यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
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नम्रता ने फ्रिज खोला और झुककर कुछ निकालने लगी. बस इतनी देर में एक बार फिर अपने मुरझाये लंड से उसकी गांड को सहला दिया.
खैर उसने अन्दर से पहले से गूँथा हुआ आटा निकाला. इधर मैंने बीयर के सील को तोड़ दिया और फिर हम दोनों ने जाम लड़ाने के बाद अपनी-अपनी बीयर खाली करने लगे.
एक ही सांस में उसने और मैंने दोनों ने ही केन खाली कर दिया. बीच में नम्रता को बीयर पीने में तकलीफ हुई, लेकिन उसने बिना कोई नखरा किए बीयर को पूरा पी लिया. अब वो रोटी बेलने लगी, मैं उसके बगल में खड़ा होकर बारी-बारी दोनों निप्पल को दबाता और चूत के अन्दर उंगली करता और पुत्तियों को मसलता.
उसने रोटी बनाना खत्म किया. उसने मटन बनाया था, एक-एक बियर केन के साथ ही, हमने खाना खत्म किया. फिर रसोई समेटने के बाद हम लोग वापस पलंग पर बैठ गए.
थोड़ी देर इधर उधर की बातें होती रहीं. मैंने उसके और उसके पति के बीच सेक्स को लेकर चर्चा की, तो बोली- यार मूड मत खराब करो.
मैं- तो यार … खाना खाने के बाद तुरन्त चुदाई तो हो नहीं सकती न, अब तुम जो कहो, वो कर दिया जाए.
नम्रता बोली- चलो पहले मूत के आते हैं, या फिर अगर मेरी मूत पीने का मन है तो मैं तुम्हारे मुँह में ही मूत दूँ. या फिर चलो दोनों लोग एक साथ ही मूतने चलते हैं, मैं तुम्हें मूतते हुए देख लूंगी और तुम मुझे. फिर जब तक मूड न हो, लेट लिया जाएगा और अगर मूड हो गया तो एक राउन्ड हो जाएगा.
हम दोनों एक-दूसरे के सामने खड़े होकर मूतने लगे और उसके बाद आकर बिस्तर पर लेट गए. मैं करवट लेकर अपने हाथ को नम्रता के ऊपर रख दिया. मुझे नम्रता के नग्न और गर्म जिस्म पर हाथ रखे हुए दो या तीन मिनट हुए होंगे कि मेरे हाथ ने अपने आप ही हरकत करना शुरू कर दिया. मैं उसके मुलायम-मुलायम चूची को बारी-बारी दबाने लगा, मेरे हाथ कभी उसके निप्पल से खेलते, तो कभी उसकी चूत से, तो कभी भगनासा या भगान्कुर से खेलने लगा. मेरी उंगली उसकी चूत के अन्दर जाने लगी. मैं उसकी चूत को मसल रहा था, बीच-बीच में उसकी चूत को मैं जोर से मसल देता था और निप्पल को दाँत से काट लेता था.
नम्रता ने भी अपनी टांगों को फैला लिया, जिससे वो चूत को मसलवाने का और मजा ले सके. नम्रता उन्माद भरी आवाजों के साथ मेरा हौसला बढ़ा रही थी. नम्रता की चूत के गीलेपन से मेरी उंगलियां गीली हो चुकी थीं. मैंने अपनी गीली उंगलियों को नम्रता के नथुनों के पास किया और उसको सूंघाते हुए उंगलियों को चाटने लगा. फिर लगभग उसके ऊपर चढ़कर मैं अपनी जीभ उसके निप्पल पर फिराने लगा और उसकी तनी हुई निप्पल को अपने होंठों के बीच दबाकर उसको जोर से चूसता.
नम्रता- हां मेरे राजा, दूध निकाल लो इसका और मजे लेकर पिओ.
उसके बाद मैं उसके पेट को गीला करते हुए नीचे की तरफ बढ़ा और उसकी चूत पर जाकर उसकी चूत चटाई करने लगा. मैं उसकी पुत्तियों को भी होंठों के बीच दबाकर आईसक्रीम की तरह चूसने लगा.
नम्रता- आह.. हां काट खाओ इसको.
फिर मैंने अपनी जीभ को चूत के अन्दर कर दिया और अन्दर से निकलते हुए गीलेपन को चाट चाट कर साफ करने लगा. इस बीच मेरा लंड तन चुका था, सो अपना लंड नम्रता के मुँह में देने के बजाए उसकी चूत के अन्दर डालना सही समझा. सो मैं नम्रता के जांघों के बीच आ गया और लंड को चूत के मुहाने पर टिकाकर एक झटका दिया. मेरा लंड बिना किसी नखरे के अन्दर सटाक से चला गया. सुपारे पर खुजली और चूत की गर्मी रोकना मुश्किल हो रहा था, धक्के लगने ही थे, सो मैं अपनी कमर चलाने लगा. जितनी नम्रता को चोदने की स्पीड बढ़ रही थी, उतनी ही तेजी से मेरे हाथ उसके चूचियों को भींच रहे थे. नम्रता भी धक्के के साथ आह-उह की आवाज निकाले जा रही थी.
जैसे-जैसे चूत चुदाई हो रही थी, वैसे-वैसे सुपारे की खुजली कम हो रही थी और दिमाग की खुजली बढ़ती जा रही थी. मैंने नम्रता को उसी पोजिशन में अपने ऊपर लिया और मेरे लंड की चुदाई करने को कहा. वो भी किसी कुशल खिलाड़ी की तरह उछाल मारने लगी. उसकी उछलती हुई चूचियां और दोनों के बीच चिल्लाने का दौर परवान चढ़ने लगा था.
वो निर्भीकता उजागर होने लगी थी, जिसके कारण वो हम्म, हम्म की आवाज के साथ खुलकर सहयोग कर रही थी. पूरे कमरे में वासना के उन्माद का माहौल था. अपनी आंखें बन्द करके वो मेरे लंड की चुदाई का आनन्द ले रही थी. तभी अचानक से मैंने उसके निप्पल को कस कर मसल दिया, उसने अचकचा कर अपनी आंखें खोल दीं और मेरे निप्पल को भी कसकर दबा दिया.
नम्रता बोली- मेरे निप्पल को इतना कस कर क्यों मसल रहे हो.
मैं- अरे यार, बस लंड चुदाई ही करोगी कि लंड चुसाई भी करोगी.
नम्रता- मैं तो बस चूसने ही जा रही थी तुम्हारा लंड.
मैं- तो देरी किस बात की रानी … घोड़े से उतरकर चूसना शुरू कर दो.
नम्रता 69 की अवस्था में आ गयी, उसकी चूत की गंध मेरे नथुनों में घुस रही थी. थोड़ी देर तक मैं उसकी चूत की गंध को अपने नथुनों में भरा और फिर फांकों पर जीभ फिराने लगा. मेरी जीभ जो एक बार चलना शुरू हुई, तो कभी जीभ चूत के अन्दर जाती, तो कभी पुत्तियों पर चलती. मेरे हाथ उसके कूल्हे को पकड़ उसके गांड छेद पर अंगूठा रगड़ देते. नम्रता भी अपने अनुभव का प्रदर्शन कर रही थी, मेरे लंड को हलक के अन्दर तक ले जाती, तो कभी सुपारे पर अपनी जीभ चलाती, तो कभी अंडों को मुँह में भरने की कोशिश करती, नहीं तो फिर अंडों पर ही जीभ चलाती.. और दोनों गोलों को हल्के-हल्के दबा देती.
इधर मेरी जीभ भी उसकी चूत को चाटते-चाटते कब उसकी गांड तक पहुंच गई, पता ही नहीं चला. जैसे ही जीभ की टो उसकी गांड के छेद पर चलने लगी, नम्रता की आह निकल गई.
नम्रता- हुस्स.. तुम भी कमाल के हो मेरी जान, क्या मस्त मेरी गांड चाट रहे हो मुझे सुरसुरी सी हो रही है. तुम तो मुझे जन्नत का मजा दे रहे हो.
इतना कहने के साथ ही नम्रता ने लंड चूसना छोड़ दिया और सीधी होकर अपने कूल्हे को और फैला कर मेरे मुँह पर बैठ गयी. अब मेरी जीभ की टो उसके गांड के अन्दर थी.
नम्रता- आह … हां … मेरे राजा चाटो इस छेद को, बहुत मजा आ रहा है … अपनी गांड को चटवाने में … आह-आह ओह-ओह किए जा रही थी.
इसी बीच मैंने उसकी गांड में उंगली डाल दी, चिहुंक कर वो एक किनारे हट गयी. मैंने उसको देखते हुए कहा- रानी, अब जरा अपना कमाल दिखाओ.
बस इतना कहते ही वो एक बार फिर लंड पर सवार हो गयी और लंड को चूत के अन्दर लेकर उसकी चुदाई शुरू कर दी. मेरा पानी निकलने वाला था, मैं चुप पड़ा हुआ था. उसका माल निकल चुका था. अब उसके धक्के की स्पीड धीरे-धीरे कम होने लगी थी. वो मेरे ऊपर लेट गयी और मेरे कान को चबाने लगी. उसकी चूत के पानी से मेरा लंड गीला हो चुका था. मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिया.
आठ-दस धक्कों के बाद लंड ने उसकी चूत के अन्दर पानी छोड़ना शुरू कर दिया. जब तक लंड में ताकत थी, तब तक वो अन्दर तना हुआ था, पर बाद में ढीला होकर बाहर आ गया.
मैंने तुरंत ही नम्रता से कहा- अब मजा आएगा, तुम्हें मेरा लंड चूसने में और मुझे तुम्हारी चूत चाटने में … आओ 69 वाली पोजिशन में आकर इस गीले लंड और चूत का मजा लें.
मेरी बात खत्म होने से पहले ही नम्रता घूम गयी और लंड के चारों तरफ जीभ फिरा कर अच्छे से लंड चाटने लगी. इधर मैं भी उसकी चूत से निकलते हुए रस को अपने मुँह में लेकर रसपान करने लगा.
थोड़ी ही देर में दोनों ने एक दूसरे का अच्छे से चाटकर साफ कर दिया और उसके बाद एक दूसरे से चिपक गए. लेकिन अभी भी हम दोनों का मन नहीं भरा था, वो मेरे निप्पलों से खेल रही थी, जबकि मैं उसकी टांग़ को अपने ऊपर करके उसकी गांड में उंगली डाल निकाल रहा था.
कुछ देर बाद नम्रता ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा- जानेमन, वास्तव में मैं जो अपनी चूत या अपने जिस्म के लिये चाहती थी, वो आज जाकर पूरी हुई.
बात करते करते मैं उसकी गांड में उंगली डालता और निकालकर अपने मुँह में रख लेता.
नम्रता बोली- यह क्या कर रहे हो यार?
मैं- मजा ले रहा हूं और जब मजा लेना है, तो पूरा मजा लेना है. अभी तो तुम्हारी गांड को भी लंड का मजा देना है.
नम्रता- अच्छा तो यह बात है.
ये कहकर वो नीचे की तरफ सरक गयी, क्योंकि उसने पूरी कोशिश की कि मेरी गांड में वो उंगली कर सके, लेकिन लम्बाई कम होने के कारण कर नहीं पा रही थी. लेकिन अब वो मेरे पेट पर जीभ चलाते हुए मेरी गांड में उंगली डालने का भरसक प्रयास कर रही थी, लेकिन उसकी उंगली अन्दर नहीं जा रही थी.
नम्रता बोली- यार, तुम्हारी गांड कितनी टाईट है, मेरी उंगली तुम्हारी गांड के अन्दर जा ही नहीं रही है.
मैंने उसे रास्ता सुझाते हुए कहा- उंगली को थूक से गीला करके गांड के अन्दर डालो, चली जाएगी.
अब वो वैसा ही करती और मैं भी थोड़ा सा अपने पेट को हल्का करते हुए गांड को फुला-पिचका रहा था ताकि उसकी उंगली अन्दर चली जाए.
मैं उसकी और सहूलियत के लिये पेट के बल लेट गया, अब नम्रता मेरे कूल्हे को अपनी पूरी ताकत लगाकर मसल रही थी. नम्रता के इस तरह करते रहने से मेरे पेट में गुदगुदी सी होने लगी थी. गांड के छेद में गीलापन ज्यादा लगने लगा था. नम्रता ने मेरी गांड को चाट-चाट कर मेरा बुरा हाल कर दिया.
जब गांड को हद तक चाट चुकी थी, तो फिर अपने पति को कोसते हुए बोली- मैं यही खेल उसके साथ खेलना चाहती थी, मैं उसकी गांड चाटना चाहती थी, उसके लंड को चूसना चाहती थी, उसके वीर्य का रस पीना चाहती थी, उसके निप्पलों को दांतों के बीच लेकर चबाना चाहती थी. उसके साथ नहाना चाहती थी. लेकिन वो मादरचोद न तो अपनी गांड चटवाना चाहता था और न ही मेरी गांड और चूत चाटना चाहता था. बस साला थोड़ी देर तक मेरी चूत को सहला देता था और फिर मेरे ऊपर चढ़कर मुझे चोद देता था बस. बहुत ज्यादा हुआ, तो मेरे दूध को अपने मुँह में भर लेता था. साला भोसड़ी वाला, चोदने के बाद अपना माल अन्दर ही छोड़ देता था. बस इतने में ही उसका काम खत्म हो जाता था. मैं तड़प रही हूं कि नहीं … इससे उसे कोई मतलब नहीं था.
फिर अपने को संयत करते हुए बोली- लेकिन जान आज मुझे तुम्हारी गांड चाटने में मजा आया.
मैं- हां तुम्हें तो मजा आ रहा था लेकिन मेरी हालत खराब हो रही थी, एक अजीब सी गुदगुदी सी पेट में हो रही थी.
नम्रता- हां यार, यही हाल मेरा भी था.. जब मैंने अपनी जीभ तुम्हारी गांड में टच की, तो एक अजीब सा स्वाद लगा और उसके बाद जब मैंने तुम्हारी गांड को अपने थूक से गीला करके चाटा, तो और मजा आया. इस तरह तुम्हारी गांड चाटना बीयर से भी ज्यादा नशा दे रहा था.
नम्रता की बात खत्म होने पर मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए कहा- यार मजा तो तुम्हारी चूत और गांड में भी है. इस चुदाई में मेरा लंड तुम्हारी चूत से बाहर आना ही नहीं चाह रहा था.
नम्रता- तो मेरे इस लंड को क्यों तरसा रहे हो. मेरी चूत तो अभी भी तैयार है, डाल दो इसको मेरी चूत के अन्दर और चोद दो मेरी चूत को.
मैं- हां यार मैं भी यही सोच रहा था, लेकिन पहले चूत बियर पी लूं और तुम लंड बियर पी लो.
बात को समझते हुए नम्रता बोली- तो तुम बताओ किस तरह पीना चाहोगे चूत बियर.
मैं- बस तुम अपनी टांगों को फैला लो. मैं तुम्हारी टांगों के बीच आ जाता हूं फिर तुम चाहो तो चूत बियर पीला सकती हो.
क्या समझदार माल थी नम्रता. उसने बीयर की केन उठायी, अपनी टांगें खोल दीं और जैसा मैंने कहा था. मैं उसकी टांगों के बीच आ गया. मैंने अपना मुँह ठीक उसकी चूत के सेन्टर पर खोल दिया. बस फिर क्या था … वो धीरे-धीरे अपने उस कोमल अंग से बियर की धार बनाने लगी और वो धार सीधा मेरे मुँह के अन्दर गिरने लगी. इस तरह बियर पीने का अपना ही एक मजा था. बियर खत्म होने पर मैंने उसकी उस कोमल चूत को चाटने लगा और साथ ही साथ उस प्री-कम रस का भी मजा लेने लगा, जो शायद उसके ज्यादा उत्तेजना के कारण निकल आया था.
अब मेरी बारी थी. मेरा लंड पहले से ही अपना कोण ले चुका था. मैंने केन लिया और अपनी पोजिशन ले ली.
नम्रता ने भी लेकर अपना मुँह खोल दिया और मैं अपने सुपारे के ऊपर ही बियर गिराने लगा, जो सीधा नम्रता के मुँह में जा रहा था. बियर खत्म होने तक मैंने बियर की धार टूटने नहीं दी और नम्रता ने भी पूरे मजे से बियर को पिया. उसके बाद मेरे लंड को अच्छे से चूस कर साफ किया.
लंड चूसने के बाद नम्रता बोली- यार तुमने मुझे जिंदगी का सब सुख दे दिया.
उसके इतना बोलते ही मैंने उसके होंठों पर अपना होंठ रख दिए और उसके मम्मे दबाते हुए उसके होंठ चूसने लगा. वो भी होंठ चुसाई में मेरा भरपूर साथ दे रही थी. वो मेरे से कस कर चिपकी हुई थी और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ रही थी. हालांकि उसकी चूत चिकनी थी, लेकिन कड़े रोंए के वजह से मेरे सुपारे पर एक अजीब से जलन हो रही थी, जिसका मैं विरोध भी नहीं कर पा रहा था. मुझे लंड का चूत पर रगड़ना इतना अच्छा लग रहा था कि उस जलन को बर्दाश्त भी करना अच्छा लग रहा था.
मैंने भी अपनी उंगलियों को आराम देना उचित नहीं समझा और नम्रता की गांड की सुराख में घुसेड़ने लगा. नम्रता भी मेरे लंड को बहुत तेज-तेज फांकों के बीच में घिस रही थी और साथ ही चूत के अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी.
ये उसके उत्तेजना की चरम सीमा ही थी, जो उससे ऐसा करने को उकसा रही थी. मैंने पास पड़ी एक टेबिल को देखा, जिस पर मैं नम्रता को लेटाकर आसानी से चोद सकता था. मैंने तुरन्त नम्रता को उठाकर उस टेबिल पर इस तरह लेटा दिया कि उसकी कमर टेबिल के बाहर थी और इस तरह से मेरे खड़े होने की सही पोजिशन बन पा रही थी.
उसके बाद मैंने आसानी से उसके गर्म चूत में लंड पेल दिया और चोदन प्रक्रिया करने लगा. बीच बीच में मैं उसके मम्मे को मुँह में भरकर पी लेता था.
नम्रता मदहोशी से अपनी आंखें बन्द करके बड़बड़ा रही थी- मेरे राजा चोदो मुझे … आह और तेज धक्के मारो. इस तरह के धक्के मेरी चूत को पसंद हैं. वो न जाने क्या-क्या बड़बड़ा रही थी, पता नहीं उसकी चूत चुदाई के मजे में कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था.
अचानक न जाने क्या हुआ कि नम्रता ‘पो.. ओंओंओं..’ करके पादने लगी. उसकी इस पाद के कारण मेरे दिमाग में उसकी गांड मारने की बात आ गयी. मैंने चूत चोदना बंद करके उसे उठाया और उसको टेबिल पर अपने आगे के हिस्से को किस तरह रखकर खड़ा होना है, बताकर उसे उसी तरह करने को कहा.
नम्रता बोली- क्या करने जा रहे हो?
मैं- अब तुम्हारी गांड मारने का प्लान मेरे दिमाग में आ रहा है … बस उसी की तैयारी कर रहा हूं, क्रीम कहां रखी है बता दो.
नम्रता- वो ड्रेसिंग टेबिल पर … और वहीं से मेरा मोबाईल लेते आना.
मैं- क्यों?
मेरी ये हॉट एंड सेक्सी देसी चूत चुदाई की कहानी पर आपके मेल का स्वागत है.
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कहानी जारी है.