नमस्कार साथियो.. मैं विकी सक्सेना.. मैं कॉलेज में स्टडी करता हूँ. वैसे तो मैंने ना जाने कितनी लड़कियों को चोदा है.. लेकिन क्योंकि ये मेरी पहली स्टोरी है इसलिए मैं अपने फर्स्ट सेक्स के बारे में बताना चाहता हूँ जो कि मैंने बचपन में अपने मकान मालिक की बेटी के साथ किया था.
बात काफ़ी पुरानी है.. उस वक़्त हम सब दिल्ली में किराए के मकान में रहा करते थे. उस वक़्त मैं स्कूल में पढ़ता था. बचपन से ही मैं ऐसे दोस्तों के बीच था.. जहाँ लड़की, चूत, लण्ड, गांड, सेक्स चुदाई वगैरह की बातें बहुत होती थीं. उनकी बातें सुनकर मेरा भी लण्ड खड़ा हो जाता था.
घर में मैं और एक मेरे छोटे भाई के अलावा मेरी मम्मी और पापा थे. पापा तो काम पर चले जाते थे और रात को आते थे. मम्मी भी सारा दिन घर के कामों में व्यस्त रहती थीं और मैं भी लगभग सारा दिन दोस्तों के साथ खेलता रहता था.
कभी-कभी मेरे 1-2 फ्रेंड्स मेरे घर पर आ जाते थे और हम लोग लूडो चैस वगैरह खेला करते थे.
मेरे मकान मलिक दूसरे धर्म से थे और हम दूसरे.. इसलिए मुझे बचपन से ही पता लगा था कि उनकी लड़कियां कितनी हॉट होती हैं.
वो तीन बहनें थीं.. सबसे बड़ी वाली की तो शादी हो चुकी थी.. वो पानीपत में थी. मगर वो कभी-कभी दिल्ली आती थी.. वो बहुत हॉट दिखती थी.
उससे छोटी वाली कॉलेज में पढ़ती थी.. उसका नाम आफिया था, उसकी उम्र कोई 20 के आस-पास होगी.. बहुत मस्त दिखती थी.
जब वो चलती थी तो उसके मम्मे हिलते थे.. उसे देखकर लगता था कि वो लण्ड का मज़ा ले चुकी है.
और जो सबसे छोटी वाली थी उसका नाम आयशा था, उसकी उम्र यही कोई मेरे बराबर थी. उसके मम्मे तो ज़्यादा बड़े नहीं थे.. लेकिन उसका फिगर देख कर तो कोई भी उसको चोदने के लिये पागल हो उठे.. इतनी दहकती हुई आग थी वो.
उसकी और मेरी बहुत बनती थी, वो भी मेरे घर खेलने के लिए आ जाती थी.
वो लोग ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे और और दूसरे फ्लोर पर हम लोग रहते थे. मेरा छोटा भाई अभी छोटे स्कूल में पढ़ता था, उसका नाम साहिल है, उसके चक्कर में ही हम सबको लूडो वगैरह जैसे गेम्स खेलने पड़ते थे.
आयशा भी हमारे साथ ही खेलती थी, हम लोग आपस में खेलते थे.. तो कभी-कभी लड़ाई-झगड़ा भी कर लेते थे.
एक बार मेरी क्लास में मेरे एक फ्रेंड जिसका नाम मनु था.. उसने मुझे एक छोटी बुक दी जो जेब में आ जाए.. मगर अन्दर का सीन देखा.. तो मेरा दिमाग़ घूम गया, अन्दर ट्रिपल एक्स तस्वीरें थीं.
उस वक़्त तो मैं थोड़ा घबरा गया और झट से उसे बैग में रख लिया.
मनु ने बताया कि उसे यह किताब एक फ्रेंड ने दी है और ऐसी ना जाने कितनी ही किताबें उसके पास थीं.
मैंने वो किताब ले ली.
मनु ने बताया- मैं इसे बाथरूम में जाकर देखता है और बहुत मज़ा आता है.
उसने मुझे भी ये किताब टॉयलेट में जाकर देखने की सलाह दी.
मैंने वो किताब बैग में रख ली थी. अब मेरा पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था. मैं चाहता था कि कब छुट्टी हो और मैं घर पर जाऊँ.
मगर अभी छुट्टी होने में काफ़ी टाइम था.. अभी तो हाफ टाइम ही हुआ था.
आख़िर वो टाइम आ ही गया.. जब छुट्टी हो गई.. मनु तो स्कूल बस से जाता था इसलिए उसे वहाँ रुककर बस का वेट करना पड़ता था..
लेकिन मैं घर पहुँचने के लिए बेकरार था, मैं जल्दी से जल्दी घर पहुँचा और बैग पटका.
मेरा भाई भी स्कूल से आ गया था.
मेरी मम्मी ने कपड़े चेंज करके खाना खाने को कहा- खाना रेडी है.. खा लो फिर कहीं खेलने जाना.. सारा दिन खेल.. खेल.. में लगे रहते हो.
अब मैंने सोचा कि पहले खा लेता हूँ फिर आराम से ट्रिपल एक्स किताब देखूँगा.
मगर खाने में भी मन नहीं लग रहा था.
उसके बाद मम्मी मार्केट चली गईं और भाई टीवी में कार्टून देख रहा था.
इतने में आयशा आ गई और कहने लगी- चल कुछ खेलते हैं.
मैंने कहा- तुम लोग खेलो.. मैं अभी आता हूँ.
मैंने अपने दूसरे रूम से बैग में बुक के अन्दर रखी किताब अपनी पैन्ट में डाल ली और टॉयलेट में घुस गया.
मैं काफ़ी उत्तेजित था, मैंने इतने आराम से ऐसी किताब कभी नहीं देखी थी. मैंने पहला पेज खोला तो उसमें एक इंग्लिश औरत एक आदमी का लण्ड चूस रही थी, उसका आधा लण्ड उसके मुँह में था और वो आदमी अपने हाथों से उसका एक चूचा मसल रहा था.
जब मैं आगे बढ़ा तो आगे तो और भयानक-भयानक सीन थे, किसी में कोई बॉय एक स्मार्ट यंग लड़की की गाण्ड मार रहा था.. तो कोई किसी की चूत चाट रहा था.
एक फ़ोटो में तो कमाल था, दो आदमी एक ही लड़की की गाण्ड और चूत में लण्ड डाले हुए थे.
मैं तो पागल हो चुका था और मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था.
मैंने पैन्ट खोली और अपने लण्ड को हाथ में ले लिया.
मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा था, मेरा लण्ड एकदम गर्म हो चुका था.
मुझे काफ़ी अच्छा फील हो रहा था.. मानो मैं जन्नत में होऊँ.
फिर मैंने सोचा काफ़ी देर हो चुकी है तो मैं अपने कपड़े सही करके टॉयलेट से बाहर आ गया.
मैंने किताब को अपने बैग में छुपा दिया और रूम में पहुँचा.. जहाँ आयशा और मेरा भाई खेल के इन्तजार में थे.
आयशा- काफ़ी देर लगा दी.. चलो अब खेलते हैं.
मैं भी बैठ गया और फिर हम कैरम खेलने लगे. मैं खेल तो रहा था मगर मेरा मन खेल में नहीं था, अभी भी मेरे दिमाग़ में चूत घूम रही थी.
मैंने आयशा की ओर देखा और मेरा मन अब उसे चोदने का करने लगा.
मगर मैं ऐसा नहीं कर सकता था.
अब मैं रोज उसी किताब को देखता और अपना लण्ड अपने हाथों से छूता. मगर चूत की प्यास तो चूत की प्यास होती है वो कभी हाथों से नहीं मिटती.
मैं कई बार आयशा को मज़ाक-मज़ाक में इधर-उधर हाथ लगाने लगा.
एक बार शाम को हम छुपान-छुपाई खेल रहे थे. पहले तो मेरी बारी थी उन्हें ढूँढने की.. उसके बाद मेरे छोटे भाई की बारी थी.
मैंने आयशा से कहा- हम जहाँ भी छुपेंगे वो हमें ढूँढ ही लेगा..
इसलिए मैंने उसे एक अलमारी जो कि लकड़ी की बनी थी.. उसमें छुपने के लिए कहा.
वो झट से मान गई, पहले मैं अन्दर घुसा और फिर वो मेरे आगे खड़ी हो गई. अलमारी में इतनी जगह थी कि दो जने आराम से खड़े हो सकते थे.
अब अलमारी में उसकी गाण्ड मेरे लण्ड से पैन्ट के ऊपर से टच हो रही थी, पैन्ट के अन्दर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था.
ऐसा अहसास मुझे पहली बार हुआ था, मैं इस अहसास को इतनी आसानी से जाने नहीं देना चाहता था.
मैंने अपने हाथों को उसकी कमर पर रख दिया. मगर इसके जवाब में उसने कुछ ख़ास विरोध नहीं दिखाया.
अब मेरे दोनों हाथ उसके मम्मों की तरफ गए और मैं उन्हें ऊपर से ही सहलाने लगा. लेकिन उसने मेरे दोनों हाथों को पकड़ा और पीछे कर दिया.
वो बोली- ये क्या कर रहे हो?
अब मैं डर गया था कि ये मेरे पेरेंट्स को ना बता दे और इतने में मेरा भाई आ गया और हम अलमारी से बाहर निकल आए.
फिर आयशा की मम्मी ने उसे बुला लिया और वो चली गई. मगर उसकी गाण्ड को छूने का वो अहसास मुझे चैन से नहीं रहने दे रहा था.
रात भर मैं यही सोचता रहा कि एक बार उसकी चूत देखने का मौका मिल जाए.. मगर मैं डरा भी हुआ था कि कहीं वो इस अलमारी वाली घटना किसी को बता ना दे.
एक दिन वो टाइम भी आ ही गया.. जिसका मुझे इंतजार था, घर में कोई नहीं था.. मम्मी-पापा और भाई को लेकर एक शादी में गए थे.
शादी दिन की थी तो उन्हें सुबह जाना पड़ा. मेरे एग्जाम की वजह से मैं नहीं जा सका था.
मम्मी रूम की चाभी आयशा की मम्मी को देकर गई थीं.
मैंने उनसे चाभी ले ली और कमरे में अकेला टीवी देखने लगा. इतने में आयशा आ गई.
मैं काफ़ी खुश हो गया.. उसने कहा- चलो कैरम खेलते है.
मैं रेडी हो गया टीवी चालू था.. और हम लोग कैरम खेल रहे थे. इतने में मुझे एक आइडिया आया. आयशा को देखके मेरा लण्ड तो अब हर बार खड़ा हो जाता था.
मैंने आयशा से कहा- आयशा, एक किताब दिखाऊँ तुम्हें?
यह कहते हुए मैं थोड़ा सा हिचकिचाया.
आयशा- कैसी किताब?
मैं- है एक मस्त सी?
आयशा- क्या है उसमें?
मैं- उसमें नंगी लड़की और नंगे लड़के हैं और वे सब अपनी सूसू भी दिखा रहे हैं.
आयशा- मेंटल कहीं का.. चल ला दिखा तो सही..
मैं- नहीं अब नहीं दिखाऊंगा.. तू किसी को बता देगी तो?
मैं जानता था इंसान को जिस चीज़ के लिए मना करो.. वो वही करना चाहता है. इसलिए मैं थोड़े भाव खाने की कोशिश कर रहा था.
आयशा- अरे अब देखा भी दे.
मैं- ओके वेट.. अभी लाता हूँ.
मैं दौड़कर अपने स्टडी रूम में गया.. जहाँ मैंने किताब छुपाई थी.. ले आया.
मैंने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और वो किताब आयशा को दे दी.
वो पकड़ते ही उसके हाथ काँप रहे थे और शर्मा रही थी, उसकी शक्ल देखकर साफ़ पता चल रहा था कि ऐसी चीज़ वो पहली बार देख रही है.
उसने पहला पेज खोला.. जिसमें एक क्यूट सी लड़की एक लड़के का लण्ड चूस रही थी. उसे देखते ही उसका मुँह घिन से भर गया और बोली- शिट.. ये क्या है.. इतनी गंदी चीज मुँह में?
मैं- अरे पागल आगे तो देख..
उसके बाद तो धीरे-धीरे उसने पूरी किताब देखी. मेरा तो लण्ड का बुरा हाल था.. मन कर रहा था कि आयशा को नंगी कर दूँ और पेल दूँ इसकी चूत में.. लेकिन मैं चाहता था कि सब उसकी मर्ज़ी से हो तो ठीक रहेगा.
मेरे घर वाले तो रात को आएंगे, आयशा की मम्मी भी कभी ऊपर नहीं आती थीं.
मैंने आयशा से कहा- क्या मैं तेरी ‘वो’ जगह देख सकता हूँ.. जहाँ से सूसू करते हैं?
वो काफ़ी शर्मा रही थी इसलिए उसने मना कर दिया.
मैं जानता था उसके एक्सप्रेशन कुछ और ही बता रहे थे.. मगर वो सीधे बोलने में शर्मा रही थी.
वो यह कह नहीं पा रही थी कि उसे चुदना है.
मैंने उससे कहा- प्लीज एक बार दिखा ना अपना होल..
मगर वो नहीं मानी.. फिर मैंने कहा- अगर मैं तुझे अपना लण्ड दिखाऊँ तो?
आयशा- ऊन्हूँ.. मुझे शरम आती है.
मैं- इसमें शर्म की क्या बात है.. यहाँ और भी कोई नहीं है.
आयशा- नहीं..
मगर मैंने अपने पैन्ट की जिप खोली और उसमें से अपने लण्ड निकाला.
वो काफ़ी शर्मा रही थी.
मैंने कहा- ये ले चूस के देख.. काफ़ी मज़ा आएगा.
उसने शरमाते हुए मेरे लण्ड को हाथ लगाया.. उसके चेहरे पर एक शरारत से भरी मुस्कान थी. उसने मेरे लण्ड को हाथ में पकड़ा और उस पर हाथ फेरने लगी.
मैंने कई बार अपने हाथ से अपना लण्ड पकड़ा था.. लेकिन ऐसा अहसास मुझे आज तक नहीं मिला.
मैंने कहा- देख अब तू मेरा देख चुकी है.. अब अपना भी दिखा.
उसने शरमाते हुए ही सही अपनी जीन्स कमर तक खोली और फिर अपने पैन्टी जांघों तक उतारी.
हाय क्या मस्त सीन था वो.. मेरा तो सिर ही घूम गया था. मैंने किसी लड़की की रियल चूत पहली बार देखी थी. आयशा अब अपनी पैन्टी ऊपर करने लगी और बोली.
आयशा- देख लिया अब…
मैंने कहा- ये ग़लत बात है.. मेरा तो तुमने हाथ से टच किया था. मैं भी छूना चाहता हूँ.
वो मान गई.. अब धीरे-धीरे उसकी शरम दूर हो रही थी. मैंने उसकी चूत को अपने हाथ से टच किया और सहलाने लगा. क्या मज़ा आ रहा था.. शायद वो शब्द लिख भी नहीं सकता.
अब मैं उसकी चूत पर हाथ रख कर उंगली अन्दर डालने लगा.. और वो धीरे-धीरे शर्म वाली हँसी हंस रही थी, मानो उसे गुदगुदी हो रही हो.
वो अपने हाथों से मेरा लण्ड हिला रही थी. अब मैं जानता था कि आयशा से पूछना बेकार है.. और मैं उसे घुमा कर अपना लण्ड उसकी गाण्ड के छेद पर लगाने लगा.
वो बोलने लगी- ये क्या कर रहे हो?
मगर वो विरोध नहीं कर रही थी.
मैं समझ गया था कि आज इसकी गाण्ड मारनी है. मैं नहीं जानता था कि मैं पहले गाण्ड क्यों मार रहा हूँ.. शायद कुछ खास जानकारी नहीं थी इसलिए ऐसा हो रहा था.
मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड के छेद पर रखा और अन्दर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा.. लेकिन मेरा लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था.
आयशा- डाल ना अन्दर.. क्या देख रहा है?
उसके मुँह से ये शब्द सुन कर तो मेरा लण्ड और कड़क हो गया, मैंने ज़ोर लगाया.. मगर इस बार मेरा लण्ड उसकी चूत की तरफ मुड़ गया.
आयशा- क्या हो गया.. हाँअ.. अब समझ में आया कि एक बार जब मैं रात को पेशाब करने के लिए उठी थी.. तब मेरे पापा के कमरे से आवाज़ आ रही थी. मेरी अम्मी बोल रही थी.. थोड़ा और तेल लगा लो.. ताकि फिसलन ज़्यादा हो जाए और फिर वो लोग चुदाई करने लगे थे. तुम भी थोड़ा तेल अपने लण्ड पर लगा लो.
मैं उसके मुँह से ऐसी बात सुन कर हैरान था.. मगर वो तो मुझसे काफ़ी आगे निकली हुई थी.
मैंने पास पड़े तेल की शीशी उठाई और अपने लण्ड पर कुछ बूंदें लगाईं और उसे पूरे लौड़े पर मल लिया. फिर उसकी गाण्ड में डाला.. तो एक बार में ही पूरा का पूरा लौड़ा अन्दर चला गया.
उसके मुँह से एक चीख निकली.. मगर चीख इतनी तेज नहीं थी कि रूम के बाहर जा सके.
अब मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में घुस चुका था.. ये अहसास उन सभी अहसासों से बहुत बड़ा था.
अब मैं उसकी गाण्ड मारने लगा.
पहले तो वो रोने सी लगी.. मगर धीरे-धीरे उसे मजा आने लगा.
अब वो मेरी हेल्प करने लगी.. उसकी शरम तो मानो गायब ही हो गई थी. उसके बाद मैंने उसकी चूत भी मारी.. ये मेरी लाइफ का सबसे पहला और मजेदार अहसास था.
उसके बाद हम काफ़ी ओपन हो गए थे और जब भी मौका मिलता एक-दूसरे से मज़े ले लेते.
अब मैं उस जगह नहीं रहता हूँ मगर वो याद मैं कभी नहीं भूल सकता.
यह बिल्कुल सत्य घटना है.. लेकिन सबके नाम बदले हुए हैं.
आपको मेरी जिन्दगी की पहली चूत की चुदाई की कहानी कैसी लगी?