मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग
मेरी झटपट सुहागरात-1
में आप ने पढ़ा ही होगा कि सुहाग सेज की तरह सजाये मेरे बेड पर प्रीति दुल्हन बन कर बैठी थी. मैं उसके साथ चुम्बन के साथ मर्दन और कुंचन का खेल खेल रहा था.
अब आगे:
मुझे पता था कि आगे जो होगा … वो सहन कर पाना सबके बस की बात नहीं है.
मैंने प्रीति पर ध्यान दिया, तो पता चला कि वो मेरे ऊपर नंगी बैठी थी. उसने अपने हाथ मेरे सीने पर टिका रखे थे.
प्रीति पूरी नंगी … अपने पति की गोद में किसी बच्चे की तरह बैठी हुई थी. मैंने कुरता-पायजामा अभी तक पहन रखा था. मेरे कसरती बदन की मजबूती बाहर से ही महसूस हो रही थी. प्रीति का बदन बेहद मुलायम चिकना नर्म और कमसिन था.
मैंने धीरे धीरे प्रीति को पीछे खिसकाया और बिस्तर पर गिरा दिया और खुद प्रीति के ऊपर आ गया. मेरे शरीर का पूरा भार प्रीति पर था. प्रीति ने मेरी लोहे जैसी बाजुओं को पकड़ा और मुझे अपने पर से हटाना चाहा, पर नाकामयाब रही. बल्कि जितना वो मुझे हटाती थी, मैं उतना ही प्रीति पर लदे जा रहा था.
अंत में उसने हार मान ली और अपने आपको मुझे सौंप दिया. मैं प्रीति के होंठों को चबा रहा था और प्रीति के निप्पल को अपने मजबूत हाथों से नोंच रहा था. प्रीति ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां भर रही थी, जिससे मुझे और जोश आ रहा था.
कुछ देर हम यूँ ही करते रहे. थोड़ी देर बाद मैं प्रीति पर से हट गया, तो प्रीति ने एक लम्बी सी सांस ली.
फिर मैंने अपना लाया हुआ गिफ्ट प्रीति को दिया और उसे खोला. उसमें चॉकलेट्स थीं.
प्रीति बहुत खुश हो गयी, क्योंकि उसे चॉकलेट्स बहुत पसंद थीं.
मैंने एक चॉकलेट का पैकेट फाड़ा, चॉकलेट को अपने मुँह में रखा और अपने मुँह को प्रीति के मुँह के पास लाया. चॉकलेट देख प्रीति के मुँह में पानी आ गया और प्रीति आगे बढ़ कर मेरे मुँह से चॉकलेट खाने लगी.
अब मैंने मुँह से सारी चॉकलेट अपने और प्रीति के मुँह पर लगा दी. मैं प्रीति के मुँह पर लगी चॉकलेट खाने लगा, प्रीति भी मेरे मुँह पर लगी चॉकलेट चाटने लगी, हमने चाट चाट कर एक दूसरे का मुँह साफ किया.
पहले तो मैंने प्रीति के गले पर बेतहाशा किस किया और काट कर निशान सा बना दिया. फिर उसके कंधों पर किस किया और चूस चूस कर दांत लगा दिए.
वह कराह उठी- आआह्ह धीरे … मुझको प्लीज काटो मत … निशान पड़ जाएंगे.
पर मैं कहां रुकने वाला था. मैंने उसके दोनों कंधों पर काट लिया और वहां लव बाईट्स के निशान पड़ गए. फिर मैं उसके गालों पर टूट पड़ा. उसके गाल बहुत नर्म मुलायम सॉफ्ट और स्वाद में मीठे थे. वहां भी मैंने दांतों से काटा. वह कराहने लगी- आअह्ह आई … ऊह्ह मर गयी … मार डालाअअअ प्लीज प्यार से करो … काटो मत … दर्द होता है.
उसकी कराह से मेरा जोश और बढ़ जाता.
मैं पूरा सेक्स में डूब चुका था, मैं अपने हाथ उसके पीछे ले गया और उसकी मुलायम नर्म पीठ को कस कर पकड़ लिया. कुछ देर बाद मैंने उसे थोड़ा ऊपर किया और प्रीति की एक चुची पर जानवरों की तरह टूट पड़ा. उसके जैसे निप्पलों को आज तक किसी ने नहीं काटा होगा. अब मैं उसके दाएं निप्पल को चूस रहा था और काट रहा था. जब मैं प्रीति के बाएं निप्पल को चूस और काट रहा था, तब मैं उसकी दाएं तरफ वाली चूची को हाथ से दबोच रहा था. उसकी चूची बहुत फूल चुकी थी.
मैंने बोला- प्रीति … तू बहुत मीठी है … मैं तुझे खा जाऊंगा.
प्रीति बोली- अगर खा जाओगे तो कल किसे प्यार करोगे?
मेरा सर पकड़ कर प्रीति ने मुझे हटाना चाहा, लेकिन मैं टस से मस नहीं हुआ और दोनों चुची को एक साथ चूसने और काटने लगा.
प्रीति बहुत चीख रही थी- आआहह … ओमम्म्म … चाटो ना जोर से … सस्स्सस्स हहा …
वो और भी ज्यादा मचलने लगी और अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी. अब उसकी मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं. वो मेरे लगातार चूसे जाने से तेज स्वर में ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कर रही थी.
उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी सनसनी होने लगी थी.
प्रीति की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी. लेकिन उसकी मदद को आने वाला वहां कोई नहीं था. मीठे दर्द के मारे प्रीति के आंसू निकल आए थे, पर मैं इसकी परवाह किए बिना लगा रहा.
फिर थोड़ी देर के बाद उसका शरीर अकड़ गया और फिर वो झड़ गयी.
कुछ देर बाद मैं वहां से हटा. मैंने ध्यान से देखा कि प्रीति की चुचियां फूल गई थीं और उसके नर्म मुलायम स्तन एकदम टाइट हो गए थे. उसके दोनों चूचे सुर्ख लाल हो गए थे. उन पर मेरे दांत के निशान पड़े हुए थे.
जब मैंने उसे रोते हुए देखा, तो मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया और किस करने लगा.
मैंने प्रीति के कान में कहा- जानेमन, रोती क्यों है, मैं तुझे कुछ नहीं होने दूंगा.
यह कह कर मैं प्रीति की चुची को सहलाने लगा. मैंने प्रीति के नमकीन आंसू पी लिए और उठ कर अपने कपड़े उतार दिए. अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था. मैं प्रीति के करीब आ गया. मैं उसके मुँह के पास अपनी अंडरवियर लाया और उसे नीचे कर दिया.
प्रीति ने अपना चेहरे को ऊपर किया, मेरा लंड 7 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा था. वो मेरा मूसल लंड देख कर एकदम से डर गयी. वह बोली- उई माँ … यह तो बहुत तगड़ा है … मुझे तो मार देगा.
मैं बोला- नहीं मेरी रानी, यह तुम्हें पूरे मजे देगा … बस आज थोड़ा दर्द होगा, फिर तो तुम इसे छोड़ोगी नहीं.
मैंने अपने हाथों से प्रीति का मुँह खोला और अपना लंड प्रीति के मुँह में दे दिया. उसके मुँह में मेरा लंड बहुत मुश्किल से गया.
वह लंड निकाल कर सुपारा चाटते हुए बोली- जब मुँह में इतनी मुश्किल से जा रहा है … तो चूत में कैसे जाएगा?
प्रीति को काफी डर लग रहा था क्योंकि लंड काफी लम्बा और मोटा था.
मैं बोला- मेरी रानी फ़िक्र न करो तुम्हें लंड बहुत मजे देगा.
अपना लंड मैं उसके मुँह में में आगे पीछे करने लगा, उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं.
मैं भी अब लंड चुसाई का मजा लेने लगा. चूसने से लंड बिल्कुल लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था.
मैंने अब प्रीति की पेंटी नीचे सरका दी, उसकी चूत बिल्कुल नर्म चिकनी और साफ़ थी, कोई बाल भी नहीं था.
मैंने उसकी चूत को सहलाया तो प्रीति बोली- अभी ही तुम्हारे लिए साफ़ की है.
मैंने अपनी उंगली पर थूक लगाया और उंगली चूत के छेद पर रख दी. मैं चूत को गीली करने लगा. मैंने उसको उठाकर उसकी चूत में अपनी एक उंगली पूरी डाल दी. उसकी सिसकारी निकल गई. फिर मैंने एक जोर का झटका दिया, अब मेरी दो उंगलियां उसकी चूत में जा चुकी थीं.
फिर जब मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली आगे पीछे की, तो वो मेरे लंड को ज़ोर से आगे पीछे करने लगी और ज़ोर से सीत्कार करने लगी.
वो ज़ोर से चिल्लाई- उम्म्ह … अहह … हय … याह … आहह अब लंड डाल दो … अब और इंतज़ार नहीं होता … आह प्लीज जल्दी करो ना … प्लीज आहहह.
इधर मैं प्रीति को उंगली से लगातार चोदे जा रहा था और वो ज़ोर से सीत्कार कर रही थी- ये तूने क्या कर दिया … आह अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है … जल्दी से चोद दो … मेरी चूत में आग लग रही है.
वो ज़ोर-जोर से हांफ रही थी और ‘आहह … एम्म … ओह … डालो ना अन्दर..’ जैसी आवाजें निकाल रही थी.
मैंने उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और फिर से उंगली से जोर जोर से चोदने लगा. कोई 5 मिनट तक तो मैं ऐसे ही उंगली से चोदता रहा. फ़िर जब चूत ढीली हो गई तो मुझे लगा कि अब इसका छेद मेरे लंड को झेल लेगा.
अब तक वो भी अब बहुत गर्म हो गई थी और बार-बार बोल रही थी कि अब डाल दो … रहा नहीं जाता.
मैंने अपना लंड उसकी चिकनी चुत में डालना चाहा … मेरा लंड फिसल कर बाहर ही रह गया. मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और चूत के छेद पर सैट करके और उसके दोनों पैरों को फैला दिया. फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया.
जैसे ही मैंने लंड फंसाया, उसी वक्त मैंने प्रीति की कमर पकड़ कर एक जोरदार धक्का दे मारा. वो एकदम से उछल पड़ी. मगर तब तक मेरे लंड का टोपा चूत में फंस चुका था. मैंने अगले ही पल एक और एक जोरदार धक्का दे मारा.
पूरा कमरा प्रीति की चीख से भर गया. मैंने रुक कर प्रीति की चुची को दबाना चालू कर दिया. मैंने प्रीति के दर्द की परवाह किए बगैर दूसरा झटका दे दिया. इस बार मैंने अपना दो इंच लंड चूत में घुसेड़ दिया था.
इस बार प्रीति पहले से ज्यादा तेज़ चिल्ला उठी थी. प्रीति के आंसू निकल आए थे.
मेरे रुकने से उसने एक राहत की सांस ली, पर मैं अभी भी कहां मानने वाला था. मैंने फिर एक और जोर से धक्का मारा. इस बार करीब 3 इंच लंड अन्दर घुस गया था.
जैसे ही लंड घुसा … वो बहुत जोर से चिल्लाने लगी- आह … मेरी फट गई … आहह आआअहह … प्लीज़ इसे बाहर निकालो … मैं मर जाऊंगी … उफ़फ्फ़ आहह आआहह…
उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे थे, लेकिन मैं नहीं रुका. मुझे लगा मेरा लंड उसकी झिल्ली से टकरा गया था. मैंने अवरोध भी महसूस किया था. मैंने हल्का ज़ोर लगाया, लेकिन लंड अन्दर नहीं जा रहा था.
इधर प्रीति चीखने चिल्लाने में लगी थी.
मैं प्रीति के अन्दर उस गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित था. वो मेरे लिंग को अपनी योनि की दीवारों पर महसूस कर रही थी. एक बार फिर मैं थोड़ा सा पीछे हटा और फिर अन्दर की ओर दवाब दिया. मैंने थोड़ा सा लंड पीछे किया उठा और फिर से धक्का दिया. ज्यादा गहरायी तक नहीं, पर लगभग आधा लंड अन्दर चला गया था. मुझे महसूस हुआ कि मेरे लिंग को प्रीति ने अपनी योनि रस ने भिगो दिया था, जिसकी वजह से लिंग आसानी से अन्दर और बाहर हो पा रहा था.
अगली बार के धक्के में मैंने थोड़ा दबाव बढ़ा दिया. मेरी सांसें जल्दी जल्दी आ जा रही थीं. प्रीति ने अपनी टांगें मेरे चूतड़ों से … और बाहें मेरे कंधे पर लपेट दी थीं. उसने अपने नितम्बों को ऊपर की ओर उठा दिया था. मुझे अन्दर अवरोध महसूस होने लगा था. लंड झिल्ली तक पहुँच चुका था. मेरा लंड उसकी हायमन से टकरा रहा था.
जब मेरे लंड ने उसे भेदकर आगे बढ़ना चाहा, तो प्रीति चिल्लाने लगी कि दर्द के मारे मैं मर जाऊँगी.
मैंने पूरी ताकत के एक धक्का लगा दिया. प्रीति की टांगों ने भी मेरे चूतड़ों को नीचे की ओर कस लिया.
प्रीति के मुँह से निकला- ओह मम्मी … मर गई..
प्रीति के स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर में ऐंठन आ गई. जैसे ही मेरा 7 इंची गर्म … आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में अन्दर घुस गया. फिर अन्दर … और अन्दर वो चलता चला गया … प्रीति की चूत की फांकों को पूरी तरह से चीरते हुए, उसके क्लिटोरिस को छूते हुए मेरा पूरा 7 इंच का लंड अन्दर जड़ तक घुसता चला गया था.
प्रीति की योनि मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी. उधर मेरे चूतड़ भी कड़े होकर दवाब दे रहे थे. मेरा लंड अन्दर तक जा चुका था.
प्रीति भी दर्द के मारे चिल्लाने लगी थी. वो छटपटा रही थी- आहहहह आई … उउउइइइ … ओह्ह्ह्ह बहुत दर्द हो रहा है … प्लीज इसे बाहर निकाल लो … मुझे नहीं चुदना तुमसे … तुम बहुत जालिम हो … यह क्या लोहे की गर्म रॉड घुसा डाली है तुमने मुझमें … आह निकालो इसे … प्लीज बहुत दर्द हो रहा है … मैं दर्द से मर जाऊंगी … प्लीज निकालो इसे …
उसकी आंखों से आंसू की धारा बह निकली. मैं उन आंसुओं को पी गया. मैं उसे चूमते हुए बोला- मेरी रानी बस इस बार बर्दाश्त कर लो … आगे से मजा ही मजा है.
प्रीति की चूत बहुत टाइट थी. मुझे खुद से लगा कि मेरा लंड उसमें जैसे फंस सा गया हो, छिल गया हो. मेरी भी चीख निकल गयी थी.
हम दोनों एक साथ चिल्ला रहे थे ‘ऊह्ह्हह्ह मर गए..’
मैंने एक बार फिर पूरी ताकत लगा कर पीठ उठा कर लंड को बाहर खींचने की कोशिश की, लेकिन लंड टस से मस नहीं हुआ. प्रीति की चूत ने मेरा लंड जकड़ लिया था. मैंने बहुत आगे पीछे होने की कोशिश की, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा.
फिर मैंने पूरी ताकत से एक और धक्का लगाया और लंड पूरा अन्दर समां गया और हम दोनों झड़ गए.
मैं प्रीति के ऊपर गिर गया. फिर मैं कुछ देर के लिए उसके ऊपर ही पड़ा रहा. कुछ देर के बाद वो शांत हुई.
मेरा लंड प्रीति की चूत के अन्दर ही था. मैंने चूत पर हाथ लगाया, तो वह सूज चुकी थी. उसकी चूत एकदम सुर्ख लाल हो गयी थी.
प्रीति दर्द से कहने लगी- क्या हुआ?
मैंने कहा- झड़ने के बाद भी लंड बाहर नहीं निकल रहा है.
प्रीति की चूत ने मेरे लंड को जैसे जकड़ लिया था.
प्रीति रोने लगी- उह्ह … मर गयी … मेरी चूत फाड़ डाली और लंड फंसा डाला … जालिम ने मुझे बर्बाद कर दिया … अब तो मैं मर ही जाऊंगी … अब मैं क्या करूंगी.
कुछ देर बाद जब मुझे लगा झड़ने के बाद भी मेरा लंड खड़ा है … और प्रीति सुबक रही थी. मैंने उसके होंठों से अपने होंठ सटा कर एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लंबा और मोटा लंड पूरा अन्दर चला गया. इस बार के झटके से उसकी चीख उसके गले में ही रह गई और उसकी आंखों से तेजी से आंसू बहने लगे. उसने चेहरे से ही लग रहा था कि उसे बहुत दर्द हो रहा है. मैंने प्रीति को धीरे धीरे चूमना सहलाना और पुचकारना शुरू कर दिया.
मैं बोला- मेरी रानी डर मत कुछ नहीं होगा … थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा.
मैंने उसे लिप किस किया. मैं उसे लिप किस करता ही रहा. वह भी कभी मेरा ऊपर का लिप चूसती, तो कभी नीचे का लिप चूसती रही. मैंने उसके लिप्स पर काटा, तो उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दिया. वो इस वक्त इस चूमाचाटी में अपना दर्द भूल चुकी थी.
फिर मैं उसके होंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी. मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. प्रीति मुझे बेकरारी से चूमने चाटने लगी और चूमते चूमते हमारे मुँह खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं और हमारे मुँह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था.
फिर मैंने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दी. वह सिसकारियां ले मजे लेने लगी. मैंने धीरे धीरे उसकी चूत पर अपने दूसरी उंगली से से उसके क्लाइटोरिस तो सहलाना शुरू कर दिया प्रीति गर्म होने लगी. धीरे धीरे चूत ढीली और गीली होनी शुरू हो गयी.
मेरे लंड पर चूत की कसावट भी कुछ ढीली पड़ गयी. एक मिनट रुकने के बाद मैंने धक्का लगाना शुरू किया.
फिर कुछ देर में ही वो भी मेरा साथ देने लगी. अब उसकी चुदाई में मुझे जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा था. तभी प्रीति ने ढेर सारा पानी मेरे लंड पर छोड़ दिया. चूत अन्दर से रसीली हो गई थी.
लंड को आने जाने में सहूलियत होने लगी थी.
कुछ ही देर में प्रीति ने फिर से स्पीड पकड़ ली थी. वो फिर से जोश में आ गई थी.
अब वो मजे से चिल्लाने लगी थी- अहाआअ … राआजा … मर गई … आईसीई … और जोर से … और जोर से चोदो … आज मेरी चूत को फाड़ दो … आज कुछ भी हो जाए, लेकिन मेरी चूत फाड़े बगैर मत झड़ना … आआआआ और ज़ोर से … उउउईईईई माँ … आहहहां..
उसकी इन आवाजों ने मुझे जैसे जान दे दी हो. मैं पूरी ताकत से प्रीति को चोदने में लग गया. कुछ ही मिनट बाद हम दोनों फिर से चरम पर आ गए थे. मैंने उसकी चूत में ही अपना रस छोड़ दिया.
वो भी एकदम से झड़ कर मुझसे लिपट गई थी.
मैं झड़ने के बाद भी उसे किस करता रहा. करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही साथ में झड़ चुके थे. दो-तीन झटकों बाद मैंने लंड निकाल लिया.
कुछ देर बाद जब हम लोग उठे और चादर को देखा, तो उस पर खून लगा हुआ था. वो मुस्कुराने लगी और मुझसे चिपक गई.
प्रीति मेरी सुहागन बन चुकी थी. ये मेरी बीवी की चुदाई की कहानी मैंने आप सभी के मनोरंजन के लिए ही नहीं लिखी, बल्कि आज फिर से सुहागरात या यूं कहो कि फिर चुदाई की याद ताजा करने के लिए अपना वो संस्मरण आपको लिखा है. आपके मेल का स्वागत है. अपनी प्रतिक्रियाएं मेरी ईमेल पर भेजिए.