नमस्ते दोस्तों, आज की इस सेक्सी कहानी में आपका स्वागत है.
ये एक प्यार की चुदाई की कहानी है, जिसमें मैंने एक नयी सील को तोड़ कर एक लड़की को कली से फूल बनाया.
कहानी शुरू करने से पहले मैं थोड़ा अपने बारे में बता देता हूँ. मेरा नाम चंद्रा है और मैं नैनीताल उत्तराखंड में अपनी मौसी के पास रहता हूं. मौसा जी बाहर काम करते हैं. घर में मौसी के अकेले रहने के कारण मौसा जी ने मुझे अपने पास बुला लिया था. मैं रामनगर का रहने वाला हूँ, जोकि नैनीताल से करीब ही है.
मैं अभी चौबीस साल का हूं. मैं पांच फुट छह इंच का हट्टा-कट्टा पहाड़ी जवान लौंडा हूं. मैं अभी तक तीन कुंवारी लड़कियों की सील तोड़ चुका हूं. उसी में से एक प्रिया की कहानी है, जो उस वक्त नैनीताल में मौसी के साथ वाले घर में अपने मामा मामी के घर आई थी. उसे मैंने पटा कर कली से फूल बना दिया था.
ये बात तब की है जब मैं एक इन्टरव्यू देने गाज़ियाबाद गया था. दिल्ली में कुछ और काम के चलते मुझे तीन दिन बाद लौटकर वापस आना था. मगर मुझे क्या पता था कि मेरे वापस आने पर मुझे एक नयी चूत मिल जाएगी.
हुआ यूं कि मैं सुबह ही गाज़ियाबाद से नैनीताल के लिए निकल गया. क्योंकि सुबह मजे आते है और आने के बाद भी फ्रेश फ्रेश सा फील होता है. मैं वहां से चार बजे शाम के आस पास घर आया. घर पर मेरी मौसी और उनकी दो साल की बेबी थी. मौसी को देर से सन्तान सुख मिला था.
आज मौसी के घर में एक नया चेहरा भी था. मैं उस नए चेहरे से अपरिचित था. मैं एकदम से उसे देखता ही रह गया. वो लड़की मेरी मौसी की छोटी सी बेबी के साथ खेल रही थी.
मैंने मौसी को नमस्ते कहा और जेब से निकाल कर बेबी को चॉकलेट दे दी. वो खुश हो गयी.
मेरे पास एक और चॉकलेट थी, जो मैंने उस लड़की को दी. मगर वो ले ही नहीं रही थी. मैंने उससे बड़े ही प्यार से कहा- ले लो न.
उसने मेरी तरफ देखा और शर्माते हुए चॉकलेट ले ली. मुझे उसका यूं देखना बड़ा अच्छा लगा.
जब उसने मुझसे चॉकलेट ले ली तब मैंने मौसी से पूछा- ये कौन है?
मौसी ने कहा- ये तेरी तारा मौसी की भांजी है.
मैं मौसी के साथ वाले घर में रहने वाली तारा आंटी को भी मौसी कहता था.
मैंने कहा- तारा मौसी की … मैंने तो इन्हें कभी देखा ही नहीं. तुम नई हो यहां पर?
इस पर उसने कहा- हां मैं कल ही आई हूं कौसनी से.
मैंने कहा- गुड.
फिर मौसी ने मुझसे पूछा- चंद्रा पानी पाएगा या चाय.
मैंने कहा- रूको मौसी अभी तो घूम कर आया हूँ … अभी पीता हूँ.
मौसी बोलीं- ठीक है मैं जरा बाहर से आती हूँ.
ये कह कर मौसी बेबी को लेकर बाहर चली गईं.
फिर मैंने अपने जूतों को उतारा और उस लड़की से पूछा- तो क्या करती हो तुम?
वो बोली कि मैं बारहवीं में हूं.
मैंने सोचा ही नहीं था कि वो बारहवीं में होगी. मैंने चौंकते हुए उससे कहा- बारहवीं में? तुम्हें देख कर लगता तो नहीं है.
तब उसने कहा- नहीं … मैं बारहवीं में ही हूं.
मैंने कहा- ओके.
इसके बाद मैं हाथ पैर धोने चला गया. जब आया, वो किचन में चाय बना रही थी.
मैंने कहा- तुम क्यों बना रही हो?
तो उसने कहा- कोई बात नहीं … मैं बना लेती हूं.
मैं हंसा और कहा- ओके बना लो … मगर काली चाय बनाना.
उसने कहा- काली क्यों?
तब मैंने मजाक करते हुए कहा- क्योंकि मैं काला हूं ना.
इस पर वो भी बहुत जोर से हंसी.
मैंने पलट कर कहा- क्यूट स्माइल!
उसने भी आंखें नचाते हुए कहा- थैंक्यू.
मैंने कहा- आपका स्वागत है.
फिर मैंने पूछा- अपना नाम तो बताओ?
तब उसने नाम बताया- मेरा नाम प्रिया है.
मैंने कहा- अच्छा है.
उसने कहा- क्या? क्या अच्छा है?
मैंने सोचा कि कह दूं कि तुम्हारी खिलती जवानी के लिए कहा है कि अच्छा हुस्न है … मगर सामने से मैंने कहा- तुम्हारा नाम भी और तुम भी.
फिर एक छोटी सी स्माइल के साथ में वहां से अपने कमरे में चला गया. मैं कुछ मिनट बाद उसके पास कपड़े चेंज करके आया और बेबी के साथ खेलने लगा.
अब तक मौसी भी आ गई थीं, मेरी चाय रखी थी. मैं चाय पीते हुए उसकी तरफ देखा और हाथ के इशारे से चाय अच्छी बनी होने का कहा.
उसने मुस्कुराते मुझे देखा और मौसी से कहा- अब मैं जाती हूं आंटी.
मौसी ने कहा- हां जा … और आती रहा कर … हां!
उसने कहा- हां मौसी ठीक है … मैं फिर आऊंगी.
ये उसने मुझे देखते हुए कहा. मैंने भी स्माइल पास कर दी और सोचा कि इसने मुझे देखते हुए क्यों कहा?
मेरे मन में बहुत सारे सवाल एकदम से आ गए कि क्या ये लड़की मुझे लाइन दे रही है … यदि ऐसा है तो इस पर ट्राय करने कोशिश करने में क्या जाता है.
बस अब मैंने ठान ली कि इसको जरूर पटाऊंगा.
इस तरह मेरे उससे बात होनी शुरू हो गई. जब मैं मार्किट जाता, तब उससे हैलो हाय होने लगी थी. जब वो मेरे घर आती, तो मैं उस पर पूरी ट्राय मारता कि ये सैट हो जाए. वो मुझसे खूब बातें करने लगी थी और अब मेरे पास उसका फोन नम्बर भी आ गया था. हमारी चैट भी होने लगी थी.
मेरी बहुत कोशिशों के बाद मुझे एक मौका भी नहीं मिला. पर एक दिन जब बेबी की तबियत ख़राब हुई और मौसी उसे डॉक्टर के पास हल्द्वानी ले गईं … तो ये मुझे एक मौका समझ आया.
उस दिन मैं घर में अकेला था. मैंने सोचा कि आज मौका है, उसे प्रपोज करके देखता हूं कि क्या होता है.
मैंने ऐसे ही सोचते सोचते तय किया कि उसे मैसेज कर देता हूं कि मुझे कुछ काम है … क्या तुम मेरे घर आ सकती हो.
कुछ देर मैंने सोचा और उसे मैसेज कर दिया.
कोई दो मिनट बाद ही उसका मैसेज आ गया- क्या हुआ?
मैंने फिर मैसेज किया- कुछ काम था … घर आ सकती हो?
तब वहां से रिप्लाई आया- हां … रुको अभी आती हूं.
मैंने कहा- ठीक है … मैं वेट कर रहा हूँ.
तभी वो कुछ मिनट के बाद मेरे घर आ गई.
प्रिया- जी क्या हाल हैं … आज मुझसे क्या क्या काम पड़ गया?
मैंने कहा- बैठ तो जा महारानी.
मेरे इस अंदाज पर वो जोर से हंसी- हाहाहा … मैं महारानी … हां अब बोलो सेवक … क्या काम है?
उसका ये खुला रवैया देख कर मुझे अच्छा भी लगा और मेरी हिम्मत भी बढ़ गई.
मैंने कहा- बस बहुत दिन से सोच रहा था कि तुमसे कहूँ या कुछ पूछ लूं … इजाजत है क्या?
तब उसने राजसी अंदाज में कहा- हां पूछो.
मैंने संजीदा होकर उससे कहा- प्रिया तुम्हारा …
इतना कह कर मैं रुक गया.
शायद वो मेरी बात को समझ रही थी.
एक पल बाद वो मुझे देखते हुए बोली- हां मेरा क्या … आगे तो बोलो.
मैं- तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
प्रिया समझ गई और आंख नचाते हुए ऊपर नीचे देखते हुए बोली- ब्वॉयफ्रेंड … हूँ … ऐसा तो कोई नहीं है. क्यों क्या हुआ?
मैंने कहा- तो आगे बनाने की सोची है?
उसने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा- पहले कोई मिले तो सही!
मैंने कहा- अगर मैं कहूँ कि मेरी गर्लफ्रेंड बन जाओ … तब क्या कहोगी तुम?
उसने एकदम से नजरें झुका कर धीमी सी आवाज में कहा- हां बना लो.
मैंने कहा- सच्ची … मजाक तो नहीं कर रही हो ना!
उसने सर उठा कर कहा- नहीं.
तब मैंने उसे उसके टॉप से पकड़ कर आगे खींचा और सीधा उसके होंठों को चूम लिया. मैंने उसे चूमते हुए आई लव यू कहा, तो उसने भी मुझे आई लव यू टू कहा.
वो खुद मुझे चूमने लगी थी.
उम्म … उम्माह …
इस छोटे से मगर पहले किस से मेरी नसें हिल गई थीं. कसम से उसके होंठों चूस कर मज़ा आ गया था.
फिर मैं भी कहां कम था. मैंने उसे हाथ से उठा कर अपनी गोद में उठा कर दीवार से सहारे लगा दिया और उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
उम्म … उम्माह …
वो भी मेरे साथ लग गई और उसने भी मुझे चूमना चालू कर दिया.
कभी मैं उसकी जीभ को चूसता, तो कभी होंठों को चूसने लगता. उसे चूमने में मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था.
हम दोनों की सांसें गर्म होने लगी थीं.
मैं अब आराम से प्रिया की गर्दन को चूमता हुआ नीचे आने लगा. वो भी उत्तेजित होकर मेरे बालों को नोंच रही थी. कसम से मुझे उसकी इस हरकत से जरा सा भी दर्द नहीं हो रहा था. बस मैं चूमता हुआ उसके नीचे आता गया. मैंने उसका टॉप उतार कर उसके तीस साइज के संतरों जैसे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया.
उसके निप्पल कड़े हो गए थे. वो खुद भी मुझे अपने दूध पर दबाते हुए मजा लेने में लग गई थी.
बस फिर क्या था … मैंने उसकी ब्रा को निकाल दिया और उसके एक निप्पल को अपने मुँह में दबा लिया. उसकी मादक सीत्कार निकल गई. मैंने उसके इस निप्पल को इतना चूसा कि वो लाल हो गया.
उसकी पैंटी भी गीली हो गई थी, जो मुझे उसका लोअर उतारने के बाद पता चला. मैं उसकी पैंटी को सूंघने लगा. शायद उसकी कामना थी कि मैं खुद उसकी पैंटी उतारूं.
दोस्तो, मैंने उसकी वो विश बिना कहे सुन ली थी.
मैंने बड़े ही प्यार से उसे बेड पर लेटाया और उसकी टांगों को फैला दिया. फिर मैंने बिस्तर से नीचे बैठ कर मैंने उसकी पैंटी को किस किया. उसने बड़े ही मादक अंदाज से ‘उम्म्म्म..’ किया … इसी के साथ उसने अपने हाथों से चादर को पकड़ लिया.
फिर मैंने बड़े प्यार से उसकी पैंटी को उसकी टांगों से निकाल दिया. आह सामने जन्नती सीन था.
कसम से दोस्तों मैं उसकी कमसिन चूत को देखता ही रह गया. छोटी सी हल्की पिंक सी चुत मेरे सामने किसी मासूम कली के जैसे लुपलुप कर रही थी.
मैं ठगा सा एक मिनट तक उसकी चुत को देखता ही रहा. फिर उसने बोलने पर मैं होश में आया.
प्रिया- क्या हुआ तुम्हें?
मैंने कहा- वोऊ यार … तुम्हारी चुत ने तो मुझे पागल कर दिया.
उसने मेरे मुँह से चुत शब्द सुनकर धत्त बोलते हुए आंखें बंद कर लीं. मैंने जब उसकी चुत पर किस किया, तो पता नहीं मैं अपने होंठों को वहां से हटा ही नहीं पाया.
इधर मैं एक बात जरूर कहूँगा दोस्तो … कि मुझे होंठों को पीना बड़ा पसंद है … फिर चाहे वो मुँह के हों या चुत के … बस मन करता है कि पीता ही जाऊं … बस पीता ही जाऊं.
यहां भी मेरे साथ ऐसा ही हुआ. जब तक मैंने उसका लव जूस नहीं निकला, तब तक मैंने चुत को पीना नहीं छोड़ा.
जब उसकी चुत से रस गिरा, तो उसने किलकारी मारते हुए कहा- आह … मैं गई … तुमने तो मेरी जान ही ले ली.
उसने मेरी गर्दन को अपनी जांघों से दबा कर मुझे जकड़ लिया था. मैं खुद भी उसकी चुत का नमकीन अमृत चाटने से पहले उधर से हटना ही नहीं चाहता था.
कसम से दोस्तो … उसकी चुत चाट कर हम दोनों का तो हाल ही खराब हो गया था. हम दोनों किसी जन्मों के प्यासे की तरह अपनी आंखों में वासना के लाल डोरों से एक दूसरे को निहार रहे थे.
इस खेल मैं जो भी कहो, बड़ा मज़ा आ गया था. लव जूस को पीने के बाद मेरी आंखों में एक बोतल शराब का नशा भर गया था और वो निढाल होकर बिस्तर अपर सीधी लेट गयी थी.
उसे नंगा लेटा देख कर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए थे. उसके बाद जब उसने मेरे लंड को देखा, तो उसकी आंखों में चमक आ गई थे कि जैसे उसने अपना पसंदीदा खिलौना देख लिया हो.
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसे फिर से गर्म करने लगा था.
ये ताज़ी जवानी का गर्म खून था. एक मिनट में ही वो फिर से गर्मा गई. वो बोली- प्लीज़ अब डाल दो ना … अब मुझसे और इंतजार नहीं होता … कब तक रुलाओगे मेरी चुत को?
वो इतनी जल्दी चार्ज हो जाएगी, मुझे उम्मीद ही ही नहीं थी. मगर उसने बड़ी कामातुरता और प्यार से अपनी टांगों को खोल दिया.
प्रिया अपनी चुत पर हथेली फेरते हुए बोली- आओ ना प्लीज़.
जब उसने प्यार की चुदाई के लिए मुझे आमन्त्रित किया तो मैं खुद को रोक नहीं पाया और बस उसके ऊपर चढ़ कर उसके होंठों को किस करते हुए मैंने बड़े ही प्यार से उसकी चुत में अपना लंड सैट कर दिया. उसने मुझे चूम कर इशारा दिया.
मैंने दबाव दे दिया. मुझे पता था कि ये उसका फर्स्ट टाइम है. तब मैंने बड़े ही आराम से अपने लंड को हल्के हल्के से अन्दर डालता गया.
वो अपने दांतों को भींचे हुए दर्द सहन कर रही थी. मेरा लंड अभी थोड़ा सा ही अन्दर गया था कि रुक गया.
मैं समझ गया कि ये बैरियर पर अटक गया है. बिना खूना-खच्ची किये अन्दर नहीं जाने देगा.
मैंने भी उसके होंठों को छोड़ कर उसके मम्मों को चूसना और दबाना शुरू कर दिया, जिससे उसे हल्का सा आराम मिलने लगा. मैंने फिर से उसके होंठों को चूसना शुरू किया और अचानक से उसकी चुत में लंड का झटका दे मारा.
मेरा ये जबरदस्त धक्का उसकी चुत को चीरता हुआ सीधा उसकी बच्चेदानी पर जाकर रूका.
प्रिया की चीख तो होंठ बंद होने से न निकल सकी मगर उसकी आंखों में आंसू आ गए. मुझसे उसका दर्द देखा नहीं जा रहा था पर क्या किया जाए. ऊपर वाले ने बिना दर्द के सुख देने की स्कीम अभी तक बनाई ही न थी.
मैंने उससे सॉरी कहा और उसे सहलाने लगा.
उसने कहा- पगले, ये मेरी ख़ुशी के आंसू हैं … जिससे प्यार किया है, उसे पूरा दिल और जिस्म भी दे दिया है.
उसकी ये बात सीधी मेरे दिल पर लगी. मैंने उसे बड़े प्यार से उसके माथे की पप्पी ली और उसके आंखों को देखकर उससे ‘आई लव यू सो मच..’ कहा.
फिर मैंने बड़े प्यार से उसे चोदना शुरू किया. हर धक्के के साथ उसके नाखून मेरी पीठ पर गड़ते चले गए, जो मुझे दर्द नहीं … उसके प्यार की निशानी दे रहे थे.
कसम से दोस्तो, मैंने उसे बड़े प्यार से चोदा … उसके जिस्म के हर एक हिस्से को चूमते हुए उसकी प्यार की चुदाई की.
बीस मिनट बाद हम दोनों चरम सीमा पर आ गए थे. वो एकदम से अपने बदन को ऐंठते हुए झड़ गई और उसी की गर्मी में मैं भी झड़ने लगा.
हम दोनों साथ में एक दूसरे के रस का मजा लेने लगे.
एक लम्बी ‘आह..’ की आवाज़ कमरे में गूँज गई थी … जिसमें उसका और मेरा प्यार साफ साफ झलक रहा था.
उसके बाद आधा घंटे तक मैं और वो यूं ही पड़े रहे. जब उठे तो उसने जल्दी से कपड़े पहने और मेरे होंठों पर किस करते हुए कहा- मौसी आने वाली होंगी, मैं जाती हूं. बाद में आऊंगी.
मैंने कहा- कुछ निशानी तो देकर जाओ.
वो मुझे अपनी पैंटी देकर चली गई, जो आज भी मेरे पास है.
फिर वो चली गई.
दोस्तो, कभी कभी सेक्स बिना प्यार के भी होता है मगर मेरा अनुभव है कि जो सेक्स प्यार में होता है, उसका कोई मुकाबला ही नहीं होता है.
अब मुझे इजाजत दीजिएगा. आप मुझे मेल करके बताना जरूर कि आपको प्रिया की प्यार की चुदाई की कहानी कैसी लगी.
आपका अच्छा रेस्पॉन्स मिला, तो एक सेक्स कहानी और लिखूंगा कि जब वो जा रही थी, तब मैंने उसे छोड़ने जाने के बहाने एक होटल में ले जाकर कैसे चोदा और उसे गुडबाइ चुदाई कहा.
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