यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:
नमस्ते दोस्तों, कहानी के इस तीसरे भाग में आप सबका स्वागत है.
थोड़ी देर में जब मेरी हालत कुछ ठीक हुई तो मैंने कहा, ‘बधाई हो रानी … मेरी चुदक्कड़ कुतिया … आज डेढ़ साल बाद तुझे लंड नसीब हुआ है … यह मान ले कि आज फिर से तेरी नथ खुल गयी … चल मैं कुछ मीठा खिलाता हूँ … मेरी रानी डेढ़ साल बाद चुदी है तो मीठा मुंह तो होना चाहिये न!
मैं उठकर गया और अपने बैग से बादाम कतली का डिब्बा निकाला जो मैं इसी के लिए साथ लेकर आया था.
रानी बिस्तर पर निश्चल पड़ी हुई थी, बाल बिखरे हुए थे और माथा पसीने से लथपथ था. उसकी टांगें चौड़ी फैली हुई थीं और तमाम चूत के आस पास का बदन, झांटें इत्यादि सब रानी के चूतरस और मेरे लंड की मलाई लिबड़ा हुआ था.
मैंने एक तौलिया भिगोया और रानी के शरीर और अपने लौड़े को अच्छे से साफ़ किया.
उसके बाद मैंने रानी को प्यार से उठाया और उसके मुंह में एक कतली देते हुए कहा- ले हरामज़ादी … आज मेरी रानी नंबर पैंतालीस बनी है … तो जश्न तो मना ले बहन को लौड़ी … अभी तो मादरचोद शुरुआत हुई है … आगे आगे देख मैं तुझे कितना आनन्द देता हूँ … याद रखेगी कमीनी कुतिया ज़िन्दगी भर!
रानी ने आधी कतली अपने मुंह में ले ली और बाकी की आधी मेरे मुंह में देकर खाते हुए कहा- बहनचोद राजे के बच्चे … तू नहीं करेगा क्या मीठा मुंह? हरामी की औलाद तूने ही तो चूत का कल्याण किया … तेरा हक़ तो सबसे पहले बनता है बहन के लण्ड.
मैंने कहा- रानी तू अपने मुंह वाली कतली मेरे मुंह में डाल दे … आधी तू खुद खा, आधी मेरे मुंह में डाल, अच्छे से चबाकर … तेरे मुंह के रस का स्वाद जब मिलेगा तो कतली में नशा आ जाएगा.
बेबी रानी की आँख में आंसू आ गए, बोली- राजे तू ऐसी बातें करता तो कलेजा मुँह को आ जाता … क्यों करता इतना गहरा प्यार … मैं जीवन में चार चार बॉय फ्रेंड्स के साथ रह चुकी हूँ. किसी ने इतनी प्यारी बात कभी नहीं कही. कमीनों को मिलते ही नंगी करके चूत सूझती है. कपड़े उतारो, चोदो और फिर अपने में मग्न. सब प्यार की बातें चुदाई से पहले ही. तू तो यार कुछ अलग ही आइटम है राजा. लव यू राजे. ले खा कुत्ते … ज़्यादा नशा न करियो राजा.
इतना कहकर रानी ने मेरे होंठ से होंठ चिपका कर खूब चबाई हुई काजू कतली मेरे मुंह में डाल दी.
यारो … वाकई में नशा चढ़ गया. अपनी प्रेमिका के मुँह से निकली हुई, रानी के मधुर मुखरस से तर की हुई खाने की कोई भी वस्तु ऐसी नशीली हो जाती जैसे उसमें अफीम मिला दी गयी हो. यारो, यही तो होता है इश्क़.
इसी प्रकार एक कतली मैंने गुड्डी को दी और दूसरी अपने लिए उसको अच्छी तरह से चबाने को दी. उसने भी एक पीस खुद खाया और दूसरा वाला खूब चबाकर मेरे मुंह से मुँह लगाकर दे दिया. बहनचोद एक और हसीना के मुखरस से भरी हुई मिठाई!!! लाजवाब !!!
हम काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे और एक दूसरे से एक मस्त चुदाई करने के बाद लिपटे रहने का मज़ा भोगते रहे. रानी भी मस्ता के बार बार लौड़े से खेल रही थी. कभी सुपारा नंगा कर देती तो कभी टट्टों को सहला देती.
हराम की ज़नी रांड बड़े मज़े से मेरे लण्ड से प्यार भरी अठखेलियां कर रही थी … बहन चोद चुदक्कड़ !!! उसके नाज़ुक हाथों के खिलवाड़ से लौड़ा दुबारा अकड़ गया था.
अचानक बेबी रानी को कुछ याद आया. उठ के कुहनियों के बल हो गयी और शिकवे के अंदाज़ में बोली- राजे मैं अब तेरे से नाराज़ हूँ … तूने मेरे साथ भेद भाव किया मादरचोद!
मैंने मुस्कुराते हुए पूछा- क्या हुआ मेरी जान? क्या गुस्ताखी हुई इस ग़ुलाम से रानी जी की शान में?
“साले … सब रानियों को चुदाई के बाद चूत चाट के सफाई करता है … लंड चटवा के साफ़ करवाता है … बहन के लंड मेरी चूत को तौलिये से क्यों साफ किया? न ही हरामज़ादे ने लंड साफ़ करने का मौका दिया. ये क्या है? भेदभाव नहीं है तो क्या है?”
मैंने हंसकर कहा- नाराज़ क्यों होती है रानी … ध्यान नहीं रहा … तू इतनी नशीली चीज़ है कि मैं सुध बुध खो गया था … कोई नहीं डार्लिंग, आज कोई आखिरी चुदाई थोड़े ही की है … रोज़ मौके मिलेंगे … अगली बार नहीं भूलूंगा … माफ़ी दे दे जान.”
रानी ने मेरी नाक पकड़ के इधर उधर हिलाते हुए नक़ली गुस्से से कहा- इस बार माफ़ कर देती हूँ … दुबारा से ऐसी गलती हुई तो सख्त सज़ा दूंगी … समझा ना?
मैंने कान पकड़ के कहा- तेरा हुकम मेरे सिर माथे पर बेबी रानी … इस माफ़ी देने के लिए धन्यवाद के रूप में चुम्मा देता हूँ.
यह बोलकर मैंने रानी को जकड़ के उसके चेहरे पर चुम्मियों की बरसात कर डाली. रानी ने भी मस्त होकर लंड को पकड़ लिया और टट्टों को हिलाने लगी.
“अरे राजे … तेरी मां की चूत साले … तेरा लंड तो फिर से अकड़ गया … लगता है बहुत मज़ा आया इस हरामी को मेरे छूने से … साला हरामी भोला …”
रानी ने लौड़े को प्यार से एक हल्की सी चपत लगाई और बोली- अभी करती हूँ इस कमबख्त तो ठंडा … आजा राजा, आजा अपनी रानी के मुंह में घुस जा … देख तुझे जन्नत ले नज़ारे मिलेंगे मादरचोद.
और फिर गप्प से उसने लण्ड मुंह में ले लिया और चूसने में लग गयी.
यारो, चूसने में चूसने में ये टीवी वाली लड़की इतनी माहिर होगी इसका मुझे गुमान न था. सो हरामज़ादी ने ऐसा चूसा, ऐसा चूसा कि मस्ती से मेरी गांड फट गयी. कभी वो काफी देर तक लंड को पूरा जड़ तक मुंह में घुसाये रखती, तो कभी सिर्फ टोपे को मुंह में लिये लिये चूसती, और कभी वो टट्टे सहला सहला के नीचे से ऊपर तक लंड चाटती. उसके मुखरस से लंड बिल्कुल तर हो चुका था.
रानी ने मचल मचल के लौड़े को चूस चूस के तर कर दिया. अब मैं ज़रा भी रुक नहीं पा रहा था. एक ज़ोर की सीत्कार भरते हुए मैंने अपनी कमर उछाली और झड़ गया. भल्ल भल्ल करता हुआ ढेर सा गर्म लावा लंड से गोली की रफ़्तार से छूटा और बेबी रानी का मुंह भर गया. रानी सारी की सारी मलाई पी गई.
जब मैं बेहोश सा हो के बिस्तर पे गिर गया, तो उसने मेरे लंड को खूब भली प्रकार जीभ से चाट चाट के साफ किया और बोली- चल राजे अब तुझे मैं स्वर्ण रस पान कराऊँ … कई घंटों से रोक के रखा है … आजा मेरे राजे … नीचे बैठ जा और अपनी मम्मा की चूत से मुंह लगा ले … आज बहुत गाढ़ा पीने को मिलेगा.
इतना कह के रानी पलंग पे टांगे चौड़ी करके, पैर फर्श पे टिका के बैठ गई. मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और बेबी रानी की चूत के होंठों से अपने होंठ चिपका दिये. कुछ ही देर में बेबी रानी के स्वर्णामृत की पहले चंद बूंदें और फिर तेज़ धार मेरे मुंह में आने लगी. सच में बहुत ही गर्म और गाढ़ा रस था. मोमबत्ती की रोशनी में एकदम मादक सुनहरा सुनहरा दिख रहा था.
अति स्वादिष्ट! अति संतुष्टिदायक!!
मैं लपालप पीता चला गया. मेरी उस समय सिर्फ एक ही ख्वाहिश थी कि उस अमृत की एक भी बूंद नीचे न गिरने पाये, सो मैं उसी रफ़्तार से पीने की चेष्टा कर रहा था जिस रफ़्तार से वो प्यारी सी अमृतधारा मेरे मुंह में आ रही थी. सच में बहुत देर से रूका हुआ रस था क्योंकि खाली करने में रानी को काफी वक़्त लगा.
जब सारा का सारा रस निकल चुका तो मैंने अपने मुंह हटाया और जीभ से चूत के सब तरफ का बदन चाट चाट के साफ सुथरा कर दिया.
तभी गुड्डी बीच में कूदी- राजे मुझे भी ज़ोर से लगी है … मेरी पियेगा?
मैंने खुश होकर कहा- जान, नेकी और पूछ पूछ … ज़रूर पियूँगा मेरी जान … आजा पोज़ में.
बेबी रानी एक तरफ को सरक गयी और गुड्डी ने उसकी जगह लेकर उकडूं होकर बैठ गयी. यह हरामज़ादी तो ऐसा लगता था कि मलाई से बनी हुई हो. मादरचोद गुड्डी रानी की नंगी, दूध सी गोरी काया गज़ब ढा रही थी. बदन ऐसा जैसे संगमरमर का बना हो और जिसे किसी कुशल कारीगर मूर्तिकार ने बनाया हो. एक एक अंग सांचे में ढला हुआ. शरीर पर कोई बाल नहीं. यहाँ तक कि झांटें भी नहीं. एकदम सफाचट मैदान था जहाँ झांटें होती हैं.
यह लौंडिया भी बेबी रानी की तरह सौंदर्य कि देवी थी. पता नहीं चूत देगी या नहीं. देखते हैं आगे आगे ऊँट किस करवट बैठता है. फिलहाल तो चूतनिवास तू इसके अमृत का लुत्फ़ उठा.
मैंने गुड्डी की चूत से मुंह लगा दिया और चूत के बाहरी भागों पर जीभ फिराई. गुड्डी रानी चिहुंक उठी, बोली- ओए ओए राजे … ऐसा न कर प्लीज़ … गुलगुली सी होती है.
इससे पहले मैं कुछ जवाब देता, उसने धारा छोड़ दी. शायद काफी देर से रोके हुए थी. गर्मागर्म स्वर्ण अमृत !!! वाह क्या बात है !!! हालाँकि अभी अभी बेबी रानी का ढेर सा अमृत पी कर चुका था, फिर भी मैं प्यासे की तरह लपालप पीता चल गया. मेरे भरसक कोशिश के बावजूद भी कुछ अमृत ज़मीन पर गिर गया. बहुत मज़ा आया. गहन आनन्द से रूह तक मस्त हो गयी.
बेबी रानी चिल्लाई- कुतिया, तू चुद क्यों नहीं लेती आज … राजे यह बहनचोद अभी तक कुमारी है … मेरे साथ हुई चार बेवफाइयों से डर के साली बॉयफ्रेंड ही नहीं बनाती … बता साली पच्चीस साल की हो गयी और अभी तक बिनचुदी पड़ी है … राजे आज चोद दे इस माँ की लौड़ी को.
मैंने पूछा- क्या ख्याल है गुड्डी? फोड़ दूँ तेरी सील आज … क्यों जवानी बर्बाद किये जा रही है?
वो बोली- राजे, मुझे सोचने का समय दे … मुझे सचमुच बहुत डर लगता है … तुम दोनों करो अपना काम … अगर मेरा डर कम हो गया तो देखूंगी … तब तक के लिए अपना हाथ जगन्नाथ.
मैंने कहा- ठीक है डार्लिंग, जैसी तेरी मर्ज़ी. ऐसा कर तू कुर्सी पर न जा, यहीं हमारे साथ बिस्तर पर ही रह. शायद फिर तेरे दिल में बैठे हुआ डर कम हो जाए.
गुड्डी कुछ न बोली और जैसा मैंने कहा था वो बिस्तर पर एक साइड को सरक गयी. मैंने दूसरी साइड में बेबी रानी को किया और स्वयं दोनों के बीच में जा लेटा.
मैं और बेबी रानी फिर एक दूसरे की बांहों में लिपट कर लेट गये और बहुत देर तक प्यार से भरी हुई बातें करते रहे. हर थोड़ी देर के बाद हम एक गहरा और लम्बा चुंबन भी ले लेते थे. कभी बेबी रानी लौड़े की चुम्मी ले लेती तो कभी मैं उसकी झांटें चूस लेता. मेरे हाथ लगातार उसके चूचों को निचोड़ने में लगे थे.
उधर गुड्डी फिर से अपनी भगनासा को रगड़ने लगी थी. बग़ल में मस्त चुदाई का खेल चल रहा हो तो उसकी चुदास भड़कना तो पक्का था ही. रगड़ते हुए कसमसाये भी जा रही थी.
तड़पने दो कुतिया को. जब बर्दाश्त से ज़्यादा तड़पन होगी तभी मादरचोद चुदने को तैयार होगी.
बेबी रानी के चूचे जब मैं ज़्यादा ज़ोर से निचोड़ देता अथवा ज़्यादा ज़ोर से निप्पल मसल देता तो एक आह आह की आवाज़ रानी के मुंह से निकल पड़ती. कभी कभार वो मेरे अण्डों को थोड़ा ज़्यादा दबा देती तो आह आह मुझ को करनी पड़ती.
मोमबत्ती ख़त्म होने को थी. मैंने बैग से दूसरी निकाल के जलाई और फिर मैंने रानी का सुनहरा बदन चाटना शुरू किया. गीली जीभ से मैंने उसे सारे शरीर पर चाट के रख दिया. मदमस्त चिकना मलाई जैसा नौजवान बदन! बहनचोद हरामज़ादी को पूरा मुंह में लेकर चूसने का मन होता था. उसे इतना अधिक मज़ा आ रहा था कि अब वो राजे राजे की गुहार लगाने लगी थी.
दमकता हुआ शरीर कसमसा रहा था. बार बार चिहुंक उठती थी. मुंह से सीत्कारें भर रही थी. मैंने चूत पर हाथ रखा तो पाया कि उस में दबादब रस बहने लगा था. उसका बदन गर्म हो चला था और सांसें तेज़.
अब वो बार बार लौड़े को छू रही थी मानो उसको अपने में समा लेना चाहती हो. साथ साथ गालियां भी बके जा रही थी चुदास के नशे में चूर होकर- राजे माँ के लौड़े … कमीने भोसड़ी के अब चोद दे न राजा …
कभी मेरा हाथ उठाकर अपने चूचे पर रखती- देख राजा कितना सख्त हो रहे हैं ये दोनों दुश्मन … क्या सोच रहा है कर इनका काम तमाम … साले तेरी माँ की चूत … देख बहनचोद तेरी चूत में कितना रस आ रहा है … देख राजे अब और तंग न कर … देख न तेरा लण्ड भी खड़ा है … बस अब घुसा दे यार!
कहानी जारी रहेगी.
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