मेरी सहेली की कामवासना-1

नमस्कार अन्तर्वासना के ठरकी दोस्तों! मेरा नाम सुहानी चौधरी है.

मैं अपनी इस कहानी में आप सब अन्तर्वासना के पाठकों का एक बार फिर से स्वागत करती हूँ।
मुझे यह जान कर बहुत खुशी हुई कि आप लोगों को मेरी कहानियाँ इतनी पसंद आ रही हैं। उम्मीद है आप सब लोग आगे भी अपने प्यार और दुलार से मुझे प्रोत्साहित करते रहेंगे।
चलिये कहानी पे आगे बढ़ते हैं।

उम्मीद है अब तक आपने मेरी पिछली कहानी
भाई की शादी में सुहागरात मनायी
पढ़ ही ली होगी।

शादी में से लौट के मैंने अपनी सहेली तन्वी को अपनी सारी आप बीती सुनाई।
उसने कहा- कुछ महीने पहले ही तू कितनी डरपोक और शर्मीली किस्म की लड़की थी. और आज देखो इतनी हिम्मत आ गयी है कि खुले आसमान के नीचे खुले मैदान में चुदवा के आ चुकी है।
मैंने कहा- अब डर खत्म हो गया है मेरा, पर यार मेरा मुझ पे कंट्रोल भी कम हो गया है।
तन्वी ने कहा- मतलब?
मैंने कहा- यार, मैंने इतनी कोशिश की खुद को वहाँ पे रोकने की पर करन के थोड़ा सा उत्तेजित करने पे ही मैं सुधबुध खो के उसके सामने नंगी हो गयी।

तन्वी ने कहा- तो दिक्कत क्या है?
मैंने कहा- यार करन मुझे बहुत अच्छा लगता है, सेक्स भी जबरदस्त करता है, ऊपर से जिससे हम प्यार करते हो उसके साथ सेक्स का मजा सब से ज्यादा आता है. पर दिक्कत यह है कि हम दोनों अलग अलग शहरों में रहते हैं, मिलना बहुत कम हो पाएगा, तो मैं अपनी कामुक इच्छाओं का कैसे शांत करूंगी?

तन्वी बोली- तू अपने बारे में ही सोचियो … मेरा ब्रेकअप हुए 2 महीने हो चुके हैं, सोच मुझ पे क्या बीत रही होगी, मैं कैसे खुद को शांत करती हूँगी।
मैंने पूछा- कैसे करती है खुद को संतुष्ट?
उसने बोला- कहाँ कर पाती हूँ यार, दूसरा बॉयफ्रेंड भी नहीं बन रहा. ऊपर से सेक्स का बहुत मन करता है।

मैंने कहा- तो पागल हर्षिल से बात कर लेती, वो तो हमेशा तैयार रहता है।
तन्वी भड़क के बोली- यार मैंने बात की थी उससे … पर वो तो तेरा दीवाना हो गया है, बस तेरे बारे में ही बात करता है, तुझे ही चोदने के पीछे पड़ा रहता है, मुझे नहीं चोदेगा। यार, प्लीज एक बार मेरा जुगाड़ करवा दे, देख तूने करन को पटा लिया, मैंने कुछ नहीं कहा, उससे चुदवा भी आई. मैं फिर भी खुश हूँ तेरे लिए, तू मेरा इतना सा काम नहीं कर सकती?
मैंने कहा- मैं क्या कर सकती हूँ? हर्षिल का लंड पकड़ के तेरी चूत में तो नहीं डाल सकती ना!
उसने कहा- जैसे मैंने उसे तेरी सील तोड़ने के लिए सेट किया था, ऐसे ही तू मेरा करवा दे बस एक बार।

मैंने सोचा कि तन्वी ने मेरी इतनी मदद की है, शादी में भी मेरी सेटिंग करने में मदद की तो मुझे भी अपनी सहेली की मदद करनी चाहिए. इसलिए मैंने कहा- चल मर मत … मैं बात कर लूँगी उससे।
तन्वी का चेहरा खिल गया और उसने मुस्कुरा के मुझे गले लगा लिया।

मैंने बाल्कनी में जा के हर्षिल को फोन मिलाया।
हर्षिल ने पूछा- आ गयी तुम दोनों शादी में से, कैसी रही?
मैंने कहा- शादी तो मस्त रही, बहुत मजा आया।
हर्षिल बोला- तो थोड़े मजे हमें भी दे दो डियर।
मैंने कहा- नहीं यार अभी नहीं, पर तन्वी को तुम्हारी मदद चाहिए, उसका ब्रेकअप हो गया हैं और उसका सेक्स को मन कर रहा है बहुत दिनों से।

हर्षिल ने पूछा- और तुम्हारा नहीं कर रहा क्या?
मैंने कहा- नहीं, फिलहाल तो नहीं।
हर्षिल ने कहा- यार सुहानी एक बार आ जाओ ना फ्लैट पे! प्लीज प्लीज, बहुत मन कर रहा है, मैं तुम्हें बहुत मिस कर रहा हूँ।

जब से मुझे करन से प्यार हुआ है, तब से मेरा किसी और के साथ ये सब करने का बिल्कुल मन नहीं था, इसलिए मैं उसे टालने की कोशिश कर रही थी।
मैं बोली- यार तुम तन्वी के साथ कर लो, पहले भी तो किया होगा, एक बार और सही।
उसने कहा- पहले तुम नहीं मिली थी ना, तुमसे मिल के तो मैं तुम्हारा दीवाना हो गया हूँ, प्लीज एक बार आ जाओ ना, तुम जितने पैसे बोलोगी उतने दूंगा।
मैंने कहा- पैसे की बात नहीं है अब, तुम प्लीज तन्वी को पकड़ लो और मुझे छोड़ दो।

कुछ देर सोचने के बाद हर्षिल ने कहा- चलो, मेरी तन्वी से बात कराओ।
मैं कमरे में गयी और तन्वी को फोन पकड़ा दिया।

तन्वी फोन पे बात करने लगी और बात करते करते बाल्कनी में चली गयी। थोड़ी देर बाद वापस आई तो उसके चेहरे की खुशी बता रही थी कि हर्षिल ने हाँ कर दी है।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- मान गया वो, परसों बुलाया है हम दोनों को।
मैंने चौंक के कहा- ‘हम दोनों को’ का क्या मतलब है, चुदना तुझे है, तू जा, मैं क्या करूंगी जा के?
उसने कहा- यार प्लीज चल ना तू साथ में बस। कुछ करना मत पर चल तो सही।
मैंने कहा- पागल है क्या? जब मुझे कुछ करना नहीं तो जाकर क्या करूंगी?
उसने कहा- तू चलेगी परसों मेरे साथ! तुझे करन की कसम।
मैं मजबूर हो गयी तो हाँ कर दी।

दो दिन बाद मैंने तन्वी को उठाया और बोली- चल उठ जा, जाना नहीं है क्या वहाँ, चल उठ और तैयार हो ले।
तन्वी उठ गयी और नहाने चली गयी।
मैंने उसके लिए एक सेक्सी सी वन पीस ब्लैक ड्रेस निकाल दी और बेड पे रख दी.

आप सब पाठकों को समझाने के लिए बता दूँ कि वो ड्रेस कंधों से नीचे से और छाती से ठीक ऊपर शुरू होती थी और घुटनों से काफी ऊपर ही खत्म हो जाती थी और बिल्कुल फंस के आती थी जिस्म पे, बस कंधों पे दो पतले से फीतों और पीठ पे चेन से रुकी रहती थी और क्लीवेज भी दिखता था।

वो बाथरूम से निकली तो बोली- ओह हो … तो तू ये ड्रेस पहन रही है क्या? गुड चॉइस।
मैंने कहा- ये तू पहन पागल, मैं तो साधारण कपड़ो में चलूँगी।
उसने कहा- नहीं ये तू पहन ले, तेरे पे ज्यादा अच्छी लगती है। मैं दूसरी निकाल लेती हूँ सेक्सी सी।
मैंने कहा- चल ठीक है।

फिर तन्वी ने अपने लिए एक छोटी सी टी-शर्ट निकली जो कमर से बहुत ऊपर ही खत्म हो जाती थी और नीचे घुटनों से ऊपर तक के शॉर्ट्स पहन लिए।
मैंने कहा- मेरी ड्रेस ज्यादा सेक्सी है, तुझे ये पहननी थी।
उसने बोला- चल कोई नहीं, जा के उतारने ही तो हैं.
और हंसने लगी।
मैं भी मुस्कुरा दी।

फिर हम दोनों ने मेकअप किया और बाल स्टाइल किए और जाने के लिए तैयार हो गयी। अब हम दोनों एकदम हॉट लग रही थी। किसी को शक न हो इसलिए हम दोनों ने ऊपर से एक कोट पहन लिया और कैब का इंतज़ार करने लगी।

थोड़ी देर में कैब भी आ गयी तो हम दोनों ने रूम लॉक किया और नज़र बचा के बाहर आ के गाड़ी में बैठ गयी। अब तक कैब वाला भी मुझे पहचानने लगा था, वो मुस्कुराया और गाड़ी चलाने लगा. शायद उसे आदत होगी वहाँ लड़कियां ले जाने की।
वो बिना गेट पे रुके गाड़ी बिल्डिंग के अंदर ले गया और रोक दी।

हम दोनों गाड़ी से उतरी और लिफ्ट से हर्षिल के फ्लैट के बाहर पहुंच गयी। क्योंकि फ्लोर पे कोई नहीं दिख रहा था तो हम दोनों ने शरारत में अपना कोट उतारा और सेक्सी अंदाज़ में टाँगें मोड़ कर खड़ी हो गई और डोर बैल बजाई।

जैसे ही उसने गेट खोला वो हैरान हो गया और मुंह खोल के देखने लगा. अब हैरान होता भी क्यूँ ना, जब आप किसी को किसी को नॉर्मल कपड़ों में देखने की आदत हो, ज़्यादातर पूरे कपड़ों में और वो अचानक आपके सामने ऐसे सेक्सी कपड़ो में आके इस अंदाज़ में खड़ी हो जाये तो आपको कैसा लगेगा?
शायद आपका भी खड़ा हो जाएगा।

हम दोनों हंसने लगी और अंदर आ गई। उसने गेट बंद कर दिया और अंदर आकर हमारे साथ सोफ़े बैठ गया।

मैंने मज़ाक भरे स्वर में कहा- हर्षिल जी, मेरी सहेली का ब्रेकअप हो गया गया है 2 महीने पहले … तो कोई है नहीं इसे चोदने को, क्या आप मेरी सहेली को चोद कर इसकी जवानी की इज्जत रख लेंगे?
और ज़ोर ज़ोर के हंसने लगी।
हर्षिल भी हंसने लगा और बोला- मैं इज्जत रखता नहीं हूँ, सिर्फ लूटता हूँ और तुम दोनों की ही लूट लूँगा मैं तो।

मैंने थोड़ा गंभीर हो के बोला- मुझे नहीं लुटवानी इज्ज़त, इसे ही लुटवानी है।
हर्षिल ने कहा- पर सेक्सी तो तुम ज्यादा लग रही हो, ऐसा लग रहा है कि ये तुम्हें चुदवाने लायी है दुबारा।
मैंने कहा- पर है इसका उल्टा … मैं लायी हूँ इसे! अब जाओ जो करना है कर लो, मैं यहाँ बैठ के टीवी देख लेती हूँ।

हर्षिल ने कहा- तुम भी चलो ना यार सुहानी अंदर! बड़ा मजा आयेगा।
मैंने चौंक के कहा- तो क्या दोनों को एक साथ चोदोगे, इतना दम है तुममें?
हर्षिल- अरे जान, दम तो तुमने पिछली बार ही देख लिया था।
मैंने कहा- आज अपना सारा दम तन्वी को दिखाओ ना!

तन्वी बोली- अरे छोड़ो हर्षिल, ये नहीं चुदवाएगी, मैडम को प्यार हो गया है किसी से … तो वहीं चुदवा के आई है, मैं चलती हूँ अंदर।
हर्षिल को थोड़ी सी जलन सी हुई तो वो चिढ़ के बोला- ठीक है, चलो तुम ही चलो।

फिर वो दोनों अंदर बेडरूम में चले गए और दरवाजा ढुका लिया, इधर मैं टीवी देखने में मशरूफ़ हो गयी पर मेरे मन में बार बार यही ख्याल आ रहा था कि ‘अंदर क्या हो रहा होगा?’ मेरे मन में बहुत बैचनी सी हो रही थी ये सब सोच सोच के।
5 मिनट बाद मैं धीरे से उठी और दबे पाँव बेडरूम के पास पहुंची। गेट बंद था तो मैं घुटनों के बल बैठ गयी और की-होल में से झांक के देखा, पर दोनों में से कोई नहीं दिखाई दिया और ना ही कोई आवाज आ रही थी।

मैंने दरवाजे पे कान लगा के देखने की कोशिश की तो पता चला कि दरवाजा लॉक नहीं था खुला हुआ है और मैं संतुलन बिगड़ने से दरवाजा खोलते हुए अंदर गिर गयी।
अंदर गिरी तो दीवार के साइड में देखा हर्षिल पूरा नंगा खड़ा था और तन्वी उसका लंड मुंह में लेके चूस रही थी। तन्वी ने अभी तक अपने कपड़े नहीं उतारे थे।

मुझे कमरे में गिरी देख के तन्वी ने चिल्ला के कहा- क्या है? यहाँ क्या कर रही है तू?
मैं हड़बड़ाती हुई उठी और घबरा के बोली- कुछ नहीं, मैं गलती से गिर गयी।
वो बोली- अच्छा गलती से? तू सोफ़े से इतनी दूर आ के बेडरूम के दरवाजे पे आ के गिरी क्या?

मेरे पास उसका कोई जवाब नहीं था, मैं बस उन दोनों को देख रही थी और हर्षिल के लंड को देख रही थी।
तन्वी मुसकुराई और बोली- अब एक्टिंग मत कर, मुझे पता है तेरा भी दिल कर रहा है चुदवाने को, आ जा अंदर।
मैंने शरमाते हुए कहा- नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, मैं करन से प्यार करती हूँ, अब ये सब नहीं कर सकती।
हर्षिल बोला- कमाल कर रही है यार सुहानी … मैं तेरा प्यार थोड़े ही छीन रहा हूँ. और करन अगर सच में तुझसे प्यार करता होगा तो उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि तू कितनों से चुदी है। क्या उसने पूछा था कि तू वर्जिन क्यूँ नहीं है जब तुमने सेक्स किया था तो?

उसकी बात सही थी … करन ने मुझसे कभी नहीं पूछा इस बारे में।
मैंने कहा- नहीं, ऐसा तो कुछ नहीं पूछा उसने।
तन्वी बोली- बस फिर … प्यार में ये सब मायने नहीं रखता, बस प्यार सच्चा होना चाहिए. और इतना तो वो भी समझ सकता है कि तेरी चाहत क्या है और जरूरत क्या है. चल इधर आ।
मैंने कहा- नहीं, मैं हॉस्टल जा रही हूँ, तू ही कर, चुदवा के आ जाइयो।

तन्वी उठी और मेरे पास आई बोली- पागल कुछ नहीं होगा, कौन बताएगा करन को, चल आ!
और वो मेरा हाथ पकड़ के कमरे में ले आई।

हर्षिल अपने लंड को सहलाते हुए बोला- अब दोनों राज़ी हो तो शुरू करें?
मैंने तन्वी को देखा तो उसने मेरे कान में कहा- पागल इस पल को जी बस! ज्यादा सोच मत!

तो मैं मुस्कुरा दी। अब तक शायद मेरा भी सच्चे प्यार के भूत को काम वासना ने काबू कर लिया था तो मैं भी हंसने लगी।
मैं उठी और हर्षिल के पास गयी, अपने एक हाथ से उसका लंड पकड़ा और फिर अपने दूसरे हाथ से उसका सर नीचे झुका के अपने नर्म लाल होंठ उसके होंठ पे रख दिये और हम दोनों किस करने लगे।

तन्वी भी खुश हो गयी और हमारे पास आ गयी। तन्वी घुटनों के बल बैठ गयी और मेरा हाथ हर्षिल के लंड से हटा के मुंह में लेके चूसने लगी.
मैं और हर्षिल किस किए जा रहे थे, हमारी किस अब और गहरी हो गयी थी, कभी मैं उसके निचले और ऊपर के होंठ को चूस रही थी तो कभी वो मेरे होंठ को चूस रहा था। हम दोनों की जीभ भी आपस में उलझ रही थी।

तन्वी एक हाथ से उसका लंड चूस रही थी और एक हाथ से मेरी चूत को सहला रही थी। हम तीनों ही कामुकता के समंदर में उतरने लगे थे। मैं काम वासना में पूरी गर्म हो चुकी थी और अब खड़े खड़े ही हर्षिल अपना हाथ मेरी चूत पे ड्रेस के ऊपर से मसल रहा था, मेरी चूत गीली हो चुकी थी।

मैं किस कर के हटी और साइड में खड़ी हो गयी। तन्वी बड़ी शिद्दत से उसका लंड चूस रही थी। हर्षिल भी उम्म उम्म कर के सिसकारियां ले रहा था।

मैंने तन्वी का मुंह पकड़ा और ज़बरदस्ती पीछे कर के लंड निकाल दिया और बोली- ऐसे ही झाड़ देगी क्या इसे? रुक जा।
तन्वी मुसकुराई और बोली- सॉरी यार … इतने टाइम बाद लंड मिला तो बहक गयी।
हर्षिल बोला- अब दोनों बहक ही गयी हो तो अपने गदराए हुए खूबसूरत नंगे जिस्म के दर्शन तो करा दो, तड़प रहा हूँ मैं।

कहानी जारी रहेगी.
[email protected]

कहानी का अगला भाग: मेरी सहेली की कामवासना-2