मुझे रंडी बना दिया मेरे यार ने-4

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

मुझे रंडी बना दिया मेरे यार ने-3

मैंने अपना गिलास खत्म किया और कुछ देर सोचने के बाद आफताब से कहा- मुझे पता था कि तुम यही कहोगे, तुम्हारी घटिया सोच को मैं पहले ही भाँप चुकी थी। खैर अब जब मैं आई हूँ, तो अपना काम करके ही जाऊँगी। मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मैं आज की रात तुम्हारे बॉस के साथ बिताने के लिए तैयार हूँ।

आफताब ने मुझसे प्यार जताना चाहा मगर मैंने उसे रोक दिया. अब जब उसने मुझे किसी रंडी की तरह किसी और को बेच ही दिया, तो वो अब मेरा क्या लगता था।
मैंने आफताब को जाने को कह दिया।

उसके जाते ही उसका बॉस था या जो भी था, मुझसे बोला- तो अब जब सब बाती साफ हो ही गई है, तो आप इतनी दूर क्यों बैठीं हैं, यहाँ आइये मेरे पास बैठिये।
मैं उठ कर बिल्कुल उसकी बगल में उसके साथ सट कर बैठ गई।

मेरे बैठते ही उसने अपना गिलास नीचे रखा और मेरे दोनों मम्मे पकड़ लिए और मेरे चेहरे को, होंठों को चूमने चाटने लगा।

अब भला रंडी से कौन प्रेम प्यार जताता है।
एक बार तो मेरा मन भर आया कि यार जिस आदमी को मैं जानती नहीं, पहचानती नहीं, जिससे कोई लगाव कोई प्यार नहीं, उसे मैं अपना जिस्म सौंप दूँ। और जिस आदमी की मैं बीवी हूँ, जो मुझे इतना प्यार करता है, उसको धोका दूँ, सिर्फ अपने एक कमीने यार की खातिर। मगर अब तो वो आदमी मेरा ब्लाउज़ और ब्रा ऊपर उठा कर मेरे दोनों मम्मे बाहर निकाल कर चूसने लगा।
कितना घटिया सा आदमी था। काला रंग, सर से गंजा, बड़ा हुआ पेट, बड़े बड़े दाँत, न खाने पहनने का सलीका। न शक्ल अच्छी, न पेर्सनैलिटी। और वो मेरे जैसे एक हसीन औरत को
चोदने वाला था।

समझ में नहीं आ रहा था कि ये आदमी घटिया है, या मेरा चूतिया यार घटिया है, या फिर मैं ही साली घटिया हूँ। मगर इस सब के लिए अभी कोई वक्त नहीं बचा था।

उसने मुझे सोफ़े पर ही अधलेटा करके अपनी पैन्ट खोली और नंगा हो कर अपना ढीला सा लंड मेरे मुँह से लगा दिया। शायद उसने ठीक से धोया भी नहीं था, न ही शेव किया था। इतनी बड़ी बड़ी झांटें, और गंदा बदबूदार लंड, उसने दिया और मुझे चूसना पड़ा।
सच में बड़ी अलकत आई कि यार लोग अपने जिस्म की सफाई भी नहीं रख सकते क्या!

पर क्या करती … मैं उसका ढीला सा लंड अपने मुँह में लिया और चूसा, जब उसका लंड थोड़ा सा खड़ा हुआ तो वो मेरे मुँह को ही चूत समझ कर चोदने लगा।

अंदर बाहर, सारा पूरा लंड मुँह में घुसेड़ देता, कई बार मुझे उबकाई आई, साला गले में जा कर लगता था। जब उसके लंड ने पूरी अकड़ हासिल कर ली तो उसने मुझे उस पर कोंडोम चढ़ाने को कहा। उसने मुझे एक कंडोम पकड़ा दिया.

मैंने अपने हाथ से रैपर से कोंडोम निकाल कर उसके लंड पर चढ़ाया।
वो बोला- मुँह कोंडोम चढ़ाना नहीं आता क्या?
एक बार तो मन किया कि साले के कान पर एक रैपटा रसीद करूँ और फिर पूछूँ, हाँ अब बता कैसा लगा।
मगर नहीं … वो मेरा ग्राहक था।
मैंने भी किसी प्रोफेश्न्ल रंडी की तरह हल्की सी मुस्कान के साथ कहा- नहीं सर, अभी नई नई हूँ। अभी इतनी प्रेक्टिस नहीं है।

उसके लंड पर कोंडोम चढ़ते ही उसने मुझे खींच कर आगे को किया, मेरी साड़ी, पेटीकोट ऊपर उठा कर मेरी चड्डी उतारी और घुसेड़ दिया, अपना सड़ा हुआ काला कलूटा लंड मेरी गोरी गुलाबी चूत में … और लगा चोदने।
शायद कुछ खा पी कर आया था। करीब 10 मिनट उसने मुझे अच्छे से चोदा। अब चूत में लंड घिस रहा है, तो मुझे भी मज़ा आया, मैंने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला, कपड़े साफ करके मुझे घोड़ी बना कर फिर डाला और फिर चोदा। बेशक उसके चोदने में मुझे कोई प्यार या रहम नहीं दिखा, मगर मज़ा तो आया और मैं झड़ भी गई.
मगर मैंने उसे नहीं बताया।

झड़ने के बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ना बंद कर दिया तो उसको खुश्क चुदाई में मज़ा आया, फिर उसने भी पानी छोड़ दिया।

कोंडोम की वजह से मुझे तो पता नहीं चला पर उसके बेदर्दी से मेरे बदन को नोचने और मुझे माँ बहन की गालियां देने से मुझे पता चला कि ये तो गया। बिना मेरे पूरे कपड़े उतारे उसने सिर्फ वहशी भूखे दरिंदे की तरह मुझसे सेक्स किया।

फिर फोन करके वेटर को बुलाया। मगर दो वेटर आए, एक वो जो मेरा दल्ला बनना चाहता था, और दूसरा एक और।
जब वो अंदर आए, तो मैं बिस्तर पर वैसे नंगी पड़ी थी।

आफताब का बॉस बोला- अरे सुनो, इस रंडी का सुबह तक पैसा दिया है। मुझे तो काम है मैं जा रहा हूँ। तुम दोनों इसे सुबह तक जाने मत देना। और अगर दिल करे तो पेल लेना इसे। मज़े करो। मैंने कहा- ये क्या मतलब है, मैं होटल के वेटर से सेक्स करूंगी?
वो बोला- मैडम, आपका सौदा आपका बॉय फ्रेंड कर चुका है। अब आप वो करेंगी, जो मैं कहूँगा।
उसके बाद वो चला गया।

तो दोनों वेटर मेरे पास आकर खड़े हो गए। एक ने मुझे पकड़ कर खड़ा किया और मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया। दोनों ने मेरे जिस्म को बड़े ध्यान से देखा, ऊपर से नीचे से, घुमा कर, छूकर, दबा कर सहला कर।
फिर एक बोला- रजिन्दर पहले मैं करूंगा। तू तो वैसे भी बहुत लंबी पारी खेलता है।
रजिन्दर बोला- ठीक है, और वैसे भी मुझे मैडम से बहुत से बातें करनी है। तू निबट और उसके बाद मुझे बुला लेना।

रजिन्दर चला गया तो उस वेटर ने मुझे बेड पे लिटाया और खुद अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। ये वेटर अभी उस बॉस से ज़्यादा साफ सुथरा था। मैं एक बेजान जिस्म की तरह उसको अपने ऊपर ले गई। उसने सिर्फ 5 मिनट लगाए और अपनी बुझी हुई मोमबत्ती का थोड़ा सा मोम मेरे पेट पर गिरा कर नीचे उतर गया।

मैंने उसे पूछा भी- बस, तुम खेलने से पहले ही आउट हो गए?
वो बोला- बस अपना तो इतना ही होता है। अभी वो आ रहा है, राजू, वो तेरी माँ चोदेगा, देखना तू।

मैं सोचने लगी, ये मैं किस दलदल में फंस गई, आज तक मेरे शौहर ने मुझे तू कह कर बात नहीं की, और ये एक दो टके का वेटर साला, मुझे तू कह रहा है। मगर इस सब में गलती तो मेरी ही थी।

थोड़ी देर में रजिन्दर आ गया। आते ही उसने मुझे बाथरूम में लेजाकर पहले नहलाया, मुझे टूथपेस्ट के कुल्ले करवाए। अच्छे से साफ करके, फिर से सारे कपड़े पहनाए और फिर सारा कमरा बिल्कुल चकाचक साफ करने के बाद वो मुझे बिस्तर पर ले गया।
उसने कोई जल्दबाज़ी नहीं दिखाई। दो गिलास बीयर के लेकर आया, एक मुझे दिया, और एक खुद पिया।

फिर उसने मुझसे पूछा- तो मैडम क्या सोचा आपने मेरी प्रोपोज़ल के बारे में?
मैंने कहा- कुछ नहीं सोचा, मुझे नहीं पता था कि मेरा या बॉय फ्रेंड इतना कमीना निकलेगा, मुझे किसी और के सुपुर्द कर देगा, अपने फायदे के लिए।
राजू बोला- मैडम मुझे एक बात समझ में नहीं आती कि जो औरत अपनी पति से बेवफ़ाई करती है, वो किसी और से वफा की उम्मीद कैसे करती है?
उसकी बात में दम था, सच्चाई थी!

मैं चुप रही।

वो बोला- देखिये, दो बातें है, या तो आप इस धंधे आ जाइए और हमारे जॉनी भाई आपको अच्छे से तराश कर हीरा बना देंगे। या फिर आप यहाँ से सीधे अपने घर जाइए, और फिर कभी इस और मुड़ कर मत देखिएगा।

बात उसने बेशक सही कही थी, मेरे फायदे की कही थी। मगर सुबह तो तक तो मैं इसी के काबू में थी। मैं चुपचाप सुनती रही, मेरी आँखों में आँसू आ गए.

उसने मुझे रुमाल दिया और बोला- मैडम आप बहुत खूबसूरत हैं, मुझे आप बहुत अच्छी लगती है इसलिए मैं आपसे कह रहा हूँ कि आप अपना सोच लीजिये, आर या पार।
मैंने कहा- सोच लूँगी! मगर इस से पहले मैं एक बार अपने उस कमीने बॉय फ्रेंड से मिलना चाहूंगी।
राजू बोला- वो सुबह आएगा।
मैंने कहा- ठीक है राजू, सुबह तक मैं तुम्हें बता दूँगी, पर उस कमीने से मिलने के बाद।

राजू बोला- तो सुबह तक क्या करें?
मैंने कहा- अब तो मैं तुम्हारे बस में हूँ, तुम्हारी गुलाम हूँ, जो कहोगी, करूंगी।

उसने मेरे हाथ से बीयर का खाली गिलास पकड़ा और साथ में टेबल पर रख दिया और मुझे बोला- तो लेट जाइए मैडम जी।
मैं लेट गई तो वो भी मेरे साथ ही लेट गया, मुझे देखता रहा।

मैंने कहा- सिर्फ देखोगे, करोगे कुछ नहीं?
वो बोला- मैडम, आप मेरी ज़िंदगी में देखी गई अब तक की सबसे हसीन औरत हो। अभी तो आपका हुस्न देख कर मेरी आँखें नहीं भरीं, तो आगे कैसे बढ़ूँ।
मैंने कहा- तो ठीक है, जैसे तुम्हारी मर्ज़ी।

उसने मेरे चेहरे को छू कर देखा, जैसे किसी छोटे बच्चे के चेहरे को छूते हैं, बड़े ही नाज़ुक तरीके से। फिर मेरे गाल सहलाते हुये मेरे सीने से मेरा आँचल हटाया और उठ कर बैठ गया- अरे वाह, मैडम, आप तो बहुत ही सेक्सी भी हो। क्या खूबसूरत गोल और उठे हुये मम्मे हैं आपके!
मैंने पूछा- आपकी बीवी के ऐसे नहीं हैं?
वो बोला- अरे नहीं, उसके न इतने बड़े हैं, और न ही इतने उठे हुये, ढीले से हैं।

उसने ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरे मम्मों को दबा कर देखा। फिर मेरे पेट को सहलाया और फिर मेरी साड़ी ऊपर उठा कर मेरी टांगें नंगी करी। मेरी गोरी चिकनी टाँगों को उसने खूब प्यार किया।
फिर मेरी चड्डी के ऊपर से ही पहले मेरी चूत को चूमा और फिर चाटने लगा।

बेशक वो मेरी चड्डी को ही चाट रहा था मगर उसकी जीभ की हरकत से मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
वो चड्डी के ऊपर से मेरी चूत का पानी चाट कर बोला- मैडम, बहुत नमकीन हो आप।

और फिर उसने मेरी साड़ी खोली, मेरा ब्लाउज़ और पेटीकोट भी बड़ी तसल्ली से आराम आराम से मज़े ले ले कर खोला। फिर अपने कपड़े उतारे; बिल्कुल नंगा हो गया।
उसके औज़ार का साइज़ भी अच्छा था और उसमें अकड़ भी पूरी थी। वो आकर मेरे ऊपर लेट गया, मैंने अपनी टांगें फैलाई तो उसने अपना लंड मेरी चूत के ऊपर रख दिया। और फिर वो मुझे चूमने लगा।

मैंने भी उसको जहां दिल दिया चूमा। अपनी कमर को हिला कर वो अपने कड़क लंड को मेरी चूत के ऊपर ऊपर से रगड़ रहा था।
मुझे भी पूरा मज़ा आ रहा था, मैंने उसे कहा- अब डाल दो अंदर।
उसने पूछा- बड़ी चुदासी हो रही हो?
मैंने कहा- हाँ, मुझमें सब्र की कमी है।

उसने मेरी चड्डी एक तरफ हटाई और अपना लंड मेरी चूत पर रख कर अंदर को ठेला, और वो मस्त लंड मेरी गीली चूत में घुसता ही चला गया। पूरा लंड मेरे अंदर डाल कर वो रुक गया।
फिर मैं कहा- क्या हुआ।
वो बोला- अरे यार थोड़ा अहसास तो लेने दो। मुझे अभी भी यकीन सा नहीं हो रहा कि मैं आपको चोद रहा हूँ। इतनी हसीन, इतनी गरम और सेक्सी औरत। जिसके मैं सिर्फ ख्वाब ही लेता था, आज मेरा लौड़ा अपनी चूत में लिए लेटी है और मुझसे चुदना चाह रही है।

मैंने कहा- नहीं यार, ऐसी भी कोई बात नहीं, दुनिया में मुझसे भी हसीन बहुत होंगी।
वो बोला- होंगी, पर क्या उनमें से एक भी मेरे नीचे लेटेगी, नहीं ना! और मेरी ज़िंदगी की सबसे हसीन औरत इस वक्त मेरे नीचे लेटी है, तो मैं उसका तो लुत्फ ले लूँ।
मैं मुस्कुरा दी- लीजिये मेरी सरकार, जो चाहे वो लुत्फ लीजिये।

वो फिर मुझे धीरे धीरे चोदने लगा। कितनी देर वो उसी तरह रुक रुक कर आराम आराम से मुझे चोदता रहा। कोई समय की पाबंदी नहीं थी, इसलिए कोई जल्दबाज़ी नहीं थी।

वो मेरे जिस्म से खेल रहा था, मेरा ब्रा उसने अभी तक नहीं उतारा था, ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मों को दबा रहा था।
मैंने ही कहा- क्या ऊपर से ही दबाओगे, निकाल कर चूसो इन्हें! तुम्हारे ही हैं।
उसने मेरा ब्रा खोली और फिर मेरे मम्मे बाहर निकाल कर चूसे।

अब मम्मे चुसवा कर तो हर औरत को मज़ा आता है। जैसे जैसे वो मुझे चूस चूस कर चोदता रहा, मेरी तड़प बढ़ती रही और फिर मैं झड़ गई।
वो भी थोड़ी देर बाद झड़ गया मेरे अंदर ही।

फिर मेरे दिमाग में वैसे ही एक ख्याल आया कि अगर मैं इस से प्रेग्नेंट हो गई तो क्या मेरा बच्चा एक वेटर की औलाद होगा?
मगर अब तो जो हो चुका था, सो हो चुका।

सारी रात वो सोया नहीं, मेरे जिस्म के एक एक इंच को उसने चूमा, प्यार किया, उस से खेला।

सुबह करीब 7 बजे उसने मुझे फिर से चोदा। नींद और थकावट की वजह से मैं बेहाल हो रही थी।

उस वक्त शायद राजू ने मुझे घोड़ी बनाया हुआ था। तभी कमरे के दरवाजा खुला और आफताब अंदर आया।
अंदर आकर उसने राजू से बात करी, मगर राजू बात करते करते भी मुझे चोदता रहा। मुझे पूरा समझ नहीं आ रहा था, मगर इतना जरूर था कि आफताब मुझे मेरे नाम से नहीं बल्कि रंडी रंडी करके बुला रहा था और ऐसे बात कर रहा था, जैसे वो राजू को पर्मिशन दे रहा हो के वो मुझे किसी सेक्स रैकेट से जोड़ दे।

मुझे बहुत गुस्सा आया, मैं एकदम से खड़ी हुई और गुस्से से बिफर पड़ी- ओए साले आफताब अंसारी, तू क्या मुझे बेचेगा, कमीने, जो अपने छोटे से फायदे के लिए अपनी गर्लफ्रेंड को अपने बॉस के हवाले करके चला गया, तू क्या मेरी कीमत लगाएगा। चल फूट यहाँ से, साले तू क्या करेगा। मैं करके दिखाती हूँ। ए राजू, सुन तू मुझसे पूछ रहा था न, चल मेरी हाँ है, ले चल जिस जॉनी भाई के पास ले कर जाना चाहता था। मैं चलूँगी तेरे साथ, जहां मेरे जिस्म का सौदा करेगा, उसके साथ सोऊंगी, जिसके साथ कहेगा, उस से चुदवाऊँगी। चल आज से मैं तेरी रंडी। और तू आफताब अंसारी, माँ के लौड़े, चल भाग यहाँ से मादरचोद।

आफताब तो मेरा ये रूप देख कर डर गया। मैंने राजू का लंड अपने हाथ में पकड़ा और आफताब से कहा- तू क्या ये छोटी सी लुल्ली लिए घूमता है, इधर देख इसे कहते हैं, मर्दाना लौड़ा!
और मैंने राजू के होंठों को आफताब के सामने चूम कर, उसके बदन से लिपट कर फिर कहा- राजू आज से मैं तेरी रंडी, ठीक है। और भागा इस कुत्ते को कहीं मैं कुछ और न कर बैठूँ।

मगर राजू के कुछ कहने से पहले ही अफ़ताब मियां तो वहाँ से दुम दबा कर भागे और उसके बाद राजू ने मुझे जॉनी भाई से मिलवाया, और जॉनी भी में मेरी तीन दिन क्लास लगाई, और मुझे बहुत कुछ सिखाया कि कैसे मर्द को 5 मिनट से भी कम समय में झाड़ा जा सकता है। उसने अपने साथ काम करने वाली और भी बहुत सी लड़कियों से, बहुत सी औरतों से मुझे मिलवाया।

फिर तो उसके बाद चल सो चल गाड़ी चल पड़ी। मगर मैंने जॉनी भाई से इतना कह दिया कि जो भी कस्टमर मेरी डिमांड करे, पहले मुझे उसकी फोटो दिखाये, मेरे हाँ करने पर ही उसे मुझसे मिलवाये।
क्या पता किसी दिन कोई दोस्त रिश्तेदार ही ग्राहक बन कर आ जाए और मेरे शौहर को पता चल जाए।
पर किसी न किसी दिन तो पता चलना ही है अगर पता चल गया तो …

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