मेरा नाम ललित है. मेरी उम्र अभी फिलहाल 23 वर्ष है.
लॉकडाउन में कहानियां पढ़ते पढ़ते लंड बार बार खड़ा हो जा रहा था.
कोई काम था ही नहीं.
एकदम खाली बैठा था तो सोचा कि क्यों न अपनी भी छोटी सी मगर अच्छी, असली सेक्स कहानी लिखी जाए.
शायद आपको मेरी देसी गर्लफ्रेंड Xxx चुदाई कहानी में सेक्स कम लगे, पर इस सच्ची कहानी को अंत तक ज़रूर पढ़िएगा.
ये सेक्स कहानी तब की है, जब मैं 20 साल का था.
इस कहानी की नायिका रुचिता (बदला नाम) नामक लड़की है, जो कि मेरी ही कॉलोनी में रहती थी. वह 19 वर्ष की उम्र के आस पास थी.
पहले मुझे वो बहुत सीधी सादी लगती थी पर बाद में मैंने पाया कि नहीं, मैं गलत हूँ. वो भी एक नम्बर की लंड की प्यासी माल निकली.
मेरे पिताजी शासकीय सेवक थे और उनका ट्रांसफर होने वाला था, तो मैंने वहां से जाने से पहले रुचिता पर एक चांस मारना बेहतर समझा.
मैंने रुचिता को पटाने का जतन करना शुरू कर दिया.
सबसे पहले मैंने उसे देखना शुरू किया कि वो किस समय घर से निकलती है और किधर जाती है.
वो सुबह कॉलेज जाती थी और दोपहर में दो बजे अपने घर लौटती थी.
उस समय मेरा भी कॉलेज का टाइम रहता था.
पहले मैंने यही समय सही समझा और उसके पीछे जाकर देखने लगा कि रास्ते में कौन सी जगह ऐसी है, जिधर रुचिता से बात की जा सकती है.
दस दिन बाद मैंने रास्ते में उससे हैलो रुचिता कहा.
वो मेरी तरफ पलट कर देखने लगी और उसने कुछ नहीं कहा.
मैंने सोचा कि शायद ये मुझे पहचान नहीं पा रही है.
मैंने फिर से कहा- रुचिता, क्या तुम मुझे पहचान नहीं पाई हो?
उसने कहा- नहीं, मैंने नहीं पहचाना.
मैंने उसे बताया कि मैं तुम्हारे मोहल्ले में ही रहता हूँ और मेरा नाम ललित है.
वो बोली- ओके.
मैंने फिर से कहा- मुझे लगा था कि शायद तुम मुझे जानती होगी.
वो कुछ नहीं बोली.
उस दिन इतनी ही बात हुई और वो अगले मोड़ पर उसकी एक सहेली के साथ आगे बढ़ गई.
मुझे समझ आ गया कि इससे बात करने के लिए कोई और जगह देखनी पड़ेगी.
फिर जानकारी की तो मालूम हुआ कि वो चार बजे किसी कोचिंग में जाती है.
मैंने उस कोचिंग का पता लगाया और उसमें अपना नाम भी लिखवा दिया.
पर साला समय का एडजस्टमेंट नहीं हो पा रहा था. वो कोचिंग वाले मुझे शाम सात बजे का समय दे रहे थे.
मैंने फिर भी रुचिता के समय ही जाना शुरू कर दिया.
मैं अन्दर नहीं जाता था, बस उसके साथ हाय हैलो करने लगा था.
एक दिन उसकी एक सहेली ने मुझे देखा और कहा कि क्या तुम रुचिता को पसंद करते हो?
मैं पहले तो सकपका गया.
मगर जब वो मुस्कुराई तो मैंने सर हिला कर हामी भर दी.
वो बोली- ओके मैं उससे बात करूंगी. क्या तुम उससे कुछ कहना चाहते हो?
मैंने कहा- एक मिनट रुको.
मैंने झट से एक कागज़ पर रुचिता को आई लव यू लिखा और अपना फोन नम्बर लिख दिया.
वो कागज मैंने रुचिता की सहेली को पकड़ा दिया.
मुझे देख कर वो मुस्कुराती हुई चली गई.
मैं खुश था मगर अभी रुचिता का जवाब आना बाकी था.
उस रात मेरे फोन पर रुचिता के नम्बर से एक कॉल आया.
मगर फोन की एक ही घंटी आई और बंद हो गई.
ये नम्बर मेरे लिए अंजान नम्बर था.
मैंने वापस कॉल लगाया- हैलो.
उधर से ‘हैलो …’ की आवाज आई.
ये लड़की की आवाज थी तो मैंने पूछा- रुचिता?
वो- हां मैं रुचिता.
मैंने कहा- मैंने तुम्हें आई लव यू लिख कर भेजा था.
वो बोली- हां पढ़ा था.
मैंने कहा- फिर तुम क्या कहती हो?
वो बोली- मैं अभी कुछ नहीं कह सकती हूँ.
मैंने कहा- चलो कोई बात नहीं … पहले तुम मुझे समझना चाहती हो तो क्या मुझसे मिलना पसंद करोगी?
वो बोली- नहीं पहले हम दोनों सिर्फ फोन पर ही बात करेंगे.
मैंने ओके कह दिया.
अब हम दोनों फोन पर बात करने लगे.
कुछ दिन तक रोज रात में मैं ही रुचिता को फोन लगाता और वो मुझसे साधारण बातचीत करती.
चार दिन हो गए थे मगर कुछ बात नहीं बन रही थी.
पांचवें दिन मैंने फोन नहीं लगाया तो उसका फोन भी नहीं आया.
अगले दिन भी मैंने उसे फोन नहीं किया.
तो रात को दस बजे उसका फोन आया.
मैंने फोन नहीं उठाया; फोन बंद हो गया.
फिर एक घंटे बाद उसका फिर से फ़ोन आया अब मैं समझ गया था कि आग उधर भी लगी है.
मैंने फोन उठाया और हैलो कहा.
वो बोली- फोन क्यों नहीं उठा रहे थे?
मैंने कहा- मैं तुमसे तुम्हारा जवाब जानना चाहता हूँ.
वो बोली- क्या तुम मेरे फोन आने का कुछ भी मतलब नहीं समझते हो?
मैं खुश हो गया और मैंने उसी समय उससे कहा- रुचिता आई लव यू … और तुमसे भी यही सुनना चाहता हूँ.
वो धीरे से बोली- आई लव यू टू ललित.
मेरा दिल धाड़ धाड़ करने लगा.
कुछ देर हमारी बात हुई और मैंने उससे कहा कि कल मैं तुम्हारा इन्तजार करूंगा.
वो बोली- मैं नहीं मिल सकती हूँ.
मैंने पूछा- क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती हो?
वो कुछ नहीं बोली.
मैंने कहा- मैं कल कोचिंग के पहले वाले मोड़ पर तुम्हारा इन्तजार करूंगा.
ये कह कर मैंने फोन काट दिया.
दूसरे दिन मैं कोचिंग के पहले एक मोड़ पर उसका इन्तजार करने लगा.
कुछ देर बाद रुचिता अपनी उसी सहेली के साथ आती नजर आई.
मैंने हाथ हिला कर उन दोनों को विश किया.
उसकी सहेली ने रुचिता को हाथ से मेरी तरफ जाने का इशारा किया और वो खुद मुस्कुराती हुई आगे बढ़ गई.
मैंने बाइक स्टार्ट की और रुचिता के करीब आने का इंतजार करने लगा.
रुचिता मेरे करीब आई और बिना कुछ बोले मेरी बाइक पर गांड उचका कर बैठ गई.
मैंने बिना कुछ कहे बाइक आगे बढ़ा दी.
मैं उसे एक कैफे में ले गया और एक केबिन में आ गया.
रुचिता मेरे सामने बैठी थी.
हम दोनों मौन थे.
फिर मैंने रुचिता का हाथ अपने हाथ में लिया और उसे चूमते हुए कहा- आई लव यू रुचिता.
वो मुस्कुरा दी और उसने भी आई लव यू टू कहा.
हम दोनों बातें करने लगे.
कुछ देर इधर उधर की बातें करने के बाद हम दोनों कैफे से निकल आए और उस रात हम दोनों ने खुल कर बात की.
उस दिन से हम दोनों की प्रेम कहानी पटरी पर दौड़ चली थी.
अब मोबाइल फोन पर हमारी बातें होना भी शुरू हो गईं और सुबह सुबह जॉगिंग के बहाने मिलना भी शुरू हो गया.
जब सुबह हम दोनों मिलते तो वहीं पर किसी शांत जगह को देख कर बातें करना और चुम्बन अर्थात चुम्मा-चाटी भी कर लिया करते थे.
रुचिता इससे आगे बढ़ना तो चाहती थी पर वो डरती थी.
वो कहते हैं न कि खड़ा लंड कुछ भी करवा सकता है इसलिए मैंने उसे भावनाओं में बहा कर उसे अपने नीचे लाने का प्रयास किया.
उन्हीं रसीली बातों के कुछ अंश पेश कर रहा हूँ.
मैं- मैं तुमसे किसी कमरे में मिलने चाहता हूं.
रुचिता- नहीं यार, मैं नहीं आ सकती, मेरी कोचिंग रहती है. घर पर क्या जवाब दूंगी.
मैं- क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती?
रुचिता- करती हूँ, पर समझा करो न यार!
मैं- पर क्या? अगर तुम मुझसे प्यार करती हो तो मना क्यों कर रही हो?
वो कब तक मना करती, उसके मन में भी तो चुदने की ललक थी ही, आखिरकार थोड़ा बहुत नाटक करके वह मेरे दोस्त के कमरे पर आने को राजी हो ही गयी.
उस कमरे में मेरा दोस्त अकेला रहता था.
मैंने अपने दोस्त से कहकर पहले ही बता दिया था.
वो दिन आ ही गया, जब मैं और वह पहली चुदाई करने वाले थे.
मैं अपने एक दोस्त के साथ उस दोस्त के कमरे पर पहुंचा और रुचिता के आने का इंतज़ार करने लगा.
जैसे ही उसके आने का मैसेज मुझे अपने फ़ोन पर मिला, मैंने दोस्तों को बाहर रखवाली के लिए भेज दिया ताकि कुछ परेशानी न हो.
कोचिंग की छुट्टी मारकर वह आ गयी.
समय कम था तो कुछ बातों के बाद चुम्मा चाटी और कपड़े निकालना भी शुरू हो ही गया.
वो मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मजा लेने लगी थी.
मैं उसके मम्मे दबाने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी.
मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा तो उसने हटा लिया.
फिर से उसका हाथ पकड़ कर मैंने लंड पर रख दिया.
इस बार उसने हाथ नहीं हटाया और लंड सहलाने लगी.
मैंने पूछा- कैसा है?
वो हंस दी और बोली- बड़ा है.
मैंने कहा- कितना बड़ा है?
वो बोली- अन्दर जाएगा तब मालूम पड़ेगा.
मैंने कहा- अन्दर लेने के लिए छेद खोलो.
वो बोली- हां आ जाओ.
इस तरह की रसीली बातों के कुछ देर बाद कपड़े निकालने की पोजीशन बन गई.
मैंने उसके कपड़े हटा दिए.
कुछ हिचकिचाहट के बाद हम दोनों नंगे हो गए.
वो मेरी बांहों में मचलने लगी.
हम दोनों चुदाई के आसन के लिए एक दूसरे का मुँह ताकने लगे.
हम ठहरे तो नौसिखिए ही, पहली चुदाई में कौन सा आसन सही होता है, ये हम दोनों में से किसी को पता नहीं था.
पर फिर भी जैसे तैसे करके मैंने उसे नीचे लेटा कर एक आसन बनाया.
फिर सबसे पहले तो मैंने उसके मुँह को अपने हाथों से बंद किया और लौड़े को चूत के छेद पर रखकर घिसना शुरू कर दिया.
वो लंड चुत में लेने किए लिए सिसकारने लगी.
मैंने उसकी चाहत देख कर अपने लंड को पहला धक्का दे दिया.
पहला धक्का मारते ही मुझे अपने लौड़े पर जलन सी महसूस हुई और थोड़ा गर्म भी लगा जो कि उसकी सील टूटने से निकले कुछ खून को महसूस कर रहा था.
जलन के कारण और उसके निकलते आंसुओं के कारण में थोड़ी देर रुक गया.
वो दर्द से कराह रही थी मगर बाहर निकालने के लिए नहीं कह रही थी.
शायद वो अपनी सहेली से इस बारे में बात करके आई थी.
जब उसके आंसू बन्द हुए तो मुझ जैसे नौसिखिए ने धीरे धीरे धक्कों के बाद जल्द ही तेज़ तेज़ धक्के लगाना शुरू कर दिए.
पर दर्द तो दर्द ही होता है. मुश्किल से मैंने 5 मिनट धक्के लगाए होंगे कि वो रहम की भीख मांगने लगी.
रुचिता कहने लगी- ललित प्लीज़ छोड़ दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
मैं- थोड़ी देर ओर करने दो बस फिर मज़ा भी आने लगेगा.
वो कहने लगी- हां, मुझे भी मेरी सहेली ने यही बताया था … पर मेरा दर्द कम नहीं हो रहा है.
मैंने पूछा- तुम्हारी सहेली ले चुकी है क्या?
इस पर वो दर्द मिश्रित हंसी से बोली- तुम उसकी बात मत करो.
मैंने कहा- अरे यार पूछ रहा था कि उसने तुम्हें बताया नहीं कि किस तरह से लेना चाहिए ताकि दर्द कम हो.
वो बोली- ये तो तुम्हें खुद मालूम होना चाहिए.
मैंने उसे चूमते हुए कहा- रुचिता, मैं भी पहली बार कर रहा हूँ.
ये सुनकर रुचिता खुश हो गई और मुझसे चिपक गई.
जब लड़की को ये पता चलता है उसका ब्वॉयफ्रेंड भी कुंवारा है तो उसकी ख़ुशी लाजिमी होती है.
इधर मुझे अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़कर जैसा सोचा था, वैसा ही लग रहा था कि अभी दर्द खत्म हो जाएगा.
तो मैं अपनी पूरी रफ्तार से रुचिता की चुदाई में लग गया और वो दर्द और मजे के मिश्रण के साथ आवाज निकालने लगी.
पर मेरे नौसिखियेपन के कारण उसे ज्यादा दर्द ज्यादा होने लग गया और कोचिंग के निकलते समय के कारण मुझे यह चुदाई वहीं रोकनी पड़ी.
न मैं झड़ा और न वो शांत हो पाई.
फिर भी रुचिता की चुत की सील टूट गई थी.
तब जल्दी से मैंने उसे कपड़े पहना दिए और उसे रवाना करना पड़ा.
दोस्तो, चुदाई करते हुए समय का पता नहीं पड़ता, पर पहली चुदाई (अधूरी ही सही) के बाद आगे की होने वाली चुदाइयों का रास्ता साफ हो चुका था.
सात दिन बाद हम दोनों फिर से मिले. इस बार देसी गर्लफ्रेंड Xxx चुदाई का पूरा मजा मिला.
उसके बाद मैंने कई जगहों पर ले जाकर उसकी जमकर चुदाई की. रुचिता के बाद मैंने अपनी भाभी को भी चोदा, उस सेक्स कहानी को मैं फिर कभी विस्तार से सुनाऊंगा.