यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
नमस्ते दोस्तों, मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि विनोद और मुरली दोनों मेरी गांड मारना चाहते थे और इस वजह से दोनों में मतभेद होने लगा। इसलिए मैंने स्वत: संज्ञान लेकर दोनों को बारी बारी से मेरी गांड मारने के लिए बोला और यह भी बोला कि गांड के बाद चूत मारते समय बाद अपना कंडोम जरूर बदल दें।
लेकिन मेरी गांड पहले कौन मारेगा इसको लेकर भी दोनों में मतभेद हो रहा था। दोनों चाहते थे कि गांड मारने का पहला मौका उसे ही मिले।
मैंने दोनों को टॉस द्वारा इसका निर्णय करने के लिए बोला। मेरे सुझाव को मान कर दोनों ने टॉस किया और विनोद ने टॉस जीता।
“चलो बेबी तुम्हारी चुदाई शुरू करते हैं।” मुरली ने मेरे बिल्कुल सामने आकर बोला।
मुरली ने मुझे अब नितंबों से पकड़कर ऊपर लिफ्ट कर उठा लिया और अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के बिल्कुल सामने ले आया। मैंने अपनी बाहों को मुरली के गले में डाल दिया। मुरली का इशारा समझ कर मैंने अपने एक हाथ से उसके लंड का टोपा अपनी चूत के छेद पर रखा और तुरंत मुरली ने एक जोरदार शॉट लगाया और मेरी चूत के पूरा अंदर अपना लौड़ा पेल दिया।
“आहा आह … मजा आ गया।” मैं उसके लंड के स्पर्श से चिहुंक कर बोली।
विनोद भी मेरे पीछे आ गया था और वह अपने लंड को मेरी गांड के छेद के समीप ले आया और मुरली ने धीरे धीरे मेरे नितंबों को नीचे की तरफ उतारना शुरू किया जिससे कि विनोद का लंड मेरी गांड में घुस सके।
विनोद का लंड मेरी गांड में घुसते ही मैंने अपनी एक बार मुरली के और एक बार विनोद के गले में डाल दी। दोनों लड़कों ने मेरी चूत और लंड की चुदाई शुरू कर दी।
मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे हवा में उठा कर दो लड़के मिलकर मेरी चूत और गांड एक साथ चोद सकते हैं। मुझे बहुत मजा आ रहा था चुदवाने में और विश्वास भी नहीं कर पा रही थी कि ऐसा मेरे साथ वाकयी हो रहा है।
मुरली और विनोद अपनी पूरी क्षमता के साथ मेरे दोनों छेद को चोद रहे थे।
मेरी चुदाई इस स्टाईल में लगभग 15 मिनट करने के बाद मेरा बदन थक गया और मैंने आगे की चुदाई बिस्तर पर करने के लिए दोनों से कहा। मेरा अनुरोध मान कर दोनों ने अपने लंड बाहर निकाल लिये और मुरली ने एक पैग जल्दी से लेने के बाद शेष चुदाई का प्रस्ताव रखा। बहुत जल्दी हम लोगों ने पैग खत्म किया और मैं बिस्तर पर आ गई।
अब विनोद की बारी थी मेरी चूत में लंड फंसाने की। मेरा इशारा पाते ही विनोद ने अपना कंडोम बदल लिया और बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया। मैं मुस्कुरा कर उसके ऊपर बैठ गई और उसके लंड को सहला कर मैंने अपनी चूत के छेद पर सुपारा रखा और विनोद को मुस्कुरा कर आंख मारी।
फिर क्या था, एक ही धक्के में विनोद ने अपना फनफनाता हुआ लंड पूरा घुसेड़ दिया। विनोद के धक्के से मेरी चीख निकल गई।
विनोद के लंड के मेरी चूत में एडजस्ट होने के बाद मुरली मेरे पीछे आ गया और उसने मेरे नितंबों को फैला कर अपना सुपारा मेरी गांड के छेद पर रखा। मुझे कमर से पकड़ कर मुरली ने भी एक जो़रों का धक्का लगा कर पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया। मुरली का लंड ज्यादा मोटा था, इसलिए मेरी गांड में टाइट महसूस हो रहा था।
“बेबी मजा आ गया तुम्हारी गांड में लौड़ा डाल कर!” मुरली अपने लंड को मेरी गांड में आगे पीछे करते हुए बोला।
“मुझे भी मजा आ रहा है। मैं अपनी गांड को पीछे की तरफ धक्का देने लगी ताकि मुरली का पूरा लंड मेरी गांड में समा सकें।
अब नीचे से विनोद ने और पीछे से मुरली ने धक्के देने शुरू किए और मेरी चुदाई दोनों छेद में फिर से शुरू हो गई। यह चुदाई पहले से ज्यादा धुआंधार थी। मेरी गांड और चूत अच्छी तरह फैल चुके थे इसलिए दोनों के लंड बड़े आसानी से अंदर बाहर हो रहे थे।
मुरली मेरे चूतड़ पर बीच-बीच में थप्पड़ भी जड़ता जा रहा था। कमरे में कमरों में मेरे नितंब पर पड़ने वाली थाप, चूत और गांड में लंड के घुसने से होने वाली फच फच की आवाज और इन सबसे ज्यादा मेरे सीत्कार कमरे में गूंजने लगे थे, जिन्हें सुनकर विनोद और मुरली दोनों मुझे गाली देते हुए जोर जोर से धक्के मार कर चोदे जा रहे थे।
इतने बढ़िया तरीके से चुदाई मेरी जिंदगी में पहले कभी नहीं हुई थी। मैं भी एक गर्म कुतिया की तरह दोनों लंड अपनी चूत और गांड में बेशर्मी से खाए जा रही थी।
बहुत देर चोदने के बाद दोनों में फिर अपनी पोजीशन बदली। अब मुरली नीचे लेटा और मैंने उसका लंड अपनी चूत में लिया और मेरी गांड को पीछे से विनोद चोदने लगा। इस तरीके से दोनों लंड मेरी चूत और गांड दोनों का स्वाद कर चुके थे लेकिन दोनों ही झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे इसके विपरीत मेरी चूत तो इस दौरान तीन चार बार झड़ चुकी थी।
दोनों ने मिलकर मुझे 1 घंटे से भी ज्यादा देर तक चोदा. इस चुदाई से मैं सच में अंदर तक तृप्त हो गई थी और मन ही मन ईश्वर से मना रही थी कि ये दोनों सांड जल्दी ही झड़ जायें ताकि मुझे चुदाई से मुक्ति मिले।
लगभग डेढ़ घंटे के बाद विनोद का पानी निकला। विनोद के चुदाई से अलग होने के बाद मुझे मुरली ने लगभग 10 मिनट और चोदा। उसके बाद वह भी झड़ गया।
भरपूर और लगातार चुदाई के कारण मेरी चूत और गांड दोनों ही सूज गई थी। मैंने वक्त देखा तो लगभग शाम के 7:30 बज चुके थे। मैंने किसी तरह उठकर वॉशरूम में जाकर अपने आप को साफ किया। मैंने अपने आप को वॉशरूम के मिरर में देखा। मेरी चूत फ़ैल गई थी और सूज भी गई थी। गर्दन, स्तन, कमर, नितंबों और जांघों पर काटने और चूसने के कारण कई निशान बन गए थे।
मेरा होंठ भी चूसे जाने के कारण सूज कर मोटा हो गये थे। मुझे इस हाल में देख कर मेरे पति या कोई भी यह आसानी से अनुमान लगा सकते थे कि मैं अच्छी तरह से चुदवा कर आई हूं। मुझे अगली सुबह की फ्लाइट से वापस लौटना था।
मैं इसी उधेड़बुन में वॉशरूम से बाहर आई और थोड़े से कपड़े पहन कर मैंने विनोद और मुरली को पैसे निकाल कर दिये।
मुरली ने मुझसे पैसे लेने से साफ इंकार कर दिया और हाथ जोड़कर बोला- बेबी, इतनी अच्छी चुदाई को पैसे में तोल कर बेइज्जती ना करो।
मैं मुरली की बात सुनकर निरुत्तर हो गई लेकिन मेरे बार-बार अनुरोध करने पर भी मुरली ने मुझसे पैसे नहीं दिए।
विनोद कपड़े पहन कर और मुझे अच्छी चुदाई के लिए धन्यवाद देकर चला गया।
मुरली ने मुझ से अनुरोध किया कि मैं रात उसे अपने साथ ही सोने दूं। मुरली को मैं अपनी समस्या भी नहीं बता सकती थी। इसलिए मैंने उससे कहा कि मेरी चूत गांड सब सूज गए हैं और मुझे आराम की जरूरत है।
मुरली थोड़ा निराश हो कर चला गया।
जब मुरली चला गया तब मैंने मनन करने पर पाया कि अगले दिन घर लौटने से मेरी चुदाई के बारे में मेरे पति को पता चलने की पूरी संभावना है इसलिए कोई बहाना बनाकर दो दिन और दिल्ली में रूक लिया जाए और बाद में फ्लाइट की जगह ट्रेन से घर लौटने से मुझे समुचित वक्त मिल जायेगा और तब तक मेरे बदन पर बने चुदाई और चुसाई के निशान भी मिट जाएंगे।
मैंने इस बारे में बात करने के लिये पति को फोन किया।
मेरे पति ने बताया कि वह किसी आवश्यक काम से एक हफ्ते के लिए कोलकाता जा रहे हैं।
अब तो मेरे घर लौटने में आई बाधा स्वत: दूर हो गई। मैंने तुरंत अगले दिन सुबह की फ्लाइट से वापस लौटना सुनिश्चित किया।
अब मैंने कुछ सोच कर मुरली को फोन करके अपने कमरे में आने के लिए बोल दिया।
मेरा निमंत्रण पाकर मुरली खुशी से झूम उठा और तुरंत 15 मिनट में ही मेरे कमरे में वापस आ गया।
आकर उसने मुझे गोद में उठा लिया और मेरे गानों को चूमने लगा मुरली ने मुझसे पूछा- बेबी, अचानक क्या हो गया कि तुमने मुझे वापस बुला लिया?
इस पर में हंसने लगी और मैंने उसे बताया- यार, तुम लोगों ने चूस चूस कर मेरे शरीर पर जो निशान बना दिये है, उसके वजह से मैं तुम्हें रात भर अपने पास नहीं रख रही थी। मुझे सवेरे की फ्लाइट से वापस जाना है और मेरे पति उस समय तीन-चार दिनों के लिए कोलकाता जा रहे हैं। इसलिए मैंने सोचा कि रात भर मैं तुमको अपने से चिपका लूं। लेकिन मैं चुदवाने की स्थिति में नहीं हूं, क्योंकि मेरी चूत और गांड दोनों चुदवा कर थक गए हैं और दर्द कर रहे हैं।
मैंने तुरंत रूम सर्विस में फोन कर खाने का ऑर्डर दिया और खाने के साथ-साथ हम दोनों ने बची हुई सारी व्हिस्की खत्म कर दी और हम दोनों अब ब्लैंकेट के अंदर घुसकर इधर उधर की बातें करने लगे।
मुरली ब्लैंकेट के अंदर मुझसे चिपक गया था और बीच-बीच में शॉर्ट्स के ऊपर से ही मेरे हिप्स तथा मेरी जांघों को सहला रहा था।
मुझे भी मुरली द्वारा सहलाया जाना अच्छा लग रहा था।
हम दोनों को नींद भी आ गई।
मुझे याद नहीं कि हम लोग कितनी देर तक सोये पर नींद में मैंने महसूस किया कि मुरली ने अचानक अपना एक हाथ मेरे ब्लाउज में तथा दूसरा हाथ मेरी पैंटी के अंदर डाल दिया है।
मैं चिहुंक कर जाग गई और बोली- क्या कर रहे हो मुरली?
मुरली ने मेरे अधरों पर चूम कर कहा- बेबी, तेरे नंगे बदन के साथ चिपक कर सोना है।
मैंने धीमी आवाज में कहा- पहले खुद तो नंगे हो जाओ फिर मुझे नंगी करना।
मेरी सहमति मिलते ही मुरली ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और कुछ ही सेकंड में मेरे भी सारे कपड़े उतर गए।
हम दोनों अब मादरजात नंगे थे, मुरली अब मुझसे लिपटकर लेट गया। जैसा कि मैंने आपको पहले बताया, हम दोनों का दोबारा सेक्स करने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन वह बोलते हैं ना कि अगर मक्खन के पास गर्म छुरी रहेगी तो मक्खन पिघल जाएगा।
बस मेरे साथ बिल्कुल ऐसा ही हुआ।
मेरे नंगे बदन के स्पर्श से थोड़ी देर बाद मुरली का लंड फिर से खड़ा होने लगा और उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।
मैंने उसके लंड को सहला कर मुरली से पूछा- अब क्या इरादा है तुम्हारा लंड का?
मुरली ने कहा- बेबी एक बार बिना कंडोम के तुझे चोदना चाहता हूं।
मैंने कुछ हिचकिचाहट के साथ कहा- यार कुछ समझ। मेरी चूत और गांड दोनों सूज गए हैं। बहुत दर्द होगा अभी और फिर चूत में बिना कंडोम के लंड लेने मुझे अगर गर्भ ठहर गया तो बहुत दिक्कत होगी।
मुरली ने मेरे कान के निचले हिस्से को चूसते हुए धीरे से बोला- बेबी, बहुत धीरे से डालूंगा, तुम्हें बिल्कुल दर्द नहीं होगा।
उसका एक हाथ मेरे स्तन को सहला रहा था और दूसरा मेरे नितंब को, इसलिए स्वाभाविक तौर पर मुझे भी सेक्स करने का मन करने लगा। लेकिन बिना कंडोम के चुदवाने का खतरा भी मुझे ज्यादा लग रहा था, इसलिये मैंने मुरली को गांड में डालने के लिए बोला. लेकिन यह भी कहा कि तेल लगा कर गांड मारना जिससे मुझे दर्द कम हो।
मुरली ने खुश होकर मुझे बांयी करवट में लेटा दिया और मेरी गांड के छेद में और अपने लंड को तेल से चिकना कर दिया। अब बहुत प्यार से उसने अपने लंड को मेरी गांड में धीरे से घुसा दिया।
दो दिनों की चुदाई के कारण मेरी गांड का छेद थोड़ा फैल चुका था और मुरली ने अपने लंड पर तेल भी लगा लिया था. इसलिए मुरली कलंक बड़े आसानी से मेरी गांड में पूरा चला गया और धीरे धीरे मुरली लंड को मेरी गांड में अंदर-बाहर करने लगा।
मुरली ने मेरा दाहिना स्तन पकड़ लिया था और उसे मसलते हुए वह मेरी गांड मार रहा था। धीरे-धीरे मुझ में भी काम संचार होने लगा और मैं भी अपनी गांड आगे पीछे करके मुरली का पूरा लंड अपने अंदर लेकर गांड मरवाने लगी।
मैंने मुरली का हाथ अपने स्तन से हटाकर अपनी चूत पर रख लिया। मुरली मेरा इशारा समझ गया और उसने अपने दाहिने हाथ की उंगलियों को तेल से सराबोर करके गांड मारने के साथ-साथ मेरी चूत की मालिश की शुरू कर दी।
अब मुझे ज्यादा मजा आने लगा और मेरे मुंह से बेशर्मी वाले काम सीत्कार फूटने लगे। मैंने अपनी गर्दन पीछे की तरफ मोड़ी और मुरली मेरे अधरों को भी धीरे-धीरे चूसने लगा।
मेरी चूत की मालिश करते करते मुरली ने अचानक मेरे भगांकुर को अपनी तर्जनी और अंगूठे के बीच ले लिया और उसकी मालिश करने लगा। मुरली की इस हरकत ने मुझे मछली की तरह छटपटाने पर मजबूर कर दिया और मैं पहले से ज्यादा बेशर्म होकर चुदाई का आनंद लेने लगी।
मुरली भी शायद यही चाहता था और इसीलिए उसने अब और जोर-जोर से मेरी गांड मारना शुरू किया और उसने अपनी दो उंगलियां मेरी चूत में घुसा दी और चूत की चुदाई भी जोर जोर से करने लगा। मेरी चूत और गांड का दर्द तो मानो कहीं गायब हो गया था और सिर्फ मजा और मजा आ रहा था मुझे इस काम क्रीड़ा में।
लगभग 30 मिनट की चुदाई के बाद मुरली चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। मैं इस दौरान दो बार झड़ चुकी थी और मेरी चूत और मुंगरी की उंगलियां पूरी तरह मेरे काम रस से गीली हो चुकी थी। चरमोत्कर्ष पर पहुंचते समय मुरली में अपनी उंगलियां और लंड दोनों एक साथ मेरे अंदर पूरा घुसाकर अपना गर्म गर्म वीर्य मेरी गांड में उड़ेल दिया।
जब मुरली का गर्म वीर्य मेरी गांड में गिरा तो मुझे भी चरम संतुष्टि का अहसास हुआ। मुरली ने अपना लंड अंदर फंसाए रखा और मेरी चूत से अपनी उंगलियां बाहर लेकर मुझे चूसने के लिए दी।
मुरली बार-बार मेरी चूत से मेरा ही काम रस निकालकर मुझे चूसने के लिए देता रहा और मैं अपने काम रस को चाट कर आनंद लेती रही।
मुरली के लंड बाहर निकालने के बाद मैं तुरंत वॉशरूम गई उसके वीर्य को मैंने साफ किया। इसके बाद मुरली और मैं दोनों वॉशरूम में साथ-साथ नंगे नहाए।
सुबह के लगभग 5:00 बजने वाले थे। मुरली कपड़े पहन कर बाहर चला गया और मैं तैयार होकर होटल से चेक आउट करने लगी।
होटल से बाहर आकर मुरली मुझसे मिला और मुझे एयरपोर्ट तक टैक्सी में मेरे साथ चला। एयरपोर्ट पर मुरली से गले मिलकर मैं अपनी फ्लाइट के लिए चल दी।
मुरली ने मुझसे वादा लिया कि जब भी मैं दिल्ली आऊंगी तो मुरली के साथ सेक्स जरूर करूंगी।
फ्लाइट मैं अपनी सीट पर बैठने के बाद मैंने विगत दो-तीन दिन की घटनाओं पर मनन किया। पिछले 3 दिनों से मैं लगातार दिन रात चुदवा रही थी और इस दौरान मेरी चूत और गांड को 6 नये लड़कों के साथ मस्ती भरे संभोग करने का मौका मिला। मेरी चूत और गांड पूरी तरह संतुष्ट थे। कुल मिलाकर मेरा दिल्ली टूर सेक्स की दृष्टि से बेहद सफल था।
मैं मन ही मन मुस्कुराते हुए अपने दिल्ली टूर की कामुक स्मृतियों को याद करते करते सो गई।
तो दोस्तो, यह थी मेरी दिल्ली टूर की चुदाई की दास्तान।
प्रिय पाठको, रचना पर पाठकों की राय, सराहना एवं कमेंट लेखक में नया उत्साह भरते हैं. मैं सभी पाठकों से अनुरोध करती हूँ कि अपने कमेंट मुझे [email protected] पर अवश्य भेजें।