यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
अब तक आपने मेरी इस सेक्स कहानी में पढ़ा कि मेरी ऑफिस में मेरे सतह काम करने वाली एक लड़की शिवानी ने मुझे एक पैकेट दिया. इस पैकेट को कहते हुए उसने मुझसे एकांत में खोलने को कहा था. उस पैकेट में एक पत्र भी लिखा था. वो मैं पढ़ने लगी.
अब आगे..
मेरी प्यारी बिना चुदी चूत … सच कहूँ तो तुमने अभी तक असली मज़ा ही नहीं लिया. जो लड़कियों को मिलना ही चाहिए. तू शादी के इंतज़ार में बुड्ढी हो जाएगी और दूसरों की चुदाई के बारे में सुन सुन कर तड़फती रहेगी. छोड़ दे यह शराफ़त, जो किसी काम की नहीं है. मज़ा ले जिंदगी का, जैसे मैं ले रही हूँ. मैंने तुम्हारी आँखों और चूत के लिए कुछ गर्म मसाला साथ में रखा है, उसे अच्छी तरह से देख ले कि चूत कैसे इस्तेमाल होती है. मुझे पूरा विश्वास है कि अगर इसे तू आराम से देखेगी, तो तेरी चुत भी पानी छोड़ेगी.
इसमें एक नकली डंडे जैसा आइटम है … जो असली लंड का क्लोन है, इसे हाथ में लेकर अपनी चूत पर रख कर घिस. चुत की मटर का दाना, मतलब जो दाना चूत के ऊपर होता है, उसे ही मटर का दाना कह रही हूँ. उस दाने पर इस लंड को धीरे धीरे रगड़ते हुए मजा लेना. फिर ज़ोर ज़ोर से रगड़ना, तब इसे चुत का मुँह खोल कर अन्दर डालने की कोशिश करना. फिर देखना कि कितना मज़ा आता है. अब फोटो देखते हुए चूत को सुख देने के लिए शुरू हो जा. बाय कल मिलते हैं.
अब मैं उन फोटोज को बहुत ध्यान से देखने लगी, क्योंकि मैंने आज तक कभी ऐसी कोई चीज़ नहीं देखी थी. एक के बाद एक फोटो को देखते हुए मेरी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी. फिर कुछ देर बाद चूत का दाना फूलना शुरू हो गया और उसमें पता नहीं क्या होने लगा. मेरा हाथ उस दाने को मसलने लगा.
कुछ देर बाद चूत के होंठों पर भी खुजली सी शुरू हो गई. अब मेरा सारा जिस्म कंपने लगा और पता नहीं मेरी चूत में क्या होता जा रहा था. चूत गीली होनी शुरू हो गई और मुझे लगने लगा कि चड्डी का वो हिस्सा भी गीला लगने लगा, जो चुत का घूंघट बना कर उसके साथ चिपका रहता है. जब मैंने चड्डी उतार कर देखा, तो चूत का मुँह ऐसे खुल और बंद हो रहा था … जैसे कि वो किसी चीज़ को निगलना चाहता हो.
उस पैकेट में एक छोटी सी किताब भी थी … जिस पर अभी तक मेरा ध्यान नहीं गया था.
जब मैंने सारी फोटो देख लीं, तो उस एक अलग से पैकेट पर मेरा ध्यान गया. मैंने उसे भी खोला और वो एक कहानी की किताब थी जिसमें चुदाई की कहानी थी. उस कहानी में किसी लड़की ने डिल्डो से अपनी चुत की चुदाई करते हुए अपनी आपबीती लिखी थी.
उसमें उस लड़की ने डिल्डो के साथ चुदाई की थी और डिल्डो मेरे पास था. फिर मैंने उस डिल्डो को ध्यान से देखा. वो पूरी असली लंड की तरह का था, क्योंकि जो फोटो उसने मुझे पैकेट में थी, उसमें लंड की फोटो ही थी. वो लंड हू ब हू डिल्डो से मिलता था. डिल्डो पर भी उसी तरह से लंड की नसें आदि बनाई हुई थीं. वो नसें फोटो में बने लंड के जैसे ही नज़र आ रही थीं.
मैंने तस्वीरों के अनुसार पहले उस नकली लंड को मुँह में ले कर गीला किया और अपनी चुत के दाने पर उससे मालिश करनी शुरू की. पहले तो मैंने उसको अपनी चूत से सिर्फ़ टच ही किया और थोड़ा सा रगड़ा. मगर बाद में कुछ ज़्यादा रफ्तार से रगड़ने लगी. जैसे जैसे मैं चुत के दाने को रगड़ती, वो दाना रगड़ने की और ज्यादा मांग करने लगता. इसका नतीजा यह हुआ कि मैं चुत के दाने पर अपना थूक लगा कर डिल्डो से रगड़ने लगी. अभी छूट का मुँह खुलने और बंद होने लगा था.
फिर क्या था … मैंने उसी डिल्डो को चुत में अन्दर तक घुसाने की कोशिश की. मगर मेरी चुत का छेद बहुत छोटा था और डिल्डो काफ़ी मोटा था. इसलिए मैं उसे चुत के अन्दर जरा सा भी ना पेल पाई. मैं बाहर से ही जितना भी रगड़ सकती थी, रगड़ा. चुत का पानी निकला या चुत से मूत निकला, पता नहीं कुछ तो हुआ था. बस वो रस निकलने के बाद मुझे कुछ चैन आ गया.
अभी यह काम खत्म भी नहीं हुआ था कि मम्मी की आवाज़ आई- खाना नहीं खाना क्या … तबीयत तो ठीक है.
मैंने कहा- आती हूँ मां, मैं बाथरूम में हूँ.
इस तरह से उस दिन मुझे पहली बार पता लगा कि मैं किसी खास चीज़ से अभी तक वंचित ही रही हूँ.
अगले दिन मैं जानबूझ कर वो सारा कुछ, जो मुझे शिवानी ने दिया था, घर पर ही छोड़ कर ऑफिस आ गई. जैसे ही शिवानी ऑफिस में आई और उसने मुझे देखा, तो वो मेरे पास आ गई.
वो बोली- मेरे पैकेट खोल कर देखा था और अच्छा लगा या नहीं. सही सही बताना, मुझसे कोई झूठ ना बोलना. हां एक बात मैं तुम से वायदा करती हूँ कि जो तुम बताओगी, वो मैं किसी और से नहीं कहूँगी. वो बस तुम्हारे और मेरे बीच में ही रहेगी.
मैंने कहा- तुमने तो मुझे पूरी दुनिया ही दिखा दी है.
उसने हंस कर पूछा- मेरा माल कहां है … वापिस तो लाई हो ना.
मैंने कहा- नहीं यार … आज तो नहीं लाई अगर तुम्हें बहुत ज़रूरत हो, तो कल ला दूँगी.
उसने हंस कर कहा- मुझे तो नहीं, परंतु तुमको बहुत ज़रूरत है, अभी कुछ दिनों के लिए तुम इस सामान को अपने पास ही रखो. मगर यह बता दो कि वो सात इंच लंबा सामान अपनी चुत में डाला या नहीं?
मैंने कहा- नहीं यार … वो अन्दर नहीं जा सका … मैंने बहुत कोशिश की.
इस पर उसने कहा- उसके लिए मुझे लगता है तुम को किसी और की ज़रूरत है. खैर … जब मैंने यह काम शुरू किया है, तो अंत तक मैं ही ले जाउंगी. तुम्हारे घर पर तो यह काम हो नहीं सकता, क्योंकि वहां पर कोई ना कोई आता जाता है. इसलिए कल या परसों, जब भी तुम्हें टाइम मिले, मेरे साथ मेरे घर पर चलना … क्योंकि वहां मेरे सिवा कोई और नहीं है. वहां मैं इस काम का भी श्री गणेश कर दूँगी.
उसने दोपहर में किसी से कुछ नहीं कहा और इधर उधर की बातें ही होती रहीं.
शाम को ऑफिस बंद होने से पहले वो मेरे पास आकर बोली- कल चलना और घर पर बोल कर आना कि कुछ देर हो सकती है. हां और सुन … यहां किसी को नहीं पता लगना चाहिए. मैं कल ऑफिस आते ही कोई बहन बना कर घर चली जाऊँगी और तुम कुछ देर बाद मेरे घर पर आ जाना.
मैंने कहा- हां यह सही रहेगा.
अगले दिन ऑफिस आते ही शिवानी ने कहा- मेरी तबीयत कुछ खराब लग रही है, इसलिए मैं डाक्टर के पास जा रही हूँ.
जाते जाते वो मेरे पास आ कर आँख मार कर चली गई. अब मेरा भी दिल ऑफिस में नहीं लग रहा था. कुछ देर बाद मैंने भी ऑफिस में कहा- मेरे घर से फ़ोन आया है, इसलिए मुझे वापिस जाना होगा.
यह कह कर मैं भी ऑफिस से निकलकर शिवानी के घर जा पहुंच गई.
वो शायद मेरे आने का ही इंतज़ार कर रही थी. जब मैं उसके घर पर पहुंची, तो उसे मैं देखती ही रह गई. उसने एक पारदर्शी नाइटी डाली हुई थी, जिसमें से उसका एक एक अंग पूरी तरह से नज़र आ रहा था. उसमें मम्मे और मम्मों के निप्पल साफ साफ नज़र आ रहे थे. उसने अपनी चूत को पूरी तरह से बालों से साफ़ करके रखा हुआ था. क्योंकि चूत पूरी तरह से चिकनी नज़र आ रही थी. जब मैंने उसे देखा, तो देखती ही रह गई.
उसने मुझसे कहा- क्या देख रही हो … कभी खुद को शीशे में नहीं देखा?
मैं कुछ शर्मा गई और कुछ नहीं बोली.
अब शिवानी ने मुझसे कहा- मैंने एक और ऐसी ही नाइटी तुम्हारे लिए रखी है, उसे तुम डाल लो.
मैंने कहा- मुझे ऐसे कपड़ों में बहुत शर्म आती है.
तब उसने कहा- अब शर्म नाम की चिड़िया को मां चुदाने दो. पूरा मज़ा बिना कपड़ों के ही मिलता है. मैं तो भी तुम्हें भून डालने के लिए कुछ दे ही रही हूँ.
जब मैंने देखा कि कोई और चारा नहीं है, तो मैं दूसरे कमरे में जाने लगी.
उसने कहा- यहीं मेरे सामने डालो. … मुझसे कोई शर्म ना करो. अभी कुछ देर बाद जो होना है, वो तो शर्म की सारी धज्जियां उड़ा देगा.
फिर मैंने सारे कपड़े उतार कर जैसे ही उसकी दी हुई नाइटी डालने लगी, तो उसने कहा कि रुक ज़रा, तुमने चूत पर पूरा जंगल उगा रखा है. सारा मूड खराब कर दिया. रुक ज़रा, अब इस जंगल को साफ़ कर असली काम के रास्ते को निकालना है.
शिवानी ने मुझे नंगी ही रहने को कहा और खुद वो बाथरूम से एक शेविंग किट लेकर आई. उसने मेरी चुत के आस पास जहां भी झांटें उगी हुई थीं, वहां पर गर्म पानी से उस पूरी जगह को गीला करके फिर बहुत सारी क्रीम लगा दी. फिर एक सेफ़्टी रेज़र से पूरी तरह से सफाई कर दी.
अब वो बोली- जाकर शीशे में देख कर आ कि जहां जंगल था, वहां अब मंगल मनाया जाने वाला है या नहीं.
यह सब करके उसने अपनी नाइटी भी उतार कर फैंक दी और पूरी तरह से नंगी हो गई.
फिर वो मुझसे बोली- अब मेरे मम्मों को चूस और अपने चुसवा.
बिना कोई देर लगाए वो मेरे मम्मों को दबा दबा कर चूसने लगी. क्योंकि उन पर अभी तक किसी का हाथ नहीं लगा था, इसलिए वो काफ़ी कड़क थे.
मेरे मम्मों को दबाने की वजह से मुझे पता नहीं, कुछ होता सा जा रहा था. फिर उसने मेरे मम्मों के निप्पलों को बारी बारी से मुँह में लेकर चूसने और काटने में लग गई.
मैंने उसे मना किया, तो वो बोली- तू भी मेरे साथ ऐसा ही कर ना.
जब कुछ देर इसी तरह से बीत गयी तो वो मेरी चूत के पास पहुंच गई और चूत को खोल कर देखने लगी.
चूत देख कर वो बोली- तू तो ठीक ही कह रही थी, इसका रास्ता तो अभी बंद है … इसे तो किसी मिस्त्री से खुलवाना पड़ेगा. बोल अगर कहे तो अपने किसी यार को बुला कर खुलवा दूं.
मैंने कहा- क्या मतलब?
वो बोली कि इसे किसी मस्त लड़के के लंड से चुदवा दूँ.
मैंने कहा- नहीं नहीं … मुझे किसी लड़के को अपने पास भी नहीं आने देना. फिर यह बात मुझसे कभी ना करना.
उसने कहा- ठीक है.
वो समझ चुकी थी कि अभी चिड़िया के पर लगे हुए हैं और यह उड़ना जानती है. इसलिए जब तक इसके पर नहीं काटे जाएंगे, तब तक यह किसी का लंड नहीं लेगी.
शिवानी ने मुझसे कोई बहस नहीं की और बोली- ठीक है, यह तो तुम्हारा अपना निर्णय है, जो तुम चाहो वो ही करो. अब बोलो तो मैं इसमें डिल्डो डाल कर तुम्हें मज़ा दिलवा देती हूँ.
उसने मेरा डर दूर करने के लिए मुझसे कहा- देख … जैसा मैं करती हूँ, वैसे ही तुझे करना है.
इतना कह कर उसने अल्मारी से एक तीन इंच मोटा और आठ इंच लंबा एक दूसरा डिल्डो, जो उसके पास था, लाकर मुझे पकड़ा दिया.
वो बोली- इसको मुँह में लेकर पूरी तरह से गीला करो.
मैं नकली लंड चूसने लगी.
जब वो गीला हो गया, तो वो बोली- अब इसको मेरी चुत में घुसेड़ दो.
मैंने कहा- यह नहीं जाएगा.
वो बोली- इसका बाप भी जाएगा, यह किस खेत की चिड़िया है.
यह कह कर उसने अपनी चुत खोल कर मेरे आगे कर दी और बोली- चल डाल इसमें.
मैंने जैसे ही उसमें लंड डालने की कोशिश की, तो वो बिना किसी रुकावट के अन्दर जाने लगा. क्योंकि उसकी चुत पता नहीं पहले से ही बहुत से लंड खा चुकी थी. इसलिए उसे कोई तकलीफ़ नहीं हुई.
जब लगभग पूरा लंड अन्दर जा चुका, तो वो बोली- अब इसको आधा बाहर निकाल कर फिर से अन्दर कर … और ऐसा बार बार कर … जल्दी जल्दी से. अब तुम अपने हाथों कर करतब दिखाओ ताकि यह इंजिन की भाँति मेरी चुत में चले.
जब बहुत देर तक यह सब वो करवाती रही, तब उसका जिस्म कुछ ऐंठने सा लगा और उसने ‘हूँ हूँ हूँ..’ करके मेरे हाथों को डिल्डो के साथ हटा दिया. जैसे ही वो अलग हुआ, उसकी चुत ने एक फुव्वारा सा छोड़ दिया. मुझे लगा कि शायद उसने मूत दिया है. मगर वो मूत नहीं था, चुत का पानी था, जिसके निकलते ही वो किसी हद तक शांत हो गई.
फिर वो मुझसे बोली- अब तेरी बारी है … बोल तैयार है?
मैंने कहा- हां.
तो वो बोली- इतना मोटा और लंबा तो तू नहीं झेल पाएगी. इसलिए मैं पहले तुम्हारी चूत में अपनी उंगली से चुदाई करती हूँ.
यह कह कर उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी.
उसके बाद उसने अपनी उंगली मेरी चूत में अन्दर तक डाल दी. मुझे कुछ अजीब सा लगा. मगर उसकी उंगली को चुत में डलवाने से मुझे कोई तकलीफ़ नहीं हुई.
फिर उसने अपनी उंगली को ज़ोर ज़ोर से अन्दर बाहर करना शुरू किया, जिससे मुझे बहुत अच्छा लगने लगा.
आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लग रही है, इसको लेकर आप क्या सोचते हैं, प्लीज़ मुझे मेल जरूर करें.
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कहानी जारी है.