नमस्ते दोस्तों। मैं नॉएडा यूपी से हूँ. अभी मैं २२ साल का हूँ और बी. टेक. की पढाई कर रहा हूँ. यह तब की बात है जब मैं तीसरे साल में था.
उस साल हमारे कुछ जूनियर आये थे उनमें से एक लड़की बहुत ही प्यारी सी थी. उसका नाम प्रिया था. आते ही मेरे दोस्त ने उसको पटा लिया. फिर मेरे दोस्त ने उसकी बात मुझसे भी करवा दी.
लेकिन वो मेरी दोस्त नहीं बनी और मुझे भैया कह कर बुलाती थी. मैं बहुत ही शर्मीला किस्म का लड़का था इसलिए अगर वो मुझे भाई कहती थी तो मैं भी उसको बहन ही कहने लगा.
धीरे-धीरे हम लोग बहुत मस्ती करने लगे. हम सब लोगों के साथ में वो प्यारी सी लड़की जल्दी ही घुल-मिल गई थी. हम अक्सर साथ में होते थे तो मस्ती करते थे. हम कभी दिल्ली घूमने के लिए चले जाया करते थे तो कभी नोएडा में घूमने के लिए निकल जाया करते थे. इस तरह से टाइम का पता ही नहीं चल रहा था. हुक्का पीना तो रोज का ही काम था.
फिर धीरे-धीरे वो हमारे साथ रूम पर भी रुकने लगी थी. वो कई बार रात में हमारे साथ रूम पर रुक जाती थी. हमें भी उससे कोई प्रॉब्लम नहीं होती थी. सब बहुत मजे से चल रहा था.
वो हमारे साथ खूब मस्ती किया करती थी. रूम पर जब रुकती थी तो वो बिल्कुल भी नहीं शरमाती थी. हुक्का भी पी लेती थी. रात को जब रुकती थी तो हम साथ में ही ताश वगैरह खेलते थे. खूब खाना-पीना होता था और अंताक्षरी वैगरह खेलते रहते थे देर रात तक। वो हमारे साथ में ही सो भी जाती थी.
एक दिन क्या हुआ कि मेरा दोस्त अपने घर चला गया. मैं अपने रूम पर अकेले बोर हो रहा था. मैंने प्रिया को फोन किया और उससे कहा कि मैं यहां पर बोर हो रहा हूँ. मैंने उससे कहा कि मेरा हुक्का पीने का मन कर रहा है लेकिन मैं यहां पर अकेला हूँ तो यहां किसके साथ पिऊंगा, कुछ मजा नहीं आयेगा ऐसे अकेले में ही हुक्का पीने में.
वो कहने लगी- कोई बात नहीं तुम मेरे रूम पर आ जाओ, हम दोनों साथ में यहां पर हुक्का पी लेंगे.
मैं उसके पास चला गया. हम दोस्तों में एक आदत थी कि हम हुक्का पीने के बाद एक-दो घंटे के लिए सो जाते थे. उस दिन भी ऐसा ही हुआ. हुक्का पीने के बाद प्रिया को नींद आने लगी तो मैंने कहा कि ठीक है मैं अपने रूम पर चला जाता हूं. मैं वहां पर सो जाऊंगा और तुम यहां अपने रूम पर सो जाओ.
वो बोली- नहीं, मैं भी तुम्हारे साथ वहीं पर चल पड़ती हूं. मैं भी यहां अकेले बोर हो जाऊंगी.
इसलिए वो मेरे साथ ही आ गयी. वो मेरी बहन थी तो इस बात में कोई दिक्कत वाली बात भी नहीं थी.
रूम पर आकर वो कहने लगी- मेरा सिर तो अभी भी घूम रहा है, मैं सो रही हूं.
मैंने कहा- ठीक है, तुम आराम से सो जाओ.
वो मेरे रूम पर ही लेट गई.
फिर मेरा मन भी किया कि मैं भी थोड़ी देर सो कर आराम कर लेता हूँ. जब ये उठेगी तो मैं इसको इसके रूम पर छोड़ कर आ जाऊंगा. यह सोच कर मैं भी प्रिया के साथ ही अपने रूम पर लेट गया.
कुछ देर के बाद वो उठी. अभी मुझे लेटे हुए आधा घंटा ही हुआ था तो वो उठ कर बाथरूम में चली गई. फिर वो वापस आकर बैठ गई. उसने मुझे भी उठा दिया. मैं भी उठ कर बैठ गया.
अचानक से उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी गोद में रख लिया और बोली- भैया तुम बहुत अच्छे हो. तुम मुझे बहुत प्यार करते हो.
मुझे उसकी ये हरकत थोड़ी अजीब तो लगी लेकिन फिर सोचा कि शायद अभी इसको हुक्के का सुरूर है इसलिए वो ऐसी बात कर रही है.
उसने मेरे पास आते हुए मेरे सिर को पकड़ लिया और अपनी तरफ करते हुए मेरे माथे को चूम लिया. मैंने भी प्रिया को अपनी बांहों में भर लिया.
फिर पता नहीं उसको क्या हुआ कि उसने दोनों टांगें मेरे दोनों तरफ कर लीं और मेरी गोद में आकर बैठ गई. मैंने लोअर पहनी हुई थी और उसकी गांड ठीक मेरे लंड वाले हिस्से के ऊपर आकर टिक गई.
प्रिया ने मुझे बांहों में भर लिया और मैंने उसे. उसकी गांड के टच होने के कारण मेरे लंड में तनाव सा आना शुरू हो गया था लेकिन मैंने सोचा कि मैं इसके बारे में ये सब नहीं सोच सकता.
ये तो मुझे भाई बुलाती है.
मैंने उसको छोटी बहन की तरह अपनी बांहों में रखा. वो मेरे गले से लिपटी रही. कुछ देर तक हम ऐसे ही बैठे रहे. सिर तो मेरा भी घूम रहा था लेकिन मैं कुछ नहीं कर रहा था. इतना होश तो मुझे भी था. मगर मेरे लंड में हलचल सी होने लगी थी. उसकी गांड ठीक मेरे लंड के ऊपर ही रखी हुई थी.
फिर वो अचानक से मेरे से अलग हो गई. जब वो उठने लगी तो मेरी नजर उसकी जीन्स पर गई. वहां पर गीला सा हो गया था. मैंने सोचा कि लड़कियों के साथ ये गीलेपन की दिक्कत तो होती ही है. मगर मेरे लंड में भी कुछ चिपचिपा सा गीलापन निकल आया था.
फिर मैंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. मैं प्रिया को उसके रूम पर छोड़ कर आ गया.
उसके बाद लगभग एक महीने के बाद मेरा जन्मदिन था तो हम लोगों ने मेरे जन्म दिन की पार्टी रखने का प्लान किया.
मेरे बर्थडे वाले दिन हम लोग पार्टी कर रहे थे तो मेरे दोस्त बीयर ले आये थे. प्रिया भी हमारे साथ ही थी. उस दिन वो मेरे ही रूम पर रुकी हुई थी. केक काटने के बाद हमने खाना खाया और फिर बीयर पार्टी शुरू हो गई. लेकिन मैं प्रिया को पीने के लिए मना करने लगा.
मगर प्रिया ने मेरी बात नहीं सुनी और वो भी पीने की जिद करने लगी. उसके जिद करने का कारण फिर मैंने भी उसको बीयर पीने के लिए दे दी. मैं बहन के सामने बीयर नहीं पीना चाहता था और न ही उसको पीने देना चाहता था लेकिन वो नहीं मानी.
फिर जब बहुत रात हो गई तो हम लोग उसको उसके रूम पर भी नहीं छोड़ सके. वो रात को मेरे ही रूम पर रुक गई.
उस रात उसका प्रेमी भी मेरे ही रूम पर था. रात में जब हम लोग नीचे जमीन पर बिछे गद्दे पर सो रहे थे तो मैं भी उनके साथ ही लेटा हुआ था. प्रिया की लेफ्ट साइड में उसका ब्वॉयफ्रेंड लेटा हुआ था और राइट साइड में मैं लेटा हुआ था. आधी रात के बाद मुझे पेशाब का प्रेशर महसूस हुआ तो मैं टॉयलेट में जाने के लिए उठ गया. जब मैं वापस आया तो प्रिया मेरे सामने ही लेटी हुई थी. उसका कम्बल उतर गया था और उसकी स्कर्ट उठी हुई थी.
उसकी स्कर्ट उठने के कारण उसकी जांघों के ऊपर तक पहुंच गई थी और सामने से देखने पर उसकी स्कर्ट के नीचे पहनी हुई पैंटी भी दिखाई दे रही थी. उसने सफेद रंग की पैंटी पहनी हुई थी.
एक बार तो मेरा मन उसको ध्यान से देखने को किया लेकिन फिर मैंने सोचा कि ये मुझे भाई कहती है. मुझे प्रिया के बारे में अपने मन के अंदर इस तरह के ख्याल नहीं लेकर आने चाहिएं. इसलिए मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से अपना ध्यान हटा लिया और मैं चुपचाप आकर लेट गया. मैंने उसकी जांघों को कम्बल से ढक दिया.
फिर कुछ देर के बाद प्रिया सरक कर मेरे पास आ गयी. उसका हाथ एकदम से मेरे पेट पर आ गया. मेरी आंख खुल गई. मैंने सोचा कि शायद नींद में ही प्रिया ने अपना हाथ मेरे पेट पर रख दिया है इसलिए मैं चुपचाप लेटा रहा.
कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद वो मेरे और पास आ गई. फिर एकदम से उसने मेरे पजामे के अंदर हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया. मैं सकपका गया कि ये क्या कर रही है. लेकिन मैं कुछ नहीं बोला.
उसने मेरे लंड को पकड़ लिया तो मेरा लंड खड़ा हो गया. दोस्तो इसमें मेरी क्या गलती थी. जब कोई लड़की खुद ही लंड पकड़ने लगे तो लंड को तो खड़ा होना ही था. मेरा लंड पूरा तन कर उसके हाथ में आ गया था. वो काफी देर तक मेरे लंड को पकड़ कर ऐसे ही लेटी रही. फिर पता नहीं उसको क्या हुआ कि उसने मेरा लंड छोड़ दिया और अपना हाथ बाहर निकाल लिया.
वो फिर चुपचाप एक तरफ होकर सो गई. मेरा लंड अभी भी तना हुआ था लेकिन मैंने भी करवट बदल ली और दूसरी तरफ घूम गया. फिर काफी देर तक तो मुझे इस घटना के बारे में सोचते हुए नींद नहीं आई लेकिन फिर मैं भी सो गया.
उस वक्त मुझे लग रहा था कि प्रिया ने शायद अपना प्रेमी जान कर नींद में ही मेरा लंड पकड़ लिया होगा और जब उसकी आंख खुली होगी तो उसने अपना हाथ वापस बाहर निकाल लिया होगा.
अगले दिन सुबह हुई तो मैंने सोचा कि वो कुछ रिएक्शन देगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. मैंने सोचा कि शायद उससे गलती से ही रात में वो सब हो गया होगा. फिर उस दिन हम दिल्ली में कनॉट प्लेस घूमने के लिए चले गये. शाम को वापस आते समय काफी जाम हो गया था तो हमें रात के 11 वहीं पर बज गये थे. उस रात को भी प्रिया और उसका प्रेमी मेरे ही कमरे पर सो गये.
रात को 2 बजे के करीब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि मेरा हाथ प्रिया की जांघों को बीच में दबा हुआ है. मेरा हाथ उसकी पैंटी पर टच हो रहा था.
मैं हड़बड़ा गया लेकिन खुद को संभालते हुए मैंने हाथ को बाहर खींचने की कोशिश की मगर प्रिया ने फिर मेरी तरफ ही करवट ले ली. मेरा हाथ उसकी पैंटी पर टच होकर पूरा उसकी चूत पर लग गया था. मैं ऐसे ही लेटा रहा.
अब मेरे अंदर भी वासना सी जगने लगी थी. उसकी चूत को छूकर मुझे अच्छा लग रहा था. इसलिए मैं आराम से उसकी चूत पर हाथ रख कर लेटा रहा.
कुछ देर के बाद प्रिया ने अपने होंठों को मेरे होंठों के करीब कर दिया. उसके सांसों की गर्मी मुझे अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी. फिर उसने अपने होंठ मेरे होंठ से सटा दिये. अब उसकी सांसें भी तेज होने लगी. उसने मुझे बांहों में भर लिया और फिर बदले में मैंने भी उसकी पीठ पर बांहें डाल दीं. मेरा हाथ उसकी पीठ को सहलाने लगा.
मेरे अंदर भी हवस सी भरने लगी थी. मेरा हाथ उसकी पीठ पर फिर रहा था. फिर कुछ देर तक उसकी पीठ को सहलाने के बाद मेरा हाथ उसकी ब्रा की पट्टी पर लगने लगा. मैंने धीरे से उसके टॉप के अंदर हाथ डाल दिया. मैं उसकी कमर पर हाथ फिराने लगा और मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था. मैं नीचे से अपने खड़े हुए लंड को उसकी जांघों से सटाने की कोशिश कर रहा था. मुझे बहुत मजा आने लगा था.
मैं खुद को रोक ही नहीं पा रहा था. मैंने फिर हम्मत करके उसकी ब्रा के अंदर हाथ डाल दिया और उसके नर्म-नर्म चूचों पर मेरा हाथ चला गया. आह्ह … मैंने पहली बार उसके चूचों को छुआ तो मुझे बहुत मजा आया. मैं धीरे उसके निप्पलों को रगड़ने लगा.
जब मैं उसके निप्पल रगड़ रहा था तो वो अपनी गांड को मटका रही थी. मैं समझ गया कि वो काफी गर्म हो चुकी है. मैं भी अपना खड़ा हुआ लंड उससे सटा रहा था. दोनों को ही मजा आने लगा.
हम दोनों अब एक-दूसरे के होंठों को चूमने लगे. मेरे अंदर सेक्स भरता ही जा रहा था. मैंने फिर उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया. उसकी पैंटी में हाथ डाला तो उसकी गीली चूत पर मेरा हाथ लगा. मैं उसकी गीली चूत को रगड़ने लगा और अपने हाथ से मसलने लगा.
मैं अपनी मुंह बोली बहन प्रिया की चूत को मसल रहा था. उसने मेरे लंड को पकड़ लिया था. वो मेरे लंड को पकड़ कर अपने हाथ से सहला रही थी.
मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी. उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी. मेरी उंगली प्रिया की चूत में थी और वो मेरे लंड को पकड़ कर अपने हाथ से मजा लेकर सहला रही थी. मेरा मन कर रहा था कि उसकी चूत में लंड को घुसा दूं लेकिन उसके प्रेमी के उठने का भी डर था इसलिए हम दोनों लेटे हुए मजे ले रहे थे.
काफी देर तक उसने मेरे लंड को सहला दिया तो मेरा माल निकलने को हो गया.
हम दोनों अब जोर से एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे. फिर मैंने उठ कर एक दम अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुंह पर लंड को रगड़ने लगा. उसने मेरे लंड को किस कर दिया तो एकदम से मेरा माल निकल गया और मैंने सारा माल उसके मुंह पर छोड़ दिया.
माल निकलने के बाद मुझे बड़ा अजीब सा लगा. मुझे शर्म सी आने लगी. मगर प्रिया कुछ नहीं बोली. मैं सोच रहा था कि ये सब क्या हो गया. मैंने उसको सॉरी कहा और वापस लेट गया. फिर वो बोली कि कोई बात ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. कई बार ऐसा हो जाता है.
अगली सुबह भी सब नॉर्मल ही था. इतना सब होने के बाद उसने मुझसे कुछ नहीं कहा लेकिन अब उसका बर्ताव थोड़ा बदल गया था. उसने मेरे अंदर के शैतान को जगा दिया था. मैं अब उसको सेक्स की नजर से ही देखने लगा था लेकिन वो उसके बाद कभी मेरे करीब नहीं आई. मैंने कई बार उसको गर्म करने की कोशिश की लेकिन उसने पहल नहीं की.
फिर कई बार रात को सोते समय मैंने उसकी गांड पर अपने लंड को टच करवाया लेकिन वो फिर भी कुछ नहीं बोलती थी. चुपचाप लेटी रहती थी. मैं रात में उसके चूचे भी छेड़ देता था फिर भी वो कुछ नहीं कहती थी.
एक दिन जब वो रात को मेरे साथ सो रही थी तो मैंने उसकी चूत देखने की सोची. मैंने उसकी स्कर्ट को उठा दिया और उसकी चूत पर टॉर्च की लाइट मार कर देखने लगा. उसकी चूत को देखने के बाद उस मेरा मन किया कि आज इसकी चूत को चाटने का स्वाद भी ले लेता हूँ. मैंने उसकी पैंटी को निकाल कर नीचे खींच दिया और अपनी मुंह उसकी चूत पर रख दिया.
उसने मेरे बालों को पकड़ लिया और मेरे मुंह को अपनी चूत से वापस हटा दिया. पता नहीं उसको क्या हो गया था लेकिन अब वो मुझे अपने इतने करीब नहीं जाने देना चाहती थी. मैंने कई बार कोशिश की उसको उकसाने की लेकिन उसने मुझे कुछ भी नहीं करने दिया.
जब वो नहाने के लिए जाती थी तो मैं उसकी पैंटी पर मुठ मार कर अपना माल गिरा देता था लेकिन वो सब कुछ देखने के बाद भी कुछ नहीं बोलती थी. बहुत दिनों तक ऐसा ही चलता रहा. मगर उसके बाद मैंने भी उसके गलत हरकतें करना छोड़ दिया. मुझे समझ नहीं आया कि जो शुरूआत उसने खुद की थी अब वो उसमें मेरा साथ नहीं दे रही थी. इसलिए मैंने भी उसके बाद उसके साथ ऐसा कुछ भी करने की कोशिश नहीं की. उसको शायद इतना ही मजा लेना था मेरे साथ.
तो दोस्तो, ये थी मेरी कहानी. वो किसी लड़की के साथ मेरा पहला अनुभव था. अनुभव भी ऐसा कि जिसके बारे में मैंने कभी सोचा नहीं था. कई बार ऐसा होता है कि हम जान नहीं पाते हैं कि लड़कियों के मन में क्या चल रहा होता है. प्रिया के साथ मैंने जो मजे लिये उसकी शुरूआत खुद उसने की थी लेकिन जब फिर मैंने आगे बढ़ने की कोशिश की तो वो खुद पीछे हट गयी.
इसलिए लड़कियों के मन को पढ़ना बहुत मुश्किल होता है. आज भी मैं उस बात को सोच कर हैरान हो जाता हूँ कि उस लड़की ने मेरे साथ वो सब कैसे किया.
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