देसी भाभी की चूत मुझे कैसे मिली? पढ़ाई के लिए शहर में मैंने एक रूम लिया. वहां पड़ोस वाली भाभी पर मेरा दिल आ गया. मैंने उसको कैसे पटाया?
नमस्कार सेक्स स्टोरी के चाहने वालों। मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूं. यहां कई तरह की कामुक कहानियां पढ़ने के बाद मुझे भी ऐसा लगा कि मैं भी कुछ लिखूं और जिससे आप लोगों का मनोरंजन कर सकूं.
मुझे उम्मीद है कि आप सब इंडियन सेक्सी भाभी का सेक्स कहानी को पढ़कर आनंद लेंगे.
चूंकि ये मेरा कहानी लिखने का पहला अनुभव है तो संभव है कि मेरी कहानी में कुछ त्रुटियां होंगी. कृपया आप लोग इसे माफ करें.
यह इंडियन सेक्सी भाभी का सेक्स कहानी मेरी पहली चुदाई की है. किसी औरत के साथ वो मेरी पहली चुदाई थी. यह मेरे जीवन की सच्ची घटना है.
मेरा नाम सुशांत है और मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला एक 25 साल का सामान्य सा दिखने वाला नौजवान हूं. मेरा रंग गोरा है और मेरी हाईट 5.8 फीट है.
मैं एक कंपनी में जॉब करता हूं और एक सामान्य जीवन व्यतीत करता हूं जैसा कि अक्सर एक मध्यम वर्गीय परिवार का पुरूष करता है.
लेकिन यह बात उन दिनों की है जब मैं 19 साल का था. उस वक़्त मेरी पढ़ाई चल रही थी. मेरा पूरा परिवार गांव में रहता था मगर मैं पढ़ाई की वजह से शहर में अकेला रहने आया था।
मैं पहली बार शहर में पढ़ाई करने के लिए आया था. मुझे घर से बाहर रहने का कुछ भी अनुभव नहीं था. किसी तरह मैंने मैंने रहने के लिए एक कमरा किराये पर ले लिया. अपना सामान उसमें रखा जो कि बहुत थोड़ा था.
मेरे पास कुछ किताबें और एक बिछौना और कुछ कपड़े व जरूरी बर्तन थे.
पहले दिन तो मैं खाने के लिए भी बाहर ही गया. फिर मैंने अपना सामान इकट्ठा किया और धीरे धीरे जरूरत की सारी चीजें जुटा लीं.
मैं पहली बार शहर में अपने परिवार से दूर रहने आया था इसलिए वहां मेरा मन नहीं लग रहा था.
मुझे कमरा पहली मंजिल पर मिला जिसमें एक खिड़की लगी हुई थी. वो बाहर की तरफ खुलती थी. मैं पढ़ने के लिए हमेशा उस खिड़की के पास ही बैठता था.
एक दिन मैं रोज़ की तरह खिड़की के पास ही बैठा हुआ था कि तभी मेरे मकान के सामने वाले घर की छत पर एक महिला घूमती हुई नज़र आयी. उसकी उम्र लगभग 32 साल की थी.
वो शादीशुदा थी मगर उसका गदराया हुआ बदन बहुत मस्त था.
पहली ही नजर में वो मुझे काफी पसंद आ गई. रंग से वो गोरी थी और उसकी चूचियां 36 इंच के लगभग लग रही थीं. उसकी 30 इंच की पतली कमर और 38 इंच के चौड़े चूतड़ थे जो उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे.
वो सलवार कमीज़ पहने हुए थी और उसमें बहुत मस्त दिख रही थी. एकदम चोदने लायक माल थी वो भाभी.
दोस्तो, मैं शुरू से ही शादीशुदा औरतों की ओर आकर्षित होता रहा हूं. मुझे थोड़ी ज्यादा उम्र की औरतें पसंद थीं. मैं अपने गांव में भी अक्सर शादीशुदा औरतों को छुपकर नहाते हुए देखकर अपने लन्ड को सहलाया करता था.
मगर मुझे आज तक किसी भी औरत को छूने का मौका नहीं मिला था. मेरा बहुत मन करता था कि किसी साड़ी वाली अधेड़ उम्र की औरत के चूचों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाकर देखूं. उसकी गांड पर हाथ फिराऊं. उसके पेट पर हाथ से सहलाऊं.
जैसी मेरी रुचि थी वो भाभी उसके अनुसार बहुत ही ज्यादा सेक्सी थी. अभी उसकी जवानी यूं की यूं बनी हुई नजर आ रही थी.
उस भाभी को देखकर मेरा मन खुश होने लगा. मैं अब रोजाना ही उसको अपनी खिड़की से देखता और उसके बारे में सेक्स के ख्याल आने लगते.
उसकी गांड और चूचियों को मैं मन ही मन नापता रहता था.
ऐसे ही धीरे धीरे दिन गुजरने लगे. उसको देखकर अच्छा टाइम पास होने लगा. अब मैं हमेशा खिड़की के सामने बैठकर उसका इंतज़ार करता रहता था.
फिर जैसे ही वो दिखती तो मानो मेरा मन झूम उठता था. मेरे शरीर में एक रोमांच उत्पन्न हो जाता था. अब मैं उसे देखकर और उसके बारे में सोचकर अपने लन्ड को भी हिलाया करता था.
धीरे धीरे बस दिन रात उसके ही सपनों में खोए रहना अब मुझे अच्छा लगने लगा.
एक दिन हर रोज की तरह मैं बैठा था. तभी वो छत पर आई.
उस दिन वो थोड़ा गहरे गले का सूट पहने हुई थी जिसमें वो बला की सेक्सी दिख रही थी.
ऐसे कपड़ों में उसको देखकर मैं कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड हो रहा था.
इतने में वो अपनी छत के सामने उठी दीवार से लगकर सामने किसी से बातें करने लगी.
दीवार से सटे होने की वजह से उसके स्तन दीवार से टकरा रहे थे. दबाव पड़ने के कारण उसकी चूचियां थोड़ी ऊपर को निकल आई थीं और उसकी चूचियों के वो उभार मुझे कुछ ज्यादा ही उत्तेजित करने लगे.
भाभी की मस्त गोरी चूचियां देखकर मेरा लन्ड पूरा तन गया. उसकी आधी बाहर निकली चूचियों का नज़ारा किसी के भी लंड को खड़ा करने के लिए काफी था.
जब चूची आधी नंगी दिख रही हों तो उनको पूरी देखने के लिए उत्तेजना कहीं अधिक बढ़ जाती है. कोई भी पुरूष उस घाटी में झांकना चाहेगा. उसमें डूबना चाहेगा. खासकर कि जब कोई भाभी उफनती जवानी लिये हुए हो.
कुछ ऐसी ही उत्तेजना मेरे अंदर भी पैदा हो चुकी थी. उसकी चूचियों को देखकर मैं अपना लन्ड बाहर निकालकर हिलाने लगा. मैं भूल गया कि खिड़की से मुझे कोई देख भी सकता है.
उसकी मोटी चूचियों को देखते हुए मैं खिड़की के सामने ही अपने मूसल जैसे लन्ड को हिलाने लगा. मेरा मन हो रहा था कि उसकी पूरी चूची को नंगा करके मसलते हुए अपने लन्ड को उसके दोनों उभारों के बीच डाल दूं.
अचानक उसकी नज़र मेरी खिड़की की ओर आई और मुझे मेरा लन्ड हिलाते देखकर वो चौंक गई! मगर अगले ही पल उसने अनजान बनने का नाटक किया जैसे उसने कुछ देखा ही न हो.
वो वहां से हट गयी लेकिन घूमते हुए उसकी नजर बार बार मेरी खिड़की की ओर ही आ रही थी. वो मेरे लंड को देखने की कोशिश कर रही थी और इस उत्तेजना में मेरा लंड जैसे बेकाबू हो चला था.
हवस में पागल हुआ सा मैं अब उसको जानबूझकर लंड दिखाने की कोशिश कर रहा था और इसमें मुझे मजा भी बहुत गजब का आ रहा था.
मैं भी बिना डरे और शर्माए अपना लन्ड हिलाता रहा.
वो भी देखकर पूरे मजे लेती रही.
मैं काफी टाइम से ही अपने लन्ड को अच्छे से मालिश किया करता था इसलिए मेरा लन्ड काफी मोटा हो गया था.
शायद उसे भी मेरा मूसल पसंद आया इसलिए भाभी भी मजे लेकर देखती रही और अंत में मैं लंड हिलाते हुए झड़ गया।
उस दिन मेरे लन्ड से ढे़र सारा माल बाहर निकला. मेरे लन्ड की पिचकारी दूर तक गयी. वो पिचकारी भी आज भाभी की ओर ही जाना चाहती थी.
भाभी मुझे देखकर मुस्कुरा दी.
उसके बाद मैंने लन्ड को साफ किया और नहाने चला गया.
मैं आज बहुत खुश था. पहली बात तो भाभी की चूचियों के दर्शन हुए और दूसरी बात ये कि भाभी भी शायद मेरे लन्ड को देखकर मजे ले रही थी.
इससे मुझे आगे आने वाले समय में भाभी की चुदाई के लिए एक संकेत मिल चुका था. अब मैं मन ही मन भाभी को चोदने का प्लान बनाने लगा.
दिन रात उसकी गान्ड और चूत़ के बारे में ही सोचता रहता. मैं भाभी से बात करना चाहता था मगर अब तक मुझे कोई मौका नहीं मिला था.
चूंकि अब मुझे वहां रहते हुए भी काफी समय हो गया तो फिर मैं अक्सर छत पर भी जाने लगा था.
एक दिन मैं छत पर गया तो भाभी भी अपनी छत पर आई. उसके साथ उनका 2 साल का बेटा भी था जो दिखने में बिल्कुल भाभी के जैसा ही था.
आज मुझे भाभी को करीब से देखने का मौका मिला था.
उसके तीखे नैन नक्श और रसीले होंठ, उसकी मदमस्त जवानी का परिचय दे रहे थे.
मैं भाभी को देखकर दो मिनट के लिए खुद को भूल गया और उनके शरीर के हर अंग को अपनी आंखों से नापने लगा.
उनका बच्चा छत पर बॉल खेलने आया था. भाभी भी उसके साथ खेल रही थी और मैं उनके अंग अंग को निहारने में लगा हुआ था.
तभी अचानक खेलते खेलते बॉल नीचे चली गयी.
फिर भाभी मेरी ओर देखकर बॉल नीचे से लाने का इशारा कर रही थी.
मुझे तो बस मौका मिल गया.
मैं नीचे गया और बॉल लाकर भाभी को दे दी.
वो मुझे देखकर मुस्कराई.
फिर हम दोनों के बीच बातचीत की शुरूआत हुई. भाभी मेरा नाम पूछने लगी तो मैंने बताया.
मैंने भी उनसे उनके बच्चे का नाम पूछा और भाभी से और कई बातें की.
बातें करते हुए भी मेरी नज़र उनके उभारों पर ही होती थी जिसे भाभी भी बखूबी समझती थी.
इसी तरह अब हमेशा मुझे उनसे बात करने का मौका मिलने लगा.
धीरे धीरे उनका बच्चा भी मेरे साथ घुल मिल गया और अब मेरे साथ भी खलेने लगा.
मुझे भी भाभी के करीब जाने के लिए उनके बच्चे से लगाव करना एक अच्छा उपाय दिखा. इसलिए मैं भी बच्चे पर ज्यादा ध्यान देने लगा.
भाभी की लव मैरिज हुई थी.
वो अपने पति और सास-ससुर के साथ रहती थी परन्तु अब उनकी अपने पति के साथ उतनी बनती नहीं थी.
उन दोनों की हमेशा आपस में लड़ाई होती रहती थी. उनका पति शराब का आदी हो चुका था.
मैं भाभी का दुख बांटने लगा और अब भाभी भी मझसे काफी खुल गई थी. वो अपने हर सुख दुख को मुझसे साझा किया करती थी.
शायद उसे मेरे ऊपर बहुत भरोसा हो गया था.
अब मुझे भी ऐसा लगने लगा था कि मेरा सपना अब पूरा होने वाला है.
जैसे जैसे दिन बीत रहे थे मेरे अन्दर भाभी को भोगने की बेचैनी बढ़ती जा रही थी.
कभी कभी मेरा मन होता था कि मैं अपनी बेचैनी को भाभी से बता दूं मगर फिर मैं खुद को समझा लेता था और कोई ऐसा काम नहीं करना चाहता था जिससे मेरे सारे बुने हुए सपने पर पानी फिर जाए.
एक दिन भाभी के पति और सास-ससुर किसी काम के सिलसिले से कहीं गए हुए थे. वो घर पर अकेली थी.
उस दिन भी भाभी हमेशा की तरह शाम को छत पर आयी थी और उनका बच्चा खेल रहा था.
अचानक खेलते खेलते वो बच्चा गिर गया. काफी जोर से गिरने की वजह से वो उठ नहीं पा रहा था. भाभी घबरा गई और मदद के लिए मुझे बुलाने लगी. मैं भी छत पर ही था और मैं सब देख रहा था.
मैं बिना देर किए जल्दी से दौड़कर भाभी की छत पर चला गया.
बच्चा काफी रो रहा था और भाभी भी घबराई हुई थी. अब सब कुछ मुझे ही संभालना था.
भाभी के साथ मैं बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर चलने के लिए कहने लगा.
वो भी तैयार हो गयी.
फिर हम बच्चे को पास के डॉक्टर के यहां ले गये. उसके पैर में थोड़ी गंभीर चोट लग गयी थी.
डॉक्टर ने उसे इंजेक्शन लगाया और कुछ दवाई दी जिसे लेने के बाद हम लोग घर चले आए.
उसके बाद मैं अपने कमरे में जाने लगा मगर भाभी मुझे आज यहीं रुकने के लिए बोलने लगी.
मेरे लिये यह एक काफी अच्छा मौका था इसलिए मैंने उनको एक बार भी मना नहीं किया.
मैं तुरंत भाभी के साथ उनके घर में रुकने के लिए राजी हो गया.
उसके बाद क्या हुआ वो मैं आपको कहानी के दूसरे भाग में बताऊंगा. आपको सेक्सी भाभी की ये कहानी पसंद आ रही हो तो मुझे अपने विचार और राय जरूर बतायें.
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इंडियन सेक्सी भाभी का सेक्स कहानी जारी रहेगी… पहली चुदाई पड़ोस की चालू भाभी के साथ-2