नमस्ते दोस्तों, मैं आपका दोस्त रॉकी हूँ. आज मैं आप सबको एक रोमांटिक कहानी सुनाने जा रहा हूँ. दरअसल ये मेरी पहली चुत चुदाई की कहानी है और कुछ साल उस समय की है, जब मुझ पर नई नई जवानी छाई हुई थी.
दोस्तो, मेरे जीवन में एक बात बहुत अच्छी रही है कि मैं जिस बात को पाना चाहता था, कुदरत मेरा पूरा साथ देती थी और इसी वजह से मैं बहुत ही भाग्यशाली रहा हूँ. जहां भी मेरी रिहाइश होती थी, वहाँ कोई ना कोई आंटी लड़की भाभी मुझ पर फिदा हो ही जाती थी. ये कैसे हो जाता था, मुझे खुद भी इसका पता नहीं है.
जो भी महिला या लड़की मुझ पर फ़िदा होती थी, वो अपने प्यार की बरसात मेरे पर कर देती थी.
अब तक बहुत सी लड़कियां, भाभियां, आंटियां मेरी जिंदगी में आईं. आज भी आती हैं और बहुत प्यार बरसाती हैं. मुझे खुश करने के लिए वो सब कुछ करने के लिए तत्पर रहती हैं. खुद से अपना सब कुछ मुझ पर न्योछावर कर देती हैं. ये एकदम सच है, मैं किसी तरह की कोई फेंका-फेंकी नहीं कर रहा हूँ.
आज मेरी उम्र 33 साल हो गई है. मैं शुरू से ही मौज से जिया हूँ और आज भी जीता हूँ. इसका एक सबसे बड़ा कारण यही है कि मुझे जीने के लिए किसी से कुछ माँगना या ढूँढना नहीं पड़ता है, सब कुछ सामने से मिल जाता है. चाहे पैसा हो, सेक्स हो या सफलता हो, ख़ुशियां हों. ये सब मुझे ऊपर वाले की मेहर से मिल जाता है.
उस समय मैं अपने शहर से दूर दूसरे शहर में बिजनेस करता था. मैं तब अकेला ही कुछ युवा लड़कों के साथ एक रूम में रहता था. मेरा रोज का रुटीन फिक्स रहता था. सुबह उठना, अपने बिजनेस पर जाना, रात को बाहर से खाना खाकर रूम पर आकर सो जाना.
मेरी ज़िंदगी बड़ी सामान्य सी थी. संडे हुआ, तो दोस्तों के साथ कहीं घूम आता था.
धीरे धीरे मेरे लंड ने मुझे जागृत करना शुरू किया … तो ये एहसास होता चला गया कि अब मुझे अपने एयरोप्लेन को किसी एयरपोर्ट पर लैंड करवाना ही पड़ेगा, नहीं तो ये कहीं क्रॅश हो जाएगा.
जैसा कि मैंने ऊपर लिखा है कि यूँ तो मैं पहले से रिलेशन और अन्य बातों में लकी रहा हूँ … तो मैं अपने लंड के लिए निश्चिन्त था कि कोई ना कोई मेरे आने वाली है, बस थोड़ा सा इंतज़ार करना होगा.
मैंने मेरे दिल और लंड को समझाया कि आज तक तू ज़्यादा दिन भूखा नहीं रहा, समय पर ही कोई ना कोई तेरी ज़िंदगी में आ गया है … बस थोड़े दिन इंतज़ार कर ले.
आख़िरकार वो दिन आ ही गया कि दिल के एयरपोर्ट पर एक नया प्लेन उतरने वाला था.
उस दिन मैं अपने काम से समय से पहले फ्री हो गया था, तो मैंने सोचा कि रूम पर जाकर आराम कर लेता हूँ. उस समय दोपहर के 3 बजे थे. मैं रूम के लिए निकला और ऑटो स्टैंड पर दिल की सवारी के इंतज़ार में खड़ा हो गया था. अब तक पौने चार बज चुके थे.
तभी मैंने देखा कि एक बड़ी ही खूबसूरत लड़की सामने से चली आ रही थी. उसे देख कर मेरे दिल में एक अरमान जगा कि काश ये लड़की मेरे साथ ही मेरे ऑटो में बैठ जाए. जहां मुझे जाना है, वहीं के लिए ये भी मेरे साथ ऑटो में बैठे.
दोस्तो, मेरा भाग्य जागा और वही हुआ, जो मैं सोच रहा था. उस मस्त माल जैसी लड़की को भी उसी रास्ते पर जाना था … जहां मेरा लक्ष्य था.
ऑटो आया और हम दोनों ने उसी जगह जाने के लिए ऑटो वाले से पूछा.
उसकी मधुर आवाज से मोहित होकर मैंने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा दिया.
वो भी मुस्कुरा दी.
उसकी मुस्कराहट ने मुझे तो मानो चौदहवीं का चाँद दिखा दिया.
चूंकि हमारे यहां ऑटो मीटर पर नहीं चलता है, उसका किराया रूट के हिसाब से तय होता है. उसी हिसाब से ऑटो पर बैठा जाता है. ऑटो एक फिक्स रूट पर चलता है और आपका स्टैंड आ जाए, तो उतर जाना होता है.
अब हम दोनों उस ऑटो में बैठने लगे थे. मैंने देखा कि उसके हाथ में बड़ा सा पर्स था. उसने सलवार कमीज़ और दुपट्टा पहना हुआ था.
वो जरा सांवली थी … पर बहुत सुंदर थी. उसकी हाईट तक़रीबन पांच फुट तीन इंच की रही होगी. वो बड़ी ही सिंपल ड्रेस में थी, पर उसका फिगर गजब का दिख रहा था. ऐसा लग रहा था कि इसे जहां भी छू लूंगा, वहीं से इसकी नरमी महसूस होने लगेगी. वो पतली थी, पर उसका जिस्म बड़ा मस्त था. छोटे छोटे बूब्स थे, पर टाइट थे. पतली कमर थी, मस्त गांड थी.
मेरे दिल में अरमान जगा कि आज तो इससे किसी तरह से टांका सैट हो ही जाए.
बस कुछ ऐसा ही हो गया. ये ऑटो 6 आदमी के लिए बैठने वाला था. जिसमें आमने सामने तीन तीन आदमी बैठ सकते थे. वो मेरे सामने वाली सीट पर बैठी थी. मैं उसकी तरफ देख रहा था.
पहले तो उसने कुछ ख़ास ध्यान नहीं दिया, पर थोड़ी दूर ऑटो चला ही था. उसे पता चल गया कि मैं उसे देख रहा हूँ.
मेरी निगाहों से निगाहें मिलने से वो थोड़ी शरमाई और नीचे नज़र झुका कर बैठ गई. उसके लरजते होंठ देख कर मेरी आह निकल गई … क्या कातिल अदा थी उसकी. वो तो समझो मेरा कलेजा चीर गई.
मैंने उसको देखना चालू रखा.
कुछ ही समय में मेरा स्टैंड आ गया और मैं उसे देखते हुए नीचे उतर गया. वो भी मुझे उतरते हुए देख रही थी. मैं समझ गया था कि उसका स्टैंड मेरे स्टैंड से आगे होगा. उस समय तक दोपहर के 4 बज गए थे. मुझे लगा कि हो सकता है कि शायद यह उसका रोज का रूट हो.
मैंने इसी सोच पर काम करना जारी रखने का तय किया.
दूसरे दिन मैं जल्दी ही अपना सब काम खत्म करके पौने चार बजे दोपहर के ऑटो स्टैंड तक आ गया. कुदरत का खेल देखो … मैं स्टैंड की तरफ चला जा रहा था और वो भी मेरे पीछे आ रही थी.
उसके हाथ में कुछ सामान था. मैंने न जाने क्यों मुड़ कर देखा … और अपने पीछे उसे देख लिया. उसे पाकर मैंने अपनी गति घटा दी.
फिर जैसे ही वो मेरे करीब आई. मैंने उससे कहा- अरे आप … लाइए आपका आधा सामान मैं ले लेता हूँ, आपको आराम रहेगा.
उसने भी बिना किसी हील-हुज्जत के मुझे अपना आधा सामान दे दिया. हम दोनों साथ चल रहे थे.
मैं बहुत खुश था, और कुदरत को सराह रहा था कि मेरे लिए क्या तेरा चमत्कार है. तूने मस्त करंट वाली माल जैसी लौंडिया को मेरी झोली में डाल ही दिया, थैंक्यू. मैं भी खुश और मेरा लंड भी खुश.
हम दोनों ऑटो स्टैंड पर आ गए और ऑटो आने का इंतज़ार करने लगे. इसी बीच उससे मेरी थोड़ी सी हैलो हाय और कुछ बातें हुईं. तब तक ऑटो आ गया. मैंने उसको सामान रखवाने में हेल्प की और हम दोनों बैठ गए.
अब समा कुछ और था, उसको पता था कि मैं उसको पसंद करने लगा हूँ और लाइन मार रहा हूँ. शायद उसे भी यह पसंद आ गया था, उसने शर्मा कर नज़रें झुका कर प्यारी सी मुस्कान दी और नीचे देखने लगी.
उसकी इस अदा से मैं समझ गया कि ये उसकी हां है. बस फिर क्या था, सब काम साइड में रखकर मैं दूसरे दिन भी पौने 4 बजे पहुंच गया और उसके आने का इंतज़ार करने लगा. चूंकि एक दिन पहले मुझे उससे कुछ देर की बात में ये मालूम चल गया था कि ये उसका रोज का जॉब टाइमिंग था, वो नर्स थी और घर जाने के लिए 4 बजे इधर रोज आती थी.
मैं उधर उसके इंतज़ार में खड़ा था और थोड़ी ही देर के बाद मैंने उसको आते देखा. उसे देखते ही मेरा दिल मचल गया, उसने भी मुझे देखा और हल्का सा मुस्कुरा दी. मैं समझ गया कि प्यार का तीर चल गया. अब फाइनल मैच हो ही जाए … सेमी फाइनल मैं जीत चुका था.
वो मेरे करीब आई और उसने स्माइल की.
मैंने कहा- हाय!
उसने भी कहा- हाय.
हमारे बीच थोड़ी बहुत इधर उधर की बातें हुईं. फिर मैंने देखा कि पार्टी गर्म है. यहीं वक़्त है हथौड़ा मारने का.
मैंने पूछा कि आप अपना मोबाइल नंबर दे दीजिए … ताकि मैं आपको कांटेक्ट कर सकूं.
पहले तो वो थोड़ी सोच में चली गई, फिर बोली कि आप अपना नंबर बोलो, मैं मिस कॉल करती हूँ.
मैंने नंबर बोला, उसने मिस कॉल किया और तभी ऑटो आ गया. हम दोनों बैठ गए और ऑटो चल दिया. मैं उसको देख रहा था, वो भी मुझको चोरी चोरी देख रही थी. जब भी हम दोनों की निगाहें मिलतीं तो वो मुस्कुरा देती. ये एक स्पष्ट संकेत था कि वो मुझ पर फ़िदा हो चुकी थी.
मुझे उसकी मुस्कान देख कर मज़ा आ रहा था. आख़िरकार सैटिंग हो ही गई थी. मैं कुदरत को अपने भाग्य के लिए सराह रहा था. मुझे जो चाहिए होता है, वो सामने से आ जाता है … एक बार फिर ये बात सिद्ध हो चुकी थी.
घर आने के बाद मैंने उसको रात को 9 बजे के करीब कॉल किया. उसने भी मेरा नम्बर फीड कर लिया था. इसलिए झट से फोन उठ गया और उसकी सुरीली ‘हैलो..’ की आवाज मेरे कानों में शहद घोलती चली गई.
हम दोनों की नॉर्मल सी बातें हुईं. मैंने कहा कि आपकी छुट्टी कब होती है, कहीं मिलते हैं.
उसने कहा- वैसे तो मेरी किसी दिन छुट्टी नहीं होती है, मैं छुट्टी लेती भी नहीं हूँ … क्योंकि में अकेली रहती हूँ. छुट्टी लेकर मैं क्या करूंगी.
मैंने थोड़ा आग्रह किया- छुट्टी ले लो, तो कहीं मिलते हैं बैठेंगे, ताजगी देने वाली बातें करेंगे.
उसने मेरी बात से हामी भरी और कहा- कल हम दोनों ऑटो स्टैंड पर मिलेंगे और वहां से गार्डन चलेंगे, वहीं बैठेंगे और बातें करेंगे.
ऐसे हमारी बातें हुई. फिर उसने कहा- मुझे जल्दी जागना होता है, तो सोना चाहती हूँ. आपको बुरा ना लगे तो फोन रख दूँ और सो जाऊं.
मैंने कहा कि ओके सो तो जाओ … मगर मीठे सपने देखने का वायदा करके सोओ. हम दोनों कल मिलते हैं.
वो खिलखिला दी.
फोन कट हो गया.
मैं बहुत खुश था और मुझे बहुत मीठी नींद आई.
हमारे बात के मुताबिक़ हम दोनों दूसरे दिन 4 बजे ऑटो स्टैंड पर मिले, फिर हम ऑटो में बैठ कर गार्डन के करीब उतर गए. गार्डन में जाकर बैठे और पर्सनल वाली बातें की.
कुछ स्नेक्स खाया और चूंकि पहली मुलाकात थी, तो दोनों बहुत संकोच महसूस कर रहे थे. हम दोनों दूर दूर बैठे थे. करीब एक घंटे तक हम दोनों साथ रहे. फिर घर के लिए निकल गए.
अब ऐसे ही चलता रहा, फोन पर बातें चलती रहीं … गार्डन में मुलाकातें होने लगीं. हम दोनों काफी करीब आ चुके थे और चिपक कर बैठने लगे थे. एक दूसरे को अपने हाथ से स्नेक्स खिलाते थे. रोमांटिक बातें किया करते थे. सच में मुझे बहुत ही अधिक आनन्द आता था. आख़िरकार तन से तन चिपकने से और उसके दिल में मेरे लिए शरीर सुख का प्रेम उभरने लगा था. ये सब उसके चेहरे के एक्सप्रेशन से मैं महसूस कर रहा था.
कुदरत का कमाल कहो … या उसका तोहफा कहो … आख़िरकार उसने मुझे अपने हॉस्पिटल में रात को मिलने के लिए बुलाया.
मैंने कहा कि क्यों कोई प्राब्लम है?
उसने कहा कि कोई प्राब्लम नहीं है, आपके आने से मेरी जिंदगी खूबसूरत खुशहाल हो गई है.
मैं उसकी बात को समझ नहीं सका और उसकी तरफ देखने लगा.
उसने कहा कि हॉस्पिटल छोटा है और आज कोई पेशेंट नहीं है. नीचे एक महिला नर्स रहती है और ऊपर के फ्लोर पर मैं अकेली रहूँगी. हम दोनों अकेले में मिलेंगे, तो मज़ा आएगा.
यह सुनकर मैं बेहद खुश हो गया था.
मैंने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा- अरे वाह … मैं तो समझ ही पाया था कि मुझे हॉस्पिटल क्यों बुला रही हो … मैं जरूर आऊंगा.
वो मेरी बात से बहुत खुश हो गई.
मैं उस दिन रात को 9 बजे उसके हॉस्पिटल आ पहुंचा. उसे फोन लगाया, तो उसने मुझे पीछे के रास्ते से अन्दर बुला लिया. मुझे सीधे ऊपर वाली फ्लोर पर ले गई. पूरा हॉस्पिटल खाली था, ऊपर के एक रूम में हम दोनों आ गए. मैंने अगले ही पल बिना हिचक के उसको कसके गले से लगा लिया.
पहले तो वो शर्मा गई, पर फिर वो भी मेरे सीने से लिपट गई. हम दोनों 5 मिनट तक एक दूसरे से चिपके रहे.
सेक्स कहानी के अगले भाग में हॉस्पिटल में नर्स की चुदाई की कहानी को पूरे विस्तार से लिखूंगा.
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