने गयी थी तो वो यहाँ आ गया।
मेरी नजर भाभी के मंगलसूत्र पर पड़ी, उसे तुरन्त मैंने जेब में डाल लिया और उससे कहा- तुम गेट लॉक लगा लो, मैं बाहर जा रहा हूँ.
इतना कह कर मैं भाभी के रूम में आ गया।
भाभी ने दरवाजा खोला, भाभी अपने शरीर पर बस तौलिया लपेटे हुए ही थी और भाभी ने मुझे अन्दर ले लिया।
मैं- आपको रात इतना मजा आया कि आप अपना मंगलसूत्र ही भूल गई।
भाभी- ओह! धन्यवाद देवर जी, वरना आज तो मैं मर ही जाती।
इतने में मैंने भाभी का तौलिया खोल दिया और अपनी जीन्स नीचे करने लगा।
भाभी- प्लीज भईया,अभी कुछ मत करो, लड़की नहा रही है, वो बाहर आ जाएगी।
मैंने बाथरूम की बाहर से ही कुंडी लगा दी और उन्हें खड़े खड़े ही चोदने लगा।
भाभी- आआ आह आहह आओआह हह!
चुम्बन करते करते लगभग 10 मिनट में हम दोनों ही झड़ गए।
भाभी ने मुझसे छुट कर कपड़े पहने। मैंने भी अपने को सही किया और बाहर चला गया।
हम तैयार होकर लॉन में चले गए दीदी को विदाई करके बरेली आ गए।
हमारा मिलना बहुत ही कम हो पाता था क्योंकि हम दोनों के घर में कोई न कोई होता ही था।
ठीक एक महीने बाद मेरे घर वालों को शहर से बाहर जागरण में जाना था जिसमें मैंने जाने से मना कर दिया था।
उस दिन पहले तो मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को आने के लिए कॉल की. पर उसके पीरियड्स चल रहे थे तो उसने मना कर दिया.
फिर मैंने भाभी को मैसेज किया तो भाभी ने कहा- आपकी किस्मत कुछ ज्यादा ही अच्छी है. कल ही मेरे पीरियड्स खत्म हुए हैं, आती हूँ कोई बहाना करके।
एक घन्टे में भाभी फ्रैंड के यहाँ बर्थडे पार्टी की बोल कर मेरे घर आ गई। भाभी आज ब्लैक कलर की साडी़ में थी। आकर अपना मंगलसूत्र उतार कर रख दिया और मुझे चुम्बन किया।
मेरे मन में कुछ प्लानिंग सूझी कि हम आज शादी ही कर लेते हैं।
मैंने भाभी से बैठने को कहा और पूजा वाले कमरे को बन्द करके हवनकुंड जला कर भाभी को बुला लिया।
मैंने उन्हें अपनी शादी करने का प्लान बताया जो उन्हें अच्छा लगा। हमने सात फेरे लिए उनकी माँग में सिन्दूर भी भरा और उनका मंगलसूत्र पहना कर कहा- अब आपको इसे हर बार उतारने की जरुरत नहीं।
भाभी इस बात से खुश हुई और बोली- आज से आप मेरे पति देव हैं और मैं आपकी पत्नी. अब आप मुझे भाभी कहना छोड़ दीजिए, मुझे मेरे नाम से बुलाइएगा जब भी हम अकेले होंगे। अब शादी तो हो गई सुहागरात का क्या प्लान है?
मैं- चलो मेरे रूम में भाभी।
भाभी- भाभी?
मैं- मतलब पायल।
फिर मैं उन्हें गोद में उठा कर अपने रूम में ले गया, वहां मैंने उनकी साडी़ खोल दी, पेटीकोट और ब्लाउज भी उतार दिया। उन्होंने ब्लैक कलर की ब्रा पैन्टी पहन रखी थी। उसे भी उतार दिया, उसके बाद देखा कि उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं।
मैं- शेव कर ली?
भाभी- आपके लिए।
मुझसे रूका नहीं गया और मैं भाभी की चूत चाटने लगा। इस बार भाभी अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में दबा रही थी.
10 मिनट में वो झड़ गई और उनका रस पी गया।
मैंने अपने कपड़े उतार कर उनसे फिर लन्ड चूसने के लिए कहा. इस बार वो मान गई लेकिन एक शर्त पर कि वो मेरा वीर्य नहीं पीएंगी.
और घुटनों के बल बैठ कर मेरा लन्ड चूसने लगी।
भाभी बहुत अच्छे से मेरा लन्ड चूस रही थी।
लेकिन झड़ते समय मैंने भाभी के साथ थोड़ी चिटिगं कर दी कि उनका सर पकड़ कर अपने लन्ड पर दबा दिया और सारा वीर्य उनके मुंह के अन्दर छोड़ दिया उन्हें तब तक नहीं छोड़ा जब तक वो सारा वीर्य पी नहीं गयी।
उसके बाद भाभी बोलीं- इटस् टेस्टी।
मैंने उनसे गांड मारने के लिए भी पूछा तो उन्होंने कहा- वो तो कभी भी नहीं।
फिर हमारी चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया और शाम हो गई। खाना हमने आनलाइन आर्डर कर दिया, खाना खा खाकर वो घर चली गई।
यहाँ पर हमारी चुदाई की गाथा खत्म होती है। हमें कम ही चुदाई करने को मिल पाता है। भाभी मुझसे बहुत खुश हैं। आप सब से निवेदन है कि आप लोग मेरी मेल आईडी पर रिप्लाई जरूर कीजिएगा इस कहानी को लेकर। मुझे आप सबके मेल का इन्तजार रहेगा. तब तक के लिए सभी चूतों को मेरे खड़े लन्ड का प्रणाम।
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