मेरी लम्बाई 5 फुट 11 इंच है, मेरा रंग गोरा है. आकर्षक व्यक्तित्व के साथ साथ मेरा औजार भी पूरा 7 इंच का है. नियमित कसरत करने के कारण मेरा शरीर गठीला और मजबूत है.
यह बात तब की है, जब मैं स्नातक की डिग्री के लिए अजमेर में था. राजकीय महाविद्यालय अजमेर में पढ़ते हुए मुझे एक साल हो गया था और मैंने अपने एक दोस्त के साथ आदर्श नगर में मकान किराये पर ले लिया था. हमारा कमरा पहले माले पर था और नीचे मकान मालिक रहते थे.
मकान मालिक की उम्र करीब चालीस साल है और वो एक अध्यापक हैं. वो सुबह से शाम तक स्कूल और कोचिंग में ही रहते हैं. उनकी पत्नी की उम्र करीब 36 साल लेकिन उनको देख कर कोई नहीं कह सकता कि उनकी उम्र 36 है.
मकान मालिक की पत्नी बड़ी ही आकर्षक दिखती हैं, उनका माप 38-32-40 का है. वो थोड़ी सी मोटी हैं, लेकिन उनके मम्मे इस कमी को पूरा कर देते हैं.
उनके एक लड़का और एक लड़की है, जो कि क्रमशः कक्षा 7 और 5 में पढ़ते हैं. भाभी से कभी कभार थोड़ी बहुत बात हो जाती थी लेकिन भाभी के बारे में मेरे मन में कभी चोदने के विचार नहीं थे. लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि मुझे भाभी की चूत मिल गयी और भाभी को मेरा लंड मिल गया.
पहले माले पर होने के कारण हमें पानी नीचे से लाना पड़ता था. एक दिन में तबीयत थोड़ी खराब होने के कारण कॉलेज नहीं गया था. रूम में पानी खत्म हो गया, तो मैं पानी लेने नीचे गया.
सुबह 11 बजे का समय था और घर पे सिर्फ भाभी थीं. बच्चे और भैया स्कूल गए हुए थे. मैंने गेट पर दस्तक दी, तो कोई नहीं आया. मैंने दुबारा गेट बजाया तो इस बार भाभी की आवाज़ आई- आई.
थोड़ी देर बाद भाभी आईं. वो नहा रही थीं, इस कारण उन्हें इतना टाइम लगा.
जब उन्होंने गेट खोला, तो मैं उनको देखता ही रह गया. क्या कमाल लग रही थीं वो. भाभी गाउन पहने हुए खुले और गीले बाल … गाउन के ऊपर से उनकी खड़ी चुचियां साफ दिख रही थीं. मेरा ध्यान चुचियों की तरफ ही था.
जब भाभी आ गईं और मैं कुछ नहीं बोला, तो भाभी ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने अपना ध्यान उनकी चुचियों से हटा कर भाभी से बोला- पानी चाहिये.
उनको पता चल गया था कि मेरा ध्यान उनकी चुचियों पर था.
वो अन्दर पानी लेने गयी, तो अपनी गांड कुछ ज्यादा ही मटकाते हुए चल रही थीं. मेरा मन तो कर रहा था कि यहीं पकड़ लूँ लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी.
थोड़ी देर में भाभी पानी लेकर आईं और इस बार वे बड़ी कामुक नज़रों से मुझे देख रही थीं. उन्होंने मुझे पानी का जग पकड़ाया, तो मैंने पानी लेते टाइम उनके हाथ पर अपना हाथ फिराया. ऐसा करते हुए मैं उनकी तरफ मुस्कुरा दिया, तो वो भी हंस दीं. मैं समझ गया कि आग दोनों तरफ लगी है, बस हथौड़ा मारने की जरूरत है.
बातों बातों में मैं भाभी से बोला- भाभी आज का अखबार भी दे दीजिएगा.
तो वो बोलीं- यही बैठ के पढ़ लो, आप ले जाते हो और वापस नहीं देते.
मैं वहीं सोफे पर बैठ गया और अखबार पढ़ने लगा. भाभी अन्दर चली गईं और थोड़ी देर बाद आकर मेरे पास में ही बैठ गईं. हम दोनों अखबार पढ़ते पढ़ते बातें करने लगे.
मौका मिलते ही मैं भाभी के बोबे देख लेता था. उनको भी पता चल गया था कि मैं उनके बोबे देख रहा हूँ. लेकिन वो कुछ नहीं बोलीं, बल्कि थोड़ा और झुक गईं, जिससे अब मुझे बोबों की दरार भी दिख रही थी. मन तो कर रहा था कि अभी मसल दूँ, लेकिन नहीं कर पाया. लगा. मैंने सोचा अगर कुछ गलत हो गया, तो लेने के देने पड़ जाएंगे.
बातों बातों में मैंने भाभी को बोला- भाभी बड़ा मन हो रहा है … क्या चाय मिल सकती है?
वो बड़ी कामुक नज़रों से मुझे देख कर बोलीं कि सिर्फ चाय का मन है या कुछ और भी चाहिए.
मैंने भी उनकी आंखों में प्यार से झांकते हुए कहा- चाहिए तो बहुत कुछ है लेकिन अभी सिर्फ चाय ले आइए.
इतना कह कर मैं हंसने लगा. वो भी मेरा इशारा समझ गईं और उठते हुए मेरी तरफ थोड़ा झुक कर बोलीं- बता भी दो और क्या चाहिए.
ऐसा करने पर अब मुझे उनके गोरे गोरे बोबे साफ दिख रहे थे. मन तो कर रहा था कि बोल दूं कि बस आप चाहिये और कुछ नहीं. लेकिन मैं कुछ जवाब देता, उससे पहले ही वो चली गईं.
अब मेरा हथियार खड़ा हो गया था और काबू में नहीं आ रहा था. मैं रूम में अकेला था, तो पजामे के ऊपर से ही थोड़ा लंड सहलाते हुए मुठ मार रहा था कि तभी भाभी की आवाज आई- मोहित इधर आना तो.
मैं आवाज सुनकर चौंक गया और अपने लंड को थोड़ा सैट करके अन्दर गया.
भाभी रसोई में थीं और मुझे देख कर बोलीं- जरा ऊपर की अलमारी से चीनी का जार उतार दो. मेरा हाथ नहीं पहुँच रहा.
मैं जैसे ही चीनी उतारने के लिए ऊपर हुआ, तो मेरा लंड थोड़ा साइड में हो गया और भाभी की नज़र उस पर पड़ गयी. मेरा लंड एकदम टाइट हो रहा था और कॉटन के पजामे में साफ नजर आ रहा था.
भाभी अब भी मेरे लंड को देखे जा रही थीं.
जैसे ही मैंने चीनी उतारी, मेरी नज़र भाभी की नज़रों पर पड़ी, जो मेरा लंड देख रही थीं. मैं समझ गया कि अब अपना काम बन सकता है.
मैंने अपना एक हाथ लंड के ऊपर रखा जैसे मैं अनजाने में उसे सैट कर रहा हूँ और दूसरे हाथ से चीनी का डिब्बा भाभी की तरफ करके बोला- ये पकड़ लो.
वो थोड़ा चौंक गयी.
मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ? मैं जार पकड़ने की कह रहा हूँ … आप क्या सोच रही हैं?
तो वो थोड़ा शरमा गईं.
पता नहीं मुझे क्या हुआ और मैंने हिम्मत करकर भाभी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. मैं उनको चूम ही रहा था कि वो थोड़ा पीछे हटीं और बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
मैं कुछ नहीं बोल पाया और थोड़ा पीछे हुआ. मुझे बहुत डर लग रहा था. मैं अन्दर ही अन्दर कांपने लग गया.
मुझे देख के भाभी थोड़ा सहज हुईं और बोलीं- यहां नहीं अन्दर चलो, खिड़की से कोई देख लेगा.
तब मेरी जान में जान आई. अब हम अन्दर भाभी के रूम में आ गए थे और भाभी ने मुझे अपनी आगोश में ले लिया.
भाभी बोलीं- जब से तुमने ये कमरा लिया है, तब से मैं इस दिन का इंतजार कर रही थी.
अब मुझे समझ आया कि भाभी को भी लंड की जरूरत है.
मैंने भाभी का सिर ऊपर किया और उन्हें चूमने लगा और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं. चूमते हुए ही भाभी ने मेरी टी-शर्ट उतार दी और पजामे के अन्दर ही हाथ डाल के मेरा लंड मसलने लगीं. मैं भी गाउन के ऊपर से ही भाभी के बोबे मसलने लगा.
पहली बार होने के कारण मैं कुछ समझ नहीं पाया. थोड़ी ही देर में चरम शिखर पर पहुंच गया और पजामे के अन्दर ही मेरा पानी निकल गया.
भाभी समझ गईं कि मेरा पहली बार है, वो बोलीं- कोई बात नहीं … मैं सब सिखा दूंगी.
मैंने उनको चूम लिया.
भाभी बोलीं- जैसा मैं बोलती हूँ … वैसा करो.
मैंने सर हिला दिया.
भाभी ने कहा- पहले मुझे पूरी नंगी करो … लेकिन धीरे धीरे और मुझे चूमते हुए.
अब मैं भाभी के गाउन के बटन खोल रहा था और साथ ही साथ उन्हें चूम भी रहा था. मैंने उनका गाउन उतार दिया और भाभी मेरे सामने ब्रा और पैंटी में आ गई थीं. उनका दूध सा गोरा बदन देख के मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वो मेरे सामने ऐसे खड़ी हैं.
भाभी मुझसे बोलीं- मैं जहां उंगली रखती हूं, वहां चूमना.
उन्होंने अपने होंठों पर उंगली रखी. मैं उनके होंठों को चूमने लगा और मजा लेने लगा. मैं तो सातवें आसमान पर था. भाभी अपनी उंगली धीरे धीरे नीचे ले गईं और मैं भी अपने होंठों के साथ नीचे सरकता गया.
पहले उनकी गर्दन पर, फिर उनकी छाती पर और फिर जैसे ही उनकी उंगली को उनकी चूची पर देखा, तो ब्रा के ऊपर से ही उनके बोबों को बुरी तरह चूसने लगा.
वो हंसने लगीं और अपनी ब्रा के हुक खोल कर बोलीं- आराम से करो … जल्दी क्या है.
उन्होंने ब्रा हटा दी और अब उनके नंगे बोबे मेरे सामने थे. मैं बुरी तरह उन पर टूट पड़ा और बोबों को मसलने और चूसने चाटने लगा. कभी उनकी एक चूची मेरे मुँह में होती, कभी दूसरी. करीब दस मिनट तक इसी तरह मैं उनके बोबों से खेल रहा था. वो बार बार मादक सिसकारियां ले रही थीं, लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थीं.
काफी समय के बाद कोई उनके बोबों पर इस तरह टूट पड़ा था. जब मेरा सिर्फ बोबों पर ही ध्यान था, तो वो बोलीं- और भी बहुत चीजें बाकी हैं
भाभी ने अपनी चूत पर अपना हाथ रख दिया. मैं समझ गया कि वो क्या चाहती हैं.
मैंने नीचे होकर उनकी पेंटी उतार दी. भाभी ने अपनी झांट थोड़े दिन पहले ही साफ की थीं, इस कारण थोड़े थोड़े बाल थे … लेकिन क्या कमाल की चूत थी.
मैंने भाभी को पलंग पर लिटाया और इस बार बिना उनके बिना कहे उनको ऊपर से चूमना शुरू किया. पहले उनके होंठ फिर ठोड़ी पर छोटा चुम्मा, फिर उनका गला, फिर बोबे, फिर नाभि और फिर उनकी चूत.
चूत पर चुम्मा लेते ही भाभी मचल उठीं और बोलीं- तुझे चूत चाटनी आती है?
मैं बोला- ब्लू फिल्म में देखा है.
तब भाभी बोली- जिस तरह मेरी चूची चूस रहा था, वैसे ही चूत चाट.
मैंने चूत पर चुम्मा लिया, तो पेशाब का सा कुछ लगा. मैं पीछे हट गया और भाभी को बोला- आप इसे साफ कर लो.
वो बोलीं- तुम ही कर दो.
भाभी उठीं और बाथरूम में चली गईं. वे अपने साथ मुझे भी अन्दर ले गईं. भाभी ने अन्दर ले जाकर मुझे पूरा नंगा कर दिया और शावर चला कर हम दोनों नहाने लगे. उन्होंने मेरे पूरे शरीर पर साबुन लगाया और फिर मेरे लंड पे साबुन लगा कर मसलने लगीं. मेरा लंड बुरी तरह कड़क हो रहा था.
भाभी लंड मसलते हुए बोलीं- तुम्हारा लंड तो बहुत मस्त है, बस इसे थोड़ी सी ट्रेनिंग की जरूरत है.
ऐसा कहते हुए उन्होंने लंड को पानी से साफ किया और अपने मुँह में ले लिया.
भाभी बहुत मस्ती से लंड चूस रही थीं. मैं कुछ समझ ही नहीं पा रहा था, लेकिन बहुत मजा आ रहा था. करीब पांच मिनट तक लंड चुसाने के बाद मैं चरम पर पहुंच गया और भाभी के मुँह में ही झड़ गया. भाभी सारा रस पी गईं और अब उन्होंने अपनी चूत की तरफ इशारा करके कहा- तुम्हारी बारी.
मैंने साबुन लिया और भाभी के बोबों और चूत पर साबुन लगा कर साबुन किनारे रख दिया. पानी डालते हुए भाभी के बोबों को मसलने लगा. धीरे धीरे कभी तेज. उनकी चुचियों को अच्छे से साफ किया और फिर उनकी चूत पर हाथ फिराने लगा.
साफ करते करते पता नहीं कैसे, मेरी उंगली चूत के अन्दर चली गयी और कुछ गीला गीला सा लगा.
भाभी मादक सिसकारियां लेने लगीं. वे बोलीं- ओह्ह … इसी तरह करो.
मैं अब बार बार उंगली अन्दर बाहर कर रहा था. उसके बाद मैंने भाभी को साफ पानी से धोया और नीचे बैठ कर उनकी चूत पर चुम्मे लेने लगा.
भाभी ने कहा- जीभ से चाट न.
मैं भाभी की चूत को जीभ से चाटने लगा. मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था लेकिन भाभी की मादक सिसकारियां सुन कर मैं पूरी मस्ती से जीभ फिरा रहा था. मैं कभी जीभ को चूत के अन्दर, कभी बाहर कर रहा था.
भाभी बुरी तरह मचल उठी थीं और मेरा सिर अपनी चूत में दबाने लगी थीं. फिर मैनें ब्लू फिल्म की तरह जीभ और उंगली दोनों से भाभी की चूत को चोदना शुरू किया. कभी एक उंगली डालता, कभी दो, कभी सिर्फ चूत के ऊपर उंगली फिराता.
फिर मैंने तीन उंगलियां चूत में डालीं, तो भाभी अपने आपको रोक नहीं पाईं और झड़ गईं. इस बार अपना सारा माल मेरे मुँह पर छोड़ दिया. जो अन्दर गया वो मैंने थूक दिया.
भाभी बोलीं- अमृत है … पी ले.
वो हंसने लगीं.
मैंने अपना मुँह धोया और बोला- भाभी मुझे चोदना सिखाओ ना. मैंने कभी किसी को नहीं चोदा है.
यह सुन के वो जोर जोर से हंसने लगीं और बोलीं- साले चूत तो ऐसे चाट रहा था, जैसे रोज चाटता है और बोल रहा है चोदना सिखाओ.
मैंने कहा- वास्तव में भाभी मैं अब तक किसी को नहीं चोदा, बस अन्तर्वासना की सेक्स कहानी पढ़ कर और ब्लू-फिल्म देख कर ही जो सीखा था, वो किया.
उन्होंने कहा- अच्छा ठीक है, रुको मैं कंडोम लेकर आती हूँ.
भाभी कमरे में आ गईं और अपनी अल्मारी से एक कंडोम ले आईं. भाभी बोलीं- पहले मुझे दुबारा गर्म करो.
मैं कुछ समझा नहीं और चकित सा उनको देख रहा था. वो बिस्तर पर लेट गईं और बोलीं- अब तक जो किया है, उसको रिपीट करो … लेकिन इस बार थोड़ा जल्दी.
मैं समझ गया और उन पर टूट पड़ा. उनको चूम रहा था, कभी होंठों पर, कभी बोबों, पर कभी चूत पर.
वो बोलीं- ऐसे नहीं, पहले थोड़ा किस लिया कर … फिर बोबों पर और फिर नीचे जाया कर.
मैंने उनके बताये अनुसार पहले कुछ देर किस किया … फिर थोड़ी देर बोबों को मसला, चूची का रस पिया और फिर उनकी चुत को चाटते हुए उंगली अन्दर डालने लगा. ऐसा करने से वो दुबारा गर्म हो गईं और जोर जोर से कामुक सिसकारियां लेने लगीं.
फिर भाभी बोलीं कि अब मुझसे नहीं रहा जाता … लंड डाल दे.
कंडोम मुझे देकर बोलीं- इसे लंड को पहना दे.
मैंने कहा- मुझे नहीं आता.
तो वो उठीं और जल्दी से मुझे कंडोम पहनाकर बोलीं- अब मुझे मत तड़पा.
वो पलंग पर लेट गईं. मैं उनके ऊपर चढ़ गया और उनकी चूत में लंड डालने लगा. लेकिन मैं डाल नहीं पा रहा था. तो उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर सैट किया और बोलीं- धक्का दो.
मैंने जोर से धक्का मारा तो मेरा लंड अन्दर चला गया और भाभी की चीख़ निकल गयी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
वो बोली- कमीने धीरे कर … काफी दिन हो गए लंड लिए.
मैं रुक गया.
वो बोलीं- अब इसको अन्दर बाहर कर …
मैं वैसा ही करने लगा. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं भाभी को चोद रहा हूँ.
अब मुझे चुदाई का ये खेल थोड़ा समझ आ गया था और मैं धीरे धीरे अपने लंड को भाभी की चूत के अन्दर बाहर कर रहा था. भाभी को अब मजे आने लग गए थे. वो बोलीं- थोड़ी गति बढ़ा.
मैं थोड़ा तेज धक्के देने लगा. अब मुझे मजे आने लग गए थे और भाभी भी उचक उचक कर मेरा साथ दे रही थीं. वो जोर जोर से ‘आह ऊह..’ कर रही थीं और बोल रही थीं- आह जान मजा आ रहा है … और तेज करो.
मैं कभी गति बढ़ाता, कभी कम करता. उनके बोबों को तो मैं लगातार दबा ही रहा था और भाभी को बहुत मजा आ रहा था. पूरा कमरा उनकी चीख़ से गूँज रहा था.
कुछ देर बाद भाभी उठीं और उन्होंने मुझे लिटा दिया. वो मेरे लंड के ऊपर बैठ गईं और ऊपर नीचे होकर खुद ही चुदने लगीं. लंड चूत में खो गया था और भाभी मादक सिसकारियां लेने लगी थीं.
मैं भी थोड़ी देर में पोजीशन समझ गया और जैसे ही भाभी ऊपर होतीं, मैं थोड़ा नीचे हो जाता और जैसे ही वो नीचे आतीं, मैं ऊपर को हो जाता. इससे मेरा लंड अब और ज्यादा अन्दर जाने लगा.
भाभी भी इन झटकों से मजे में आ गयी और झड़ गईं. लेकिन मेरा पानी नहीं निकला था. वो अब थोड़ा कम ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि वो झड़ गयी थीं … लेकिन मैं चालू था.
मैंने भाभी को अपनी तरफ खींचा और उनके बोबे दबाते हुए उनको किस करने लगा. फिर पलट के भाभी के ऊपर आ गया और उनको चोदना चालू कर दिया. वो मेरे झटकों से पागल हुए जा रही थीं. लेकिन मैंने चोदना चालू रखा.
भाभी जोर जोर से ‘ओह्ह आह्ह उह्ह …’ किए जा रही थीं.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी को बोला- मेरा छूटने वाला है.
वो उठीं और कंडोम उतार के मेरा लंड चूसने लगी. उनके गर्म मुख का स्पर्श पाते ही मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और उनके मुँह में ही अपना पानी निकाल दिया. वो किसी प्यासे की तरह मेरा पानी पी गयी.
उसके बाद हम दोनों थक गए. भाभी ने मुझे बताया कि बहुत सालों के बाद किसी ने उन्हें ऐसा चोदा है.
फिर मैं अपने कपड़े पहनकर भाभी को चूमकर और बोबे दबाकर ऊपर आ गया.
उस दिन के बाद जब भी हमें मौका मिलता था, हम चुदाई कर लेते थे. दो साल तक मैं उसी मकान में रहा और बहुत बार सेक्स किया, लेकिन किसी को पता नहीं चला और न ही हमने किसी को बताया. मैंने अपने दोस्त को भी नहीं बताया लेकिन अब आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ.
मैं आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरी आपबीती पसंद आई होगी. आप अपनी प्रतिक्रिया मुझे मेल कर सकते हैं. मेरी सेक्स कहानी पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
[email protected]