मेरा नाम अनिल है.. मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. मेरी लंबाई 5’8″ है.. मैं दिखने में स्मार्ट नहीं हूँ.. पर एक कसरती बदन का मालिक हूँ. बात चार-पाँच साल पुरानी है, तब मैं 12 वीं में पढ़ता था. गांव की ही एक लड़की थी.. जिसका नाम सुषमा (बदला हुआ नाम) था.
क़सम से क्या लड़की थी.. वो सांवली रंग की.. पर चेहरे की बनावट.. हाय.. क्या बनाया था ऊपर वाले ने.. एकदम झक्कास पीस था.
उसका घर मेरे घर से कुछ आगे के रास्ते में पड़ता था.. जो कि गाँव के चौराहे की तरफ़ जाता था. मेरा जब भी घर से चौराहे या चौराहे से घर आना-जाना होता था. तो कभी-कभी उसकी झलक देखने को मिल जाती थी.. पर डर के मारे कुछ कह नहीं पाता था, बस उसको चोर नज़रों से देख कर ‘आह..’ भर लेता था.
जब भी मैं उसको देखता.. तो उसको चोदने का मन करता.. पर मौक़ा कब मिलेगा.. ये नहीं पता था.
ऐसे ही धीरे-धीरे कई महीने बीत गए.. पर कोई बात नहीं बनी. मुझे तब पता नहीं था कि वो भी मुझे उतना ही चाहती है.. जितना कि मैं उसे.
एक दिन की बात है, मेरे घरवालों और उसके घरवालों से ज़मीन को लेकर झगड़ा हो रहा था. मैं उसी वक़्त कहीं बाहर से आ गया.. देखा कि झगड़ा हो रहा है.
वैसे तो मैं किसी से भिड़ता नहीं पर उस दिन मैं भी झगड़े में शामिल हो गया.. और इसी झगड़े में वो भी कुछ न कुछ बोल रही थी और मैं भी.. वो कभी-कभी मुस्कुरा देती थी.. तो मैं भी मुस्कुराये बिना नहीं रह पाता था.
ऐसे ही कुछ दिन मुस्कराहट में बीत गए, मैं समझ नहीं पा रहा था.. कि वो मुझे लाइन दे रही थी.
एक दिन शाम को चौराहे पर से घर आते टाइम.. वो मुझे गली में मिली. मैंने उसको देखा तो वो अकेली थी, मैंने आस-पास देखा तो कोई नहीं दिखा.. बस मैंने मौका अच्छा समझा और उसके पास चिपक कर उसके मम्मों को दबा दिया. वो चिल्ला कर मुझसे दूर छिटक गई.. और उसने मुझे घूर कर देखा.
मैं तो डर गया.. पर मैंने सोचा कि ये तो किसी को बोलेगी नहीं तो बिंदास हो गया.
कुछ दिनों बाद वो मुझसे कुछ बात करने लगी.
धीरे-धीरे मैंने उसको अपने कटघरे में उतार लिया.. अब मुझे उसकी चूत मारनी थी. बस मैं उस मौके की तलाश में था.
एक दिन वो भी आया.
मैं शाम को चौराहे पर खड़ा था.. 11:00 बजे मैं वापस घर आ रहा था. जैसा कि मैं बता चुका हूँ कि उसका घर रास्ते में पड़ता है. गर्मियों के दिन थे.. वो बाहर ही लेटी थी.. मतलब जाग रही थी.
मैं जैसे ही उसके घर के पास से गुजरा. मुझे उसकी खांसी की आवाज़ सुनाई दी. मैं समझ गया कि आज तो चिक्का पार है बेटा.. मैं वहीं रुक गया. थोड़ी देर ठहरने के बाद.. मैंने महसूस किया कि वो मेरे पास आ रही है. वो मेरे पास आई.. और मुझसे लिपट गई.
यह सब इतनी जल्दी हुआ कि मैं सकते में आ गया.
मैं कुछ समझता कि इतने में वो मुझे घर के अन्दर खींच ले गई.
थोड़ी ही देर में हम दोनों उसी बिस्तर पर थे.. जिस बिस्तर पर वो लेटी थी, दोनों चिपक कर एक-दूसरे की बाँहों में थे.
वो मुझे देखने की कोशिश कर रही थी.. पर अँधेरा होने के कारण उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. खेल अभी शुरू नहीं हुआ था.. पर हम दोनों की गर्म साँसें दोनों के बदन को तपा रही थीं.
मैंने अपना हाथ कपड़े के ऊपर से.. उसके एक मम्मे पर रख दिया.. और सहलाने लगा. उसकी साँसें और गर्म होने लगीं.. और वो अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर चूसने लगी.
क्या नरम गुलाबी होंठ थे उसके.. मैं बता नहीं सकता..
मैं उसके चूचों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा.. वो गरम हो गई थी.
इधर मेरे लंड में भी हरकत शुरू हो गई थी. मैं नहीं जानता दोस्तो कि उसका यह पहली बार था या दूसरी बार.. पर उसको देख कर
सब भूल जाने का मन करता था. उस पल तो एक ही ख्याल आता था.. कि उसकी बाँहों में पड़ा रहूँ.
मैं अपने हाथों से उसके दूध मसल रहा था.. और होंठों से होंठ.. मतलब फेस टू फेस काम चल रहा था. मैं धीरे-धीरे अपना हाथ उसके छाती से लेकर उसके पेट पर सहलाने लगा. मेरा लौड़ा एकदम कड़क हो चुका था और चोंच मारने को बेताब हुए जा रहा था. उसको भी बहुत मज़ा आ रहा था.
धीरे-धीरे मैंने अपना हाथ उसके सलवार के नाड़े पर पहुँचा दिया. पर उसने मेरा हाथ नाड़े से हटा दिया. मेरे लौड़े और उसके बुर के बीच में सलवार रूपी जो दीवार थी.. उसको तोड़ डालने के लिए मेरा लौड़ा उसकी सलवार के ऊपर से उसके बुर के बार्डर पर फायरिंग करने को तैयार था, उसकी चूत से लगातार टकरा रहा था.
मुझे महसूस हुआ कि वो एकदम गर्म हो गई है.
अब फिर से मेरे हाथ ने हरकत शुरू कर दी और उसके नाड़े की तरफ बढ़ने लगा. इस बार उसने मेरा हाथ नहीं हटाया. मैंने एक झटके में उसके सलवार के नाड़े को खोल दिया और उसके सलवार को थोड़ा सा नीचे खींच दिया.
अब मैं अपने हाथ से उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा. उसे मज़ा आ रहा था. उसकी चड्डी पर कुछ गीला-गीला सा था. मुझे पता चल गया.. वो एकदम से गर्म हो गई है.
मैं उसकी चूत को उसकी चड्डी के ऊपर से ही रगड़ रहा था. उसकी चूत और पानी छोड़ रही थी.. मेरा हाथ गीला हो चुका था. वो जोर-जोर से सांस ले रही थी. वो इतनी गर्म हो गई थी.. कि उसका पूरा बदन ऊपर-नीचे हो रहा था.
वो इतनी उत्तेजित हो गई थी.. इतनी कि अपनी चूतड़ों को ऊपर-नीचे कर रही थी. वो मेरा पैंट खोलने लगी और मेरे लौड़े को पकड़ कर मसलने लगी.
मैं तो जैसे ज़न्नत की सैर कर रहा था. मेरा लंड लोहे की रॉड की तरह कड़क था. वो मेरे लौड़े को मसले जा रही थी और मैं उसकी फ़ुद्दी को.. हम दोनों इतने गर्म हो गए थे कि अब सब्र करना भारी पड़ रहा था.
उसने चड्डी नीचे सरका दी.. और मेरे लौड़े का टोपा अपनी चूत पर सैट कर दिया.
अब वो बोली- अब पेल दे.. बर्दाश्त नहीं हो रहा जानेम!
अब मैं भी तैयार था चोंच मारने को.. सो लेटे-लेटे ही मैंने अपने लंड को उसकी गुलाबी चूत में ठोकने को तैयार कर लिया था.
उसकी चूत की गर्मी मुझे पाग़ल बना रही थी. मैंने देर ने करते हुए एक धक्का मारा.
उसकी चीख़ निकल गई होती.. अगर मेरे होंठों ने उसके होंठ सिले न होते.
मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में घुस चुका था.
वो छटपटाने लगी और कुछ कह रही थी.. पर मेरे होंठ से उसके होंठ सिले थे.
तो उसके मुँह से सिर्फ ‘गूं गूं’ की आवाज़ निकल रही थी.
मैंने एक और झटका मारा और मेरा लंड उसकी चूत में थोड़ा और अन्दर घुस गया. उसकी चूत इतनी तंग थी कि मेरा लण्ड आसानी से नहीं घुस पा रहा था. एक और धक्के में मेरा लण्ड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर दाखिल हो गया.
मेरे लण्ड पर मैंने महसूस किया कि उसकी चूत से खून निकल रहा है.
मैंने सोचा इसकी तो फट गई.. पर थोड़ी देर बाद वो अपनी कमर को उचकाने लगी.. और मेरे लण्ड को अन्दर लेने लगी.
मैं भी उसको चोदने लगा, मैं भी अपने लण्ड को उसकी चूत में आगे-पीछे करने लगा.
उसको मज़ा आने लगा, मैं ऊपर से चोंच मार रहा था.
कुछ ही देर में वो अकड़ने लगी.. और उसने मेरी कमर को इतनी जोर से पकड़ रखा था.. लग रहा था कि मेरी तो जैसे जान निकल जाएगी.
वो मेरी कमर पकड़ कर जोर से अपने ऊपर दबाने लगी.. और इसी चूत चुदाई में वो झड़ गई. मैंने भी 5-7 धक्कों के बाद अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया.
हम दोनों थक चुके थे.
मैं थोड़ी देर उसके ऊपर ही पड़ा रहा.. और वो दर्द के मारे कराह रही थी, उसकी मुनिया से खून बह रहा था.
कुछ देर बाद में उठा और अपने कपड़े पहने.. उसको चुम्मी की और उसके बाद मैं घर चला आया.