सभी वासना के सेवकों को मेरा नमस्कार. अन्तर्वासना पर मेरी पिछली कहानी
बिंदास भाभी की चुदास
जिसमें भाभी की चुदाई के बारे में मैंने बताया था.
यह नयी कहानी एक दूसरी ननद भाभी की जोड़ी की है.
हमारे पड़ोस में एक सिंधी परिवार रहता है जिसके मुखिया का नाम लोक नाथ लखमानी है, उनकी पत्नी का देहांत हो चुका है. एक बेटा है दिलीप, उसकी पत्नी है मीना और एक बेटी है संगीता.
लोक नाथ और दिलीप कपड़े की दुकान करते हैं. संगीता 19 साल की हो गई है लेकिन कक्षा 12 में पढ़ती है क्योंकि एक बार सातवीं में और एक बार दसवीं में फेल हो चुकी है. संगीता का आईक्यू लेवल बहुत अच्छा नहीं है. शारीरिक रूप से तन्दुरुस्त है और गुजरे जमाने की हीरोइन नीतू सिंह जैसी लगती है. उस पर जब भी नजर पड़ती, उसे चोदने के लिए दिल बेताब हो जाता.
एक दिन बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा. मैं घर से निकला ही था कि संगीता की भाभी मीना ने आवाज लगाई तो मैं चला गया.
मीना बोली- संगीता गणित में बहुत कमजोर है, तुम अगर थोड़ा समय दे दो तो अबकी बार पास हो जाये.
मैंने कहा- टाइम फिक्स नहीं कर सकता लेकिन रोज किसी भी समय एक घंटा पढ़ा दिया करुंगा.
अगले दिन से मैंने संगीता को गणित पढ़ाना शुरू कर दिया.
उनका मकान दोमंजिला है, दिलीप और मीना का बेडरूम नीचे है और संगीता का ऊपर. लोक नाथ नीचे ड्राइंगरूम में ही दीवान पर सोता है. संगीता को पढ़ाने का काम उसके बेडरूम में ही होता था.
अभी पढ़ाते हुए 15 दिन ही हुए थे और संगीता के साथ मेरा रिश्ता झप्पी और चुम्बन तक आ गया था.
मेरे रोज रोज उनके घर जाने से मीना भी मेरी अच्छी खातिरदारी करने लगी थी. जब मैं संगीता को पढ़ा रहा होता तो मीना हम दोनों के लिए चाय नाश्ता ले आती. एक महीना पूरा होते होते मैं संगीता के होंठ और चूचियां चूस चुका था.
एक दिन जब मीना घर पर अकेली थी, उसने मुझे बुलाया और एक हजार रुपए देते हुए बोली- ये तुम्हारी फीस है.
मैंने लेने से मना किया तो कहने लगी- तुम्हारे भैया दे गये हैं, प्लीज ले लो.
तो मैंने कहा- नहीं भाभी. मैं कोई ट्यूशन थोड़े पढ़ा रहा हूँ.
अन्ततः मैंने फीस नहीं ली.
चार दिन बाद बूंदाबांदी हो रही थी तभी मीना ने मुझे फोन करके बुलाया और बोली- चाय पकौड़ी बना रही हूँ, आ जाओ.
मैं पहुंचा तो मीना हाथ में टॉवल पकड़े खड़ी थी, बोली- बस पांच मिनट रुको, मैं नहा कर आती हूँ.
इतना कह कर वह नहाने चली गई. मैं वहीं बेड पर बैठ गया.
वहां खाकी रंग का कवर चढ़ी एक किताब अधखुली रखी थी. समय बिताने के लिए मैंने पढ़ने के लिए किताब उठा ली. किताब खोलते ही मैं चौंक गया, न्यूड सीन और अश्लील कहानियों की किताब थी. मैं समझ गया, आज मीना चुदवाने के मूड में है. मैं इसके लिए तैयार हो गया.
मीना नहाकर आई, उसने गुलाबी रंग का झीना सा गाउन पहना था जिसमें से उसके निप्पल्स झलक रहे थे.
किताब मेरे हाथ में देखकर मीना बोली- क्या पढ़ रहे हो देवर जी?
मैंने किताब बेड पर रखते हुए कहा- जो पढ़ना था, पढ़ लिया, अब मुझे अपने आंचल में छुपा लो.
इतना कहकर मैंने अपना चेहरा मीना की चूचियों पर रख दिया.
मीना मेरे बालों में उंगलियां फेरने लगी. मैंने मीना के गाउन की डोरी खींची और उसको नंगी कर दिया.
लगभग 30 साल की मीना की चूचियां 48 इंच और चूतड़ 60 इंच थे, दो शब्दों में कहूँ तो सफेद हाथी लग रही थी. मीना के होठों पर अपने होंठ रखते हुए मैं उसके चूतड़ सहलाने लगा तो मीना ने मेरी जींस की चेन खोलकर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और बेड पर बैठकर चूसने लगी.
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये. मीना को बेड पर लिटाकर उसकी चूचियों पर बैठकर अपना लण्ड उसके मुंह में दे दिया, मीना अपना मुंह उठा उठाकर ऐसे चूस रही थी जैसे मुंह में ही डिस्चार्ज कराना चाहती हो.
तभी मीना ने बेड के साइड टेबल पर रखी तेल की शीशी उठाई और मेरे लण्ड की मालिश करने लगी. इसके बाद मीना ने एक तकिया अपने चूतड़ों के नीचे रखा और मुझे अपनी टांगों के बीच खींच लिया. मीना ने मेरा लण्ड पकड़ लिया और अपनी चूत के मुहाने पर रगड़ने लगी.
रगड़ने से मेरे लण्ड का सुपाड़ा फूल गया तो मीना ने अपनी चूत के मुहाने पर मेरा लण्ड रखा और बोली- डाल दो राजा, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.
मैंने धक्का मारकर पूरा लण्ड मीना की चूत में पेल दिया और धकाधक चोदने लगा,
जब डिस्चार्ज का समय आया तो मैंने पूछा- माल अन्दर ही गिरा दूं?
“गिरा दो, मेरे राजा.”
अब यदाकदा मीना को चोदने का मौका मिल जाता था.
दूसरी तरफ संगीता भी चुदवाने के लिए तैयार हो चुकी थी, कई बार उसकी चूत में उंगली चला चुका था.
मीना और दिलीप हर शनिवार को नाइट शो मूवी देखने जाते थे, रात को 9 बजे से 12 बजे के बीच के समय का मुझे सदुपयोग करना था.
जाड़े के दिन थे, मैंने संगीता से कहा- भैया भाभी मूवी देखने जायें तो मुझे कॉल कर देना और पीछे का दरवाजा खोल देना.
भैया भाभी के जाने के बाद संगीता ने लोक नाथ से कहा- पापा, मैं सोने जा रही हूँ.
और ऊपर आकर मुझे कॉल की.
मैं पीछे वाले दरवाजे पर आया, हल्का सा दबाया तो दरवाजा खुल गया. मैं अन्दर आया और दरवाजा बंद करके ऊपर की तरफ चल दिया.
सीढ़ियों में अंधेरा था और संगीता वहीं खड़ी थी, मुझे देखते ही लिपट गई और मेरे होंठ चूसने लगी.
मैं संगीता को लेकर उसके बेडरूम में ले आया. बेड पर बैठकर मैंने अपना लण्ड लोअर से बाहर निकाल कर संगीता की स्कर्ट उठाई और उसकी पैन्टी नीचे खिसका कर उसे अपने लण्ड पर बैठा लिया. उसका टॉप उतारकर मैंने उसकी ब्रा निकाल दी. संगीता के कबूतर आजाद हो चुके थे, मैंने संगीता की चूचियां चूसते चूसते उसकी स्कर्ट और पैन्टी उतार दी.
जितना मैं उतावला था, संगीता उससे ज्यादा उतावली थी.
मैंने अपना लोअर उतार दिया और उसके ड्रेसिंग टेबल पर रखी कोकोनट ऑयल की बॉटल उठा लाया. संगीता का टॉवल चार तह करके तकिये पर बिछाया और तकिया संगीता की गांड़ के नीचे रख दिया. संगीता की चूत के लब खोलकर मैं अपना लण्ड वहां रगड़ने लगा, संगीता मदहोश और बेताब हो रही थी.
अपनी हथेली पर ढेर सा कोकोनट ऑयल लेकर मैंने अपने लण्ड पर मला और संगीता की चूत के लब खोलकर लण्ड का सुपाड़ा रख दिया. मैंने संगीता से कहा- तुम वन, टू, थ्री बोलो. थ्री बोलते ही ये अन्दर चला जायेगा.
संगीता के वन, टू, थ्री बोलते ही लण्ड को अन्दर की ओर दबाया तो मेरे लण्ड का सुपारा टप्प की आवाज के साथ संगीता की चूत के अन्दर हो गया.
संगीता चिल्लाई और खुद ही अपनी हथेली से अपना मुंह दबा लिया, थोड़ी देर बाद बोली- तुम बहुत गंदे हो.
मैं हंसने लगा और संगीता की चूची चूसते हुए उसके गाल सहलाने लगा. उसके गाल पर दो आंसू भी छलके हुए थे.
संगीता को दिलासा देते हुए मैं लण्ड को अन्दर सरकाना जारी रखे हुए था. आधा लण्ड अन्दर हो गया था लेकिन आगे बैरियर था. मैंने अपने लण्ड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया तो संगीता को अच्छा लगने लगा.
अन्दर बाहर करते करते मैंने संगीता से कहा- अभी जैसे अपनी हथेली से तुमने अपना मुंह दबाया था, एक बार फिर दबाओ, देखूं कैसी लगती हो.
संगीता ने अपनी हथेली से मुंह दबाया तो मैंने कहा- बहुत सुन्दर लग रही हो, ऐसे ही कस कर दबाये रहो.
इतना कहकर मैंने जोर से ठोकर मारी और संगीता की चूत की झिल्ली फाड़कर मेरा लण्ड अन्दर तक चला गया. अब रुकने का कोई काम नहीं था. मैंने लण्ड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना जारी रखा.
संगीता की चूत से रिसते खून से तकिये पर बिछा टॉवल लाल हो रहा था. संगीता अब नार्मल हो चुकी थी और पूरी तरह से इन्ज्वॉय कर रही थी. उस रात तीन घंटे में संगीता को दो बार चोदा.
ननद और भाभी दोनों अव्वल दर्जे की चुदक्कड़ बन चुकी थीं. ऐसा लगता है कि मुझे देखते ही दोनों की चूत में खुजली होने लगती है.
एक दिन शाम को चार बजे मैं गया तो संगीता और मीना दोनों टीवी देख रही थीं. मुझे देखकर संगीता उठी और हम दोनों ऊपर चले गये. संगीता की बुक्स और रफ कॉपी टेबल पर रखी थी.
मैं चेयर पर बैठ गया और संगीता को अपनी गोद में बिठाकर उसके होंठ चूसने लगा. अपना हाथ संगीता के टॉप में डालकर मैं उसकी चूचियां दबाने लगा, निप्पल्स टाईट हो गये तो टॉप ऊपर खिसका कर मैंने एक चूची मुंह में ले ली. संगीता की स्कर्ट उठाकर उसकी पैन्टी उतार दी. अपना लण्ड लोअर से बाहर निकाला और संगीता को टेबल के सहारे घोड़ी बना दिया. लण्ड को अपनी थूक से गीला किया और संगीता की चूत में डाल दिया.
संगीता की कमर पकड़कर चोदना शुरू ही किया था कि सीढ़ियां चढ़ती मीना की आवाज सुनाई दी. एक सेकेंड में हम अपनी अपनी चेयर पर बैठ गये और संगीता लिखने लगी.
मीना आई और बोली- अरे यार, सुनती नहीं हो. तुम्हारी सहेली आशा आई है, जाओ मिल लो. थका दिया मुझे सीढ़ियां चढ़ाकर.
संगीता चली गई तो मैंने मीना को बाहों में भर लिया, उसकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठा दिया. मीना की पैन्टी उतारकर उसको घोड़ी बनाकर चोदना शुरू कर दिया. मोटी होने के कारण उसको घोड़ी बने रहने में दिक्कत होने लगी तो बेड पर लिटा दिया और खड़े खड़े चोद दिया. चुदवाने के बाद मीना ने पैन्टी पहनी, पसीना पोंछा और चली गई. मैंने बाथरूम में जाकर अपना लण्ड धोया और चेयर पर बैठ गया.
कुछ देर बाद संगीता आ गई, मैंने उसका टॉप उठाकर चूचियां निकाल लीं और संगीता को अपने पैरों के पास जमीन पर बिठाकर अपना लण्ड उसके मुंह में दे दिया.
संगीता मजे ले लेकर लण्ड चूस रही थी.
मेरा लण्ड पूरे जोश में आ गया तो मैंने संगीता का टॉप उतारा और नीचे के कपड़े भी उतार दिये तो संगीता बोली- क्या कर रहे हो विजय ? दरवाजा खुला है और भाभी आ गई तो?
“नहीं आयेगी, अब नहीं आयेगी. एक बार सीढ़ियां चढ़ने में उसकी सांस फूल गई, दोबारा क्या चढ़ेगी.”
मैंने अपने कपड़े भी उतार दिये और बेड पर लेट गया. मैंने संगीता से कहा- ऑयल की बॉटल उठा लाओ, मेरे लण्ड पर लगाओ.
संगीता ने ऐसा ही किया.
मैंने कहा अपनी चूत के लब खोलकर मेरे लण्ड पर बैठ जाओ और फुदक फुदक कर चोदो. आज चोदना तुम्हारे हिस्से, मैं लेटा रहूंगा.
संगीता मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे लैंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी फटी चूत के छेद पर रख कर नीचे बैठने लगी. उसे दर्द हो रहा था पर फिर भी सी … सी … करती वो पूरी मेरे लंड पर बैठ गयी और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में खो गया.
इसके बाद वो धीरे धीरे हिलना शुरू हुई और फिर कुछ ही देर में उसने कुशल घुड़सवार की तरह घोड़ा दौड़ा दिया.
इसके बाद तो वही सब जो आप सभी कहानियों में पढ़ते हैं.