यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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आपने मेरी इस सेक्स कहानी में पढ़ा कि शिवानी ने सागर और मुझे चुदाई करते और खुद की करवाते हुए देखने की स्कीम फिट कर ली थी.
अब आगे:
रविवार को मैं शिवानी के घर पर चली गई. जैसे ही मैं वहां पहुंची, शिवानी का यार भी आ गया. उसके कुछ देर बाद ही सागर भी आ गया. अब हम चारों वहां पर थे और दरवाजा बंद कर दिया गया.
फिर शिवानी ने अपने दोस्त से कहा- अब निकालो अपना लंड और दिखाओ सबको कि मेरी पसंद कैसी है.
उसने अपनी पैन्ट नीचे की और लंड जो खड़ा होना शुरू हो चुका था, उसको बाहर निकाल कर शिवानी से कहा- अब इसके साथ जो करना है वो करो … ताकि इसका आकार पूरे रंग में आ जाए. फिर जल्दी से इसे अपनी चूत से मिलवा दो. यह बहुत भूखा है … देख लो पैन्ट से बाहर आते ही कैसे उछलना शुरू हो गया है.
फिर उसने सागर की तरफ देखा और बोली- अब तुम क्यों शर्मा रहे हो … दिखाओ ना पूनम की पसंद कैसी है?
सागर ने शिवानी का मुँह देखा और फिर मेरे को देखने लगा.
मेरा इशारा पाकर उसने भी अपनी पैन्ट उतार दी और उसने भी लंड पैन्ट से बाहर निकाल लिया. उसका लंड पैन्ट से निकल कर सलामी देने लगा. इसमें कोई भी ग़लत बात नहीं होगी अगर कोई कहे कि सागर का लंड शिवानी के दोस्त के लंड जितना ही लंबा था … मगर मोटा उससे ज़्यादा था … जो हर चूत को प्यारा होता है.
तब तक शिवानी भी कपड़े उतार कर नंगी हो गई और अपने दोस्त को अपनी चूत खोल कर दिखाने लगी. वो अपनी चूत सागर को बिना दिखाए कहां रह सकती थी. उसको भी खोल खोल कर दिखाने लगी.
यह बात मुझे अच्छी नहीं लगी. मैंने भी अपनी चूत को खोल कर सागर के आगे रख कर बिना कुछ कहे ही बोला- उधर क्या देखते हो … इधर देखो … तुम्हारी ये है.
इसके बाद दोनों ही अपनी अपनी चूत को चूसने लग गए और दोनों ने ही अपनी चुत वालियों के मम्मों को निचोड़ना शुरू कर दिया.
जहां शिवानी की चुदाई बहुत रफ़ थी, वहीं पर मेरी चुदाई सागर प्यार से कर रहा था.
यह देख कर शिवानी ने कहा- देखो सागर तुम जिस चूत को चोद रहे हो, वो चूत कोई तुम्हारी बहन की नहीं है, जिस में तुम धक्के मारते हुए डर रहे हो. देखो हमारी तरफ … ये मेरी चूत पर कैसे मस्त धक्के मार रहा है. जब चुदाई करनी ही है. … तो कोई रहम ना करो चूत पर. जब तक चूत की धज्जियां ना उड़ाई जाएं, तब तक चुदाई किस काम की. यह समझ लो कि आज तुम्हें चूत से जंग करनी है और उसको इतना मारना है कि वो फिर कभी तुम्हारे लंड के आगे आंख ना उठा पाए. गालियां दे दे कर साली चूत की चुदाई करो. तभी चूत वाली को मज़ा मिलेगा. सिर्फ़ लंड को चूत में डाल कर कुछ देर तक दिलाया और माल निकालने को चुदाई नहीं कहते … चूत पसीने पसीने होनी चाहिए. ताकि कुछ देर तक वो निढाल हो जाए. जब वो दुबारा लंड ले, तो यही कहे कि अब की बार ज़रा प्यार से करना. मगर करना, उससे भी ज़्यादा तेज. जब 10-15 बार चूत इस तरह से चुदेगी, तभी चूत को असली चुदाई का पता लगेगा, फिर वो हमेशा ही कहा करेगी ‘ज़रा और तेज धक्के मार साले.’
यह सब सुन कर सागर को भी बहुत जोश चढ़ गया. उसने आव देखा ना ताव और जैसे कुत्ता, कुतिया को चुदाई शुरू करते ही धक्के मार मार कर अपने लंड को कुतिया की चूत में जब तक फँसा ना ले, तब तक उसके धक्के देखने लायक होते हैं. बस इस तरह से उसने उस दिन मुझे चोदा.
सच कहूँ तो असली चुदाई का मज़ा तो मुझको आज ही मिला था. मैं तो शिवानी को सही में चुदाई की गुरू मान गई.
उस दिन हम सभी ने अपने अपने पार्टनर से तीन बार चुदाई की. एक बार चूत को नीचे लिटा कर, दूसरी बार कुतिया बना कर और तीसरी बार चूत को लंड पर बिठा कर. मैंने उस दिन चुदाई का पूरा मज़ा लिया. वो दिन जिंदगी भर ना भूलने वाला बन गया.
जब हम वापिस घर जाने लगे तो शिवानी ने कहा- यार, ऐसा प्रोग्राम हर महीने में एक बार बनाया करो.
सबने हामी भरी और वहां से निकल गए.
रास्ते में मैंने सागर से कहा- आज तो तुमने मेरी चूत को अपनी पूरी मर्दानगी दिखा दी. पहले क्यों नहीं दिखलाई?
उसने कहा- सही कहूँ, तो मुझे लगा कि आज शिवानी ने मेरे आत्मसम्मान को ललकारा है. जिसको मैं सह नहीं सका इसलिए मैंने उसके ब्वॉयफ्रेंड से तेज तुमको चोदा. मुझे उस वक़्त नहीं पता था कि तुमको अच्छा लग रहा है या बुरा. मेरे ऊपर तो जुनून सवार था कि आज चूत से पूरा बदला लेना है. जैसे कि वो लंड की कोई पुरानी दुश्मन हो.
मैंने उससे कहा- मेरी इस चूत ने असली मज़ा तो आज ही पाया है.
अगले दिन शिवानी ने मुझसे पूछा- पूनम बता सच बताना कि कल जब मैंने सागर को उंगली की थी, उसके बाद की चुदाई कैसी लगी?
मैंने कहा- यार, सही में चुदाई का असली मज़ा तो कल ही आया था.
शिवानी- तब तो तुम्हें मुझको शुक्रिया करना चाहिए था ना.
मैंने कहा- हां यार … दिल से शुक्रिया. मैं तो मान गई, तू चुदाई की असली गुरू है.
शिवानी- तब निकाल गुरू दक्षिणा.
मैंने कहा- जब चाहो ले लेना, मैं पीछे हटने वाली नहीं.
उसने कहा- देखती हूँ कि सच कहती है या यूँ ही मेरा दिल रखने के लिए कह रही है.
फिर मैंने उससे कहा- एक बार बोल तो सही.
शिवानी- अच्छा बोलती हूँ मगर यार मुझे तुमसे जलन हो रही है. तेरी चूत तो बहुत नसीब वाली निकली. लंड भी 7 इंच लंबा और मोटा भी मस्त है … चूत की धज्जियां उड़ाने के लिए.
मैंने कहा- अब जो है … सो है. अपना अपना नसीब है.
शिवानी- अच्छा एक बार सागर का लंड दिलवा दे मुझको.
मैंने कहा- कुछ होश है कि क्या बोल रही है?
उसने कहा- पूरे होश में हूँ … तभी तो कहा था कि तू सुनते ही उछल कर पीछे भागेगी. ये कहना बहुत आसान है कि जो तू मांगेगी मैं दूँगी. एक बार के लिए ही तो मांगा है, कौन सा मैं उसके साथ रहने वाली हूँ. अगर तू चाहे तो मेरे दोस्त का लंड ले सकती है.
मैंने कहा- मेरे से ऐसी बात कभी भी ना करना कि मैं किसी और के लंड की तरफ देखूं.
शिवानी चुप रही.
मैं बोली- हां, जहां तक सागर के लंड की बात है … तो मैं उसको कुछ नहीं कह सकती. अगर तुम में हिम्मत है और तुम उसको बहला फुसला कर ले सकती हो, ले लो मैं एकदम चुप रहूंगी. अगर मुझे पता भी लग गया, मैं कभी भी उससे इस बात का जिक्र नहीं करूँगी. यह मेरा तुझसे वायदा है.
उसने कहा- ठीक है, अब यह बात हम दोनों के बीच ही रहेगी. मैं उससे चुदूं या ना चुदूं … अब इस बारे में हम एक दूसरे से कभी भी कोई बात नहीं करेंगे. मगर मैं पूरी कोशिश करूँगी उसका लंड मुँह और चूत में लेने के लिए. कामयाबी मिली तो ठीक, ना मिली तो भी ठीक. मगर मेरा यह भी वायदा है कि अगर मैं कामयाब हो गई, तो तुझको बता दूँगी मगर तुम इस बात का ज़िक्र कभी भी सागर से नहीं करोगी.
मैंने कहा- ठीक है.
अब मैं भी सागर की कुछ ज़्यादा ही जासूसी करने लगी कि कहीं यह शिवानी की चूत पर फिसलता है या नहीं. मगर मैं हर समय तो उस पर नज़र नहीं रख सकती थी. यह बात शिवानी को भी पता थी.
उसने कुछ दिनों तक तो कुछ नहीं किया और मुझसे एक दिन बोली- यार, मैंने सागर का ख्याल ही छोड़ दिया है.
शिवानी की बात से मुझे तसल्ली हो गई कि यह नालायक उसको फुसला नहीं सकी. मगर मैं धोखे में रही. वो असल में उसी दिन से सागर के लंड पाने की कोशिश करने लगी, जिस दिन उसने कहा था कि उसने ख्याल ही छोड़ दिया है. ताकि मेरा ध्यान उस पर ना रहे.
मुझे बाद में शिवानी से ही पता लगा कि उसने सागर का लंड एक बार नहीं तीन बार लिया और उसको कैसे पटाया.
वो किस्सा कुछ यूं जमा था. एक दिन वो पतली सी कमीज़ डाल कर सागर के ऑफिस गई और उस समय बरसात हो रही थी. जब वो उससे मिल कर वापिस जाने लगी, तो जानबूझ कर उसके आगे फिसल कर गिर गई. सागर ने उसे उठाया. चूंकि उसने कमीज़ के नीचे कुछ नहीं पहना था, इसलिए उसके मम्मे सागर के हाथों से दब रहे थे. जब उसने शिवानी को उठाया, तो ये सब बड़ी सहजता से हुआ.
फिर वो सागर से कहने लगी- मुझसे चला नहीं जाता, मुझे घर तक छोड़ दो.
सागर ने अपनी बाइक निकाली और उसको अपने पीछे बिठा कर उसके घर ले आया. रास्ते में कुछ बूंदाबाँदी हो गई जिससे उसकी पतली से कमीज़ गीली हो कर पूरी तरह से पारदर्शी हो गई. जब उसने उसे घर पहुंच कर उतरने को कहा.
तो शिवानी ने कहा- मुझे सहारा चाहिए.
जब सागर ने उसे सहारा दिया, तो अब उसके मम्मे, जो पूरी तरह से नज़र आ रहे थे, जिन पर सागर ने जोर से अपनी पकड़ बना ली … ताकि शिवानी कहीं गिर ना जाए.
उसे घर पहुंचा कर जब वो जाने लगा, तो शिवानी ने कहा- नहीं सागर, मैं इतनी बेगैरत नहीं हूँ कि कोई मुझसे इतना करे और मैं उसको चाय कॉफी भी ना पूछूँ. तुमको कॉफी पिए बिना नहीं जाने दे सकती.
रास्ते की बरसात में सागर भी गीला हो चुका था और शिवानी के पास कोई भी लड़कों का कपड़ा नहीं था. उसने कहा- तुम अपने कपड़े उतार कर सुखा लो और जब थोड़े से सूखने लगें, तो उन पर प्रेस करके पूरी तरह से सुखा लेना.
सागर हिचकने लगा तो शिवानी ने उससे कहा- मैंने और तुमने एक दूसरे को पूरी तरह से नंगा देखा हुआ है, इसलिए शर्म छोड़ो और अपने शरीर का ध्यान दो.
इस बात का कुछ असर हुआ और सागर ने चड्डी छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिए. उस शिवानी ने भी उतार कर एक पारदर्शी नाइटी डाल ली. इसका असर हुआ कि सागर का लंड अकड़ने लगा.
फिर जब लंड अकड़ जाए, तो उसको ढीला दो तरह से ही किया जा सकता है. एक तो हाथ से उसको रगड़ा जाए और दूसरा किसी चूत में घुसा कर. पहले काम तो सागर ने नहीं किया … क्योंकि वहां पर कोई ऐसे काम करने की जगह नहीं थी.
फिर उधर शिवानी के पारदर्शी कपड़ों में से उसकी चूत और मम्मे पूरी तरह से सागर के लंड को गर्म कर रहे थे. वो खुद को रोक रहा था, मगर शिवानी उसको कुछ ज़्यादा ही दिखा दिखा कर उसके लंड को पूरी तरह से गर्म कर रही थी.
फिर शिवानी ने उसको कॉफी दी और बोली- पीजिए … आपका लंड तो बहुत उछल कूद कर रहा है. अगर चाहो तो मेरी चूत इसकी सेवा कर सकती है. बाकी आप पर है कि आप मेरी चूत की सेवा लेना चाहते हैं या नहीं.
फिर उसने जानबूझ कर कुछ गर्म कॉफी अपने पैरों के आस पास गिरा दी, जिससे उसको कुछ हुआ नहीं था, मगर उसने ड्रामा ऐसे किया कि वो बुरी तरह से झुलस गई हो.
उसने झट से वो नाइटी भी उतार कर फैंक दी और पूरी तरह से नंगी हो कर वहीं बैठ गई … जैसे उससे उठा नहीं जा रहा हो.
अब सागर ने उसको उठाया और उसी वक्त सागर का लंड शिवानी की चूत से सीधा जा टकराया. अब लंड तो लंड ही था, उसे चूत मिल रही थी, तो वो कहां रुकने वाला था. वो झट से चूत के मुँह पर अपना मुँह लगा बैठा.
उधर शिवानी तो अपनी चूत के मुँह में लंड को लेना चाहती ही थी, मगर सागर अभी भी कुछ झिझक रहा था.
इस पर शिवानी ने कहा- सागर डरो नहीं, मैं किसी से कुछ नहीं कहने वाली. यह लंड जब तक ठंडा नहीं होगा, जब तक यह चूत में घुस कर अपना काम ना कर ले. अच्छा होगा तुम अपना काम करो ताकि यह भी ठंडा हो जाए और तुम वापिस जाने लायक हो सको.
सागर ने कहा- शिवानी देखो आज किस मजबूरी में मैं फँस गया हूँ. ना निगलते बनता है … ना ही उगलते ही.
शिवानी ने कहा- सागर तेरे लंड ने मेरी चूत के साथ क्या किया … या क्या करेगा, आज वो सिवा तुम्हारे और मेरे किसी को नहीं पता लगेगा. तुम भी झिझक छोड़ो और अपना काम करो.
अब सागर कुछ और ना कह पाया और बोला- अब जो करना है मेरा लंड ही करेगा … करने दो इसको. अब मैं खुद ही इसके अधीन हो चुका हूँ. जा बेटा लंड … शिवानी की चूत में जाकर ठंडा हो जा.
फिर चुदाई का जो दौर शुरू हुआ, वो बहुत देर तक चलता रहा. जब चुदाई हो चुकी.
तो शिवानी ने कहा- देखो सागर एक बार चोदो या कई बार … बात तो एक ही है. तुम्हारा लंड एक मस्त लंड है. तुमने एक बार मेरी चूत को ठुकरा दिया था. मगर देख लो, आज वो ही तुम्हारे लंड को अपनी चूत में घुसाए हुए है. अब आज वापिस घर ना जाओ, वहां कौन तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है. आज रात मेरी चूत की पूरी सेवा करके जाओ. फिर तो मैं तुमसे कुछ कह नहीं सकूँगी. आज तो कह सकती हूँ ना.
इस तरह से सागर को फुसला कर उसने उसको पूरी रात अपने घर पर रखा और पूरी रात उससे तीन बार चुदाई करवाई. उसने सागर को बाद में बता भी दिया कि उसको कोई चोट नहीं आई थी, वो सब उसका लंड लेने के लिए ड्रामा था, जिसमें वो पूरी कामयाब रही.
सागर उसको 3 बार चोद चुका था, तो वो भी कुछ कहने लायक नहीं बचा था.
अगले दिन शिवानी ने मुझे सब कुछ बता दिया और अपनी कामयाबी पर बहुत खुश थी.
मगर मैं सागर से कोई गिला शिकवा नहीं कर सकती थी. उसके भी दो कारण थे. एक तो मैंने शिवानी से वायदा किया हुआ था और दूसरा वो अपनी मर्ज़ी से उसको नहीं चोदने गया था. उसको शिवानी ने ऐसी हालात में उलझा दिया था कि उसके पास कोई और चारा नहीं बचा था. हां वो एक बार चोद कर घर वापिस आ सकता था मगर आख़िर लंड को जब चूत की खुश्बू मिल जाती है, तो उससे भी नहीं रहा जाता.
अब मुझे हमेशा यही डर लगा रहता था कि अगर जल्दी से शादी ना हुई तो कुछ उल्टा ना हो जाए. यद्यपि सागर अभी तक तो मुझ पर पूरी तरह से अपनी जान देता था, मगर आख़िर लंड पर ज़्यादा भी विश्वास करना ठीक नहीं था. क्योंकि अगर उसको कोई और नई और मुझसे अच्छी चूत मिल गई, तो वो मुझे छोड़ भी सकता था. फिर मैं उस क्या बिगाड़ सकती थी.
मगर हमारी शादी के लिए मेरे घर वाले ही तैयार नहीं थे क्योंकि उनको पता लग रहा था कि कमाऊ लड़की हाथ से निकल जाएगी. जबकि मैंने उनसे कहा भी था कि आप लोगों को मैं हर महीने घर खर्चे के लिए पैसे दिया करूँगी. मगर उनके गले के नीचे यह बात नहीं निकल पा रही थी क्योंकि उनकी नज़र मेरी पूरी तनख़्वाह पर थी.
उधर सागर के घरवालों ने तो यह कह दिया- जो चाहो करो, हम यही समझेंगे कि हमारा कोई बेटा नहीं था, जिसका नाम सागर था.
इन सब बातों को सोच कर हम बहुत दुखी रहा करते थे. आख़िर इसका भी हल शिवानी ने ही दिया.
वो बोली- पूनम, तू आज से मेरी छोटी बहन है और तेरी शादी की जिम्मेदारी मैं लेती हूँ. तुम चिंता ना करो मैं अपने मां बाप से तुम्हारा कन्यादान करवा दूँगी. रिश्ते वो ही असली होते हैं, जो समय पर काम आएं … ना कि वो, जो हम खून के रिश्तों के लिए सोचा करते हैं. जो चाहें हमें ठुकरा कर अपने उल्लू सीधा करें.
मैं गुमसुम थी.
उसने फिर कहा- अगर मेरे मां बाप ना माने, तो मैं खुद तुम्हारी मां की तरह से तुम्हारा कन्यादान करूँगी. तुम चिंता ना करो, जब तक यह शिवानी जिंदा है, वो तुम तक किसी तरह की मुसीबत नहीं आने देगी. तुमने आज तक देखा होगा कि जो बातें मैंने तुमसे की थीं, वो आज तक किसी को नहीं पता चलीं और ना पता लगेंगी.
मैंने शिवानी से तब अपने दिल के बात कही- शिवानी, मुझे माफ़ कर देना … मैंने तुम्हारे लिए बहुत बुरा दिल में रखा हुआ था … क्योंकि तुमने सागर को फुसलाया था. मगर आज मुझे अपनी उसी सोच का बहुत ही दुख हो रहा है कि मैंने तुमको क्या सोचा था और तुम क्या निकली. सच में तुम सोना हो, जो कि पीतल के रूप में रह रही हो. अगर मैं तुम्हारे अहसान जिंदगी भर भी चुकाना चाहूं, तो भी नहीं चुका पाऊँगी.
शिवानी ने मुझसे कहा- पूनम, सागर वाली बात को भूल जा, उसके बाद में मैंने कभी भी उसको उस नज़र से नहीं देखा. जो हुआ वो हो चुका है, अब कभी फिर से नहीं होगा. तू निश्चिन्त रह … और मुझसे कभी भी ऐसे बात ना करना वरना मैं तुम से कभी नहीं बोलूँगी.
मैं उस दिन शिवानी के गले लग कर बहुत रोई, मगर यह सब आंसू खुशी के थे … ना कि दुख के.
मेरी यह सेक्स कहानी बिल्कुल सच्ची है, जो मेरी किसी जान पहचान वाली के साथ घटित हुई. हां कहानी को कुछ रोचक बनाने के लिए इसमें कुछ तड़का लगाया गया है. आपके ईमेल मुझे प्रोत्साहित करते हैं.
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