नमस्कार मेरे प्यारे दोस्तों. जिंदगी एक कहानी की तरह होती है और उम्र के साथ साथ कहानियां बनती जाती हैं. पर इन कहानियों में कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो हमारे मन को छू जाती हैं और कुछ ऐसी जो हमसे जुड़ जाती हैं.
प्यार की क़हानियाँ तो हम सब कहते हैं पर प्यार कैसे कैसे मोड़ ले आता है जिंदगी में ये कोई नहीं बताता।
मेरी कहानी भी कुछ ऐसे ही मोड़ लेती हुई उस नदी के जैसी है जिसमें उफान तो हर रोज आया पर वो कभी सागर से नहीं मिली।
आदाब! मैं हूँ आपका अपना दोस्त निहार. मैंने जिंदगी में कई बार कोशिश की है अपनी कहानी लिखने की जो मौजों से भरी है पर कभी पूरी नहीं कर पाया।
हुआ यो कि मेरी जॉइंट फॅमिली में मैं सबसे बड़ा पोता था। घर में सब बड़े लाड़ प्यार से रखते थे। कभी किसी चीज़ की कमी नहीं थी। मैं दिखने में पतला दुबला लड़का था पर मेरी हरकतें लड़कियों जैसी थी।
मेरे पड़ोस वाले भैया की नज़र मुझ पर उस दिन से थी जिस दिन से उन्होंने मुझे बिना कपड़ों के नहाते हुए देखा था। हमारे घर में बाथरूम तो था पर मुझे हमेशा से ही खुले में नहाने की आदत थी, घर में एकलौता होने के भी अपने मज़े हैं।
मेरे घर वाले पड़ोस वाले अनिल भैया के पास मुझे पढ़ने भेज दिया करते थे। भैया के घर वाले काम के कारण घर से बाहर रहते थे और भैया को ऐसे ही एक टाइम का इंतज़ार था।
जब भी भैया अकेले होते तो उनका खाना हमारे यहां ही बनता था।
एक दिन राणावत अंकल टूर पर थे और अनिल भैया की मम्मी भी नहीं थी तो वो मेरे घर खाना खाने आए। उन्होंने खाना खाया और मम्मी से बोले- आंटी, आज घर पर कोई नहीं है तो क्या मैं निहार को मेरे घर ले जाऊं? क्योंकि अकेला रहूँगा तो मन नहीं लगेगा।
इस पर मम्मी ने हाँ कर दी. और मैंने भी सोचा कि चलो कोई ना आज तो आराम से टीवी देखने को मिलेगी तो क्यों ना अनिल भैया के घर चले जाऊं।
मैंने जल्दी से एक शॉर्ट पहना और टीशर्ट पहन कर गेट पर आ गया।
अनिल भैया पापा से कुछ पूछने चले गये और मैं उनकी बाइक के पास ही उनका इंतज़ार करने लगा।
भैया पापा की स्टडी से निकल कर आए।
अनिल भैया की उमर कुछ 25 साल की होगी। वो जिम जाते थे तो उनकी बॉडी भी अच्छी ख़ासी थी। सिर पर घने बाल, गुलाबी होंठ, सांवला रंग, सीना फूला हुआ, बड़ी बड़ी जांघें, गोल गोल कूल्हे और कसा हुआ गठीला बदन था पूरा।
उनके पढ़ाई में अच्छे होने के कारण ही उनको उनके पापा ने रॉयल एनफील्ड दिलवा दी थी।
“तैयार मेरे शेर?” उन्होंने मेरे कंधे को दबाते हुए कहा और गाड़ी पर बैठ गये।
“बिल्कुल!” मैं भी उनके पीछे गाड़ी पर चढ़ा और बैठ गया।
“कस के पकड़ लेना, कही गिर विर मत जाना तुझे पता है ना मेरी स्पीड कितनी कमाल है.”
“मुझे कैसे पता होगा, कभी आप लेकर तो नहीं गये ड्राइव पर!” मैंने उनको सीने के पास से पकड़ कर बोला।
“ठीक है आज तुझे टेस्ट ड्राइव देता हूँ.” बोलते हुए उन्होंने मेरे हाथों को अपने पेट के पास किया और कस लिया जिससे मेरे बायाँ हाथ तो उनके पेट पर था पर दायाँ हाथ थोड़ा नीचे उनके लंड के पास में था।
उन्होंने एक गहरी मुस्कान ली और हम घर से निकल पड़े.
वो रास्ते में मेरे हाथों को नीचे करवाते रहे और अपने खड़े लंड के पास ले गये। मैं आराम से पीछे बैठे बैठे यही सोच रहा था कि उनको मेरी कितनी चिंता है और वो बस मेरे गिर जाने के डर से ही बार बार मेरा हाथ टाइट करवा रहे हैं.
लेकिन भैया की खोपड़ी में कोई और ही खिचड़ी पक रही थी। उनका लंड टाइट होता जा रहा था और अब मेरे दोनों हाथ उनके लंड पर थे।
भैया आराम से बाज़ार वाले बड़े रास्ते से मुझे लेकर जा रहे थे मस्त स्पीड में।
हम थोड़ी देर घूम फिर कर उनके घर पहुँच गये। मैं सीधा हॉल में गया और टीवी का रिमोट उठाया और टीवी ऑन कर लिया।
भैया ने घर के दरवाजे मैं गेट बंद किया और अपने कमरे में कपड़े बदलने चले गये।
मैं वहीं बैठे बैठे टीवी देख रहा था कि तभी भैया ने आवाज़ लगाई- ओये, अंदर आ जा। बाहर क्या कर रहा है?
मैंने हॉल का टीवी बंद किया और अंदर चला गया।
भैया अपने कमरे में अपने बेड के पास ही कपड़े बदल रहे थे। उन्होंने सिर्फ़ चड्डी पहन रखी थी और अलमारी में शॉर्ट ढूँढ रहे थे।
“क्या मैं टीवी चला लूं?” मैंने भैया को पूछा.
उन्होंने कहा- हाँ चला ले। अरे यार ये शॉर्ट कहा रख दिया मम्मी ने?
भैया बोलने लगे- चल कोई ना … मैं चड्डी में ही सो जाऊंगा।
बोलते हुए वो बेड पर उल्टा लेट गये।
मैंने टीवी का रिमोट उठाया और टीवी ऑन किया. सारे एंग्लिश मूवी के चेनल थे. मैंने मूवी देखना चालू किया तो उसमें एक किस सीन आ रहा था.
भैया ने कहा- इधर आ जा, अब क्या पूरी रात वहीं बैठा रहेगा।
मैं बिना भैया की तरफ देखे धीरे धीरे पीछे हुआ और जाके बेड की तरफ बैठ रहा था। भैया ने देखा कि मैं पूरा ध्यान से देख रहा हूँ तो उन्होंने मुझे कमर से पकड़ा और उठाकर अपने बगल में बैठा लिया।
किस सीन जबरदस्त चल रहा था और मुझे भी अपने शॉर्ट में कुछ हलचल महसूस हुई पर मैं पूरा ध्यान लगा कर देखता रहा।
“अब क्या टीवी में घुसने का विचार है?” भैया ने हंसते हुए पूछा.
“ये लोग ऐसे सीन कैसे कर लेते हैं?” मैंने टीवी से ध्यान हटाये बिना पूछा.
भैया ने मेरा मुँह पकड़ा और अपनी लंबी जीभ मेरे हलक में उतारते हुए मुझे किस कर दिया। वो अपनी आँखें बंद किए हुए मेरे होंठों को अपने होंठों से चूसे जा रहे थे।
जितनी देर में मैं कुछ कर पाता … भैया ने तपाक से टीवी की तरफ अपनी नज़रें करते हुए बोला- बस ऐसे … और क्या?
अब भैया टीवी को देख रहे थे और मैं भैया को।
“क्यों क्या हुआ? ऐसे क्या देख रहा है? किस ही किया है और कुछ नहीं किया। चल अब टीवी बंद कर और सो जा।” भैया ने टीवी बंद करते हुए मुझसे बिना आँखें मिलाये कहा।
“भैया पर … आपने तो मुझे किस किया है। मैं लड़की नहीं हूँ।”
“अरे तो क्या हुआ? बस तूने पूछा तो मैंने करके बता दिया। और तुझे पता नहीं है कि लड़का लड़का भी किस करते हैं?”
“आप झूठ बोल रहे हो!”
“रुक!” भैया उठे और अपने पास वाली दराज़ से एक पेन ड्राइव निकली और टीवी में लगा दी और रिमोट से कुछ करने लगे।
मेरा ध्यान तब भैया की चड्डी की तरफ गया तो मेरे होश ठिकाने नहीं रहे। उनका लंड चड्डी से ऊपर की ओर निकल रहा था। मैंने सोचा ये ग़लत है तो मैंने एकदम ऩज़र हटा ली.
पर भैया का लंड तो उसमें बाहर निकलता ही जा रहा था।
भैया तभी पास में बेड के पास आकर बैठ गये। मैं टीवी की तरफ देखने लगा। तभी दो बंदे आपस में किस कर रहे थे। भैया का ईमान डगमगाया हुआ था तो उन्होंने एक गे पॉर्न टीवी पर लगा दी।
अब मेरा ध्यान टीवी की तरफ था। भैया मुझे देख रहे थे और मैं टीवी को। थोड़ी देर बाद टीवी में एक बंदे ने दूसरे का लंड पकड़ा और मुँह में ले लिया।
मेरे मुँह से निकल गया- ओह।
भैया हंस पड़े, बोले- मैंने कहा था ना लड़के लड़के भी बहुत कुछ करते हैं। अब तो तुझे पता लग गया ना! चल ठीक है अब तू सो जा!
मेरा मन कहा लग रहा था सोने में! भैया ने टीवी बंद कर दिया और बेड पर मेरे बगल में आकर लेट गये और मुझसे सटा कर मेरी ही रज़ाई में सो गये। उनका बड़ा सा लंड मेरी कमर पर अड़ रहा था।
“क्या हुआ? तुझे नींद नहीं आ रही क्या?” मुझे करवट लेते ही भैया ने पूछा।
“नहीं! मैं ये सोच रहा हूँ कि आगे क्या क्या हुआ होगा?” मैं बोला।
“अगर तू किसी को नहीं बताएगा तो मैं तुझे सब बताऊंगा।”
“पक्का, कसम से मैं किसी को नहीं बोलूँगा। बताओ ना?”
“ठीक है, मैं तुझे सब करके बताता हूँ पर जैसा मैं बोलूं, वैसा करना पड़ेगा। करेगा?”
“ठीक है।” मैंने रज़ाई से बाहर आते हुए कहा और बेड पर बैठ गया।
भैया भी रज़ाई से बाहर आए और उन्होंने मेरी टीशर्ट उतार दी और फिर मुझे अपनी तरफ खींचा। मैं जब उनके बिल्कुल पास आ गया तो उन्होंने अपने गोद में मुझे बिठा लिया।
अब मैं भैया की गोद में बैठा था और मेरे दोनों पैर भैया की पेट के दोनों तरफ थे। उनका लंड बिल्कुल मेरी गांड के नीचे था और मेरे हाथ उनके कंधे पर।
उन्होंने अपने हाथ मेरी कमर पर रखे और मुझे अपने पास खींच लिया। अब हम दोनों एक दूसरे से आँखें मिला रहे थे। फिर उन्होंने धीरे से मेरे होंठ पर किस किया।
जब मैंने को आनाकानी नहीं की तो उन्होंने फिर से किस किया और फिर अपने होंठों के बीच मेरे होंठों को लेकर उनको अच्छे से चूसा।
उनके हाथ मेरी पीठ पर लगातार चल रहे थे।
“इसे किस कहते हैं। अब तू भी मेरे होंठों को उसी तरह अपने होंठों से चूस और जीभ डाल कर चाट जैसे मैंने किया।”
मैंने बिना रुके वेसा ही किया.
अब हम दोनों बिल्कुल एक दूसरे में खोए हुए एक दूसरे को किस किए जा रहे थे।
भैया का लंड नीचे से बार बार उफन रहा था। फिर भैया ने धीरे धीरे मेरे कान गर्दन से होते हुए मेरे बिना बालो वाली छाती पर चाटना शुरू किया। भैया ने धीरे से अपनी जीभ निकली और मेरे बोबे के ऊपर उसे घूमने लगे। मुझे पता नहीं क्यों मज़ा आ रहा था।
फिर उन्होंने मेरे बोबे को धीरे से दबाया और उसे मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगे और दूसरे बोबे को धीरे धीरे दबाने लगे। मुझे मज़ा आ रहा था। मैंने गर्दन को थोड़ा सा पीछे किया और घुटनों के बल थोड़ा खड़ा हो गया. अब भैया ने जमकर मेरे दोनों बोबों को चूसा।
जैसे ही मुझे एक में दर्द होने लगता भैया दूसरे में लग जाते।
फिर भैया ने धीरे से मेरे नाभि की तरफ अपना रुझान किया और मुझे थोड़ा सा धक्का देकर बेड पर लिटा दिया। फिर उन्होंने मुझे बगल की तरफ से चाटना शुरू किया और एक तरफ से चड्डी को धीरे से दाँत से सरका कर नीचे कर दिया।
दूसरी तरफ से भी उन्होंने वही किया पर मुझे पूरा नंगा नहीं किया।
अब वो मेरे नाभि के नीचे वाली जगह पर चाटने लगे। मेरी सिसकारियाँ निकल गयी। भैया धीरे धीरे अपने मुँह से गर्म गर्म हवा मेरे शरीर पर छोड़ रहे थे और मैं मचल रहा था।
फिर उन्होंने नाभि में अपनी जीभ डाली और धीरे धीरे उसे चाटने लगे। मैं अपनी आँखें बंद किए हुए बस उनको मेरे जिस्म के हर कोने में फील कर रहा था। फिर उन्होंने चड्डी के ऊपर से ही मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया.
और मैं एकदम आँखें खोल कर थोड़ा पीछे हट गया- ये क्या कर रहे हो आप?
“बस वही ज़ो तूने पूछा था। तू चिंता मत कर बहुत मज़ा आएगा तुझे … और मैं किसी को भी नहीं बताने वाला।”
उन्होंने मेरी टाँग पकड़ कर मुझे धीरे से अपनी तरफ खींचा और फिर से मेरे लंड को चड्डी के ऊपर से होंठों से सहलाने लगे।
फिर धीरे से मेरे पास आए और बोले- देख ले आँखें खोल कर … तुझे भी करना पड़ेगा मेरे बाद!
जैसे ही मैंने आँखें खोली भैया ने मेरी चड्डी नीचे सरका दी और मेरा खड़ा हुआ पाँच इंच का छोटा सा लंड अपने मुँह में ले लिया और पूरा थूक से भर दिया और उसे मुँह से अन्दर बाहर करने लगे।
मुझे तो बहुत मज़ा आने लगा।
उन्होंने धीरे धीरे मेरे लोड़े की टोपी खोलने की कोशिश की जो पूरी नहीं खुली. उन्होंने जीभ से मेरे आंड से लेकर लंड के ऊपरी छेद तक जीभ से चाटा।
मुझे तो जैसे स्वर्ग मिल गया हो।
फिर जिस तरह मेरे शरीर पर रेंग कर वो गये थे उसी तरह ऊपर आए और मुझे जम कर किस किया।
“अब तेरा नंबर!” उन्होंने मेरे कान के पास आकर मेरे कान को धीरे से काटते हुए कहा।
“आउच, दर्द हुआ!” मैंने बोला।
“उससे पहले मज़ा भी तो आया ना।”
“हाँ … वो … तो …” मेरे कुछ बोलने से पहले ही वो मुझे फिर से चूमने लगे।
मैंने भी फुल रेस्पोंस देते हुए उनको जम कर किस किया। फिर वो मुझे अपने ऊपर लिए लिए ही लेट गये और किस करते रहे।
फिर मेरी बारी थी। मैंने भी उनके होंठ से होते हुए उनके कान, कान के पीछे, कान के अंदर, गर्दन, छाती, उनके निकले हुए सीने पर मोती जैसे निप्पलों को चाटा। वो सिसकारियाँ ले रहे थे जोकि मुझे और मज़ा दे रहा था।
फिर मैंने उनके चड्डी से ऊपर निकले हुए लंड पर अपने होंठ रखे, भैया तो जैसे तड़प उठे।
उनके टोपे का स्वाद नमकीन था, आज भी लगता है जैसे मेरे मुँह पर हों।
मैंने उनके चड्डी से बाहर निकले हुए लौड़े को चाटा और फिर धीरे से उनकी चड्डी को नीचे सरका दिया। उनका 8 इंच का नाग फनफ़ना कर बाहर आ गया।
मेरे चेहरे से उनको पता चल गया था कि डर रहा हूँ.
तो उन्होंने मेरा डर कम करने की कोशिश की- पूरा नहीं, जितना ले सकता है उतना ही ले, ज़्यादा ज़बरदस्ती नहीं है।
मैंने उनके आंड से लंड तक अपनी जीभ को बाहर निकाल कर चाटा और उनको मज़े आने लगे। मैंने उनका लंड मुँह में लिया जो मुश्किल से आधा ही मेरे मुँह के अंदर गया।
भैया ने थोड़ा सा धक्का दिया तो थोड़ा सा और अंदर चला गया पर मेरी जैसे साँसें रुक सी गयी. एक तो भैया का सुपारा इतना मोटा कि मेरे मुँह के अंदर पूरा आए ही मुश्किल से … और फिर जब हलक तक चला गया तो साँसें तो रुकनी ही थी।
भैया को पता लगा कि मैं सहन नहीं कर पा रहा तो तुरंत मेरे मुँह से लंड निकाला और मुझे किस करने लगे।
मैं लोड़े का स्वाद भूल पाता, इससे पहले ही भैया ने मुझे फिर से चूसने के लिए बोला. मैंने ना में सर हिलाया तो भैया खड़े हुए और बाहर चले गये।
मैं वहीं बैठा रहा।
भैया थोड़ी देर में दो ग्लास के साथ वापस आए।
उन्होंने एक ग्लास में से कुछ पिया और सीधा मेरे मुँह में डाल कर मुझे किस करने लगे।
वाइन थी।
मैंने थूकना चाहा पर उन्होंने आँखें दिखाई तो मैंने गटक ली. ऐसा उन्होंने तीन चार बार किया और आधा गलास वाइन मुझे पिलाई और आधा खुद पी गये।
फिर उन्होंने मुझे बेड के कोने पर लिटाया और ऊपर की तरफ मुँह करने को कहा। मुझे उनके आँड और नौ इंच का लंड दिखाई दे रहा था। उन्होंने दूसरे ग्लास में अपने लोड़े को डुबोया और मेरे मुँह में डाल दिया।
टेस्ट वनीला आइसक्रीम का था. मैं चुपचाप उस आइसक्रीम को चाट रहा था।
उन्होंने मेरे कमर के नीचे हाथ डाला और मुझे थोड़ा सा उठाया और मेरे पैरों को अपने कंधों पर रखवा दिया।
अब हम थे तो 69 की पोज़िशन में … पर वो सीधे ज़मीन पर थे और मैं हवा में उल्टा।
उन्होंने वनीला आइसक्रीम को मेरी गान्ड के पास डाला और उसे चाटने लगे। इस सुख के बदले में मैं भी उनके लोड़े को अंदर तक लेने की कोशिश कर रहा था।
उन्होंने जब जीभ से मेरी गांड के छेद के अंदर बाहर की सारी आइसक्रीम चाट ली तो वो मेरे छेद पर ध्यान देने लगे। अब मेरा मन हो रहा था कि मैं उनके पूरे लोड़े को ही ले लूं मुँह में।
मैंने उनकी गान्ड के पास हाथ रख कर उनके लोड़े पर अपने मुँह को धकेला, वो थोड़ा और अंदर चला गया।
उनकी सिसकारी निकल गयी और उन्होंने भी मेरी गान्ड में अपना मुँह डाल दिया। इसके बाद वो अपना पूरा लंड मेरे मुँह में देना चाहते थे।
उन्होंने मेरी गान्ड के अंदर जीभ डाली और पूरी तरह से मेरी चूतड़ को साफ करते हुए कूल्हे पर काट लिया। मेरी चीख निकली पर लोड़े के आस पास ही कहीं दब कर रह गयी। लोड़ा मुँह से बाहर आ गया।
उन्होंने मेरे पैरों को बेड पर पटका और मुझे बेड पर लिटा दिया। अब धीरे से वो मुँह के पास आए और मेरे मुँह को चाटने लगे किस करने लगे। मेरा मन लोड़े को ही चाह रहा था और उनको भी। उनके मुँह से शराब वनीला की मिक्स खुशबू आ रही थी मतलब उन्होंने पी थी।
“इस बार पूरा अंदर जाएगा, और थोड़ा दर्द भी होगा पर बाद में सब ठीक हो जाएगा। ओके?” शराब का हल्का सुरूर हम दोनों पर था और मैंने मना भी नहीं किया।
उन्होंने अपने लोड़े को मेरे मुँह के अंदर रखा और धीरे धीरे धक्के देने लगे। लोड़ा धीरे धीरे अंदर जाता और जहाँ भी रुकता, वहीं पर वो बाहर निकालकर अगली बार उस से भी अंदर डाल देते।
इस तरह से लगभग सात इंच तक लोड़ा मेरे मुँह में गया और उन्होंने उस लोड़े को वहीं पर रोके रखा और मेरे ऊपर लेट गये। फिर धीरे से मेरे लोड़े को अपने मुँह में लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया।
फिर उन्होंने अपने लोड़े को मेरे मुँह में पेलना शुरू किया और लोड़े को सात, साढ़े सात, आठ, साढ़े आठ, करते हुए पूरा नो इंच मेरे हलक में उतार दिया। मेरे लोड़े पर हो रही जबरदस्त चुसाई की वजह से मैं झड़ने ही वाला था।
मैंने भैया को इशारा किया और उन्होंने चूसना चालू रखा।
उन्होंने मुझे इशारा किया कि बस थोड़ी देर और।
और उन्होंने मेरे मुँह में अपने लोड़े को पूरा बाहर निकाला और पूरा अंदर डाला।
कुछ ही देर में हम दोनों अपनी चरम सीमा पर आ गये, मैंने उनकी गान्ड को कस कर पकड़ा और उन्होंने अपना पूरा लोड़ा मेरे गले के अंदर डालकर अपना वीर्य मेरे हलक में उतार दिया। उनका वो नमकीन पानी मेरे गले में झटको के साथ मेरे गले के साथ मेरे मन को भी तर कर गया।
उन्होंने भी मेरे लोड़े पर स्पीड बढ़ा दी और मैं भी उनके मुँह में झड़ गया। दोनों कुछ देर तक एक दूसरे के लंड को चाटते रहे और फिर एक दूसरे को थोड़ी देर देखते रहे।
रात उसी तरह 69 के लव पोज़ में एक दूसरे को किस करते शुरू हुई और बेतहाशा दोनों एक दूसरे में खोए रहे।