प्यारे दोस्तों! मेरा नाम श्याम शर्मा है, आपके सामने अपनी एक सच्ची सेक्स स्टोरी लेकर आया हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैंने पहले भी एक कहानी लिखी थी और उसके जबाव में बहुत सारे मेल भी आए थे।
दोस्तो, जब किसी के मेल आते हैं तो बहुत अच्छा लगता है। लेकिन कई बार लोग बहुत गंदे कमेंट भी कर देते हैं इसके लिए कुछ किया तो नहीं जा सकता है परन्तु मैं समझता हूँ कि जो जैसा होता है वो वैसे ही कमेन्ट करता है।
मैं कहानी पर आने से पहले सबको एक बात कहे देता हूँ कि अन्तर्वासना पर कहानियों को कॉपी पेस्ट करके उनकी माँ-बहन ना करें क्योंकि इससे पढ़ने वालों को कोई मजा नहीं आता, बल्कि इससे आपकी और आपकी प्यारी साईट अन्तर्वासना की छवि खराब होती है।
दोस्तो, मेरी यह कहानी चंडीगढ़ की एक अमीर घर की औरत की है जो मुझे बस में मिली थी। कैसे मैंने प्यार से उसका दिल जीता और उसकी मर्ज़ी से उसकी चुत की चुदाई की।
आप जानते हैं कि हर लड़की अपने प्यार की केयर तो करती है, पर जो केयर एक मोटी लड़की करती है और जो मजा वो देती है वो कोई नहीं दे सकती। वो हर वक्त आपकी खुशियों का ध्यान रखती है।
यह बात पिछले मार्च महीने की है, मैं ऑफिस के काम से चंडीगढ़ जा रहा था। मैं सेक्टर 43 से सेक्टर 17 के लिए लोकल बस में चढ़ गया। बस में भीड़ भी कोई खास नहीं थी।
कुछ दूर चलने के बाद बस में एक मोटी लेडी चढ़ी, जिसकी उम्र 35 साल की होगी, वो बहुत ज़्यादा मोटी तो नहीं.. फिर भी ठीक-ठाक थी।
मैं उसको देख रहा था, ये उसने भी नोट कर लिया था.. परन्तु वो कुछ बोल नहीं रही थी।
मैंने ध्यान दिया कि उसकी आँखों में थोड़े आँसू थे। मैं देख कर समझ नहीं रहा था कि क्या हो रहा है।
जब मैंने नीचे देखा तो पता चला कि उसके पैर की उंगली पर चोट लगी हुई थी और खून आ रहा था। मेरा बस स्टॉप आ गया था और मैं उतरने लगा था। परन्तु मुझे जाने क्या हुआ और मैंने अपना रूमाल निकाला और उसके करीब आकर मैंने नीचे बैठ कर उसका खून साफ़ किया। वो कुछ नहीं बोली बस मुझे देखती रही।
फिर मैंने ड्राइवर से रिक्वेस्ट की और फर्स्ट एड बॉक्स से दवा माँगी।
ड्राइवर मुझसे पूछने लगा कि वो कौन है?
तब उस लेडी ने मेरे से पहले बोला- हम दोनों साथ हैं।
ड्राइवर ने मुझे बॉक्स दे दिया।
अब तक कुछ सीटें भी खाली हो चुकी थीं, मैंने उसे सीट पर बिठाया और उसके सामने घुटने के बल बैठ कर उसकी चोट पर पट्टी लगाई। मैंने जब पट्टी बाँधना शुरू की, तो उसने अपनी लैंगिगस का एक पाएंचा थोड़ा ऊपर उठा लिया। उसको पट्टी बाँधने के चक्कर में बार-बार उसके पैर और टांग टच हो रही थी। उसका शरीर बहुत कोमल था.. परन्तु उस समय मेरे मन में उसके लिए कोई ग़लत विचार नहीं आया।
दूसरी तरफ वो मेरी हर बात नोट कर रही थी।
फिर उससे बातों का सिलसिला शुरू हो गया, उसने मेरे बारे में पूछा कि मैं क्या करता हूँ और कहाँ रहता हूँ, मेरी फैमिली में कौन-कौन है? मैंने भी उसको बहुत कुछ बताया कि मैं एक प्राइवेट कंपनी में सुपरवाईजर का काम करता हूँ और वहीं रहता भी हूँ। मैं एक गरीब परिवार से हूँ और घर का सारा बोझ में ही उठाता हूँ।
फिर मैंने उससे उसके बारे में पूछा, तब उसने बताया कि उसका नाम नेहा है, उसके पति और ससुर का अपना बिजनेस है और वो ज़्यादा टाइम घर से बाहर दुकान पर रहते हैं। वो खुद एक प्राइवेट स्कूल में टीचर है। मैं बड़े ध्यान से उसकी बातें सुने जा रहा था और सच बोलूँ तो ऐसा लग रहा था कि मैं उसको बहुत पहले से जानता होऊँ। मेरा ध्यान उस पर से हट ही नहीं रहा था, मैं उसको देखे जा रहा था।
उसने पूछा- तुम्हें कहाँ जाना है और तुम चंडीगढ़ किस काम से आए हो?
मैं बोला- मुझे सेक्टर 17 में जाना था।
वो बोली- वो तो बहुत पीछे रह गया.. कोई बात नहीं, मैं तुम्हें वापिस छोड़ दूँगी। मुझे मनीमाजरा(चंडीगढ़ के बिल्कुल पास एक शहर) से अपनी गाड़ी लेनी है वहां मेरे पति गाड़ी सर्विस करवाने के लिए छोड़ गए थे।
थोड़ी देर बाद हम मनीमाजरा पहुँच गए और वो गाड़ी लेने चली गई। मैं वहीं बस स्टॉप पे उसका वेट करने लगा, तब वो वापिस आई और बोली- गाड़ी मिलने में अभी आधा घंटा और लगेगा, तब गाड़ी मिलेगी।
मैंने उससे बोला- कोई बात नहीं, मैं वापिस किसी ऑटो से चला जाता हूँ।
वो बोली- आधा घंटे की तो बात ही है, तब तक तुम रुक जाओ।
मैं काम के कारण बहुत परेशान था। मैंने उसको अपनी समस्या बताई और जाने लगा।
तब उसने बोला- ठीक है परन्तु तुम ऑटो से नहीं बस से जाना क्योंकि यहाँ ऑटो वाले अजनबी से ज़्यादा पैसे लेते हैं।
मुझको उसकी बात ठीक लगी और मैं बस का वेट करने लगा। वो भी मेरे साथ ही बैठी थी, वो मुझसे बोली- क्या तुम कुछ देर नहीं रुक सकते मैं तुम्हें टाइम से पहुँचा दूँगी। तब तक हम मनसा देवी मंदिर चलते हैं।
पता नहीं क्यों.. मैं उसको मना नहीं कर सका और ‘हाँ’ में सिर हिला दिया।
उसने कहा- चलो ऑटो में चलते हैं।
हम दोनों चल पड़े। ऑटो में हिलने के कारण मैं उससे बार-बार टच हो रहा था। मैं बार-बार उससे सॉरी बोलता था, पर वो स्माइल दे कर बोल देती थी कि कोई बात नहीं, ऑटो मैं ऐसा होता रहता है।
हम दोनों मंदिर पहुँच गए और लाइन में लग गए। वो मेरे आगे थी.. लाइन के कारण में उसके साथ चिपक कर खड़ा था परन्तु मैं ग़लत नहीं सोच रहा था। पर मैं भी इंसान ही हूँ और मेरा लंड उसकी गांड से बार-बार टच होने से खड़ा हो गया था। मैंने जैसे-तैसे करके बहुत कंट्रोल किया और माता रानी से माफी माँगी। फिर हम दोनों ने दर्शन किए और कुछ कोल्ड ड्रिंक पी, बर्गर आदि खाया और वहां से वापिस चल पड़े।
वापिसी में हम दोनों बस में ही आ गए और मनीमाजरा उतर गए। बस में बहुत भीड़ थी.. वो मेरे साथ चिपक कर खड़ी थी। बस के ब्रेक लगने के कारण मैं बार-बार उसके ऊपर गिर रहा था, कभी वो भी मेरे ऊपर गिर जाती थी। हम दोनों एक-दूसरे को स्माइल दे कर सॉरी बोल रहे थे।
तभी अचानक एक बड़ा ब्रेकर आया और मेरे होंठ उसकी गर्दन को छू गए। मैंने उससे कुछ नहीं बोला और मनीमाजरा बस स्टॉप पर नीचे उतर गया। वो भी मेरे साथ थी.. वो मुझे वहां खड़ा करके अपनी गाड़ी ले आई और मैं उसके साथ गाड़ी में बैठ गया। गाड़ी में बैठते ही मैंने उससे होंठ छू जाने की बात को लेकर सॉरी बोला।
वो बोली- कोई बात नहीं..
उसने फिर से स्माइल पास कर दी।
वो इतनी अच्छी तरह से बात कर रही थी कि मेरे मन में उसके प्रति कोई ग़लत विचार नहीं आया। फिर उसने मेरा नम्बर माँगा और मुझे सेक्टर 17 में छोड़ दिया। मैंने उसको थैंक्स और नमस्ते बोल कर विदा ली।
शाम को जब मैं फ्री हो गया तब मुझे अजनबी नम्बर से कॉल आई, पता चला कि वो नेहा ही थी, उसने बोला कि आज उसको मुझसे बात करके बहुत अच्छा लगा और उसको मेरा साथ भी पसंद आया।
वो मुझे थैंक्स बोले जा रही थी।
फिर उसने मेरे बारे में पूछा- काम हुआ या नहीं?
मैं बोला- कुछ दिनों बाद फिर आना पड़ेगा।
उसने बोला- कोई बात नहीं है।
उसने मुझसे ध्यान से जाने का बोल कर फोन रख दिया।
मैं वापिस अपनी कंपनी गया और कंपनी से कुछ काम निबटा कर वापिस निकलने लगा, तो देखा इस बीच उसके 2-3 मिस कॉल आए हुए थे।
मैं उसको कॉल करता कि तभी उसका फिर से फोन आया और बोली- तुम मेरा फोन क्यों नहीं उठा रहे हो?
मैंने बोला- हमारी कंपनी में फोन गेट पर रखवा लेते हैं.. इसलिए मैं फोन नहीं उठा सका।
फिर नेहा बोली- कोई बात नहीं।
उसने मुझसे इधर-उधर की बातें करके फोन काट दिया।
फिर रात को उसकी कॉल आई। हमने थोड़ी देर बात की और फिर थकने का बोल कर मैंने फोन कट कर दिया।
मैं रूम में जाकर सो गया था। इसके बाद हम दोनों रोज फोन पर बातें करने लगे। उसने मुझे बताया कि शादी के बाद जब बच्चा हुआ तो ऑपरेशान के कारण उसका शरीर खराब हो गया। अब उसका पति भी उसमें रूचि नहीं लेता है.. बाहर ही कई लड़कियों के साथ उसके रिलेशन हैं।
फिर वो रोने लगी.. मैंने उसको फोन पर चुप करवाया। अब हम खुल कर एक-दूसरे से बात करने लगे थे।
एक दिन उसका शाम को फोन आया और बोली- मैंने तुमसे मिलना चाहती हूँ, तुम कल की छुट्टी कर लो।
मैंने उसको बताया कि मैं ऐसे छुट्टी नहीं कर सकता क्योंकि यहाँ छुट्टी के लिए कम से कम 1-2 दिन पहले बताना होता है वरना हमारी सेलरी कट जाती है।
वो कुछ ना मानी और बोली- तुम्हें आना पड़ेगा।
मैं उसकी ज़िद के आगे हार गया और मैंने उससे चंडीगढ़ आने का बोल दिया। वो खुश हो गई और बोली- मैं सेक्टर 17 में तुम्हारा वेट करूँगी।
मैंने बताया कि यहाँ की बस सीधे सेक्टर 43 जाती है और वो 43 में आने को तैयार हो गई।
मैं भी एक लड़का हूँ और आप तो समझ सकते हैं कि मेरे मन में क्या-क्या फीलिंग आई होगी। सच बोलूँ तो मैं उसको चोदने की तैयारी करके आया था। मैंने ये भी सोच लिया था कि मैं पहले कुछ नहीं करूँगा अगर वो प्यार से चुदने को राजी होगी.. तभी कुछ करूँगा।
वो टाइम से नहीं आई पर उसका मुझे मैसेज आया कि स्कूल में थोड़ा टाइम लग जाएगा, तुम प्लीज सेक्टर 17 आ जाओ, मैं सेक्टर 17 में ही मिलूँगी।
मैंने ‘ओके..’ लिख दिया और सेक्टर 17 जाने के लिए बस पकड़ कर चल पड़ा। वो मुझे जहाँ पहले मिली थी.. उसी बस स्टॉप पर मैं पहुँच गया।
मुझे वो बस में चढ़ती हुई दिखी तो मैं उसको देखता रह गया। वो मुझसे कुछ नहीं बोली और चुपचाप लेडीज सीट पर बैठ गई। हम दोनों की नजर एक-दूसरे को देख रही थीं और आँखों ही आँखों में एक-दूसरे की तारीफ कर रहे थे। थोड़ी देर बाद सेक्टर 17 आ गया और वो उतर कर चल पड़ी और मुझे अपने पीछे आने को इशारा कर दिया।
हम दोनों सेक्टर 17 के लोकल बस स्टैंड से दिल्ली वाली साइड में आ गए, वहां बैठ कर बातें करने लगे.. वो पंजाबी सूट पहन कर आई थी। वो बहुत सुंदर लग रही थी।
मैंने उसकी तारीफ़ की तो उसने बोला- मैं सिर्फ़ आपके लिए ही तैयार हो कर आई हूँ.. वैसे मैं रोज ही इस तरह के कपड़े पहनती हूँ.. पर कोई तारीफ़ नहीं करता। इतना कह कर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैंने पूछा कि क्या प्रोग्राम है?
उसने बताया- तुम अपने नाम से यहाँ होटल में रूम ले लो.. मैं तुम्हारे साथ वक़्त गुजारना चाहती हूँ।
मैंने उसकी तरफ देखा और बोला- ऐसा क्यों?
फिर वो बोली- मुझे तुमसे बात करना बहुत अच्छा लगता है और मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ.. प्लीज मेरा दिल ना तोड़ना।
मैंने उसकी आँखों में अजीब सी कशिश देखी और बोला- ठीक है.. पर मैं यहाँ किसी को जानता भी नहीं हूँ और ना ही मेरे पास पैसे हैं।
उसने मुझे पैसे दिए और बोली- सेक्टर 17 के पीछे ही होटल है.. तुम वहां रूम ले लो।
दोस्तो वो एक थ्री स्टार होटल था। मैं कभी सपने में भी ऐसे होटल में नहीं गया था। होटल में जाकर मैंने रूम खोला ही था कि उसने मुझे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और मेरा सिर अपनी गोद में लेकर मुझसे बातें करने लगी।
मैं समझ गया था कि आज रात मेरी चुदाई की इच्छा पूरी होने वाली है। उसकी चुचिया बिल्कुल मेरे सिर के ऊपर थीं।
मैंने उसको छूना चाहा तो वो बोली- नहीं ये सब नहीं करना।
मैं छोटे बच्चे की तरह उसकी बात मान गया और चुपचाप उसकी बातें सुनने लगा। फिर थोड़ी देर बात उसने खाने का ऑर्डर किया और साथ में वोदका की बॉटल भी आर्डर कर दी।
मैं हैरान था और उसकी तरफ़ देखे जा रहा था।
खैर.. उसने मेरे गाल पर एक चपत लगाई और बोली- तुम बहुत अच्छे हो.. मेरे एक बार ही मना करने पर मान गए। मैं जानती हूँ कि तुम्हारे क्या अरमान हैं.. मैं तुम्हें मना नहीं करूँगी, पर मैं अपनी इच्छा से तुम्हारे साथ चुदाई करूँगी।
उसके मुँह से ऐसी बातें सुन कर मैं उत्तेज़ित हो गया। अभी मैं कुछ करता कि उससे पहले उसे अपने होंठ मेरे होंठों से जोड़ दिया। मेरे हाथ कब उसकी चुचियों पर चले गए, पता ही नहीं चला।
थोड़ी देर में दरवाजे पर दस्तक हुई और वेटर के अन्दर आने से पहले हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक कर लिए और खाना ले लिया।
जब वेटर चला गया, तब उसने मेरे ऊपर के सारे कपड़े उतार दिए और बोली- आज मुझे अपने तरीके से चुदना है.. तुम सिर्फ़ मेरा साथ देना।
मैंने अच्छे बच्चे की तरह ‘हाँ’ बोल दिया उससे बोदका उठाई और पैग बना कर एक मुझे दिया और दूसरा खुद ले लिया। उसके बाद उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। अब वो मेरे शरीर के ऊपर चिकन रख कर खाने लगी और बीच-बीच में मुझे भी चाटती जा रही थी।
मैंने बोला- जब मैं टच कर रहा था तब क्यों हटा दिया था?
उसने बताया कि मैं कुछ चैक कर रही थी। उसने मेरे हाथ बाँध दिए और मेरे शरीर से एक-एक करके सारे बचे हुए कपड़े उतार दिए। साथ ही उसने अपने कपड़े भी निकाल दिए। अब वो किसी भूखी शेरनी की तरह मुझ पर टूट पड़ी और मेरे लंड पर आइसक्रीम लगा कर चूसने लगी। लंड चूसे जाने से उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं बहुत तड़फ रहा था।
तब उसने कुछ आइसक्रीम अपने चूचों पर लगाई और एक चूचा मेरे मुँह की तरफ़ कर दिया। मैंने उसके चुचियों को खूब चूसा।
अब वो गालियाँ निकालने लगी और बोली- चूस ले सारा दूध.. निचोड़ डाल मुझे।
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वो 69 में होकर मेरा लंड फिर से चूसने लगी, जिससे मेरा माल निकल गया और वो माल खा गई।
अब उसने अपनी चुत मेरे मुँह की तरफ़ की.. मैंने चूत चाटने से मना कर दिया, वो कुछ नहीं बोली।
उसने कहा- अगर तुम्हें ये अच्छा नहीं लगता.. तो मेरा पानी निकाल दो।
फिर उसने मेरा एक हाथ खोल दिया। मैं अपनी उंगली उसकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा और वो फिर से मेरे लंड को चूसने लगी। कुछ ही पलों में मैं फिर से तैयार हो गया।
अब तक वो मेरे ऊपर चढ़ चुकी थी। उसके बाद वो मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और चुत को लंड पर सैट करके लंड को निगल लिया। उसने मुझसे झटके मारने को बोला, मैं पूरी जी जान से उसकी चुदाई करने लगा या ये बोलो कि उसने मेरे लंड से चुदाई करवाई।
उस दिन शाम तक वो 3 बार चुदी, उसके बाद कब मुझे नींद आई और कब वो चली गई.. मुझे पता ही नहीं चला। रात को जब मैं उठा तो मैंने उसे इधर-उधर देखा। मेज पर रखा हुआ फोन उठा कर देखा तो उसका मैसेज पड़ा था। वो बोली कि तुम्हारे साथ बहुत मज़ा आया, मेरे को घर पर आना था सो मैं आ गई, तुम आराम करके सुबह निकल जाना। मैंने कुछ खर्च के लिए पैसे रखे हैं। मैंने अपना पर्स चैक किया तो उसमें 10 हज़ार रुपए थे।
मैंने होटल का बिल दिया और वापिस आ गया.. शाम को उसका फोन आया तो मैंने उससे पूछा कि तुमने ज्यादा पैसे क्यों दिए?
तब उसने बताया कि तुम्हारे प्यार के आगे ये कुछ भी नहीं है।
आज भी हम दोनों में बात होती है, परन्तु चुदाई नहीं होती है। उसने बोला था कि ये चुदाई तुम्हारी ईमानदारी का इनाम था।
दोस्तो, अपने विचार जरूर दीजिएगा.. ये एक सच्ची सेक्स स्टोरी है।
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