मेट्रो में मिली चालु आंटी की चूत मारी

नमस्ते मेरे ठरकी पाठको और पाठिकाओ, आज मैं अपने साथ घटित हुई अगली कहानी लिख रहा हूं. उम्मीद है, कहानी पढ़ने के बाद आप सबका कामरस जरूर निकल जायेगा.

पहले मैं अपने बारे में बता दूं.
मेरा नाम रवि है और मैं बिहार का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 21 वर्ष है, बॉडी स्लिम है और लौड़ा 7 इंच का मूसल जैसा मोटा है.

यह देसी आंटी चुदाई स्टोरी उस समय की है जब मैं जॉब की तलाश में दिल्ली अपने दोस्त के पास आया था.
मेरे दोस्त ने बोला था कुछ दिन दिल्ली घूम ले, उसके बाद वो मेरी जॉब यहां दिल्ली में लगवा देगा.
मैं उसके पास रहने के लिए चला गया.

अगले दिन वो जॉब के लिए निकल गया.
उसके बाद मैं भी घूमने के लिए रेडी हो रहा था.

तभी दिमाग में शरारत सूझी और फिर मैंने बिना अंडरवियर के ही ट्राउजर पहना. इससे मेरे लन्ड का उभार साफ पता चल रहा था.
मैंने फिर टीशर्ट पहना और निकल गया.

मैं मेट्रो स्टेशन की ओर चला गया और मेट्रो में चढ़ गया.
मन में यही ख्याल था कि कोई आंटी तो मेरे लंड को देख ही लेगी और चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाएगी.

वहां से मैंने कुतुबमीनार के लिए टिकट लिया. फिर मैं मेट्रो के लिए इंतजार करने लगा.
मेट्रो आई और मैं चढ़ गया.

अंदर का नजारा देखा तो और ज्यादा ठरक जागने लगी.
अंदर थोड़ी भीड़ थी. मैं भी एक साइड खड़ा हुआ और भीड़ का मजा ले रहा था.

भीतर मेट्रो में एक से एक भाभी और आंटी थीं.

उनकी मोटी मोटी गांड और चूचे देखकर मैं पागल हुआ जा रहा था.
मेरा लन्ड हरकत में आ रहा था.

इतने में अगले स्टेशन पर भीड़ कुछ कम हुई तो वहां एक हॉट सी आंटी दिखी.
उसकी उम्र लगभग 30-32 लग रही थी लेकिन बाद में पता चला की वो 35 की थी.
काफी मेंटेन कर रखा था उसने अपने आपको!

वो पीले रंग का सूट सलवार पहने, गॉगल्स लगाए खड़ी थी.
उसकी मोटी गांड और बड़ी बड़ी चूचियां काफ़ी सेक्सी लग रही थीं, साइज 36–30–38 के करीब का लग रहा था.

अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके पीछे जा कर खड़ा हो गया.
अभी हम ऐसे ही खड़े थे कि उसका हाथ मेरे लन्ड के पास था और मेरी नजर उसके हाथ पर थी कि कैसे मैं उसके हाथ से अपना लंड टच करवाऊं.
मेरा लंड भी अब टाइट हो रहा था.

जैसे ही अगले स्टेशन पर गाड़ी रुकी, मैं जानबूझ कर थोड़ा आगे हुआ जिससे मेरा लन्ड उसकी हथेलियों पर पूरा सेट हो गया.
ऐसा होते ही वो एकदम से डर गई और अपना हाथ ऊपर खींचते हुए नीचे देखा.
हैरान होते हुए वो मेरी तरफ देखते हुए बोली- सॉरी.

मैं समझ गया कि आंटी लंड के उभार को देखकर हैरान हो गई है.
लेकिन मैं भी अनजान बनते हुए बोला- जी कोई बात नहीं.

फिर वो आगे की ओर घूम गई और अपना हाथ भी आगे की ओर कर लिया और नजर चुराते हुए मुझे देखने लगी.

अब जैसे ही गाड़ी राजीव चौक पहुंची, वहां काफी भीड़ भर गई जिसकी वजह से आंटी मुझसे आकर चिपक गई.
मेरी तो मानो लॉटरी लग गई.

नीचे मेरा लंड टाइट ही था जो आंटी को अच्छे से महसूस हो रहा था.
आंटी मेरी ओर मुड़ कर देखती और जैसे ही मैं उसकी ओर देखता तो वो आगे देखने लगती.

अब मेरा लंड अपने विकराल रूप में आ चुका था और अंडरवीयर न होने के कारण पूरी तरह से आजाद था.
जिससे वो एकदम तोप जैसा सीधा तन गया था.

उसको मेरा लंड सीधा चुभ रहा था.
अब मैंने भी भीड़ का फायदा उठाते हुए अपने लंड को ट्राउज़र के अंदर सीधा करते हुए आंटी की गांड की दोनों दरार के बीच सेट कर दिया.
इससे उसके शरीर में एकदम करंट सा दौड़ गया.
फिर वो भी अपने आप को एडजस्ट करते हुए चुपचाप खड़ी हो गई.

अब मैं तो मानो जन्नत में था.
दरार के बीच लंड सेट था तो मैंने एक झटका दिया जिससे मेरा लंड उसके सलवार के साथ ही गांड की दरार में अंदर घुस गया.
उसे धक्का सा लगा और उसने पीछे मुड़कर मुझे गुस्से से देखा.
वो फिर चुपचाप खड़ी हो गई.

मैंने थोड़ी देर बाद फिर से एक झटका दिया तो वो फिर उछल पड़ी.
अबकी बार वो घूम कर मेरी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई.

मेरी तो गांड ही फट गई थी; मैं यहां वहां देखने लगा और नीचे मेरा लंड लोअर में झटके दे रहा था.

लंड ठीक उसकी चूत के ऊपर झटके मार रहा था.

वो भी इससे मदहोश हो रही थी.
फिर वो बोली- नाम क्या है तुम्हारा?
मैंने बोला- रवि!

तभी मैंने उसका नाम पूछा तो उसने एक कार्ड निकाल कर मुझे दिया.
इतने में गाड़ी स्टेशन पर रुक गई और वो बिना कुछ बोले एकदम से उतर गई.

मेरे तो पूरे शरीर में सेक्स की आग जल रही थी.
किसी तरह से मैंने खुद को कंट्रोल किया.

फिर मैं कुछ घंटे बाहर घूमा और फिर घर लौट आया.
शाम को मैंने उन्हें कॉल किया तो एक बहुत ही मादक आवाज आई- कौन बोल रहा है?

मैंने कहा- मैं रवि बोल रहा हूं.
इतना बोलते ही वो समझ गई और उसकी आवाज में एक अलग ही खुशी झलकी.
वो बोली- वो सब क्या था जो मेट्रो में कर रहे थे? ये हमेशा ऐसे ही रहता है क्या?

उससे मैंने कहा- जी हां, आप जैसी खूबसूरत औरत के लिए तो यह हमेशा ही खड़ा रहता है.
वो बोली- क्या साइज है?
मैंने कहा- आप खुद ही देख लेना.

वो बोली- प्लीज बता दो ना …
मैंने कहा- ऐसी क्या बेचैनी है?
आंटी- जो हथियार मुझे बाहर से इतना उछाल सकता है, वो अंदर जाकर तो क्या ही करेगा, क्या पता. पता नहीं कितना बड़ा होगा.

मैं- क्यों, पहले इतना बड़ा लंड नही लिया क्या?
आंटी- लिया है लेकिन पहले कभी ऐसा नहीं हुआ.

ऐसे ही हमारी बातें काफी देर तक हुईं तो पता चला कि उसका हसबैंड एक मल्टीनेशनल कम्पनी का रिटेल हेड है.
वो पूरे महीने टूर पर ही होता था और 3-4 दिनों के लिए ही घर आता था.

आंटी का एक बेटा था जो हॉस्टल में रहता था. आंटी बात करते हुए इतनी गर्म हो गई कि कल मिलने के लिए बुलाने लगी.
मैं भी कहां मौका छोड़ने वाला था, झट से हां कर दी.

अगले दिन मैं उसी मेट्रो स्टेशन पर पहुंच गया जहां वो उतरी थी.
फिर मैंने कॉल किया तो उसने बोला कि स्टेशन के बाहर निकलो.

बाहर निकलते ही एक सफेद स्विफ्ट कार मेरे पास आ कर रुकी और उससे वो आंटी निकली जिसने ब्लू साड़ी पहनी पहनी थी.

आंटी काफी हॉट लग रही थी.
देख कर मन तो किया कि यहीं कार में ही चोद दूं.

फिर वो पास खड़े जूस वाले जूस लेने लगी और इतने में ही मुझे कार के अंदर बैठने का इशारा कर दिया.

मैं जल्दी से कार में जाकर बैठ गया.
पांच मिनट बाद वो आई और फिर हम दोनों चल पड़े.
वो मुझे अपने घर ले गई.

उसका घर काफी बड़ा और खूबसूरत था.
अंदर जाते ही उसने मुझे अपने से लिपटा लिया और मुझे बेतहाशा चूमने लगी जैसे कि कितने दिनों की भूखी हो.
ऐसे ही किस करते हुए हम सोफे पर गिर गए.

आंटी बिल्कुल भूखी शेरनी की तरह मुझे चूसे जा रही थी.
लगभग 20 मिनट बाद उसने मुझे छोड़ा और लंबी सांसें लेते हुए सोफे पर जा बैठी और बोली- अपना सामान दिखाओ ना!

ये सुनकर मैंने बोला- रुको … जरा सब्र करो … आंटी. इतनी भी जल्दी क्या है?
वो प्यासी नजरों से मेरी ओर देखते हुए बोली- ठीक है, बताओ कि क्या खाओगे?

मैंने खाने से मना कर दिया तो वो मेरे लिए जूस लेकर आ गई.
तो मैंने जूस पी लिया.

फिर वो मुझे अपने बेडरूम में ले गई और बेडरूम में जाते ही वो फिर से मुझ पर टूट पड़ी.

काफी देर चूमने के बाद वो मेरे सारे कपड़े उतारने लगी.
मैं खड़ा हो गया.
वो घुटनों के बल बैठ कर मेरी पैंट का हुक खोलने लगी.

वहीं मेरा लंड भी पूरी तरह से फनफना रहा था और आंटी लंड को देखने के लिए बेचैन हो रही थी.
जैसे ही आंटी ने पैंट को नीचे किया वैसे ही मेरा लंबा मोटा लंड सीधा तन कर उसके मुंह के सामने खड़ा हो गया.

लंड को देख कर आंटी की आंखें खुलीं की खुलीं रह गईं और हैरान होते हुए वो लंड को गौर से देखने लगी.

मैंने बोला- क्या हुआ आंटी?
आंटी हकलाते हुए बोली- ऐसा लंड मैंने कभी नहीं लिया है.
मैं- तो अब ले लो आंटी जी!
बोलते हुए मैंने लंड उसके होठों पर रख दिया.

आंटी ने उसे अपने हाथ में पकड़ा और उसे मुंह में लेकर चूसने लगी.
वो पूरा लंड मुंह में लेने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन ले नहीं पा रही थी.

थोड़ी देर लंड चूसने के बाद मैंने उन्हें उठाया और बेड पर पटक दिया और उसके सारे कपड़े खोल दिए.
अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी; क्या माल लग रही थी.
उसकी चूचियां मानो कब से आजाद होने के लिए तड़प रही हों.

फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसे किस करने लगा.
किस करते हुए उसकी ब्रा को जैसे ही खोल कर साइड किया उसकी मोटी चूची उछल कर आजाद हो गई.

पिंक से निप्पल और गोल मटोल काफी सॉफ्ट चूची थीं जिनको चूसने में बहुत ही मजा आ रहा था मुझे!
वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और सिसकारी भरते हुए बोल रही थी- आह्ह … स्स … हाय … चोद दो मुझे.

ऐसे देख कर मुझे मजा आ रहा था और मैं जानबूझ कर आंटी को और ज्यादा तड़पा रहा था.
उसको चूमते हुए मैं उसकी चूत पर पहुंच गया और चाटना चालू किया.
इससे वो अपनी कमर को उछाल कर मेरे मुंह को अपनी चूत पर दबाने लगी सिसकारियां भरने लगी.

वो चुदने के लिए मिन्नतें कर रही थी और मैं उसकी चूत को चाट चाटकर पागल किए जा रहा था.
थोड़ी देर में आंटी पूरी तरह से तड़प उठी और गाली देते हुए बोलने लगी- आह्ह मादरचोद … इतना क्यूं तड़पा रहा है … कमीने प्लीज चोद दे ना … मेरी आग को शांत कर दे प्लीज … अब नहीं रहा जा रहा है.

मुझे लगा कि अब ये सही टाइम है तो मैंने उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपने कंधे पर रखा और लंड को चूत पर रगड़ना चालू कर दिया.
इससे आंटी पूरी मचलने लगी.
वो चुदासी होकर कमर को उछाल कर लंड को अंदर लेने की कोशिश करने लगी.

तभी मैंने अचानक से एक झटका दिया जिससे मेरा आधा लंड अंदर घुस गया और आंटी दर्द से चिल्ला उठी- आईई … मम्मी … मर गई!!!
दर्द से उसकी आंखें फैल गईं और वो मुझे पीछे धकेलते हुए लंड को बाहर निकाल देने की कोशिश करने लगी.

लेकिन मेरी पकड़ बहुत मजबूत थी, वो निकाल नहीं पाई और छटपटा कर शांत हो गई.
उसके शांत होने के बाद मैंने दूसरा झटका दिया और उसकी चूत में पूरा लंड घुसा दिया.

वो फिर से मचलने लगी, उसकी आंखों से पानी गिरने लगा.

दर्द के मारे आंटी का चेहरा लाल हो गया था.
मैंने नीचे देखा तो मेरा मूसल आंटी की चूत में फंसा पड़ा था.
आंटी की चूत के होंठ जैसे फट गए थे.

धीरे धीरे फिर मैंने आंटी को चोदना शुरू किया.
मैं लगातार झटके देते रहा.

थोड़ी देर तक दर्द से वो वैसे ही कराहती रही और फिर उसे भी मजा आने लगा.
फिर वो भी उछल उछल कर चुदवाने लगी.

काफी देर तक लगातार हमने पोजीशन बदल बदल कर चुदाई की.
इस बीच आंटी झड़ गई और फिर मैं भी झड़ गया.
देसी आंटी चुदाई के बाद थक कर हम दोनों निढाल होकर एक दूसरे से चिपक कर सो गए.

उस दिन शाम तक आंटी को मैंने दो बार चोदा.

वो कहने लगी- आज तो बुरी हालत हो गई है. अब रात में बदन तोड़ नींद आएगी.

फिर उसने मुझे कुछ पैसे दिए और बोली- ये रख लो. इन पैसों से पौष्टिक भोजन लेकर अपनी सेहत पर ध्यान देना.
मैंने सोचा नहीं था कि आंटी पैसे भी दे देगी. मैं तो बस उसकी चूत मारने गया था.

आंटी बोलने लगी किउसके बाद हम दोनों ने किस किया. फिर मैं वहां से आ गया.

उसके बाद भी देसी आंटी ने कई बार मुझे चूत मरवाने के लिए बुलाया.

तो दोस्तो, ये थी मेट्रो में मिली आंटी की चुदाई की कहानी.