कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ.
मेरा नाम दीपक है और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ.
आज से 2 साल पहले ये कहानी शुरू हुई थी.
उस वक्त हमने नया घर लिया था और जहां पर हमने नया घर लिया वह कॉलोनी एकदम खाली थी.
उस वक्त वहां बहुत कम लोग रहते थे.
मैं वहां अकेला बोर हो जाता था और सोचता रहता कि कैसी जगह घर लिया है, जहां कुछ नहीं है.
फिर अचानक ऐसा हुआ, जिसने मेरी सोच बदल दी.
हुआ यूं कि हमारे पास में एक खाली प्लाट था, जिसे एक पंजाब के किसी आदमी ने खरीदा था.
वहां मकान बनाने का काम शुरू होना था.
उन्होंने प्लाट पर काम शुरू होने से लेकर खत्म होने तक के लिए वहीं एक मकान किराए पर ले लिया और मेरे बाजू वाले उस मकान में रहने लगे.
उस फैमिली में तीन मेंबर थे. भैया का नाम हर्ष था और भाभी का नाम अविषा था. उनका एक छह साल का बच्चा अतुल भी था.
पंजाबी भाभी की उम्र कुछ 33 साल होगी और उनका फिगर 36-30-38 का था.
अविषा भाभी के बारे में मैं क्या बताऊं, उनके बारे में मैं जितना बोलूँ, उतना ही कम है.
वो सुंदरता की देवी थीं, जिनको देख कर ही कोई भी पागल हो जाए.
उनको जब पहली बार देखा, उस दिन से मैं बस उन्हीं के बारे में सोचने लगा था.
मैं रात दिन बस सेक्सी पंजाबी भाभी चुदाई के सपने देखता रहता और लंड हिला कर कब सो जाता, कुछ पता ही नहीं चलता.
उस दिन भी ऐसा ही हुआ.
मैं दोपहर का खाना खाकर भाभी के सपने देखता हुआ लंड हिलाने लगा और सो गया.
जब शाम को मेरी नींद खुली तो अविषा भाभी हमारे घर पर आई हुई थीं, वो मेरी मम्मी से बातें कर रही थीं.
उनको ऐसे अपने घर पर आया देख कर मुझे झटका सा लगा और विश्वास ही नहीं हुआ कि ये सपना है या हकीकत.
बाद में मम्मी ने मुझे बताया कि ये लोग अपने पास घर बना रहे हैं और अविषा जी मुझसे बात करने के लिए आई हैं कि इनकी कोई जरूरत हो तो हम इनकी मदद करें.
भाभी ये सब सुन रही थीं और मेरी तरफ देख रही थीं.
मैंने मम्मी की बात सुन कर एकदम से बोल दिया- हां जरूर भाभी जी, आपको कभी भी किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेहिचक बोल दीजिएगा.
भाभी जी ने मुस्कुरा कर थैंक्यू कहा.
उनकी मुस्कान देख कर मेरा दिल बाग़ बाग़ हो गया.
फिर उन्होंने हमारे पास में ही अपना नया घर बना लिया.
मकान बनने में काफी समय लगा.
उस दौरान भाभी काफी बार हमारे घर आती थीं और जब दिन में घर का काम चलता था, तो सारा दिन हमारे घर पर ही रहती थीं.
उनका बेटा अतुल मेरे साथ ही खेलता रहता था और भाभी से भी मेरी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी.
हम दोनों आपस में हर बात साझा कर लेते थे.
फिर बात तब की है जब मेरे मम्मी पापा नानी के घर गए हुए थे और मैं घर में अकेला भाभी को याद करके एक मस्त ब्लू फिल्म देख रहा था.
तभी दरवाजे की घंटी बजी.
मैंने पूछा- कौन?
उधर से अविषा भाभी की आवाज़ आयी- मैं हूँ.
मैंने बोला- हां अन्दर आ जाओ भाभी.
जब वो आईं, तो बोलीं- हमारा टीवी नहीं चल रहा है, जरा देख लो.
मैंने उनके घर जाकर देखा तो पता चला कि उसका रिचार्ज खत्म हो चुका था.
उनको मैंने बोला कि मैं रीचार्ज कर देता हूं.
मुझे याद आया कि मैं अपना मोबाइल तो अपने रूम में ही छोड़ आया हूँ.
मैंने भाभी से कहा कि प्लीज आप ले आओ.
जब मैं ब्लू फिल्म देख रहा था तो भाभी के आने से मैंने फ़िल्म बन्द नहीं की थी.
शायद जल्दबाजी में ऐसा हुआ था. मैंने सीधा बंद कर दिया था.
मैं अपने मोबाइल में कोई लॉक का पासवर्ड या पैटर्न नहीं रखता हूँ.
भाभी जब मेरा मोबाइल लेने गईं तो उन्हें वापस आने में थोड़ा टाइम लगा.
जब वो आईं तो उनके चेहरे पर कुछ अजीब सी स्माइल थी.
शायद उन्होंने फिल्म देख ली थी.
वो मुझे मोबाइल देती हुई बोलीं- दीपक जी, आप तो छुपे रुस्तम निकले!
मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी?
मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्होंने मेरे मोबाइल में कुछ स्पेशल देख लिया है.
मैं समझ गया कि भाभी को चुदाई की फिल्म ने मजा दे दिया है.
मैंने झेम्पते हुए कहा- अरे भाभी, वो तो ऐसे ही!
भाभी ने एकदम से पूछ लिया- गर्लफ्रेंड की याद में देख रहे थे ना?
ये सुन कर मैं एकदम से चौंक गया और हकलाते हुए बोला- न..नहीं.. नहीं भाभी जी … ऐसी कोई बात नहीं.
अब मैं उनसे नज़रें नहीं मिला पा रहा था.
भाभी ने कहा- अरे यार शर्माओ मत, कोई बात नहीं, इस उम्र में ऐसा होता है.
फिर उन्होंने पूछा- गर्लफ्रेंड से मिलते हो क्या?
मैंने कहा- भाभी जी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड ही नहीं है, तो मिलूंगा किस से?
भाभी बोलीं- क्यों नहीं है आपकी गर्लफ्रेंड?
मैंने कहा कि अभी तक कोई मिली ही नहीं.
भाभी बोलीं- मैं कुछ हेल्प कर सकती हूं क्या … मुझे बताओ कैसी चाहिए?
मैंने सीधा बोल दिया कि भाभी आपके जैसी होनी चाहिए.
भाभी हंस कर बोलीं- मेरी जैसी क्यों … आखिर मुझमें ऐसा क्या ख़ास है?
मैंने कहा- भाभी आप में ऐसा क्या कुछ नहीं है … वो तो मैं ही जानता हूँ.
इस पर भाभी बोलीं- मतलब?
मैंने बोल दिया- भाभी आप बहुत सेक्सी हो … और जब से आप इधर रहने आई हो, उसी दिन से मैं आपको पसंद करता हूँ. लेकिन आपसे बोलने में डरता था.
उन्होंने भी अपने होंठ काटते हुए कहा- आप भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो.
ये सुनकर पता नहीं मुझे अचानक से क्या हुआ कि मैंने एकदम से भाभी को गले से लगा लिया और उनको किस करने लगा.
शायद वो मेरी अचानक हुई इस हरकत के लिए तैयार नहीं थीं तो सकपका गईं.
फिर धीरे धीरे वो भी मुझे किस करने लगीं और दस मिनट तक हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे.
उनके बेटे के स्कूल से वापस आने का समय हो गया था तो भाभी ने मुझे बताया.
मैं मन मसोस कर भाभी से अलग हो गया.
फिर भाभी इठला कर बोलीं- आज आपके भैया कुछ काम से दिल्ली गए हुए हैं, तो रात को मेरे घर पर आ जाना और खाना भी यहीं खा लेना.
मैंने कहा- और रात को यहीं सो भी जाऊं न?
भाभी ने आंख दबाई और कहा- सोने के लिए नहीं बुला रही हूँ.
तो मैं समझ गया कि सेक्सी पंजाबी भाभी चुदाई के लिए बुला रही हैं.
मैं अपने घर आ गया और अपने लंड को अपने हाथ से शांत करके खुशी में सो गया.
जब रात को जागना है तो सोने में ही भलाई थी.
जब रात को मैं भाभी के घर गया तो भाभी का लड़का अतुल सो चुका था.
भाभी टीवी देख रही थीं और उन्होंने ब्लैक कलर की मैक्सी पहन रखी थी जिसमें वो कामदेवी लग रही थीं.
हम दोनों ने साथ में खाना खाया और रूम में आ गए.
रूम में जाते ही मैं भाभी को पकड़ कर किस करने लगा और वो भी साथ देने लगीं.
कुछ मिनट किस करने के बाद मैंने भाभी को बेड पर सीधा लेटाया और उनको ऊपर चढ़ कर उन्हें किस करने लगा.
धीरे धीरे मैंने भाभी की मैक्सी उतार दी.
अब भाभी का गोरा बदन मेरे सामने था, लाल रंग की ब्रा पैंटी में भाभी कयामत माल लग रही थीं.
मैं भाभी के बूब्स चूसने लगा और धीरे धीरे नीचे आता हुआ उनके पेट में उनकी नाभि में जीभ फेरने लगा.
भाभी की सिसकारियां पूरे कमरे में तेज तेज गूँजने लगीं- इस्स आह दीपक … और चूस लो मेरी चूचियों को!
फिर मैंने उनकी पैंटी में हाथ डाला तो महसूस किया कि अन्दर गीला हो रखा है.
मैंने झट से भाभी की चूत में अपनी उंगली को डाल दिया.
चूत गीली होने की वजह से उंगली सट से चिकनी चूत के अन्दर हो गई.
भाभी की एक आह निकल गई.
फिर मैंने भाभी की पैंटी उतार दी और उनकी दोनों टांगों के बीच में आकर उनकी चूत पर जीभ लगा कर चाटने लगा.
यह मेरा पहली बार था तो उनकी चूत से भीनी भीनी खुशबू मुझे मदांध कर रही थी.
चूत का टेस्ट नमकीन लग रहा था.
फिर भाभी ने मुझे अलग किया और मेरे कपड़े उतार दिए.
मेरा 6 इंच का लंड देख कर पागल हो गईं.
उन्होंने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और लंड चूसने लगीं.
फिर हम लोग 69 की पोजीशन में आ गए और लंड चूत की चुसाई का मजा लेने लगे.
इस बीच भाभी एक बार झड़ चुकी थीं.
मैं उनकी चूत चाटता रहा तो वो फिर से चार्ज हो गईं.
भाभी बोलीं- अब जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में अन्दर डाल दो.
मैंने भी देर न करते हुए उनकी दोनों टांगों को खोला और उनकी चूत के मुहाने पर अपना लंड टिका दिया.
कुछ देर चूत की फांकों में लंड के सुपारे को घिसा और भाभी की आंखों से आंखें मिलाईं.
भाभी की आंखों में चुदाई का नशा दिखाई दे रहा था.
मैंने अपनी आंख दबाई और हल्का सा धक्का लगा दिया.
मेरा आधा लंड अन्दर घुसता चला गया.
भाभी एकदम से चीख उठीं- अअह मर गई आह!
मैंने पहली बार अपना लंड चूत में डाला था तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी गर्म भट्टी में मैंने पना लंड डाल दिया हो.
कुछ देर तक मैं धीमे धीमे झटके देता रहा, फिर ताबड़तोड़ चुदाई का खेल शुरू हो गया.
करीबन दस मिनट में मेरा रस निकलने वाला हो गया था.
मुझे पता ही नहीं चला, एकदम से भाभी की चूत में सारा माल निकल गया और मैं भाभी के ऊपर ही लेट गया.
मैं उनको किस करने लगा, उनकी जीभ को चूसने लगा.
कुछ देर बाद भाभी बाथरूम में गईं और चूत साफ करके आ गईं.
मैं भाभी को फिर से किस करने लगा और उनकी चूत पर हाथ फिराने लगा.
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और फिर से चुदाई का संग्राम होने लगा.
उस रात हमने दो बार और चुदाई की.
उसके बाद से मैं जब तब भाभी को चोदने लगा था.
भैया का कम बढ़ गया था तो वो आए दिन शहर से बाहर रहने लगे थे.
अतुल भी स्कूल में ज्यादा समय के लिए जाने लगा था.
तो मैंने कुछ ऐसा सिस्टम बना लिया था कि अतुल के स्कूल जाने के बाद मैं अपने घर में कोचिंग जाने के बहाने से निकल जाता था.
जिस दिन भैया के बाहर रहने से भाभी का चुदने का मन होता था उस दिन वो मेरी मम्मी से किसी रिश्तेदार के घर जाने की बात कह कर निकल जाती थीं.
हम दोनों अपने अपने घर से बाहर निकल जाते और पीछे के रास्ते से घर में वापस आ जाते थे. उसके बाद से हम दोनों का चुदाई समारोह शुरू हो जाता था.
कुछ समय बाद उनके घर में कुछ आर्थिक दिक्कत होना शुरू हो गई थी जिस वजह से भाभी अपना मकान बेच कर अपने गांव चली गयी.
लेकिन अब भी वो मुझे बुलाती हैं और मैं उनके पास चला जाता हूं. उधर हम दोनों खूब चुदाई करते हैं.