हाई फ्रेंड्स, मैं मोनिका हूँ आपको तो मैं याद ही हूँ न? भूलेंगे भी कैसे मेरी करारी जवानी को आप सब?
मैं मोनिका मान उर्फ़ मोनी हिमाचल में रहती हूँ। मेरे स्तन 32″ कमर 28″ चूतड़ 36″ के हैं।
मैं अक्सर जीन्स-शर्ट पहनती हूँ। मेरा रंग गोरा है और मैं बॉय-कट बाल रखती हूँ। मेरे घर में हैं मेरे पापा, मेरी मोम, एक बड़ा भाई, बड़ी बहन निकिता और मैं।
घर में मैं सबसे छोटी हूँ। मेरी बहन निकिता पापा के साथ दिल्ली में रहती है, भाई पंजाब में जॉब करते हैं। घर में मैं और मेरी मॉम रहती हैं.
मेरी कहानियाँ मेरे जीवन की सच्ची घटना है, यह कोई कल्पित घटना नहीं है।
मेरी पिछली कहानी
गांड मरवाने का पहला अहसास
पर मुझे आपके ढेरों मेल मिले, मुझे बहुत अच्छा लगा। पहले तो उन सभी दोस्तों से माफ़ी चाहती हूँ जिनके मेल का जवाब नहीं दे सकी। कुछ लड़कों के मुझे सेक्स के ऑफर भी आये. कुछ लड़कों ने मेरे चूतड़ों को देखने की भी मांग की।
मेरी कहानी को इतना प्यार देने के लिए आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद।
अक्षर मैं रात को टहलने के लिए छत पर चली जाती हूँ. या मेरे बेडरूम के पिछले हिस्से में बनी बालकनी में कुर्सी लगा कर बैठ जाती हूँ.
वैसे ही आज भी मैं छत पर बैठी ठण्ड का मजा ले रही थी और पहाड़ों में बसे छोटे से शहर की जगमगाती लाइटों में शहर की खूबसूरती को निहार रही थी जो मैं अकसर करती रहती हूँ। हल्की हल्की ठण्ड पड़ रही थी जो मुझे बहुत ही सुकून दे रही थी। कुछ पल के लिए मैं सब कुछ भूल कर उस पल का आनन्द लेती हूँ।
मैंने अपनी टीशर्ट को ऊपर किया और अपने पेट पर ठंडी हवा को महसूस करने लगी। मुझे नहीं पता कि आपको कैसे बताऊँ उस पल को। बस मेरे लिए वो पल जन्नत से कम नहीं थे। दिल कर रहा था वो पल कभी खत्म ना हों।
तभी मुझे कुछ आहट सी सुनाई दी जैसे कोई छत पर आया हो। मैंने पीछे देखा तो मेरे साथ वाले मकान की छत पर खडा लड़का मुझे देख रहा था।
जब मैंने उसको देखा तो उसने अपना हाथ हिला कर हाय किया। मैंने भी उसे हाय किया।
उस वक्त वो कैपरी और बनियान में था। मैंने टीशर्ट और लोवर पहनी हुई थी। मैंने भी फटाक से अपनी टीशर्ट को नीचे कर दिया।
वैसे आपको बता दूँ कि वो लड़का यहाँ पढ़ने के लिए आया है हरियाणा से। उस मकान में वो दो लड़के रहते हैं और दोनों ही पढ़ते हैं. वो लड़का हमारे घर भी आता जाता है जब भी किसी चीज की जरूरत होती है तो हमसे मांग लेता है।
दूसरा लड़का पंजाब से है।
वो दोनों सुबह जिम जाते हैं फिर अपने कालेज। शाम को फिर जिम जाते हैं और वापस अपने रूम में।
बस यही रूटीन है उनका।
मैं उनको भइया बुलाती हूँ। जब भी किसी सामान की जरूरत होती है तो ममा बोल देती है उनको … वो कभी मना नहीं करते। हम भी उनको अक्सर डिनर पर बुलाते हैं।
हरियाणा वाले का नाम तरुण और पंजाब वाले का नाम सुखमीत है। तरुण हट्टा कट्टा जवान है करीब 5 फ़ीट 6 इंच हाइट। मुझे बहुत अच्छा लगता है तरुण। उसके होंठ एकदम सुर्ख गुलाबी है। और खास बात के वो किसी प्रकार का नशा नहीं करता।
म बहुत बार उसको छत पर जा कर देखती हूँ। वो भी मुझसे नजदीकियां बढ़ाना चाहता था। एक तरह का आकर्षण हो गया था हमारे बीच में।
उस दिन तरुण ही छत पर था। तभी मुझे ममा ने आवाज दी- मोनी नीचे आओ।
तरुण को बाय बोल कर मैं नीचे चली गयी।
ममा ने कहा- नीचे ही रहना … मैं पड़ोस में ही जा रही हूँ. उनके घर बहू को बच्चा होने वाला है तो रात भर मैं वहीं रहूँगी।
और ममा ने खाना भी बना दिया था। मैंने खाना खा लिया.
तभी ममा बाहर जा ही रही थी कि तरुण आ गया और बोला- आंटी थोड़ी सब्जी मिलेगी क्या? मैंने बनाई नहीं और आज सुखमीत भी घर गया है।
ममा ने बोल दिया- मोनी, सब्जी दे भईया को।
और ममा चली गयी.
मैंने उनको सब्जी कटोरे में डाल के दी और पूछा- आपने रोटी बना ली क्या?
उन्होंने मना किया- अभी बनाऊंगा।
मैंने उनको बोला- यहीं खा लो, खाना बना हुआ है.
और मैंने खाना लगा दिया।
उन्होंने खाना खाया और जाने लगे.
तब उसने मुझसे पूछा- छत पर आओगी क्या आप?
मैंने मना कर दिया- नहीं अब सोऊँगी मैं।
पता नहीं मेरे दिमाग में अचानक से क्या हुआ कि मैंने उनको आवाज दी- तरुण अभी तो 8 बजे हैं, मैं छत पर जाऊँगी।
वो खुश हो गया और चला गया।
मैं फटाक से छत पर चली गयी यह देखने के लिए कि इसके दिमाग में क्या चल रहा है जो मुझसे पूछा छत पर जाने के लिए।
मैंने 15 मिनट तक इंतजार किया वो नहीं आया। मैंने फिर से अपनी टीशर्ट को चूचियों से ऊपर किया और ठंडी हवा को चूचियों पर महसूस किया।
तभी तरुण हमारी छत पर आ गया। मैंने जल्दी ही टीशर्ट नीचे कर ली।
वो मेरे पास आकर खड़ा हो गया और मुझसे बात करने लगा। वो बार बार मेरी चूचियों को देख रहा था। मेरी चूचियाँ टीशर्ट से बाहर आ रही थी। मेरी चूचियां ऐसे भी बड़ी बड़ी है और उस पर से मेरी टीशर्ट का गला वी कट होने की वजह से मेरी आधी चूचियां बाहर आ गई थी. शायद वही देखकर उसका मन ख़राब हो गया था और मुझे पाने का प्रयत्न करने लगा।
वो मेरे गदराये हुए बदन को देखकर अपने आप पे काबू नहीं रख पाया और उसकी साँसें तेज तेज चलने लगी.
मैंने पूछा- तरुण क्या हुआ है?
तो तरुण बोला- मैंने आपको बहुत ही ज्यादा मिस किया. आज आप बहुत ही सुन्दर लग रही हो, आपसे सुन्दर इस दुनिया में कोई नहीं है। आज प्लीज मुझे आप गले से लगा लो.
मैं अवाक् रह गई.
फिर सोचा कि चलो आजकल तो गले लगाना बड़ा आम बात है इसमें शायद कोई बुराई भी नहीं है. मैंने अपनी बाजू फैला दी और वो मेरे सीने से चिपक गया. मेरे शरीर में भी एक नया अहसास हुआ और मैंने भी उसको जकड़ लिया.
तरुण मेरी पीठ को सहलाते हुए बोला- आई लव यू दीदी।
मैंने भी उसको लव यू भाई बोला।
इतना सुनते ही उसकी जो पकड़ थी, वो कुछ और आगे बढ़ गई, वो मुझे अपने से समा लेना चाहता था. उसने मुझे फिर से जोर से बांहों में भर लिया.
वो मुझे पानी के टंकी के पास ले गया, वहाँ एक ओर दीवार थी और दूसरी और टंकी! दीवार और एक तरफ ग्रिल लगी हुई थी। टंकी के बीच में जगह थी।
वहां पर किसी को भी दिखाई नहीं दे सकता था.
उसने मुझे अपनी ओर खींचते हुए कहा- दीदी, आई रियली लव यू!
मैंने कहा- भाई ये सब ठीक नहीं है। ऐसा भी नहीं होता है.
तरुण बोला- हां मुझे पता है कि ऐसा नहीं होता है. पर प्लीज मुझे मत रोको!
वो मेरे कूल्हों को सहलाने लगा. मैं भी अपने आप को रोक नहीं सकी. वैसे भी मेरे घर पर आज कोई नहीं था और मुझे सेक्स किये हुए भी 2 महीने हो गए थे.
मैंने भी वासना से भरकर अपनी बाँहों में उसको जकड़ लिया. वो मेरी होंठ को चूसने लगा, उसकी साँसें तेज हो चुकी थी, मैं भी गर्म हो रही थी. मैंने भी उसके बाल पकड़े और उसके होंठ को चूसने लगी.
वो मेरी चूचियों को ऊपर से ही दबाने लगा। मैंने खुद ही अपनी टीशर्ट उतार दी. ब्रा में कैद मेरी बड़ी बड़ी चूचियों को देख कर तरुण हक्का बक्का रह गया.
उसने मेरी चूची को दबाना शुरू कर दिया, उसके हाथ में मेरी चूचियां नहीं आ रही थी. वो ऊपर से जितना पकड़ पा रहा था वो पकड़ रहा था. तरुण ने धीरे से मेरी ब्रा को खोल दिया।
मेरी दोनों चूचियाँ हवा में लहराने लगी।
मैंने कहा- आई लव यू तरुण।
उसने मेरी चूचियों को जोर से दबा दिया मुझे लिप किस करने लगा।
5 मिनट बाद उसने मुझे घुमा दिया और मेरे भारी भरकम कूल्हों की दरार में वो लंड रगड़ने लगा. मैंने पीछे से उसके सर को पकड़ लिया. तरुण ने मेरी चूचियों की पीछे से पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा।
मैं बुरी तरह से वासना में भर गई थी. उसने मेरी लोवर को नीचे कर दिया। मैंने अपना लोवर निकलने में मदद की उसकी।
मैं अब सिर्फ ब्लैक पैंटी में खड़ी थी.
मैंने घूम कर उसकी बनियान निकाल दी और कैपरी भी उतार दी. वो बिलकुल नंगा हो गया. उसने अंडरवियर नहीं पहना था।
मैंने उसके पेट पर किस किया लेकिन उसके लण्ड को हाथ नहीं लगाया। चाँद की रोशनी में मैंने उसका लण्ड देखा तो देखते ही मेरे मुंह में पानी आ गया। मैंने बिना हाथ लगाये तरुण के लण्ड को मुंह में भर लिया।
मैं बिल्कुल बेशर्मों की तरह तरुण के लण्ड को चूसने लगी।
तरुण के मोटे लण्ड को जितना हो सकता था, उतना अंदर तक डाल लिया।
15 मिनट तक मैं बेहताशा लण्ड को चूसती रही।
तभी तरुण ने लण्ड खींच कर मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया. लेकिन मेरा मन नहीं भरा था; लण्ड चूसने का मन कर रहा था अभी भी!
तरुण ने मुझे खड़ा किया और मुझे उसने घोड़ी बना दिया। मैंने ग्रिल पकड़ ली और फिर उसने मेरी पेंटी को उतार दिया और मेरी डबलरोटी की तरह फूली हुई चूत को अपने मुँह में भर लिया.
वासना से मेरे शरीर में करंट सा दौड़ने लगा, मेरे पैर कांपने लगे. मैंने अपनी चूचियों को ग्रिल से बाहर लटका दिया।
कोई 20 मिनट तक तरुण ने मेरी चूत को चाटा. इस दौरान मैं दो बार झड़ चुकी थी। मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने बोल दिया- तरुण, प्लीज़ डाल दो।
तभी मैंने तरुण के लंड को चूस कर थूक से सराबोर कर दिया और दोबारा घोड़ी बन गयी.
तरुण ने मेरी चूत के ऊपर लण्ड रखा और धक्का मारा चूत टाइट होने की वजह से और अँधेरे की वजह से उसको ठीक से दिखाई नहीं देने के कारण उसका धक्का बेकार गया.
उसके बाद मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत पर सेट किया और मैंने कहा- अब डालो.
और उसने एक जोर से धक्का दिया; उसका आधा लण्ड अंदर चला गया।
मुझे हल्का सा दर्द हुआ।
तरुण ने हल्का सा लण्ड बाहर खींच कर दोबारा अंदर डाला. मैंने भी चूत को उचका कर साथ दिया और अबकी बार पूरा लंड मेरी चूत के अंदर समा गया। लण्ड पर चूत को टाइट कर दिया और उसको रोक दिया।
2 मिनट तक मेरी चूचियों को मसलता रहा। तब मैंने गांड को हिला कर धक्के मारने का इशारा किया। तरुण समझ गया और लण्ड को मेरी चुत में आगे पीछे करने लगा। अब उसकी स्पीड तेज हो गयी।
अब तरुण मेरे कूल्हों पे थप्पड़ मार मार कर अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। उसका लण्ड मोटा और लम्बा था और मेरी चूत काफी टाइट थी तो मुझे दर्द भी हो रहा था और मुझे बहुत मजा भी आ रहा था। मैं भी उसके हर धक्के के साथ गांड को पीछे की तरफ धकेलने लगी। मैं भी पीछे से धक्के दे रही थी.
फिर उसने दोनों हाथों से मेरी चूचियों को पकड़ लिया और मुझे चोदने लगा। मैं बहुत ही कामुक हो गई थी। मेरे मुँह से सिर्फ आह निकल रही थी। उसका लण्ड इतना लम्बा था कि वो मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था।
मैं तो पहले बहुत बार चुद चुकी थी इसलिए ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। जब भी तरुण का लण्ड अंदर जाता और बच्चेदानी से टकराता तो मैं सिहर उठती; अंदर अजीब सी गुदगुदी होती।
मैं 20 मिनट में 3 बार झड़ चुकी थी।
10 मिनट और चुदाई चली और उसने मेरी चूत में ही अपना सारा वीर्य डाल दिया। गर्म गर्म वीर्य को मैं अपने अंदर महसूस कर रही थी।
मैं थक गयी थी। तरुण भी मेरे ऊपर निढाल हो गया। तरुण मेरे ऊपर से हट गया और दीवार के साथ कमर लगा कर बैठ गया। मैं भी अपनी टांगें चौड़ी करके तरुण की गोद में तरुण की छाती से अपनी चूचियों को दबा के बैठ गयी और तरुण के गले लग गयी; उसको किस करने लगी।
10 मिनट बाद नीचे से लण्ड ने मेरी चूत के दरवाजे पर दस्तखत दे दी। तरुण का लण्ड फिर से खड़ा हो गया था। मैंने थोड़ा हिल कर लण्ड को चूतड़ों की दरार में सेट कर लिया। लेकिन मेरी हिम्मत नहीं थी और हल्की हल्की ठण्ड भी हो गयी थी.
मुझे प्यास लगी थी तो मैं पानी पीने के लिए नीचे आने लगी। मैंने अपने कपड़े उठाये तो तरुण ने मना कर दिया और बोला- आप चलो, मैं ले आऊंगा.
मैंने कहा- तरुण बस … अब और नहीं करना!
तो तरुण दोबारा से मुझे चोदने की जिद करने लगा।
मैं मान गयी और बिना कपड़े पहने ही रूम में आ गयी।
बाथरूम में जाकर तरुण और मैं नहाये। मैंने तरुण के लण्ड पर साबुन लगाया और तरुण ने मेरी चूत पर। मैं लड़कों की तरह छोटे बाल रखती हूँ तो मुझे लड़कियों की तरह बाल नहीं सुखाने पड़ते। लेकिन चूत पर बाल नहीं रखती।
मेरे पापा और दीदी दिल्ली रहते हैं भाई पंजाब में। घर पर मैं और मम्मी रहते हैं इसलिए मुझे कोई दिक्कत भी नहीं होती बाल साफ करने में।
मैं पहले ममा से डरती थी लेकिन पिछले 1 साल से मैं लगभग खुल चुकी हूँ ममा से; अब उनके सामने नंगी भी हो जाती हूँ।
ममा के साथ गन्दी हरकत जैसे उनकी चूची दबा देती हूँ। कभी चूतड़ों में उंगली घुसा देती हूँ, ममा के साथ नहा लेती हूँ। नंगी होकर भी घूम सकती हूँ जब मैं और ममा अकेली हो घर में तब!
खुद ममा ने ही ब्रा ना पहन कर सोने के लिए बोला था और पीरियड्स में ममा मेरी हेल्प भी कर देती है।
मेरी ममा का फिगर बहुत अच्छा है। उनका इंट्रेस्ट जवान लड़कों में रहता है। अब तो ममा भी अपने बॉयफ्रेंड से मेरे सामने फ़ोन पर बात कर लेती हैं। मेरी ममा मेरे साथ अपनी सेक्स लाइफ जो पापा के साथ और अपने बॉयफ्रेंड के साथ हैं सब शेयर कर लेती हैं।
मैंने कभी मेरी चुदाई के बारे में नहीं बताया है ममा को।
ममा के बारे में अगली कहानी में और ज्यादा बताऊँगी।
मैं खुद को आईने में देखा तो मेरे कूल्हे बिल्कुल लाल कर दिए थे तरुण ने।
नहा कर मैं तरुण के लिए पानी ले कर बैडरूम में आ गयी।
अभी रात के 10 बज चुके थे, मैंने तरुण से कहा- अब सो जायें!
तरुण ने मना कर दिया।
मैं खुद को आईने में देख रही थी, तभी तरुण ने आकर मेरे कूल्हों को पकड़ लिया और दोनों को अलग अलग कर के मेरी गांड के छेद को चाट लिया।
मुझे अच्छा लगा; मैंने गांड को जोर से हिला दिया।
तरुण का लण्ड खड़ा था। वो बेड पर लेट गया। मैंने उनकी तरफ देखा और मुस्कुरा कर आँख मार दी। उसने अपने लण्ड को मसल दिया।
मुझे पता था कि बिना मुझे चोदे जायेगा नहीं वो!
और मेरा भी मन हो गया था अब तो।
मैंने टीवी चालू कर दिया और पंजाबी गाने लगा दिए मीठी मीठी आवाज में।
मैं तरुण की तरफ अपनी गांड करके गांड को हिलाने लगी. कभी कूल्हों पर हाथ फिराती कभी हल्का सा थप्पड़ लगा देती। कभी सामने झुक कर पीछे से चूत दिखा देती।
तरुण बहुत हॉर्नी हो गया था। मैंने दराज से तेल लेकर बेड पर जाकर उसके लण्ड पर तेल लगा दिया और हिलाने लगी और मैं तरुण की तरफ पीठ करके लण्ड पर बैठ गयी।
आपको तो पता ही है ये मेरी सबसे पसंददीदा पोज है।
मैं लण्ड अंदर डाल कर ऊपर नीचे होने लगी। बीच बीच में चूतड़ों को गोल गोल घुमा देती जिससे तरुण की आह निकल जाती।
20 मिनट तक मैं खुद धक्के लगाती रही; फिर तरुण को ऊपर आने के लिए बोल दिया।
तभी तरुण ने गांड मारने के लिए कहा तो मैंने मना कर दिया. उसने जिद नहीं की और मेरी टाँगें मोड़ कर मेरी चूचियों से चिपका दी जिससे मेरी चूत उभर कर सामने आ गयी।
और लण्ड एक ही धक्के में मेरी चूत में डाल दिया उसने।
तरुण 20 मिनट तक मुझे चोदता रहा. इस दौरान मैं 1 बार झड़ गयी थी। उनका स्टैमिना ज्यादा था तो मैं उनके लण्ड को बीच बीच में चूत में दबा देती थी।
उसका वीर्य जल्दी निकलने वाला नहीं था। मैंने लण्ड बहार निकलवाया क्योंकि मेरी चूत में दर्द होने लगा था। मैंने तेल लिया और उनके लण्ड पर लगा दिया और लण्ड को हिलाया।
तब तक मेरी चूत को आराम मिल गया और फिर मैं घोड़ी बन गयी।
तरुण ने पीछे से मेरी चूत में लण्ड डाल दिया और मैंने अपने ऊपर लेटा लिया उसको और चूचियाँ दबाने के लिए बोला।
मैं एक बार फिर से गर्म हो गयी थी और चुदाई का पूरा मजा लेने लगी थी।
करीब 10 या 12 मिनट तक चुदाई के बाद तरुण और मैं एक साथ झड़ गए।
रात का एक बज चुका था। हमें भूख भी बहुत जोर की लगी थी। मैंने दूध गर्म किया और दोनों के लिए ले आई। हमने दूध पिया और तरुण चला गया।
सुबह मैं 10 बजे उठी तो मेरा पूरा शरीर दर्द हो रहा था।
अगली कहानी किसके बारे में लिखूँ, यह मुझे [email protected] पर मेल कर के बताओ.
मैं अगली सेक्स कहानी मेरी मम्मी की लिखूँ या मेरी खुद की?