मॉम-डैड की चुदाई देख बहनचोद बना-1

माँ डैड चुदाई की यह कहानी मेरे परिवार की है. मैं अपनी संगति के कारण सेक्स के बारे में सब कुछ जान गया था लेकिन मेरी बहन को सेक्स का कुछ पता नहीं था.

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम तो कुछ और है लेकिन आप मुझे सोनी बुला सकते हो, ये मेरा असली नाम तो नहीं, निक नेम कह सकते हो. मैं 27 साल का हूँ और सेंट्रल दिल्ली से हूँ, अन्तर्वासना की कहानियां मैं कई सालों से पढ़ता आ रहा हूँ. आप कह सकते हैं कि सेक्स लाइफ के बारे में सबसे ज्यादा मैंने यहीं से सीखा है. मैं काफी समय से सोच रहा था कि अपनी कहानी अन्तर्वासना के माध्यम से लिख कर आप सभी से साझा करूँ, लेकिन नहीं लिख पाया. आज हिम्मत करके आप सबके सामने अपनी कहानी लाया हूँ. आशा करता हूँ आप लोगों को कहानी पसंद आएगी, थोड़ी लम्बी है क्योंकि जैसा जैसा मेरी ज़िन्दगी में हुआ वैसा वैसा ही मैं लिख रहा हूँ.

यह बात तब की है जब मैं स्कूल में पढ़ता था. इससे पहले में एक काफी अच्छे स्कूल में पढ़ता था, जहां किसी को गलत बोलने पर टीचर बहुत मारते थे और पढ़ाई इतनी ज्यादा होती थी कि किसी और चीज़ के लिए वक़्त ही नहीं मिलता था. जब मैं छोटी कक्षा में था, तो मेरे दादी की मृत्यु हो गयी और हमें अपना घर बदलना पड़ा, जिससे मेरा स्कूल भी बदल गया. स्कूल बदलने से मेरा माहौल भी बदल गया.

इधर का माहौल कुछ ऐसा था कि केवल एक साल में ही में लंड, चूत, चोदना, हाथ से हिलाना … इस सबके बारे में काफी कुछ सीख गया.
अब आप सभी को तो पता ही है कि एक बार इन सबके बारे में पता लग जाए, फिर तो बस दिमाग में एक ही बात चलती है कि एक बार कोई चोदने को मिल जाए बस.

मैं आपको अपने घरवालों के बारे में बता दूँ. मेरे पिता नौकरी करते हैं और उनकी रात की शिफ्ट होती है. मेरी मॉम एक गृहिणी हैं और मेरी एक बहन है, जो मुझसे दो साल छोटी है.
नए घर में कमरों के दरवाजे नहीं थे, बस परदे थे. तो कोई भी कभी भी किसी भी कमरे में आ जा सकता था. पहले जब हमको कुछ नहीं पता था, तो उस वक्त हमारा उनके कमरे में यूं ही घुस जाना साधारण सी बात था. यदि उस वक्त डैड मॉम के साथ सेक्स करते थे, तो वे कोई भी बहाना बना देते और हम भाई बहन मान लेते थे. लेकिन जब सब कुछ जान लिया तो समझ आने लगा था कि वो दरअसल क्या करते थे.

उन दिनों मेरा दिन का स्कूल होता था तो मैं दोपहर में स्कूल में होता था. डैड सुबह काम से आते और मॉम से साथ सेक्स करते थे. मैं थोड़ा देर से उठता था, जिससे उन्हें चुदाई करने का आराम से समय मिल जाता था. लेकिन जब एक बार मैंने उन्हें ये सब करते देखा, तो मेरी जिज्ञासा बढ़ गई. अब मैं उन्हें देखने का मौका देखता रहता था. मुझे मौका मिल भी जाता भी था और उन्हें सेक्स करता देख, मैं भी अपना सामान अपने हाथों से हिला लेता था. उस समय इसे सामान कहना ही ठीक था, लंड कहना ठीक नहीं है.

एक दो साल तो ऐसे ही निकल गए, फिर एक दिन स्कूल में मेरा दोस्त एक किताब लाया, जिसमें सेक्स स्टोरी थी. उसने ये कहते हुए मुझे किताब दे दी कि आज तू रख ले, मैं तुझसे कल ले लूँगा. मैं आज इसे अपने साथ नहीं रख सकता.

मैंने भी किताब ले ली, अब ऐसा मौका कोई थोड़ी ही छोड़ देता है. मैं एक दिन में पूरी तो नहीं पढ़ पाया, पर जितनी भी पढ़ सका, मुझे बहुत बढ़िया लगी थी.
अब तो मुझे भी सेक्स स्टोरी पढ़ने का शौक लग गया था और हाथ से हिलाने का … पर उन दिनों ऐसी किताब जल्दी नहीं मिलती थी और खरीदने की हिम्मत नहीं होती थी. जब भी कोई दोस्त दे देता था, तो पढ़ लेता था.

फिर बाद में कई दोस्तों ने मोबाइल ले लिए, जिसमें वीडियो क्लिप चलते थे. इसी के माध्यम से मैंने ब्लू फिल्म देखना शुरू किया. फिर तो कई बार तो सीडी तक मिलने लगी. बस यहीं से शुरू हुई मेरी सेक्स कहानी.

अब मैं बी.कॉम फाइनल इयर में आ गया था. एक दिन जब डैड काम पर गए हुए थे, मॉम बाज़ार गई थीं और बहन टयूशन क्लास में गई थी. तो मैं हमेशा की तरह ब्लू फिल्म की सीडी लगा कर हाथ से अपना लंड हिला रहा था. उधर बहन की क्लास जल्दी ख़त्म हो गई. जब भी कोई घर से बाहर जाता है और किसी और को बाहर नहीं जाना होता तो वो बाहर से लॉक कर जाता है. ऐसा ही मेरी मॉम ने किया था और घर की चाबी पड़ोसी को दे गई थीं. बहन ने चाबी ली, गेट खोला और अन्दर आ गई.

इधर मैं तो हमेशा की तरह हाथ से लंड हिलाने में खोया हुआ था, मुझे पता ही नहीं चला कि कब वो अन्दर आ गई.
उसने मुझे हिलाते हुए देखा तो वो कहने लगी- भाई क्या कर रहे हो?
उसकी आवाज सुनकर मैं एकदम से घबरा गया और मैंने अपना लंड अपनी पैन्ट में डाल लिया. मैं उससे बहाना करते हुए बोला- मुझे यहां खुजली हो रही थी, खुजा रहा था.

इस वक्त मेरी जान निकली हुई थी कि उसने मुझे कहीं मुठ मारते देख तो नहीं लिया, अगर देख लिया तो मॉम और डैड को बता देगी और फिर मेरा क्या हाल होगा.
कमरे में जहां से घुसते हैं, वहीं टीवी रखा था, तो उसने ब्लू फिल्म तो नहीं देखी होगी लेकिन और कुछ देखा या नहीं, यह नहीं पता था.

मॉम कुछ देर बाद घर आईं, तो बहन से पूछा- जल्दी क्यों आ गई?
तो उसने बता दिया.
उन्होंने फिर पूछा कि तेरा भाई क्या कर रहा था.. कहीं पढ़ने की जगह टीवी तो नहीं देख रहा था.
उस टाइम उसने बोल दिया- जब मैं आई तो वो टीवी देखते हुए अपने पेशाब करने की जगह को उछाल रहा था और मैंने पूछा तो उसने मुझसे कहा कि मुझे खुजली हो रही है.

उसने ऐसा कहा तो मेरी फट के हाथ में आ गई. मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा. मुझे ऐसा लगा कि काटो तो खून नहीं.
मॉम मुझसे पूछने लगीं- ये क्या बोल रही है?
अब मैं क्या कहता कि ब्लू फिल्म देखते हुए मुठ मार रहा था, तो मैंने झूठ बोला कि बहन झूठ बोल रही है.
लेकिन बहन कह रही थी कि मैं झूठ बोल रहा हूँ.
फिर मॉम ने बहन से कहा कि चल तू जा यहां से.
बहन चली गई.

फिर मॉम ने जोर डालते हुए मुझसे पूछा- सच बोल … क्या कर रहा था तू? वरना तेरे डैड से कह दूंगी.
अब मरता क्या ना करता मैं सच बताने को हुआ ही था कि तभी दिमाग में आया क्यों न अपने झूठ पर अड़ा रहूँ. मैंने यही किया और मॉम से बोल दिया कि मॉम सच में मुझे खुजली हो रही थी, घर पर कोई नहीं था तो पैन्ट खोल कर खुजा रहा था.

मॉम मुझसे कुछ और देर तक पूछती रहीं और जब मैंने जवाब नहीं बदला तो वे मान गईं और कहने लगीं कि तुझे पता ही है कि कमरों के दरवाजे नहीं हैं. अगर इतनी खुजली हो रही थी, तो तू बाथरूम में जाकर ही खुजा लेता.
अब मैं मन ही मन बोल रहा था कि बस जल्दी से मॉम के लेक्चर खत्म हो जाएं और मैं बहन को खरी खोटी सुनाऊं.

लेकिन मैं उसमें भी फेल हो गया. जब मैंने बहन को कहा कि तूने मॉम को क्यों बताया?
तो उसने ये बात भी मॉम को बोल दी और फिर से मेरी क्लास लगवा दी.
जैसे तैसे बात आई गई हो गई.

कुछ दिन बात एक रिश्तेदार के बेटा और बहू हमारे घर रहने आए. मैं उन्हें भईया और भाभी कहता था. भाभी उस समय प्रेग्नेंट थीं और उनका आखिरी महीना चल रहा था. भाई को काम से टूर पर जाना था और वे भाभी को अकेला नहीं छोड़ सकते थे. भाभी सफ़र भी नहीं कर सकती थीं इसलिए वो अपने पीहर भी नहीं जा सकीं. इसलिए भाभी कुछ दिन हमारे घर रहने को आ गईं.

अब तक बहन और मेरे बीच सब कुछ ठीक हो गया था, मतलब अब मैं उससे गुस्सा नहीं था. मैंने मान लिया था कि गलती मेरी ही थी.

बहन ने मॉम से पूछा- भाभी इतनी मोटी कैसे हो गई हैं?
उसकी मासूमियत पर मॉम ने उसे टाल दिया. लेकिन उसने भाभी से मजाक में बोल दिया कि भाभी इतना क्यों खा लिया कि आप इतनी मोटी हो गई हो?
भाभी इसका दूसरा मतलब निकाल बैठीं. वे समझ रही थीं कि ये भैया के लंड के बारे में ताना मार रही है कि ऐसा क्या खा लिया.
इसीलिए उन्होंने मॉम से बोला- लड़की बहुत तेज़ हो गई है.

मॉम ने बहन की डांट लगाई और बोली- तुझे पहले भी बोला था कि ये तेरे जानने की चीज़ नहीं है, तू फिर भी नहीं मानती, तुझे क्या पता है.
बहन बेचारी उस समय कुछ नहीं जानती थी तो वो बोली- जरूरत से ज्यादा खाना खाकर ही कोई भी मोटा हो जाता है. अगर मैंने भाभी से ये पूछ लिया कि वो क्या खाती है, तो क्या बुरा किया जो इतना डांट रही हो मुझे?
मॉम और भाभी शांत रह गईं, उन्होंने समझ लिया था कि मेरी बहन अभी कुछ नहीं जानती है.

जब मैं घर आया तो बहन ने सब बताया कि कहां से बात शुरू हुई और कहां खत्म हुई.
उसने मुझसे पूछा- भाई बताओ … मेरी गलती कहां थी, मैंने तो खाने के बारे में पूछा था.
मैंने कहा- अभी तू नादाँ है और ये सब तेरे जानने की चीज़ नहीं है, जब तू बड़ी हो जाएगी, तब पता चल जाएगा.

इस पर बहन ने पूछा- क्या आपको पता है कि भाभी इतनी मोटी कैसे हो गईं?
मैंने कहा- हां, मुझे पता है.
वो कहने लगी- मुझे भी बताओ.
अब मैं उसे कैसे बताता. मैंने टालने की कोशिश की, लेकिन वो बहुत जिद्दी है, नहीं मानी.
मैंने ये बोल कर टाल दिया कि तू इन सब बातों को जानने के लिए अभी छोटी है.

वो तपाक से बोल पड़ी- जब काम करवाना होता है, तब मैं छोटी नहीं होती, अब सबको छोटी लग रही हूँ.
वो नाराज़ हो कर बैठ गई और उसने बात करना भी छोड़ दिया.

कुछ दिन बाद मैं भी परेशान हो गया कि इसकी जिद तो लम्बी होती जा रही है.
मैंने अकेले में पूछा- अब बात कब तक नहीं करनी है?
उसने कहा- जब तक आप नहीं बताते तब तक!
मैंने बोला कि मैं तेरा भाई हूँ, मैं तुझे ये बातें नहीं बता सकता.
उसने कहा- फिर बहाना!
मैंने कहा कि ये बातें शादीशुदा लोगों की होती हैं.

उसने कहा कि क्या आपकी शादी हो गई है, जो मुझसे ये कह रहे हो? जब आप बिना शादी के सब जान सकते हो तो मैं भी जान सकती हूँ. अगर बताना है तो बताओ वरना बात भी मत करो.
अब मैं सोच में पड़ गया कि क्या करूँ, इसे बताऊं कि नहीं बताऊं. फिर दिमाग में आया कि इसको बताया और कहीं पहले की तरह इसने मॉम को बोल दिया तो उस समय तो बच गया था, अब की बारी नहीं बच पाऊंगा.

उससे बोल चाल बंद होने का नतीजा कुछ इस तरह से सामने आया कि पूरे घर में इसका असर दिखने लगा.
एक दो दिन ऐसे ही निकल गए लेकिन भाभी को शक होने लगा कि घर में कुछ गड़बड़ है. उन्होंने भाई को फ़ोन पर बताया और भाई ने डैड को कह दिया. अब डैड ने घर पर सब की क्लास लगा दी और कह दिया कि अपने अपने मन मुटाव अपने तक रखो, तुम्हारी भाभी तक घर की कोई भी टेंशन नहीं पहुंचनी चाहिए.

अब क्या था, इधर बहन तैयार नहीं थी, कशमकश बढ़ गई थी. मैं बहन से अकेले में मिला तो उसे बोला कि अगर तुम नहीं बताओगे तो मैं तुमसे बात नहीं करूँगी.
मैं डैड की बात भी नहीं टाल सकता था क्योंकि भाभी इस हालत में नहीं थीं और अगर वे जाने की बात करतीं, तो डैड को अच्छा नहीं लगता.
मैंने बहन से कहा- मुझे सोचने के लिए टाइम चाहिए.
मैं इसी टेंशन में था कि इसे बताऊं या न बताऊं … अगर बताऊं तो कैसे कहूँ. और नहीं बताया तो इस मुसीबत से कैसे बाहर निकलूँ. मुझे केवल एक ही डर था कि कहीं बहन मॉम या डैड से कुछ न बोल दे.

इतने में बहन ने पूछ लिया- बताना भी है या सिर्फ टाइम वेस्ट कर रहे हो?
मैंने कहा- मेरी एक शर्त है.
उसने बोला- क्या?
मैंने कहा- जो भी मैं तुम्हें बताऊंगा, वो तू सिर्फ अपने तक ही रखेगी.
उसने तपाक से बोल दिया- ठीक है.

लेकिन मुझे पता नहीं क्यों विश्वास नहीं हो रहा था. मैंने टालने के लिए बोल दिया कि जब शादी होती है और जब पति पत्नी आपस में प्यार होता है तो पत्नी पेट से यानि प्रेग्नेंट हो जाती, इसीलिए पत्नी मोटी हो जाती है.
उस वक्त तो बात आई गई हो गई, लेकिन मुसीबत जल्दी छोड़ कर नहीं जाती. उसे कहीं से पता चल गया था यानि अपनी फ्रेंड्स से मालूम हो गया कि शादी के बाद सेक्स होता है, तभी लड़की प्रेग्नेंट होती है.

अब बहन ने कंफ़र्म करने के लिए मॉम से पूछ लिया और जो मैंने बताया वो भी बता दिया. अब मेरी क्लास डैड ने ले ली- तूने ये सब क्यों बताया?
मैं क्या बोलता, फिर भी जितना मैंने बोला था, मैंने बता दिया और कहा कि ये नहीं बोलता तो क्या बोलता.
तो उन्होंने कहा- ये बात हमें भी तो बता सकता था.
फ़ालतू की बातें गहरी होती जा रही थीं लेकिन इसके बिना मेरी कहानी को लिखा ही बेकार है.

अब मेरे घर में पारा चढ़ने की बारी मेरी थी. मैंने अपनी बहन को खूब सुनाया और बोला- अगर मेरी बातों में कोई भी कनफ्यूजन था, तो मुझसे बात करती ना, मॉम से क्यों कहा. ये वो बातें होती हैं जो सिर्फ पति पत्नी या दोस्त आपस में करते हैं और तूने मॉम से ये बातें कह दीं. इसी मारे मैंने तुझे सारी बातें नहीं बताई थीं, अगर बता देता तो आज पता नहीं क्या होता.
वो मुझसे माफ़ी मांगने लगी.

मुझे गुस्सा तो बहुत था, लेकिन भाभी के सामने जाहिर नहीं होने दिया. परन्तु जब एक घर में रह रहे हों, तो पता चल ही जाता है.
भाभी इन बातों को लेकर मुझे कुरेदने लगीं- क्या हुआ है, मुझसे ठीक से बातें क्यों नहीं कर रहे हो.. क्या चल रहा है तेरी लाइफ में?
इसी तरह की बातों में भाबी के एक सवाल ने मुझे हिला दिया. जब उन्होंने पूछा कि तेरी लाइफ में कोई है क्या?
तो मैंने कह दिया- कोई नहीं है.
तो फिर उन्होंने कहा- तो तुम ऐसा बर्ताव क्यों कर रहा हो?

मैंने कहा कि बहन को कुछ बताया था और बोला कि घर पर पता नहीं चलना चाहिए, लेकिन उसके पेट में बात नहीं पची और उसने बता दिया.
फिर उन्होंने उसी बात पर जोर दिया कि गर्लफ्रेंड के बारे में बताओ न … क्या उसने इस तरह की कोई बात मॉम को बता दी है?
मैंने कहा- कहा तो भाभी, कोई नहीं है.

उन्होंने मुझे मेरी गन्दी आदतों के बारे में पूछा, तो मैं भौंचक्का होकर उनकी तरफ देखने लगा.
उन्होंने बोला कि बुरी आदतें मतलब सिगरेट पीना या ड्रिंक करना पूछा है.. क्या तेरी बहन तेरी इन बातों के बारे में जानती है?
मैंने हंसते हुए बोला- भाभी ऐसी कोई बात नहीं है.
अब भाभी ने सीधे सीधे पूछा- फिर बात क्या है?
मैंने बोला- ऐसी कोई बात नहीं है, जो उसे पता नहीं होनी चाहिए. मैंने उस पर भरोसा करके उसे आपके प्रेग्नेंट होने की पूरी बात न बताते हुए, एक इशारे में समझाई, लेकिन उसने वो बात मॉम को बता दी.

भाभी समझदार थीं, पर वो भी बात नहीं समझ पाईं. लेकिन उनके जवाब ने मेरा नजरिया बदल दिया.
उन्होंने बोला- अगर किसी को पूरी बात में से कुछ हिस्सा बताया जाए, तो आप पर विश्वास कर सच तो मान लेता है. लेकिन अगर उसे आगे की बात किसी और से पता चलती है तो वो सही जानने के लिए किसी तीसरे से पूछता है, वही तुम्हारे साथ हुआ है. अब या तो तुम ही उसे पूरी बात बता दो या बात खत्म कर दो.
मैंने भी सोचा कि गलती तो मेरे ही हुई है. इसलिए मैं ही इसे ठीक करने की कोशिश करता हूँ.
मेरी बहन इस वक्त मुझसे बहुत ज्यादा गुस्सा थी. वो मुझसे बात भी नहीं कर रही थी.

मैं छुट्टी के टाइम पर बहन के स्कूल उसे लेने गया, लेकिन वो सबके सामने ही शुरू हो गई- क्यों लेने आए मुझे … तुमने तो कहा था कि बात भी मत करियो. अब क्यों आए हो?
तब उसकी सहेली ने बोला- भाई से ऐसे बात मत कर … क्या पता क्या बात है.. क्यों लेने आया है तुझे?
तब जाकर वो मेरे साथ आई.

फिर उसके स्कूल और घर के बीच में रास्ते में बीच में एक जगह है, वहां रुक कर मैंने उससे बात करना ठीक समझा. क्योंकि वहां कम लोग आते जाते थे और अगर कोई आता भी तो ठीक से सुन नहीं पाता.
तब मैंने बहन से पहले गुस्सा करने की माफ़ी मांगी, फिर पूरी बात न बताने की माफ़ी मांगी. अब उसके मन में लालच आ गया कि अब मैं उसे पूरी बात बता सकता हूँ.
तो उसने बोल दिया कि मैं तभी माफ़ करूँगी, जब तुम मुझे पूरी बात बताओगे.
मैंने बोला कि अगर मैंने बताया तो हमारा ये भाई बहन का रिलेशन खत्म हो जाएगा.
वो बोली- फ्रेंड की तरह बता दो. एक फ्रेंड से बड़ा रिलेशन कौन सा होता है.

अब मैं क्या करता मेरे पास जवाब ही नहीं था, तो मैं उसे चुपचाप घर ले आया.
मैं सोच में पड़ गया, कभी भाभी को कोसता कि क्यों इधर रहने आ गईं, कभी बहन के दिमाग को कोसता कि अजीब पगली है, कभी डैड को कोसने लगता कि उन्होंने क्यों कहा कि अपने झगड़े अपने तक रखो. अजीब घनचक्कर बन गया था.

इसी सब की वजह से सामने मेरे एग्जाम आने वाले थे और पढ़ाई भी नहीं कर पा रहा था. मैंने दिमाग झटकाया और सोचा बता देता हूँ, ज्यादा से ज्यादा क्या होगा कुछ दिन आपस में बात नहीं होगी. लेकिन दिमाग तो कम से कम शांत हो जाएगा.. रोज की टोक टाकी तो खत्म हो जाएगी.
मैंने बहन से बोल दिया कि ठीक है सब बताऊंगा.. लेकिन एक शर्त है, पहले की तरह कोई भी बात कभी भी किसी को भी, चाहे जो घर पर हो.. या दोस्त हो.. कभी भी पता नहीं चलना चाहिये, क्योंकि अब की बार किसी को बोला तो मैं तो बोल दूंगा कि मैंने नहीं बताया.
इस पर बहन ने कहा- ठीक है.
बस यही वो मोड़ था, जहां से हमारा रिलेशन बदल गया.

अगले दिन मॉम और डैड को बुआ के घर जाना था. मैंने कहा कि कल बता दूंगा.
मैं सारी रात सोचता रहा कि कैसे बताऊंगा, शुरू कहां से करूँगा, कैसे करूँगा.
फिर मैंने सर झटकाया और सोचा जो भी होगा देखा जाएगा.

जब मैं सुबह उठा तो भाभी ने बताया कि मॉम और डैड जा चुके हैं.
उन्होंने मुझे नाश्ता करवाया. मेरी आदत है कि ठण्ड हो या गर्मी, कोई भी घर पर आया हो … मैं रात में केवल कच्छा और बनियान में सोता हूँ. जब तक कि घर से बाहर न जाना हो, मैं पूरे कपड़े नहीं पहनता हूँ.

उन दिनों ठण्ड के दिन थे, तो बस रजाई में बैठा था कि आ गई मुसीबत. बस ये अच्छा था कि भाभी बाहर धूप में बैठी थीं.

बहन ने आते ही कहा- बताओ अब.
मैंने टालने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. फिर क्या … शुरू हुई बात.
मैंने कहा- क्या जानना है?
तो बोली- पहले ये बताओ पहली बार में झूठ क्यों बोला था?
मैंने कहा- मैंने झूठ नहीं कहा था, लेकिन पूरा सच भी नहीं बताया था.
तो वो बोली- सेक्स क्या होता है?
इस सवाल पे मेरी बोलती बंद हो गई. काफी देर सोचने के बाद मैंने कहा- सच में तू इसके बारे में किसी को नहीं बताएगी?

इतने में भाभी कुछ काम से अन्दर आ गईं. वे पूछ रही थीं- क्या बात हो रही है?
तो उसी ने बोला- पढ़ाई से रिलेटिड बात चल रही है.
भाभी बोलीं- किताबें तो हैं ही नहीं.
मैं चुप रहा.

वो हम दोनों को अनदेखा कर चली गईं. मुझे थोड़ा यकीन होने लगा, तो मैंने सोचा कहीं और से इसे पता चला तो शायद ज्यादा जानने के चक्कर में कुछ गलत न कर ले.
मैंने उसे सेक्स के बारे में बताना सही समझा.
भाभी के जाने के बाद वो बोली- अगर बताना ही नहीं है तो छोड़ो.
उसने फिर से मुँह बना लिया.

मैंने कहा- सुन बता रहा हूँ, अब भाभी के सामने तो नहीं बता सकता था न … तू एक काम कर, कोई एक बुक ले आ, फिर बताता हूँ.
वो एक किताब ले आई. उसके बाद मैंने उसे बताना शुरू किया.

मैंने कहा- जब शादी हो जाती है तो पति और पत्नी आपस में प्यार करते हैं, तो उसे ही सेक्स कहते हैं.
इस पर वो बोली कि कई लोग तो खुल्लम खुल्ला अपने पार्टनर को किस करके सेक्स करते हैं?
अब मैंने सोचा बेटा पूरा बात बता दे.
मैंने आगे कहा कि पति अपने मूतने की जगह को अपनी पत्नी के मूतने की जगह में डालता है, उसे सेक्स कहते हैं.

वो बोली- ऐसा कैसे हो सकता है? मैं नहीं मानती.. आप गलत बोल रहे हो.

अब मुझे गुस्सा आया, मैंने एक तो उसे सब कुछ बताया, ऊपर से मुझे गलत बता रही थी.
इत्तेफाक से घर में एक भी ब्लूफिल्म की सीडी नहीं थी. मैंने उससे कहा- कुछ दिन रुक जा, मैं सच में दिखा दूँगा.
लेकिन वो बोली- अभी दिखाओ.
मैंने कहा- मेरी कौन सी पत्नी है जो करके दिखाऊंगा.. बस बोला है कि तुझे दिखा दूंगा.
वो बोली- ठीक है.

इसके बाद वो रोज़ मुझसे पूछने लगी- कब दिखाओगे.
मेरा दोस्त के पास जाना भी नहीं हो पा रहा था. एक दिन मौका आया कि भाभी अपने फ्रेंड के घर जो हमारे घर से 2 से 3 किलोमीटर दूर रहती हैं, वहां गई थीं. इस मौके पर मुझे याद आया कि डैड सुबह सुबह कैसे चोदते हैं. बस मैंने बहन को बोला- चल आज दिखाता हूँ कि सेक्स कैसे करते हैं.

वो दिन छुट्टी का था, मॉम ने आकर कहा कि तेरे डैड और मैं जरूरी बात कर रहे हैं, दूसरे कमरे में हैं. तुम लोग वहां मत आना … और न ही लड़ना. बस दोनों अपना काम कर लो पढ़ने का.
बस क्या था मैं समझ गया.
मैं बहन को खिड़की तक ले गया, पहले मैंने अन्दर का नजारा देखा और बहन को बोल दिया- कुछ भी पूछना हो तो याद रख लेना और बाद में पूछियो.
उसने कहा- ठीक है.

फिर मैंने उसे दिखाया. मॉम कपड़े उतार चुकी थीं और डैड बेड पर लेटे थे.
मॉम उनके पास गईं और उनका लंड चूसने लगीं. डैड मॉम की चूचियों को दबा रहे थे. मैं सब यूं देख रहा था कि बाद में जब ये पूछेगी कि ये क्या कर रहे थे.. तो मैं इसे कैसे बताऊंगा.
अन्दर डैड का खड़ा हुआ लंड हिनहिनाने लगा तो उन्होंने मॉम से कहा- आजा ऊपर.
मॉम खड़ी हुईं और डैड के लंड के ऊपर बैठ गईं. चुदाई आरम्भ हो गई.

यह देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं बहन के पीछे ही खड़ा था. मेरा खड़ा लंड उसकी गांड में स्पर्श हो रहा था. एक बारी मैंने सोचा कि ये गलत है, फिर पता नहीं क्या हुआ, मैं उसके और नजदीक खड़ा हो गया. वो मॉम डैड की चुदाई देखने में मस्त थी. अन्दर मॉम डैड के लंड पर उचक उचक कर अपनी चूत में अन्दर तक ले रही थीं. एक बारी तो ऐसा आया कि बहन ने पीछे मुड़ कर देखा और वो कुछ बोलने ही वाली थी तो मैंने मुँह पर हाथ रख कर चुप कराया और वहां से कमरे में ले गया, जहां हम पहले बैठे थे.

इस मासूम सी सेक्स कहानी में आगे जब आपको मजा आएगा जब आप मेरी बहन की चुदाई को मेरे लंड से होते पढ़ लोगे. मुझे मालूम है कि आप यही जानना चाहते हो कि मेरी बहन मुझसे चुदी या नहीं. तो इसका खुलासा मैं आपको अगले भाग में कर दूंगा. तब तक आप मेरी इस हिंदी सेक्स कहानी पर अपने ईमेल कीजिएगा.
धन्यवाद.
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कहानी का अगला भाग: मॉम-डैड की चुदाई देख बहनचोद बना-2