देसी गर्ल गांड चुदाई की कहानी में पढ़ें कि बॉयफ्रेंड के चाचा से बुर की सील तुडवाने के बाद जb उन्होंने मेरी गांड मारने की ख्वाहिश जाहिर की तो मैंने क्या किया?
हैलो, मैं सुहानी चौधरी, आप मेरी चुत चुदाई की कहानी का मजा ले रहे थे.
मेरी कुंवारी बुर का पहला चोदन – 3
अब तक आपने जाना था कि चाचा जी मुझे एक बार चोद चुके थे और अब मेरा मन दुबारा चुदने का हो गया था.
अब आगे की इंडियन देसी गर्ल गांड कहानी:
अब मेरी चाचा जी से सारी शर्म खुल गयी थी. मैंने बोला- तो चलें क्या चाचा जी?
उन्होंने पूछा- कहां?
मैंने कहा- बेडरूम में.
उन्होंने पूछा- क्यों?
मैं शर्मा कर बोली- वही करने.
अंकल बोले- नहीं बेटा, हिन्दी भाषा में बोलो … क्या करने चलना है.
मैं मुस्कुरा कर बोली- चाचा जी, मुझे चुदवाने का मन है, चलिए ना बेडरूम में!
चाचा जी सूरज से बोले- तुम भी चलो सूरज.
फिर हम तीनों बेडरूम में आ गए.
चाचा जी बोले- सुहानी बेटा, जैसा मैं कहता हूँ, वैसे करती जाओ. अब हम दोनों मिल कर सूरज को सिखाते हैं.
मैंने कहा- ठीक है चाचा जी.
चाचा जी बोले- सुहानी, तुम ही किस से शुरुआत करो, पर ध्यान रखना अगर लगे कि सूरज झड़ सकता है, तो तुरंत छोड़ देना.
मैंने कहा- ठीक है.
मैंने सूरज का हाथ पकड़ कर उसको खड़ा किया और अपने लाल होंठ उसके होंठों पर रख कर हल्के हल्के किस करने लगी.
उधर चाचा जी भी एक एक करके अपने कपड़े उतारने लगे.
मैं और सूरज किस करते रहे.
फिर चाचा जी ने मेरा कंधा पकड़ कर मुझे सूरज से अलग किया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
चाचा जी मुँह खोल खोल कर वहशी की तरह ज़ोर ज़ोर से चूसते हुए मुझे किस करने लगे.
मैं भी उनके किस में खो गयी और किस करती रही.
फिर एक मिनट बाद चाचा जी किस करके हटे और मैंने अपने होंठ पौंछे.
उन्होंने सूरज से बोला- देख क्या रहा है … फटाफट कपड़े उतार!
सूरज ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया.
चाचा जी ने बोला- सुहानी इसके लंड को तुम्हें ही जगाना पड़ेगा, नीचे बैठ जाओ घुटनों के बल … और शुरू हो जाओ.
मैं घुटनों के बल बैठ गयी और अपने हाथों से सूरज का लंड पकड़ लिया.
उसका लंड एकदम से ऐसे सोया हुआ था, जैसे उसके शरीर से मांस लटक रहा हो.
मैंने अपनी जीभ से लंड को छुआ तो भी उसमें कुछ महसूस नहीं हुआ.
खैर … मैंने ऐसे ही उसे अपने मुँह में ले ले कर चूसना शुरू किया और काफी देर बाद वो हल्का हल्का खड़ा होना शुरू हो गया.
तभी सूरज ज़ोर ज़ोर से सांसें भरने लगा तो चाचा जी ने तुरंत मुझसे उसे अलग कर दिया और बोले- रुक जा बेटा, वरना ये अभी झड़ जाएगा.
फिर चाचा जी ने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और मैं गप्प गप्प करके लंड चूसने लगी.
उधर सूरज का झड़ना रुक गया था और लंड खड़ा हो रखा था.
फिर मैंने मुँह से लंड निकालते हुए चाचा जी से कहा- चाचा जी, इसका लंड सोएगा तो नहीं!
चाचा जी ने कहा- चल ठीक है, तू पहले इससे चुदवा ले, मैं तो बाद में भी चोद लूंगा.
मैं उठी और बेड पर टांग खोल कर लेट गयी.
चाचा जी ने कहा- चल बेटा सूरज, चोद डाल अपनी रंडी को.
मैं भी खुद के लिए रंडी शब्द सुनकर मुस्कुराने लगी.
सूरज मेरे ऊपर आया और अपना लंड मेरे चूत के द्वार पर लगा दिया.
सूरज का लंड चाचा जी छोटा भी था और पतला भी … तो मुझे ज्यादा दर्द महसूस नहीं हुआ और आसानी से उसका पूरा लंड चुत में अन्दर ले गयी.
सूरज ने ज़ोर की ‘आहह ..’ भरी और आखिरकार मेरे बॉयफ्रेंड का लंड मेरी चूत के अन्दर तक पहुंच गया था.
चाचा जी बोले- बेटा सूरज, एकदम नहीं धीरे धीरे निकाल और धीरे धीरे डाल.
उनकी बात मानकर ऐसे ही सूरज धीरे धीरे लंड निकालता और डाल देता, मुझे भी हल्का हल्का मजा आने लगा और मैं भी लंबी लंबी ‘आआहह … आहह ..’ करने लगी.
सूरज को भी चुदाई में बहुत मजा आ रहा था और चाचा जी अपना लंड सहला रहे थे.
मैंने चुदवाते हुए ही कहा- लाओ चाचा जी, मैं सहला देती हूँ.
चाचा जी मेरे बगल में आकर लेट गए और लंड को मेरे मुँह के पास करके बोले- ले मुँह से ही सहला दे.
मैंने बिना कुछ बोले मुँह में उनका लंड मुँह ले लिया और चूसने लगी.
नीचे से सूरज मुझे चोद ही रहा था.
अभी एक डेढ़ मिनट ही हुआ था कि सूरज की सांसें चढ़ने लगी और वो झड़ने के करीब पहुंचने लगा.
चाचा जी ने तुरंत मेरे मुँह से लंड निकाला और उसे मेरे से अलग कर दिया और साइड में बैठने को कहा.
सूरज साइड में बैठ गया और अब चाचा जी मेरे ऊपर चढ़ गए.
वो बोले- अब सुहानी बेटा, मेरी बारी.
इसके बाद उन्होंने उसी पोजीशन में मेरी चूत में लंड ठोक दिया. मेरे मुँह से ‘आउच ..’ निकल गयी और चाचा जी ने मुझे चोदना चालू कर दिया.
चाचा जी दम लगाते हुए ‘हम्म … हम्म.’ करते हुए मुझे चोद रहे थे और मैं टांग खोल कर उनसे चुदवाते हुए ‘आहह … आह … चाचा जी …’ कर रही थी.
चाचा जी ज़ोर ज़ोर से मुझे ऐसे ही 5-6 मिनट तक चोदते रहे. पूरे घर में मेरी चीखें गूंज रही थीं.
आखिर जब चाचा जी थक गए, तो अपने आप अलग हो गए.
उधर सूरज का लंड ढीला हो चुका था. मैंने भी थोड़ा आराम किया.
चाचा जी बोले- अरे इसका लंड तो मुरझा रहा है, चल सूरज बेड पर लेट जा, सुहानी को फिर चूस कर खड़ा करना पड़ेगा.
सूरज वैसे ही टांगें खोल कर लेट गया और मैं बेड के किनारे से झुक कर उसका लंड मुँह में ले कर ‘गुप्प … गुप्प ..’ करके चूसने लगी.
चाचा जी मेरे पीछे आए और मेरी गांड पकड़ कर अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. लंड चुत में घुसाते ही चाचा जी ने चोदना शुरू कर दिया.
मैं भी उनसे चुदवाते हुए आगे पीछे बेड पर हिल रही थी और मेरे मुँह में सूरज का लंड था.
दो मिनट में ही सूरज का लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने मुँह से निकाल के कहा- चाचा जी, इसका खड़ा हो गया है.
चाचा जी ने देखा और बोले- ठीक है, चल चुद ले अपने बॉयफ्रेंड से.
सूरज ऐसे ही लेटे रहा और मैं उसकी तरफ मुँह करके उसके लंड पर बैठ गयी और चूत में लंड लेकर ऊपर नीचे उछल उछल कर चुदवाने लगी.
मैंने उसके हाथों को पकड़ कर अपने मम्मों पर रख दिए और ऊपर झुक कर चुदवाती रही.
मेरे खुले बाल उसके सिर के ऊपर झूल रहे थे और मैं ‘आहह … आहह … सूरज … पता है कब से इंतज़ार था मुझे तुमसे चुदवाने का … आहह … मेरी जान … तुम जल्दी चोदना सीख लो, फिर तो रोज़ चुदाई करा करेंगे … आई लव यू जान.’ कह रही थी.
सूरज- आहह … आहह … बिल्कुल मेरी जान, मैं पूरी कोशिश करूंगा … अब से तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूंगा.
उधर चाचा जी ठीक मेरे पीछे बैठे थे और मेरी गांड को देख रहे थे.
पर इस बार सूरज रुक नहीं पाया और कुछ पलों में ही मेरी चूत में ‘आह … आहह … आहह … सुहानी मैं गया … आहहआ … आह.’ करने लगा और झड़ गया. फिर तुरंत ही उसका लंड ढीला पड़ गया.
मैं हैरान रह गयी और वो बिल्कुल बेजान हो गया.
मैंने कहा- ये क्या यार सूरज, तुम बता नहीं सकते थे कि झड़ने वाले हो.
फिर चाचा जी बोले- कोई बात नहीं सुहानी … मैं तुम्हें अधूरी नहीं छोड़ूँगा, मेरा लंड अभी खड़ा है.
मैं उठ कर चाचा जी के पास आकर खड़ी हो गयी. चाचा जी ने मुझे दीवार से सटाया और मेरी एक टांग जांघों से उठा कर चूत पर अपना लंड रख दिया.
उनका लंड जरा भी ढीला नहीं पड़ा था.
चाचा जी ने घप्प करके लंड चुत में घुसा दिया. मेरे मुँह से ‘आह ..’ निकल गयी और मुझे चूत में लंड जाते ही चैन आ गया.
फिर तो बस उन्होंने मुझे उठा उठा कर चोदना शुरू कर दिया.
मैं ज़ोर ज़ोर से उनकी आंखों में देखते हुए निचले होंठ को दांतों से दबाते हुए ‘उम्महह … उम्महह ..’ करते हुए चुदवा रही थी.
चाचा जी मुझे ऐसे 6-7 मिनट तक लगातार चोदते चले गए.
उन्होंने मुझे चोदते हुए ही कहा- बेटा सुहानी एक गुजारिश है तुमसे!
मैंने कहा- आहह … अहह … चाचा जी, आज तो आप … आहह कुछ भी … मांग लो … आहह … आई लव यू … चाचा जी … बोलो ना क्या चाहिए.
चाचा जी बोले- उम्महह … उम्म … बेटा सुहानी मैंने आज तक किसी की गांड नहीं मारी है … हम्म … प्लीज … एक बार पीछे से लंड डलवा लो.
अब क्योंकि आज मैंने पहली बार ही सेक्स किया था, तो मुझे नहीं पता था कि गांड में बहुत दर्द होता है.
तो मैंने बिना सोचे समझे कहा- आहह … अरे चाचा जी, आप जो चाहे चोद लो आज तो … आहह … स्सी … चाचा जी और ज़ोर से चोदो … आहह …
चाचा जी ने सूरज से बोला कि जा सूरज बाहर से वैसलीन क्रीम ले आ.
सूरज क्रीम लेने चला गया और चाचा जी मुझे चोदते रहे.
कुछ ही देर में सूरज भी आ गया और उसने वैसलीन ला कर बेड के पास रख दी.
चाचा जी रुके और बोला- सुहानी अब बेड पर टांग खोल कर लेट जाओ.
मैंने पूछा- वैसलीन किस लिए चाचा जी!
उन्होंने कहा- गांड में चिकनाई नहीं होती इसलिए अलग से चिकना करना पड़ता है. लो तुम ये वैसलिन लगा लो अपनी गांड में … जितना अन्दर तक हो सके उतनी अन्दर तक लगा लेना.
मैं ये सब पहली बार कर रही थी और मुझे ढंग से पता नहीं था कि क्या होने वाला है.
मैंने उंगली पर ले ले कर अपनी गांड अन्दर से और बाहर से चिकनी कर ली.
फिर चाचा जी ने भी अपने लंड पर वैसलिन लगा ली और उसे पूरा चिकना कर लिया.
इसके बाद चाचा जी मेरे ऊपर आए मेरी गांड पर अपना लंड रगड़ने लगे.
मेरा दिल भी धक धक करने लगा.
फिर चाचा जी ने अपने लंड का सुपारा मेरी गांड पर रख कर दबा दिया, जिससे गुप्प की आवाज आयी और थोड़ा सा लंड अन्दर चला गया.
चाचा जी धीरे धीरे लंड अन्दर डालने लगे तो मुझे बहुत दर्द होने लगा और मैं चिल्लाने लगी- आहह … चाचा जी आराम से … आहह …. काफी दर्द हो रहा है.
मगर चाचा जी नहीं रुके और दबाव डालते हुए लंड अन्दर डालते रहे.
दर्द से मेरी आंखों में आंसू आ गए और अगले ही पल मैंने रोना भी चालू कर दिया.
मेरी गांड बहुत दर्द कर रही थी और चाचा जी लंड घुसाए जा रहे थे.
आखिर चिकनाई कि वजह से लंड मेरी गांड में पूरा घुस गया और उनका पूरा लंड फंसा हुआ था.
मुझे बहुत दर्द हो रहा था और मैं रोते हुए बोल रही- प्लीज चाचा जी, आहह … बहुत दर्द हो रहा है … निकाल लो आहह … प्लीज.
पर चाचा जी कहां मानने वाले थे … उन्होंने चिकना लंड मेरी गांड में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया और मेरी गांड मारने लगे.
मैं दर्द से रोते हुए चाचा जी से विनती करने लगी- आहह … प्लीज छोड़ दो मुझे … आहह … नहीं चाचा जी मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही … आहह … चाचा जी आहह … स्सी … स्सी.
मेरे मुँह से दर्द भरी सिसकारियां निकल रही थीं और आंखों से आंसू बह रहे थे.
पर चाचा जी बिल्कुल भी रहम नहीं कर रहे थे.
वो मुझे 5-6 मिनट तक चोदते रहे मेरी गांड में लंड आगे पीछे करते रहे.
आखिर में जब उनका मन भर गया, तो उन्होंने लंड निकाल लिया और कहा- थैंक्यू बेटा सुहानी … तुमने मेरी ये इच्छा पूरी कर दी. लाओ अब दुबारा से तुम्हारी चूत चोद लूं.
इसके साथ ही उन्होंने चूत में लंड डाला और धबाधब चोदने लगे. मेरी गांड अब भी दर्द कर रही थी, पर चूत में चुदवाने की वजह से बहुत मजा आ रहा था.
मैं ज़ोर ज़ोर से हिलते हुए कह रही थी- आह और ज़ोर से चाचा जी आहह … आई … आहह … स्सी … और ज़ोर से, जितना दर्द दिया है … अब उतना ही मजा भी दे दो … आहह … अहह … और चोदो … और तेज़ धक्के मारो. चाचा जी मुझे इसी तरह सारी रात चोदते रहो.
उधर सूरज मेरी चुदाई देख रहा था, पर उसका झड़ चुका था तो बस ऐसे ही देख रहा था.
आखिरकार चोदते चोदते हम दोनों ही झड़ने के करीब पहुंच गए और कुछ ही पलों में मेरी चूत ने लबालब फ़चर फ़चर करके पानी छोड़ दिया.
उधर चाचा जी भी अब झड़ने को हो गए और बोले- आहह … आहह … सुहानी मैं गया … आह … आहह ..
बस चाचा जी लंड से 5-6 पिचकारी मेरी चूत में ही भरते हुए झड़ गए और लंड डाले डाले ही मेरे ऊपर लेट गए.
हम दोनों की चुदाई भी पूरी हो चुकी थी और हम दोनों तेज तेज सांसें भर रहे थे.
मेरी आंखें अभी भी नम थीं, पर चुदवाने की खुशी होंठों पर थी.
कुछ देर आराम करके चाचा जी बोले- जाओ सुहानी बेटा जा कर साफ हो जाओ, मैं कुछ खाने को मंगा लूं और सूरज तू भी कपड़े पहन ले.
मैं बाथरूम में गयी तो शीशे में देखा कि मेरी हालत तो बहुत खराब हो गयी थी.
मेरे सारे स्टाइल से बनाए हुए बाल बिखर गए थे और झल्ली सी हो गयी थी. काजल भी पूरा फैल गया था और मेरे से ठीक से चला तक नहीं जा रहा था.
मेरी गांड में बहुत दर्द भी हो रहा था.
खैर … मैंने अपने आप को साफ किया और बाहर आकर कपड़े पहन लिए.
आखिर में हम सबने रात को खाना खाया. खाने पर चाचा जी ने पूछा- तो सुहानी बेटा मजा आया ना!
मैंने कहा- बहुत मजा आया पर पीछे बहुत दर्द हो रहा है.
उन्होंने कहा- कोई नहीं मैं दर्द की दवा दे दूंगा, उससे दर्द कम हो जाएगा. ये पहली बार था ना, तो इसलिए ज्यादा हो रहा होगा.
फिर उन्होंने सूरज से पूछा- तो बेटा जी क्या सीखा अपने चाचा से आज? कुछ समझ आया कि चुदाई कैसे करते हैं.
सूरज बोला- हां चाचा जी, मैं सब सीख गया हूँ और अगली बार से खुद को काबू करने की कोशिश करूंगा.
चाचा जी बोले- कोई नहीं धीरे धीरे सीख जाएगा … वरना सुहानी को मेरे पास ले आना, मैं फिर से सिखा दूंगा.
इस पर हम तीनों हंसने लगे.
फिर हम ने खाना खाया और मैंने दर्द की दवाई ले ली. बाद में हम दोनों चाचा जी घर ही सो गए.
अगली सुबह सूरज ने मुझे घर के पास छोड़ दिया और मैं धीरे धीरे घर चली गयी क्योंकि अभी भी हल्का सा दर्द था.
अगले दिन मैंने निशी को अपनी सारी कहानी बता दी. उसने भी मुझे बधाई थी और मेरे लिए खुश हुई.
तो दोस्तो, कैसे लगी आप सबको मेरी इंडियन देसी गर्ल गांड कहानी! मुझे मेल करके जरूर बताइएगा. हो सकता है मैं 2-3 दिन बाद रिप्लाइ कर पाऊं … क्योंकि मैं रोज़ मेल चैक कर नहीं पाती. फिर भी मुझे आपके कमेंट्स का इंतज़ार रहेगा.
तो मिलते है अगली सेक्स कहानी में … तब तक सेक्स कीजिये और खुश रहिए. और अगर गर्लफ्रेंड नहीं है, तो मुझे अपने साथ इमेजिन करके हाथ से हिला लीजिये. धन्यवाद
आपकी प्यारी सुहानी चौधरी
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