नमस्ते फ्रेंड्स, उम्मीद है आप सब मस्ती में होंगे. मैं माफी चाहता हूँ, थोड़ा बिज़ी था, इसलिए आप सबसे मुखातिब होने में जरा देरी से आ पाया.
मैं अपनी कहानी के साथ आप सबके सामने हाजिर हूँ, मज़ा लीजिए.
यह बात करीब 36 महीने पहले की है. एक बार मैं अपने दोस्तों के साथ अपने शहर में घूम रहा था. हम लोगों ने सोचा कि चलो समोसे खाते हैं. बस हम तीनों दोस्त समोसे की दुकान पर गए और समोसे लिए.
अभी हम समोसे खा ही रहे थे कि मेरी नज़र सड़क पर पड़ी एक सिम पर गई. मैंने समोसे की प्लेट एक तरफ रखी और उसे जाकर उठा लिया. सिम उठाते समय सोचा कि यदि सही हुई तो इससे कुछ फर्जी काम करेंगे. सिम को देखा तो वो रिलाइंस की थी. मैंने उसे अपनी जेब में डाल लिया. कुछ देर यूं ही मस्ती करने के बाद हम सभी अपने अपने घरों को वापस आ गए.
उस वक़्त मेरे पास कोई जॉब नहीं थी और मैं जॉबलैस होकर घूम रहा था. लेकिन कुछ ही दिनों में मेरी एक कम्पनी में जॉब लग गई थी.
एक दिन में अपने घर पर था. उस समय रात के करीब 11 बज रहे थे. तभी उस नम्बर पर एक मैसेज आया- तुम मुझे बेचैन करके कहाँ गायब हो गए हो, तुम्हारा फोन भी स्विच ऑफ़ आता है. इधर मैं पागल हो रही हूँ कि वो कौन है जो मुझे इतना चाहता है.
मैं सोचने लगा कि ये किसका मैसेज हो सकता है. मैंने उस नम्बर पर कॉल किया तो मेरी कॉल रिसीव नहीं हुई.
फिर अगले दिन ऑफिस टाइम में मुझे कॉल आई और एक लड़की की आवाज आई, उसने कहा- पहचाना मुझे?
मैंने कहा- नहीं.
‘नाटक मत करो.’
‘अरे भाई, मैं वाकयी तुम्हें नहीं पहचानता हूँ.’
फिर उसने बताया- अरे यार मैं जान्हवी हूँ. तुमको याद नहीं, तुम मेरी साइकल में अपना लेटर और नम्बर छोड़ गए थे. मैं तुम्हें जानती भी नहीं हूँ, फिर भी तुम्हारा लेटर पढ़ने के बाद से मैं तुमसे मिलने के लिए बेचैन हूँ.
अब मुझे समझ में आया कि ये उस लड़के का काम होगा, जिसकी ये सिम है.
मैंने उसे कुरेदते हुए कहा- यार, अभी सही से कुछ याद नहीं आया. थोड़ा ठीक से बताओ न.
फिर उसने कहा- चलो याद आ जाएगा, कोई बात नहीं.
उस वक्त फोन कट गया, लेकिन जल्द ही उसका फोन फिर से आया. मैंने उसका नम्बर सेव कर लिया था. अब हम लोगों की हल्की फुल्की बातें होने लगीं. मैंने अपनी पहचान उसे नहीं बताई, बस उसे उसी भ्रम में रहने दिया कि मैं वही लड़का हूँ.
फिर एक हफ्ते बाद मैंने उससे कहा- मुझे तुम्हें देखने का मन हो रहा है.
वो बोली- घर आ जाओ.
मैंने उसके घर का पता पूछा, तो वो पता मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं था. उसके घर में पैदल ही निकल गया. उस टाइम शाम के 7:30 बज रहे थे.
उसने बताया कि उसकी माँ उसकी मौसी के यहां गई हैं और भाई अभी कोचिंग में है.
मेरा शैतानी दिमाग़ जाग उठा और मैं उसे देखने पहुंच गया. उसकी गली बिल्कुल ही शांत एरिया में थी. अब अड्रेस नहीं बता रहा हूँ … वरना मिर्ज़ापुर के कुछ रंणबांकुरे उसके घर तक़ पहुंच जाएंगे. वो क्या है ना कि हम मिर्ज़ापुरयों को अपने टेलेंट पर पूरा भरोसा होता है.
फिर मैं उसके घर की तरफ गया और उसे बाल्कनी पर आने को कहा. वो बाहर आई, तो मैं उसे देखता ही रह गया. क्या गजब की आइटम थी. बिल्कुल पर्फेक्ट माल थी. उसका 32-28-32 का फिगर बड़ा ही गजब था.
मैंने उसे देखते हुए करीब दस मिनट बात की, फिर अगले दिन मिलने का वादा करके अपने घर चल आया.
फिर मैं अगले दिन अपने टाइम से पहले ही ऑफिस छोड़ कर उसके घर के नीचे आ गया. वो उस वक्त नीचे ही खड़ी थी. मैंने गली के बाहर से ही कहा कि अपने घर का चैनल खोल कर रखो, मुझे अन्दर आना है.
पहले तो उसने मना किया, पर फिर मान गयी. वो इस बात पर मानी कि मैं ज्यादा देर नहीं रुकूँगा.
मैंने ओके कहा और उसे चैनल खोल कर रखने को कहा. उसने अपने घर का चैनल खोला. उस वक्त लाइट नहीं आ रही थी, तो अंधेरा सा था. मैं सीधे उसके घर में घुस गया.
फिर मैंने उससे कहा- चैनल बंद कर दो, कहीं कोई आ ना जाए.
उसने कहा- नहीं जाने दो, अभी तुम्हें जाना भी तो है.
मैंने कहा- मैं अभी तो आया हूँ और तुम्हें मुझे भगाने की जल्दी पड़ी है. यार कम से कम कुछ खिला पिला तो दो.
मेरी इस बात पर वो हंसने लगी और बोली- चलो ऊपर चलो.
उसने चैनल जैसे ही लॉक किया, मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया. वो मेरे इस कदम से एकदम से शॉक्ड हो गई और कहने लगी- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- यार मेरे होते हुए तुझे सीढ़ियां चढ़ने की क्या ज़रूरत है, मैं हूँ ना तुम्हारे लिए.
वो कुछ नहीं बोली, बस मंत्रमुग्ध होकर मुझे देखने लगी. फिर मैं उसे उठा कर ऊपर ले गया.
एक मिनट के लिए आप भी सब ये सोच रहे होंगे कि पहली ही मुलाक़ात में ये सब क्या हो रहा है.
तो दोस्तो, आपको बता दूँ कि बीच में जो एक हफ्ते का गैप बात करने के लिए मिला था, उसमें हम दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया था. अब पता नहीं वो प्यार था या बस अपनी गर्मी शांत करने का तरीका था.
गर्मी शांत करने का तरीका मैं इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि आज के दिन के बाद हम दोनों ने कभी एक दूसरे को कॉल नहीं किया, ना ही बात की. तो चलिए अब वापस कहानी पर आता हूँ.
मैं उसे अपनी गोद में उठा कर ऊपर ले गया. कमरे में आते ही मैंने उसे गोद से उतारा. उसके बाद वो जैसे ही नीचे उतरी, तो हमारे होंठ आपस में मिल गए. उसने भी मुझे एकदम से जकड़ लिया. करीब 5 मिनट के बाद जब हम दोनों के होंठ अलग हुए, तो नज़ारा कुछ और ही था.
अब मेरा एक हाथ उसकी चुची पे था और दूसरा उसकी कमर में था. उसका हाथ मेरे खड़े लंड पर आ गया था. उसके इस कदम से मुझे समझ आ गया कि आज लौंडिया चुदने को मचल रही है.
जब हम अलग हुए, तो वो कहने लगी- यही प्यास बुझाने आए थे क्या?
मैंने कहा- हां जानेमन … यही प्यास बुझाने आया था.
फिर उसने बताया कि आज वो अकेली ही है, उसकी माँ और छोटा भाई नानी के यहां वाराणसी गए हैं.
मुझे लगा मानो मन मांगी मुराद मिल गई. मैंने तुरंत ही उसे बड़े प्यार से बेड पर लिटाया और उससे बोला- आई लव यू जान.
उसने भी मुझे चूमते हुए बोला- आई लव यू टू.
बस हम दोनों फिर से किस करने लगे.
धीरे धीरे मेरा हाथ उसकी 32 साइज़ की चूचियों की तरफ बढ़ने लगा और फिर से मैं उसके मम्मे दबाने में लग गया. मैं अभी उसके टॉप के ऊपर से ही उसकी चुचियां दबा रहा था.
तभी उसने भी फिर से मेरा लंड पकड़ लिया था जो कि उसके हाथों का ही इंतजार कर रहा था. फिर मैंने अपना हाथ थोड़ा सा साइड में कर के नीचे से उसके टॉप के अन्दर ले गया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चुचियां दबाने लगा.
अब मैंने धीरे से उसके कान में पूछा- तुम्हारे कपड़े निकाल दूँ.
उस पर सेक्स का भूत सवार हो चुका था. उसने धीमी नशे में डूबी आवाज में कहा- ओके … क्या मैं भी तुम्हारे निकाल दूँ.
मैंने उसके गले पर अपने होंठ रगड़ते हुए कहा- नेकी और पूछ पूछ.
बस फिर 2 मिनट में हमारे कपड़े हमारा साथ छोड़ चुके थे. वो मेरे सामने एकदम नंगी थी. मैं उसकी चुचियों को निहार रहा था. मद्धिम पीले रंग की लाइट में उसकी चुचियां बड़ी मस्त लग रही थीं.
उसने मुझसे पूछा- क्या इरादा है?
मैंने कहा- खा जाने का.
उसने कहा- अच्छा बच्चू रूको मुझे भी कुछ खाना है.
मैंने कहा- जो मन चाहे खा लो, मैंने रोका है क्या?
उसने बिना कुछ बोले मुझे बेड पे धक्का दे दिया और तुरंत झुक कर मेरे लंड को मुँह में लेकर कर पागलों की तरह चूसने लगी.
लंड चुसाई का मजा मैं खुद को एक नसीब वाला बन्दा समझ रहा था. वो बड़ी तन्मयता से मेरे लंड को चूस रही थी, साथ ही मेरी गोटियों को भी सहलाते हुए पूरा मजा दे रही थी. बस इस सब से करीब 5 मिनट बाद ही मेरा लंड शांत हो गया. उसने मेरा रस निकाल दिया था.
फिर वो मुझे छोड़ते हुए बोली- नाउ योर टर्न.
अब मैं उठा और उसे लिटा कर उसकी चुचियां चूसने लगा, मैं एक दूध चूसता और एक को दबाता, बड़ा मज़ा आ रहा था. काफी देर तक़ हमारा ये चूसम चुसाई का खेल चला.
उसके बाद मैंने उससे कहा- आगे भी कुछ करना है या जाऊं?
उसने कहा- तुम खुद ही सोच लो क्या करना है.
मैं तो बस उसे देखता रह गया. कुछ देर और चूमने के बाद मैंने उसे सीधा करके चित लिटा दिया. फिर मैं नीचे आ गया. मैं उसकी चुत के पास आया और जीभ डालकर उसकी चुत को चूसने लगा.
वो शायद यही चाहती थी. उसने अपनी गांड उठाते हुए मुझसे अपनी चूत चटवाने का पूरा मजा लिया. करीब दस मिनट बाद वो झड़ कर शांत हो चुकी थी.
कुछ देर बाद वो बोली- मैं चुदना चाहती हूँ … प्लीज़ तुम जल्दी से मेरे अन्दर आ जाओ.
मैंने उसकी चूत की फांकों में लंड पिरोया और उसकी चूत पर लंड घिसने लगा. वो लंड को जल्द दसे जल्द खाना चाहती थी, मगर मैं अन्दर नहीं पेल रहा था.
उसने अकुलाते हुए गांड उठाई और कहा- यार अब और मत तड़पाओ … डाल भी दो.
मैंने ज़्यादा देर ना लगते हुए कहा- रुक जाओ जान … अभी अन्दर करता हूँ.
बस फिर मैंने उसकी चुत के छेद में लंड फंसाया और एक शॉट दे मारा. उसकी चुत बड़ी टाइट थी, पर ज्यादा टाईट नहीं थी.
मैंने उससे इसके बारे में पूछा, तो उसने बताया कि वो मोमबत्ती से चुदाई करती थी, पर आज इस मोटे और तगड़े लंड से करेगी. अब इतिहास बाद में बताऊंगी, जल्दी से पूरा अन्दर डालो.
जोश में मैंने भी लंड से फिर से एक शॉट लगाया और मेरा कुछ लंड चूत के कुछ अन्दर जा चुका था. वो हल्की सी कराही.
फिर दूसरे शॉट में मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर एक जोरदार झटका दिया और मेरा आधा लंड अन्दर जा चुका था. इस बार उसने दर्द के कारण मेरे होंठ ही काट लिए, तो मैंने भी जल्दी से गुस्से में बिना रुके अपना पूरा लंड अन्दर कर दिया और उसे दबा कर चोदने लगा.
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों शांत हुए. इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थी.
फिर उस दिन मैंने उसकी 3 बार चुदाई की और गांड भी मारी, लेकिन बाकी की हिंदी एडल्ट कहानी अगली बार आपके मेल प्राप्त होने पर लिखूंगा.
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