अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी में इन्हीं लेखक की पिछली हिंदी स्टोरी: रेलवे स्टेशन का काला अँधेरा और दो मोटे लंड
हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम सुधा है। मेरी उम्र 24 साल की है और मेरा फिगर 36-24-38 का है. मैं अयोध्या की रहने वाली हूँ। मैं थोड़ी सांवली सी हूँ और मेरे बूब्स खूब मोटे और टाइट हैं. मेरी गांड भी खूब भरी हुई और मोटी है।
यह अन्तर्वासना हिंदी स्टोरी तब की है जब 2 साल ही पहले मेरे पति का देहांत हो गया था। मेरी कम उमर में शादी हुई थी।
मेरे पति के जाने के बाद मुझे कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा; ये मेरी आपबीती में पढ़ें अब विस्तार से।
दो साल पहले जब मेरे पति का देहांत हुआ तब मेरे पास कुछ भी नहीं था. बस एक किराए का घर था, मुझे उसको भी छोड़ना पड़ा।
हम लोग बहुत ग़रीब थे. मेरे पति मज़दूरी कर के घर को चलाते थे. अब उनके जाने के बाद मेरे पास एक भी रूपया नहीं था और ना ही कुछ खाने को।
कुछ दिन तक तो मेरे रहने के लिए सिर पर एक छत थी लेकिन अब मैं उसका किराया नहीं दे सकी तब मुझे वो घर भी छोड़ना था. अब मैं सड़क पर आने वाली थी.
तभी मेरी पड़ोस में एक बहुत अच्छे स्वभाव की औरत रहती थी. उन्होंने मेरी परेशानी देखते हुए मुझे कुछ पैसा दिया खाने को और मुझे बोली- मेरी पहचान का एक घर है. अगर तुम उसमें अच्छे से काम करोगी तो वो तुमको रहने खाने और पहनने को भी देंगे. अगर तुमको कोई दिक्कत ना हो तो बताओ, मैं उनसे बात करूं।
मैं तैयार हो गयी और वो मुझे अपने साथ एक घर में ले कर गयी. वो एक डॉक्टर का खूब बड़ा सा घर था. उन्होंने मुझे उस घर की मालकिन से मिलवाया जो डॉक्टर थी.
उनको मेरी सारी बात बतायी और वो मुझे अपने घर में रखने के लिए तैयार हो गयी।
मैं उस घर में नौकरानी के तरह रहूंगी।
अब मैं उनके यहाँ रहने लगी. उनके सारे घर का काम करने लगी. उनके अलावा घर में उनका एक बेटा अखिल जो 21 साल का था और उनके पति भी थे.
और एक ड्राइवर था उस घर में और अब मैं भी थी उस घर में।
मालकिन ने मुझे अपने बहुत सारे पुराने कपड़े भी पहनने के लिए दिए थे. वो भी बहुत सेक्सी सेक्सी कपड़े पहनती थी. अब उनका शरीर मुझे थोड़ा कम था इसी लिए मुझे उनके सारे कपड़े बिल्कुल फिटिंग के आते थे।
जब भी मैं काम करती या चलती तो उनका लड़का अखिल और उनके पति दोनों मुझे बड़े ध्यान से देखते।
उनका ड्राइवर तो बहुत हरामी था, वो हमेशा मुझसे डबल मीनिंग बातें करता और ताड़ता रहता।
कुछ दिन ही बीत गए. मेरी भी ज़िंदगी अब पहले से बेहतर हो गयी थी। फिर जब भी कभी बाज़ार से कोई सामान लाना होता तो मैं ड्राइवर के साथ जा कर ले आती.
एक दिन ड्राइवर ने बिना बताए एक हफ्ते की छुट्टी मार ली. मुझे गाड़ी चलानी नहीं आती तो मालकिन को मेरे साथ बाज़ार जाना पड़ता।
जब एक हफ्ते बाद वो आया तो मेरी मालकिन ने उस पे बहुत गुस्सा किया. वो खड़ा चुपचाप सुनता रहा.
फिर उन्होंने उससे बोला कि वो मुझे गाड़ी सीखा दे ताकि मुझे कोई समान लाने जाने हो तब मैं खुद जा कर ला सकूं.
यह बात सुनते ही जैसे उसका चेहरा खिल गया और उसने बोला- ठीक है मेम साहब, मैं सिखा दूँगा।
मालकिन ने मुझे बोला- सारा काम खत्म कर के दोपहर में इससे सीख लेना।
कुछ देर बाद वो अपने अस्पताल चली गयी. और अब मैं अकेली थी घर में!
और बाहर ड्राइवर था.
मैंने सारा काम खत्म किया, ड्राईवर को खाना दिया और खुद भी खाकर बाहर चली आई.
घर के साइड में ही थोड़ा सा मैदान तो वो भी मुझे गाड़ी में बिठा के उधर ले गया और फिर खुद उतर गया और मुझे ड्राइविंग सीट पर बैठने को बोला. वो खुद मेरी बगल वाली सीट पर बैठ गया.
उसने मुझे गाड़ी के पार्ट्स के बारे में बताया और बोल कर अच्छे से समझाया कि गाड़ी कैसे चलती है. मुझे एक्टिव चलाना आता था तो मुझे ये सब समझ में आ गया था.
फिर उसने मुझसे गाड़ी स्टार्ट करने को कहा. मैंने गाड़ी स्टार्ट कर ली तो उसने पहला गीयर डाल दिया और मुझे धीरे धीरे क्लच छोड़ रेस देने को बोला और आगे बढ़ने को बोला.
मैंने रेस ज़्यादा ले लिया और बार बार गाड़ी बंद हो जा रही थी.
तब वो अपनी सीट से उतरा और मेरी सीट के तरफ आ कर बोला- बाहर निकलो.
और पहले वो खुद बैठ गया और फिर मुझे अपने ऊपर बैठने को बोला।
मैंने बिल्कुल वैसा ही किया जैसा उसने बोला. और हाँ … आज मैंने सलवार और सूट पहना था जिसमें मैं कभी दुपट्टा और ब्रा नहीं पहनती जिससे मेरे टाइट क्लीवेज़ एकदम साफ दिखती है.
और उस टाइम ड्राईवर उसीको देख भी रहा था.
अब उसने कार स्टार्ट किया और मुझे स्टेयरिंग संभालने के बोला. और मैं धीमे धीमे कार चलाने लगी.
और तभी अचानक से सामने एक पत्थर था जो मैंने देखा नहीं और उस पे टायर को चढ़ा दिया जिससे हम दोनों उछल गये और उसने अपने हाथों में मेरे बूब्स को थाम लिया।
अब गाड़ी मैंने रोक दी तो उसने तुरंत हाथ हटा लिया और फिर से मुझसे चलने को बोला. अब कुछ देर तक चलाने के बाद मैंने जान बूझ कर फिर एक हचके में कुदा दिया और अबकी फिर उसने मेरे दोनों बूब्स को थाम लिया.
अबकी बार वो उनको हल्के हाथों से मसलने लगा और गाड़ी चलती रही. साथ ही साथ मैं मज़ा भी लेने लगी. उसके स्पर्श का अब मेरे कोई भी विरोध ना करने के वजह से उसका हौसला बढ़ गया और वो अब तेज़ तेज़ मेरे दोनों चूचों को दबाने लगा.
कुछ देर बाद उसने मेरे शर्ट के नीचे से हाथ डाल कर पहले तो मेरे पेट को सहलाया. फिर मेरी नाभि में अपनी उंगली घुसने लगा. और फिर वो आगे बढ़ता गया. अब उसका हाथ मेरी चूचियों के नीचे पहुँच गया.
लेकिन सूट फिटिंग का था तो अंदर से दबाना मुश्किल था तो उसने मेरा कमीज ऊपर कर दिया.
अब मेरे दोनों बूब्स बाहर आ गये और वो उनको दबाने और मसलने लगा.
मैंने अपने घर के पीछे वाली दीवार के सामने से गाड़ी को खड़ा कर दिया जिससे कोई हम दोनों को देख ना सके और मैंने गाड़ी बंद कर दी और उस पर निढाल हो गयी.
अब वो अपने एक हाथ से मेरी चूचियों की नाप ले रहा था. दूसरे हाथ से उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर अपना हाथ मेरी चूत में घुसा दिया.
उसकी इस हरकत से मेरी सिसकारी निकल गयी।
अब उसने मुझे साइड वाली सीट पर एकदम सीधा कर के लिटा दिया और मेरी मुझे पूरी नंगी कर दिया. वो मेरी चूत को सूंघने लगा और अपने दोनों हाथ मेरे दोनों चूचों पर रख कर फिर से उन्हें मसलने लगा.
और अब वो अपना पूरा मुँह मेरी चूत में डाल कर खूब अच्छे से चूसने वा चाटने लगा.
कुछ देर तक मैंने आँख बंद करके इस सुखद पल का अनुभव किया.
अब वो सीधा हुआ और उसने अपनी पैंट नीचे सरका दी. उसका लौड़ा 6 इंच का था. मैं उसको अपने मुँह में भरकर चूसने लगी अंदर तक पूरा!
और वो आनंद ले कर अपना लंड चुसवा रहा था।
कुछ देर बाद उसने मुझे सीधे लिटाया और खुद के पर्स से एक कंडोम निकाल कर अपने लंड पर चढ़ाया और फिर वो मेरे ऊपर चढ़ गया. मेरी चूत में उसने अपना लंड डाला और मुझे चोदने लगा. वो अपने दोनों हाथों को मेरी चूचियों पर रख कर दबाने भी लगा. कुछ देर की चुदायी के बाद वो मेरे अंदर ही झड़ गया.
थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और अपने कपड़े पहन कर घर आ गये.
मैं अंदर आकर सो गयी.
फिर शाम को 5 बजे मेरी आँख खुली तो मैंने दो कप चाय बनायी और बाहर ले कर आ गयी. ड्राइवर को बुला कर उसे चाय दी और मैं उसके साथ बैठ कर चाय पीने लगी।
ड्राइवर- यार आज तो मज़ा आ गया तुम्हारी चूत मार के! तुमको कैसा लगा?
मैं- मुझे भी बहुत मज़ा आया. बहुत दिनों से नहीं चुदी थी मैं।
ड्राइवर- अब रोज़ तुम्हारी चूत ऐसे ही लूँगा. तुमको कोई दिक्कत तो नहीं?
मैं- नहीं, मुझे कोई दिक्कत नहीं … बस घर पर किसी को नहीं पता चलना चाहिए।
ड्राइवर- नहीं यार, तुम उसकी चिंता मत करो.
वो खड़ा हुआ और अपने पैंट की चैन खोल कर लंड बाहर कर दिया, वो बोला- यार, एक बार मेरा लौड़ा चूस लो।
अभी उसका लौडा खड़ा नहीं था।
मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले कर दबाना शुरू किया और कुछ ही देर में उसका लंड खड़ा हो गया. मैंने खूब चूसा उसका लंड … कभी टोपा … तो कभी पूरा अंदर तक लिया. तो कभी उसकी दोनों गोलियों को अपने मुँह में लेकर चूसा.
और वो भी लंड मेरे मुँह में डाल कर बार बार झटके मार रहा था. करीब 10 मिनट तक उसका लंड चूसने के बाद उसने मेरे मुँह में ही अपना सारा माल छोड़ दिया और मैंने सब पी लिया.
मैं अंदर आ गयी अब.
कुछ देर बाद बाकी सब लोग भी घर आ गये थे तो सबको चाय नाश्ता दिया और कुछ देर बाद रात का खाना खाकर सब सो गये।
अब अगली सुबह को मैंने रोज़ की तरह सब काम किया. तभी मुझे मालूम चला कि आज दोपहर मालकिन और साहब ड्राइवर के साथ कहीं बाहर जा रहे हैं और ये लोग दो दिन बाद आएँगे.
उनका बेटा अखिल ही सिर्फ़ घर में रहेगा क्योंकि उसका कॉलेज था.
तो मालिकन ने मुझे उसका ध्यान रखने को बोला और दो बजे वो सब चले गये।
अब मैंने मालकिन की दी हुए एकदम सेक्सी सी नाईटी पहन लिया. कुछ देर में उनका बेटा अखिल भी घर आ गया. उसने मुझे पूरा ऊपर से नीचे तक देखा.
लेकिन वो थोड़ा उदास लग रहा था तो वो सीधे अपने कमरे में चला गया.
मैंने उसके लिए चाय और कुछ नाश्ता बनाया और उसके कमरे में ले कर गयी।
अखिल लेटा हुआ था.
मैंने उसको बोला- लो चाय पी लो.
उसने बोला- नहीं पियूंगा. मेरा मन नहीं है, ले जाओ आप!
जब मैंने देखा कि वो थोड़ा उदास है तो उससे उसकी उदासी की वजह पूछा.
उसने कुछ नहीं बताया.
मेरे बहुत ज़ोर देने पर उसने बोला- अगर आपको बता भी दूँगा तो क्या मेरी परेशानी आप दूर कर दोगी?
उस पर मैंने बोला- बताओ तो … देखूँ शायद कोई समाधान हो मेरे पास।
अखिल ने बताया कि आज उसके दोस्तों की तरफ से पार्टी है और उसकी कपल्स थीम है. पर उसकी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है. एक लड़की से उसने पूछा भी तो उसने भी उसके साथ जाने को मना कर दिया. इसी बात को ले कर वो परेशान है।
मैंने उसका मूड ठीक करने के लिए बोला- क्यों, तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड क्यों नहीं है? इतने तो स्मार्ट हो तुम!
तब उसने बोला- यहाँ पर स्मार्टनेस नहीं, पैसा चलता है. जो लड़का जितना पैसा खर्च करता है लड़कियों पर … वो उसी के साथ रहती हैं. और मैं पैसा खर्च नहीं करता।
तब मैंने उसको बोला- तुम चिंता मत करो. कोई इंतज़ाम हो जाएगा.
फिर मैं बोली- अगर तुमको दिक्कत ना हो तो क्या मैं तुम्हारे साथ चल सकती हूँ तुम्हारी गर्ल फ्रेंड बन के? क्योंकि ये तो ज़रूरी है नहीं कि उसी कॉलेज की कोई लड़की हो तुम्हारी फ्रेंड; बाहर की भी तो हो सकती है?
इस बात से वो एकदम से खुश हुआ और बोला- ये तो बिल्कुल ठीक आइडिया है. अब आप ही चलोगी मेरे साथ. लेकिन क्या आप शॉर्ट ड्रेस पहन लोगी?
मैं बोली- हाँ!
तब उसने कहा- ठीक है. शाम को आप तैयार रहना. ड्रेस आपके लिए मैं लेकर आऊँगा.
अब अखिल ने नाश्ता किया और थोड़ी देर सो गया.
फिर जब शाम को उठा तो चला गया मार्केट मेरे लिए ड्रेस लेने!
तब तक मैं भी बढ़िया से नहा धो ली और मैंने तौलिया बाँध लिया.
कुछ देर बाद वो घर आ गया. मेरे लिए वो बिल्कुल शॉर्ट मिडी ले कर आया और बोला- जल्दी से आप इसको पहन कर तैयार हो जाओ. जब तक मैं भी तैयार हो लेता हूँ।
जब मैंने उसको पहना तो उसका पीछे से बिल्कुल ओपन था और नीचे से बस मेरी जाँघ तक थी. उसमे मेरी 36″ की बड़ी चूचियां एकदम टाइट थी जो बिल्कुल बाहर को बहुत ज़्यादा दिख रही थी.
और मेरी 38″ की गांड का पूरा आकार तो बिल्कुल उसमें बाहर से साफ साफ दिख रहा था।
उसके बाद मैंने थोड़ा सा मेकअप किया और मैं तैयार हो गयी. अब अखिल भी नीचे आया और मुझे देखकर बोला- क्या लग रही हो आप!
मैं बोली- अच्छा अब ज़्यादा तारीफ मत करो और चलो।
हम दोनों बाहर आए और मालकिन के गाड़ी से हम लोग पार्टी में आ गये।
वहाँ सबकी नज़र मुझ पर ही थी. अखिल ने मुझे अपने सब दोस्तों से मिलवाया. और हम लोग अब डान्स करने लगे. वहाँ पर दारू भी चल रही थी तो मैंने भी ४ पॅग पी लिए और मैं पूरी टल्ली हो गयी.
अब अखिल ने मुझे संभाला और बाहर ले कर आया. वहाँ से आने का मेरा बिल्कुल भी मन नहीं था लेकिन वो ज़बरदस्ती मुझे लेकर चला आया।
हम घर आए. मुझे इतनी चढ़ गयी थी कि मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी, तो वो मुझे गोद में उठा कर अपने कमरे में ले आया और मुझे बेड पर लिटा दिया.
अखिल ने मेरी सैंडल उतारी और मेरे सारे कपड़े उतार दिये. अब मैं उसके सामने पूरी नंगी लेटी थी.
तो उसकी नियत भी मुझपे खराब हो गयी. उसने अपने सारे कपड़े उतार कर मेरी चूत को बड़ी देर तक चाटा और फिर मेरी चूचियों की दबाया और मेरे मुँह में लंड डाल कर चुसाया.
और फिर रात भर जम कर मेरी चूत चुदाई की और मेरे ऊपर ही सो गया।
अब जब सुबह मेरी आँख खुली तो मेरे सिर में दर्द था. जब मैं होश में आई तो देखा हम दोनों बिल्कुल नंगे थे.
मुझे रात में ज़्यादा होश तो नहीं थी लेकिन समझ में सब आ गया था.
मैं उठने लगी तो अखिल भी जाग गया और बोला- गुड मॉर्निंग … कैसी हो?
मैंने पूछा- कल रात को क्या हुआ था?
तब उसने बोला- वही जो तुम चाहती थी.
मैं बोली- ये सब ग़लत है. और अगर मालकिन को पता चल गया तो वो मुझे घर से निकल देंगी.
इस पर उसने बोला- उनको कैसे पता चलेगा? मैं बोलूँगा नहीं और तुम भी मत बताना. हम दोनों एक दूसरे के काम आ सकते हैं.
मैंने पूछा- कैसे?
तब उसने मेरी चूची दबाते हुए बोला- ऐसे.
और फिर उसका लंड खड़ा हो गया. वो मेरे बगल लेट गया और मेरे हाथ अपने लंड पर रख कर सहलाने लगा. फिर मेरी गर्दन को पकड़ कर मेरे मुँह को अपने लंड पे रख दिया.
मैंने भी तुरंत मुँह खोल दिया और उसका लंड खुद से चूसने लगी.
कुछ देर बाद उसने मुझे उल्टा लिटाया और मेरी गांड के छेद में खूब सारा थूक भर दिया और अपना लंड आसानी से डाल कर मुझे चोदने लगा. कुछ देर मेरी गांड चोदने के बाद वो मेरी गांड में ही झड़ गया.
फिर मैंने नाश्ता बनाया.
और इसी तरह दो दिन तक उसने मुझे खूब जम कर चोदा.
फिर घर वाले आ गये।
इसके दो दिन के बाद ड्राइवर तो मुझे नियमित चोदता या कभी अपना लंड चुसवाता. और मालकिन का बेटा अखिल भी मुझसे यही करवाता. जब भी दोपहर को वो कॉलेज से आता तो अपना खाना अपने कमरे में मंगवा लेता और मुझे कभी अपना लंड चुसवता तो कभी घर खाली होने पर मेरी चूत भी बजा देता।
अब मेरे जीवन में रोज़ चुदना लिखा है।
मेरी चूत की चुदाई स्टोरी पढ़ने के लिए धन्यवाद.
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