नमस्ते दोस्तों! मेरा नाम मयंक है. आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ एक और सच्ची सेक्सी कहानी. जिंदगी के कटु अनुभवों के साथ मैंने अपनी जॉब छोड़ दी और एक दोस्त की मदद से मुम्बई में नई जॉब कर ली.
नए शहर में थोड़ा टाइम लगा एडजस्ट होने में… पर अब मैं यहाँ अपनी लाइफ एन्जॉय कर रहा हूँ अकेले!
दोस्त की सोसाइटी में ही मैंने एक फ्लैट ले लिया है किराये पर… मेरी मकान मालकिन पड़ोस के फ्लैट में ही रहती है, नाम है निशा… सांवली है पर नैन-नक्श एकदम बढ़िया… एक बच्चे की माँ है पर फिगर बराबर मेन्टेन किया है.
शुरुआत में ज्यादा बात नहीं होती थी उससे क्योंकि मैं भी नई जॉब में बिजी था.
जैसे-जैसे समय बीतता गया, निशा भाभी से बात होने लगी. अकेला होने की वजह से वो कभी छुट्टी वाले दिन नाश्ते के लिए बुला लेती थी. उनके पति का टूरिंग जब था तो महीने के 15-20 दिन बाहर ही रहते थे.
एक बार रविवार का दिन था और उनका बेटा मेरे यहाँ खेलने आ गया. वह अपनी बॉल से खेल रहा था और मैं टीवी देख रहा था.
थोड़ी देर में निशा भाभी उसे ढूंढते हुए आई और बोली- यह यहाँ है और मैं परेशान हो रही थी!
यह बोल कर वो अपने बेटे को उठाने की लिए झुकी, आय हाय… क्या बोबे थे मस्त 36″ के… देख कर मेरा लंड एकदम कड़क… मैं तो देखता ही रह गया और निशा भाभी ने मुझे पकड़ लिया, बोली- क्या देख रहे हो?
मेरा तो दिमाग ही काम नहीं कर रहा था, हड़बड़ा कर मैं बोला- कुछ नहीं, कुछ भी तो नहीं…
भाभी बिना बोले अपने बेटे को लेकर चली गई.
इधर मेरा दिमाग घूम रहा था कि जाने क्या होगा, नया शहर और किसी को जानता भी नहीं!
कुछ दिनों तक भाभी से बात नहीं की, चुपचाप ऑफिस जाता और घर आने के बाद दरवाजा बंद कर लेता.
फिर रविवार की सुबह किसी ने घंटी बजाई, दरवाजा खोला तो भाभी थी, बोली- नाश्ता हमारे यहां कर लेना!
मैंने ‘ठीक है!’ कहकर दरवाजा बंद कर लिया.
अब जाकर कुछ टेंशन कम हुई.
मैं तैयार होकर भाभी के यहाँ गया. भाभी ने मस्त टाइट सूट पहना हुआ था, शरीर का एक एक उभार साफ दिख रहा था और मेरा लंड फिर से कड़क हो गया. मैंने नाश्ता किया और वापस अपने फ्लैट पर आ गया पर भाभी का शरीर अब भी मेरी आँखों के सामने था.
मैंने बाथरूम मैं जाकर भाभी को याद कर मुठ मारी और सो गया.
शाम को मैं बाहर चला गया, रात को वापस आया तो भाभी बोली- आज रात तुम यहाँ ही सो जाओ क्योंकि मेरे बेटे की तबियत ठीक नहीं है, रात को अगर जरुरत लगी तो हॉस्पिटल जाना पड़ सकता है.
मैंने उन्हें हां कर दी.
रात को मैं ड्रेस चेंज कर भाभी के यहाँ गया.
उन्होंने कहा- आप हाल में सो जाओ.
वो अंदर बैडरूम में सोने चली गई.
मैं सोफे पर लेट गया पर मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैंने देखा कि बेडरूम का दरवाजा थोड़ा खुला है, मैं पास गया और बैडरूम में देखने लगा.
देख कर तो मानो मेरी लॉटरी लग गई.. अन्दर भाभी अपने कपड़े बदल रही थी. भाभी ने अपना कुरता उतारा… कसम से लाल ब्रा में से उनके झांकते हुए बोबे क्या लग रहे थे.
भाभी ने सलवार भी निकाल दी और अब वो सिर्फ लाल ब्रा और पैंटी में थी… बहुत हॉट लग रही थी.
फिर उन्होंने अपनी ब्रा खोली… क्या बोबे थे मस्त एकदम… जैसे ही वो गाउन उठाने के लिए मुड़ी, उन्होंने मुझे देख लिया और मैं घबरा कर सोफे पर बैठ गया.
वो गाउन पहन कर बाहर आई और बोली- क्या देख रहे थे?
मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी, वो… मैं पानी के लिए उठा तो उधर नजर चली गई.
वो बोली- मैं सब समझती हूँ कि किधर और कैसी नजर है तुम्हारी!
मैं और घबरा गया और बोला- सॉरी भाभी, आगे से ऐसा नहीं होगा!
वो बोली- आगे से नहीं होगा का क्या मतलब है? क्या मैं सेक्सी नहीं हूँ?
यह सुन कर मैं समझ गया कि भाभी को चुदवाने की इच्छा है. मैं बोला- वो बात नहीं है… आप बहुत खूबसूरत और सेक्सी हो!
वो बोली- मयंक, जब से तुम यहाँ रहने आये हो, मैं तो तब से तुम पर लट्टू हूँ बस हिम्मत नहीं हुई!
मैंने कहा- अगर ऐसी बात हैं तो टाइम खराब नहीं करते… और एक दूसरे की प्यास बुझा देते हैं!
और हम लोग एक-दूसरे को किस करने लगे.
किस करते करते एक दूसरे के कपड़े भी उतार दिए, अब हम बिल्कुल नंगे थे. भाभी बड़े गौर से मेरे लम्बे लंड को देख रही थी.
मैं बोला- पहली बार देखा है क्या?
वो बोली- हाँ, इतना बड़ा और मोटा पहली बार देखा है. इनका तो इससे काफी छोटा है और पतला भी!
मैं समझ गया कि आज मुझे कुंवारी चुत जैसा मजा आने वाला है.
मैंने निशा को लिटाया और टांगों के बीच जाकर बैठ गया. क्या चुत थी… एक भी बाल नहीं!
मैं बड़े आराम से चुत पर अपना लंड रगड़ने लगा. थोड़ी देर बाद निशा की चुत गीली हो गई, मतलब अब वो तैयार हैं चुदवाने के लिए!
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मैंने चुत पर अपना लंड टिकाया और एक धक्के मैं आधा लंड अंदर… वो चीखने वाली थी पर मैंने अपने हाथ से उसका मुख बंद कर दिया और दूसरे धक्के में पूरा लंड अंदर…
मुंह बंद होने की वजह से चीखी तो नहीं पर सारा दर्द आँखों से आंसू बनकर बाहर आ गया.
मैं धीरे-धीरे निशा की चुत सहलाने लगा, जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो निशा ने इशारा किया और मैं धक्के मारने लगा. पहले धीरे से… फिर जब निशा साथ देने लगी तो स्पीड बढ़ा दी.
कुछ देर चोदने के बाद मैं निशा से बोला- माल कहाँ निकालूँ?
वो बोली- अंदर ही आने दो, मैं पिल ले लूंगी.
और फिर आखिर के जोरदार शॉटस के बाद मैंने अपना सारा माल निशा की चुत में छोड़ दिया.
कुछ देर वैसे ही रहने के बाद जब मैंने अपना लंड निकाला तो देखा ही निशा की चुत थोड़ी लाल हो गयी है, मैंने पूछा- दर्द हो रहा है?
तो वो बोली- हाँ, थोड़ा सा!
मैं अपने हाथों से निशा की चुत सहलाने लगा और हम वैसे ही सो गए.
सुबह जब मैं उठा तो देखा कि निशा पहले ही उठ चुकी थी, चाय बना रही थी.
मैं कपड़े पहन कर उनके पास गया और पूछा- कैसी हो?
वो बोली- “अच्छी हूँ, लो चाय पियो!
चाय पीने के बाद मैं बोला- भाभी, मैं यहीं नहाँ लूं क्या?
वो बोली- आ जाओ, साथ नहा लेते हैं.
और हम बाथरूम में चले गए, एक दूसरे को नहलाने लगे.
निशा के साथ नहाने से मेरा लंड एक बार फिर तैयार हो गया. उसे देख निशा बोली- अभी नहीं, रात को मेरी हालत खराब हो गई थी.
मैं बोला- तो इसका क्या?
वो बोली- है ना मेरे पास इलाज!
और यह कह कर वो घुटनों पर बैठ गई और बड़े आराम से मेरा लंड चूसने लगी.
जब मेरा माल निकलने को हुआ तो मैंने निशा को इशारा किया और उसने जोर-जोर से चूसना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर में मेरा माल निकलने लगा और निशा उसे अपने मुख में इकठ्ठा करने लगी पर माल इतना ज्यादा था कि पूरा मुंह में नहीं ले पाई और फर्श पर निकाल दिया.
पूरा माल निकल जाने के बाद निशा ने अपनी जीभ से मेरा लंड अच्छे से साफ किया और हम दोनों नहा कर बाहर आ गए.
अब यह सब रोज का काम हो गया… जब भी निशा का पति बाहर होता, मैं अंदर चला जाता और हम खूब मजे करते.
दोस्तो, मेरे इस चुत चुदाई की सेक्सी कहानी के बारे में अपने विचार मुझे भेजें!
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