यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
इस सेक्स स्टोरी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मेरे कहने पर सागर को शिवानी ने उकसाया कि वो मुझे चोद दे. उसी ने सागर को मुझे किसी सिनेमा हॉल में ले जाने का आईडिया दिया.
अब आगे:
शिवानी ने यह सब मुझको बता दिया और मैं भी तैयार थी ऐसे मौके के लिए.
सागर ने अगले ही दिन का प्रोग्राम बना कर मुझसे कहा- क्या तुम मेरे साथ पिक्चर देखने चलोगी.
मैंने कहा- जाना तो नहीं चाहती, मगर तुमको मना भी नहीं किया जा सकता.
उसने सबसे पीछे की कतार में कोने की टिकेट्स ले लिए और मुझे पिक्चर हॉल में ले गया. वहां हमारे जैसे कई जोड़े थे, वो शायद यही काम करने के लिए आए थे. पिक्चर तो बिल्कुल बेकार थी, उस में कोई भी किसी का भी दिल नहीं लग रहा था. मगर मैंने देखा कि आस पास के लड़के लड़कियां एक दूसरे से चूमा-चाटी कर रहे थे और किसी ने किसी का लंड पकड़ रखा था, तो किसी ने उसके मम्मों को दबा दबा कर उसकी मीठी मीठी आवाजें निकलवा रहा था. उनकी बार बार कामुक आवाजें आ रही थीं ‘आह … ज़रा धीरे धीरे करो कोई हमारी तरफ देखेगा..’ उसका जवाब भी सुनाई पड़ता था ‘कौन देखेगा … वो सब भी इसी काम में लगे हुए हैं. उन्हें अपने से ही फ़ुर्सत नहीं है, हमारी तरफ वो क्या देखेंगे.’
अब सागर को भी कुछ जोश चढ़ा और उसने एक हाथ मेरी गर्दन के नीचे से निकाल कर दूसरी तरफ कर दिया. उसका वो हाथ मेरे मम्मों तक पहुंच जाने वाला था. दूसरे हाथ से वो मेरी जांघों पर फेरने लगा. मैंने उसके इस काम का कोई विरोध नहीं किया बल्कि मैंने भी अपना एक हाथ उसके पैंट के ऊपर उसकी जांघों पर रख दिया, जो उसके लंड के बहुत ही करीब था.
अब उसका कुछ हौसला और बढ़ गया और उसने अपना हाथ कपड़ों के ऊपर से ही मेरे मम्मों पर रख दिया.
मैंने कहा- यह क्या कर रहे हो?
उसने झट से अपना हाथ वहां से उठा लिया. मगर कुछ देर बाद फिर से रख दिया.
मैंने कहा- लगता है तुम नहीं मानोगे.
उसने कहा- सॉरी अब ध्यान रखूँगा.
फिर पिक्चर का इंटरवल हो गया, तो हॉल में लाइट जल गई. तब देखा कि कई लड़के लड़कियां लगभग नंगे थे और अपने काम में मस्त थे.
यह सब देख कर मैंने कहा- क्या तुम मुझे यह सब दिखाने के लिए यहां पर लाए हो.
उसने कहा- नहीं पूनम … अब कोई क्या कर रहा है, उस पर क्या कहा जा सकता है.
इंटरवाल के बाद उसको कुछ और जोश आ गया. अबकी बार उसने ना सिर्फ़ मेरे मम्मों पर हाथ ही रखा … बल्कि दबा भी दिया.
इस बार मैंने उससे कुछ नहीं कहा. उसको जो वो करना चाहता था, करने दिया.
फिर उसने हाथ हटा दिया, मगर अब भी एक हाथ उसने मेरी चूत के पास ही रहने दिया. अब उसका डर निकलता जा रहा था और वो कुछ ज़्यादा करने को आतुर हो उठा था. उसने अपना हाथ जो मेरे मम्मों पर था, मेरी शर्ट के अन्दर डाल दिया. मैंने उसका कोई विरोध नहीं किया और उसने शर्ट के अन्दर से मेरे नंगे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया.
मैंने भी उसका हाथ निकालने की कोई कोशिश नहीं कि बल्कि अपनी सहमति दे दी. मगर मैं ऊपर से बोल रही थी- उन्ह … यह क्या कर रहे हो?
वो कुछ नहीं बोला और मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा.
मैंने कहा- आह … ई..ससी … यह सब अच्छा नहीं कर रहे हो.
मगर उसने मेरी कमीज़ के बटन खोल कर मम्मों के निप्पल भी मुँह में डाल लिए और मैंने जो जींस डाली हुई थी उसके बटन खोल दिए. उसने अपना दूसरा हाथ मेरी चूत पर रख कर उसे भी अपनी मुठ्ठी में भर कर दबाने लगा.
अब मुझसे भी ना रहा गया और मैंने भी उसकी पैंट के बटन खोल कर उसका लंड हाथ में ले कर उस ऊपर नीचे करने लगी. उसका लंड पूरा कड़क हो चुका था और लगता था कि 6 या 7 इंच लंबा है, मोटा भी खूब था.
मैं जोर जोर से उसके लंड को हिला हिला कर हाथों को ऊपर नीचे कर रही थी. जिसका असर यह हुआ कि कुछ देर बाद उसके लंड ने अपना रस छोड़ दिया और वो मेरे हाथों पर लग गया. क्योंकि हॉल में अंधेरा था, इसलिए यह नहीं पता लगा कि लंड का रस कहां कहां पर गया था.
अब हमारे बीच सब कुछ खुल गया था और शर्म की दीवार टूट चुकी थी. पिक्चर खत्म होने के बाद जब हम दोनों बाहर आए, तो सबसे पहले मैंने अपने हाथों को धोया और देखा कि उसकी पैंट भी खराब हो गई थी.
मैंने उससे कहा- अब सीधे घर जाकर अपनी पैंट को बदलो.
उसने जवाब दिया- तुम भी मेरे साथ चलो. आज छुट्टी का दिन है और तुम फोन करके घर पर बोल दो कि किसी सहेली के साथ हो, शाम को ही वापिस आओगी.
दिल तो मेरा भी नहीं कर रहा था उसको छोड़ कर जाने का, इसलिए मैंने उस पर अहसान दिखाते हुए घर पर फोन कर दिया.
मैं उसके साथ उसके घर पर चली आई. वो यहां अकेला ही रहता था और उसने एक कमरा, जिसके साथ टॉयलेट भी था, किराए पर लिया हुआ था. उसका कमरा ऊपरी छत पर था, जिससे उसके कमरे में क्या हो रहा है, किसी को कुछ पता नहीं लगता था. जब मैं उसके घर पर आई, तो देखा कि एक बेड था, एक अलमारी और एक दो सूटकेस रखे थे.
मुझे वहां और कुछ नज़र नहीं आया. उसने जाते से अपने बेड को ठीक किया और मुझे वहां पर बिठा दिया. अब और तो कोई जगह नहीं थी, जिस पर वो बैठ सकता … इसलिए वो भी बेड पर ही बैठ गया.
वो बोला कि जब तक किसी का साथ ना हो, तो घर इसी तरह का रहता है. अब तुम पर है, जब तुम आओगी, तो इसको कैसा बनाना चाहोगी. मैंने तो कोरा काग़ज़ रखा हुआ है, जिस पर तुम जो चाहो लिख लेना.
मैंने कहा- इतनी ऊंची ऊंची बातें कर रहे हो अपने घरवालों से कभी पूछा भी है.
उसने कहा- मुझे अब उनकी कोई परवाह नहीं है. अगर तुम और तुम्हारे घरवाले मान जाएं, तो मैं मंदिर में चल कर या कोर्ट में चल शादी भी कर सकता हूँ.
मैंने उससे कहा- जानते भी हो, क्या बोल रहे हो. इसका मतलब होता है कि सभी से रिश्ते तोड़ लेना. तुम अपने मां बाप को मनाने की कोशिश क्यों नहीं करते?
सागर- तुम कहती हो, तो मैं एक बार और कोशिश करके देखता हूँ. मगर मुझे पता है कि वो नहीं मानेंगे.
कुछ देर तक इधर उधर की बातें करते हुए उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मुझे पूरी तरह से चूमने लगा. चूमते हुए उसने मेरी शर्ट भी उतार दी और ब्रा भी खोल कर नंगे मम्मों को दबा दबा कर चूसने लगा.
मैं कहती रह गई कि इस तरह से ना करो, कोई आ जाएगा.
उसने कहा- भाड़ में जाएं आने वाले. अब मैं नहीं रुक सकता. तुम्हारे जिस्म की खुश्बू में पूरी तरह खो जाना चाहता हूँ.
उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और फिर मेरे शरीर से पूरी तरह से खेलना शुरू कर दिया. जब उसने मेरी चूत तक जाने की कोशिश की, तो मैंने उसका हाथ रोक लिया.
मैंने उससे कहा- यहां कुछ भी नहीं करना, जो करना हो … वो शादी के बाद ही करना.
उसने कहा- तो फिर चलो अभी मंदिर में शादी कर लेते हैं.
मैंने कहा- शादी कोई मज़ाक नहीं है.
उसका लंड अब तक अपने पूरे शवाब पर था, जिसको उसने मेरे सामने बाहर निकाल कर पूरी तरह से आज़ाद कर दिया था. फिर अपने कपड़े भी उतार दिए. वो पूरी तरह से नंगा था और मैं सिर्फ़ छोटी सी चड्डी में थी.
वो बोला- देखा जानेमन, यह तुमको देख कर मचल रहा है … इसको अपनी दिखा तो दो.
मैंने कहा- क्या?
वो बोला- तुम जानती नहीं कि क्या दिखाना है?
मैंने कहा- नाम ले कर बोलो, तो पता चले. मैं इतनी पढ़ी लिखी नहीं हूँ कि इस तरह के कोड वर्ड्स का मतलब भी समझ सकूँ.
उसने कहा- अपनी फुद्दी या चूत … जो चाहो कह लो.
मैंने कहा- दिखा दूँगी मगर इसको अन्दर नहीं करने दूँगी.
वो बोला- क्यों इस पर ज़ुल्म करती हो. आख़िर तो यह तुम्हारी चूत का ही है.
मैं- हां … मगर अभी मेरा बना नहीं है. जब मेरा बन जाएगा, तो यह मुझसे पूछेगा नहीं … ज़बरदस्ती अपने घर में घुस जाएगा.
सागर मायूस होकर बोला- इतना जुल्म ठीक नहीं है.
मैं- अच्छा मैं तुमको एक रियायत दे देती हूँ. तुम मेरी चूत पर अपना मुँह मार लो मगर इसमें लंड नहीं करना.
उसने कहा- ठीक है.
फिर वो मेरी चूत को चूसने लगा. जैसे ही उसने अपनी ज़ुबान मेरी चूत पर रख कर अन्दर की, मेरी चूत तो उछल पड़ी. गीली तो वो पहले से ही थी. वो अपनी उंगलियों से मेरे चूत के दाने को दबाने भी लगा.
कुछ देर बाद उसने कहा- अब मैं तुमको पूनम नहीं पुन्नी कहा करूँगा.
मैंने कहा- पूनम जी से पूनम तक पहुंचते तुमको 6 महीने लग गए. पूनम से पुन्नी तक पहुंचते हुए तुम एक महीना लग गया. इसके बाद कितना समय लग जाएगा इसको अपनी पुन्नी बनाने में.
उसने कहा- वो भी तुमको जल्दी पता लग जाएगा.
उसका लंड पूरा फनफना रहा था और आपे से बाहर हो रहा था. उसने मुझे बातों में लगा कर झट से अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रख दिया और जब तक मैं कुछ समझ पाती, उसने एक धक्का मार दिया. जिसका नतीजा था कि लंड का सुपारा मेरी चूत में घुस गया.
अभी मैं उससे कुछ कहना चाह रही थी कि यह क्या किया, तभी उसने एक और करारा सा धक्का दे मारा और उसका तीन चौथाई लंड मेरी चूत के अन्दर घुस गया था. अब कुछ भी कहने का कोई फ़ायदा नहीं था … क्योंकि उसके लंड के लिए चूत तो मेरी भी तड़फ़ रही थी.
इतने में उसने एक और जोरदार झटका मारा और पूरा लंड मेरी चूत की जड़ तक घुसा दिया. मुझे असली लंड से चुदने में दर्द होने लगा था. मैं तड़फ उठी थी. मगर कुछ ही पलों के दर्द के बाद मेरी पीढ़ा खत्म हो गई.
अब मेरी चूत उछलना चाह रही थी, मगर उसने अपना पूरा वजन मेरे ऊपर दबा कर रखा हुआ था. जिससे मैं हिल नहीं पा रही थी.
वो बोला- देखा पहले 6 महीने, फिर 1 महीने, फिर 1 घंटा भी नहीं. अब तो लंड मेरा तेरी चूत का बन गया. यह इसका घर है, जब चाहे इसमें घुस जाएगा. तुम अब इसको इसके अपने घर पर आने से मना ना करना.
मैं कुछ ना बोली और उसने चुदाई शुरू कर दी. आज पहली बार मेरी चूत को असली लंड नसीब हुआ था. वो तो खुशी से फूल कर कुप्पा बन गई और सागर के हर धक्के का जवाब नीचे से उछल कर देने लगी थी.
पूरी चुदाई करके जब वो चूत के ऊपर से उतरा, तो बोला- सच सच बताना कि तुमको कैसा लगा.
मैंने उससे लिपटते हुए कहा- तुम अपनी बताओ?
उसने कहा- मेरी तो आज लॉटरी लगी है, जो तुम्हारी चूत के आज दर्शन ही नहीं बल्कि आज ही मेरा लंड इसमें अन्दर तक सैर भी करके आ गया है.
अब चुदाई के यह सिलसिला कुछ ऐसा चला कि रुकने का नाम ही नहीं लेता था. शिवानी को भी पता चल गया था कि मेरे चूत की भूमि पर आजकल सागर अपने लंड का हल चला रहा है.
एक दिन वो बोली- यार, क्यों ना हम दोनों अपने अपने लंडों से एक दूसरे के सामने चुदें.
मैंने कहा- मुझे तो कोई ऐतराज़ नहीं … मगर सागर को मैं नहीं कह सकती.
उसने कहा- यह काम तुम मुझ पर छोड़ दो.
दो तीन दिनों बाद शिवानी की कोई मीटिंग थी, जिसमें सागर भी था. उस मीटिंग के बाद शिवानी ने सागर से कहा- देखो यार, तुमने मेरी चूत को ठुकरा दिया था … मगर एक बात तो मानोगे कि आख़िर तुमको चूत दिलवाने के लिए मैं ही तुम्हारे काम आई … तुम तो यूँ ही रह जाते और अगर मैं तुमको नहीं कहती कि कुछ करो, तो पूनम किसी और से चुद जाती.
उसने कहा- यह बात तो ठीक है, मैं आपका बहुत शुक्रगुज़ार हूँ.
शिवानी ने सागर से कहा- फिर मिठाई खिलाओ मुझको.
उसने कहा- जब जी चाहे खा लो.
तब शिवानी ने उसको असली बात पर लाकर कहा- मुझे खानी नहीं, देखनी है … बोलो दिखाओगे.
वो कुछ हैरान होकर बोला- क्या मतलब?
शिवानी ने कहा- जिस लंड से मैं चुदना चाहती थी, मैं उसका काम देखना चाहती हूँ.
उसने कहा- यह नामुमकिन है. मैं पूनम के साथ कभी भी धोखा नहीं कर सकता.
शिवानी- मैंने कब कहा है कि तुम उसको धोखा दो. मैं तो तुम्हारी और पूनम की चुदाई देखना चाहती हूँ. बोलो दिखाओगे?
उसने कहा- यह नहीं हो पाएगा क्योंकि पूनम को मैं ऐसी कोई भी बात नहीं कह सकता, जिससे वो मुझ पर बिगड़ जाए.
इस पर शिवानी ने कहा- तुम अपनी तरफ से हां बोलो, बाकी का काम मैं खुद ही संभाल लूँगी. हां एक बात और भी है, जब तुम्हारी चुदाई मैं देखूँगी, तो तुमको भी अपने यार से करते हुए अपनी चुदाई दिखला दूँगी.
उसने कहा- तुम पूनम को मना सकती हो, तो मना लो. मैं करने को तैयार हूँ मगर मेरा नाम इस काम में नहीं आना चाहिए.
उसने कहा- ठीक है. अब तुम इसी रविवार को मेरे घर पर आ जाना.
ये सब बातें बता कर शिवानी ने मुझको भी कह दिया कि वो निश्चित समय पर उसके घर पर आ जाए.
आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लग रही है, इसको लेकर आप क्या सोचते हैं, प्लीज़ मुझे मेल जरूर करें.
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कहानी जारी है.